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❝ 💸 दौलत से नफ़रत 🔥 ❞
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*❝ किताब लिखने की वजह !? ❞*
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࿐ दुनिया मे बेशुमार फितने है जिसमें दौलत का फितना सबसे खतरनाक है यानी बाकी जितने भी फितने है सबकी बुनियाद दौलत ही से है जैसे औरत से अय्याशी दौलत के जरिए, शोहरत की चाहत दौलत आ जाने की वजह से, गफलत ज़्यादा दौलत कमाने की चाहत में, ख्वाहिशात दौलत की वजह से, खेल तमाशे भी दौलत की वजह से, यानी हर वो बुरा काम जो इस्लाम के खिलाफ हो सब दौलत की वजह से है इसलिए रसूलल्लाह सललल्लाहो अलैहे व सल्लम का इर्शाद है कि "हर उम्मत के लिये फितना है और मेरी उम्मत का फितना 'माल' है"! (तिर्मिजी)
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 6 📚*
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*❝ किताब लिखने की वजह !? ❞*
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࿐ दुनियादारी और मालदारी के फितने इस दौर में इतना छा गया है कि मुसलमान का सिर्फ नाम बाकी है और काम इस्लाम के खिलाफ है। आज मुसलमान दुनियादारी में इतना खो चुके हैं कि दीनदारी से कोई ताल्लुक नहीं। मुसलमानों का दिल इतना अनधा हो चुका है कि हलाल और हराम को पहचान नहीं सकते, हक और बातिल को जान नही सकते, दीन और दुनिया मे कोई फर्क पैदा नही कर सकते। दीनी इल्म की बजाय दुनियावी इल्म को तरजीह देते हैं ताकि माल कमाया जाए, हिदायत पाने के बजाय गफलत में पड़ गए, सुन्नत अपनाने के बजाय शोहरत अपना लिए, इबादत को जहालत के साथ अदा कर रहे हैं, नेकी के नाम पर गुनाह कर रहे हैं, दीन के नाम पर दुनिया (दौलत) कमाई जा रही है, मजारो के खादिम दौलत समेटने के लिए मौजूद हैं, मस्जिदों में ईमाम का हाल ये है कि जुमा में तकरीर करके लोगों को गुनाहों से बचने की दावत देते है फिर वही इमाम फासिक लोगों के घर में दावत खाते पीते है। शादी में फिजूलखर्ची आम हो गई, बेहयाई फैल गई, गाना बजाना जरूरी हो गया, औरत और मर्द एक दूसरे के सामने शोहरत के लिबास के जरिये जिस्मानी नुमाईश कर रहे हैं। न तो वाल्दैन अपने बच्चों को इस गुनाह से रोक रहे हैं और न ही मस्जिद के इमाम और न ही दूसरे जिम्मेदार लोग इस गुनाह को रोक रहे हैं बल्कि सारे लोग इस गुनाह में शरीक हैं।
࿐ किताब पढ़ने वालों के लिए उम्मीद करता हूँ कि आपके दिल से दौलत की मुहब्बत निकल जाए और दिल मे सब्र करने का जज़्बा अता हो।
*✍🏻 अज कलम : अनवर रजा खाँन अज़हरी*
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 06 📚*
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*❝ इस उम्मत का फितना माल (दौलत) है ❞*
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࿐ हदीस : हजरत कआब बिन इयाज रदिअल्लाहु अन्हु कहते हैं कि रसूलल्लाह सल लल्लाहो अलैहे व सल्लम का इर्शाद है कि 'हर उम्मत के लिये फितना है और मेरी उम्मत का फितना 'माल' है।" (तिर्मिजी)
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 7 📚*
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*❝ अल्लाह हमें माल से आजमायेगा ❞*
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࿐ कुरआन में अल्लाह फरमाता है : बेशक जरूर तुम्हारी आजमाइश होगी तुम्हारे माल और तुम्हारी जानों में।
📙 सूरह इमरान, आयत न. 142
࿐ कुरआन में अल्लाह फरमाता है जरूर हम तुम्हें आजमाएंगे कुछ डर और भूख से और कुछ मालों और जानों और फलों की कमी से और खुशखबरी सुना उन सब्र वालों को!
📙 सूरह बकरह, आयत न. 155
࿐ कुरआन में अल्लाह फरमाता है तुम्हारे माल और तुम्हारे बच्चे आजमाइश ही हैं।
📙 सूरह तगाबुन, आयत न. 15
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 07 📚*
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*❝ इस उम्मत के बदतरीन लोग ❞*
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࿐ आप से पूछा गया आप की उम्मत में सब से बुरे लोग कौन हैं? फरमाया दौलतमन्द।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 38, पेज 348
*❝ माल के बारे में कयामत के दिन सवाल जवाब ❞*
࿐ तिर्मिजी ने ब-सनदे सही यह हदीस रिवायत की है कि बन्दा उस वक्त तक कियामत के दिन नहीं हिलेगा जब तक कि उस से चार चीजों का सवाल नहीं हो जाएगा, 1. उस ने अपनी उम्र कैसे पूरी की, 2. अपनी जवानी किन कामों में खर्च की, 3. माल कैसे हासिल किया और कहां खर्च किया और 4. अपने इल्म पर कितना अमल किया।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 68, पेज 410
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 07 📚*
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*❝ इस उम्मत के बेहतरीन लोग ❞*
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࿐ हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का फरमान है कि इस उम्मत के सब से बेहतरीन गरीब मोमिन लोग हैं और सब से पहले जन्नत में दाखिल होने वाले कमजोर परहेजगार लोग हैं।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 223
*❝ अपने नबी को बुरा जानने वाले लोग ❞*
࿐ नबी का फरमान है, मेरी दो बातें हैं, जो उन्हें पसन्द करता है वह मुझे पसन्द करता है जो उन्हें बुरा समझता है वह मुझे बुरा समझता है गरीबी और जेहाद।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 223
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 07 📚*
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*❝ मालदारी की ताकत रखते हुए गरीबी पर राजी हो जा ❞*
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࿐ हदीस : हजरते हसन रज़ियल्लाहु अन्हु से मरवी है कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम सहाबए किराम में तशरीफ लाये और फरमाया कौन है जो अल्लाह तआला से अंधे पन का नहीं बल्कि बसारत (रौशनी) का सवाल करता है? बा-खबर हो जाओ, जो दुनिया की तरफ माइल हो गया और उस से बे-इन्तेहा उम्मीदें रखने लगा उसका दिल अन्धा हो गया और जिसने दुनिया से अलाहिदगी करली और उस से कोई खास उम्मीदें न रखीं, अल्लाह तआला उसे नूरे बसीरत अता फरमा दिया, वह तालीम के बगैर इल्म और तलाश के बगैर हिदायतvयाब (हिदायत हासिल कर लिया) हो गया।
࿐ आखिरी जमाने मे तुम्हारे बाद एक कौम आएगी जिनकी हुकूमत की बुनियाद कत्ल और जुल्मो सितम पर होगी, जिनकी अमीरी व मालदारी बुख्ल (कंजूसी) व तकब्बुर (शोहरत) से भरपूर होगी और नफ्सानी ख्वाहिशात के सिवा उन्हें किसी चीज से मुहब्बत नहीं होगी। खबरदार तुम में से कोई अगर वह वक्त पाये और मालदारी की ताकत रखते हुए गरीबी पर राजी हो जाये, मुहब्बत पा सकने के बावजूद उन से अदावत पर राजी है और अल्लाह की रजा में इज्जत हासिल कर सकने के बावजूद तवाजोअ (लोगो का ताना सुनकर) से जिन्दगी बसर करे तो अल्लाह तआला उसे पचास सिद्दीकों (वलियों) का दर्जा देगा।
📙 मुकाशफुतुल कुलूब, बाब न. 31, पेज 192
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 08 📚*
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*❝ जन्नत की खुश्बू भी नहीं सूंघ सकने वाले लोग ❞*
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࿐ हज़रत सलमान फारसी हुजूर पाक ﷺ को फरमाते हुए सुना कि "जो नर्म व मुलायम बिस्तर पर सोए और लिबासे शोहरत पहने और आलीशान सुवारी पर सवार हो और मन पसन्द खाने खाए वोह जन्नत की खुश्बू भी नहीं सूघ सकेगा।
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 08 📚*
⚠️ इस हदीसे पाक का मतलब ये है कि जो शख्स दुनिया ही में बिलकुल मस्त हो और अपने आख़िरत कि तैयारी भी न करे, या معاذ الله इसका ये मतलब है उसके पास ईमान की दौलत ही न हो और वोह सिर्फ दुनिया ही में मस्त हो उसे आख़िरत की कोई फ़िक्र न हो तो ऐसा शख्स जन्नत की खुशबू भी न सूंघ सकेगा, या जिसके पास ईमान की दौलत हो वोह दुनिया में बहुत ज़्यादा मस्त हो और शोहरत, नाम-वरि और अपनी ख्वाहिशात में लगा हो तो इस बात का खतरा है कि उसका ईमान न कहीं चला जाए, इस तरह के कई मआना इस हदीसे पाक के हो सकते हैं, *तो मतलब ये है कि!!* इंसान अपने आख़िरत की भी तैयारी करनी चाहिए सिर्फ दुनिया में मस्त नहीं रहना चाहिए वरना उसका नतीजा बुरा होता है।
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*❝ हराम और हलाल माल की पहचान ❞*
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࿐ एक दिन हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम एक जगह बैठे हुये थे कि एक हट्टा कट्टा नो जवान आप के करीब से गुजरा, और बाजार में एक दुकान के अन्दर चला गया सहाबा किराम ने कहा, ऐ काश! उस शख्स का यूँ सुबह सवेरे उठना राहे हक में होता ! हुजूर ने फरमाया" यूँ न कहो, क्योंकि अगर उस का जाना उस गर्ज से है कि वह अपने आप को और अपने बाल बच्चों को दुनिया की मोहताजी से बचाये या इस लिए कि अपने माँ बाप को किसी का दस्ते नगर न होने दे तो समझो कि यह राहे हक ही में जा रहा है। हाँ अगर उसका मकसद फखर व नाज लाफ व गजाफ (शोहरत) की खातिर इमारत व दौलत की तलाश है तो वह राहे शैतान पर गामजन है,
࿐ और फरमाया कि जो शख्स दुनिया में रिज़्क हलाल का तलाश कर रहे ताकि दुनिया का दस्तनगर न होने पाये और हमसायों से नेक सुलूक करे और खेश व अकारिब से तलत्तु व मदारात से पेश आये, उस का चेहरा कियामत के दिन यूँ होगा जैसे कि चौदहवीं का चाँद। سبحان الله 🌹👌🏻
📙 सुन्नी फजाईले आमाल, 694
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 9 📚*
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*❝ हराम और हलाल को नही पहचानने का दौर ❞*
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࿐ हजरते अबू हुरैरा से रिवायत है कि हुजूर नबिय्ये करीम ﷺ ने फरमाया कि लोगों पर एक जमाना ऐसा आएगा कि आदमी येह परवाह नहीं करेगा कि इस ने जो माल हासिल किया है वोह हराम है या हलाल।
📙 (सही बुखारी)
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 9 📚*
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*❝ रिज़्क क्या है? ❞*
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࿐ अल कुरआन : मवेशी में से कुछ बोझ उठाने वाले और कुछ जमीन पर बिछे खाओ उसमें से जो अल्लाह ने तुम्हें रोजी दी!
📙 सूरह अनाम, आयत न. 142
࿐ रिवायत है कि अल्लाह तआला ने कुछ पहली आसमानी किताबों में फरमाया है ऐ इंसान? अगर तुझे सारी दुनिया की दौलत मिल जाती तब भी तुझे दो वक़्त की रोटी ही मुयस्सर आती। अब जब कि मैंने तुझे गिजा दे दी है और उस का हिसाब और के जिम्मे लगा दिया है तो यह मैं ने तुझ पर एहसान किया है। (मुकाशफतुल
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 10 📚*
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*❝ दौलत क्या है? ❞*
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࿐ सरवरे कौनेन सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम ने फ़रमाया मुझे इस बात का डर नहीं कि तुम मेरे बाद शिर्क (मूर्ति पूजा) करने लगोगे बल्कि इस बात का डर है कि दौलत कि लालच में एक दूसरे से आगे बढ़ोगे।
📙 सही बुखारी - 2/585
*❝ कयामत में माल के बारे में सवाल होगा ❞*
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࿐ तिर्मिजी ने ब-सनदे सही यह हदीस रिवायत की है कि बन्दा उस वक़्त तक कियामत के दिन नहीं हिलेगा जब तक कि उस से 5 चीजों का सवाल नहीं हो जाएगा, 1. अपनी उम्र कैसे गुजारी, 2. अपनी जवानी किन कामों में खर्च की, 3. माल कैसे हासिल किया, 4 माल कहां खर्च किया, 5. अपने इल्म पर कितना अमल किया।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 68, पेज 410
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 10 📚*
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*❝ गफ़लत दौलत के वजह से ❞*
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࿐ अल्लाह फरमाता है : तुम्हें गाफिल रखा माल की जियादा तलबी (लालच) ने, यहाँ तक कि तुमने कब्रों का मुंह देखा हाँ हाँ जल्द जान जाओगे, फिर हाँ हाँ जल्द जान जाओगे, हाँ हाँ अगर यकीन का जानना चाहते तो माल की महब्बत न रखते, बेशक जरूर जहन्नम को देखोगे!
📓 सूरह तकासुर, आयत न. 1-6
࿐ अल्लाह फरमाता है : तबाह हो जाएं अबू लहब के दोनों हाथ और वह तबाह हो ही गया, उसे कुछ काम न आया उसका माल और न जो कमाया!
*📓 सूरह मसाद, आयात न. 1-2*
࿐ अल्लाह फरमाता है : उसका माल उसे काम न आएगा जब हलाकत में पड़ेगा।
📓 सूरह लैल, आयत न. 11
࿐ अल्लाह फ़रमाता है : ऐ ईमान वालो, तुम्हारे माल न तुम्हारी औलाद कोई चीज , तुम्हें अल्लाह के ज़िक्र से गाफिल न करे और जो ऐसा करे तो वही लोग नुकसान में हैं।
📓 सूरह मुनाफिकुन, आयत न. 9)
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह 10 - 11 📚*
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*❝ गाफिल का अंजाम, साथी बना शैतान ❞*
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࿐ अल्लाह फरमाता है जिसे रतौंद आए रहमान के ज़िक्र से हम उस पर एक शैतान तैनात करें कि वह उसका साथी रहे।
📙सुरह जुखरूफ, आयत न. 36
*❝ माल के साथ शैतान का मक्र ❞*
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࿐ हज़रते इब्ने हब्स ने कहाः हजरते ईसा अलैहिस्सलाम ने फरमाया बेशक शैतान दुनिया के साथ है, माल के साथ उसका मक्र, ख्वाहिशात के वक़्त उसकी तेजी और शहवत (लालच) के वक्त उसकी कामयाबी है।
📙मकाइदुश्शैतान, इब्ने अबिदुनिया
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 11 📚*
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*❝ हिकायत :शैतान दौलत की लालच से ईमान छीना ❞*
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࿐ हिकायत : एक आबिद जो कि काफी वक्त से इबादते इलाही में मशगूल था, लोगों ने कहा यहाँ एक कौम है, जो एक दरख्त की परस्तिश करती है, आबिद सुन कर गजब में आया और उस दरख्त के काटने के लिए तैयार हो गया, उसको शैतान एक शैख की सूरत में मिला और पूछा कि कहाँ जाता है आबिद ने कहा कि मैं उस दरख्त के काटने को जाता हूँ जिस की लोग परिस्तिश करते हैं वह कहने लगा कि तू फकीर आदमी है, तुम्हें ऐसी क्या जरूरत पेश आ गई कि तुम ने अपनी इबादत और जिक्र को छोड़ा और उस काम में लग पड़ा, आबिद बोला यह भी मेरी इबादत है, शैतान ने कहा मैं तुझे हरगिज दरख्त न काटने दूँगा, इस पर दोनों में लड़ाई शुरू हो गई आबिद ने शैतान को नीचे डाल लिया,
࿐ और सीने पर बैठ गया शैतान ने कहा कि मुझे छोड़ दे मैं तेरे साथ एक बात करना चाहता हूँ वह हट गया, तो शैतान ने कहा अल्लाह तआला ने तुम पर इस दरख्त को काटना फर्ज नहीं किया, और तू खुद इस की पूजा नहीं करता, फिर तुझे क्या जरूरत है कि इस में दखल देता है, क्या तू नबी है, या तुझे खुदा ने हुक्म दिया है अगर इस दरख्त को काटना मन्जूर है तो अपने किसी नबी को हुक्म भेज कर कटवा देगा, आबिद ने कहा, मैं जरूर काढूंगा, फिर उन दोनों में जंग शुरू हो गई, आबिद उस पर गालिब आ गया, उसको गिराकर उस के सीने पर बैठ गया, शैतान आजिज आ गया, उसने एक और तदबीर सोची और कहा:
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह 11- 12 📚*
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*❝ हिकायत : शैतान दौलत की लालच से ईमान छीना ❞*
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࿐ कि मैं एक ऐसी बात बताता हूँ जो मेरे और तेरे दरमियान फैसला करने वाली हो, __ और वह तेरे लिए बहुत बेहतर और नाफेअ है, आबिद ने कहा वह क्या है? उसने कहा मुझे छोड़ दे तो मैं तुझे बताऊँ उसने छोड़ दिया तो शैतान कहा कि तू एक फकीर आदमी है तेरे पास कोई शै नहीं लोग तेरे नान नफका यानी लोगो का ताअना का ख्याल रखते हैं, क्या तू नहीं चाहता कि तेरे पास माल हो और उससे अपने घर वालों की खबर रखे और खुद भी लोगों से बे परवाह होकर जिदगी बसर करे, उसने कहा हाँ! यह बात तो दिल चाहता है तो शैतान ने कहा कि उस दरख्त के काटने के इरादे से बाज आजा मैं हर रोज हर रात को तेरे सर के पास दो दीनार रख दिया करूँगा, सवेरे उठ के ले लिया कर अपने अहल-व-अयाल पर खर्च किया कर तेरे लिए यह काम बहुत मुफीद और मुसलमानों के लिए बहुत नाफेअ होगा, और यह दरखत काटेगा उस की जगह और दरखत लगा लेंगे तो इस में क्या फाएदा होगा, आबिद थोड़ा फिक्रमंद हुआ और कहा कि शैख सच कहा, मैं कोई नबी नहीं हूँ कि उस का काटना मुझ पर लाजिम हो और मुझे हक सुब्हानहु तआला ने उसके काटने का अम्र फरमाया हो कि मैं न काटने से गुनाहगार होंगा और जिस बात का इस शैख ने जिक्र किया है वह बेशक मुफीद है,
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 12 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 17
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*❝ हिकायत : शैतान दौलत की लालच से ईमान छीना ❞*
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࿐ यह सोच कर आबिद ने मन्जूर कर लिया और पुरा अहद कर के वापस आ गया रात को सोया सुबह को उठा तो दीनार अपने सरहाने पाकर बहुत खुश हुआ, इसी तरह दूसरे दिन भी दो दीनार मिल गए. फिर तीसरे दीन कुछ न मिला तो आबिद को गुस्सा आया और फिर दरख्त काटने के इरादे से उठ खड़ा हुआ और शैतान उसी सूरत में सामने आ गया और कहने लगा कि अब कहाँ का इरादा है आबिद ने कहा कि दरख्त को काटूंगा उसने कहा कि मैं हरगिज नहीं जाने दूंगा, उसी तकरार में फिर दोनों में कुश्ती हुई शैतान ने आबिद को गिरालिया, और सीने पर बैठ गया और कहने लगा कि अगर इस इरादे से बाज आजाए तो बेहतर, वर्ना तुझे जिबह कर डालूँगा, आबिद कहने लगा कि इसकी वजह बताओ कि कल तो मैंने तुम को पछाड़ लिया था, आज तू गालिब आ गया है, क्या वजह है, शैतान बोला कि कल तू खालिस खुदा के लिए दरख्त काटने निकला था, तेरी नियत में आज तेरा इरादा महज खुदा के लिए नहीं,बल्कि दौलत नजीं मिलने के वजह से है इस लिए मैं आज तुझ पर गालिब आइगया।
📙 शैतान की हिकायत, पेज 83
࿐ *सबक :-* शैतान माल का लालच दे कर ईमान छीनता है लिहाजा माल और दौलत शैतान का जाल है।
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 13 📚*
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*❝ लालच का अंजाम (न जान बची, नईमान) एक इबरत अंगेज़ हिकायत ❞*
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࿐ जरीर ने लैस से रिवायत की है कि एक शख्स हजरते ईसा अलैहिस्सलाम की सोहबत में आया और कहने लगा मैं आपकी सोहबत में हमेशा आपके साथ रहूंगा, लिहाजा हजरते ईसा अलैहिस्सलाम और वह आदमी इकट्टे रवाना हो गये। जब एक नदी के किनारे पहुंचे तो खाना खाने के लिए बैठ गये, उनके पास तीन रोटियां थीं, जब दो रोटियां खा चुके और एक रोटी बाकी रह गई तो हजरते ईसा अलैहिस्सलाम नदी पर पानी पीने तशरीफ ले गये, जब आप पानी पीकर वापस तशरीफ लाये तो रोटी मौजूद नहीं थी, आपने पूछा रोटी किसने ली है? वह आदमी बोला कि मुझे मालूम नहीं।
࿐ रावी कहते हैं कि हजरते ईसा अलैहिस्सलाम उसे लेकर आगे चल पड़े और आप ने हिरनी को देखा जो दो बच्चे साथ लिए जा रही थी। आपने उसके एक बच्चे को बुलाया, जब वह आया तो आप ने उसे जिबह किया और गोश्त भून कर खुद भी खाया और उस शख्स को भी खिलाया, फिर बच्चे से फरमाया अल्लाह के हुक्म से खड़ा होजा। चुनान्चे हिरनी का बच्चा खड़ा हो गया और जंगल की तरफ चल दिया, तब आप ने उस आदमी से कहा मैं तुझ से उस जात के नाम पर सवाल करता हूं जिसने तुझे यह मोअजिजा दिखलाया, रोटी किस ने ली थी? यह आदमी बोला मुझे मालूम नहीं।
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 13 📚*
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📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 19
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*❝ लालच का अंजाम (न जान बची, नईमान) एक इबरत अंगेज़ हिकायत ❞*
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࿐ फिर आप एक झील पर पहुंचे और उस शख्स का हाथ पकड़ा और दोनों पानी के ऊपर चल पड़े, जब पानी पार कर लिया तो आप ने उस शख्स से पूछा तुझे उस जात की कसम जिसने तुझे यह मोअजिजा दिखाया, बता वह रोटी किस ने ली थी? उस आदमी ने फिर जवाब दिया कि मझे मालूम नहीं।
࿐ फिर आप रवाना हो गए और एक जंगल में पहुंचे, जब दोनों बैठ गये तो हजरते ईसा अलैहिस्सलाम ने मिट्टी और रेत की ढेरी बनाकर फरमाया कि अल्लाह के हुक्म से सोना हो जा, चुनान्चे वह सोना बन गई और आपने उसकी एक जैसी तीन ढेरियां बनाई और फरमाया तिहाई मेरी, तिहाई तेरी और तिहाई उस शख्स की है जिसने वह रोटी ली थी, तब वह आदमी बोला वह रोटी मैंने ली थी, आपने उस से फरमाया यह सोना तमाम का तमाम तेरा है और उसे वहीं छोड़ कर आप आगे रवाना हो गये।
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 14 📚*
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*❝ लालच का अंजाम (न जान बची, नईमान) एक इबरत अंगेज़ हिकायत ❞*
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࿐ उस शख्स के पास दो आदमी आ गये, उन्होंने जब जंगल में एक आदमी को इतने माल व दौलत के साथ देखा तो उनकी नीयत बदल गई और उन्होंने इरादा किया कि इसे कत्ल करके माल समेट लें। उस आदमी ने जब उनकी नीयत भांप ली तो खुद ही बोल उठा कि यह माल हम तीनों ही आपस में बराबर-बराबर तकसीम कर लेते हैं, फिर उन्होंने अपने में से एक शख्स को शहर की तरफ रवाना किया ताकि वह खाना खरीद लाये।
࿐ जिस शख्स को उन्होंने शहर की तरफ खाना लाने के लिए भेजा था, उसके दिल में ख्याल आया कि मैं इस माल में उनको हिस्सेदार क्यों बनने दूं? मैं खाने में जहर मिलाए देता हूं ताकि वह दोनों ही हलाक हो जाये और माल अकेला मैं ही ले लूं चुनान्चे उसने ऐसा ही किया।
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 14 📚*
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*❝ लालच का अंजाम (न जान बची, नईमान) एक इबरत अंगेज़ हिकायत ❞*
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࿐ रावी कहते हैं कि उधर जो दो आदमी जंगल में बैठे हुए थे, उन्होंने इरादा कर लिया कि हम उसे एक तिहाई क्यों दें? जैसे ही वह आये हम उसे कत्ल करें और दौलत हम दोनों आपस में तकसीम करलें, चुनान्चे जब यह आदमी खाना लेकर आया तो उन्होंने उसे कत्ल कर दिया और बाद में वह खाना खाया जिसे खाते ही वह दोनों भी मर गये और सोने की ढेरियां उसी तरह पड़ी रहीं और जंगल में तीन लाशें रह गई।
࿐ हजरते ईसा अलैहिस्सलाम का फिर वहां से गुजर हुआ और उनकी यह हालत देख कर अपने साथियों से फरमाया देखो यह दुनिया है, इससे बचते रहना।
📙 मुकाशतुल कुलूब, बाब 59, पेज 377
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 14 📚*
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*❝ दुनिया की माल से आखिरत का घर बना ❞*
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࿐ अल्लाह फरमाता है : जो माल तुझे अल्लाह ने दिया है उससे आखिरत का घर तलब कर और दुनिया में अपना हिस्सा न भूल और एहसान कर जैसा अल्लाह ने तुझ पर ऐहसान किया और जमीन में फसाद न चाह, बेशक अल्लाह फसादियों को दोस्त नहीं रखता।
📙 सूरह कसस, आयत न. 77
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 15 📚*
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*❝ हिकायत :- घर के बजाय कब्र बना लिया ❞*
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࿐ जुलकरनैन ऐसे लोगों के पास पहुंचे जिन के पास दुनियावी माल व दौलत बिल्कुल नही था उन्होंने अपनी कब्रें तैयार कर रखी थी, जब सुबह होती तो वह कब्रों की तरफ आते, उनकी याद ताजा करते, उन्हें साफ करते और उनके करीब नमाजे पढ़ते और जानवरों की तरह कुछ घास पात खा लेते और उन्होंने गुजर बसर सिर्फ जमीन से उगने वाली सबजियों वगैरह पर महदूद कर रखी थी।
࿐ जुलकरनैन ने उनके सरदार को एक आदमी भेज कर बुलाया लेकिन सरदार ने कहा जुलकरनैन को जवाब देना कि मुझे तुम से कोई काम नही है, अगर तुम्हें कोई काम है तो मेरे पास आ जाओ, जुलकरनैन ने यह जवाब सुनकर कहा कि वाकई उसने सच कहा है, चुनान्चे जुलकरमैन उसके पास आया और उसने कहा मैंने तुम्हारी तरफ आदमी भेज कर तुम्हे बुलाया मगर तुमने इन्कार कर दिया लिहाजा मैं खुद आया हूं।
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 15 📚*
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*❝ हिकायत :- घर के बजाय कब्र बना लिया ❞*
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࿐ सरदार ने कहा अगर मुझे तुम से कोई काम होता तो जरूर आता, जुलकरनैन ने कहा मैंने तुम्हें ऐसी हालत में देखा है कि किसी और कौम को इस हालत में नही देखा, सरदार ने कहा आप किस हालत की बात कर रहे हैं? जुलकरमैन ने कहा यही कि तुम्हारे पास दुनियावी माल व मताअ और माल व मनाल कुछ भी नही है जिससे तुम फाइदा उठा सको। सरदार ने कहा हम सोना चादी का जमा करना बहुत बुरा समझते हैं क्योंकि जिस शख्स को यह चीज मिलती हैं वह उनमें मगन हो जाता है और उस चीज को जो इन से कही बेहतर है, भूल जाता है।
࿐ जुलकरनैन ने कहा तुम ने कब्रे क्यों तैयार कर रखी है? हर सुबह उन की जियारत करते हो, उन्हें साफ करते हो और उनके करीब खडे होकर नमाज पढ़ते हो। सरदार ने कहा यह इस लिए कि जब हम कब्रों को देखेंगे और दुनिया की आरजू करेंगे तो यह कब्रे हमे दुनिया से बे-नियाज कर देंगी और हमें हिर्स व हवस से रोक देगी!
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 15 📚*
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*❝ हिकायत :- घर के बजाय कब्र बना लिया ❞*
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࿐ जुलकरनैन ने पूछा मैंने देखा है कि जमीन के सब्जे के इलावा तुम्हारी कोई गिजा नहीं है, तुमा जानवर क्यों नहीं रखते ताकि तुम उनका दूध दुहो. उन पर सवारी करो और उनसे फाइदा हासिल कर सको। सरदार ने कहा हम इस चीज को अच्छा नही समझते कि हम उन के पेटों को उनकी कब्रे बनायें और हम जमीन की सब्जों से काफी गिजा हासिल कर लेते हैं और यह इंसान की गुजरे औकात के लिए काफी है, जब खाना हलक से उतर जाता है। (चाहे वह कैसा ही हा) फिर उसका कोई मजा बाकी नही रहता।
࿐ फिर उस काइद (सरदार) ने जुलकरनैन के पीछे हाथ बढ़ा कर के एक खोपड़ी उठाई और कहा जुलकरनैन! जानते हो यह कौन है? जुलकरनैन ने कहा नही। यह कौन है? काइद ने कहा यह दुनिया के बादशाहों में से एक बादशाह था। अल्लाह तआला ने उसे दुनिया वालों पर शाही अता फरमाई थी लेकिन उस ने जुल्म व सितम किया और सरकश बन गया जब अल्लाह तआला ने उसकी यह हालत देखी तो उसे मौत दे दी और यह एक गिरे पड़े पत्थर की मानिन्द बे-वकअत हो गया, अल्लाह तआला ने उसके आमाल शुमार कर लिये हैं ताकि उसे आखिरत में सजा दे।
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 16 📚*
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*❝ हिकायत :- घर के बजाय कब्र बना लिया ❞*
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࿐ फिर उसने एक और खोपड़ी उठाई जो बोसीदा थी और कहा जुलकरनैन जानते हो यह कौन है? जुलकरनैन ने कहा नही! बताओ यह कौन है? सरदार ने कहा यह एक बादशाह है जिसे पहले बादशाह के बाद हुकूमत मिली यह अपने पेश्तर बादशाहों का मखलूक पर जुल्म व सितम और ज्यादतियां देख चुका था लिहाजा उसने तवाजोअ की, अल्लाह का खौफ किया और मुल्क में अदल व इंसाफ करने का हुक्म दिया, फिर यह भी मर कर ऐसा हो गया जैसा तुम देख रहे हो और अल्लाह तआला ने इसका शुमार फरमा लिया है यहां तक कि उसे आखिरत में उनका बदला देगा।
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 16 📚*
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*❝ हिकायत :- घर के बजाय कब्र बना लिया ❞*
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࿐ फिर वह जुलकरनैन की खोपड़ी की तरफ मुतवज्जह हुआ और कहने लगा यह भी उन्ही की तरह है जुलकरनैन ख्याल रखना कि तुम कैसे आमाल कर रहे हो? जुलकरनैन ने उसकी बातें सुन कर कहा क्या तुम मेरी दोस्ती में रहना चाहते हो? मैं तुम्हें अपना भाई और वजीर या जो कुछ अल्लाह तआला ने मुझे माल व मनाल दिया है, उसमें अपना शरीक बना लूंगा।
࿐ सरदार ने कहा मैं और आप सुलह नही कर सकते और न ही हम इकट्टे रह सकते हैं, जुलकनैन ने कहा वह क्यों? सरदार ने कहा इसलिए कि लोग तुम्हारे दुश्मन और मेरे दोस्त हैं, जुलकरनैन ने पूछा वह कैसे? सरदार ने कहा वह तुमसे तुम्हारा मुल्क, माल और दुनिया की वजह से दुश्मनी रखते हैं और चूंकि मैंने इन चीजों को छोड़ दिया है लिहाजा कोई एक भी मेरा दुश्मन नही है और इसी लिए मुझे किसी चीज की हाजत नही है और न मेरे पास किसी चीज की कमी है। रावी कहता है कि जुलकरनैन यह बातें सुनकर इन्तेहाई मुतअस्सिर हुआ और हैरान वापस लौट आया!
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 59, पेज 376
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 16 📚*
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*❝ दौलत जमा करने वाले नुकसान में? ❞*
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࿐ हजरत अबूज़र रदिअल्लाहु से रिवायत है कि मैं सरकारे दो आलम सल लल्लाहो अलैहे व सल्लम की खिदमत में हाजिर हुआ आप सल्लल्लाहो अलैहे व सल्लम काबा शरीफ के साये में तहरीफ फरमा थे मुझे देख कर आपने फरमाया "कसम है परवरदिगारे काबा की वह (शख्स) बड़े टोटे (घाटे) में है।" मैंने अर्ज किया" या रसूलल्लाह मेरे माँ-बाप आप पर फिदा हो वह कौन लोग है... तब आपने फरमाया "माल को ज्यादा जमा करने वाले, मगर (वह लोग नही ) जिन्होंने अपने आगे-पीछे और दाये बाये (अच्छे कामों में) खर्च किया और ऐसे लोग कम हैं।
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 17 📚*
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*❝ रुपया जमा करने वाले पर चार मुसीबतों का आना ❞*
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࿐ हजरते अली रजियल्लाहु अन्हु से मरवी है हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जब लोग फकीरों से दुश्मनी रखें, दुनियावी शौकत व हशमत का इजहार करें और रुपया जमा करने पर लालची हो जायें तो अल्लाह तआला उन पर चार मुसीबतें नाजिल फरमाता है, 1 कहत साली, 2 जालिम बादशाह (मोदी जैसा), 3 खाइन हाकिम और दुश्मनों की हैबत (बजरंग दल, शिव सेना)।
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 17 📚*
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*❝ सूदखोरी माँ से बदकारी करने के बराबर गुनाह ❞*
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࿐ हज़रते अब्दुल्लाह रज़ियल्लाहु अन्हु का कहना है, सूद के बहत्तर गुनाह हैं उसका सब से अदना गुनाह इस्लाम की हालत में किसी का अपनी माँ से जिना करने के बराबर है और एक सूदी दिरहम कुछ ऊपर तीस बार जिना करने से ज़्यादा बुरा है और उन्होंने यह भी कहा कि अल्लाह तआला कियामत के दिन हर नेक और बुरे को खड़े होने की इजाजत देगा मगर सूद खाने वाला खड़ा नहीं होगा लेकिन जैसे वह शख्स खड़ा होता है जिसे शैतान ने आसेब से बावला कर दिया हो।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 69, पेज 412
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 17 📚*
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*❝ हमारे आक़ा ﷺ को अपने उम्मत की अमीरी का डर है ❞*
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࿐ सरवरे कौनेन सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम ने फरमाया मुझे इस बात का डर नही कि तुम मेरे बाद शिर्क (मूर्ति पूजा) करने लगोगे बल्कि इस बात का डर है कि माल कि हिर्स (लालच) में एक दूसरे से आगे बढ़ोगे।
📙 सही बुखारी - (585
*❝ माल और इज्ज़त की मुहब्बत दिल में मुनाफिकत पैदा करता है ❞*
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࿐ तहकीक इंसान सरकशी करता है इस लिए कि वह खुद को गनी और बेपरवा समझता है मजीद फरमाया तुम्हें कसरते माल की तलब ने हलाक कर दिया फरमाने नबवी है कि जैसे पानी सबजियां उगाता है उसी तरह माल और इज्जत की मुहब्बत इंसान के दिल में निफाक (मुनाफ़िकत) पैदा करते हैं।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 38, पेज 248
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 18 📚*
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*❝ माल से नुकसान ❞*
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࿐ फरमाने नबवी ﷺ है कि दो खतरनाक भेड़िए बकरियों के गल्ले (झुन्ड) में घुस कर इतना नुकसान नहीं करते जितना किसी मुसलमान के ईमान में माल, इज्जत और शोहरत की तमन्ना नुकसान करती है।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 38, पेज 248
*❝ इस्लाम को मिटाने वाली कौम ❞*
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࿐ फरमाने नबवी ﷺ है कि जल्द ही तुम्हारे बाद एक कौम आने वाली है जो दुनिया की खुशरंग निअमते खायेंगे खुश कदम घोड़ों पर सवार होंगे बेहतरीन हसीन व खूबसूरत औरतों से निकाह करेंगे, बेहतरीन रंगों वाले कपड़े पहनेंगे, उन के मामूली पेट कभी नहीं भरेंगे, उन के दिल ज़्यादा दौलत पर भी कनाअत (सब्र) नहीं करेंगे, सुबह व शाम दुनिया को मअबूद समझकर उस की इबादत करेंगे, उसे अपना रब समझेंगे, उसी के कामों में मगन और उसी की पैरवी में गामजन रहेगे जो शख्स उन लोगों के जमाना को पाए, उसे मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की वसीयत है कि वह उन्हें सलाम न करे, बीमारी में उन की अयादत न करे, उन के जनाजों में शामिल न हो और उन के सरदारों की इज्जत न करे, और जिस शख्स ने ऐसा किया उस ने इस्लाम को मिटाने में उनकी मदद की।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 38, पेज 248
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 18 📚*
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*❝ घरवाले दौलत की कमी का ताना देकर ईमान छीनेंगे ❞*
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࿐ हजरत अबू हुरैरा (रजिअल्लाहु तआला अन्हु) से रिवायत है हुजूर (सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम) ने फरमाया कि लोगों पर एक जमाना ऐसा आयेगा कि दीनदार आदमी का ईमान सलामत न रहेगा सिवाये उस शख्स के जो अपना दीन बचाने के लिये किसी पहाड़ी की चोटी से दूसरी चोटी पर या एक सुरंग से दूसरी सुरंग में अपने ईमान को साथ लेकर भागता फिरे फिर जब ऐसा जमाना आ जाये तब माअशियत (रोजी, वो चीजे जिससे जिन्दगी बसर की जाये) सिर्फ उन्हीं ज़राऐ से हासिल होंगी जिनसे अल्लाह तआला नाराज होगा और जब ऐसा जमाना आ जाये तो उस वक़्त आदमी की हलाकत की वजह उसकी बीवी या उसकी औलाद होगी और अगर किसी की बीवी और औलाद न हुई तो उसके वालिदैन उसकी हलाकत का सबब होंगे और अगर उसके वालिदैन न हुये तो उसकी हलाकत उसके करीबी रिश्तेदार या हम सायों के हाथों होगी सहाबा किराम ने अर्ज किया या रसूलल्लाह ऐसा क्यों कर होगा तो आप (सल्लल्लाह तआला अलैहि वसल्लम) ने फरमाया कि वो उसे माल की कमी का ताअना देंगे जिसकी वजह से वो माल व दौलत को पाने के लिये खुद को ऐसे कामों में मुलव्विस कर लेगा जो उसकी हलाकत का वजह होगा।
📙 अत्तरगीब वत्तरहीब-3 / 299-ह-4152)
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 19 📚*
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*❝ राहे खुदा में खर्च होने वाला माल बाकी रहता है ❞*
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࿐ फरमाने नबवी ﷺ है कि दुनिया, दुनियादारों के लिए छोड़ दो, जिस ने अपनी जरूरत से ज्यादा दुनिया ले ली उस ने बेखबरी में अपने लिए हलाकत ले ली राहे खुदा में खर्च होने वाला माल बाकी रहता है।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 38, पेज 249
*❝ राहे खुदा में खर्च किया वही बाकी रहा ❞*
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࿐ फरमाने नबवी ﷺ है कि इंसान मेरा माल मेरा माल करता है मगर तुम्हारे माल से वह है जो तू ने खा लिया और वह खत्म हो गया और जो पहन लिया वह पुराना हो गया, जो राहे खुदा में खर्च किया वही बाकी रहा।
📙 मुकाशफतुल कुलूब,बाब 38, पेज 249
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 19 📚*
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*❝ दौलत वाले मौत को अच्छा नही समझते है ❞*
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࿐ एक शख्स ने अर्ज किया या रसूलल्लाह ﷺ! मुझे क्या हो गया है कि मैं मौत को अच्छा नहीं समझता? आपने फरमाया तेरे पास कुछ माल व दौलत है? उस ने अर्ज किया जी हां! आपने फरमाया माल को राहे खुदा में खर्च कर दो क्यों कि मोमिन का दिल अपने माल के साथ रहता है अगर वह माल को रोके रखता है तो उस का दिल मरने पर तैयार नहीं होता और अगर वह माल को आगे भेज देता है (राहे मौला में खर्च कर देता है) तो उसे भी वहां जाने की आरजू होती है।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 38, पेज 249
*❝ इंसान के तीन दोस्त हैं ❞*
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࿐ फरमाने नबवी ﷺ है कि इंसान के तीन दोस्त हैं, एक उस की मौत तक साथ रहता है दूसरा कब्र तक और तीसरा कियामत तक साथ रहेगा मौत तक का साथी उस का माल है कब्र तक का साथ देने वाला उस का खानदान है और कियामत तक साथ देने वाले उस के आमाल हैं।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 38, पेज 249
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 20 📚*
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*❝ माल को अच्छा न समझो ❞*
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࿐ हजरते ईसा अलैहिस्सलाम के हवारियों ने आपसे पूछा क्या वजह है कि आप पानी पर चलते हैं और हम नहीं चल सकते? आप ने फरमाया तुम माल व दौलत को कैसा समझते हो? वह बोले अच्छा समझते हैं। आप ने फरमाया मगर मेरे नजदीक मिट्टी का ढेला और रुपया बराबर है।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 38, पेज 249
*❝ गुनहगार दौलतमन्द पुल सिरात से नहीं गुजर सकेगा ❞*
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࿐ हजरते सलमान फारसी रजियल्लाहु अन्हु ने अबू दरदा रजियल्लाहु अन्हु को लिखा कि ऐ भाई खुद को इतनी दौलत जमा करने से बचाओ जिस का तुम शुक्र अदा न कर सको क्यों कि मैं ने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को फरमाते हुए सुना है कि अल्लाह तआला का इताअत-गुजार दौलतमन्द अपना माल लिए कियामत में आएगा, वह पुलसिरात से गुजरने लगेगा तो उस का माल कहेगा गुजर जा क्यों कि तुने मेरा हक अदा किया था और जब गुनहगार दौलतमन्द आएगा और पुलसिरात से गुजरने लगेगा तो उस का माल कहेगा तेरे लिए हलाकत हो तू ने मेरे बारे में अल्लाह तआला के मुकरर किये हुए हुकूक पूरे नहीं किये थे पस उसे हलाकत में डाल दिया जाएगा।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 38, पेज 249
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह 20 - 21 📚*
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*❝ फ़रिशते पूछेगे ❞*
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࿐ फरमाने नबवी ﷺ है कि जब इंसान मरता है तो फरिश्ते कहते हैं इस ने क्या भेजा था (राहे खुदा में क्या कुछ खर्च किया था) और इंसान कहते हैं इस ने क्या कुछ छोड़ा है।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 38, पेज 250
*❝ जायदाद बनाने वाले दुनियादार लोग है ❞*
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࿐ फरमाने नबवी ﷺ है कि जायदाद न बनाओ, तुम दुनिया से मुहब्बत करने लग जाओगे यानी दुनियादार बन जाओगे।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 38, पेज 250
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 21 📚*
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*❝ दुनियादारी सब से बड़ा गुनाह है ❞*
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࿐ अल्लाह तआला ने हज़रते मूसा अलैहिस्सलाम की तरफ वही की ऐ मूसा! दुनिया की मुहब्बत में मशगूल न होना, मेरी बारगाह में इस से बड़ा कोई गुनाह नहीं है रिवायत है कि हजरते मूसा अलैहिस्सलाम एक रोते हुए शख्स के पास से गुजरे, जब आप वापस हुए तो वह शख्स वैसे ही रो रहा था, मूसा अलैहिस्सलाम ने अल्लाह तआला से अर्ज किया या अल्लाह! तेरा बन्दा तेरे डर से रो रहा है, अल्लाह तआला ने कहा, ऐ मूसा! अगर आँसू के रास्ते उस का दिमाग बाहर निकल आए और उसके उठे हुए हाथ टूट जायें तब भी मैं उसे नहीं माफ करूँगा, क्योंकि यह दुनिया से मुहब्बत रखता है।
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*❝ दुनिया की मुहब्बत तमाम गुनाहों की जड़ है ❞*
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࿐ हदीस : हुजूर ने इरशाद फरमाया दुनिया की मोहब्बात तमाम गुनाहों की जड़/असल है।
📙 मुकाशिफतुल कुलूब, बाब 31
*❝ माल और दौलत सीधे रास्ते से हटा देता है ❞*
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࿐ मरवी है कि किसी शख्स ने हजरते अबू दरदा रजियल्लाहु अन्हु को सख्त सुस्त (बुरा भला) कहा आप को नागवार गुजरा और आपने अल्लाह तआला से बद दुआ की, ऐ अल्लाह! जिस ने मुझे बुरा कहा है, उस के जिस्म को तन्दुरुस्त रख, उस को लम्बी जिन्दगी और ज्यादा माल व मनाल अता करदे गोया उन्हों ने तन्दुरुस्ती और लम्बी जिन्दगी के साथ माल व दौलत की ज्यादती को भी बुरा और उसे सीधेरास्ते से हटाने वाला समझा।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 38, पेज 250
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 22 📚*
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❝ ❞
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*❝ माल कोई फायदा नही देगा ❞*
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࿐ हजरते अली रजियल्लाहु अन्हु ने एक दिरहम हाथ पर रख कर फरमाया तू जब तक मुझ से जुदा नहीं होगा, मुझे कोई फाइदा नहीं देगा।
*❝ माल अल्लाह के राह में खर्च कर दी ❞*
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࿐ मरवी है कि हज़रते उमर रजियल्लाहु अन्हु ने उम्मुल मोमिनीन हज़रते जैनब बिन्ते जहश रजियल्लाहु अन्हा की खिदमत में कुछ रकम भेजी, आप ने पूछा यह क्या है? लोगों ने कहा हजरते उमर रजियल्लाहु अन्हु ने आप की खिदमत में रकम भेजी है आप बोली अल्लाह तआला उमर पर रहमत फरमाए फिर एक पर्दा लेकर उस के चन्द टुकड़े किये और उस की थैलियां बना कर उन में रकम डाल कर तमाम की तमाम रिश्तादारों और यतीमों में बांट दी और हाथ उठा कर अल्लाह तआला से दुआ मांगी कि ऐ इलाहल आलमीन! इस से पहले कि मेरे पास आइन्दा साल हजरते उमर रजियल्लाहु अन्हु की ऐसी ही रकम आये, मुझे दुनिया से उठा ले चुनान्चे वह हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के विसाल के बाद सब से पहली जौजए मोहतरमा (बीवी) थी जिन्हों ने सब से पहले इन्तेकाल फरमाया।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 38, पेज 250
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 22 📚*
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❝ ❞
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*❝ माल से मोहब्बत करने वाला शैतान का बन्दा ❞*
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࿐ हज़रते हसन रहमतुल्लाह अलैह का कौल है जिस ने दौलत को इज्जत दी अल्लाह ने उसे जलील किया। कहते हैं जब रुपया पैसा बनता है तो सब से पहले शैतान उन्हें उठा कर माथे से लगा कर चूमता है और कहता है जिस शख्स ने तुम से मुहब्बत की वह यकीनन मेरा बन्दा है।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 38, पेज 250
*❝ दौलत से दुश्मनी ❞*
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࿐ हजरते अलाअ बिन जियाद कहते हैं मेरे सामने दुनिया तमाम जीनतों से सज कर आई तो मैं ने कहा मैं तेरी बुराई से अल्लाह की पनाह चाहता हूं। दुनिया ने कहा अगर तुम मेरे शर से बचना चाहते हो तो रुपये पैसे से दुश्मनी रखो क्यों कि दौलत और रुपये पैसे हासिल करना दुनिया को हासिल करना है जो उन से अलग थलग रहे वह दुनिया से बच जाता है।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 38, पेज 251
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 23 📚*
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*❝ इल्म माल से अफ्जल (बेहतर) है ❞*
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࿐ हज़रते मौलाए काएनात अलिय्युल मुर्तजा كَرَّمَ اللّٰهُ تَعَالٰى وَجْهَهُ الْكَرِيْم फरमाते हैं कि इल्मे दीन माल पर सात वजह से अफजल है : (1) इल्म पैगम्बरों की मीराष और माल फिरऔन, हामान, और नमरूद की (2) माल खर्च करने से घटता है मगर इल्म बढ़ता है (3) माल की इन्सान हिफाजत करता है मगर इल्म इन्सान की हिफाजत करता है (4) मरने के बाद माल तो दुन्या में रह जाता है और इल्म कब्र में साथ जाता है (5) माल मोमिन व काफिर सब को मिल जाता है मगर इल्मे दीन का नफ्अ ईमानदार ही को हासिल होता है (6) कोई भी आलिम से बे परवाह नहीं लेकिन बहुत से लोगों को मालदारों की जरूरत नहीं (7) इल्म से पुल सिरात पर गुजरने की कुब्बत हासिल होगी और माल से कमजोरी ।(तफ्सीरे कबीर)
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 23 📚*
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❝ ❞
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*❝ लम्बी आरजू और ख्वाहिशात दौलत की वजह से ❞*
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࿐ फ़रमाने नबवी ﷺ है कि मैं तुम पर दो चीजों के तसल्लुत से डरता हूँ लम्बी आरजू और ख्वाहिशात की पैरवी, बेशक लम्बी उम्मीदें आखिरत की याद भुला देती हैं और ख्वाहिशात की पैरवी हक व सच्चाई से रोक देती है।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 26, पेज 166
*❝ दौलतमंद 3 बुरे चीजों का हकदार ❞*
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࿐ फरमाने नबवी ﷺ है कि मैं तीन शख्सों के लिए तीन चीजों का जामिन हूँ, दुनिया में बिल्कुल डूब जाना (दुनियादारी) दुनिया के लालची और बखील (कंजूस) के लिए हमेशा की मुफलिसी, हमेशा की मशगूलियत और हमेशा का गम (बेचैनी) मुकद्दर किया गया है।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 26, पेज 166
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 24 📚*
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❝ ❞
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*❝ पिछली उम्मतों का माल बेकार गया ❞*
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࿐ हज़रते अबू दरदा रजियल्लाहु अन्हु ने हमस वालों से कहा तुम्हें शर्म नहीं आती तुम ऐसे मकानात बनाते हो जिन में तुम्हें नहीं रहना, ऐसी उम्मीदें रखते हो जिन्हें नहीं पा सकते और ऐसा सामान इकट्ठा करते हो जिसे अपने मसरफ (काम) में नहीं लाते। तुम से पहली उम्मतों ने आलीशान इमारतें बनवाई, बहुत माल व दौलत जमा किया और बहत लम्बी उम्मीदें रखी मगर उन की उम्मीदें फरेब निकलीं और उन का जमा किया हुआ माल बरबाद और उन की इमारतें कब्रे बन गई।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 26, पेज 166
*❝ गरीबी को पसंद करना चाहिए ❞*
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࿐ हजरते अली रजियल्लाहु अन्हु ने हजरते उमर रजियल्लाहु अन्हु से कहा अगर तुम अपने दोस्त से मुलाकात की तमन्ना रखते हो तो पैवन्द लगा कपड़ा पहनो, पुराना जूता इस्तेमाल करो, उम्मीदें कम करो और पेट भर कर न खाओ।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 26, पेज 166
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 24 📚*
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*❝ आदम अलैहिस्सलाम की वसीयतें ❞*
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࿐ हज़रते आदम अलैहिस्सलाम ने अपने बेटे शीस अलैहिस्सलाम को पाँच बातों की वसीयत की और फरमाया अपनी औलाद को भी यही वसीयत करना, आरजी दुनिया पर मुतमइन न होना मैं जावेदानी जन्नत में मुतमइन था, अल्लाह तआला ने मुझे वहाँ से निकाल दिया औरतों की ख्वाहिशात पर काम न करना मैंने अपनी बीवी की ख्वाहिश पर शजरे ममनूआ खा लिया और शर्मिन्दगी उठाई हर एक काम करने से पहले उस का अंजाम सोच लेता तो जन्नत से न निकाला जाता जिस काम से तुम्हारा दिल मुतमइन न हो उस काम को न करो क्यों कि जब मैंने शजरे ममनूआ खाया तो मेरा दिल मुतमइन नहीं था मगर मैं उस के खाने से बाज न रहा काम करने से पहले मशवरा कर लिया करो क्यों कि अगर मैं फरिश्तों से मशवरा कर लेता तो मुझे यह तकलीफ न उठानी पड़ती।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 26, पेज 166
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 25 📚*
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*❝ सेहत दौलत से बेहतर है ❞*
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࿐ मुजाहिद का कौल है, मुझ से अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु अन्हुमा ने फरमाया कि सुबह को शाम की फिक्र न करो और शाम को दूसरी सुबह की फिक्र न करो, मौत से पहले जिन्दगी को बीमारी से पहले तन्दुरुस्ती को गनीमत समझ क्यों कि पता नहीं कल तुम्हारा क्या हाल होगा।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 26, पेज 166
*❝ अल्लाह तआला से शर्म करो (जैसा हक है) ❞*
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࿐ हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सहाबए किराम से फरमाया क्या तुम सब जन्नत में जाने की तमन्ना रखते हो? उन्होंने अर्ज की हाँ, आपने फरमाया उम्मीदें कम करो और अल्लाह तआला से कमा हक्कुहू शर्म करो सहाबए किराम ने अर्ज की या रसूलल्लाह! हम अल्लाह से शर्म करते हैं आपने फरमाया हया वह नहीं जो तुम समझते हो, हया यह है कि तुम कब्रों और उनकी तकलीफों को याद करो, पेट को हराम से महफूज रखो, दिमाग को बुरे ख्यालों की आमाजगाह न बनाओ और जो शख्स आखिरत की इज़्जत चाहता है वह दुनियावी जीनतों को तर्क कर दे, यही हकीकी शर्म है और इसी से बन्दा अल्लाह तआला का कुर्ब हासिल करता है।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 26, पेज 167
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 25 📚*
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*❝ दौलत की मोहब्बत हलाकत है ❞*
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࿐ फरमाने नबवी ﷺ है, इस उम्मत की अव्वलीन नेकी जुहद और यकीने कामिल है और इसकी हलाकत का आखिरी सबब बुखल और झूटी उम्मीदें हैं।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 26, पेज 167
*❝ माल जमा करने वाले को नसीहत ❞*
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࿐ हजरते उम्मुलमुन्जिर रजियल्लाहु अन्हा से मरवी है एक मर्तबा हुजूर सल्लल्लाहुअलैहि वसल्लम रात को लोगों के पास आये और फरमाया ऐ लोगों! अल्लाह से शर्म करो, सहाबए किराम ने अर्ज किया किस तरह या रसूलल्लाह! आपने फरमाया तुम यह कुछ जमा करते हो जो खाते नहीं, वह उम्मीदें रखते हो जो पा नहीं सकते और ऐसे मकानात बनाते हो जिन में तुम्हें हमेशा रहना नहीं है।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 26, पेज 167
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 26 📚*
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*❝ फाइनेंस (लंबी आरजू) कराने वालों को हिदायत ❞*
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࿐ हदीस : हजरते अबू सईद खुदरी रज़ियल्लाहु अन्हु से मरवी है हजरते उसामा बिन जैद रजियल्लाहु अन्हु ने एक महीना के कर्ज पर एक सौ दीनार में लौडी खरीदी, जब हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सुना तो फरमाया तुम्हें तअज्जुब नहीं हुआ, उसामा ने एक महीने के कर्ज पर लौंडी खरीदी है। उस की उम्मीदें बहुत लम्बी हैं, रब्बे जुलजलाल की कसम मैं आँखें खोलता हूँ तो मुझे इतनी उम्मीद नहीं होती कि पलकें एक दूसरे से मिलेंगी या अल्लाह तआला इस से पहले मेरी रूह कब्ज कर लेगा, मैं तो निगाह उठाने के बाद निगाह की वापसी की उम्मीद नहीं रखता, लुक्मा मुंह में डाल कर उसे चबाने तक जिन्दगी की उम्मीद नहीं रखता फिर इरशाद फरमाया, ऐ लोगों! अगर तुम अक्लमन्द हो तो अपने आप को मुर्दों में शामिल समझो, रब्बे जुलजलाल की कसम जिसके कब्जए कुदरत में मेरी जान है तुम पर एक वक्ते मुकर्रर मौत आएगा जिस को तुम टाल नहीं सकोगे।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 26, पेज 167
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 26 📚*
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*❝ रास्ते में उसे मौत ने आलिया ❞*
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࿐ हदीस : हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने तीन लकड़ियाँ ली, एक को सामने, दूसरी को पहलू में और तीसरी को दूर गाड़ दिया और फ़रमाया जानते हो यह क्या है? सहाबा ने अर्ज की अल्लाह और उसका रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) बेहतर जानता है। फरमाया यह इंसान है, यह मौत है और वह इंसान की उम्मीदें है, आदमी उम्मीदों के पीछे भागता है मगर रास्ते में उसे मौत आ लेती है।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 26, पेज 167
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 27 📚*
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*❝ दौलत की मोहब्बत ईमान को बर्बाद करती है ❞*
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࿐ हदीस : हजरत कआब बिन मालिक रदिअल्लाहु अन्हु ये भी कहते है कि पैगम्बरे खुदा सल्लल्लाहो अलैहे व सल्लम ने फरमाया है कि "दो भूखे भेड़िये जो बकरियों में छोड़ दिये गये हों तो उन (चकरियों) को उससे ज्यादा तबाह नहीं करते जितना आदमी का माल व दौलत और इज्जत की भूख उसके दीन (ईमान) को तबाह करता है।" (तिर्मिजी)
࿐ हदीस : हजरत अब्दुल्लाह बिन मस्ऊद रदिअल्लाहु अन्हु का कौल है कि हुजूर सललल्लाहो अलैहे व सल्लम का इर्शाद पाक है कि "तुममे कौन है जिसे अपने माल से बढ़कर अपने वारिस का माल प्यारा है ?" लोगों ने अर्ज किया "ऐ अल्लाह के रसूल हम में से तो हर एक को अपने वारिस के माल से बढ़कर अपना ही माल प्यारा है।" इस पर आपने फरमाया "उसका माल तो वही है जो उसने आगे भेजा और वह उसके वारिस का माल है जो उसने पीछे छोड़ा। (बुखारी)
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 27 📚*
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*❝ इन चीजों के सिवा किसी चीज पर कोई हक नहीं ❞*
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࿐ हदीस हज़रत उस्मान रदिअल्लाहु अन्हु का कौल है कि प्यारे आका मदनी सल लल्लाहो अलैहि व सल्लम ने फरमाया है कि "इन चीजों के सिवा आदम के बेटे को किसी चीज पर कोई हक नही (1) रहने के मकान (2) तन ढकने को कपड़ा (3) खुश्क रोटी (4) पानी।" (तिर्मिजी)
*❝ फासिक (गुनाहगार) और फाजिर की दौलत पर रश्क न करो ❞*
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࿐ हदीस : हजरत अबहुरैरह रदिअल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि हुजूर सललल्लाहो अलैहि व सल्लम का इर्शाद पाक है कि किसी फासिक (गुनाहगार) और फाजिर की दौलत पर रश्क न करो इसलिये कि तुम नहीं जानते कि मरने के बाद उसके साथ क्या सलूक होने वाला है।
(मुस्लिम मआसरत)
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 27 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 52
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*❝ हमारे आका ﷺ दुनियावी राहत पसंद न किये ❞*
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࿐ हज़रत इब्ने मस्ऊद रदिअल्लाहु अन्हु बयान करते हैं कि (एक बार) अल्लाह के रसूल सललल्लाहो अलैहे व सल्लम चटाई पर सो कर जब उठे तो आपके बदन मुबाक पर चटाई के निशान पड़े हुवे थे। (इस पर) इब्ने मसऊद रदिअल्लहु अन्हु ने अर्ज किया "या रसूल्लाह ! काश आप हमे हुक्म दे तो हम आपके लिये बिस्तर बिछा दें और कोई काम करें। तो आप ﷺ ने फरमाया "मुझे दुनियाँ से क्या मतलब...? मेरा और इस दुनियाँ का लगाव तो बस ऐसा है जैसे कोई सवार किसी पेड़ के नीचे छाया लेने को ठहरे और फिर उसे छोड़कर चल दे!
📙 अहमद, तिर्मिजी, इब्ने माजा
*❝ कीमती नसीहत ❞*
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࿐ काफी है और दुनिया की ज्यादा ख्वाहिश हलाकत है। हजरत अबू हुरैरा रजियल्लाहु अन्हु से मरवी है कि मुझे हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया, परहेजगार बन तू सब से बड़ा आबिद होगा, कनाअत कर तू सब से बड़ा शुक्रगुजार होगा, जो अपने लिए पसन्द करता है वही दूसरों के लिए पसन्द कर तू मोमिन होगा।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 33, पेज 218
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 28 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 53
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*❝ लोगों के माल से उम्मीद न रख ❞*
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࿐ हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने लालच से मना फरमाया है चुनान्चे हज़रते अबू अयूब अंसारी रज़ियल्लाहु अन्हु से मरवी है कि एक बदवी ने हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमत में अर्ज की मुझे एक मुख्तसर नसीहत कीजिए आपने फरमाया हर नमाज़ को जिन्दगी की आखिरी नमाज समझ कर पढ़ कोई ऐसी बात न कर जिस पर कल माफी मांगनी पड़े और लोगों के माल से उम्मीद न रख।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 33, पेज 218
*❝ लालच करना छोड़ना ❞*
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࿐ हज़रते उमर रज़ियल्लाहु अन्हु का फरमान है, लालच का छोड़ना, फक्र और लोगों से ना-उम्मीदी गिना है, जो लोगों के माल व दौलत से ना-उम्मीद रहता है वह सब से बेपरवाह हो जाता है।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 33, पेज 218
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 28 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 54
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*❝ मालदारी का मतलब ❞*
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࿐ किसी दाना से मालदारी के मअना पूछे गये तो उसने जवाब दिया कि मुख्तसर उम्मीदे और मामूली गुजरान पर राजी होने का नाम गिना है इसी लिए कहा गया है।
1. ऐश की सिर्फ चन्द घड़ियां हैं और कारहाए नुमाया अंजाम देने के लिए वक्त कम है।
2. तू कनाअत कर उस ऐश पर जो तुझको हासिल है और ख्वाहिशाते नफ्सानी को छोड़ कर आजाद हो जा और ऐश की जिन्दगी बसर कर।
3. बहुत से वह लोग जिनको मौत आई वह सोना चाँदी और लाल व जवाहिर छोड़ कर मर गए।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 33, पेज 218
*❝ वह किसी का मुहताज नहीं ❞*
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࿐ हज़रते मुहम्मद बिन वासेअ रहमतुल्लाह अलैह सूखी रोटी पानी में भिगो कर खाते और कहते जो इस पर कनाअत करले वह किसी का मुहताज नहीं होगा।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 33, पेज 218
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 29 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 55
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*❝ बेहतरीन दौलत ❞*
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࿐ हजरते सुफियान रहमतुल्लाह अलैह का कौल है कि तुम्हारे लिए बेहतरीन दौलत वह है जो तुम्हारे कब्जे में नहीं है और कब्जे में आई हुई दौलत में वह बेहतरीन दौलत है जो तुम्हारे हाथ से निकल गई है।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 33, पेज 218
*❝ मामूली माल बेहतर ❞*
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࿐ हज़रते इबने मस्ऊद रजियल्लाहु अन्हु का कौल है, हर दिन एक फरिश्ता पुकार कर कहता है कि ऐ इंसान गुमराह करने वाले बहुत से माल से वह मामूली माल बेहतर है जो तुझे जिन्दा रहने में मदद दे।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 33, पेज 218
࿐ हजरते समीत बिन अजलान रहमतुल्लाह अलैह का फरमान है कि ऐ इंसान! तेरा बालिश्त भर पेट तुझे जहन्नम में न ले जाये, किसी आलिम से पूछा गया तेरा माल क्या है? उस ने कहा, जाहिर में पाकीजगी और बातिन में नेकी और लोगों से नाउम्मीदी।
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह 29 - 30 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 56
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❝ ❞
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*❝ दुनिया में सिर्फ खुराक मिली है ❞*
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࿐ मरवी है कि अल्लाह तआला ने इंसान से फरमाया अगर तुझे सारी दुनिया मिल जाती तब भी तुझे इस दुनिया से दो वक्त की खुराक मिलती, अब जबकि मैं ने दुनिया से तुझे सिर्फ खुराक दी है और उस का हिसाब दूसरों पर रख दिया है तो मैं ने यह तुझ पर एहसान किया है।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 33, पेज 220
*❝ नसीब में है वह तुम्हें जरूर मिलेगा ❞*
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࿐ हजरते इब्ने मसऊद रजियल्लाहु अन्हु का कौल है, जब तुम कोई हाजत तलब करो तो थोड़ी मांगो, इतना न मांगो कि दूसरे पर वबाल बन जाओ क्यों कि जो कुछ तुम्हारा नसीब है वह तुम्हें जरूर मिलेगा।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 33, पेज 218
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 30 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 57
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❝ ❞
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*❝ कनाअत कर लेता हूं ❞*
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࿐ बनू उमैया के एक हाकिम ने जनाबे अबू हाजिम रहमतुल्लाह अलैह की तरफ खत लिखा जिस में उन से किसी जरूरत के मुतअल्लिक पूछा गया ताकि वह उसे पूरी करदें अबू हाजिम रहमतुल्लाह अलैह ने जवाब में लिखा, मैंने अपनी जरूरते अपने मालिक की बारगाह में पेश की हुई है जिनको वह पूरा कर देता है, खुश हो जाता और जिनको वह रोक देता है उस से कनाअत कर लेता हूं।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 33, पेज 220
*❝ अल्लाह की रजा पर राजी ❞*
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࿐ किसी आलिम से पूछा गया कि कौन सी चीज आलिम के लिए खुशी का सबब है और दुख दूर करने का सामान है? आलिम ने जवाब दिया कि आलिम के लिए सबसे बड़ी खुशी नेक अमल और गम दूर करने में उस का मददगार अल्लाह की रजा पर राजी रहना है।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 33, पेज 220
࿐ एक आलिम का कौल है, मैं ने लोगों में सब से दुखी हासिद को, सब से बेहतरीन जिन्दगी वाला कनाअत पसन्द को, सब से ज्यादा मुसीबतों पर सब्र करने वाला लालची को सब से ज्यादा खुश तारिके दुनिया को और सबसे ज्यादा शर्मिन्दा हद से आगे निकलने वाला आलिम को पाया है। इसी मौजूअ पर कहा गया है
1. ࿐ जब जवान इस बात पर मुकम्मल एतेमाद करता है कि राजिके मुतलक उसे जरूर रोजी देगा।
2. ࿐ तो उस की इज़्ज़त मैली नहीं होती और न ही उस का चेहरा कभी पुराना होता है।
3. ࿐ जो शख्स कनाअत इख्तियार कर लेता है उसे कभी किसी चीज की परवाह नहीं होती और उस पर कभी दुख का साया नहीं पड़ता।
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह 30 - 31 📚*
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*❝ एक और शायर कहता है ❞*
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࿐ 1. कब तक मैं इस तरह सफर करता रहूंगा और जबरदस्त जिद्दो जुहद और यह आना जाना जारी रखूगा, 2. मैं घर से दूर हमेशा दोस्तों से छुपा रहता हूं, उन्हें मेरे हालात का इल्म नहीं होता।, 3. मैं कभी पूरब में होता है और कभी पच्छिम में, लालच का गल्बा यू है कि मेरे दिल में कभी मौत का ख्याल ही नहीं आता। बसर करता क्यों कि, 4. अगर मैं कनाअत करता तो खुशहाली की जिन्दगी हकीकी तवंगरी (मालदारी) कनाअत में है, कसरते माल व दौलत तवंगरी नहीं है।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 33, पेज 220
*❝ माल से क्या कुछ लेना हलाल ❞*
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࿐ हजरते उमर रज़ियल्लाहु अन्हु का इरशाद हज़रते उमर रजियल्लाहु अन्हु का इरशाद है कि क्या मैं तुम्हें न बताऊं कि मैं अल्लाह तआला के माल से क्या कुछ लेना हलाल समझता हू? सुनो! सर्दी और गर्मी के लिए दो चादरें और इस के इलावा मुझे हज, उमरा, और गिजा के लिए कुरैश के मामूली जवान के पेट भरने के जितनी गिजा की फराहमी, लोगो! मैं मुसलामनों से बड़ा व ऊँचा नहीं हूँ बखुदा मैं नहीं जानता कि इतना लेना भी जाइज है या नहीं? गोया आप इतनी सी मिकदार में भी शक फरमा रहे थे कि कहीं यह कनाअत के दाइरे से खारिज तो नहीं है?
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 33, पेज 220
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह 31 - 32 📚*
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*❝ एक भाई को नसीहत ❞*
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࿐ एक बदवी ने अपने भाई को लालच से रोकते हुए कहा तुम दुनिया के तालिब हो और उस चीज के मतलूब हो जो कभी टल नहीं सकती, तुम ऐसी चीज को तलाश कर रहे हो जो पहले ही तुम्हारी हो चुकी है, गोया कि गाइब चीज तुम्हारे सामने और हाजिर चीज तुम से मुन्तकिल होने वाली है शायद तुम ने किसी लालची को महरूम और किसी तारिके दुनिया को रिज्क पाते हुए नहीं देखा है। इसी मौजूअ पर किसी शायर ने कहा है 1. मै देख रहा हू कि तेरी मालदारी तेरे लालच को बढ़ा रही है गोया कि तू नहीं मरेगा। 2. कभी तू अपने लालच से रुक कर यह भी कहेगा कि बस मुझे यह काफी है और मैं इतने पर राजी हूं।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 33, पेज 221
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 32 📚*
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*❝ एक हरीस (लालची) को सबक ❞*
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࿐ हजरते शोअबी रहमतुल्लाह अलैह कहते है कि एक आदमी ने चन्डोल को शिकार किया, चिडिया ने कहा, तुम मेरा क्या करोगे? उस आदमी ने कहा जिबह करके खाऊंगा चिड़िया ने कहा ब-खुदा मेरे खाने से तुम्हारा पेट नहीं भरेगा! मैं तुम्हें तीन ऐसी बातें बताऊंगी, जो मेरे खाने से कहीं बेहतर है, एक तो मैं तुम को इस कैद की हालत ही में बताऊंगी दूसरी पेड़ पर बैठ कर और तीसरी पहाड़ पर बैठ कर बताऊंगी। आदमी ने कहा चलो ठीक है पहली बात बताओ चिड़िया ने कहा याद रखो गुजरी बात पर अफसोस न करना, आदमी ने उसे छोड़ दिया जब पेड़ पर जाकर बैठ गई तो आदमी ने कहा दूसरी बात बताओ, चिड़िया ने कहा, नामुमकिन बात को मुमकिन न समझना फिर वह उड़ कर पहाड़ पर जा बैठी और कहने लगी ऐ बद नसीब! अगर तू मुझे जिबह कर देता तो मेरे पोटे से बीस मिस्काल (साढ़े चार माशा का एक मिस्काल ही होता है) के दो मोती निकलते। यह सुन कर वह शख्स अफसोस से अपने होट काटते हुए कहने लगा कि अब तीसरी बात बता दे! चिड़िया बोली तुम ने तो पहली दो को भुला दिया है अब तीसरी बात किस लिए पूछते हो? मैं ने तुम से कहा था कि गुजरी हुई बात पर अफसोस न करना और नामुमकिन चीज को मुमकिन न समझना। मैं तो अपने गोश्त, खून और परों समेत भी बीस मिस्काल की नहीं हूं जबकि मेरे पोटे में बीस-बीस मिस्काल के दो मोती हो। यह कहा और उड़ गई।
࿐ *यह इंसान के इन्तेहाई लालची होने की मिसाल है !* क्यों कि वह भी लालच में ना-मुमकिन को मुमकिन समझते हुए हक रास्ते से भटक जाता है जनाबे इबने सम्माक रहमतुल्लाह अलैह का कौल है उम्मीद तेरे दिल का जाल और पैरों की बेड़िया है दिल से उम्मीदें निकाल दे, तेरे पाँव बेड़ियों से आजाद हो जायेंगे।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 33, पेज 221
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह 32 - 33 📚*
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*❝ हिर्स की मजम्मत ❞*
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࿐ जनाबे अबू मुहम्मद यजीदी रहमतुल्लाह अलैह का कौल है कि मैं खलीफा हारून रशीद के यहां आया तो यह एक ऐसे कागज को पढ़ रहा था, जिस पर सोने के पानी से कुछ लिखा हुआ था, खलीफा ने जब मुझे देखा तो मुस्करा दिया, मैंने कहा अमीरुल मोमिनीन कोई खास बात है? कहा मैं ने बनू उमैया के खजाने में यह दो शेअर पाये जो मुझे बहुत अच्छे लगे हैं और मैंने उन में एक और शेअर का इजाफा कर दिया है।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 33, पेज 221
࿐ 1. जब तेरी हाजत-रवाई का दरवाजा तुझ पर बन्द हो जाये तो रुक जा, कोई और तेरी हाजत-रवाई कर देगा।
࿐ 2. पेट का बन्दा होना उस के भरने के लिए काफी है और काम की बाईयों से बचनेके लिए उन से परहेज जरूरी है।
࿐ 3. और अपने मकसद को हासिल करने के लिए घटिया हरकतें मत कर और गुनाह करने से परहेज कर जिस की वजह से तू सजा से महफूज हो जायेगा।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 33, पेज 222
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह 33 - 34 📚*
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*❝ इल्म इन्सान को हिर्स और हाथ फैलाने से महफूज रखता है ❞*
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࿐ हज़रते अब्दुल्लाह बिन सलाम रजियल्लाहु अन्हु ने हज़रते कअब रज़ियल्लाहु अन्हु से पूछा कि आलिमों के इल्म हासिल कर लेने के बाद कौन सी चीज उनके दिलों से इल्म निकाल लेती है हजरते कअब रजियल्लाहु अन्हु ने कहा लालच, हिर्स और लोगों के आगे हाथ फैलाना किसी शख्स ने हजरते फुजैल रहमतुल्लाह अलैह से इस बात की तशरीह चाही तो उन्होंने जवाब दिया कि इंसान लालच में जब किसी चीज को अपना मकसूद व मतलूब बना लेता है तो उस का दीन रुखसत हो जाता है लालच यह है कि इंसान कभी इस चीज की और कभी उस चीज की तलब में रहता है यहां तक कि वह सब कुछ हासिल करना चाहता है और कभी उस मकसद के हुसूल के लिए तेरा साबका मुख्तलिफ लोगों से पड़ेगा जब वह तेरी जरूरतें पूरी करेंगे तो तेरी नाक में नकेल डाल कर जहां चाहेंगे ले जायेंगे।
࿐ वह तुझ से अपनी इज्जत चाहेंगे और तू रुसवा हो जायेगा और इसी मुहब्बते दुनिया के सबब जब भी तू उन के सामने से गुजरेगा तो उन्हें सलाम करेगा और जब वह बीमार होंगे, तू अयादत को जायेगा और यह तेरे तमाम अफ आल खुदा की रजा के लिए नहीं होंगे तेरे लिए बहुत अच्छा होता अगर तू उन लोगों का मुहताज न होता।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 33, पेज 222
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 34 📚*
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❝ ❞
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*❝ हमारे नबी ने अमीरी नही अपनाई ❞*
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࿐ यह दुनिया उसका घर है जिसका कोई घर न हो मरवी है कि जिबरील अलैहिस्सलाम आप की खिदमत में हाजिर हुए और कहा अल्लाह तआला आपको सलाम फरमाता है और फरमाता है कि अगर आप चाहें तो मैं पहाड़ सोने का बना दूं, जो आप के साथ-साथ रहे हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने कुछ लम्हे खामोश रहने के बाद फरमाया कि जिबरील! यह दुनिया तो उस का घर है जिस का कोई घर न हो, यह उस की दौलत है जिस के पास कोई दौलत न हो और इसे वही जमा करता है जो बेवकूफ हो जिबरील बोले, ऐ अल्लाह के नबी अल्लाह त'आला आप को इसी हक व सदाकत पर काइम रखे।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 223
*❝ दुनिया को दुनियादारों के लिए छोड़ दिया ❞*
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࿐ मरवी है कि हजरते ईसा अलैहिस्सलाम सफर के दर्मियान एक ऐसे शख्स के पास से गुजरे जो कम्बल लपेटे सो रहा था आपने उसे जगा कर फरमाया ऐ सोने वाले उठो और अल्लाह को याद कर! उस शख्स ने कहा तुम मुझ से और क्या चाहते हो कि मैं ने दुनिया को दुनियादारों के लिए छोड़ दिया है आपने फरमाया तो फिर ऐ मेरे दोस्त सोजा।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 223
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह 34 - 35 📚*
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❝ ❞
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*❝ अल्लाह अपने महबूब बन्दे के दिल से दुनिया की मुहब्बत निकाल देता है ❞*
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࿐ हजरते मूसा अलैहिस्सलाम एक ऐसे शख्स के करीब से गुजरे जो ईंट का तकिया बनाये, कम्बल में लिपटा हुआ जमीन पर सो रहा था और उस की दाढ़ी और तमाम चेहरा गुबार आलूद हो रहा था मूसा अलैहिस्सलाम ने अर्ज की ऐ रब तआला! तेरा यह बन्दा दुनिया में बरबाद हो गया अल्लाह तआला ने मूसा अलैहिस्सलाम की तरफ वही की और फरमाया तुम्हें पता नहीं, जब मैं किसी बन्दे पर अपने करम के दरवाजे मुकम्मल तौर पर खोल देता हूं, उस से दुनिया मोहब्बत खत्म कर देता हूं!
࿐ हजरते अबू राफेअ रजियल्लाहु अन्हु से मरवी है कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का एक मेहमान आया मगर आप के पास उस की मेजबानी के लिए कुछ न था हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मुझे खैबर के एक यहूदी के पास भेजा और फरमाया उस से कहो कि रजब के चाँद तक हमें कर्ज या उधार में आटा दे दे, मैं उस यहूदी के पास गया तो उसने कहा कोई चीज गिरवी रखो तब आटा मिलेगा। मैने आपको खबर दी तो आपने इरशाद फरमाया ब-खुदा मैं जमीन व आसमान का अमीन हूं, अगर वह कर्ज या उधार में आटा देता तो मैं जरूर वापस करता, लो मेरी यह जिरह ले जाओ और उस के पास गिरवी रख दो जब मैं जिरह लेकर निकला तो आप की तसल्ली के लिए यह आयत नाजिल हुई और ऐ सुनने वाले! उस की तरफ अपनी आंखें न लगा, जो हम ने काफिरों के जोड़ों (औरत व शौहर) को बरतने के लिए दी है, जीती दुनिया की ताज़गी।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 223
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 35 📚*
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*❝ काइनात की सारी दौलत मिल गई है ❞*
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࿐ फरमाने नबवी ﷺ है कि फक्र मोमिन के लिए घोड़े के मुंह पर हसीन बालों से ज़्यादा खूबसूरत है नबी का फरमान है कि जिस का जिस्म तन्दुरुस्त, दिल मुतमइन है और उस के पास एक दिन की गिजा मौजूद है तो गोया उसे (काइनात की) सारी की सारी दौलत मिल गई है।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 224
࿐ हजरते कअब अहबार रजियल्लाहु अन्हु से मरवी है कि अल्लाह तआला ने मूसा अलैहिस्सलाम से फरमाया जब तू फक्र गरीबी को आता देखे तो कहना खुश आमदीद, ऐ नेकों के लिबास!
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 224
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 36 📚*
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*❝ दीनदार शिकार न कर सका और दुनियादार को खूब शिकार हुआ ❞*
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࿐ हजरते अता खुरासानी रहमतुल्लाह अलैह से मन्कूल है अल्लाह तआला के एक नबी का नदी के किनारे से गुजर हुआ, वहां उन्होंने देखा एक शख्स मछलियों का शिकार कर रहा है, उस ने अल्लाह तआला का नाम लेकर नदी में जाल डाला कोई मछली न फंसी, फिर उन्हीं नबी का गुजर एक दूसरे शख्स के पास से हुआ जो मछलियों का शिकार कर रहा था, उस ने शैतान का नाम लेकर अपना जाल फेंका जब जाल खींचा तो वह मछलियों से भरा निकला।
࿐ अल्लाह के नबी ने बारगाहे रब्बुल इज्जत में अर्ज की ऐ आलिमुल गैब इस में क्या राज़ है? अल्लाह तआला ने फरिश्तों को हुक्म दिया कि मेरे नबी को उन दो शख्सों का मकामे आखिरत दिखलाओ, जब उन्होंने पहले शख्स का अल्लाह तआला के हुजूर इज्जत व वकार और दूसरे शख्स की बेहुरमती देखी तो बेसाख्ता कह उठा इलाहल आलमीन! मैं तेरी तकसीम पर राजी हूं।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 224
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 36 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 67
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*❝ जहन्नम में अक्सर मालदार ❞*
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࿐ नबी ﷺ का फरमान है, मैं ने जन्नत को देखा उस में अक्सर फकीर थे, मैं ने जहन्नम को देखा उसमें अक्सर मालदार और औरतें थीं एक रिवायत में है कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने दरियाफ्त किया मालदार कहा हैं? तो मुझे बताया गया उन्हें मालदारी ने गिरफ्तार कर रखा है एक दूसरी हदीस में है मैं ने जहन्नम में अक्सर औरतों को देख कर कहा ऐसा क्यों है? तो मुझे बताया गया यह उन की सोने और खुशबूओं से मुहब्बत की वजह से है!
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 225
*❝ फक्र / गरीबी दुनिया में मोमिन के लिए तोहफा है ❞*
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࿐ हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते हैं फक्र/गरीबी दुनिया में मोमिन के लिए तोहफा है। एक रिवायत में है, अम्बियाए किराम में सब से आखिर हजरत सुलैमान अलैहिस्सलाम जन्नत में दाखिल होंगे क्यों कि वह दुनियावी दौलत और उस की शाही रखते थे और सहाबियों में हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ रजियल्लाहु अन्हु अपनी मालदारी की वजह से सब से आखिर में जन्नत में जायेंगे।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 225
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह 36 - 37 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 68
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*❝ मोमीन मालदार बहुत दुशवारी के साथ जन्नत में दाखिल होगा ❞*
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࿐दूसरी हदीस में है कि मैं ने उन्हें (हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ को) घुटनों के बल जन्नत में दाखिल होते देखा, हजरत ईसा अलैहिस्सलाम का कौल है कि मालदार बहुत दुशवारी के साथ जन्नत में दाखिल होगा।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 225
*❝ माल और औलाद में से कुछ बाकी नहीं रहता ❞*
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࿐ हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के अहले बैत रज़ियल्लाहु अन्हुम से मरवी है आपने फरमाया जब अल्लाह तआला किसी इंसान से मुहब्बत करता है तो उसे आजमाइश में डाल देता है और जब किसी से बहुत ज्यादा मुहब्बत करता है तो उस से के लिए जखीरा (जमा) कर देता है, पूछा गया हुजूर जखीरा कैसे होता है? आपने फरमा उस इंसान के माल और औलाद में से कुछ बाकी नहीं रहता।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 225
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 37 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 69
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*❝ माल व दौलत की सजा ❞*
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࿐ हदीस शरीफ में है कि जब तू फक्र को अपनी तरफ मुतवज्जह पाये तो उसे खुश आमदीद कह और ऐ नेकियों की अलामत कह कर उस का खैर मकदम करो और जब तुम माल व दौलत को अपनी तरफ आता देखो तो कहो, दुनिया में मुझे यह किसी गुनाह की जल्दी सजा मिल रही है।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 225
*❝ फकीर अल्लाह के दोस्त ❞*
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࿐ हजरते मूसा अलैहिस्सलाम ने अल्लाह तआला से अर्ज़ किया इलाही! मखलूक में तेरे दोस्त कौन से हैं ताकि मैं उन से मुहब्बत करूं, अल्लाह तआला ने फरमाया फकीर और फकीर।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 225
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह 37 - 38 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 70
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*❝ मालदारी से नफ़रत करता हूं ❞*
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࿐ हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम का फरमान है मैं फक्र को दोस्त रखता हूं और मालदारी से नफरत करता हूं और आपको ऐ मिस्कीन कह कर बुलाया जाना सब नामों से अच्छा लगता है।
࿐ जब अरब के सरदारों और मालदारों ने हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से कहा कि आप अपनी मजलिस में एक दिन हमारे लिए और एक दिन उन फकीरों के लिए मुकर्रर कीजिए पस वह हमारे दिन में न आयें और हम उन के दिन में नहीं आयेंगे। फकीरों से उन की मुराद हजरत बिलाल, हजरत सलमान, हजरत सुहैब, हजरत अबू जर, हजरत खवाब बिन अलअरत, हजरत अम्मार बिन यासिर, हजरत अबू हुरैरा और असहाबे सुफ्फा के फुकरा रिजवानुल्लाहु अलैहिम अजमईन थे। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इस बात को मान लिया क्योंकि इन फकीरों के लिबास से उन दौलतमन्दों को बदबू आती थी। इन फकीरों के लिबास ऊन के थे और पसीना आने की सूरत में उनके कपड़ों से जो बू आती थी वह अक्रअ बिन हाबिस तैमी, अयैनह बिन हिसन फजारी, अब्बास बिन मुराद सलमी और दूसरे अरब के दौलतमन्दों को बहुत बेचैन कर दिया करती थी। चुनान्चे हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की इस बात पर रजामन्दी के सबब कुरआन पाक की यह आयत नाजिल हुई।
और अपनी जान उन से मानूस रखो जो सुबह व शाम अपने रब को पुकारते हैं, उस की रजा चाहते हैं और तुम्हारी आंखें उन्हें छोड़ कर ऊपर न पड़ें, क्या तुम दुनिया की जिन्दगी का सिंगार चाहोगे, उस का कहा न मानो जिसका दिल हमने अपनी याद से गाफिल कर दिया और वह अपनी ख्वाहिश के पीछे चला और उस का काम हद से गुजर गया और फरमा दो कि हक तुम्हारे रब की तरफ से है तो जो चाहे ईमान लाये और जो चाहे कफ करे।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 225
࿐ एक रोज हजरत इब्ने उम्मे मक्तूम रज़ियल्लाहु अन्हु ने हुजूर की खिदमत में हाजिरी की इजाजत तलब की, उस वक्त आपके पास एक कुरैशी सरदार बैठा हुआ था आप को इब्ने उम्मे मक्तूम का आना अच्छा मालूम नहीं हुआ, तब अल्लाह तआला ने यह आयत नाजिल फरमाई :
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 226)
࿐ उस ने तेवरी चढ़ाई और मुंह मोड़ लिया जब उसके पास नाबीना (अंधा) आया और किस चीज ने तुम्हें यह मालूम कराया कि शायद वह पाक हो जाता या नसीहत सुनता पस उसे नसीहत फाइदा देती, जो शख्स बेपरवाई करता है तुम उस की खातिर उसे रोकते हो।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 226
࿐ यहां नाबीना से मुराद हजरत इब्ने उम्मे मक्तूम रज़ियल्लाहु अन्हु और बेह शख्स से मुराद वह कुरैशी सरदार है जो हुजूर की खदिमत में आया हुआ था।
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह 38 - 39 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 71
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*❝ फकीरों के पास दौलत है ❞*
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࿐ फरमाने नबवी ﷺ है कि फकीरों को पहचानो और उन से भलाई करो, उन के पास दौलत है, पूछा गया कि हुजूर कौन सी दौलत है? आप ने फरमाया जब कियामत का दिन होगा अल्लाह तआला उन से फरमाएगा जिस ने तुम्हें खिलाया पिलाया हो या कपड़ा पहनाया हो उस का हाथ पकड़ कर उसे जन्नत में ले जाओ।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 227
*❝ अमीर बहुत आखिर में जन्नत में दाखिल होंगे ❞*
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࿐ फरमाने नबवी ﷺ है कि जब मैं (मेअराज की रात) जन्नत में गया तो मैं ने अपने आगे हरकत की आवाज सुनी, मैं ने देखा तो वह बिलाल थे मैं ने जन्नत की बुलन्दियों पर देखा, वहां मुझे अपनी उम्मत के फुकरा और उन की औलादें नजर आई, मैं ने नीचे देखा तो मालदार नजर आए और औरतें कम थीं मैं ने सबब पूछा तो बताया गया कि औरतों को सोने और रेशम ने जन्नत से महरूम कर दिया है और मालदारों को उन के लम्बे हिसाबों ने ऊपर नहीं जाने दिया, मैं ने अपने सहाबा को तलाश किया तो मुझे अब्दुर्रहमान बिन औफ नजर न आये, कुछ देर बाद वह रोते हुए आए मैं ने पूछा तुम मुझ से क्यों पीछे रह गये? तो अब्दुर्रहमान ने कहा मैं बहुत दुख झेल कर आप की खिदमत में पहुंचा हूं मैं तो समझ रहा था कि शायद मैं आप को नहीं देख पाऊँगा।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 227
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 40 📚*
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*❝ मालदारी ने मुसीबत में मुब्तेला कर दिया ❞*
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࿐ हजरत अब्दुर्रहमान बिन अउफ साबिकीन अव्वलीन (सब से पहले वाले) मुसलमानों में से थे, हुजूर के जाँनिसार और उन दस हजरात में से थे जिन्हें हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जन्नत की बशारत दी है और उन मालदारों में से थे जिन के लिए हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया, मगर जिस ने माल को ऐसे ऐसे खर्च किया, उन्हें भी मालदारी ने इतनी मुसीबत में मुब्तेला कर दिया।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 227
*❝ बिना माल व मनाल वाला शख्स ❞*
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࿐ हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम एक ऐसे शख्स के पास से गुजरे जिस के पास माल व मनाले दुनिया से कुछ नहीं था आप ने फरमाया अगर इस का नूर तमाम दुनिया वालों में तकसीम किया जाये तो पूरा हो जाएगा।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 227
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 40 📚*
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*❝ जन्नत के बादशाह ❞*
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࿐ नबीए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते हैं क्या मैं जन्नती बादशाहों के मुतअल्लिक तुम्हें बताऊं? अर्ज की गई फरमाईये आपने फरमाया हर वह शख्स जिसे कमजोर व नातवाँ समझा गया, गुबार आलूद परेशान बालों वाला, दो फटी पुरानी चादरों वाला, जिसे कोई खातिर में नहीं लाता, अगर वह अल्लाह की कसम खाले तो अल्लाह तआला उस की कसम को ज़रूर पूरी करता है।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 227
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 41 📚*
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*❝ हजरते फातिमा रजियल्लाहु अन्हा की गरीबी ❞*
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࿐ हज़रत इमरान बिन हसीन रजियल्लाहु अन्हु से मरवी है हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मुझ से हुस्ने जन (अच्छा गुमान) रखते थे एक मर्तबा हुजूर सल्लल्लाहु से अलैहि वसल्लम ने फरमाया ऐ इमरान! तुम्हारा मेरे नजदीक एक खास मकाम है, क्या तुम मेरी बेटी फातिमा रजियल्लाहु अन्हा की अयादत को चलोगे? मैं ने कहा मेरे माँ बाप आप पर कुरबान, जरूर चलूंगा, चुनान्चे हम रवाना हो गये और हजरते फातिमा रज़ियल्लाहु अन्हा के दरवाजे पर पहुंचे, आपने दरवाजा खटखटाया और सलाम के बाद अन्दर आने की इजाजत तलब फरमाई, हज़रत फातिमा रज़ियल्लाहु अन्हा ने फरमाया तशरीफ लाईये, आपने फरमाया मेरे साथ एक और शख्स भी है पूछा गया, हुजूर! दूसरा कौन है? आप ने फरमाया इमरान! हजरते फातिमा रज़ियल्लाहु अन्हा बोलीं, रब्बे जुलजलाल की कसम जिसने आप को हक के साथ मबऊस फरमाया (भेजा) मैं सिर्फ एक चादर से तमाम जिस्म छुपाए हुए हूं (गरीबी के वजह से) आप ने दस्ते अकदस के इशारे से फरमाया तुम ऐसे-ऐसे पर्दा कर लो, उन्होंने अर्ज किया इस तरह मेरा जिस्म तो ढक जाता है मगर सर नहीं छुपता, आपने उन की तरफ एक पुरानी चादर फेंकी और फरमाया तुम इस से सर ढांप लो।
࿐ उस के बाद आप घर में दाखिल हुए और सलाम के बाद पूछा, बेटी कैसी हो? हज़रत फातिमा रज़ियल्लाहु अन्हा ने अर्ज किया ! हुजूर मुझे दोहरी तकलीफ है, एक बीमारी की तकलीफ और दूसरे भूक की तकलीफ मेरे पास ऐसी कोई चीज नहीं है, जिसे खा कर भूक मिटा सकू। रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम यह सुनकर अश्कबार (आंखों में आसू भर गए) हो गए और फरमाया बेटी घबराओ नहीं, रब की कसम मेरा खुदा के यहां तुम से ज्यादा मर्तबा है मगर मैं ने तीन दिन से कुछ खाया नहीं है अगर मैं अल्लाह तआला से मांगू तो मुझे जरूर खिलाये मगर मैं ने दुनिया पर आखिरत को तजीह दी है!
࿐ फिर आपने हज़रत फातिमा रजियल्लाहु अन्हा के कन्धेपर हाथ रख कर फरमाया, खुश हो जाओ तुम जन्नती औरतों की सरदार हो उन्होंने पूछा हजरते आसिया और मरियम कहां होंगी? आप ने फरमाया आसिया अपने जमाने की औरतों की और तुम अपने जमाने की औरतों की सरदार हो? तुम जन्नत के ऐसे महलों में रहोगी जिस में कोई ऐब, कोई दुख और कोई तकलीफ नहीं होगी। फिर फरमाया अपने चचाजाद के साथ खुश रहो, मैं ने तुम्हारी शादी दनिया और आखिरत के सरदार के साथ की है।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 228
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 42 📚*
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*❝ फुकरा (मोमिन गरीब) अमीर से पांच सौ साल पहले जन्नत में दाखिल होंगे ❞*
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࿐ हजरते उमर रजियल्लाहु अन्हु ने हजरत सईद बिन आमिर रज़ियल्लाहु अन्हु के पास एक हजार दीनार भेजे, हज़रत सईद अपने घर में बहुत ही दुखी हालत में दाखिल हुए उन की बीवी ने पूछा कोई खास बात हो गई है? बोले बहुत अहम बात हो गई है, यह फरमाया और नमाज़ के लिए खड़े हो गए और सुबह तक रो-रो कर इबादत करते रहे, फिर फरमाया मैं ने रसूलुल्लाह सल्लल्लहु अलैहि वसल्लम से सुना है, आपने फरमाया मेरी उम्मत के फुकरा मालदारों से पांच सौ साल पहले जन्नत में दाखिल होंगे यहां तक कि अगर कोई मालदार आदमी उन की जमाअत में शामिल होगा तो उसे हाथ पकड़ कर बाहर निकाल दिया जाएगा।
*📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 228*
*❝ बिला हिसाब जन्नत में दाखिला ❞*
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࿐ हजरत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से मरवी है कि तीन आदमी बिला हिसाब जन्नत में दाखिल होंगे, वह शख्स जिस ने कपड़े धोने का इरादा किया मगर उस के दूसरे पुराने कपड़े नहीं थे जिन्हें पहन कर वह कपड़े धो ले, जो शख्स चूल्हे पर दो-दो हांडिया नहीं चढ़ाता और जिस को पीने की दावत देकर उस से यह न पूछा तुम क्या पियोगे यानी उनके पास पिलाने को कुछ?
*📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 228*
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 42 📚*
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*❝ काश हम भी फकीर (गरीब) होते ❞*
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࿐ हजरत सुफियान सौरी रहमतुल्लाह अलैह की महफिल में एक फकीर आया तो आपने उससे फरमाया आगे आ जाओ, अगर तुम मालदार होते तो मैं तुम्हें आगे बढ़ने की इजाजत न देता, उन की फकीरों से बेपनाह मुहब्बत देख कर उनके मालदार दोस्त यह तमन्ना करते कि काश हम भी फकीर होते, जनाबे मोमिल रहमतुल्लाह अलैह का बयान है कि मैं ने हजरत सुफियान सौरी रहमतुल्लाह अलैह की मजलिस में फकीर से ज़्यादा बा-इज्जत और मालदार से ज़्यादा जलील किसी को नहीं देखा।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 229
*❝ दौलत से नही जन्नत से मोहब्बत करो ❞*
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࿐ एक दानिशमन्द का कौल है कि इंसान जितना तंगदस्ती से डरता है अगर उतना, जहन्नम से डरता तो दोनों से नजात पा लेता और जितनी उसे दौलत से मुहब्बत है अगर जन्नत से उसे उतनी मुहब्बत होती तो दोनों को पा लेता, जितना जाहिर में लोगों से डरता है अगर उतना बातिन में अल्लाह तआला से डरता तो दोनों जहानों में सईद शुमार होता।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 230
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 43 📚*
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*❝ वो इंसान लानती है ❞*
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࿐ हजरत इबने अब्बास रजियल्लाहु अन्हुमा का कौल है कि जो मालदार की इज्जत और फकीर की तौहीन करता है, वह मलऊन (लानती) है।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 230)
*❝ किसी को हकीर न समझो ❞*
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࿐ हजरत लुकमान ने अपने बेटे को नसीहत करते हुए कहा कि फटे पुराने कपड़ों की वजह से किसी को हकीर न समझो क्यों कि उस का और तुम्हारा रब एक है।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 230
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 43 📚*
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*❝ फकीरों से मुहब्बत करना एक खूबी है ❞*
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࿐ हज़रत यहया बिन मआज रहमतुल्लाह अलैह कहते हैं कि फकीरों से तुम्हारी मुहब्बत रसूलों की सिफ्तों में से एक सिफत (खूबी) है, उन की मजालिस में आना नेको की अलामत है और उन की दोस्ती से दूर भागना मुनाफिकों की अलामत है।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 230
*❝ 1 लाख दिरहम एक ही दिन में तकसीम कर दी ❞*
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࿐ हजरते आइशा रजियल्लाहु अन्हा के पास हज़रत मुआविया, इब्ने आमिर रजियल्लाहु अन्हुमा और कुछ दूसरे लोगों ने एक लाख दिरहम भेजे, आपने उन सब को एक ही दिन में तकसीम कर दिया हालांकि आपकी ओढ़नी पर पैवन्द लगे हुए थे, आपकी लौंडी ने कहा कि आप रोजे से हैं, अगर आप मुझे एक दिरहम दे देतीं तो मैं गोश्त ले आती और आप इफ्तार करतीं, आप ने यह सुनकर फरमाया तुम मुझे पहले बता देती तो मैं एक दिरहम तुम्हें दे देती।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 230
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 44 📚*
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*❝ नबी की वसीयत दौलत मन्दों की महफिलों से दूर रहना ❞*
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࿐ हुजूर ﷺ ने हज़रत आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा को वसीयत फरमाई अगर तुम मुझ से मुलाकात की ख्वाहिशमन्द हो तो फकीरों जैसी जिन्दगी बसर करना, दौलतमन्दों की महफिलों से दूर रहना और ओढ़नी को पैवन्द लगाए बगैर न उतारना।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 230
*❝ हिकायत : 10 हज़ार दिरहम लेने से इनकार किया ❞*
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࿐ एक शख्स हज़रते इब्राहीम बिन अदहम रहमतुल्लाह अलैह की खदिमत में दस हजार दिरहम लाया और बड़ी आजिजी से उन्हें कबूल करने की दरख्वास्त की, आपने इन्कार कर दिया और फरमाया क्या तुम दस हजार दिरहमों के बदले फकीरो के दफ्तर से मेरा नाम काटना चाहते हो खुदा की कसम मैं ऐसा कभी नहीं होने दूंगा! नबी ﷺ का फरमान है, उस शख्स के लिए खुशखबरी है जो इस्लाम पर चला, और उस ने मामूली गुजरान पर कनाअत कर ली।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 230)
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 44 📚*
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*❝ सब्र के वजह से अल्लाह के करीब ❞*
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࿐ हज़रत उमर रजियल्लाहु अन्हु से मरवी है हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि हर चीज की एक कुंजी होती है और जन्नत की चाबी फुकरा और मसाकीन की मुहब्बत है, अपने सब्र की वजह से वह कियामत के दिन अल्लाह तआला के करीब होंगे।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 231
*❝ अल्लाह का सबसे महबूब बन्दा ❞*
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࿐ हजरत अली रजियल्लाहु अन्हु से मरवी है, हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि अल्लाह तआला को वह बन्दा सब से ज़्यादा महबूब है जो फकीर हो अल्लाह की रज़ा पर राजी हो और उस की दी हुई रोजी पर कनाअत (संतुष्टि) करे।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 231
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 45 📚*
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*❝ अल्लाह को टूटे हुए दिलो में तलाश करो ❞*
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࿐ अल्लाह तआला ने हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम की तरफ वही की कि मुझे टूटे हुए दिलों में तलाश करना, आपने पूछा वह कौन लोग हैं? अल्लाह तआला ने फरमाया वह सच्चे फुकरा (मोमिन गरीब) हैं।
📙मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 231
*❝ फुकरा / मोमीन गरीब अल्लाह के दोस्त है ❞*
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࿐ नबी ﷺ का फरमान है कि राजी ब-रजा फकीर से ज़्यादा कोई फजीलत वाला नहीं नबी ﷺ का फरमान है कि अल्लाह तआला कियामत के दिन इरशाद फरमाएगा कि मखलूक में मेरे दोस्त कहां है? फरिश्ते पूछेगे या अल्लाह! वह कौन है? अल्लाह तआला फरमाएगा वह मुसलमान फुकरा है जो मेरी दी हुई चीजों पर कानेअ थे और मेरी रजा पर राजी थे उन्हें जन्नत में दाखिल करो चुनान्चे लोग अभी अपने हिसाब में परेशान होंगे कि वह लोग जन्नत मे खा पी रहे होंगे।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 231
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 46 📚*
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*❝ कनाअत और रजाए इलाही ❞*
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࿐ कनाअत व रजा के मुतअल्लिक बहुत सी हदीसे वारिद हुई है, यह बात खूब जेहन में बैठा ले कि कनाअत का उलटा हिर्स व तमअ (लालच) है हजरते उमर रजियल्लाहु अन्हु का फरमान है कि लालच तंगदस्ती और कनाअत मालदारी है, जो लोगों से लालच नहीं रखता और कनाअत कर लेता है वह लोगों से बेपरवाह कर दिया जाता है।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 231
*❝ ज़्यादा माल से थोडा माल बेहतर है ❞*
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࿐ हज़रते इब्ने मसऊद रजियल्लाहु अन्हु से मरवी है कि हर रोज एक फरिश्ता अर्श से पुकारा करता है ऐ इंसान गुमराह करने वाले ज़्यादा माल से किफायत करने वाला थोडा माल बेहतर है हजरते अबू दरदा रजियल्लाहु अन्हु का कौल है कि हर इंसान की अक्ल में कमजोरी होती है जब उस के पास माल व दौलत ज्यादा आने लगता है तो वह बहुत खुश होता है मगर रात दिन की गरदिश (चक्कर) जो उस की उम्र कम कर रही है, उसे गमजदा नहीं करती अफ़सोस! ऐ इंसान तुझे माल की ज्यादती कोई फाइदा नहीं देगी जब कि तेरी उम्र बराबर कम होती जा रही है।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 232
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 47 📚*
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*❝ गिना क्या है? ❞*
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࿐ एक आलिम से गिना के मुतअल्लिक पूछा गया तो उस ने जवाब दिया कि मुख्तसर उम्मीदें और मामूली रिज्क पर राजी रहना।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 232
*❝ एक रोटी से पेट भर गया ❞*
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࿐ रिवायत है कि हजरते इब्राहीम बिन अदहम रहमतुल्लाह अलैह खुरासान के अमीरों में से थे एक मर्तबा वह महल से बाहर निकले तो उन्हें महल के करीब एक आदमी नजर आया जिस के हाथ में एक रोटी थी जिसे खाकर वह सो गया, उन्हों ने अपने एक गुलाम से कहा, जब यह शख्स जग जाये तो इसे मेरे पास लाना, चुनान्चे उस के जागने के बाद उसे लाया गया तो उन्हों ने पूछा, ऐ जवान! तू भूका था और एक रोटी से पेट भर गया? उस शख्स ने कहा हां! फिर पूछा तुम्हे नींद खूब आई? वह बोला हां आपने दिल में सोचा, मैं आइन्दा दुनियादारी में परेशान नहीं रहूंगा नफ्से इंसानी तो एक रोटी पर भी कनाअत कर लेता है।
(मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 233)
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 47 📚*
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*❝ आखिरत का हकदार कौन? ❞*
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࿐ एक शख्स ने आमिर बिन अब्दुल कैस रहमतुल्लाह अलैह को इस हालत में देखा कि यह नमक के साथ साग खा रहे थे। उस शख्स ने कहा ऐ बन्दए खुदा क्या तू इतनी सी चीज पर राजी है? आपने फरमाया मैं तुम्हें बताऊं? जो इतनी सी दुनिया पर राजी हो जाता है उसे किस चीज की खुशखबरी मिलती है? फिर फरमाया जो दुनिया पर राजी हो जाता है उसे आखिरत नहीं मिलती और जो दुनिया से तअल्लुक खत्म कर लेता है उसे आखिरत मिलती है।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 233
*❝ वह मोहताज नही रहता ❞*
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࿐ हजरते मुहम्मद बिन वासेअ रहमतुल्लाह अलैह सूखी रोटी पानी में भिगो कर नमक से खा लेते और कहते जो दुनिया में इतनी मिकदार पर राजी हो जाता है वह किसी का मुहताज नहीं रहता।
📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 233
*📬 क़िताब :- दौलत से नफ़रत सफ़ह - 48 📚*
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*❝ रिज़्क पर राजी नही रहने वालों पर लानत ❞*
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࿐ हजरते हसन रहमतुल्लाह अलैह का कौल है कि अल्लाह तआला ने ऐसे लोगों पर लानत की है जो उस की बांटी हुई रोजी पर राजी नहीं हुए फिर आपने यह आयत पढ़ी "और आसमानों में तुम्हारा रिज़्क है और जिस चीज का तुम से वादा किया जाता है आसमानों और जमीन के रब की कसम वह हक है!
📙 जारियात पारा 26
*📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 233*
*❝ निजात का रास्ता गरीबी है ❞*
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࿐ हजरते अबू जर रजियल्लाहु अन्हु एक मर्तबा लोगों के पास बैठे हुए थे कि आपकी बीवी ने आकर कहा तुम इनके साथ बैठे हो और घर में आटे की चुटकी और पानी का चूंट तक नहीं है आप ने फरमाया तुम्हें पता नहीं, हमारे सामने दुशवार गुजार घाटियां हैं उन से वही नजात पाएगा जिस का बोझ हल्का होगा जब आप की बीवी ने यह सुना तो चुपचाप घर में वापस चली गईं।
*📙 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 34, पेज 233*
*✐°°•. पोस्ट मुक़म्मल हुआ!*
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