आसारे कयामत (Part -1)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
अल्लाह जल्ला शानहु ने अपने बन्दों को उनके अच्छे और बुरे आमाल की सजा व जज़ा के लिए एक खास दिन मुक़र्रर कर रखा है, उस दिन वो सब का हिसाबो किताब लेगा जिसमे नेकों को जन्नत और बुरों को जहन्नम का अज़ाब देगा उसी को उर्फे शरह में क़यामत कहते हैं, इसकी 3 किस्में हैं!
1. क़यामते सुग़रा : जो मर गया उसकी क़यामत हो गई!
2. क़यामते वुस्ता : किसी कर्न या जगह के पूरे लोग मर जायें तो उनकी क़यामत क़ायम हो गई!
3. क़यामते कुबरा : वो जिस दिन आसमानों ज़मीन और इसमें जो कुछ है सब फना हो जायेंगे!
बा-हवाला किताब ↬अलमलफूज़ हिस्सा 3 सफह 49
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आसारे कयामत (Part -2)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
बाज़ जाहिल नाम निहाद मुसलमान ये कहते हैं कि हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम को क़यामत का इल्म नहीं था माज़ अल्लाह बल्कि कुछ तो आपके मुतलक़न इल्मे ग़ैब का ही इंकार करते फिरते हैं, इल्मे ग़ैब पर क़ुर्आन की आयतों से 1 पोस्ट और हदीसे पाक से 7 पोस्ट फेसबुक पर है जिनमे वहाबियों के 10 बड़े बड़े ऐतराज़ का जवाब मुदल्लल दिया गया है उसको फेसबुक पर ही सर्च करें, जिस नबी को अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने जन्नत में जाने वालों और जहन्नम में जाने वालों की तादाद तक को बता दिया, पहले हदीसे पाक पढ़िये फिर बात आगे बढ़ाता हूं
हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि एक दिन हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम हमारे दरमियान हाज़िर हुए तो आपके हाथों में 2 किताब थी, आपने पूछा कि क्या तुम लोग इस किताब के बारे में जानते हो तो सहाबा ने अर्ज़ किया कि या रसूल अल्लाह सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम आपके बग़ैर बताये हम नहीं जानते, तो आपने दाहिने हाथ की किताब की तरफ इशारा किया और फरमाया कि इसमें जन्नत में जाने वालों के नाम उनके बाप के नाम के साथ दर्ज हैं और आखिर में सबका टोटल भी कर दिया गया है कि अब उसमे कमी या ज़्यादती नहीं होगी, फिर बायें हाथ की किताब की तरह इशारा करते हुए फरमाया कि इसमें जहन्नम में जाने वालों के नाम उनके बाप के नाम के साथ दर्ज हैं और आखिर में सबका टोटल भी कर दिया गया है कि अब उसमे कमी या ज़्यादती नहीं होगी!
बा - हवाला ↬ तिर्मिज़ी,जिल्द 2,सफह 36
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आसारे कयामत (Part -3)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
ये तो बस एक हदीसे पाक है वरना किताबों में तो ऐसी ऐसी हज़ारों हदीसें मिल जायेगी अब ज़रा सोचिये कि जो नबी क़यामत के बाद तक का हाल जानते हों कि कौन जन्नत में जायेगा और कौन जहन्नम में क्या वो क़यामत का इल्म नहीं जानते होंगे? यक़ीनन जानते हैं और उन्ही के बताने से आज मुसलमान का बच्चा बच्चा जानता है कि क़यामत मुहर्रम की दसवीं जुमा के दिन ज़ुहर व अस्र के दरमियान आयेगी, और रही बात वक़्ते मुतअय्यन की तो वो भी मेरे नबी पर पोशीदा नहीं है बल्कि उस राज़ को पोशीदा रखने का हुक्म है, अब क़यामत के बारे में कुछ अक़ीदा भी मुलाहज़ा फरमा लें
क़यामत बरहक़ है और अपने वक़्त पर ज़रूर ज़रूर आयेगी जो इसका इंकार करे या ज़र्रा बराबर भी शक करे काफिर है!
क़यामत में सज़ा और जज़ा जिस्म व रूह दोनों पर होगा तो जो ये कहे कि वहां सिर्फ रूह होगी जिस्म नहीं वो भी काफिर है!
और जो रूह जिस जिस्म में थी उसी के साथ हश्र होगा ये नहीं कि नया जिस्म पैदा करके उसमें रूह डाली जाये अगर चे उसका जिस्म जला दिया जाये या पानी में बहा दिया जाये या मुख्तलिफ जानवरों की गिज़ा बन जाये, जिस्म की रीढ़ की हड्डी में कुछ ऐसे बारीक अज्ज़ा होते हैं जिनको *अज्बुज़ ज़न्ब* कहते हैं जो ना तो दूरबीन से नज़र आते हैं ना उन्हें आग जला सकती है और ना ज़मीन उसे गला सकती है और मौला तआला इस पर क़ादिर है कि उसके इसी तुख्म से सारे अज्ज़ा को मिलाकर फिर खड़ा कर दे और क्यों ना हो कि जो खालिक़े क़ायनात पहली बार बगैर शक्लो सूरत के एक इंसान को पैदा कर सकता है उसका उसी इंसान को उसी हैबत पर दोबारा वुजूद में लाना कौन सा मुश्किल काम है!
बा - हवाला ↬ बहारे शरियत, हिस्सा 1,सफह 28/35
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आसारे कयामत (Part -4)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
मौला अपने बन्दों को किस तरह क़यामत में ज़िंदा करेगा उसको जानने के लिए ये रिवायत पढ़िये :
बुखारी व मुस्लिम शरीफ में है कि एक शख्स बहुत ही गुनाहगार था जब वो मरने लगा तो अपनी औलाद को वसीयत की कि मेरे मरने के बाद मुझे दफ्न ना करना बल्कि जला देना और मेरी राख के 2 हिस्से करना एक हिस्से को हवाओं में उड़ा देना और दूसरे हिस्से को पानी में बहा देना, उसकी औलाद ने ऐसा ही किया मौला ने हवा को हुक्म दिया कि इसके सारे ज़र्रात को मिला दो और पानी को हुक्म दिया कि इसके सारे ज़र्रात को मिला दो तो दोनों ने ऐसा ही किया, जब उसके जिस्म के दो हिस्से बन गये तो मौला ने दोनों को मिलाकर उसमें रूह लौटाई और फरमाया कि तेरी ऐसी वसीयत करने की क्या वजह थी हालांकि वो सब जानता है, तो बन्दा अर्ज़ करता है कि मौला मैं बहुत ही गुनहगार था मुझे यही खौफ था कि अगर मुझे अज़ाब दिया गया तो दुनिया का सबसे ज़्यादा अज़ाब मुझ पर होगा तो तेरे इसी खौफ से मैंने ऐसा फैसला किया तो मौला फरमाता है कि तेरे इसी खौफ ने आज तुझे बचा लिया और वो बख्शा गया क्योंकि खुदा से डरना ही तो सारी इबादत की अस्ल है!
बा - हवाला ↬ अहवाले बर्ज़ख,सफह 12
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आसारे कयामत (Part -5)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
और ये रिवायत तो क़ुरआन से साबित है, पढ़िये :
एक दिन हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने समुन्दर के किनारे एक मरे हुए शख्स को देखा जिसकी लाश को मछलियां खा रही थीं फिर कुछ देर बाद उसी लाश पर कुछ परिंदे भी आ गए और उन्होंने भी उस लाश को खाना शुरू कर दिया फिर कुछ जंगली जानवर आये और उन्होंने भी कुछ खाया, जब आपने ये मंज़र देखा तो आपके दिल में ये शौक़ पैदा हुआ कि मैं अपनी आंख से देखना चाहता हूं कि मौला तआला किस तरह मुर्दो को ज़िन्दा फरमायेगा और आपने बारगाहे खुदावन्दी में अपनी आरज़ू पेश कर दी, ख्याल रहे कि आपको खुदा की क़ुदरत पर शक नहीं था क्योंकि आपने काफिरो से खुदा की यही सिफत बयान की थी "कि मेरा रब वो है जो मारता है और जिलाता है" अगर आपको इस बात में शक होता तो हरगिज़ आप ऐसा नहीं कहते बल्कि सिर्फ अपनी आंखों से रब की क़ुदरत का मुशाहद करना चाहते थे, और ये भी ख्याल रहे कि अगर आपको इस बात में शक होता तो यक़ीनन आप पर खुदा का इताब होता मगर हरगिज़ ऐसा नहीं हुआ!
बल्कि मौला फरमाता है "ऐ खलील तुम 4 परिंदो को मिलाकर अलग अलग पहाड़ो पर रख दो फिर उनको बुलाओ तो वो तुम्हारे पास दौड़ते हुए आयेंगे" हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने मोर-कबूतर-मुर्ग-कव्वा इन चारों को कीमा बनाकर सबको एक साथ मिला दिया फिर उन सब में से 4 हिस्से करके 4 अलग अलग पहाड़ियों पर रख दिए और सबका सर अपने पास रख लिया, अब जिस परिन्दे को आप आवाज़ देते तो उसके पूरे अज्ज़ा चारो पहाड़ियों में से उड़ते हुए आते आपकी आंखों के सामने सब इकठ्ठा होता आप उस पर जैसे ही सर का टुकड़ा लगते वो ज़िंदा होकर उड़ जाता!
📬 बा - हवाला ↬ *खज़ाएनुल इरफान,सफह 66 📚*
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आसारे कयामत (Part -6)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
अब क़यामत की निशानियों की तरफ बढ़ते हैं दीगर अम्बियाये किराम जब अपनी उम्मतों को क़यामत से डराते और क़यामत की निशानियां बताते तो परमाते कि "क़यामत उस वक़्त तक क़ायम नहीं होगी जब तक कि इस दुनिया में नबीये आखिरुज़्ज़मां सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम का ज़हूर ना हो जाये" और कुछ रिवायतों में आपका इस दुनियाये ज़ाहिरी से विसाल फरमाना भी आया है, बहरहाल इतना तो साबित है कि क़यामत की निशानियों में सबसे पहली निशानी यही थी कि मेरे आक़ा सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम की आमद आमद होती और आपकी आमद हुए 1492 साल और फिर आपका ज़ाहिरी विसाल हुए भी 1429 साल हो चुके हैं, इसका मतलब ये है कि हम क़यामत से बस गिनती के चन्द साल ही दूर हैं मगर हाय रे मुसलमान मौत के मुहाने पर खड़ा है और आखिरत को छोड़कर दुनिया सजाने की फिक्र में लगा बैठा है, मौला तआला से दुआ है कि मुसलमानों को हिदायत अता फरमाये कि जल्द से जल्द अपनी आखिरत के बारे में सोचें वरना कहीं ऐसा ना हो जाये कि गफलत में ही मौत आ जाये और जब अपने गुनाहों पर पशेमान हों तो कुछ कर भी ना सकें, हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने क़यामत से पहले उनकी निशानियां अपने बन्दों को बता रखी है इसको अलामाये क़यामत कहते हैं और इसकी भी दो किस्में हैं
*1. अलामाते सुग़रा -* यानि छोटी निशानियां, इसका ज़हूर क़यामत आने से बहुत पहले ही शुरू हो जायेगा बल्कि शुरू हो चुका है!
*2. अलामाते कुबरा -* यानि बड़ी निशानियां, इसका ज़हूर क़ुर्बे क़यामत में होगा और इसकी शुरुआत मुसलमानों की तमाम हुक़ूमतों के खातमे से होगी!
📕 आसारे क़यामत,सफह 9
बा - हवाला ↬ अलमलफूज़,हिस्सा 1,पेज 92
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आसारे कयामत (Part -7)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
*अलामाते सुग़रा- हदीस :* मौला अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है फरमाया रसूल अल्लाह सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने कि क़ुर्बे क़यामत की निशानियों में से है जब तुम देखो कि
! नमाज़ों को ज़ाया किया जाए
! अमानत को रायगां कर दिया जाए
! कबीरा गुनाहों को हलाल ठहराया जाए
! सूद खोरी की जाए
! रिश्वत ली जाए
! मकान ऊंचे और पुख्ता बनाये जाएं
! नाजायज़ ख्वाहिशों की तकमील की जाए
! दीन को दुनिया के बदले बेचा जाए
! क़ुर्आन को गाने की तरह पढ़ा जाए
! दरिंदों की खालों को बतौर ज़ैन इस्तेमाल किया जाए
! मस्जिदों को रास्ता बनाया जाए
! मर्द रेशम का लिबास पहने
! ज़ुल्म हद से बढ़ जाए
! ज़िना की कसरत हो जाए
! तलाक़ को खेल बनाया जाए
! अमीन को खाइन ठहराया जाए
! खाइन को अमानतदार समझा जाए
! बारिश कम हो जाए
! औलाद दिल की घुटन बन जाए
बा - हवाला ↬ कंज़ुल उम्माल,जिल्द 14 सफह 573-574
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आसारे कयामत (Part -8)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
*अलामाते सुग़रा - हदीस :*
! बड़े ओहदों पर वो बैठे जो उसके लायक़ ना हों
! उल्मा पैसों के लिए अमीरों की चाकरी करें
! क़ारियों की कसरत हो
! फुक़्हा की किल्लत हो जाए
! क़ुर्आन पर सोने चांदी के गिलाफ चढ़ाये जाएं
! मस्जिदें सजाई जाए
! दिल फासिद हो जाएं
! लोग गाने वालियां रखें
! ढोल बाजे हलाल किये जाएं
! शराब पी जाए
! अल्लाह के हुक्म को तोड़ा जाए
! महीने घट जाएं
! वादा खिलाफी आम हो जाए
! औरत और मर्द शरीके तिजारत हों
! औरतें घोड़ों पर बैठे
! औरत मर्द से और मर्द औरत से मुशाबहत रखे
! गैरुल्लाह की कसम खाई जाए
! आदमी बग़ैर गवाह हुये गवाही दे
बा - हवाला ↬ कंज़ुल उम्माल,जिल्द 14 सफह573-574
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आसारे कयामत (Part -9)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
*अलामाते सुग़रा - हदीस :*
! ज़कात बोझ बन जाए
! अमानत माले गनीमत हो जाए
! मर्द अपनी बीवी की इताअत करे
! मां बाप की नाफरमानी करे
! मां बाप को अपने से दूर रखे
! ओहदों को जायदाद की तरह बाटा जाए
! गुज़रे हुए लोगों को गालियां दी जाएं
! आदमी की इज़्ज़त उसके डर से की जाए
! सिपाहियों की कसरत हो
! जाहिल मेम्बर पर बैठे
! मर्द ताज पहने
! रास्तों की क़िल्लत हो जाए
! मर्द मर्द के साथ और औरत औरत के साथ सोहबत करे
! उल्मा मन चाहा फतवा दें
! दुनिया के लिए इल्मे दीन हासिल किया जाए
! माल पर शरीरों का क़ब्ज़ा हो जाए
! क़ुर्आन को तिजारत बनाया जाए
! रिश्तों को काटा जाए
! जुआ आम हो जाए
! मोहताजों को ज़कात ना दी जाए
! बेगुनाहों का कत्ल आम हो जाए
! नाप-तौल में कमी की जाए
तो इंतज़ार करो उस चिंघाड का जो तुम्हारे दिल को दहला दे
📬 बा - हवाला ↬ *कंज़ुल उम्माल,जिल्द 14 सफह 573-574 📚
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आसारे कयामत (Part -10)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
अलामते क़यामत में हर अलामत नाजायज़ नहीं है जैसे कि मकान ऊंचे और पुख्ता बनाये जायें, क़ुर्आन पर सोने चांदी के गिलाफ चढ़ाये जायें, मस्जिदें सजाई जाये ये वो अलामत है जो क़यामत कि निशानी तो है मगर नाजायज़ नहीं, इसी तरह एक msg अक्सर घूमता रहता है कि क़यामत की निशानी है कि लोग अपने हाथों से क़ुर्आन को मिटायेंगे और ऐसे msg ना भेजने की अपील की जाती है, पहला तो ये कि क़यामत की निशानी ये बताई गई है कि क़ुर्आन के हुरूफ उड़ जायेंगे ना कि लोग अपने हाथ से मिटायेंगे और दूसरा ये कि अगर मान भी लिया जाये कि ऐसा फरमाया गया तब भी वो नाजायज़ फेअल नहीं होगा क्योंकि ये मिटाना तो हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम के ज़माने मुबारक से चल रहा है!
जब हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम पर क़ुर्आन उतरता तो सहाबा उसे पत्तो पर हड्डियों पर चमड़े के गिलाफों पर लिख लिया करते और बाद में किसी और जगह महफ़ूज़ करके उसे मिटा देते और ये दस्तूर तो आज भी दुनिया के तमाम इस्लामी मदारिस में बा आसानी देखा जा सकता है कि उस्ताज़ बच्चों को पढ़ाते हुए अक्सर ब्लैक बोर्ड पर क़ुर्आन की आयतें लिखते हैं और बाद में उसे मिटा देते हैं तो क्या वो सब गुनाह करते हैं? नहीं और बिलकुल नहीं, एक मुसलमान को वो मिलता है जिसकी उसने नियत की हो तो कोई मुसलमान हरगिज़ हरगिज़ क़ुर्आन को इस नियत से नहीं मिटाता कि ये अल्लाह का कलाम है और मैं इसे मिटा दूं तो ये मिट जायेगा माज़ अल्लाह बल्कि सिर्फ इसलिए डिलीट करता है कि उसकी मेमोरी फुल हो जाती है और इस मिटाने पर कोई गुनाह नहीं, इस पर हुज़ूर ताजुश्शरीया का फतवा आ चुका है लिहाज़ा ऐसे msg को ना तो पढ़ा जाये और ना ही आगे शेयर किया जाये!
बा - हवाला ↬ कंज़ुल उम्माल,जिल्द 14 सफह 573-574
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आसारे कयामत (Part -11)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
*अलामाते कुबरा :* अलामाते कुबरा यानि क़यामत की बड़ी बड़ी निशानियां, इसकी शुरुआत मुसलमानों की तमाम हुक़ूमतों के खातमे से होगी जैसा कि आक़ाये नेअमत इमाम इश्क़ो मुहब्बत आलाहज़रत अज़ीमुल बरक़त रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि
*रिवायत* - 1837 हिजरी में शायद कोई इसलामी हुकूमत बाक़ी ना रहे और 1900 हिजरी में इमाम मेंहदी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का ज़हूर हो
📕 अलमलफूज़,हिस्सा 1,पेज 92
इसकी शुरुआत तो हो ही चुकी है आने वाला 400-450 साल मुसलमानो के ज़वाल का होगा, इस वक़्त पूरी दुनिया में 195 देश हैं जिनमे अकेले मुस्लिमों की 55 देश पर हुकूमत है,और जैसा हाल ईराक़ अफग़ानिस्तान फिलिस्तीन वगैरह का हो रहा है वही हाल हर इस्लामी मुमालिक का होना तय है मगर उसी तरह ये भी तय है कि भले ही हमारे हाथ से फिलहाल सारी हुकूमत छिन जाये मगर मुसलमान का वुजूद उस वक़्त तक बाकी रहेगा जब तक कि अल्लाह का हुक्म ना आ जाये यानि क़यामत, मगर उससे पहले दुनिया देखेगी कि फिर वही मज़लूम मुसलमान किस तरह हुकूमत करते हैं और इस बार किसी एक दो मुल्क पर नहीं बल्कि पूरी दुनिया ही एक इस्लामी हुकूमत बनकर रह जायेगी, तो जो लोग इस मुगालते में जी रहे हैं कि कुछ मुसलमानों को इधर-उधर मारकर वो इस्लाम को खत्म कर देंगे तो ये उनकी सबसे बड़ी बेवकूफी है अब इन बेअक़्लों को कौन बताये कि जब फिरऔन नमरूद हामान और शद्दाद जो कि पूरी दुनिया पर हुकूमत करने वाले अपनी खुदाई का दावा करने वाले जाबिर बादशाह गुज़रे हैं जब वो इस्लाम को नहीं मिटा सकें तो अब किसी की क्या औकात बची कि इस्लाम का ज़र्रा बराबर भी बाल बाका कर सके, और रही बात मुसलमानों पर ज़ुल्म होने की तो ये हमारी ही बे-अमली है जिसकी हमें सज़ा मिल रही है और वो भी वक़्ती तौर पर वरना हमेशा की सज़ा के मुस्तहिक़ तो सिर्फ और सिर्फ काफिरो मुनाफिक़ ही हैं मुसलमान नहीं, खैर आगे बढ़ते हैं!
बा - हवाला ↬ ज़लज़लातुस साअत,सफह 5
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आसारे कयामत (Part -12)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
*रिवायत* - जब तमाम इस्लामी मुल्क खत्म हो जायेंगे यहां तक कि मुल्के शाम और अरब में भी नसारा की हुकूमत हो जायेगी तो मुसलमानो की हालत बहुत ही ज़्यादा खराब होगी, ऐसे में हज़रत इमाम मेंहदी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की तलाश शुरू होगी उनके ज़हूर की निशानी ये होगी कि उस साल रमज़ान शरीफ में ही सूरज और चांद दोनों को ग्रहण लगेगा, हज़रत इमाम मेंहदी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु उस वक़्त तवाफे काबा में लगे होंगे कि अचानक ग़ैब से निदा आयेगी कि *यही अल्लाह के खलीफा हैं जिनका नाम मेंहदी है इनकी बातें मानो और इताअत करो* तो लोग आपकी तरफ दौड़ेंगे और आपकी बैयत करेंगे, आपका नाम मुहम्मद लक़ब मेंहदी होगा आपके वालिद का नाम अब्दुल्लाह आपकी वालिदा का नाम आमिना आपकी शक्ल भी हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम से बहुत मुशाबह होगी उस वक़्त आपकी उम्र 40 साल होगी और आप खातूने जन्नत हज़रत सय्यदना फ़ातिमातुज़्ज़ुहरा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा की औलाद से होंगे!
📬 बा - हवाला ↬ ज़लज़लातुस साअत,सफह 5
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आसारे कयामत (Part -13)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
*रिवायत :* आलाहज़रत अज़ीमुल बरकत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि आप मुजतहिद तो होंगे मगर इज्तिहाद की इजाज़त ना होगी,न वो हनफी होंगे ना शाफई ना मालिकी होंगे और ना हंबली बल्कि हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम से तलक़ी जुम्ला एहकाम करेंगे और उस पर अमल फरमायेंगे,मगर जिस तरह आप नमाज़ पढ़ेंगे वो बिलकुल हनफी मज़हब की तरह ही होगी उस दिन खुल जायेगा कि अल्लाह जल्ला शानहु व रसूल सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम को सबसे ज़्यादा पसंद मज़हबे हनफी है,और उसके बाद अहले सुन्नत व जमाअत के बक़िया तीनो मज़हब मुनक़ता हो जायेंगे बस एक ही मज़हब बाक़ी रहेगा और वो बज़ाहिर मज़हबे हनफिया ही होगा!
बा - हवाला ↬ अलमलफूज़,हिस्सा 2,सफह 61
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आसारे कयामत (Part -14)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
*अलामाते कुबरा, रिवायत :-* जब हज़रत इमाम मेंहदी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की ज़हूर की खबर मशहूर होगी तो मदीना शाम ईराक़ यमन के मुसलमानो के साथ साथ वहां के औलिया व अब्दाल भी आपकी ज़ियारतो बैयत को हाज़िर होंगे,खुरासान का एक नेक शख्स जिसका नाम मन्सूर होगा वो आपकी खिदमत में एक कसीर फौज भेजेगा जो रास्ते में मिलने वाले बद्दीनो और नसारा के लश्करों को साफ करता हुआ मक्के और मदीने के दर्मियान पहुंच जायेगा,उधर बनी क़ल्ब की क़ौम से एक मरदूद शख्स जिसका नाम सफयानी होगा वो मुसलमानों से लड़ने को उसी मैदान में अपनी फौज उतार देगा मगर खुदा की कुदरत की दोनों तरफ का पूरा लश्कर उसी मैदान की तह में गर्त हो जायेगा!
दोनों तरफ के सिर्फ दो आदमी ही बचेंगे एक जाकर हज़रत इमाम मेंहदी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को खबर देगा और दूसरा सफयानी को,नसारा मुसलमानों से लड़ने के लिए पूरी दुनिया से अपनी फौज इकट्ठी करेंगे उसके 80 परचम होंगे और हर परचम के नीचे 12000 की फौज होगी यानि 9,60,000 काफिर मुसलमानो से लड़ने को जमा हो जायेंगे,इधर हज़रत इमाम मेंहदी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु भी मुसलमानो को जमा करेंगे,उनके लश्कर में 3 किस्म के लोग होंगे पहले वो जो नसारा से डरकर मैदान छोड़ देंगे मौला उनकी तौबा कभी क़ुबूल ना करेगा दूसरे वो जो लड़ते हुए शहीद का दर्जा पायेंगे और तीसरे वो जो आखिर में फतहयाब होकर ग़ाज़ी कहलायेंगे और ये ना कभी गुमराह होंगे और ना फितने में पड़ेंगे!
📕 ज़लज़लातुस साअत,सफह 6-8
बा - हवाला ↬ अनवारुल हदीस,सफह 135
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आसारे कयामत (Part -15)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
3 दिन तक मुसलमानों का लश्कर कसम खा खा कर निकलेगा कि हम जीत कर ही आयेंगे मगर उन सबकी शहादत होती जायेगी और चौथे दिन वो लोग ही बचेंगे जो खेमो की हिफाज़त को रह जाते थे अब उन बचे बचाये लोगों को साथ लेकर हज़रत इमाम मेंहदी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु खुद मैदान में पहुंचेंगे और मौला तआला मुसलमानो को फतह देगा और नसारा का पूरा लश्कर तितर बितर हो जायेगा उसके हज़ारों आदमी क़त्ल होंगे और बाकी के भाग खड़े होंगे, बाद फतह के ज़मीन अपना खज़ाना बाहर निकाल देगी जिसे हज़रत इमाम मेंहदी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु लोगों को उंजलियां भर भरकर यानि दोनो हाथों से बाटेंगे मगर बहुतेरे मुसलमान उसे लेने से इंकार करेंगे क्योंकि कुछ लोग तो ऐसे बचे होंगे जिनके खानदान से 100-100 लोग शहीद हो चुके होंगे!
फिर बनी इस्हाक़ अपनी 70000 की फौज आपके सुपुर्द कर देंगे जिसे आप कुस्तुन्तुनिया जिसे आजकल इस्तम्बोल कहते हैं फतह करने को भेजेंगे, जैसे ही मुसलमानो का ये लश्कर शहर की चार दिवारी के करीब पहुंचेगा तो अल्लाहु अकबर का ऐसा नारा लगायेंगे कि उसकी गूंज से ही शहर की दीवार और किले धराशायी हो जायेंगे, आपके ज़हूर से लेकर अब तक 6 या 7 साल का अरसा गुज़र चुका होगा और अदलो इन्साफ के साथ आप मुल्क के बन्दो बस्त में लगे होंगे कि अचानक दज्जाल के ज़ाहिर होने की खबर मशहूर होगी!
📕 ज़लज़लातुस साअत,सफह 6-8
बा - हवाला ↬ अनवारुल हदीस,सफह 135
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आसारे कयामत (Part -16)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
*रिवायत* - दज्जाल क़ौमे यहूद का एक शख्स होगा लोगों में इसका खिताब मसीह होगा उसकी दाहिनी आंख अंगूर की तरह बाहर को लटकी होगी उसके बाल घुंघराले उसकी सवारी में बहुत बड़ा गधा होगा और खुद उसकी पेशानी पर काफिर ک ا ف ر लिखा होगा जिसे हर मुसलमान पढ़ा बे-पढ़ा सब पढ़ लेंगे, इसके साथ यहूदियों का 70000 का लश्कर होगा जो इसकी बैयत करके इसके साथ ही चलेगा, अपने जादू के दम पर अपने साथ एक बहुत बड़ी आग रखे होगा जिसका नाम जहन्नम रखेगा और एक बाग़ भी होगा जिसका नाम जन्नत रखा होगा, मगर हक़ीक़त में जिसको जहन्नम कहेगा वो खुदा की तरफ से बाग़ होगा और जिसको जन्नत कहेगा मौला उसे आग बना देगा!
जब ये ज़ाहिर होगा तो उससे दो साल पहले से अकाल यानि सूखा पड़ा होगा और अनाज की बेहद किल्लत होगी तब ये अपने अजायबात के दम पर अनाज पैदा करेगा दरख्तों में फल लगा देगा जानवरों को खूब मोटा ताज़ा कर देगा जिससे कि वो खूब दूध देने लग जायेंगे मुर्दों को जिला देगा और इसी सब के दम पर अपनी खुदाई का दावा करेगा तो जो उसको معاذ الله खुदा कह देगा या उसकी इताअत करेगा उसे वो अपनी जन्नत में डाल देगा जो कि जहन्नम होगी और जो उसकी बात ना मानेगा उसको आग में डलवा देगा जो कि जन्नत होगी!
📕 ज़लज़लातुस साअत,सफह 6-8
बा - हवाला ↬ अनवारुल हदीस,सफह 135
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आसारे कयामत (Part -17)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
महज़ 40 दिन ही दुनिया में रहेगा मगर इतने ही दिनों में पूरी दुनिया का गश्त कर लेगा सिवाये मक्का और मदीना को छोड़कर, वहां भी ये दाखिल होना चाहेगा मगर फरिश्ते नंगी तलवार लिए उन शहरों की सरहद पर खड़े होंगे जिससे कि ये दाखिल ना हो पायेगा, इसके 40 दिनों में पहला दिन एक साल के बराबर होगा और दूसरा दिन एक महीने के बराबर और तीसरा दिन एक हफ्ते के बराबर और बाकी के 37 दिन आम दिनों के बराबर होंगे, जब ये बात सहाबये किराम को पता चली तो उन्होंने हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम से पूछा कि जिन दिनों दिन साल भर के बराबर होगा तो नमाज़ एक दिन की पढ़नी होगी या साल भर की तो आप सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि क़यास करके पूरे साल की पढ़नी हो!
📕 ज़लज़लातुस साअत,सफह 6-8
बा - हवाला ↬ अनवारुल हदीस,सफह 135 📚
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आसारे कयामत (Part -18)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
उस साल अरब शरीफ में 3 बड़े ज़लज़ले आयेंगे और जिनका ईमान कमज़ोर होगा वो डरकर शहर से बाहर निकल आयेंगे और दज्जाल की कौम में शामिल हो जायेंगे, उसी वक़्त मदीना तय्यबह में एक बुज़ुर्ग होंगे जो दज्जाल से सवाल करने के लिए बाहर आयेंगे जब उन्हें दज्जाल के सामने पेश किया जायेगा तो वो दज्जाल को देखकर कहेंगे कि मैंने तुझे पहचान लिया है तू वही है जिसकी खबर हमारे नबी ﷺ ने हमको बहुत पहले ही दे दी थी तू मलउन है, ये सुनकर दज्जाल गज़बनाक होगा और उनके सर पर आरा रखकर उन्हें 2 टुकड़ों में चीर देने का हुक्म देगा,
फिर अपने मानने वालों से कहेगा कि क्या मैं फिर से इसे ज़िंदा ना कर दूं ताकि तुम लोगों का ईमान और मज़बूत हो जाये और फिर वो दोनों टुकड़ों को मिला देगा जो कि अल्लाह की क़ुदरत से फिर जिंदा हो जायेगा, वो बुज़ुर्ग जिंदा होते ही फिर यही कहेंगे कि अब तो मेरा ईमान पहले से ज़्यादा पक्का हो गया कि तू मलऊन है फिर वो गुस्से में भरकर उनको मारने की कोशिश करेगा मगर इस बार उन्हें ना मार सकेगा और आखिर में उन्हें अपनी जहन्नम में डलवा देगा जो कि अल्लाह की तरफ से जन्नत होगी!
बा - हवाला ↬ ज़लज़लातुस साअत,सफह 7-11
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आसारे कयामत (Part -19)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
इसके बाद वो कोई अजायब ना दिखा सकेगा फिर वहां से खायब व खासिर होकर मुल्के शाम को रवाना होगा और दमिश्क पहुंच जायेगा, उधर इमाम मेहंदी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु उससे जंग की तैयारी में लगे होंगे और पहले ही दमिश्क पहुंच चुके होंगे कि अस्र की नमाज़ का वक़्त हो जायेगा जैसे ही जमात की तैयारी होगी उसी वक़्त हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम फरिश्तों की बाज़ुओं पर बैठे हुए जामेअ मस्जिद की पूरब वाले मीनार पर उतरेंगे और आवाज़ देंगे की सीढ़ी लाओ तब उन्हें वहां से उतारा जायेगा, हज़रत इमाम मेहंदी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु हज़रत ईसा को इमामत के लिए कहेंगे पर आप मना फरमा देंगे तो हज़रत इमाम मेहंदी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु इमामत फरमायेंगे और हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम मुक़तदी होंगे!
फिर इमाम मेहंदी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम को लश्कर की कमान सौंपेंगे तो हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम फरमायेंगे कि लश्कर की कमान आप ही फरमायें मैं तो बस दज्जाल के क़त्ल के लिए आया हूं और हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम दज्जाल के पीछे जायेंगे, उस वक़्त आपकी सांसों में ये तासीर होगी कि कई कई कोस तक जायेगी और जो उसकी ज़द में आ जायेगा वो पानी में नमक की तरह पिघल जायेगा, आप दज्जाल को खदेड़ते हुए बाबे 'लद' तक ले जायेंगे और उसे जल्दी से नेज़े से क़त्ल करेंगे ताकि वो पिघल ना जाये और उसका खून अपनी क़ौम को दिखायेंगे ताकि मुसलमानों को राहत मिले!
बा - हवाला ↬ ज़लज़लातुस साअत,सफह 7-11
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आसारे कयामत (Part -20)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
उधर मुसलमान उसके लश्कर के खात्मे में लगे होंगे हत्ता कि अगर कोई यहूदी पत्थर या पेड़ के पीछे छिपा होगा तो वो पत्थर और पेड़ आवाज़ देगा कि ऐ अल्लाह के नेक बन्दे एक काफिर मेरे पीछे छिपा हुआ है आ कर इसे क़त्ल कर, इस तरह क़त्ले दज्जाल के बाद पूरी रूए ज़मीन पर हज़रत इमाम मेहंदी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की बादशाहत क़ायम होगी और आप तमाम मुल्कों की सैर करेंगे और दज्जाल के शर के सताये हुए मुसलमानों को तसल्ली देंगे और उन्हें खुदा के यहां मिलने वाले इनामात बतायेंगे, हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम उसके बाद तमाम सुअरों को मार डालने और तमाम काफिरों को इस्लाम क़ुबूल करने का हुक्म सादिर फरमायेंगे यहां तक की किसी काफिर से जुज़िया भी क़ुबूल ना किया जायेगा हत्ता कि मुसलमानों के किसी भी शहर में 1 भी काफिर ना रहेगा, आप सलीब तोड़ डालेंगे उस वक़्त के तमाम ईसाई हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम पर ईमान लायेंगे और मुसलमान हो जायेंगे!
बा - हवाला ↬ ज़लज़लातुस साअत,सफह 7-11
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आसारे कयामत (Part -21)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हज़रत इमाम मेंहदी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का 40 साल की उम्र में ज़हूर होगा 8वें बरस दज्जाल का खुरूज होगा और 9वें साल यानि 49 साल की उम्र में आपका विसाल होगा आपकी नमाज़े जनाज़ा हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम पढ़ायेंगे, उसके बाद हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम मुल्क का इंतेज़ाम फरमा ही रहे होंगे कि मौला उन्हें हुक्म देगा मेरे नेक बन्दों को लेकर कोहे तूर के किले में अपने आपको महफूज़ करलो क्योंकि अब मैं अपने उन बन्दों को आज़ाद करने वाला हूं जिनसे लड़ने की ताब किसी में नहीं है, हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम मुसलमानों को लेकर हथियारों और गल्लों के साथ किले में पनाह लेंगे उसके बाद याजूज माजूज सिकन्दरी दीवार तोड़कर बाहर आ जायेंगे, (सिकन्दरी दीवार के बारे में जानने के लिए हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम का पहला हिस्सा पढ़ा जाये)!
बा - हवाला ↬ ज़लज़लातुस साअत,सफह 7-11
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आसारे कयामत (Part -22)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
*सिद्दे सिकंदरी* अब तक 4 ऐसे बादशाह गुज़रे हैं जिन्होंने पूरी दुनिया पर हुक़ूमत की है दो मोमिन हज़रत सिकंदर ज़ुलरनैकन और हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम और दो काफिर नमरूद और बख्ते नस्र, और अनक़रीब पांचवे बादशाह हज़रत इमाम मेंहदी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु होंगे जो पूरी दुनिया पर हुक़ूमत करेंगे, जिस सिकन्दर का किस्सा हम लोगों ने दुनियावी इतिहास की किताबों मे पढ़ा है वो सिकन्दर युनानी था जो कि काफिरो मुशरिक था मगर सिकन्दर ज़ुलरनैकन दूसरे हैं आप सालेह मोमिन थे!
बा - हवाला ↬ अलइतक़ान, जिल्द 2,सफह 178
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आसारे कयामत (Part -23)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
*हज़रत* सिकंदर ज़ुलकरनैन हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के ज़माने के थे और आप हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम पर ईमान लाये और उनके साथ तवाफे काबा भी किया, चुंकि हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम भी हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की बारगाह में हाज़िरी देते थे जहां ज़ुलकरनैन की हज़रते खिज़्र अलैहिस्सलाम से मुलाकात हुई और उनकी शख्सियत इल्मो अखलाक़ को देखकर हज़रते ज़ुलकरनैन ने उन्हें अपना खास और वज़ीर बना लिया, हज़रत सिकन्दर ज़ुलरनैकन ने किताबों में पढ़ा कि औलादे साम में से एक शख्स आबे हयात तक पहुंचेगा और उसे पा लेगा जिससे कि उसे मौत ना आयेगी,
ये पढ़कर आपने एक अज़ीम लश्कर तैयार किया जो कि मग़रिबो शिमाल की जानिब रवाना हुआ आपके साथ आपके वज़ीर हज़रते ख़िज़्र अलैहिस्सलाम भी चले, पानी का सफर खत्म होते होते वो एक ऐसी जगह पहुंचे जहां दलदल के सिवा कुछ ना था कश्तियां भी ना चल सकती थी मगर अज़्म के मज़बूत हज़रत ज़ुलकरनैन ने उन कीचड़ों पर भी कश्तियां चलवा दी, वहां एक जगह उन्हें सूरज कीचड में डूबता हुआ मालूम हुआ वहां से निकलकर वो एक ऐसी वादी में पहुंचे जहां एक क़ौम आबाद थी मगर वहां के लोग तहज़ीब और तमद्दुन से बिल्कुल खाली थे, जो जानवरों का कच्चा गोश्त खाते उन्ही के खालों का कपड़ा पहनते उनका ना तो कोई दीन था और ना मज़हब!
📕 पारा 16,सूरह कहफ,आयत 83-99
📕 पारा 17,सूरह अम्बिया,आयत 96
📕 तफसीरे खज़ाएनुल इरफान,सफह 362
📕 रिजालुल ग़ैब,सफह 148--153
📕 क्या आप जानते हैं,सफह 188
📕 तफसीरे खाज़िन,जिल्द 4,सफह 204
बा - हवाला ↬ ज़लज़लातुस साअत,सफह 12
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आसारे कयामत (Part -24)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
आपने उन लोगों को दीने इस्लाम की दावत पेश की जिसे उन लोगों ने क़ुबूल फरमाया और फिर उन लोगों ने याजूज माजूज की शिकायत पेश की, कि पहाड़ के पीछे से एक क़ौम हमला करती है जो हमारा सब कुछ बर्बाद कर देती है आप हमें उस ज़ालिम क़ौम से बचायें, तब हज़रत ज़ुलकरनैन ने दो पहाड़ों के दरमियान एक दीवार क़ायम फरमाई वो दीवार तक़रीबन 160 किलोमीटर लम्बी 150 फिट चौड़ी और 600 फिट ऊंची है, इसको सिद्दे सिकंदरी कहा जाता है इसको इस तरह बनाया गया कि पहले पानी की तह तक बुनियाद खोदी गई और तह में पत्थर पिघलाये हुए तांबे में जमाये गये, फिर लोहे की तख्ती चारों तरफ लगाकर उसके अन्दर लकड़ी और कोयला भरा गया नीचे आग लगाकर ऊपर से पिघला हुआ तांबा उसके ज़र्रे ज़र्रे में पहुंचाया गया,
इस तरह हज़रत ज़ुलकरनैन सिद्दे सिकंदरी बनाकर आबे हयात की तलाश में फिर निकल पड़ते हैं, और अब उनके लश्कर का रुख वादिये ज़ुलमात की तरफ हो गया वादिये ज़ुलमात को पार करके उस जगह पहुंचे जहां सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा था, उन अंधेरों में ये काफिला कई दिनों तक भटकता रहा और सारा लश्कर तितर बितर हो गया, हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम को एक जगह प्यास लगी तो आप एक चश्मे पर पहुंचे वहीं गुस्ल किया वुज़ू किया खूब सैराब होकर पानी पिया यही चश्मा आबे हयात था, जिसे खिज़्र अलैहिस्सलाम ने तो पा लिया मगर किसी और के मुक़द्दर में ना था सब वहां से मायूस लौटे और आखिर में हज़रत ज़ुलकरनैन को शहरे बाबुल में क़ज़ा आई!
📕 पारा 16,सूरह कहफ,आयत 83-99
📕 पारा 17,सूरह अम्बिया,आयत 96
📕 तफसीरे खज़ाएनुल इरफान,सफह 362
📕 रिजालुल ग़ैब,सफह 148--153
📕 क्या आप जानते हैं,सफह 188
📕 तफसीरे खाज़िन,जिल्द 4,सफह 204
बा - हवाला ↬ ज़लज़लातुस साअत,सफह 12
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आसारे कयामत (Part -25)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
*याजूज माजूज :* याजूज माजूज याफिस बिन नूह अलैहिस्सलाम की औलाद के फसादी गिरोह हैं, उनमें भी कई गिरोह हैं कुछ तो 12 फिट लम्बे और कुछ सिर्फ 1 बालिश्त छोटे, कुछ की दुम कुछ की सींग और कुछ के लम्बे लम्बे दांत, कुछ कबूतरों की बोली बोलते हैं कुछ कुत्तों की और कुछ के इत्ने बड़े कान हैं कि एक को बिछा लेते हैं और दूसरे को ओढ़ लेते हैं,उन्मे से जब कोई मरता है तो दूसरा उसे खा जाता है और मरता भी तभी है जब तक कि उसकी पुश्त से 1000 बच्चे ना पैदा हो जायें, ये तादाद में बहुत ज़्यादा हैं खेतियां और सब्ज़ों की तो क्या बात आदमी जानवर चरिन्द परिन्द बल्कि सांप बिच्छु तक को खा जाते हैं!
📕 क्या आप जानते हैं,सफह 188
📕 याजूज माजूज,सफह 1-14
📕 मुस्लिम,जिल्द 3,हदीस 7132
📕 तफसीर खाज़िन,जिल्द 4,सफह 204
📕 ज़लज़लातुस साअत,सफह 12-13
📕 शरह शिफा,जिल्द 1,सफह 209
बा - हवाला ↬ ज़रक़ानी,जिल्द 8,सफह 296
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आसारे कयामत (Part -26)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हदीस में आता है कि याजूज माजूज रोज़ सिकन्दरी दीवार को तोड़ते हैं,दीवार जब टूटने पर आती है तो वो कल पर छोड़ कर चले जाते हैं और बहुक्मे इलाही वो दीवार पहले से ज़्यादा मज़बूत हो जाती है,हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम के ज़माने मुबारक में ही उस दीवार में उंगली के बराबर छेद हो गया था मगर अब तक वो इतना बड़ा नहीं हुआ कि कोई उसमें से निकल सके मगर जिस रोज़ वो दीवार टूटनी होगी उससे पहले वाले दिन जब वो अपना काम छोड़कर जाने लगेंगे तो उसमे से एक बोलेगा कि हम कल इन शा अल्लाह इस दीवार को तोड़ देंगे और उस दिन दीवार फिर से मज़बूत ना होगी बल्कि वहीं रुक जायेगी और याजूज माजूज दूसरे दिन बा आसानी दीवार तोड़ देंगे,याजूज माजूज बहरे तबरिया जो कि पानी का एक चश्मा है जिसकी लम्बाई और चौड़ाई तक़रीबन 21x30 किलोमीटर है वहां पहुंचेंगे और पानी पीकर पूरी नहर सुखा देंगे ऐसी कि उनके पीछे आने वाला गिरोह कहेगा कि शायद कभी यहां पानी हुआ करता था!
📕 क्या आप जानते हैं,सफह 188
📕 याजूज माजूज,सफह 1-14
📕 मुस्लिम,जिल्द 3,हदीस 7132
📕 तफसीर खाज़िन,जिल्द 4,सफह 204
📕 ज़लज़लातुस साअत,सफह 12-13
📕 शरह शिफा,जिल्द 1,सफह 209
बा - हवाला ↬ ज़रक़ानी,जिल्द 8,सफह 296 📚
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आसारे कयामत (Part -27)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हदीस में आता है कि हर इन्सान पर 1000 की तादाद में याजूज माजूज निकलेंगे ये सिवाये मक्का मुकर्रमा मदीना तय्यबह व बैतुल मुक़द्दस को छोड़कर पूरी दुनिया में फैल जायेंगे और लोगों को क़त्ल करेंगे,जब लोगों को मार चुकेंगे तो आसमान की तरफ तीर फेकेंगे कि अब आसमान वालो को भी मार दें तो मौला तआला उनकी तीरों को लाल रंग में डुबोकर वापस लौटा देगा जिससे कि ये खुश हो जायेंगे कि अब कोई नहीं बचा,उधर हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम के पास गल्ले की तंगी यहां तक हो जायेगी कि गाय का एक सर 100 अशर्फियों में भी सस्ता मालूम होगा,जब हद से ज़्यादा इनका ज़ुल्म बढ़ जायेगा तो ईसा अलैहिस्सलाम उनके लिए हलाकत की दुआ करेंगे तो मौला तआला ऐसी बीमारी भेजेगा जिसे अरबी में तोफ कहते हैं जो कि एक दाना है ये भेड़-बकरियों की नाक में निकलता है और वबा की तरह पूरे गोल के गोल को साफ कर देता है उनमें भी यही बीमारी फैल जायेगी और सबके सब एक रात में मर जायेंगे,और पूरी दुनिया उनकी लाश और उसकी बदबू से भर जायेगी!...✍🏻
📕 क्या आप जानते हैं,सफह 188
📕 याजूज माजूज,सफह 1-14
📕 मुस्लिम,जिल्द 3,हदीस 7132
📕 तफसीर खाज़िन,जिल्द 4,सफह 204
📕 ज़लज़लातुस साअत,सफह 12-13
📕 शरह शिफा,जिल्द 1,सफह 209
बा - हवाला ↬ ज़रक़ानी,जिल्द 8,सफह 296
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आसारे कयामत (Part -28)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
जब हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम बाहर आयेंगे तो फिर उससे निजात के लिए दुआ करेंगे तो मौला ऐसे जानवरों को पैदा करेगा जो लम्बी लम्बी गर्दनो वाले और बहुत लम्बे लम्बे होंगे उनका नाम अन्क़ा होगा, वो जानवर उनमें से बहुतों को तो खा जायेंगे और बहुत को उठाकर समुन्दरो में फेंक आयेंगे और वो बदबू दूर करने के लिए मौला रहमत वाला पानी बरसायेगा जो कि लगातार 40 दिनों तक बरसेगा और अनाज का हर दाना उसकी बरकत से सेर भर यानि तक़रीबन 1-1 किलो का हो जायेगा और एक बकरी के दूध से पूरा घर का घर आसूदह हो जायेगा, वो ज़माना सिर्फ ईमानदारों का होगा ज़मीन पर कोई बेईमान ना होगा यहां तक कि शेर और सांप भी इंसान को नुक्सान नहीं पहुंचायेंगे और याजूज माजूज की तीर और कमान लोगों के कई साल तक जलाने के काम आयेगी, हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम दुनिया में 40 साल रहेंगे और आप क़बीलये जुहनिया की एक औरत से निकाह भी करेंगे आपकी औलाद भी होगी और फिर विसाल फरमाकर हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम के पहलु यानि रौज़ये अनवर में दफ्न किये जायेंगे!
📕 क्या आप जानते हैं,सफह 188
📕 याजूज माजूज,सफह 1-14
📕 मुस्लिम,जिल्द 3,हदीस 7132
📕 तफसीर खाज़िन,जिल्द 4,सफह 204
📕 ज़लज़लातुस साअत,सफह 12-13
📕 शरह शिफा,जिल्द 1,सफह 209
बा - हवाला ↬ ज़रक़ानी,जिल्द 8,सफह 296
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आसारे कयामत (Part -29)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
*हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम* के विसाल के बाद जहजाह नाम का आपका जांनशीन होगा जो इन्साफ के साथ सल्तनत करेगा उसके बाद कुछ और बादशाह भी होंगे फिर लोगों में कुफ्रो जिहालत फैल जायेगी, उन्हीं दिनों तक़दीर का इंकार करने वाले दो गिरोहों को लेकर पूरब और पश्चिम की ज़मीन धंस जायेगी, और एक धुआं पूरी ज़मीन को अपने आगोश में ले लेगा जिससे ईमान वालों को ज़ुकाम हो जायेगा और दिमाग भारी रहेगा और काफिरो मुनाफिक़ तो बेहोश हो जायेंगे, मुसलमान बाज़ 1 दिन में बाज़ 2 दिन में और बाज़ 3 दिन में उससे निजात पायेंगे मगर ये धुआं 40 दिन तक ज़मीन पर रहेगा उसके बाद आसमान साफ हो जायेगा, उसी साल ज़िलहज्ज के महीने में क़ुर्बानी के दिनों के बाद एक रात इतनी लंबी हो जायेगी कि उसकी मुसाफत तीन या चार रात जितनी बढ़ जायेगी इंसान और जानवर सब परेशान हो जायेंगे कि आखिर सुबह क्यों नहीं हो रही है,
बिल आखिर एक लंबी मुसाफत के बाद सूरज थोड़ी सी रोशनी के साथ अचानक पूरब की बजाये पश्चिम से निकल आयेगा, उस वक़्त मोमिन तो मोमिन बल्कि काफिर भी खुदाये ज़ुल्जलाल की वहदानियत का इक़रार करेंगे मगर उनकी तौबा क़ुबूल ना होगी क्योंकि सूरज की पहली किरण के साथ ही तौबा का वो दरवाज़ा जो 70 साल की मुसाफत की चौड़ाई रखता है फौरन बंद हो जायेगा अब किसी की तौबा या ईमान लाना हर्गिज़ मक़बूल ना होगा,सूरज जब बीच आसमान को पहुंचेगा तो वापस उसी पश्चिम की जानिब डूबना भी शुरू कर देगा और फिर दूसरे दिन से बदस्तूर पूरब से निकलकर पश्चिम में ही डूबेगा मगर बहुत मामूली रौशनी के साथ!
बा - हवाला ↬ मुस्लिम,जिल्द 1,सफह 161
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आसारे कयामत (Part -30)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
*हदीस* - एक मर्तबा हुज़ूर ﷺ ने अपना सहाबा से पूछा कि क्या तुम लोगों को पता है कि सूरज कहां जाता है तो सहाबा ने अर्ज़ की कि अल्लाह और उसका रसूल ही बेहतर जानता है तो हुज़ूर ﷺ वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि सूरज अपने मुस्तक़र की तरफ चलता रहता है और अर्श के नीचे जाकर रब को सज्दा करता है और आगे बढ़ने की इजाज़त तलब करता है और इजाज़त मिलने पर फिर आगे बढ़ जाता है मगर एक दिन ऐसा आयेगा कि वो सज्दा करेगा और इजाज़त तलब करेगा मगर हुक्म होगा कि जहां से आया है वहीं लौट जा, तब सूरज आगे बढ़ने की बजाये वापस लौटेगा और मग़रिब से तुलुअ होगा और ये वो दिन होगा कि जब किसी की तौबा क़ुबूल ना होगी!
बा - हवाला ↬ मुस्लिम,जिल्द 1,सफह 161
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आसारे कयामत (Part -31)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
*मौला तआला खैर करे* अभी लोग इस उलझन से निकले भी नहीं होंगे कि काबे शरीफ के क़रीब एक पहाड़ कोहे सफा फट पड़ेगा और उसमें से एक जानवर दाबतुल अर्द ज़ाहिर होगा ये वो जानवर है जो 7 जानवरों की हैबत पर होगा, उसका मुंह आदमी की तरह उसका पैर ऊंट की तरह उसकी गर्दन घोड़े के अयाल की तरह उसकी दुम गाय की दुम की तरह उसका खुर हिरन की तरह उसकी सींग बारहसिंघा की तरह उसके हाथ बन्दर की तरह होंगे और बड़ी ही साफ ज़बान में बात-चीत करेगा उसके एक हाथ में हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम का असा और दूसरे हाथ में हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम की अंगूठी होगी, पूरी दुनिया में बड़ी ही तेज़ी के साथ गश्त करेगा और कोई भी उससे छूट ना सकेगा ईमान वालों के चेहरे पर हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के असे से खत खींच देगा जिससे कि उसका मुंह मुनव्वर व रौशन हो जायेगा और काफिर पर हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम की अंगूठी को मस करेगा तो उसका चेहरा काला और बद शक्ल हो जाएगा फिर अगर एक दस्तर-ख्वान पर कोई जमाअत बैठेगी तो हर आदमी जान लेगा कि कितने मोमिन हैं और कितने काफिर और फिर वो जानवर गायब हो जायेगा!
📕 ज़लज़लातुस साअत,सफह 14
बा - हवाला ↬ बहारे शरियत,हिस्सा 1,सफह 33 📚
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आसारे कयामत (Part -32)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
दाबतुल अर्द के गायब होने के कुछ दिनों बाद दक्खिन की जानिब से एक खुशबूदार हवा चलेगी जिससे ईमान वालो की बगल में दर्द शुरु होगा और आहिस्ता आहिस्ता इसी दर्द की वजह से तमाम मुसलमान मरना शुरू हो जायेंगे ज़्यादा ईमान वाले सबसे पहले फिर उसके बाद वाले और सबसे आखिर में सबसे कम ईमान वाले और फिर ज़मीन पर कोई भी अल्लाह कहने वाला ना बचेगा, उस वक़्त जानवर पत्थर घर के बर्तन व जूते वग़ैरह लोगों से बात करेंगे मतलब ये कि हर चीज़ में वीडियो कैमरे लगे होंगे जिससे कि हर पल की खबर मालूम होती रहेगी,
जब काफिर ही काफिर ज़मीन पर रह जायेंगे तो वो काबा शरीफ को ढहा देंगे और हज मौक़ूफ हो जायेगा और क़ुर्आन कागज़ों से उठा लिया जायेगा, बेशर्मी और बेग़ैरती का वो दौरे दौरा होगा कि मर्द व औरत जानवरों की तरह सड़कों पर सोहबत किया करेंगे हत्ता कि सूर फूंकने से पहले 40 बरस का ऐसा वक़्त गुज़रेगा कि लोग सोहबत तो करेंगे मगर किसी के औलाद पैदा नहीं होगी क्योंकि क़यामत 40 साल से कम के किसी भी इंसान पर क़ायम नहीं होगी!
📕 ज़लज़लातुस सा'अत,सफह 15-17
📕 बहारे शरियत,हिस्सा 1,सफह 34
📕 जलालैन,पारा 8,सफह 277
बा - हवाला ↬ खज़ाएनुल इरफान,सफह 553
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आसारे कयामत (Part -33)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
नफ्क़े सूर से तीन या चार साल पहले एक आग ज़ाहिर होगी जो तमाम इंसानों को खदेड़ कर मुल्के शाम पहुंचा देगी और गायब हो जायेगी उन चार सालों में लोग ग़फलत से अपने अपने वतन को लौट रहे होंगे कि वो दिन आयेगा यानि आशूरह जुमा का दिन, लोग अपने अपने कामों में लगे होंगे कोई जानवर को चारा लगा चुका होगा और दूध दुहने को तैयार हो रहा होगा कोई कपड़ा खरीद रहा होगा तो कोई खाना खाने बैठा होगा कि अचानक एक आवाज़ सुनाई देगी जो पहले तो सीटी की तरह हलके हलके शुरू होगी और बढ़ते बढ़ते इस हद तक हो जायेगी कि बिजली की गरज उसके सामने हल्की मालूम होगी लोग दहशत से मरने लगेंगे,
बादल फट पड़ेगा ज़मीन फट जायेगी समन्दर उबल पड़ेगा आसमान टूटकर गिर जायेगा सितारे चांद सूरज झड़ जायेंगे पहाड़ रुई की तरह उड़ते फिरेंगे, फरिश्ते इसी अश्ना में इब्लीस लईन को ढूंढ़ रहे होंगे कि उसकी रूह क़ब्ज़ करें और वो भागता फिरेगा हत्ता कि एक मक़ाम पर उसकी रूह क़ब्ज़ की जायेगी और बनी आदम पर हर हर इंसान को जितनी तकलीफ मौत की हुई होगी वो सब इकठ्ठा करके उस लईन पर डाली जायेगी, यहां तक कि सब कुछ फना हो जायेगा!
📕 ज़लज़लातुस सा'अत, सफह 15-17
📕 बहारे शरियत,हिस्सा 1,सफह 34
📕 जलालैन,पारा 8, सफह 277
बा - हवाला ↬ खज़ाएनुल इरफान,सफह 553
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आसारे कयामत (Part -34)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
जिन 7 चीज़ों यानि अर्श - कुर्सी- लौह- क़लम- रूह- जन्नत -दोज़ख के बारे में आता है कि ये फना नहीं होंगे एक लम्हा के लिए उनको भी फना कर दिया जायेगा, तमाम फरिश्ते यहां तक कि हज़रत इस्राफील अलैहिस्सलाम और उनका सूर भी फना हो जायेंगे, मलकुल मौत अलैहिस्सलाम रब की बारगाह में अर्ज़ करेंगे मौला सब मर गए बस तेरा ये बंदा रह गया तो रब फरमायेगा कि तू भी मर जा और वो भी मर जायेंगे, अब सिर्फ एक बादशाह की बादशाहत होगी फिर वो पुकारेगा कि आज किसकी बादशाहत है अब कौन है जो उसे जवाब दे फिर खुद ही कहेगा कि *लिल्लाहिल वाहेदिल क़हहार* यानि आज बस एक खुदा की बादशाहत है, फिर जब वो चाहेगा तो हज़रत इस्राफील को ज़िंदा करेगा और दोबारा सूर फूंकने का हुक्म देगा याद रहे कि हर सूर की मुसाफत 6 माह की होगी और दोनों सूर के बीच 40 साल की मुद्दत होगी कुल मिलाकर विसाले ईसा अलैहिस्सलाम के 120 साल के बाद पहला सूर फूंका जायेगा!
📕 ज़लज़लातुस सा'अत,सफह 15-17
📕 बहारे शरियत,हिस्सा 1,सफह 34
📕 जलालैन,पारा 8,सफह 277
बा - हवाला ↬ खज़ाएनुल इरफान,सफह 553
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आसारे कयामत (Part -35)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
सूर नूर का बना हुआ एक सींग है, हदीसे पाक में आता है कि जब ज़मीनों आसमान की तखलीक़ हो चुकी तब सूर पैदा किया गया और उसे मौला तआला ने हज़रत इस्राफील अलैहिस्सलाम को दिया जिसे वो अपने मुंह में लिए रब की इजाज़त का इंतज़ार कर रहे हैं कि कब मौला का हुक्म हो और कब वो सूर फूंक दें, सूर 2 बार फूंका जायेगा पहली बार में सारे ज़िन्दा मुर्दा हो जायेंगे और दूसरी बार में सारे मुर्दे ज़िंदा हो जायेंगे, याद रहे कि हर सूर की मुसाफत 6 महीने की होगी यानि 6 महीने तक लगातार सूर फूंका जायेगा फिर उसके बाद 40 साल का वक़्फा होगा और फिर दूसरा सूर फूंका जायेगा, दूसरा सूर बैतुल मुक़द्दस के उस जगह से फूंका जायेगा जहां आज बेलाग टंगा हुआ पत्थर है!
📕 रूहुल मआनी,जिल्द 20,सफह 196
📕 तफसीरे जमल,जिल्द 3,सफह 730
📕 खज़ाएनुल इरफान,सफह 553
बा - हवाला ↬ ज़लज़लातुस साअत,सफह 18
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आसारे कयामत (Part -36)
हश्र का बयान :
दूसरा सूर फूंकने के लिए सूर को और हज़रत इस्राफील अलैहिस्सलाम को फिर से ज़िंदा किया जायेगा क्योंकि वो भी फना हो चुके होंगे तब मौला उस सूर में तमाम रूहों को दाखिल फरमायेगा जो कि चींटियों और टिड्डियों के झुण्ड की तरह उसमे समां जायेंगी और फिर दोबारा सूर फूंकने का हुक्म देगा तब हज़रत इस्राफील अलैहिस्सलाम ये कहते हुए सूर फूंकेंगे कि ऐ सड़ी गली हड्डियों ऐ जिस्म के मुताफर्रिक जोड़ों और ऐ बिखरे हुए गोश्तों अल्लाह तुमको हुक्म देता है कि फैसले के लिए जमा हो जाओ तब वो सब लब्बैक कहते हुए अपने अपने जिस्मों में इस तरह समां जायेंगी जिस तरह चिड़िया अपने घोंसले को पहचान कर उसमें चली जाती हैं!
📕 तफसीरे जमल,जिल्द 3,सफह 729
बा - हवाला ↬ तफसीरे सावी,जिल्द 3,सफह 50 📚
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आसारे कयामत (Part -37)
हश्र का बयान :
क़यामत बेशक क़ायम होगी इसका इन्कार करने वाला काफिर है और हश्र रूह और जिस्म दोनों का होगा लिहाज़ा अगर कोई ये कहे कि वहां जिस्म नहीं होगा बल्कि सिर्फ रूह होगी तो वो भी काफिर है और जो रूह जिस जिस्म के साथ मुन्सलिक है उसी के साथ उसका हश्र होगा ये नहीं कि नया जिस्म बनाकर उसमे वो रूह दाखिल की जाये!
📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 1,सफह 35
यहां पर कोई ऐतराज़ कर सकता है कि कितने इंसान तो कबके मर खप चुके हैं जिनकी क़ब्रों में ना तो उनका जिस्म ही बाकी है और ना उनकी हड्डियां ही बाकी होंगी तो ऐसे में रूहें अपने अपने जिस्म में कैसे दाखिल होंगी तो इसका जवाब ये है कि इंसान के रीढ़ की हड्डी में कुछ ऐसे महीन अज्ज़ा यानि कण होते हैं जो किसी दूरबीन से भी नहीं दिखाई देते ना तो उसे मिट्टी गला सकती है और ना आग उसे जला सकती है, इंसान का पूरा बदन खत्म हो जाता है मगर ये अज्ज़ा क़यामत तक सही सलामत रहते हैं इसको *अज्बुज़ ज़ंब* कहते हैं, बरौज़े क़यामत यही अज्बुज़ ज़ंब अपने गोश्त व पोश्त को इकठ्ठा करके फिर से उसी सूरतो हैबत पर खड़ा हो जायेगा!..✍🏻
📬 बा - हवाला ↬ *बहारे शरीयत,हिस्सा 1,सफह 28 📚
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आसारे कयामत (Part -38)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा :
हश्र का बयान : क़ब्र से सबसे पहले जो ज़ात बर-आमद होगी वो मेरे आक़ा हुज़ूर ﷺ की ज़ाते बा बरकात होगी इस तरह कि आप दाहिने हाथ में सिद्दीक़े अकबर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का और बायें हाथ में उमर फारूक़े आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का हाथ थामे हुए होंगे फिर उसके बाद हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम बाहर तशरीफ लायेंगे, और उसके बाद तमाम अंबिया फिर सिद्दिक़ीन फिर शुहदा फिर सालेहीन फिर आम मुसलमान फिर काफिर इस तरह ज़िन्दा होते जायेंगे!
📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 1,सफह 35
बा - हवाला ↬ ज़लज़लातुस साअत,सफह 19
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आसारे कयामत (Part -39)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान : हर इंसान उस दिन क़ब्र से इस तरह उठेगा जिस तरह पैदा किया जाता है यानि नंगे पैर नंगे बदन बिना खतना किये हुए सर और दाढ़ी के बाल नहीं होंगे मगर दांत होंगे, अव्वल तो किसी की नज़र किसी के सतर पर पड़ेगी नहीं और अगर पड़ भी गयी तो जिस तरह बच्चों का सतर देखने से शहवत नहीं होती वहां भी शहवत नहीं होगी, और जितने भी ऐबदार लोग दुनिया में पैदा हुए होंगे मसलन अन्धे लंगड़े लूले काने बहरे गूंगे वो सब वहां सही सालिम हालत में उठेंगे!
📕 खज़ाएनुल इरफान,पारा 17,रुकू 17
बा - हवाला ↬ ज़लज़लातुस साअत,सफह 18
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आसारे कयामत (Part -40)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान : हदीसे मुबारक है के बरोज़ महशर लोग नंगे पाओ, बे-लिबास और ख़तना के बेग़ैर होंगे लेकिन अल्लाह तआला के फ़ज़्ल व करम और ख़ुसूसी इनआम की बदोलत अंबिया किराम عَلَیْھِمُ الصَّلٰوةُ وَالسَّلَام सहाबा किरम رضى الله تعالیٰ عنهم और औलिया इज़ाम رحمتہ اللہ تعالیٰ علیہم लिबास के साथ ही होंगे, बे-लिबास होने की रिवायत आम उम्मतों के हक़ में हैं ख़वास अहले ईमान मैदाने क़ियामत में हरगिज़ बरहना न होंगे।
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आसारे कयामत (Part -41)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान : क़यामत का एक दिन 50,000 साल का होगा और हश्र का मैदान मुल्के शाम की सरज़मीन पर वाक़ेय होगा उस दिन ज़मीन ऐसी हमवार यानि बराबर कर दी जायेगी कि अगर राई का एक दाना ज़मीन के आखिरी कोने पर भी पड़ा होगा तो दूसरे किनारे वाले को दिखेगा, और ज़मीन तांबे की हो जायेगी और सूरज 1 मील के फासले पर होगा और उसका मुंह ज़मीन की तरफ होगा, जब बन्दे क़ब्र से निकलेंगे तो कोई पैदल तो कोई सवारी पर सवार होगा किसी पर 2-2 बैठे होंगे तो किसी पे 3-3 तो किसी पर 10-10 लोग सवार होंगे और काफिर को मुंह के बल घसीटते हुए मैदाने महशर में लाया जायेगा!
बा - हवाला ↬ बहारे शरीयत,हिस्सा 1,सफह 35
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आसारे कयामत (Part -42)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान : सूरज ज़मीन से तकरीबन 13 लाख गुना बड़ा है और चौथे आसमान पर क़ायम है जिसकी यहां से दूरी हर आसमान के बीच 500 साल की राह है यानि 2000 साल की राह जो कि तकरीबन 9.30 लाख मील यानि तकरीबन 15 करोड़ किलोमीटर दूर है,
ज़रा सोचिये कि 1 मील क्या होता है उस दिन सिर्फ 1.5 किलोमीटर ऊपर सूरज होगा जबकि आज सूरज करोड़ो किलोमीटर दूर है, उस दिन ज़मीन तांबे की होगी जबकी आज ज़मीन मिटटी की है तब हाल ये हो जाता है कि गर्मियों में बाहर निकलना और नंगे पैर ज़मीन पर चलना मुश्किल हो जाता है, और उस पर भी अजब ये कि आज उसका मुंह ऊपर की जानिब और पीठ ज़मीन की जानिब है और उस दिन मुंह हमारी तरफ होगा, अल्लाह अपने महबूबे पाक ﷺ के सदक़े व तुफैल हमारे हाल पर रहम करे!...✍🏻 *आमीन* 😭
बा - हवाला ↬ इस्लाम और चाँद का सफर,सफह 51-55
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आसारे कयामत (Part -43)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान : जिस तरह कढ़ाई में तेल खौला करता है उस दिन इंसान का भेजा खौलता होगा और पसीने का ये आलम होगा कि किसी के टखनों तक तो किसी के घुटनों तक किसी के कमर तक तो किसी के सीने तक मौजूद रहेगा और काफिर तो उसमे डुबकियां खायेगा, प्यास की वो कैफियत होगी कि ज़बान सूख कर कांटा हो जायेगी और बाज़ की तो हलक से बाहर आ जायेगी दिल उबलकर हलक़ में आ पड़ेगा इस क़दर परेशानी का आलम होगा कि बन्दे सोचेंगे कि यहां से निजात मिल जाये अगर चे जहन्नम में ही जाना पड़े!...✍🏻 *अल्लाहु अकबर 😭*
📕बा - हवाला ↬ बहारे शरीयत,हिस्सा 1,सफह 36
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आसारे कयामत (Part -44)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान : मगर मुसलमानों के चंद गिरोह को उस दिन ये मुसीबतें नहीं झेलनी पड़ेगी और उन पर बादल साया किये होगा जिनमे
आदिल बादशाह
जवानी में इबादत करने वाले
अपनी नमाज़ो की हिफाज़त करने वाले
तन्हाई में खुदा के खौफ से रोने वाले
वो जो अल्लाह के लिए दोस्ती और दुश्मनी करे
वो जो छिपकर सदक़ा करते होंगे
अपनी शर्मगाहों की हिफाज़त करने वाले
और भी कुछ जमाअतें होंगी जिन्हें साया मिलेगा.! سبحان الله
वहीं कुछ लोग अपनी अपनी क़ब्र से सज़ाओं के तौर पर अलग अलग सूरतो हैबत पर उठेंगे!
📕 बा - हवाला ↬ ज़लज़लातुस साअत,सफह 24
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आसारे कयामत (Part -45)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान : कुछ लोग सज़ाओं के तौर पर अलग अलग सूरतो हैबत पर उठेंगे
*सज़ा* - कुछ लोग सुअर की सूरत में अपनी अपनी क़ब्रो से निकलेंगे ये वो लोग होंगे जो नमाज़ो में सुस्ती किया करते होंगे! معاذ الله معاذ الله ثم معاذ الله
सुस्ती करने का ये मतलब है कि नमाज़ तो पढ़ते होंगे मगर क़ज़ा करके यानि फज्र को ज़ुहर में ज़ुहर को असर में असर को मग़रिब में यानि बातो में कारोबार में दुनिया के चक्कर में नमाज़ को क़ज़ा कर देंगे फिर बाद में पढ़ लेंगे, अब अंदाजा लगाइये कि जब काहिली से नमाज़ पढ़ने वाले का ये अंजाम होगा तो मआज़ अल्लाह जो बिल्कुल नहीं पढ़ते उनका क्या होगा उनके लिए तो हदीसे पाक में आता है कि उनका हश्र फिरऔन और हाम्मान और क़ारून के साथ होगा इससे बड़ी सज़ा एक मुसलमान के लिए और क्या हो सकती है कि उनको काफिरो के साथ खड़ा किया जाये मौला दर गुज़र फरमाये, इसलिए ज़्यादा ना सोचिये अभी वक़्त है सच्ची तौबा करिये और अभी से नमाज़ शुरू कर दें और अपनी क़ज़ा नमाज़ो को जल्द से जल्द अदा करते जायें अगर ऐसा कर लिया तो मौला तआला तौबा करने वालो की तौबा क़ुबूल फरमाता है तो लिहाज़ा पिछले गुनाहों की पूछ गछ नहीं होगी ان شاء الله
बा - हवाला ↬ 📕 अहवाले बरज़ख,130-135 📚
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आसारे कयामत (Part -46)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
*सज़ा* - कुछ लोग बिना हाथ पांव के क़ब्रो से निकलेंगे ये वो लोग होंगे जो अपने पड़ोसियों को परेशान करते रहते हैं!
*सज़ा* - कुछ लोग क़ब्रो से खून थूकते उठेंगे ये खरीदो फरोख्त में झूठ बोलने वाले होंगे!
*सज़ा* - कुछ लोग सूजे फूले क़ब्रो से निकलेंगे ये वो लोग होंगे जो बन्दों से तो डरते थे मगर खुदा का खौफ नहीं था! الله اکبر
बा - हवाला ↬ 📕 अहवाले बरज़ख,130-135
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आसारे कयामत (Part -47)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
*सज़ा* - कुछ लोग गुद्दी और गला कटा हुआ निकलेंगे ये वो लोग होंगे जो झूठी गवाही देते थे!
*सज़ा* - कुछ लोग बिना ज़बान के निकलेँगे ये वो लोग होंगे जो सच को छिपा लिया करते थे!
*सज़ा* - कुछ लोग इस तरह क़ब्रो से निकलेंगे कि उनके पैर उनके सरो पर होंगे ये वो होंगे जो ज़िना करते थे!
बा - हवाला ↬ अहवाले बरज़ख,130-135
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आसारे कयामत (Part -48)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
*सज़ा* - कुछ लोग जुज़ामी और कोढ़ी की तरह क़ब्रो से निकलेंगे ये मां-बाप के नाफरमान होंगे!
*सज़ा* - कुछ लोग क़ब्रो से निकलेंगे जिनके मुंह काले और पेट में आग धधक रही होगी ये यतीमों का माल खाने वाले लोग होंगे!
*सज़ा* - कुछ लोग इस तरह निकलेंगे कि उनके दांत बैल की सींग के बराबर होंगे ज़बान पेट पर पड़ी होगी और होंठ सीने तक फूले होंगे ये शराबी होंगे! الله اکبر
📕 क्या आप जानते हैं,सफह 440
बा - हवाला ↬ अहवाले बरज़ख,130-135
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आसारे कयामत (Part -49)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
*सज़ा* - कुछ लोग के सीनो और करवटो और पेशानियों पर गर्म सोने से दागा जायेगा ये सोने चांदी की ज़कात ना देने वाले लोग होंगे, और जिन्होंने जानवरो की ज़कात नहीं दी होगी तो उनको मैदाने महशर में लिटा दिया जायेगा और उनके जानवर गोल के गोल उनको रौंदते हुए गुज़रेंगे और फिर वापस उसी तरह करेंगे ऐसा ही होता रहेगा जब तक कि सबका हिसाब किताब खत्म ना हो जायेगा!
📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 1,सफह 36
*सज़ा* - कुछ लोग अंधे या कोढ़ी होकर उठेंगे ये क़ुर्आन पढ़कर भूल जाने वाले लोग होंगे! الله اکبر
📕 मसाएलुल क़ुर्आन,सफह 297
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आसारे कयामत (Part -50)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
*सज़ा* - कुछ लोग वो होंगे जिनके चेहरे पर गोश्त का नामो निशान नहीं होगा बल्कि सिर्फ हड्डियां ही होगी ये भिखारी होंगे जो बगैर ज़रूरत के सवाल करते होंगे!
*सज़ा* - कुछ मर्द इस हालत में उठेंगे कि उनका आधा जिस्म कटा होगा ये दो बीवियों वाले होंगे मगर दोनों के बीच इन्साफ ना करने वाले होंगे!
*सज़ा* - कुछ लोग ऐसे आयेंगे जिनकी पेशानी पर लिखा होगा कि "अल्लाह की रहमत से ना उम्मीद" ये वो लोग होंगे जिन्होंने मुसलमान के क़त्ल में किसी की मदद की होगी तो ज़रा सोचिये कि जिसने खुद क़त्ल किया होगा उसका क्या अंजाम होगा!
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आसारे कयामत (Part -51)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
*सज़ा* - कुछ लोग मैदाने महशर में इस तरह आयेंगे कि उनके पखाने के मक़ाम में झंडा लगा होगा ये वो लोग होंगे जो वादा करके तोड़ते होंगे और जिस क़दर वादा बड़ा होगा उसी तरह उसका झंडा बड़ा होगा!
*सज़ा* - कुछ लोग भूखे उठेंगे ये दुनिया में ज़्यादा खाने वाले लोग होंगे!
*सज़ा* - कुछ लोग ऐसे आयेंगे जिनकी ज़बान आग की होगी ये इधर उधर लगाने वाले यानि दोगले होंगे! الله اکبر
बा - हवाला ↬ अहवाले बरज़ख,130-135
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आसारे कयामत (Part -52)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
*सज़ा* - कुछ लोगों के कान में पिघला हुआ सीसा डाला जायेगा ये दूसरों की बातें सुनने वाले लोग होंगे कि जाकर दूसरो से बता सकें!
*सज़ा* - कुछ लोग ज़िल्लत का लिबास पहने हुए आयेंगे ये वो होंगे जो दुनिया में घमण्ड के तौर पर कपड़ा पहनते होंगे!
*सज़ा* - कुछ लोग वो होंगे जिनके गले में सातो ज़मीन तौक़ की तरह पड़ी होगी ये ज़मीन हड़पने वाले लोग होंगे!
बा - हवाला ↬ अहवाले बरज़ख,130-135
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आसारे कयामत (Part -53)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
استغفر الله الذى لااله الا هو الحى القيوم واتوب اليه"
हजारों गुनाह हैं तो हज़ारों सजायें *और उन सबसे बचने का फक़त एक ही रास्ता है कि* अपने आपको इस्लामी राह पर ले आयें सच्चे दिल से तौबा करें और नेक अमल में जुट जायें *वरना बहुत बुरा अंजाम होने वाला है* मौला ही बचाये उन मुसीबतों से आमीन, अब कुछ उनका भी तज़किरा पढ़ लीजिये जिन पर इनआम होगा!
बा - हवाला ↬ अहवाले बरज़ख,130-135
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आसारे कयामत (Part -54)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
*इनआम* - कुछ लोग ऐसे भी उठेंगे जिनके चेहरे चौदहवीं रात के चांद की तरह चमक रहे होंगे और बिजली की चमक की तरह पुल सिरात से गुज़र जायेंगे ये नेक अमल करने वाले गुनाहों से बचने वाले अपनी नमाज़ो की हिफाज़त करने वाले और तौबा पर मरने वाले लोग होंगे!
📕 क्या आप जानते हैं,सफह 440
*इनआम* - जो क़ुदरत रखने के बावजूद अपना गुस्सा पी जायेगा उसे क़यामत के दिन इख्तियार दिया जायेगा कि जिस हूर को चाहे अपने लिए पसंद कर ले! *سبحان الله*
📕 बा - हवाला ↬ अहवाले बरज़ख,सफह 136-138
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आसारे कयामत (Part -55)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
*इनआम* - जो हज करते हुए मर जायेगा वो तल्बिया पढ़ता हुआ ही क़यामत के दिन उठेगा!
*इनआम* - जो अल्लाह की राह में शहीद हुआ वो अपने खून के साथ आयेगा जिससे मुश्क की खुशबु आती होगी!
*इनआम* - जो मस्जिदों में अंधेरे में जाते हैं तो उनके लिए क़यामत के दिन पूरा नूर है!
*इनआम* - जो बिला उजरत अज़ान देगा वो क़यामत के दिन लम्बी गर्दनो के साथ आयेंगे यानि उनकी खास पहचान होगी!
📕 बा - हवाला ↬ अहवाले बरज़ख,सफह 136-138
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आसारे कयामत (Part -56)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
*इनआम* - जो दुनिया में सिर्फ खुदा के लिए किसी से मुहब्बत या दुश्मनी रखेगा उसे क़यामत के दिन नूर के मिम्बर पर बिठाया जायेगा और वो वहां बेखौफ होगा!
*इनआम* - जिसने हलाल रोज़ी कमाई उसका चेहरा क़यामत के दिन चौदहवीं रात के चांद की तरह चमकता होगा!
*इनआम* - जिसने क़ुरआन सीखा और उस पर अमल किया तो उसके मां-बाप को ऐसा ताज पहनाया जायेगा जिसकी रौशनी मशरिक से मग़रिब तक पहुंचेगी तो अंदाजा लगाइये कि खुद उस पर क्या इनआम होगा!
📕 बा - हवाला ↬ अहवाले बरज़ख,सफह 136-138
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आसारे कयामत (Part -57)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
*इनआम* - आला हज़रत अज़ीमुल बरकत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि हाफिज़ 10 लोगों की शफाअत करायेगा और शहीद 50 लोगों की हाजी 70 लोगों की और उल्मा बे गिनती लोगों की शफाअत करायेंगे, क़यामत के दिन जिनका जिनका हिसाब होता जायेगा जन्नत को भेजे जाते रहेंगे मगर उल्मा का हिसाब कब का हो चुका होगा मगर उन्हें रोके रखा जायेगा तब वो अर्ज़ करेंगे कि ऐ मौला हम क्यों रोके गए हैं तो मौला फरमायेगा कि आज तुम लोग मेरे नज़दीक फ़िरिश्तो की मानिंद हो लिहाज़ा शफाअत करो कि तुम्हारी शफाअत से लोग बख्शे जायेंगे, फिर तो हाल ये होगा कि ज़रा ज़रा से ताल्लुक़ पर वो लोगों को जहन्नम की सफों से निकाल लायेंगे हत्ता कि अगर किसी ने उन्हें कभी वुज़ू के लिए पानी भी दिया होगा तब भी वो उनकी शफाअत करायेंगे!
📕 बा - हवाला ↬ अलमलफूज़, हिस्सा 1,सफह 33
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आसारे कयामत (Part -58)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
*इनआम* - मुसलमानो के चन्द गिरोह ऐसे होंगे जिन पर उस दिन बादल साया किये होगा और उन्हें आराम मिलेगा जिनमें
आदिल बादशाह,
जवानी में इबादत करने वाले,
अपनी नमाज़ो की हिफाज़त करने वाले,
तन्हाई में खुदा के खौफ से रोने वाले,
वो जो अल्लाह के लिए दोस्ती और दुश्मनी करे,
वो जो छिपकर सदक़ा करते होंगे,
अपनी शर्मगाहों की हिफाज़त करने वाले,
और भी कुछ जमाअतें होंगी जिन्हें साया मिलेगा!
📕 बा - हवाला ↬ ज़लज़लातुस साअत,सफह 24
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आसारे कयामत (Part -59)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
क़यामत का एक दिन 50000 साल का होगा आधा दिन यानि 25000 साल तो इन्ही मुसीबतों में कटेगा कि भाई-भाई को मां-बाप अपनी औलाद को मियां अपनी बीवी को दोस्त अपने दोस्त को भी पहचानने से इंकार कर देगा,फिर लोग आपस में मशवरा करेंगे कि चलकर कोई अपना सिफारिशी ढूंढ़ते हैं जो हमको इन मुसीबतों से छुटकारा दिलाये फिर सब तय करते हैं कि हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को ढूंढा जाये कि वो ही तमाम इंसानों के बाप हैं लिहाज़ा सब उनकी तलाश में निकलेंगें,जब उनके पास पहुंचेंगे और उनसे अपनी सिफारिश की फरियाद करेंगे तो वो अर्ज़ करेंगे कि ये मेरा मर्तबा नहीं आज अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ऐसा गज़ब फरमाता है कि ना आज से पहले कभी ऐसा गज़ब फरमाया और ना आज के बाद ऐसा गज़ब फरमायेगा इज़्हबु इला ग़ैरी लिहाज़ा तुम किसी और के पास जाओ जब लोग उनसे पूछेंगे कि हम किसके पास जायें तो वो अर्ज़ करेंगे कि तुम लोग हज़रत नूह अलैहिस्सलाम के पास जाओ कि वही पहले रसूल हैं,
फिर तमाम लोग हज़रत नूह अलैहिस्सलाम के पास पहुंचेंगे और उनसे अपनी सिफारिश की बात करेंगे तो वो भी यही अर्ज़ करेंगे कि ये मेरा मर्तबा नहीं आज अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ऐसा गज़ब फरमाता है कि ना आज से पहले कभी ऐसा गज़ब फरमाया और ना आज के बाद ऐसा गज़ब फरमायेगा लिहाज़ा तुम किसी और के पास जाओ और वो हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के पास भेज देंगे वो भी यही अर्ज़ करके हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के पास भेज देंगे और वो हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम के पास भेजेंगे,फिर हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम भी यही अर्ज़ कर देंगे और हुज़ूर सल्लल्लहु तआला अलैहि वसल्लम की बारगाह में सबको भेज देंगे,जब तमाम उम्मत बद हवास मारे ग़म के हुज़ूर की बारगाह में पहुंचेगे और अपनी फरियाद सुनायंगे तो शाफिये महशर मालिके दो जहां महबूबे कायनात हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम अर्ज़ करेंगे अना लहा हां हां ग़ुलामो मैं तो हूं ही इसीलिए कि तुम्हारी सिफारिश करूं,इसी लिए तो मेरे आलाहज़रत फरमाते हैं!
*करके तुम्हारे गुनाह मांगे तुम्हारी पनाह*
*तुम कहो दामन में आ तुमपे करोड़ों दुरूद*
📕बा - हवाला ↬ बहारे शरीयत,हिस्सा 1,सफह 37
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आसारे कयामत (Part -60)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
यानी दुनिया में हमने कितनी ही नाफरमानियां की नमाज़ें नहीं पढ़ी रोज़े नहीं रखे हज नहीं किये ज़कात नहीं दी नेकियां नहीं कि गुनाहों में हम लिपटे रहे ज़िना हमने किया हराम हमने खाया क़त्ल हमने किया लोगों को हमने सताया ज़ुल्म हमने किया,और इतना सब कुछ करने के बाद भी जब हम उनकी बारगाह में अपनी बदकारियों की गठरी उठाये अपनी ये सूरत लेकर पहुंचेंगे तो वो बेकसों के ग़मख्वार ﷺ हमसे यही कहेंगे कि आओ आओ उम्मतियों परेशान ना हो मैं तो हूं ही तुम्हारी शफाअत करने के लिए اللهم صلى على سيدنا ومولانا محمد معدن الجود والكرم واله وبارك وسلم
यहां पर एक सवाल उठता है कि जब हम आज अच्छी तरह से जानते हैं कि कोई भी उस दिन हमारी शफाअत नहीं करायेगा सिवाये हुज़ूर ﷺ के तो क्यों क़यामत के दिन सबसे पहले हम हुज़ूर की बारगाह में हाज़िर ना होंगे और क्यों सबके पास दर दर की ठोकर खाते फिरेंगे तो इसका जवाब ये है कि उस दिन मौला सबको ये बात भुला देगा और इस भुलाने में राज़ ये होगा कि इसको मिसाल के ज़रिये युं समझिये कि आपको कुछ रू की ज़रूरत पड़ जाये और आप अपने 10 क़रीबियों के पास जायें और कहीं से आपको मदद ना मिले सिवाये एक के तो आप यही कहेंगे कि किसी ने मेरी मदद नहीं कि सिवाये फलां के और ये बात आप तब कहेंगे जबकि आप सबके पास जा चुके होंगे वरना अगर आप पहले ही उसी शख्स के पास पहुंच जाते जो आपकी मदद करने का अहल दार था तो कल को आपके दिल में भी ये बात रह जाती कि शायद इनके उनके पास जाता तो वो भी मेरी मदद कर सकते थे और वो भी यही बात कह सकते हैं कि तुम मेरे पास ही आ जाते तो मैं ही तुम्हारी मदद कर देता,
तो अम्बिया-ए किराम तो इन सब बातों से पाक हैं कि वो ये बात दिल में भी लाते कि हुज़ूर ﷺ के पास ना जा करके उम्मत हमारे पास पहले आ जाती तो हम ही सिफारिश का देते मगर अवाम यानि लोग ये बात ज़रूर ज़रूर कह सकते थे कि सिफारिश करने में हुज़ूर ﷺ की ही क्या तखसीस थी बल्कि ये काम तो कोई भी कर सकता था इसलिए अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने क़यामत के दिन पूरी खलक़त के सामने तमाम इन्सानों को एक एक करके सबके पास भिजवाया कि जाओ और जाकर आज जिससे मदद मांग सकते हो मांग लो और जब कहीं से मदद ना मिले तब मेरे महबूब की बारगाह में जाना और उनका मर्तबा देखना कि आज कौन शफाअत करता है और कौन सबका सिफारिशी बनता है, इसीलिए तो मेरे आला हज़रत फरमाते हैं
*अर्शे हक़ है मसनदे रिफअत रसूल अल्लाह की*
देखनी है हश्र में इज़्ज़त रसूल अल्लाह की
*वो जहन्नम में गया जो उनसे मुस्तग़नी हुआ*
है ख़लीलुल्लाह को हाजत रसूल अल्लाह की
और बिरादरे आला हज़रत उस्तादे ज़मन हज़रत मौलाना हसन रज़ा खान अलैहिर्रहमा फरमाते हैं कि
*फक़त इतना सबब है इनइक़ादे बज़्मे महशर का*
कि उनकी शाने महबूबी दिखाई जाने वाली है
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आसारे कयामत (Part -61)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
अब जब कि शफाअत का ज़िक्र आ ही गया है तो कुछ इस पर भी रौशनी डालता चलूं, अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त क़ुर्आन में इरशाद फरमाता है कि
*कंज़ुल ईमान* - क़रीब है कि तुम्हें तुम्हारा रब ऐसी जगह खड़ा करे जहां सब तुम्हारी हम्द करें!
📙 पारा 15,सूरह बनी इस्राईल,आयत 79
बुखारी शरीफ की रिवायत है कि हुज़ूर ﷺ से पूछा गया कि मक़ामे महमूद क्या है फरमाया कि वो शफाअत है
*कंज़ुल ईमान* - और बेशक क़रीब है कि तुम्हारा रब तुम्हे इतना देगा कि तुम राज़ी हो जाओगे!
📕 पारा 30,सूरह वद्दोहा,आयत 5
*तफसीर* - हदीसे पाक में आता है कि जब ये आयत उतरी तो इस पर हुज़ूर ﷺ फरमाते हैं कि अगर मेरा रब मुझे राज़ी करना चाहता है तो मैं उस वक़्त तक राज़ी ना होऊंगा जब तक कि मेरा एक भी उम्मती जहन्नम में रहेगा!
📕 बा - हवाला ↬ खज़ाएनुल इरफान,सफह 708
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आसारे कयामत (Part -62)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
*कंज़ुल ईमान* - और ऐ महबूब अपने खास और आम मुसलमान मर्दों और औरतों के गुनाहों की माफी मांगो!
📕 पारा 26,सूरह मुहम्मद,आयत 19
सोचिये कि खुदा खुद फरमा रहा है कि ऐ महबूब मुझसे अपने चाहने वालों की बख्शिश करवाओ और शफ़ाअत किस चीज़ का नाम है!
*कंज़ुल ईमान* - और जब वो अपनी जानो पर ज़ुल्म कर लें तो ऐ महबूब तुम्हारे हुज़ूर हाज़िर हों फिर अल्लाह से माफी चाहें और रसूल उनकी शफाअत फरमायें तो ज़रूर अल्लाह को बहुत तौबा क़ुबूल करने वाला मेहरबान पायें!.
📕 पारा 5,सूरह निसा,आयत 64
*तफसीर* -आपकी वफाते अक़दस के बाद एक आराबी आपकी मज़ार पर हाज़िर हुआ और रौज़ये अनवर की खाक अपने सर पर डालकर यही आयत पढ़ी और बोला कि या रसूल ﷺ मैंने अपनी जान पर ज़ुल्म किया अब मैं आपके हुज़ूर अल्लाह से माफी चाहता हूं मेरी शफाअत कराईये तो रौज़ये अनवर से आवाज़ आई कि जा तेरी बख्शिश हो गयी!
📕 बा - हवाला ↬ खज़ाएनुल इरफान,सफह 105
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आसारे कयामत (Part -63)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
इतना तो बद अक़ीदा भी मानता ही है कि क़ुरआन का हुक्म सिर्फ हुज़ूर ﷺ के ज़माने मुबारक तक ही महदूद नहीं था बल्कि वो क़यामत तक के लिए है तो जब क़यामत तक के लिए उसका हर कानून माना जायेगा तो ये क्यों नहीं कि हुज़ूर से शफाअत कराई जाये, क्या معاذ الله खुदा ने क़ुरआन में ये कहा है कि मेरे महबूब की ज़िन्दगी तक ही उनकी बारगाह में जाना बाद विसाल ना जाना बिल्कुल नहीं तो जब रब ने ऐसा कोई हुक्म नहीं दिया तो फिर अपनी तरफ से दीन में हद से आगे बढ़ने की इजाज़त इनको कहां से मिली,
और ग़ौर कीजिये कि गुनाह किसका किया रब का, तो माफी किस्से मांगेगे रब से फिर ये नबी बीच में कहां से आ गये, खुदा ये भी तो फरमा सकता था कि मुझसे माफी मांगो मैं माफ कर दूंगा, मगर वो तो नबी की बारगाह में भेज रहा है कि नबी उस गुनहगार की शफाअत करें तो बेशक मैं उसे बख्श दूंगा, मगर अन्धे वहाबियों को ये आयतें नहीं दिखती, खैर मौला हिदायत अता फरमाये अब देखिये इससे बहुत सारे मसले हल हुए :
1. सालेहीन का वसीला लेना जायज़ है!
2. उनसे शफाअत की उम्मीद रखना जायज़ है!
3. बाद विसाल उनकी मज़ार पर जाना जायज है!
4. उन्हें लफ्ज़े *या* के साथ पुकारना जायज़ है!
5. वो अपनी मज़ार में ज़िंदा हैं!
6. और सबसे बड़ी बात कि वो बाद वफात भी मदद करने की क़ुदरत रखते हैं!
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आसारे कयामत (Part -64)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
*कंज़ुल ईमान* - और जब उनसे कहा जाये कि आओ रसूल अल्लाह ﷺ तुम्हारे लिए माफी चाहें तो अपने सिर घुमाते हैं!
📕 पारा 28,सूरह मुनाफ़ेक़ून,आयत 5
इस आयत ने तो वहाबियत के चीथड़े ही उड़ा दिये,इ ससे साफ पता चलता है कि जो हुज़ूरﷺ से शफाअत की उम्मीद नहीं रखता वो मुनाफिक़ है और उसका ठिकाना काफिरों की तरह ही हमेशा की जहन्नम है,जैसा कि खुद रब्बे कायनात इरशाद फरमाता है कि
*कंज़ुल ईमान* - बेशक अल्लाह मुनाफिक़ों और काफिरों सबको जहन्नम में इकठ्ठा करेगा!
📕 पारा 5,सूरह निसा,आयत 140
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आसारे कयामत (Part -65)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
कंज़ुल ईमान - बेशक अल्लाह मुनाफिक़ों और काफिरों सबको जहन्नम में इकठ्ठा करेगा!
📕 पारा 5,सूरह निसा,आयत 140
👆🏻इस आयत से ये भी पता चला कि काफिर अलग हैं और मुनाफिक़ अलग हैं और दोनों ही जहन्नमी हैं,ये तो हुई क़ुर्आन की बात अब शफाअत के मुताल्लिक़ चन्द हदीस भी पढ़ लीजिये,
हदीस - हुज़ूर ﷺ इरशाद फरमाते हैं कि तमाम ज़मीन पर जितने पेड़ और पत्थर हैं मैं क़यामत के दिन उससे भी ज़्यादा आदमियों की शफाअत कराऊंगा!
हदीस - हुज़ूर ﷺ इरशाद फरमाते हैं कि मेरी शफाअत मेरे गुनहगार उम्मतियों के लिए है इस पर हज़रत अबु दरदा رضى الله تعالیٰ عنه अर्ज़ करते हैं कि अगर चे वो ज़ानी हों अगर चे वो चोर हों तो इस पर हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं की हां अगर चे वो ज़ानी हों अगर चे वो चोर हों!
हदीस - हुज़ूर ﷺ इरशाद फरमाते हैं कि मेरी शफाअत हर उस शख्स के वास्ते है जिसका खात्मा ईमान पर हुआ हो!
📕 बा - हवाला ↬ शफाअते मुस्तफा,सफह 8-10
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आसारे कयामत (Part -66)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
इस तरह की सैकड़ों हदीसें पेश की जा सकती है मगर जिनको मानना होगा उनके लिए 1 ही हदीस काफी है और जिनको नहीं मानना है उनके सामने पूरा दफ्तर भी रख दो तब भी नाकाफी होगा, खैर मैं जिस वाक़िये को बयान कर आया हूं अब उसी को हदीस के अल्फाज़ में मुलाहज़ा फरमा लें,
*हदीस* - क़यामत के दिन जबकि उम्मत सबके पास से मायूस होकर रऊफुर रहीम आक़ा ﷺ की बारगाह में हाज़िर होगी और अपनी मुसीबत बयान करेगी, मेरे आक़ा रहमतुल लिल आलमीन शफीउल मुज़नबीन ﷺ फरमायेंगे कि ग़म ना करो *अना लहा* मैं तो हूं ही इसीलिए कि तुम्हारी शफाअत करूं, फिर आक़ा ﷺ रब की बारगाह में हाज़िर होकर सज्दे में सर को रख देंगे उनका रब अपने महबूब से फरमायेगा ऐ महबूब सर उठाओ और कहो तुम्हारी सुनी जायेगी शफाअत करो कि तुम्हारी शफाअत क़ुबूल है! سبحان الله
बा - हवाला ↬ मुस्लिम,जिल्द 1,सफह 110
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आसारे कयामत (Part -67)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
नबी का अपने उम्मतियों की शफाअत करने में तो कलाम ही क्या है खुद क़ुरआन में एक ऐसा वाकिया दर्ज है जिससे ये साबित होता है कि एक आम मुसलमान की नेकियां भी उसकी औलाद के काम आती है इसको मैं हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम की पोस्ट में बता चूका हूं उसका दूसरा और तीसरा हिस्सा पढ़ लिया जाये मैं यहां मुख़्तसर ज़िक्र करता हूं, जब हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम से मिलने गये और उनके साथ एक सफर पर निकले तो वहां 3 वाक़िये पेश आये, तीसरे में दो यतीम बच्चों का खज़ाना लुटने से बचाने के लिए हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम ने बगैर कीमत वसूल किये उनकी दीवार दुरुस्त कर दी जब कि उस बस्ती वालों ने उनकी मेहमान नवाज़ी ना की थी, उसी तीसरे वाक़िये में एक राज़ ये भी था रब तआला फरमाता है,
*कंज़ुल ईमान* - और उनका बाप नेक आदमी था!
📕 पारा 16,सूरह कहफ,आयत 82
*तफसीर* - उन दोनो बच्चों का नाम अदरम और सुरैन था और उनके बाप का नाम कासिख था और ये शख्स नेक परहेज़गार था!
रिवायत में आता है कि अल्लाह तआला अपने बन्दे की नेकी के सबब उसकी औलाद को और उसकी औलाद की औलाद को और उसके कुनबे वालों को और उसके मुहल्ले वालों को अपनी हिफाज़त में रखता है!
📕खज़ाएनुल इरफान,सफह 361
📕 रूहुल बयान,पारा 16,सफह 477
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आसारे कयामत (Part -68)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
एक तरफ तो क़ुरआन और हदीस में ये लिखा है कि बाप की नेकियां औलाद के काम आती हैं मगर वहीं दूसरी तरफ कुछ लोगों का हुज़ूर ﷺ के बारे में ये कहना है कि "हुज़ूर तो अपनी बेटी के भी काम नहीं आ सकते तो वो अपने उम्मतियों को किस तरह बचायेंगे माज़ अल्लाह" तो उन कमज़र्फों से सिर्फ इतना कहना चाहूंगा कि ये बात तुम अपने और अपने बाप दादा के लिए कह सकते हो कि मेरे आक़ा ﷺ तुम्हारे और तुम्हारे बाप दादा के काम नहीं आयेंगे, और काम नहीं आयेंगे से मुराद ये नहीं कि वो काम नहीं आयेंगे बल्कि ये कि तुम्हारी औकात उनसे मदद लेने की नहीं रहेगी लिहाज़ा वो तुम्हारे किसी काम नहीं आयेंगे,
मगर हम तो उनके ग़ुलाम हैं उनके उम्मती हैं उनके बन्दे हैं हमारा तो हर काम उन्हीं से बनता है और उन्हीं से बनेगा यहां भी और वहां भी इंशाअल्लाह तआला लिहाज़ा वो हमारे काम आयेंगे....आयेंगे....आयेंगे...!.
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आसारे कयामत (Part -69)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
हिसाब हक़ है और इसका मुनकिर काफिर है, जिसने जिस तरह गुनाह किया होगा उस दिन उसी तरह उससे हिसाब लिया जायेगा मसलन कोई बन्दा खुदा से डरता तो था मगर गुनाह करता था और लोगों से छिपता था तो क़यामत के दिन उससे पोशीदा तौर पर हिसाब लिया जायेगा उसके सारे गुनाह उसे याद कराये जायेंगे जब उसे ये लगेगा कि अब मेरा कुछ नहीं हो सकता तब मौला तआला फरमायेगा कि हमने तेरे ऐबों को दुनिया में छिपाये रखा और आज तुझे बख्शते हैं,
और जो खुले आम गुनाह करता होगा तो उसका हिसाब किताब अलल ऐलान लिया जायेगा ताकि वो आज भी रुस्वा हो, बन्दों का हिसाब किताब शुरू होने से पहले ही मौला निदा करवायेगा कि मेरे बन्दों में से 70,000 बगैर हिसाब किताब जन्नत में दाखिल हो जायें और हर एक के साथ 70,000 होंगे इनके अलावा मौला 3 जमाअतों को और बिला हिसाब किताब जन्नत में भेजेगा जिसकी तादाद वो और उसका महबूब ही बेहतर जानता है, ये वो लोग होंगे जो रातों को अपनी करवटें बिस्तरों से अलग रखते थे यानि तहज्जुद पढ़ने वाले!
📬 बा - हवाला ↬ बहारे शरीयत हिस्सा 1 सफह 39
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आसारे कयामत (Part -70)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
क़यामत के दिन सबसे पहले हिसाब हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम से लिया जायेगा!
📕 अलइतकान,जिल्द 1,सफह 60
क़यामत के दिन हर इंसान के पास से 3 दीवान निकलेंगे पहले में नेकियां लिखी होगी दूसरे में गुनाह और तीसरे में वो नेअमतें जो मौला ने उन्हें अता की होगी!
📕 मदारेजन नुबूवत,जिल्द 1,सफह 493
मौला तआला तमाम बन्दों का हिसाब किताब सिर्फ 4 घंटे में ही ले लेगा बाकी के वक़्त में उसके महबूब की शान दिखाई जायेगी!
📕 बा - हवाला ↬ तफ़्सीरे नईमी जिल्द 4 सफह 409
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आसारे कयामत (Part -71)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
हौज़े कौसर को कौसर इस लिए कहा गया कि उसके पास लोग कसरत से आयेंगे, कौसर याक़ूत और मोती से मिलकर बना है उसके किनारे सोने के और उसके इर्द गिर्द मोतियों के क़ुब्बे और उसकी तह मुश्क की है, उसके पियाले सोने चांदी याक़ूत मोती और ज़ब्रो जद के होंगे और उनकी तादाद आसमान के सितारों के बराबर होगी, उसकी लम्बाई और चौड़ाई 1 महीने की मुसाफत होगी और गहराई 70000 फर्सख होगी, इसका पानी दूध से ज़्यादा सफेद शहद से ज़्यादा मीठा और मुश्क से ज़्यादा पाकीज़ा है जो एक बार इसे पी लेगा उसे कभी प्यास ना लगेगी, इस हौज़ में दो नहरें हर वक़्त जन्नत से गिरती रहती है!
📕 मदारेजन नुबूवत,जिल्द 1,सफह 145/484
📕 बा - हवाला ↬ बहारे शरीयत हिस्सा 1 सफह 40
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आसारे कयामत (Part -72)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
हिसाबो किताब शुरू होने से पहले ही मैदाने महशर में जन्नत और दोजख दोनों को लाया जायेगा जन्नत को अर्श के दाहिने जानिब और दोज़ख को उसके बायीं जानिब खड़ा किया जायेगा और मीज़ान उसके बीच में इस तरह रखी जायेगी कि नेकियों का पलड़ा जन्नत की जानिब और गुनाहों का पलड़ा दोज़ख की तरफ होगा,नेकी और बदी को तौलने का ये तराजु वो होगा कि जिसका वज़न ज़्यादा होगा वो पलड़ा ऊपर को उठेगा नाकि दुनिया की तरह कि भारी होने पर झुक जाता है,साहिबे मीज़ान हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम होंगे!
📕 मदारेजन नुबूवत,जिल्द 1,सफह 492/496
📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 1,सफह 40
जहन्नम की पुश्त पर सिरात बिछाई जायेगी जिस पर से हर आदमी को गुज़रना होगा इसी को पुल सिरात कहते हैं,ये बाल से ज़्यादा बारीक और तलवार से ज़्यादा तेज़ होगा,इसकी मुसाफत 15000 साल की राह है 5000 चढाई के 5000 ढलान के और 5000 साल हमवार यानि बराबर होगी!
📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 1,सफह 41
📕 बा - हवाला ↬ मदारेजन नुबूवत,जिल्द 1,सफह 492
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आसारे कयामत (Part -73)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
*कंज़ुल ईमान* - और हरगिज़ अल्लाह को बे खबर ना जानना ज़ालिमों के काम से, उन्हें ढील नहीं दे रहा है मगर ऐसे दिन के लिए जिसमे उनकी आंखें खुली की खुली रह जायेंगी अपने सर उठाये हुए कि उनकी पलक उनकी तरफ लौटती नहीं, और उनके दिलो में कुछ सकत ना होगी.....जब उन पर अज़ाब आयेगा तो ज़ालिम कहेंगे ऐ हमारे रब थोड़ी देर हमें मोहलत दे कि हम तेरा बुलाना मानें और रसूलों की ग़ुलामी करें!
📕 पारा 14,सूरह इब्राहीम,आयत 42-44
यानि क़यामत के दिन हर शख्स एक टकटकी बांधे ऊपर को देखता होगा, ना पलकें झपकायेगा और ना किसी को देखेगा होश बिल्कुल गुम होगा और काफिरों का तो बुरा हाल होगा!
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आसारे कयामत (Part -74)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
इरशाद फरमाता है *कंज़ुल ईमान* - और हम उन्हें क़यामत के दिन उनके मुंह के बल उठायेंगे अंधे और गूंगे और बहरे, उनका ठिकाना जहन्नम है जब कभी बुझने पर आयेगी तो हम उसे और भड़कायंगे ये उनकी सज़ा है इस पर कि उन्होंने हमारी आयतों से इंकार किया और बोले क्या जब हम हड्डियां और रेज़ा रेज़ा हो जायेंगे तो क्या सचमुच हम नये बन कर उठाये जायेंगे और क्या वो नहीं देखते कि वो अल्लाह जिसने आसमान और ज़मीन बनाये वो उन लोगों की मिस्ल बना सकता है!
📕 पारा 15, बनी इस्राईल, आयत 97-99
यानि दुनिया में काफिर ऐतराज़ करते हैं ना कि जब हम मरकर सड़ गल चुके होंगे तो किस तरह हमारा हिसाब होगा और सज़ा व जज़ा मिलेगी तो मौला फरमाता है कि क्या वो अंधे हैं नहीं देखते कि जिसने इतना बड़ा आसमान और ज़मीन बना दी और जिसने पहली बार बगैर सूरत के इंसान को 1 पानी की बूंद से पैदा कर दिया उसके लिए उसी इंसान को दोबारा वजूद में लाना कौन सा मुश्किल काम है!
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आसारे कयामत (Part -75)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
*कंज़ुल ईमान* - और हम ऐसा ही बदला देते हैं जो हद से बढे और अपने रब की आयतों पर ईमान ना लाये, और बेशक आखिरत का अज़ाब सब से सख़्त तर और हमेशगी का है!
📕 पारा 16,सूरह ताहा,आयत 127
*कंज़ुल ईमान* - फिर कैसे बचोगे अगर कुफ़्र करोगे उस दिन जो बच्चों को बूढ़ा कर देगा!
📕 पारा 29,सूरह मुज़म्मिल,आयत 17
*कंज़ुल ईमान* - जिस दिन कुछ मुंह उजियाले होंगे और कुछ मुंह काले तो वो जिनके मुंह काले हुए, क्या तुम ईमान लाकर काफिर हुए तो अब अज़ाब चखो अपने कुफ़्र का बदला और वो जिनके मुंह उजियाले होंगे वो अल्लाह की रहमत में हैं वो हमेशा उस में रहेंगे!
📕 पारा 3,सूरह आले इमरान,आयत 106-107
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आसारे कयामत (Part -76)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
मुसलमान खुश व खुर्रम होंगे और उनकी खुशी उनके चेहरे से साफ ज़ाहिर हो रही होगी और काफिरो का ग़म उनके चेहरे को सियाह कर देगा और उन्हें मुंह के बल घसीटते हुए मैदाने महशर में लाया जायेगा, और जब उनसे हिसाब किताब शुरू होगा तो उनमें से बाज़ काफिर ऐसे होंगे जो झूट बोलेंगे और कहेंगे कि हम तुझ पर ईमान लाये नमाज़ पढ़ी रोज़े रखे हज भी किये ज़कातें भी दी है और भी नेक काम किये हैं तो मौला फरमायेगा कि ठीक है तुझ पर गवाह पेश किये जायेंगे ये अपने दिल में सोचेंगे कि हम पर यहां कौन गवाही देगा तब फौरन उनके मुंह पर ताला लग जायेगा और उनके हाथ पैर आंख कान और जिस्म के बाकी आज़ा उनकी नाफरमानियां गिनानी शुरू करेंगे, जब उनका कच्चा चिट्ठा खुल जायेगा तो अब दूसरा झूठ बोलेंगे कि,
हां हमसे तेरी नाफरमानी हुई मगर हम क्या करते कि हमको तेरी वहदानियत की दलील ही ना मिली और किसी ने हमको कुछ बताया समझाया नहीं तब उनके सामने हज़रत आदम अलैहिस्सलाम से लेकर हुज़ूर ﷺ तक के तमाम अम्बिया-ए किराम गवाही पेश करेंगे कि ऐ मौला हमने हर एक तक तेरी वहदानियत की निशानी पहुंचाई मगर ये लोग नाफरमान थे और आखिर तक इंकार करते रहे और इसी पर इन्हे मौत आई, और उन नबियों की तस्दीक़ उम्मते मुस्लिमा करेगी कि बेशक तेरे नबियों ने तेरे एहकाम में से कुछ भी ऐसा ना था जो हम तक ना पहुंचाया हो लेकिन ये काफिर नाफरमानी पर अड़े रहे!
📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 1,सफह 39
📬 बा - हवाला ↬ ज़लज़लातुस साअत, सफह 27 📚
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आसारे कयामत (Part -77)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
जब काफिरों की कलई खुल जायेगी तब हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को हुक्म होगा कि मैदाने महशर में जमा हर शख्स में से जहन्नमियों को अलग कर दो आप अर्ज़ करेंगे किस हिसाब से तो मौला तआला फरमायेगा 1000 में से 999 जहन्नमी, ये सुनते ही लोगों में खलबली मच जायेगी इस वक़्त लोगों को ऐसा ग़म लाहिक होगा (खौफ़ ऐसा होगा) कि बच्चे बूढ़े हो जाये, हमल वाली औरतों का हमल गिर जाये, चेहरा युं नज़र आयेगा कि लोग नशे में हों लेकिन नशे में नहीं होंगे, फिर हुक्म होगा कि आज जो जिसकी इबादतों परशतिश करता था उसी से बदला मांग ले तो दुनिया के तमाम काफेरीन अपने अपने बातिल मअबूदों के पीछे लग जायेंगे और वो उनसे भागते होंगे बिल आखिर जब सब इब्लीस लईन को पा लेंगे तो उसकी तरफ जायेंगे और वो भी उन सबसे भागता फिरेगा और सबको जहन्नम के मुहाने पर ले जायेगा और कहेगा कि हमारा और तुम्हारा रब अल्लाह ही है बेशक मैंने तुमको बहकाया मगर ये मलामत तुम खुद को करो मुझको नहीं कि तुम क्यों मेरे बहकावे में आये और मैं तो वहीं जाता हूं जहां मुझे जाना है ये कहकर वो और उसकी पूरी जमाअत के साथ उसके मानने वाले भी हमेशा हमेश के लिए जहन्नम में झोंक दिये जायेंगे!
📕 ज़लज़लातुस साअत,सफह 28
📕 बा - हवाला ↬ बहारे शरीयत,हिस्सा 1,सफह 36
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आसारे कयामत (Part -78)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
*कंज़ुल ईमान* - होंगे उन्हें देखते हुए मुजरिम आरज़ू करेगा काश इस दिन के अज़ाब से छूटने के बदले में दे दे अपने बेटे और अपनी बीवी और अपना भाई और अपना कुनबा जिसमे उसकी जगह है और जितने ज़मीन में हैं फिर ये बदला देना उसे बचा ले हरगिज़ नहीं!
📕 पारा 29, सूरह मआरिज आयत 11-15
यानि उस दिन की मुसीबत ऐसी होगी कि बंदा खुद उससे बचने के लिए अपने किसी भी अज़ीज़ को कुर्बान करने के लिए तैयार होगा चाहे उसके मां-बाप हों या उसके बीवी बच्चे मगर हरगिज़ ऐसा नहीं होगा, और एक रिवायत में जो ये आता है कि उस दिन कोई किसी को नहीं पहचानेगा तो ये उस वक़्त होगा जब तक कि हुज़ूर ﷺ शफाअते कुबरा का दरवाना नहीं खुलवाते और जब आपकी शफाअत क़ुबूल हो चुकी होगी तब हर आदमी हर आदमी को पहचानेगा वरना हाफिज़ आलिम हाजी अपने अज़ीज़ो की शफाअत कैसे करायेंगे!
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आसारे कयामत (Part -79)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
मुसलमानो से हिसाब लेने में मौला अपनी रहमतों के दरवाज़े खोल देगा और उनकी छोटी छोटी नेकियों पर उनकी बड़ी बड़ी गलतियां माफ करता होगा हत्ता कि एक बन्दा 99 गुनाहों के दफ्तर के साथ आयेगा और हर दफ्तर इतना बड़ा होगा कि जहां तक निगाह पहुंचे, मौला उससे फरमायेगा कि क्या तुझे ऐसा लगता है कि मेरे फरिश्तों ने तेरे साथ ज़ुल्म किया है जो इतने गुनाहों को लिख दिया तो वो अर्ज़ करेगा नहीं बल्कि ये सब मेरे गुनाह ही हैं,
वो शर्मिंदा खड़ा होगा कि मौला फरमायेगा कि घबरा मत तेरी एक नेकी हमारे पास है आज तुझ पर हरगिज़ ज़ुल्म ना होगा तो वो कहेगा कि इस एक नेकी से मेरा क्या बनेगा जबकि 99 दफ्तर गुनाहों का सामने है फिर जब तौल होगी तो एक पलड़े में उसके तमाम गुनाह और दूसरे पलड़े में उसकी एक नेकी का कागज़ जिसमे कल्म-ए शहादत लिखा होगा रखा जायेगा तो देखने वाले हैरान रह जायेंगे कि कागज़ का वो एक टुकड़ा तमाम दफ्तरों पर भारी निकलेगा क्योंकि सिद्क़ दिल से लिया गया मौला का नाम हरगिज़ हरगिज़ हल्का नहीं हो सकता!
📕 बा - हवाला ↬ बहारे शरीयत,हिस्सा 1,सफह 40
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आसारे कयामत (Part -80)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
उस दिन मुसलमान हो या काफिर हर शख्स अपनी ज़र्रा बराबर नेकियां भी अपनी आंखों से देखेगा और गुनाह भी, फरमाता है
*कंज़ुल ईमान* - जो एक ज़र्रा भर भलाई करे उसे देखेगा और जो एक ज़र्रा भर बुराई करे उसे देखेगा!
📕 पारा 30,सूरह ज़िलज़ाल,आयत 7-8
*कंज़ुल ईमान* - कुछ मुंह उस दिन तरो ताज़ा होंगे अपने रब को देखते और कुछ मुंह उस दिन बिगड़े हुए होंगे समझते होंगे कि उनके साथ अब वो की जायेगी जो कमर को तोड़ दे!
📕 पारा 29,सूरह क़यामह,आयत 22-25
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आसारे कयामत (Part -81)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
यही मुसलमानों के लिए सबसे बड़ी नेअमत होगी कि वो क़यामत के दिन खुली आंखों से अपने रब का दीदार करेगा मगर काफिरों को ये नेअमत हरगिज़ हासिल ना होगी जैसा कि मौला तआला खुद इरशाद फरमाता है कि,
*कंज़ुल ईमान* - जो इन्साफ के दिन को झुठलाते हैं और उसे ना झुटलायेगा मगर हर सरकश जब उन पर हमारी आयतें पढ़ी जाती हैं कहते हैं अगलों की कहानियां हैं कोई नहीं बल्कि उनके दिलो पर ज़ंग चढ़ा दिया है उनकी कमाईयों ने हाँ हाँ बेशक वो उस दिन अपने रब के दीदार से महरूम होंगे!
📕 पारा 30,सूरह मुतफ्फेफीन,आयत 11-15
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आसारे कयामत (Part -82)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
काफिर दुनिया में मुसलमानों का मज़ाक उड़ाते हैं उन पर लअन तअन करते हैं मगर क़यामत के दिन उन सबकी आँखें फटी की फटी रह जायेंगी जब वो मुसलमानो की इज़्ज़तो अज़मत को देखेंगे, मौला तआला इरशाद फरमाता है कि :
*कंज़ुल ईमान* - काफिरों की निगाह में दुनिया की ज़िन्दगी आरास्ता की गई और मुसलमानो पे हंसते हैं, और डर वाले (यानि मुसलमान) उनसे ऊपर होंगे क़यामत के दिन!
📕 पारा 2,सूरह बक़र,आयत 212
काफिर खुद अपनी ग़लतियों का ऐतराफ करेंगे और एक दूसरे पर लाअनतो मलामत करेंगे यहां तक कि अपने बातिल मअबूदों को भी नहीं छोड़ेंगे और साफ साफ कहेंगे कि हमें दुनिया में वापस भेज दे ताकि हम मुसलमान हो जायें, जैसा कि मौला तआला फरमाता है कि :
*कंज़ुल ईमान* - क्या तुम पर मेरी आयतें नहीं पढ़ी जाती थीं तो तुम उन्हें झुठलाते थे कहेंगे ऐ हमारे रब हम पर हमारी बद बख्ती ग़ालिब आई और हम गुमराह लोग थे!
📕 पारा 17,सूरह मोमेनून,आयत 105-106
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आसारे कयामत (Part -83)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
*कंज़ुल ईमान* - और उनसे कहा जायेगा कहां हैं वो जिन्हे तुम पूजते थे अल्लाह के सिवा, क्या वो तुम्हारी मदद करेंगे या बदला लेंगे तो ओंधा दिये जायेंगे जहन्नम में वो और सब गुमराह और इब्लीस के लश्कर सारे कहेंगे और वो उसमे बाहम झगडे होंगे खुदा की कसम बेशक हम खुली गुमराही में थे जबकि हम उन्हें रब्बुल आलमीन के बराबर ठहराते थे और हमें ना बहकाया मगर मुजरिमो ने तो अब हमारा कोई सिफारिशी नहीं और ना कोई ग़मख्वार दोस्त तो किसी तरह हमें फिर जाना होता तो हम मुसलमान हो जाते,
📕 पारा 18,सूरह शोअरा,आयत 92-102
*कंज़ुल ईमान* - बेशक तुम और जो कुछ अल्लाह के सिवा तुम पूजते हो सब जहन्नम के ईंधन हो, तुम्हें इसमें जाना अगर ये खुदा होते तो जहन्नम में ना जाते, और उन सबको हमेशा उस में रहना है!
📕 पारा 17,सूरह अम्बिया,आयत 98-99
50000 साल का दिन मगर मुसलमानों के लिए इतनी जल्द गुज़र जायेगा जैसे कि पलक झपकती हो, इरशाद फरमाता है कि :
*कंज़ुल ईमान* - और क़यामत का मुआमला नहीं मगर जैसे एक पलक का मारना बल्कि उससे भी क़रीब, बेशक अल्लाह सब कुछ कर सकता है!
📕 पारा 14,सूरह नहल,आयत 77
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आसारे कयामत (Part -84)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
*हदीस* - हुज़ूर ﷺ इरशाद फरमाते हैं कि क़यामत के दिन जिससे पूछ-ताछ हुई तो वो हलाक़ हो जायेगा!
📕 मिश्कात,जिल्द 3,सफह 59
मतलब ये कि कुछ लोग ऐसे होंगे जिनसे ऊपरी तौर पर सवाल जवाब होंगे और नामये आमाल से आंखें बचाकर मुंह फेर लिया जायेगा और रिहाई मिल जायेगी मगर कुछ ऐसे भी होंगे जिनसे छान बीन होगी और उनके हर आमाल हर घड़ी और हर पैसे का हिसाब किताब होगा तो ऐसा शख़्स बिल यक़ीन हलाक़ ही होगा! الله اکبر 😢
اللهم حسبني حساب يصيرا"
*ऐ अल्लाह मुझसे आसान हिसाब लेना!*
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आसारे कयामत (Part -85)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
क़यामत के रोज़ 3 शख्स हाज़िर किये जायेंगे उनमें से एक शहीद होगा दूसरा आलिम और तीसरा सखी, जब शहीद से सवाल होगा तो वो अर्ज़ करेगा कि मौला मैंने तेरे लिए लड़ाईयां लड़ी और इसी हालत में मारा गया तो मौला तआला फरमायेगा कि तू झूठा है तूने मेरे लिए नहीं बल्कि इस लिए जंग की कि लोग तुझे बहादुर कहें तेरी इज़्ज़त करें लिहाज़ा तेरा बदला तुझे दुनिया में मिल चुका अब यहां तेरा कोई हिस्सा नहीं फिर इसी तरह आलिम से सवाल होगा तो वो भी यही कहेगा कि मैंने क़ुरआन सीखा और लोगों को सिखाया तो मौला तआला फरमायेगा कि तू झूठा है तूने मेरे लिए नहीं बल्कि इस लिए इल्म हासिल किया कि जिससे तू दुनिया कमा सके और लोग तुझे हाफिज़ क़ारी आलिम कहें तेरी इज़्ज़त करें लिहाज़ा तेरा बदला तुझे दुनिया में मिल चुका अब यहां तेरा कोई हिस्सा नहीं,
फिर इसी तरह सखी से सवाल होगा तो वो भी यही कहेगा कि मैंने तेरे दिये हुए माल से खूब सदक़ा खैरात किया ज़कातें दी भूखो को खाना खिलाया तो मौला तआला फरमायेगा कि तू झूठा है तूने मेरे लिए नहीं बल्कि इस लिए खर्च किया कि लोग तुझे सखी कहें तेरी इज़्ज़त करें लिहाज़ा तेरा बदला तुझे दुनिया में मिल चुका अब यहां तेरा कोई हिस्सा नहीं, लिहाज़ा जिनके लिए तूने वो अमल किये थे आज उन्हीं से बदला मांग ले और फिर उन तीनों को जहन्नम में डाल दिया जायेगा! الله اکبر
📕 बा - हवाला ↬ अहवाले बरज़ख,सफह 168
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आसारे कयामत (Part -86)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
استغفراللہ
ये है रियाकारी यानि दिखावे का अंजाम, आज ये बीमारी बहुत ही आम है हज करके आये फौरन हाजी लिखने लगे ज़रा इल्म हासिल किया तो साहब मौलाना हो गये, सदक़ा खैरात तो ऐसे किया जाता है कि पूरे शहर को खबर हो जाती है कि फलां ने खाना-कपड़ा बाटा है, इसी तरह हर नमाज़ी रोज़ेदार हाजी सखी और दूसरों को दिखाने के लिए नेक अमल करने वाले मौला तआला का वो फरमान याद करें कि जिसमे वो फरमायेगा "जिनके लिए तूने वो अमल किये थे आज उन्हीं से बदला मांग ले" तो ऐसी नौबत ना आने दें बल्कि सिर्फ और सिर्फ अपने रब की रज़ा के लिए इबादत करें और ज़र्रा बराबर भी ये ख्याल दिल में ना आने पाये कि फलां मुझे देखेगा तो अच्छा समझेगा, मौला तआला मुसलमानों को रियाकारी से महफूज़ रखे! *आमीन*
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आसारे कयामत (Part -87)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
हुज़ूर ﷺ ने अपने सहाबा से पूछा क्या तुम जानते हो कि मुफलिस कौन है तो फरमाते हैं कि हम तो उसे ही मुफलिस जानते हैं जिसके पास माल ना हो, तो हुज़ूर ﷺ फरमाते हैं कि मेरी उम्मत में मुफलिस वो होगा जो बरौज़े क़यामत नमाज़ रोज़ा हज ज़कात व दीग़र नेक आमाल लेकर आयेगा मगर युं कि दुनिया में किसी को गाली दी होगी किसी को मारा होगा किसी का हक़ छीना होगा किसी का खून बहाया होगा, पस उससे वो सारी नेकियां लेकर उन हक़दारों को दे दी जायेगी और अगर अब भी उस पर कुछ हक़ बाकी रह गया तो फिर हक़दारों के गुनाह इसके सर डालकर इसको जहन्नम में भेज दिया जायेगा! الله اکبر
📬 बा - हवाला ↬ *मुस्लिम,जिल्द 2,सफह 33 📚*
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आसारे कयामत (Part -88)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
हर इंसान को 2 किस्म का हक़ अदा करना होता है पहला तो हुक़ूक़ुल्लाह यानि रब का हक़ जैसे कि नमाज़ रोज़ा हज ज़कात व नेकियों की तरफ माइल रहना और अपने आपको गुनाहों से बचाना और दूसरा हुक़ुक़ुल इबाद यानि बन्दों का हक़,हुक़ूक़ुल्लाह से ज़्यादा सख्त हुक़ूक़ुल इबाद है कि अल्लाह अपना हक़ तो अपने रहमो करम से माफ फरमा भी देगा मगर बन्दों का हक़ जब तक कि बन्दा खुद ना माफ करेगा मौला हरगिज़ माफ ना करेगा,तो नमाज़ रोज़ा करना बहुत अच्छी बात है मगर उसके बन्दों से इखलाक़ से पेश आना ये बहुत ज़्यादा ज़रूरी है मगर बन्दों से मुराद मुसलमान ही हैं क्योंकि अगर चे काफिर भी उसी के बन्दे हैं मगर नाफरमान बन्दे और उनके साथ नरमी बरतना खुदा का ग़ज़ब मोल लेना है लिहाज़ा उनसे दूर रहे और बद मज़हब तो काफिर से भी बदतर है लिहाज़ा उनसे भी दूर रहे!
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आसारे कयामत (Part -89)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
क़यामत के दिन हिसाब किताब सिर्फ इंसानों के लिए ही खास नहीं है बल्कि जानवर और जिन्न वगैरह से भी हिसाब लिया जायेगा, जैसा कि मैं शायद पहले बता आया कि हदीसे पाक में आता है,
*हदीस* - हुज़ूर ﷺ इरशाद फरमाते हैं कि बंदा उस वक़्त तक हिसाबो किताब की जगह से नहीं हट सकेगा जब तक कि इन बातों का हिसाब ना दे ले कि ज़िन्दगी कहां गुज़ारी और जवानी कहां खर्च की और माल किस तरह कमाया कहां खर्च किया और अपने इल्म के मुताबिक़ खुद क्या अमल किया दूसरी जगह इरशाद फरमाते हैं कि क़यामत के दिन अहले हक़ को उसका हक़ ज़रूर दिया जायेगा यहां तक कि बे सींग वाली बकरी सींग वाली बकरी के बदले में दी जायेगी!
📕 बा - हवाला ↬ तिर्मिज़ी,जिल्द 2,सफह 133-134
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आसारे कयामत (Part -90)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :_
मतलब ये कि अगर दुनिया में किसी सींग वाली बकरी ने बिना सींग वाली बकरी को जिस क़दर सींग मारी होगा तो क़यामत के दिन उस सींग वाली बकरी से सींग छीन ली जायेगी और बिना सींग वाली को सींग अता की जायेगी फिर उससे कहा जायेगा कि अब इसे उतनी ही सींग मारकर अपना बदला ले ले, अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर अंदाज़ा लगाईये कि किस क़दर हिसाबो किताब होगा मौला हमको अपनी रहमत में जगह अता फरमाये आमीन, खैर जब ये बदला पूरा हो जायेगा तो उन तमाम जानवरों को मिटटी कर दिया जायेगा ये देखकर काफिर चीख उठेंगे और कहेंगे जिसे क़ुर्आन में युं बयान किया गया :
*कंज़ुल ईमान* - और काफिर कहेगा कि हाय मैं किसी तरह खाक़ हो जाता!
📕 पारा 30,सूरह नबा,आयत 40
यानि जब काफिर जानवरों को मिटटी होते देखेंगे तो यही कहेंगे कि काश किसी तरह हमें भी इस अज़ाब से छुटकारा मिल जाता और हम भी मिटटी हो जाते मगर ये उनके नसीब में ना होगा क्योंकि उनके लिए हमेशा हमेश जहन्नम की आग है!
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आसारे कयामत (Part -91)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
इसी तरह जिन्नों से भी सवाल होगा, मौला तआला इरशाद फरमाता है कि,
*कंज़ुल ईमान* - ऐ जिन्नों और आदमियों के गिरोह क्या तुम्हारे पास तुम में के रसूल ना आये थे तुम पर मेरी आयतें पढ़ते और तुम्हें ये दिन देखने से डराते, कहेंगे हमने अपनी जानो पर गवाही दी और उन्हें दुनिया की ज़िन्दगी ने फरेब दिया और खुद अपनी जानो पर गवाही देंगे कि वो काफिर थे!
📕 पारा 8,सूरह इनआम,आयत 130
जिन्नों के बारे में कुछ तफ्सीली मअलूमात इस तरह है : ये आग से पैदा किये गए हैं, इनमें बअज़ को ये ताक़त हासिल है कि जो शक्ल चाहें इख़्तियार कर लें, इंसान की तरह ही रूह जिस्म अक़्ल पैदाईश खाना पीना जीना मरना सब कुछ होता है, इनमे मुसलमान और काफिर दोनों होते हैं मगर काफिरों की तादाद ज़्यादा है!
📕 बा - हवाला ↬ बहारे शरीयत,हिस्सा 1,सफह 24
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आसारे कयामत (Part -92)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
जिन्नों के बारे में कुछ तफ्सीली मअलूमात इस तरह है : मुसलमान और काफिर ही क्या बल्कि इनमे यहूदी, नसरानी, मजूसी, मुशरिक और फिर सुन्नी खारजी राफ्ज़ी जबरिया क़दरिया बिदअती सब होते हैं!
📕 खाज़िन,जिल्द 6,सफह 140
इनमे कोई नबी ना हुआ मगर सहाबी होने का शर्फ बहुतों को हासिल है!
📕 उम्दतुल क़ारी,जिल्द 7,सफह 287
📕 तकमीलुल ईमान,सफह 9
इनमें काफिरों के लिए जहन्नम का अज़ाब तैयार है और ईमान वालों को जन्नत के आस-पास ठहराया जायेगा क्योंकि जन्नत हज़रते आदम अलैहिस्सलाम की जागीर है और उनकी औलाद में ही तक़सीम होगी हां जिन्न जन्नत की सैर को आया करेंगे!
📬 बा - हवाला ↬ अलमलफूज़,हिस्सा 4,सफह 75
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आसारे कयामत (Part -93)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
कंज़ुल ईमान - तो वो जिसे उसका नामये आमाल दाहिने हाथ में दिया जायेगा वो कहेगा कि लो मेरा नामाये आमाल पढो मुझे यकीन था कि मैं अपने हिसाब को पहुंचूगा तो वो मन माने चैन में हैं बुलंद बाग़ में जिसके ख़ोशे झुके हुए खाओ और पियो रचता हुआ सिला उसका जो तुमने गुज़रे दिनों में आगे भेजा और वो जिन्हें उनका नामये आमाल बायें हाथ में दिया जायेगा कहेगा कि हाय किसी तरह मुझे अपना नोश्ता ना दिया जाता और मैं जानता था कि मेरा हिसाब क्या है हाय किसी तरह मौत ही किस्सा चुका जाती मेरे कुछ काम ना आया मेरा माल मेरा सब ज़ोर जाता रहा उसे पकड़ो फिर उसे तौक़ डालो फिर उसे भड़कती आग में धंसाओ!
📕 पारा 29,सूरह हाक़्क़ा,आयत 19-31
यानि जिन नेकोकार को सामने से दाहिने हाथ में नामये आमाल मिलेगा तो वो मारे खुशी के हश्र के मैदान में भागते फिरेंगे और सबको दिखायेंगे कि ये देखो मेरा नामये आमाल, और जिनको पीठ के पीछे से बायें हाथ में नामये आमाल दिया जायेगा वो मुंह लटकाये जहन्नम में जाने के लिए तैयार हो रहे होंगे!
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आसारे कयामत (Part -94)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
*कंज़ुल ईमान* - तुम फरमाओ क्या हम तुम्हें बता दें कि सबसे बढ़कर नाक़िस अमल किन के हैं. उनके जिनकी सारी कोशिश दुनिया की ज़िन्दगी में गुम गई और वो इस ख्याल में हैं कि अच्छा काम कर रहे हैं!
📕 पारा 16,सूरह कहफ,आयत 103-104
मतलब ये कि काफिर जितनी भी नेकियां दुनिया में करते हैं मसलन किसी को खाना खिलाना, पानी पिलाना, किसी की मदद करना और जो कुछ भी वो अपनी नज़र में नेकियां करते हैं उनकी जज़ा मौला तआला उनको दुनिया में ही दे देता है उनके लिए आखिरत में कुछ हिस्सा नहीं, जैसा कि अक्सर देखने में आता है काफिर मुसलमानो के मुक़ाबले में ज़्यादा मालदार हैं ये उनके किसी नेक काम का बदला हो सकता है और मुसलमान जो नेकी करता है मौला तआला उसको क़यामत के लिए महफूज़ कर देता है कि उसको वहां बदला दे, अब एक सवाल यहां उठता है कि बहुत से काफिर ऐसे हैं जो बहुत ज़्यादा ग़रीब हैं तो उनके लिए ये दुनिया कैसे जन्नत है तो इसका जवाब ये है कि जैसे ही कोई काफिर मरता है फौरन उस पर अज़ाब आ जाता है अब जब तक वो जिंदा है तो अज़ाब में नहीं पड़ता तो इस लिहाज़ से अगर चे वो गरीब है मगर अज़ाब से बचा हुआ है सो उसके लिए भी ये दुनिया जन्नत हुई!
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आसारे कयामत (Part -95)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
*हदीस* - हुज़ूर ﷺ इरशाद फरमाते हैं कि जन्नत में जाने वालों की 120 सफें होगी जिसमें 80 इस उम्मत की और 40 दीगर उम्मतों की होगी!
📕 तिर्मिज़ी,जिल्द 2,सफह 183
जब सबका हिसाब किताब हो चुकेगा तो सब अपने अगले पड़ाव की तरफ चल पड़ेंगे यानि जन्नत या जहन्नम की तरफ, उसके लिए सबको पुल सिरात से गुज़ारना होगा इसके बारे में आता है कि,
*फुक़्हा* - जहन्नम की पुश्त पर सिरात बिछाई जायेगी जिस पर से हर आदमी को गुज़रना होगा इसी को पुल सिरात कहते हैं, ये बाल से ज़्यादा बारीक और तलवार से ज़्यादा तेज़ होगा, इसकी मुसाफत 15000 साल की राह है 5000 चढाई के 5000 ढलान के और 5000 साल हमवार यानि बराबर होगी! الله اکبر
📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 1,सफह 41
📕 मदारेजन नुबूवत,जिल्द 1,सफह 492
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आसारे कयामत (Part -96)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
तब हुज़ूर ﷺ सबको लेकर पुल सिरात से गुजरेंगे और आप ये तस्बीह पढ़ते होंगे अल्लाहुम्मा सल्लिम सल्लिम यानि ऐ अल्लाह सलामत रख सलामत रख,पर काफिर और वो मुसलमान जो कबीरा गुनाह करके मरे अभी उनके लिए राह में एक और मुसीबत खड़ी होगी पुल सिरात के दोनों तरफ नुकीली संडासियां निकली होगी जिसमे लोग फंसकर नीचे जहन्नम में गिर रहे होंगे और मुसलमानों की एक बहुत बड़ी जमाअत जहन्नम में गिर जायेगी, बहुतेरे मुसलमान अपने आमाल के हिसाब से पुल सिरात से गुज़र जायेंगे उनमें से बअज़ पलक झपकते गुज़र जायेंगे तो बअज़ तेज़ घुड़ सवार की तरह बअज़ हवा की तरह तो बअज़ परिंदों की तरह और बअज़ उन संडासियों से छिल-चाल कर आखिर कार निकल जायेंगे, और बचने वाले मुसलमान अपने उन भाई भाईयों के लिए खुदा की बारगाह में सिफारिश करेंगे!
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आसारे कयामत (Part -97)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
जैसा कि हदीसे पाक में आता है कि,
हदीस - हुज़ूर ﷺ इरशाद फरमाते हैं कि तुम दुनिया में किसी से भी इस क़दर तकरार नहीं करोगे जितना कि एक कल्मा पढ़ने वाला अपने मुसलमान भाई को जहन्नम में जाते देखकर खुदा से तकरार करेगा, बन्दे अर्ज़ करेंगे कि मौला ये हमारे वो भाई हैं जो हमारे साथ नमाज़ पढ़ते थे रोज़ा रखते थे हज करते थे तूने उन्हें जहन्नम में क्यों डाल दिया तो मौला फरमाएगा कि अच्छा तुम जिन्हे पहचानते हो उन्हें निकाल लो, बन्दे जाकर उन्हें वहां से निकाल लायेंगे फिर मौला अर्ज़ करेगा अब जाकर उन्हें भी निकाल लाओ जिनके दिल में ज़र्रा बराबर भी ईमान हो बन्दे जाकर एक एक मोमिन को चुन चुनकर निकाल लायेंगे, फिर जहन्नम में सिर्फ काफिर ही काफिर रह जायेंगे!
📕 बुखारी,जिल्द 6,हदीस 7001
📕 निसाई,जिल्द 8,सफह 112
📕 इब्ने माजा,जिल्द 1,सफह 23
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आसारे कयामत (Part -98)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
रिवायत - बचने वाले मुसलमान कई मर्तबा जहन्नम में दाखिल होकर उसमे गिरे हुए मुसलमानों को निकालेंगे हालांकि खुद उन पर उस आग का कोई असर ना होगा, पहली बार हुक्म होगा कि जिन्हें तुम पहचानते हो जाकर उन्हें निकाल लाओ जब वो मुसलमान बाहर आ जायेंगे तो मौला तआला फिर फरमायेगा कि अब जिसके दिल में दीनार के बराबर ईमान हो उसको निकाल लाओ फिर वो मुसलमान भी बाहर आ जायेंगे, फिर मौला तआला फरमायेगा कि अब उनको निकालो जिनके दिल में आधे दीनार के बराबर ईमान रहा हो फिर मुसलमान जाकर उनको भी निकाल लायेंगे फिर हुक्म होगा कि अब उनको निकालो जिनके दिल में राई के दाने के बराबर ईमान रहा हो, अब कि मुसलमान कसीर तादाद में मुसलमानो को निकाल लायेंगे और कहेंगे कि मौला तआला हमने अब जहन्नम में किसी ऐसे को ना छोड़ा जिसके दिल में ज़र्रा बराबर भी ईमान बचा हो, तब मौला तआला इर्शाद फरमायेगा कि नबियों ने शफाअत करली फरिश्तों ने शफाअत करली मोमिनो ने भी शफाअत करली अब बस अर्हमुर राहेमीन ही बाक़ी है
तब मौला तआला अपनी रहमत से कुछ लोगों को निकालेगा जिनके पास ईमान की छिपी हुई दौलत होगी आमाल के नाम पर उनके पास 1 नेकी भी नहीं रही होगी, ये वो लोग होंगे जो बस दुनिया में नाम के मुसलमान रहे होंगे जिनका दीन से कोई रिश्ता नहीं रहा होगा मगर बख्शे सिर्फ इसलिए जायेंगे कि कभी ख़ुदा जल्ला शानहु व उसके महबूब ﷺ की शान में बकवास नहीं की होगी और दीन के गुस्ताख नहीं रहे होंगे, जब ये लोग जहन्नम से बाहर आयेंगे तो जल भुन कर एक दम कोयला हो चुके होंगे तब मौला तआला इन्हें नहरे हयात में गोता देगा जिससे कि ये एकदम साफो शफ़्फ़ाफ़ मोती की तरह हो जायेंगे बस उनकी गर्दनों में एक निशान बाक़ी रहेगा जिससे कि ये पता चलेगा कि ये वो लोग हैं जिनको सिर्फ और सिर्फ मौला की रहमत ने जन्नत में डाला है वरना इनके पास ज़र्रा बराबर भी नेकी नहीं थी, जब तमाम ईमान वाले जहन्नम से निकल आयेंगे तो हुज़ूर ﷺ सबको लेकर जन्नत के दरवाज़े पर पहुंचेंगे और उसे खुलवायेंगे और गिरोह दर गिरोह मुसलमान जन्नत में जाना शुरू करेंगे! سبحان الله
📕 बा - हवाला ↬ अहवाले बरज़ख,सफह 211-212
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आसारे कयामत (Part -99)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
हश्र का बयान :
इससे पहले कि मैं जन्नत के बारे में बयान शुरू करूं बेहतर समझता हूं कि पहले उस घर का ज़िक्र किया जाये जो पीछे छूट आया है और जिससे मुसलमान हर हाल में बचना चाहता है मगर अपने नफ़्स के ताबेअ होकर वही काम करता है जिससे ख़ुदा जल्ला शानहु व रसूल ﷺ नाराज़ होते हैं और जिसकी बिना पर वो जहन्नम का ईंधन बनेगा, मौला तआला क़ुर्आन मुक़द्दस में इरशाद फरमाता है कि :
कंज़ुल ईमान - ऐ ईमान वालो अपने आपको और अपने घर वालो को उस आग से बचाओ जिसका ईंधन इंसान और पत्थर हैं!
📕 बा - हवाला ↬ पारा 28,सूरह तहरीम,आयत 6
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आसारे कयामत (Part -100)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
दोज़ख :
*कंज़ुल ईमान* - ऐ ईमान वालो अपने आपको और अपने घर वालो को उस आग से बचाओ जिसका ईंधन इंसान और पत्थर हैं!
📕 पारा 28,सूरह तहरीम,आयत 6
जब हमारा कोई अज़ीज़ घर से बाहर जाता है तो हम क्या करते हैं उसे तअक़ीद करते हैं कि देखो संभल कर जाना, गाड़ी धीरे चलाना, उस रास्ते से मत जाना धूप बहुत तेज़ है सर ढ़क कर जाना वग़ैरह वग़ैरह, हम ये सब क्यों करते हैं क्योंकि हम उससे प्यार करते हैं वो हमारा अज़ीज़ है उसकी फिक्र करना हमारी ज़िम्मेदारी है, यहां तक कि बात समझ मे आ गई हो तो,
आईये उस आयत की तरफ लौटते हैं अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त जहन्नम से बचने के लिए फरमा रहा है किससे फरमा रहा है अपने सारे बन्दों को नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ मुसलमानों को, और वो भी किस प्यारे अन्दाज़ से कि ऐ ईमान वालों" क़ुर्बान जाईये अपने रब पर कि वो हमसे मुहब्बत करता है जब ही तो हमारी फिक्र कर रहा है, वरना उसे क्या है अगर सारी दुनिया भी उसकी इबादत में लग जाए तो क्या उसकी अज़मतों बुलंदी को ज़र्रा बराबर भी बढ़ा पायेगी हरगिज़ नहीं और अगर सारी दुनिया भी मिलकर उसकी नाफरमानी करने लग जाए तो क्या उसका ज़र्रा बराबर भी कुछ बिगाड़ लेगी हरगिज़ नहीं!
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आसारे कयामत (Part -101)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
दोज़ख :
कौन जन्नत में जाता है और कौन जहन्नम में इससे उसे कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन... लेकिन... लेकिन... अगर मुसलमान जहन्नम में जायेगा तो उसके महबूब ﷺ को तकलीफ होगी और उसके महबूब को तकलीफ हो ये उसे हरगिज़ गवारा नहीं सिर्फ इसलिये हमें उस आग से बचने को कह रहा है, तो ऐ मोमिनो ज़रा सोचिये कि जब हमारा रब अपने महबूब ﷺ की खातिर हमसे इतनी मुहब्बत करता है तो क्या हमें ये ज़ेब देता है कि हम उसकी नाफरमानी करें उसके खिलाफ जायें उसकी नाशुक्री करें और उसके महबूब ﷺ को तकलीफ पहुचांये और वो भी अपनी ही जानों पर ज़ुल्म करके कि अगर हम उसकी नाफरमानी करेंगे तो नुक्सान तो हमारा ही होगा हम खुद ही उस आग का ईंधन बन जायेंगे यानि जहन्नम में झोंक दिये जायेंगे!
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आसारे कयामत (Part -102)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
दोज़ख :
हमारा प्यारा रब जिस आग से हमें बचने के लिए फरमा रहा है आईये उसके बारे में भी कुछ जान लें कि आखिर वो है क्या,
*फुक़्हा* - ये एक मकान है जो काफिरों और नाफरमानो के लिए बनाया गया है ये अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त के जलाल व क़हर का मज़हर है, जिस तरह उसकी रहमत की इन्तिहा नहीं उसी तरह उसके क़हरो गज़ब की भी कोई हद नहीं!
📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 1,सफह 48
*हदीस* - क़यामत के दिन दोज़ख को 7वी ज़मीन के नीचे से खींचकर इस तरह लाया जायेगा कि उसकी 70000 लगामें होंगी और हर लगाम को 70000 फरिश्ते खींच रहे होंगे और इसी तरह उसे अर्श की बाईं जानिब ला कर रखा जायेगा!
📕 तिर्मिज़ी,जिल्द 2,सफह 197
📕 तकमीलुल ईमान,सफह 24
📕 उम्दतुल क़ारी,जिल्द 7,सफह 269
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आसारे कयामत (Part -103)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
दोज़ख :
*हदीस* - उसकी एक गर्दन होगी उसकी आंख होगी जिससे देखेगी दो कान होंगे जिससे सुनेगी और ज़बान होगी जिससे वो बोलेगी कि मैं 3 किस्म के शख्सों पर मुसल्लत की गई हूं 1.घमण्डी 2.मुश्रिक और 3.तस्वीर बनाने वालों पर!
📕 तिर्मिज़ी,जिल्द 2,सफह 197
*कंज़ुल ईमान* - उसके 7 दरवाज़े हैं हर दरवाज़े के लिए उनमें से एक हिस्सा बटा हुआ है!
📕 पारा 14,सूरह हजर,आयत 44
मगर फुक़्हा दरवाज़े से मुराद उसके 7 तबक़ात लेते हैं जैसा कि दूसरी जगह इरशाद है :
*कंज़ुल ईमान* - बेशक मुनाफिक़ दोज़ख के सबसे नीचे तबक़े में है!
📕 पारा 5,सूरह निसा,आयत 145
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आसारे कयामत (Part -104)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
दोज़ख :
मौला अली رضى الله تعالیٰ عنه की एक रिवायत के मुताबिक़ दोज़ख के दरवाज़े ऊपर से नीचे की जानिब हैं, इससे पता चलता है कि दरवाज़े तो 7 ही हैं मगर उन 7 तबकों के लिए अलग अलग है, आईये उन तबकों की तारीफ भी जान लेते हैं,
*1. जहन्नम :-* ये सबसे ऊपर का तबक़ा है इसमें गुनहगार मुसलमान डाले जायेंगे!
*2. सईर :-* ईसाईओं के लिए है,
*3. हुत्मा :-* यहूदियों के लिए,
*4. लज़्ज़ी :-* इब्लीस और उसके ताबेदारों के लिए,
*5. सक़र :-* चांद सूरज सितारों की पूजा करने वालों के लिए,
*6. जहीम :-* तमाम कुफ्फार व मुशरेकीन के लिए,
*7. हाविया :-* मुनाफेक़ीन व फिरऔनियों के लिए!
📕 दक़ाइक़ुल अखबार,सफह 35
📕 खज़ाईनुल इरफान,सफह 382
اَللّٰهُمَّ اَجِرْنِىْ مِنَ النَّارِ
اَللّٰهُمَّ اَجِرْنِىْ مِنَ النَّارِ
اَللّٰهُمَّ اَجِرْنِىْ مِنَ النَّارِ
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आसारे कयामत (Part -105)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
दोज़ख :
*हदीस* - दोज़ख को 1000 साल तक धौंकाया गया तो उसकी आग सुर्ख हो गयी फिर उसे 1000 साल तक धौंकाया गया तो उसकी आग सफेद हो गयी फिर उसे 1000 साल तक धौंकाया गया तो उसकी आग सियाह यानि काली हो गयी तो अब दोज़ख सियाह है (यानि वहां आग तो है मगर रौशनी नहीं है बस अंधेरा ही अंधेरा है)!
📕 तिर्मिज़ी,जिल्द 2,सफह 204
*हदीस* - जहन्नम इतनी गहरी है कि अगर एक बड़ी चट्टान दोज़ख में फेंकी जाये तो उसे तह तक पहुंचने में 70 साल लग जायेंगे!
📕 तिर्मिज़ी,जिल्द 2,सफह 198
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आसारे कयामत (Part -106)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
दोज़ख :
फुक़्हा - अगर जहन्नम को सुई के नाके के बराबर खोल दिया जाये तो दुनिया वाले उसकी गर्मी से मर जायें और जहन्नम की कुछ वादियां ऐसी है कि खुद जहन्नम भी उनसे पनाह मांगा करता है!
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 1,सफह 49
हदीस - बुखारी शरीफ की हदीस है कि जहन्नम में सबसे हल्का अज़ाब अबु तालिब को दिया जायेगा इस तरह कि उनको सिर्फ आग की जूतियां पहनाई जायेगी जिससे कि उनका भेजा खौलता रहेगा!
📕 मिश्कात,जिल्द 2,सफह 502
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आसारे कयामत (Part -107)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
दोज़ख :
*रिवायत* - हुज़ूर ﷺ इरशाद फरमाते हैं कि दोज़ख ने रब की बारगाह में शिकायत की कि उसकी तेज़ी बहुत बढ़ गयी है सो उसके कुछ हिस्से कुछ हिस्सों को खा गये चुनांचे मौला तआला ने उसे साल में 2 बार सांस लेने की इजाज़त दी जब सांस छोड़ती है तो गर्मी बढ़ जाती है और जब सांस खींचती है तो ठंडक,बअज़ उल्मा जैसे हज़रत अब्दुल अज़ीज़ दब्बाग़ رحمتہ اللہ تعالیٰ علیہ फरमाते हैं कि जहन्नम में सिर्फ गर्मी का अज़ाब ही नहीं है बल्कि वहां ठंडक का भी अज़ाब है क्योंकि शैतान और जिन्न दोनों की तबियत आग से है लिहाज़ा उनको आग का नहीं सर्दी का अज़ाब होगा!
📕 अहवाले बरज़ख,सफह 53
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आसारे कयामत (Part -108)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
दोज़ख :
*कंज़ुल ईमान* - उस पर (दोज़ख में) 19 दारोगा हैं!
📕 पारा 29,सूरह मुदस्सिर,आयत 30
*कंज़ुल ईमान* - और उनके लिए लोहे के गुर्ज़ हैं!
📕 पारा 17,सूरह हज,आयत 21
*फुक़्हा* - दोज़ख में अज़ाब के लिए 19 फरिश्ते हैं उनके सरदार का नाम मालिक है बाक़ी को रब्बानिया कहा जाता है उनमें से हर एक का क़द 100 साल की राह जितना बड़ा है और जहन्नमियों को मारने के लिए उनके पास जो गुर्ज यानि हथौड़ा होगा उसके 1 ज़र्ब में 7 लाख आदमी रेज़ा रेज़ा हो जायेंगे! الله اکبر
📕 तफ़्सीरे नईमी,जिल्द 1,सफह 44/179
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आसारे कयामत (Part -109)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
दोज़ख :
रिवायत - और मुसनद अहमद की हदीस है कि अगर वो गुर्ज़ ज़मीन पर रख दिया जाये तो तमाम जिन्नात और इंसान मिलकर भी उसे उठा नहीं सकते!
📕 अहवाले बरज़ख,सफह 67
फुक़्हा - दोज़ख में सबसे पहले क़ाबील को डाला जायेगा!
📕 रुहुल बयान,जिल्द 1,सफह 556
फुक़्हा - जहन्नम में बड़े बड़े ऊंटो की तरह सांप और बिच्छु होंगे और उनके ज़हर का ये आलम होगा कि अगर एक बार काट लें तो 1000 साल तक उसकी तकलीफ होती रहेगी! الله اکبر 😢
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 1,सफह 50
📕 अहवाले बरज़ख,सफह 60
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आसारे कयामत (Part -110)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
दोज़ख :
वहां ना तो मौत आयेगी और ना ही कभी अज़ाब हल्का होगा जैसा कि क़ुर्आन में इरशाद हुआ कि,
कंज़ुल ईमान - और जिन्होंने कुफ्र किया उनके लिए जहन्नम की आग है, ना उनको मौत आये कि मर जायें और ना उन पर कुछ अज़ाब हल्का किया जाये!
📕 पारा 22,सूरह फातिर,आयत 36
कंज़ुल ईमान - जिस दिन हम जहन्नम से फरमायेंगे कि क्या तू भर गयी वो अर्ज़ करेगी कुछ और ज़्यादा हैं!
📕 पारा 26,सूरह क़ाफ,आयत 30
यानि मौला जहन्नमियों को जहन्नम में भेजता रहेगा और वो *هَلْ مِنْ مَّزِیْدٍ* यानि क्या कुछ और भी हैं" यही कहती जायेगी जब सारे जहन्नमी जहन्नम में पहुंच जायेंगे और वो यही कहेगी तो मौला तआला उस में (अपनी शान के लाइक़) अपना क़दम रख देगा फ़िर जहन्नम का एक हिस्सा दूसरे हिस्से से मिल जाएगा और वो अर्ज़ करेगी बस-बस तेरी इज़्ज़त और तेरे करम कि क़सम!
اَللّٰهُمَّ اَجِرْنِىْ مِنَ النَّار , اَللّٰهُمَّ اَجِرْنِىْ مِنَ النَّار , اَللّٰهُمَّ اَجِرْنِىْ مِنَ النَّار
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आसारे कयामत (Part -111)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
दोज़ख :
कंज़ुल ईमान - उनके लिए कुछ खाना नहीं मगर आग के कांटे कि ना फरबही लायें और ना भूख में काम दें!
📕 पारा 30,सूरह ग़ाशिया,आयत 6-7
रिवायत - साहिबे मिरकात लिखते हैं कि ज़रीअ हिजाज़ में एक कांटेदार दरख़्त का नाम है जिसकी खबासत यानि बे मज़ा और बदबूदार होने की वजह से जानवर भी उसके पास नहीं फटकते और अगर जानवर खा ले तो फौरन मर जायें, आगे लिखते हैं मगर यहां ज़रीअ से आग के कांटे मुराद है जो अलुवे से ज़्यादा कड़वे मुर्दा से ज़्यादा बदबूदार और आग से ज़्यादा गर्म होंगे अव्वल तो उसे खाया नहीं जा सकता और अगर भूख की वजह से खा लिया तब भी भूख दूर ना होगी और शदीद तकलीफ देगा!
📕 अहवाले बरज़ख,सफह 62
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आसारे कयामत (Part -112)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
दोज़ख :
कंज़ुल ईमान - और ना कुछ खाने को मगर दोज़खियों का पीप!
📕 पारा 29,सूरह हाक़्क़ा,आयत 36
हदीस - हुज़ूर ﷺ इरशाद फरमाते हैं कि दोज़खियों को उन्ही का पीप यानि खून और मवाद मिला हुआ पिलाया जायेगा पहले तो उसे ना पसंद करेगा मगर भूख और प्यास की वजह से जब मुंह के क़रीब करेगा तो मुंह जल भुन जायेगा और उसके सर की खाल उसमें गिर पड़ेगी और जब पियेगा तो वो आंतो को चीरता हुआ निकल जायेगा!
📕 तिर्मिज़ी,जिल्द 2,सफह 200
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आसारे कयामत (Part -113)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
दोज़ख :
हदीस - हुज़ूर ﷺ इरशाद फरमाते हैं कि जहन्नमियों की पीप का एक डोल अगर दुनिया में डाल दिया जाये तो पूरी दुनिया बदबू से भर जायेगी!
📕 तिर्मिज़ी,जिल्द 2,सफह 201
कंज़ुल ईमान - बेशक थूहड़ का पेड़.गुनहगारों की खुराक है.गले हुए तांबे की तरह पेट में जोश मारता है.जैसा खौलता पानी जोश मारे!
📕 पारा 25,सूरह दुखान,आयत 43-46
कंज़ुल ईमान - ज़रूर थूहड़ के पेड़ में से खाओगे.फिर उससे पेट भरोगे.फिर उस पर खौलता पानी पियोगे!
📕 पारा 27,सूरह वाक़िया,आयत 52-54
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आसारे कयामत (Part -114)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
दोज़ख :
कंज़ुल ईमान - बेशक वो एक पेड़ है जहन्नम की जड़ से निकलता है. उसका शगूफा जैसे देवों के सर. फिर बेशक वो उसमे से खायेंगे और उससे पेट भरेंगे. फिर बेशक उनके लिए उस पर खौलते पानी की मलूनी है!
📕 पारा 23,सूरह साफ़्फ़ात,आयत 64-67
हदीस - हुज़ूर ﷺ इरशाद फरमाते हैं कि अगर ज़क़्क़ूम यानि थूहड़ का एक क़तरा दुनिया में टपका दिया जाये तो वो यकीनी तौर पर दुनिया के तमाम खाने को बिगाड़ डाले यानि सब कड़वे हो जायेंगे!
📕 अहवाले बरज़ख,सफह 63
कंज़ुल ईमान - मगर खौलता पानी और दोज़खियों का पीप.जैसे को तैसा बदला!
📕 पारा 30,सूरह नबा,आयत 25-26
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आसारे कयामत (Part -115)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
दोज़ख :
रिवायत - ग़स्साक क्या है इसके बारे में बुज़ुर्गाने दीन फरमाते हैं कि या तो दोज़खियों की सड़ी हुई पीप और उनका धोवन है या उनके आंसू हैं बहर हाल जो भी हो ग़स्साक एक बहुत बुरी चीज़ है फरमाते हैं कि अगर ग़स्साक का एक डोल दुनिया में डाल दिया जाये तो तमाम दुनिया वाले सड़ जायें!
📕 अहवाले बरज़ख,सफह 64
कंज़ुल ईमान - उनकी फरियाद रसी होगी उस पानी से जो खौलते हुए धात की तरह है कि उनके मुंह भून देगा, क्या ही बुरा पीना है और दोज़ख क्या ही बुरी ठहरने की जगह!
📕 पारा 15,सूरह कहफ,आयत 29
कंज़ुल ईमान - और उसे पीप का पानी पिलाया जायेगा. बा मुश्किल उसका थोडा थोडा घूंट लेगा और गले से नीचे उतारने की उम्मीद ना होगी, और उसे लगेगा कि हर तरफ से मौत आयेगी और मरेगा नहीं !
📕 पारा 13,सूरह इब्राहीम,आयत 17
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आसारे कयामत (Part -116)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
दोज़ख :
कंज़ुल ईमान : और उनके सरों पर खौलता पानी डाला जायेगा. जिससे गल जायेगा जो कुछ उनके पेटो में है और उनकी खालें!
📕 पारा 17,सूरह हज,आयत 19-20
कंज़ुल ईमान - और उन्हें खौलता हुआ पानी पिलाया जायेगा जो उनकी आंतों के टुकड़े टुकड़े कर देगा!
📕 पारा 26,सूरह मुहम्मद,आयत 15
कंज़ुल ईमान - और गले में फंसता खाना और दर्दनाक अज़ाब!
📕 पारा 27,सूरह मुज़म्मिल,आयत 13
اَللّٰهُمَّ اَجِرْنِىْ مِنَ النَّار , اَللّٰهُمَّ اَجِرْنِىْ مِنَ النَّار , اَللّٰهُمَّ اَجِرْنِىْ مِنَ النَّار
🤲🏻 हज़ारों लाखों करोड़ो अरबों खरबों बार अल्लाह की पनाह, मौला तआला हमें अपने फज़्लो करम से व अपने महबूब करीम ﷺ के सदक़े व तुफैल से एक आन के लिए भी उस घर में ना भेज जो तूने काफिरों के लिए तैयार किया है آمین آمین ثم آمین یا رب العٰلمین
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आसारे कयामत (Part -117)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
दोज़ख :
दोज़ख में जाना ही क्या कम अज़ाब होगा उस पर ये कि अलग अलग तरीकों से भी उसे अज़ाब दिया जायेगा, अज़ाब की चंद झलकियां पिछली पोस्ट में आपने पढ़ी अब कुछ ऐसे शख्स जिनको अज़ाब दिया जायेगा उनके बारे में पढ़िये!
इल्म छिपाने वाले - हुज़ूर ﷺ इरशाद फरमाते हैं कि अगर किसी को किसी बात का इल्म है और उससे किसी ने पूछा और उसने ना बताया तो उसके मुंह में आग की लगाम लगायी जायेगी! الله اکبر
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आसारे कयामत (Part -118)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
दोज़ख :
नशा खोर - हुज़ूर ﷺ इरशाद फरमाते हैं कि मेरे रब ने अपनी इज़्ज़त की क़सम खाई है कि जो कोई दुनिया में शराब का एक घूंट पियेगा मैं उसे जहन्नम में उतनी ही पीप पिलाऊंगा!
*बे अमल वाईज़* - हुज़ूर ﷺ इरशाद फरमाते हैं कि मेअराज की रात मैंने देखा कि कुछ लोगों के होंठ आग की कैंचियों से काटे जा रहे हैं मैंने पूछा ये कौन लोग हैं तो बताया गया कि ये बे अमल वायेजीन हैं दूसरी जगह इरशाद फरमाया कि एक शख्स को जहन्नम में डाला जायेगा जिससे उसकी अंतड़ियां बाहर निकलकर गिर जायेगी और वो अपनी अंतड़ियों के साथ घूमता रहेगा कुछ लोग उसके पास आयेंगे और कहेंगे कि तू तो दुनिया में हमें भलाई सिखाता था और बुराई से रोकता था तेरा ये अन्जाम क्यों हुआ तो कहेगा बेशक मैं तुमको नेकी करने को कहता था पर खुद ना करता था और तुमको गुनाहों से मना करता और खुद करता था!
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आसारे कयामत (Part -119)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
दोज़ख :
सोने चांदी के बर्तन इस्तेमाल करने वाले : हुज़ूर ﷺ इरशाद फरमाते हैं कि जिसने सोने चांदी के बर्तन में खाना खाया तो उतना हिस्सा जहन्नम की आग से भरा जायेगा!
तस्वीर बनाने वाले : हुज़ूर ﷺ इरशाद फरमाते हैं कि जहन्नम में सबसे भारी अज़ाब जानदार की तस्वीर बनाने वालों को होगा वो इस तरह कि उसकी बनाई हुई हर तस्वीर उसे अज़ाब देगी!
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आसारे कयामत (Part -120)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
दोज़ख :
ख़ुदकुशी करने वाले : हुज़ूर ﷺ इरशाद फरमाते हैं कि जिसने जिस तरह अपनी ज़िन्दगी खत्म की होगी तो हमेशा हमेश उसी तरह अज़ाब पाता रहेगा मसलन अगर किसी ने पहाड़ से गिरकर जान दी तो हमेशा वो पहाड़ से गिरता रहेगा जिसने ज़हर पिया वो हमेशा ज़हर पीता रहेगा!
घमंडी : हुज़ूर ﷺ इरशाद फरमाते हैं कि जहन्नम में एक जेल खाना है जिसको बोल्स कहा जाता है इसमें आग ही आग भरी होगी इसमें मुतकब्बिरों को डाला जायेगा जो कि चूंटियों के बराबर जिस्मों के साथ उठेंगे मगर सूरत उनकी ही होगी!
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आसारे कयामत (Part -121)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
दोज़ख :
रियाकार आबिद - हुज़ूर ﷺ इरशाद फरमाते हैं कि जहन्नम में एक वादी है जिससे खुद जहन्नम भी रोज़ाना 400 बार पनाह मांगा करता है उसमे उन लोगों को डाला जायेगा जो अपने आमाल का दिखावा करते हैं!
📕 अहवाले बरज़ख,सफह 68-70
हदीस - हुज़ूर ﷺ इरशाद फरमाते हैं कि मैंने जन्नत में नज़र डाली तो अक्सर गरीबों को पाया और जहन्नम में देखा तो ज़्यादातर मालदार व औरतों को पाया!
📕 मुसनद अहमद,जिल्द 1,सफह 234
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आसारे कयामत (Part -122)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
दोज़ख :
मालदारों और गरीबों का समझना तो आसान है कि ज़्यादातर ग़रीब हज़रात अल्लाह व उसके रसूल ﷺ के दीन की तरफ माईल दिखते हैं और मालदार ज़्यादातर दौलत कमाने के चक्कर में हलालो हराम की तमीज़ तक भूल जाते हैं और उनका यही माल वबाल बन जाता है दुनिया में भी और आखिरत में भी,
दुनिया में इस तरह कि खुद मेरे इल्म में है कि एक शख़्स के 12 मकान थे और उनके 3 बेटे थे मगर जब उनका इंतेक़ाल हुआ तो वो बेटे अपने बाप को दफन करने की बजाये मकान के बटवारे में लगे थे हत्ता कि क़ब्रिस्तान तक यही हाल रहा معاذ الله,और आखिरत में इस तरह कि अगर नेकोकार हुआ भी तब ही हदीसे पाक में आता है कि अपने माल का हिसाब देते देते 500 साल गुज़र जायेंगे और ग़रीब जन्नत में जा चुका होगा और अगर बदकार है तो जहन्नम का हक़दार, खैर इसका मतलब ये नहीं कि गरीब है तो जन्नती है और अमीर है तो जहन्नमी नहीं बल्कि वही कि अक्सर ऐसा ही होता है वरना अगर गरीब बे अमल है तो यक़ीनन जहन्नमी है और अमीर बा अमल है तो बेशक जन्नती!
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आसारे कयामत (Part -123)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
दोज़ख :
और औरतों को जो फरमाया गया तो इसकी एक बड़ी वजह ये है कि वो नाशुक्री बहुत करती है जिसकी वजह से उनकी नेकियां उनके गुनाहों के नीचे दब जाती हैं और बिल आख़िर जहन्नम की हक़दार, और अगर औरत जाहिल है तब तो अल्लाह की पनाह क्योंकि फिर तो वो इस कहावत पर सटीक बैठेगी कि "एक तो करैला ऊपर से नीम चढ़ा" यानि अव्वल तो नाकिसुल अक़्ल ठहरी ऊपर से जाहिल भी और ऐसी औरतों को आज कल ढूंढना कोई मुश्किल काम नहीं जहां नज़र उठाईये इनकी ही अक्सरियत दिखाई देती हैं,
परदे में इन्हें रखना मुसीबत बन चुका है पुलिस केस कर सकती है चाहे उसका बाप उसका भाई या फिर उसका शौहर ही क्यों ना जेल चला जाये और अगर केस नहीं करती तब तो घर को ही मैदाने जंग बना डालेंगी, और अब तो इन जाहिल औरतों को मर्दों की इमामत करना है इनको मस्जिद में आ कर मर्दों के साथ नमाज़ पढ़ना है इनको बे पर्दा घूमना है और सोने चांदी से तो इतनी मुहब्बत है कि मर्द चाहे चोरी करे डाका डाले किसी का माल ग़सब करले पर इनकी ख्वाहिश पूरी करे, तो इनके इस रवैये की वजह से इन्हें दुनिया में तो वो सब मिल ही जायेगा जो ये चाह रही हैं मगर आखिरत में वही होगा जो मेरा आक़ा ﷺ फरमा रहे हैं कि जहन्नम में औरत ज़्यादा होगी!
*☝🏻लिहाज़ा ❗* जो मेरी मां बहने अपनी आखिरत नहीं बिगाड़ना चाहती तो वो अपना वो ही दर्जा मांगे जो उन्हें अल्लाह व रसूल ﷺ ने दिया है उससे ज़्यादा नहीं!
اَللّٰهُمَّ اَجِرْنِىْ مِنَ النَّار , اَللّٰهُمَّ اَجِرْنِىْ مِنَ النَّار , اَللّٰهُمَّ اَجِرْنِىْ مِنَ النَّار
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आसारे कयामत (Part -124)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
दोज़ख :
कंज़ुल ईमान - और जिन्होंने बुराईयां कमाई तो बुराई का बदला उसी जैसा, और उन पर ज़िल्लत चढेगी उन्हें अल्लाह से बचाने वाला कोई ना होगा, गोया उनके चेहरों पर अंधेरी रात के टुकड़े चढ़ा दिये हैं!
📕 पारा 11,सूरह यूनुस,आयत 27
कंज़ुल ईमान - और उनके मुंह पर आग लपट मारेगी और वो उसमें मुंह चिड़ाये होंगे (बिगड़े होंगे)!
📕 पारा 18,सूरह मोमेनून,आयत 104
हदीस - हुज़ूर ﷺ इरशाद फरमाते हैं कि काफ़िर को दोज़ख की आग इतना जलायेगी कि उसका जिस्म फूल कर बहुत मोटा हो जायेगा यहां तक कि उसके जिस्म की मुसाफत 3 दीन की राह हो जायेगी उसकी खाल 42 गज़ मोटी उसकी दाढ़ उहद पहाड़ के बराबर उसकी ज़बान 6 मील तक बाहर निकल आयेगी उसके ऊपर का होंठ सिकुड़ कर ऊपर सर तक और नीचे का होंठ लटक कर नाफ तक पहुंच जायेगा!
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आसारे कयामत (Part -125)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
दोज़ख :
रिवायत - दोज़खी इस क़दर रोयेंगे कि उनके आंसुओं में कश्तियां चल सकेंगी!
📕 अहवाले बरज़ख़,सफह 78
कंज़ुल ईमान - बेशक मुजरिम लोग (काफिर) ईमान वालो पर हंसा करते थे (दुनिया में) तो आज ईमान वाले काफिरो पर हँसते हैं तख्तों पर बैठे देखते हैं!
📕 पारा 30, सूरह मुतफ्फिफीन, आयत 29-35
रिवायत - तफ़्सीर दुर्रे मन्सूर में हज़रते क़तादह رضى الله تعالیٰ عنه की रिवायत है कि जन्नत में झरोखे यानि खिड़कियां होंगी जिनसे कि वो जहन्नमियों के हालात को देखा करेंगे और जिस तरह दुनिया में काफिर उनकी हंसी उड़ाते थे आज वो उन काफिरों पर हंसी उड़ायेंगे!
📕 अहवाले बरज़ख़,सफह 86
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आसारे कयामत (Part -126)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
दोज़ख :
पिछली 26 पोस्टों में आपने दोज़ख के हालात को मुलाहज़ा फरमाया, कहने को तो ये सारी बातें किताबों में लिखी हुई हैं हो सकता है कि पढ़ने वाले पर असर ना करे लेकिन अगर ईमानी नज़रों से देखें तो ये काफ़िरों और बअज़ मुसलमानों का हाल है, कल क्या होने वाला है ये हमारे नबी ﷺ हमको पहले से ही बता चुके हैं लिहाज़ा इसे आम किस्से कहानियों की तरह ना पढ़कर बल्कि अपनी इस्लाह के तौर पर पढ़ें तो ان شاء الله عزوجل गुनाहों से बाज़ रहेंगे और आख़िरत की तैयारी करने में भी लग जायेंगे!
रिवायत - हुज़ूर ﷺ इरशाद फरमाते हैं कि दोज़ख लज़्ज़तो में छिपा है और जन्नत परेशानियों में!
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आसारे कयामत (Part -127)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
दोज़ख :
रिवायत - एक मर्तबा हुज़ूर ﷺ ने हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम से पूछा कि मैंने कभी हज़रत मीकाईल को हंसते हुए नहीं देखा तो हज़रत जिब्रील कहते हैं कि जबसे दोज़ख पैदा की गयी है मीकाईल नहीं हंसे!
रिवायत - हुज़ूर ﷺ इरशाद फरमाते हैं कि खुदा की कसम अगर तुमने वो मंज़र देखा होता जो मैंने देखा है तो ज़रूर तुम कम हंसते और बहुत रोते तो सहाबा ने पूछा कि आपने क्या देखा है तो आप ﷺ फरमाते हैं कि मैंने जन्नत और दोज़ख देखी है!
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आसारे कयामत (Part -128)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
दोज़ख :
रिवायत - हज़रत यहया बिन मुआज़ رضى الله تعالیٰ عنه फरमाते हैं कि लोग तंगदस्ती से जितना डरते हैं अगर उतना जहन्नम से डरते तो सीधा जन्नत में जाते और हज़रत मुहम्मद बिन मुकदिर رضى الله تعالیٰ عنه जब भी रोते तो अपने आंसुओं से अपना चेहरा और दाढ़ी तर कर लेते लोगों ने इसकी वजह पूछी तो फरमाया कि मैंने सुना है की ख़ौफ़े ख़ुदा की वजह से जो आंसू बहेंगे तो जहां जहां वो पहुंचेंगे वो जगह जहन्नम में नहीं जलेगी! سبحان الله
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आसारे कयामत (Part -129)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
दोज़ख :
रिवायत - हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि जो कोई तीन बार जहन्नम से पनाह मांगे तो जहन्नम रब की बारगाह में अर्ज़ करती है कि ऐ मौला इसे मुझसे महफूज़ रख, और फरमाते हैं कि जो कोई तीन बार जन्नत की दुआ करे तो जन्नत उसके लिए रब की बारगाह में अर्ज़ करती है कि ऐ मौला इसे जन्नत में दाखिल फरमा! سبحان الله
📕 अहवाले बरज़ख़,सफह 86-91
اَللّٰهُمَّ اَجِرْنِىْ مِنَ النَّار , اَللّٰهُمَّ اَجِرْنِىْ مِنَ النَّار , اَللّٰهُمَّ اَجِرْنِىْ مِنَ النَّار
اَللّٰھُمَّ اَدْخِلْہُ الجَنَّۃ , اَللّٰھُمَّ اَدْخِلْہُ الجَنَّۃ , اَللّٰھُمَّ اَدْخِلْہُ الجَنَّۃ
آمین آمین ثم آمین یا رب العٰلمین
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आसारे कयामत (Part -130)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
जन्नत :
जिस तरह काफ़िरों व नाफरमानों को सज़ा देने के लिए जहन्नम बनाई गयी उसी तरह ईमान वालों को इन'आम व जज़ा देने के लिए अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने जन्नत तैयार फरमाई, ये एक ऐसा आलीशान मकान है जिसको ना किसी आँख ने देखा और ना किसी कान ने सुना और ना उसकी नेअमतों का खतरा ही किसी दिल पर गुज़रा!
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आसारे कयामत (Part -131)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
जन्नत :
जन्नत के आठ तबके हैं :
*1.जन्नतुल फिरदौस* - ये मोती की है इसकी दीवारों की एक ईंट सोने की एक चांदी की एक याक़ूत की और एक ज़ब्र जद की और इसका गारा खालिस मुश्क का है!
*2.जन्नते अद्न* - इसमें तमाम चीज़ें ज़ब्र जद की हैं!
*3.जन्नतुल मावा* - ये खालिस सोने की है!
*4.दारूल खुल्द* - ये खालिस चांदी की है!
*5.दारुस सलाम* - इसमें तमाम चीज़ें याक़ूत व अहमर की है!
*6.दारुल जलाल* - ये पूरा नूर ही नूर है!
*7.दारूल क़रार* - इसमें तमाम चीज़ें मरजान की है!
*8.जन्नते नईम* - ये भी ज़ब्र जद की है!
📕 तफसीर रूहुल बयान,जिल्द 1,सफह 56
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आसारे कयामत (Part -132)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
जन्नत :
जन्नत के 100 दर्जे हैं और हर दर्जे के दरमियान ज़मीनों आसमान के बराबर मुसाफत है रहा ये कि खुद उस दर्जे की क्या मुसाफत है तो एक रिवायत में आता है कि तमाम आलम अगर एक दर्जे में रखा जाये तो सबके लिए काफी हो जायेगा, एक दूसरी रिवायत के मुताबिक क़ुरआन के जितने हुरूफ़ हैं जन्नत के उतने ही दरजात हैं!
📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 1,सफह 44
📕 अलइतकान,जिल्द 1,सफह 89
जन्नत व जहन्नम में पहले जन्नत पैदा की गई!
📕 ज़रक़ानी,जिल्द 1,सफह 46
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आसारे कयामत (Part -133)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
जन्नत :
जन्नत सातवें आसमान के ऊपर और अर्शे आज़म के नीचे है!
📕 तफसीरे अज़ीज़ी,पारा 30, सूरह 12
📕 तफसीरे कबीर,जिल्द 8,सफह 97
जन्नत के दरोगा का नाम रिज़वान और जहन्नम के दरोगा का नाम मालिक है!
📕 ज़रक़ानी,जिल्द 6,सफह 82
जन्नत में सबसे पहले दाखिल होने वाले नबियों में हमारे और आपके आक़ा हुज़ूर ﷺ और आखिर में हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम होंगे क्योंकि आप सबसे ज़्यादा तवंगर यानि मालदार थे, और सहाबी में सबसे पहले हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ رضى الله تعالیٰ عنه और आखिर में हज़रत अब्दुर रहमान बिन औफ رضى الله تعالیٰ عنه होंगे, औरतों में सबसे पहले खातूने जन्नत सय्यदह फातिमातुत ज़ुहरा رضى الله تعالیٰ عنها दाखिल होंगी!
📕 मदारेजुन नुबुव्वत,जिल्द 1,सफह 478-496
📕 कीमियाये सआदत, सफह 794
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आसारे कयामत (Part -134)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
जन्नत :
सबसे अदना जन्नती को जन्नत में दुनिया के जैसी 10 गुना जगह 80000 गुलाम और 72 बीवियां मिलेगी, मर्दों की उम्र हमेशा 33 साल और औरतों की 18 होगी, वहां न कभी बूढ़े होंगे न बीमार होंगे और न ही कभी मौत आयेगी!
📕 तिर्मिज़ी शरीफ,जिल्द 1,सफह 83
📕 बहारे शरियत,हिस्सा 1,सफह 46
📕 तफसीरे अज़ीज़ी,पारा 30
बिला शुबह ये सारी नेअमतें हम सुन्नियों के लिए ही है बस हम ईमान पर इस दुनिया को छोड़ जायें और अगर معاذ الله ईमान गया तो आखिरत की सारी नेअमतें भी छिन जायेगी क्योंकि एक मुसलमान चाहे कितना ही बड़ा गुनहगार हो अपने किए की सज़ा पा कर आखिर में जन्नत में जायेगा ही, मगर काफिर व मुनाफ़िक़ हमेशा जहन्नम में ही रहेंगे लिहाज़ा इस ज़माने में मसलके आला हज़रत ही अहले सुन्नत वल जमाअत की सही पहचान है जो इस रास्ते से हट गया तो समझ लीजिए कि वो जन्नत के रास्ते से हट गया अब अगर जन्नत की ख्वाहिश है तो सख़ती के साथ मसलके आला हज़रत पर क़ायम रहें!
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आसारे कयामत (Part -135)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
जन्नत :
जन्नतियों की 120 सफें होंगी जिनमे से 80 उम्मते मुहम्मदिया की और 40 सफ दीग़र अम्बिया अलैहिस्सलाम की होगी, दाखिले के वक़्त सबका क़द हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के कद के बराबर यानि 60 हाथ होगा, सर पलक और भवों के इलावा कहीं और बाल वगैरह नहीं होंगे यहां तक कि किसी के दाढ़ी भी नहीं निकलेगी सिवाये 4 अम्बिया अलैहिस्सलाम के हज़रत आदम अलैहिस्सलाम हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम और हज़रत हारून अलैहिस्सलाम!
📕 मिश्कात,जिल्द 2, सफह 498
📕 तफ़सीरे अज़ीज़ी,सूरह बक़र, सफह 147,173
📕 फतावा हदीसिया,सफह 6
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आसारे कयामत (Part -136)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
जन्नत :
हदीसे पाक में आता है हुज़ूर ﷺ फरमाते हैं कि मेरी उम्मत से 70,000 लोग बिला हिसाबो किताब जन्नत में दाख़िल होंगे हर के साथ 70,0000 तुफ़ैली होंगे और रब तआला 3 जमाअते और देगा जिनकी तादाद अल्लाह व रसूल ही बेहतर जानता है यानि 4 अरब 90 करोड़ लोग तो बिला हिसाबो किताब जन्नत में दाख़िल होंगे ही बल्कि इसके अलावा 3 जमाअते और होगी, और जब ये सब जन्नत में दाखिल हो जायेंगे तब बाकियों का हिसाबो किताब शुरू होगा,
एक रिवायत में आता है कि ये वो लोग होंगे जो रातों को अपनी करवटें बिस्तरों से अलग रखते हैं यानि तहज्जुद पढ़ने वाले (अब तहज्जुद तो वही पढ़ेगा जो फर्ज़ का आदी हो और उसके जिम्मे फर्ज़ नमाज़ें बाक़ी ना हो)!
📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 1,सफह 39
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आसारे कयामत (Part -137)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
जन्नत :
जन्नतियों का पहला नाश्ता मछली की कलेजी के साथ रोटी का होगा!
📕 बुखारी,जिल्द 1,सफह 469
जन्नती औरत की खूबसूरती का ये आलम है कि अगर उनमें से कोई रात की तारीकी में दुनिया में झाँक ले तो सारी दुनिया रौशनी से भर जाए और उसकी रौशनी के आगे सूरज की रौशनी भी फीकी पड़ जाए और रूए ज़मीन खुशबु से भर जाए, और उसका दुपट्टा दुनिया की हर चीज़ से बेहतर है, अगर वो अपनी हथेली दुनिया में ज़ाहिर कर दे तो दुनिया वाले उसके हुस्न की वजह से फितने में पड़ जाएं, उनका चेहरा मिस्ल आईने के होगा कि मर्द अपनी सूरत को उनके रुखसारों में देख लेगा, अगर कोई हूर समंदर मे थूक दे तो पूरा समंदर शहद से ज़्यादा मीठा हो जाए,
सफाई का ये हाल होगा कि न उनकी नाक बहेगी न कान में रेंट होगी न थूक आएगा और वो हैज़ व निफ़ास से हमेशा के लिए पाक होंगी, रिवायत में आता है कि जब कोई दुनिया की औरत अपने शौहर को तंग करती है तो हूरे ईन में से उसकी बीवी दुनिया की औरत को मलामत करती है कि तेरा बुरा हो कि तू अपने शौहर को सताती है कि ये तेरे पास कुछ दिन रहने वाला है जबकि जल्द ही ये तुझसे जुदा होकर मेरे पास आ जायेगा!
📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 1,सफह 43-46
📕 अहवाले बरज़ख़,सफह 282
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आसारे कयामत (Part -138)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
जन्नत :
जन्नत में एक से बढ़कर एक खूबसूरत दरख़्त होंगे जिनमे से किसी का तना सोने का तो किसी का चांदी का होगा, कुछ ऐसे तवील कि अगर कोई घुड़सवार उसके तने के इर्द गिर्द चक्कर काटे तो 100 साल में भी उसका चक्कर न लगा पाये, जन्नत का वो दरख़्त जिसे रब्बे कायनात ने अपने दस्ते क़ुदरत से लगाया है उसका नाम तूबा है!
📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 1,सफह 43
📕 अलबिदाया,जिल्द 2,सफह 78
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आसारे कयामत (Part -139)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
जन्नत :
जन्नत के फलों और दीगर खाने पीने का ये आलम होगा कि इंसान के सोचते ही फौरन टहनी समेत हाज़िर हो जायेगा और अगर वो शख्स चलने लगेगा तो ये फल भी उसके पीछे पीछे चलता रहेगा जब तक कि ये उसे तोड़ न ले या फिर जाने को न कहे,
एक मर्तबा हुज़ूर ﷺ नमाज़ पढ़ते हुए कुछ लेना चाहा फिर आप पीछे हट गए नमाज़ के बाद सहाबियों ने अर्ज़ किया तो आप ﷺ फरमाते हैं कि मैंने जन्नत के फलों को तोड़ना चाहा फिर अपना ख्याल तर्क कर दिया, अगर मैं उनमें से एक खोशा तोड़ लेता तो रहती दुनिया तक तुम उसका फल खाते रहते पर वो बाक़ी रहता!
📕 अहवाले बरज़ख़,सफह 246-253
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आसारे कयामत (Part -140)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
जन्नत :
आप ﷺ हैं कि जन्नती अंगूर के एक दाने के रस से बहुत बड़ा चमड़े का डोल भरा जा सकता है,आप ﷺ फरमाते हैं कि जन्नती खजूर की गुठली 12 हाथ की लम्बाई के बराबर होगी,
वहां बेरी का एक दरख़्त होगा जिससे 72 किस्म के खाने बाहर आएंगे और हर खाने का ज़ायका एक दूसरे से जुदा होगा! سبحان الله
📕 अहवाले बरज़ख़,सफह 246-253
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आसारे कयामत (Part -141)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
जन्नत :
जन्नत में खाने पीने के बाद हाज़मे के लिए पेशाब या पखाने की हाजत न होगी बल्कि मुश्क की डकारें आएगी और खुशबूदार पसीना निकलेगा जिससे कि खाना हज़म हो जायेगा!
📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 1,सफह 45
जन्नती मर्द को 100 दुनिया के मर्दों की क़ूव्वते जिमअ हासिल होगी पर वहां नजासत व पलीदगी नहीं होगी यानि मनी व मज़ी नहीं निकलेगी जब तक चाहेंगे अपनी बीवी से सोहबत करेंगे और जब चाहेंगे अलग हो जायेंगे और दोनों ही पाक व साफ होंगे!
📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 1,सफह 45
📕 अहवाले बरज़ख़,सफह 284
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आसारे कयामत (Part -142)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
जन्नत :
जन्नत में चाँद और सूरज नहीं होंगे वहां हर वक़्त सिर्फ सुबह सादिक़ की तरह रौशनी ही रौशनी होगी, वहां नींद नहीं आयेगी क्येंकि नींद भी एक तरह की मौत है और वहां मौत का कोई काम नहीं लिहाज़ा आराम करने के वक़्त खुद बखुद पर्दे लटक जाया करेंगे कि ये आराम का वक़्त है और जब पर्दे उठ जायेंगे तो लोग समझ जायेंगे कि ये सैरो तफ़रीह का वक़्त है!
📕 जलालैन हाशिया,सफह 258
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आसारे कयामत (Part -143)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
जन्नत :
जैसा कि मैं पिछली पोस्ट में बता चुका कि वहां सबका क़द 60 हाथ का होगा अगर 1 हाथ की लम्बाई 1.5 फिट भी मानी जाए तो तक़रीबन 90 फिट सबकी लम्बाई होगी,अब इतने लम्बे लम्बे आदमी औरत क्या देखने में अच्छे मालूम होंगे तो इसका जवाब ये है कि हमारे यहां अमूमन सबकी लम्बाई 5 से 6 फीट के बीच हुआ करती है तो जब हमारे बीच कोई 10 फीट का आदमी आता है तो अजूबा लगता है लेकिन कोई 6 फीट का शख्स आ जाए तो कोई फर्क नहीं पड़ता युंही वहां सबकी लम्बाई 60 हाथ के बराबर होगी लिहाज़ा किसी को भी अजीब नहीं लगेगा!
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आसारे कयामत (Part -144)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
जन्नत :
जन्नत में सिर्फ 2 ही तरह की इबादत होगी पहला ईमान दूसरा निकाह इसके अलावा वहां पर कोई इबादत नहीं होगी, ईमान तो युं कि जो मोमिन होगा वही जन्नती होगा यानि जो जन्नती होगा वो बिला शुबह ईमान वाला होगा और दूसरी इबादत निकाह,
खुदा के ज़िक्र का हाल ये होगा कि सांसों के साथ मौला جلّ شانه की तस्बीह जारी होगी यानि जिस तरह किसी से बात करने के लिए हमें सांस नहीं रोकनी पड़ती यानि हम बात करते रहते हैं और सांस चलती रहती है उसी तरह जन्नत में हम बात करते रहेंगे और सांसों के साथ हलके हलके रब की तस्बीह भी जारी रहेगी और युं ही हर वक़्त हर हाल में हर जगह जारी होगा,
दूसरी रिवायत में आता है कि क़ुरआन में से 2 सूरह यानि सूरह यासीन शरीफ और सूरह ताहा शरीफ जन्नतियों के सीने में हमेशा के लिए महफूज़ होगी और वो उसे जब चाहें पढ़ते रहेंगे!
📕 अल अशबाह वन्नज़ायर,सफह 177
📕 रुहुल मआनी,जिल्द 16,सफह 147
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आसारे कयामत (Part -145)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
जन्नत :
काफिरों के वो छोटे बच्चे जो अपना दीन पहचानने से पहले ही फौत हो चुके होंगे वो जन्नत में जायेंगे यही मुहक़्क़ेक़ीन का क़ौल है!
📕 फतावा हदीसिया,सफह 78
📕 खाज़िन,जिल्द 2,सफह 260
📕 उम्दतुल क़ारी,जिल्द 4,सफह 236
अवाम जन्नत में भी उल्मा की मोहताज होगी वो इस तरह कि हर जुमे के दिन मोमिन खुदा جلّ شانه का दीदार करेगा तो मौला तआला फरमायेगा कि ऐ बन्दों कुछ कहना चाहते हो तो कहो तुम्हारी हर आरज़ू पूरी होगी तब अवाम उल्मा की तरफ रुजू करेगी और उल्मा बतायेंगे कि वो क्या मांगे!
📕 जामेय सग़ीर,जिल्द 1,सफह 74
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आसारे कयामत (Part -146)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
जन्नत :
दुनिया के कुछ इमारतें भी जन्नत में जायेंगी जैसे मक्का मुअज़्ज़मा, मदीना मुनव्वरह, तमाम मस्जिदें और अम्बिया عليه السلام के मज़ारात!
📕 अलमलफूज़,हिस्सा 4,सफह 76
जो दुनिया में आया उसे बग़ैर मौत के जन्नत नहीं मिल सकती मगर जब तमाम मोमिन जन्नत में दाखिल हो चुके होंगे और बहुत सारी जगह खाली बची होगी तब मौला तआला कुछ नई मख्लूक़ पैदा करेगा और उन्हें जन्नत में बसायेगा!
ये हज़रात न दुनिया में आये होंगे न मुसीबतें झेली होंगी न मौत का मज़ा चखा होगा बल्कि सिर्फ अल्लाह جلّ شانه व रसूल ﷺ पर ईमान की बदौलत जन्नत नसीब होगी!
📕 अलमलफूज़,हिस्सा 2,सफह 85
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आसारे कयामत (Part -147)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
जन्नत :
हदीस - हदीस शरीफ में आता है कि जो कोई कामिल वुज़ू करे और उसके बाद ये कलिमात कहे (कलमए शहादत) तो उसके लिए जन्नत के आठों दरवाज़े खोल दिए जाते हैं!
📕 मुस्लिम,जिल्द 1,सफह 234
रिवायत - हुज़ूर ﷺ इरशाद फरमाते हैं कि जो कोई 3 बार जहन्नम से पनाह मांगे तो जहन्नम रब की बारगाह में अर्ज़ करती है कि ऐ मौला इसे मुझसे महफूज़ रख और फरमाते हैं कि जो कोई 3 बार जन्नत की दुआ करे तो जन्नत उसके लिए रब की बारगाह में अर्ज़ करती है कि ऐ मौला इसे जन्नत में दाखिल फरमा! سبحان الله
📕 अहवाले बरज़ख़, सफह 86-91
اَللّٰهُمَّ اَجِرْنِىْ مِنَ النَّار , اَللّٰهُمَّ اَجِرْنِىْ مِنَ النَّار , اَللّٰهُمَّ اَجِرْنِىْ مِنَ النَّار
اَللّٰھُمَّ اَدْخِلْہُ الجَنَّۃ , اَللّٰھُمَّ اَدْخِلْہُ الجَنَّۃ , اَللّٰھُمَّ اَدْخِلْہُ الجَنَّۃ
آمین آمین ثم آمین یا رب العٰلمین
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आसारे कयामत (Part -148)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
जन्नत :
जन्नत में चार तरह की दरिया होगी 1. शहद की 2. दूध की 3. पानी की 4. शराब की, शराब से मुराद यहां दुनिया की शराब न समझा जाए कि जिसको पीने से इंसान मदहोश हो जाता है और अपने काबू में नहीं रहता, नहीं बल्कि ज़ायक़ा ऐसा होगा कि कभी उस जैसी चीज़ पीने का ख्याल तसव्वुर में भी न आया होगा और उससे अक़्ल पर भी कोई असर न पड़ेगा,
इसी तरह जन्नत में चार नहरें हैं 1. ज़ंजील 2. सलसबील 3. रहीक़ 4. तस्नीम, इन चार नहरों के मुताल्लिक़ 2 क़ौल हैं कि ये नहरें दुनिया में भी बहती हैं, बुखारी व मुस्लिम की रिवायत के मुताबिक़ वो नहरें हैं 1. जिहून 2. सिहून 3. फिरात 4. नील और दूसरी जगह 5. दजला का भी नाम आया है!
और जन्नत की दरिया गढ़े में नहीं बहती बल्कि हमवार ज़मीन पर बहती है लेकिन अपनी हदों से आगे नहीं बढती इसलिए वहां के दरिया में कोई डूब नहीं सकता!
📕 तफ़्सीरे अलम नशरह,सफह 194
📕 तफ़्सीरे सावी,जिल्द 3,सफह 114
📕 अहवाले बरज़ख़,सफह 256
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आसारे कयामत (Part -149)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
जन्नत :
जन्नत में किसी भी चीज़ की कोई कमी न होगी मगर इंसान अपनी आदत से बाज़ तो आ नहीं सकता लिहाजा वहां भी कुछ लोग खेती करने की इजाज़त मांगेंगे तब मौला جلّ شانه उन्हें इजाज़त देगा, तो वो शख्स बीज डलेगा फौरन ही अनाज उग जाएगा फसल कट जाएगी और पहाड़ों की तरह अनाज का अंबार लग जायेगा तो मौला جلّ شانه फरमाएगा कि ऐ इब्ने आदम ये ले कि तेरे लालच का पेट कोई चीज़ नहीं भर सकती, इसी तरह कुछ लोग बच्चे की ख्वाहिश करेंगे तो फौरन हमल ठहरेगा फौरन बच्चा होगा और फौरन ही वो बच्चा 33 साल का भी हो जायेगा!
📕 अहवाले बरज़ख़,सफह 254
📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 1,सफह 46
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आसारे कयामत (Part -150)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
जन्नत :
जन्नत में अगर गोश्त खाने का मन होगा कि फौरन एक भुना हुआ परिंदा सामने आ लगेगा जो जितना खाना चाहेगा खायेगा बाकी बचा हुआ परिंदा सही व सालिम होकर फिर उड़ जायेगा!
📕 अहवाले बरज़ख़,सफह 255
सवारियों का ये आलम होगा कि जिस तख्त पर बैठा होगा वही उड़ने लगेगा और जहां जिसके पास जाना चाहेगा फौरन पहुंच जायेगा इसके अलावा भी उड़ने वाले घोड़े भी होंगे, आपसी मुहब्बत का हाल ये होगा कि मानो जिस्म तो हज़ारों हैं मगर दिल सबका एक ही होगा जिससे किसी के लिए भी छल कपट कीना चुगली ग़ीबत हरगिज़ न होगी और सब मुहब्बत से रहेंगे, दोस्तों का वही हाल होगा जैसा कि दुनिया में होता है वहां भी हंसी मज़ाक छीना झपटी सब कुछ होगा मगर ये सब बकवास से पाक होगा ये सब सिर्फ दिल्लगी के लिए ही होगा, वरना वहां किसी को कोई कमी न होगी!
📕 अहवाले बरज़ख़,सफह 266
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आसारे कयामत (Part -151)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
जन्नत :
वहां हर जुमा को बाज़ार लगेगा जिनमे उम्दा उम्दा चीजें होंगी मगर कीमत कुछ न होगी जिसको जो लेना होगा उठा लेगा, वहां चेहरे भी बिकेंगे जिसको जो चेहरा पसंद आएगा उसका चेहरा फौरन ही वैसा हो जायेगा, जब लोग एक दूसरे से मुलाकात करेंगे तो मरतबे के हिसाब से उनका कपड़ा उनके हाव भाव उनके चेहरे की रंगत सब कुछ अलग होगी मगर चुंकि वहां रंजो ग़म नाम की कोई चीज़ न होगी तो अगर कमतर वाले के दिल में आया कि इसका कपड़ा मुझसे अच्छा है तो फौरन ही उसका भी कपड़ा सामने वाले की तरह हो जायेगा युंही हर चीज़ में ऐसा ही होता रहेगा!
📕 अहवाले बरज़ख़, सफह 286-287
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आसारे कयामत (Part -152)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
जन्नत :
जो जन्नत में गया वो कभी भी वहां से न निकलेगा मौत को मेंढे की शक्ल में ला कर ज़बह किया जायेगा तो जब ये जन्नती देखेगा तो उसकी खुशी हज़ारों गुना बढ़ जाएगी और जब यही मंज़र जहन्नमी देखेगा तो उसका ग़म हज़ारों गुना बढ़ जायेगा कि अब दोनों घर वालों को मौत नहीं आयेगी!
📕 अहवाले बरज़ख़, सफह 298
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आसारे कयामत (Part -153)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
जन्नत :
*जन्नत में सबसे आखिर में जाने वाला -* बुखारी व तिर्मिज़ी में बयान कर्दा हदीस तफ़सील के साथ नहीं है मगर मुस्लिम शरीफ की रिवायत काफी तवील है इसलिये उसी को बयान करता हूं, हज़रत अब्दुल्लाह इब्न मसऊद رضي الله ﺗﻌﺎﻟﯽٰ عنه से मरवी है हुज़ूर ﷺ इरशाद फरमाते हैं कि सबसे आखिर में जन्नत में जाने वाला वो शख्स होगा जो सबसे आखिरी में जहन्नम से बाहर निकलेगा वो गिरता पड़ता आगे बढ़ेगा और जहन्नम की तरफ देखकर कहेगा कि बरकत वाली है वो ज़ात जिसने मुझे तुझसे आज़ाद किया, तभी उसको एक दरख़्त नज़र आएगा तो वो कहेगा कि ऐ मौला جلّ شانه मुझे उस दरख़्त के नीचे पहुंचा दे ताकि मैं उसका साया हासिल कर सकूं तो मौला جلّ شانه फरमाएगा कि अगर मैं तुझे उसके नीचे पहुंचा दूं तो क्या अजब नहीं कि तू कुछ और दरख्वास्त न करने लगे तो वो अहद करेगा और कहेगा कि इसके सिवा मेरी कोई और हाजत नहीं तब मौला جلّ شانه उसे वहां पहुंचा देगा, वो वहां आराम करेगा पानी पियेगा फिर एक दूसरे दरख़्त को देखेगा जो इससे भी ज़्यादा खूबसूरत होगा तो ये मौला جلّ شانه से फिर कहेगा कि मौला جلّ شانه मुझे उस दरख़्त के नीचे पहुंचा दे और मैं इसके सिवा तुझसे कुछ न मागूंगा तब मौला جلّ شانه फरमायेगा कि क्या तूने अहद न किया था और क्या अजब नहीं कि मैं तुझे वहां पहुंचा दूं तो फिर तू कोई अर्ज़ न करेगा तो वो शख्स फिर से अहद करेगा तो मौला جلّ شانه उसे वहां पहुंचा देगा वो वहां पहुंचकर आराम करेगा तब जन्नत के दरवाज़े के क़रीब एक दरख़्त देखेगा!
📕 मुस्लिम, जिल्द 1, सफह 195
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आसारे कयामत (Part -154)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
जन्नत :
और कहेगा कि ऐ मौला جلّ شانه मुझे वहां पहुंचा दे ताकि मैं जन्नतियों की आवाज़ें सुन सकूं और मैं इसके सिवा तुझसे कुछ न मागूंगा तब मौला फरमायेगा कि तूने अहद किया था और क्या अजब नहीं कि मैं तुझे वहां पहुंचा दूं तो तू कुछ और न मांगेगा तब वो फिर से अहद करेगा तब मौला उसे जन्नत के सामने दरख़्त के नीचे कर देगा, फिर से वो शख्स कहेगा कि ऐ मौला جلّ شانه क्या ही अच्छा होता कि आप मुझे इसके अंदर पहुंचा देते तब मौला جلّ شانه फरमायेगा कि ऐ इब्ने आदम आखिर तेरा सवाल करना कभी ख़त्म न होगा क्या तू इससे राज़ी होगा कि मैं तुझे इसमें दुनिया के जैसी जगह दूं बल्कि उस जैसी और दूं तब वो कहेगा कि तू मुझसे मज़ाक़ फरमा रहा है जब कि तू रब्बुल आलमीन हैं इतना कहते हुए हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद رضي الله ﺗﻌﺎﻟﯽٰ عنه हंसने लगे और फरमाया कि क्या तुम लोग मुझसे जानना नहीं चाहोगे कि मैं क्यों हंसा तो लोग अर्ज़ करेंगे की क्यों तो आप फरमाते हैं कि जब ये वाक़िया हुज़ूर ﷺ ने सुनाया था तो आप भी हंसने लगे थे जब आप ﷺ से लोगों ने पूछा था कि या रसूल अल्लाह ﷺ आप क्यों हंसे तो आप ﷺ फरमाते हैं कि मुझे रब جلّ شانه के हंसने पर हंसी आ गयी जब बन्दे ने ये कहा कि क्या तू मुझसे मज़ाक कर रहा है तो मौला جلّ شانه फरमाता है कि मैं मज़ाक नहीं करता बल्कि मैंने तुझे उतना ही दिया जितना कहा और मैं हर बात पर क़ुदरत रखता हूं!
📕 मुस्लिम, जिल्द 1 , सफह 195
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आसारे कयामत (Part -155)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
जन्नत
हदीस - इसी तरह एक दूसरी रिवायत के मुताबिक़ हुज़ूर ﷺ फरमाते हैं कि मैं उस शख्स को जानता हूं जो सबसे आखिर में जहन्नम से बाहर निकलेगा जब मौला جلّ شانه फरिश्तो से कहेगा कि इसके छोटे गुनाह पेश करो तो फरिश्ते उसके गुनाह पेश करेंगे तो मौला جلّ شانه फरमायेगा कि क्या ये ठीक है तो वो इक़रार करेगा और दिल में डरता रहेगा कि मेरे बड़े बड़े गुनाह भी तो हैं पस मौला جلّ شانه उससे फरमायेगा कि तेरे लिए हर गुनाह के बदले एक नेकी है तब वो शख्स बोलेगा कि मौला جلّ شانه मेरे और भी गुनाह हैं जो मैं यहां नहीं देख रहा हूं मुझे उसके बदले भी नेकी मिलनी चाहिए, रावी बयान करते हैं कि मैंने देखा कि ये बात कहते हुए हुज़ूर ﷺ को हंसी आ गयी जिससे कि आपकी मुबारक दाढ़ ज़ाहिर हो गयी!
📕 मुस्लिम, जिल्द 1, सफह 199
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आसारे कयामत (Part -156)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
जन्नत :
*कंज़ुल ईमान* - बेशक मुजरिम लोग (काफिर) ईमान वालो पर हंसा करते थे (दुनिया में) तो आज ईमान वाले काफिरो पर हँसते हैं तख्तों पर बैठे देखते हैं!
📕 पारा 30, सूरह मुतफ्फिफीन, आयत 29-35
*रिवायत* - तफ़्सीर दुर्रे मन्सूर में हज़रते क़तादह رضي الله ﺗﻌﺎﻟﯽٰ عنه की रिवायत है कि जन्नत में झरोखे यानि खिड़कियां होंगी जिनसे कि वो जहन्नमियों के हालात को देखा करेंगे और जिस तरह दुनिया में काफिर उनकी हंसी उड़ाते थे आज वो उन काफिरों पर हंसी उड़ायेंगे!
📕 अहवाले बरज़ख़,सफह 86
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आसारे कयामत (Part -157)
क़यामत के मुताल्लिक़ हमारा अक़ीदा.!?
जन्नत :
*रिवायत* - और जब सारे ही काफिरो मुनाफ़िक़ जहन्नम में और सारे यही ईमान वाले जन्नत में पहुंच जायेंगे और मौत को ज़बह कर दिया जायेगा तब मौला جلّ شانه फरमायेगा कि ऐ बन्दों क्या तुम मुझसे राज़ी हो तो बन्दे अर्ज़ करेंगे बेशक ऐ मौला جلّ شانه तूने हमें ऐसी ऐसी नेअमतें दी कि हमारे सिवा किसी मख्लूक़ को न दी तो क्यों हम तुझसे राज़ी न होंगे तो मौला جلّ شانه फरमायेगा कि क्या मैं तुम्हे इससे भी बढ़कर नेमत न दूं तो बन्दे कहेंगे कि इससे बढ़कर क्या होगा तो मौला جلّ شانه फरमायेगा मैं तुम सब पर अपनी रजामंदी नाज़िल करता हूं कि अब आईन्दा मैं कभी तुमसे नाराज़ ना होऊंगा!
*سبحان الله وبحمده سبحان الله العظيم*
📕 अहवाले बरज़ख़,सफह 302
एक ग़ुलाम के लिए इससे बढ़कर शायद ही कोई नेअमत होती हो कि उसका आक़ा अब कभी उससे नाराज़ ना होगा الله اكبر الله اكبر الله اكبر ✨
*⚠️ आसारे क़यामत से शुरू हुई ये पोस्ट जिसमे 1. अलामाते सुग़रह 2. अलमाते कुबरा 3. हश्र का बयान 4. दोज़ख 5. और जन्नत, फिर इसके अंदर बहुत सारी रिवायतें और मसायल जिनका ज़िक्र हो चुका, ये सारी पोस्ट हमरे वेबसाइट 🌎 https://sultanehindnetwork.blogspot.com/2024/09/blog-post.html पर मौजूद हैं!*
*Post End.........*
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