Wednesday, 4 November 2020

❝🌷 📖 इल्म और उल्मा ❞

 


🅿🄾🅂🅃 ➪  01

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     ❝इल्म और उल्मा ❞
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                      *निगाहे अव्वलैन*
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••• ➲  इस्लाम का दारोमदार और उसकी सारी रौनक इल्मे दीन ही से है मगर आम लोग उसकी अहमियत से बहुत कम वाक़िफ हैं, यही वजह है के उनमें के अक्सर आलिमों से ताल्लुक नहीं रखते उनसे दूर भागते बल्के उनमें से बाज़ तो बिला वजह आलिमे दीन से बुग़्ज़ व इनाद रखते हैं और उनकी तोहीन करके अपनी आक़िबत बर्बाद करते हैं, इसलिए हमने इल्मे दीन, तालिबे इल्म, और उल्मा व फ़ुक़्हा की फज़ीलत पर क़ुरआन व हदीस और अक़्वाले अइम्मा से ये मजमूआ तैयार कर दिया ताके अल्लाह व रसूल जल्ला जलालहू व सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम के नज़दीक जो उनका दर्जा है उससे आम लोग भी आगाह हो जाएं और उनसे इस्तेफादा करके अपने ईमान व अमल को संवारें!

••• ➲  साथ ही इस किताब में उन सवालों के जवाबात भी मिलेंगे के हक़ीक़त में आलिमे दीन कौन है, क्या सिर्फ़ पढ़ने और सनद पाने से आलिम हो जाता है या उसके लिए किसी और चीज़ की ज़रूरत है, कौन सनद याफ़्ता आलिम जाहिल महज से बदतर है, वो कौन सा आलिम है जिस पर जाहिल से ज़्यादा अज़ाब होगा, वो कौन से नाम निहाद उल्मा है जो बदतरीन मख़्लूक़ हैं, कौन सी चीज़ उल्मा के दिलों से इल्म को निकाल देती है, आलिम हक़ गोई क्यों नहीं करता, कब आलिम को बुरा कहना कुफ़्र है, सबसे बड़ा आलिम कौन है, इल्मुल फ़तवा किसे हासिल होता है, कौन आलिम फ़िक़ह के दरवाज़ा में दाखिल नहीं होता, और इल्म की बगल में शैतान ने किस चीज़ का झंडा गाड़ा है!

••• ➲  दुआ है के ख़ुदा ए अज़्जा व जल्ल सब लोगों को इस किताब से पूरे तौर पर मुस्तफ़ीद होने की तौफीक़ो रफ़ीक़ बख्शे और इसे मेरे लिए ज़रिया ए निजात बनाए!

आमीन (बिजाहिस्सय्यिदिल मुरसलीन सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम)

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

      *📬  इल्म और उल्मा, सफ़ह - 6 📚*

*👨‍💻अज़ क़लम :-*  हजरत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ्ती जलाल उद्दीन अहमद अमजदी रज़िअल्लाहू तबारक व तआला अन्ह!..✍🏻

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🅿🄾🅂🅃 ➪  02

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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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                     *निगाहे अव्वलैन*

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••• ➲  इल्मे दीन जो क़ुरआन मजीद और हदीस शरीफ से ताल्लुक रखता है उसकी दो किस्में हैं, एक वो के जिस पर कुरआन व हदीस के समझने का दारोमदार है *जैसे लुगत, नहव और सर्फ वगैरह का इल्म!*

••• ➲ दूसरे वो जो अक़ीदे, अमल और अख़्लाक़ से ताल्लुक रखता है, इनके अलावा एक इल्म और है जो एक नूर है उससे खुदा ए तआला की मार्फत हासिल होती है उसको इल्मे हक़ीक़त कहते हैं, कुरआन व हदीस में जिस इल्म की फजीलत बयान की गई हैं वो हस्बे दर्जा इल्म की उन तमाम किस्मों को शामिल है!

*📕 माख़ुज़ अश्अतुल लम्आत*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

      *📬  इल्म और उल्मा, सफ़ह - 6 📚*

*👨‍💻अज़ क़लम :-*  हजरत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ्ती जलाल उद्दीन अहमद अमजदी रज़िअल्लाहू तबारक व तआला अन्ह!..✍🏻


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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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                  *इल्मे दीन की फ़ज़ीलत*
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••• ➲ ❶ अल्लाह तबारक व तआला इरशाद फ़रमाता है! *तर्जमा :-* और तुम अर्ज़ करो के ऐ मेरे रब मुझे इल्म ज्यादा दे!

*📔 पारा 16, रुकू 14*

••• ➲  हजरत अल्लामा इब्ने हजर अस्क़लानी रहमतुल्लाहि तआला तहरीर फरमाते हैं के इस आयते करीमा से इल्म की फजीलत वाज़ेह तौर पर साबित होती है इसलिए के खुदा ए तआला ने अपने प्यारे मुस्तफा सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम को इल्म के अलावा किसी दूसरी चीज़ की ज्यादती के तलब करने का हुक्म नहीं फरमाया!

*📔 फतेहुल बारी शरह बुखारी जिल्द 1 सफह 130*

••• ➲ ❷  हज़रत इब्ने अब्बास रजिअल्लाहू तआला अन्हुमा से रिवायत है इल्म इस्लाम की जिंदगी और दीन का खंबा है!

*📕 कंज़ुल उम्माल जिल्द 1 सफह 76*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

      *📬  इल्म और उल्मा, सफ़ह - 6 📚*

*👨‍💻अज़ क़लम :-*  हजरत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ्ती जलाल उद्दीन अहमद अमजदी रज़िअल्लाहू तबारक व तआला अन्ह!..✍🏻

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     ❝  इल्म और उल्मा          

  *इल्मे दीन की फ़ज़ीलत*
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••• ➲ ❸ हज़रत इबादा रजिअल्लाहू तआला अन्ह से मरवी है, इल्म इबादत से बेहतर है!

*📘 कंज़ुल उम्माल जिल्द सफ़ह 76*

••• ➲ ❹ हज़रत इब्ने अब्बास रजिअल्लाहू तआला अन्हुमा से रिवायत है, रात में एक घड़ी इल्म का पढ़ना पूरी रात जागने से बेहतर है!

*📔 मिश्कात शरीफ़, सफ़ह 36*

••• ➲ हजरत मौलाना अली कारी रहमतुल्लाहि तआला अलैह तहरीर फ़रमाते हैं इस हदीस शरीफ का मतलब ये है के एक घंटा आपस में इल्म की तकरार करना, उस्ताद से पढ़ना, शागिर्द को पढ़ाना, किताब तस्नीफ करना या उनका मुतालअह करना रात भर की इबादत से बेहतर है!

*📕 मिर्क़ात शरह मिश्कात, जिल्द 1 सफह 251*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

      *📬  इल्म और उल्मा, सफ़ह - 6 📚*

*👨‍💻अज़ क़लम :-*  हजरत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ्ती जलाल उद्दीन अहमद अमजदी रज़िअल्लाहू तबारक व तआला अन्ह!..✍🏻 ❞
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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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               *इल्मे दीन की फ़ज़ीलत*
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••• ➲ ❺  हदीस शरीफ हजरत आयशा सिद्दीका रजिअल्लाहु तआला अन्हा ने फरमाया के मैंने रसूलल्लाह सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम को फरमाते हुए सुना!

••• ➲  इल्म की ज़्यादती इबादत की ज़्यादती से बेहतर है और दीन की असल परहेज़गारी है!

*📘 मिश्कात शरीफ सफह 34*

••• ➲  यानी इल्म की ज्यादाती अगरचे थोड़ी हो इबादत की ज्यादाती से बेहतर है अगरचे ज्यादा हो!

*📗 अश्अतुल लम्आत जिल्द 1 सफह 172*

••• ➲  और दीन की दुरुस्तगी हराम और शुबा ए हराम से बचने में है जैसे के दीन का फ़साद लालच में है!..✍🏻

*📕 मिर्क़ात जिल्द 1 सफह 251*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

      *📬  इल्म और उल्मा, सफ़ह - 11 📚*

*👨‍💻अज़ क़लम :-*  हजरत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ्ती जलाल उद्दीन अहमद अमजदी रज़िअल्लाहू तबारक व तआला अन्ह!..✍🏻

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     ❝इल्म और उल्मा ❞
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                *इल्मे दीन की फ़ज़ीलत*

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••• ➲ ❻  हदीस शरीफ, हजरत उबैदुल्लाह बिन अमर रजिअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है उन्होंने कहा के रसूले करीम अलैहिस्सलातू व तस्लीम ने फरमाया इल्म तीन हैं *साबित आयत, मजबूत हदीस, और तीसरे फरीज़ा ए आदिला यानी इज्मा व क़यास!*

*📗 मिश्कात शरीफ सफह 35*

••• ➲  हजरत शैख अब्दुल हक मुहद्दिस देहलवी बुखारी रहमतुल्लाही तआला अलैह तहरीर फरमाते हैं इस हदीस शरीफ का खुलासा ये है के दीन और शरीअत के उसूल के इल्म चार हैं *कुरान मजीद, हदीस शरीफ, इज्मा और क़यास!*...✍🏻

*📕 अश्अतुल लम्आत जिल्द 1 सफह 167*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

      *📬  इल्म और उल्मा, सफ़ह - 11 📚*

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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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 ••• ➲ ❼  हदीस शरीफ,

हज़रत इब्ने मसूद रजिअल्लाहू तआला अन्ह से मरवी है उन्होंने कहा के नबी करीम सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया, दो चीजों के सिवा किसी में हसद जाइज नहीं, एक वो शख्स जिसे अल्लाह ने माल दिया और वो उसे राहे हक़ में खर्च करे, और दूसरा वो शख्स जिसको अल्लाह ने दीन का इल्म अता फ़रमाया तो वो उसके मुताबिक फैसला करता है और उसकी तालीम देता है!..✍🏻

*📕 बुखारी शरीफ जिल्द 1 सफह 17*

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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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               *इल्मे दीन की फ़ज़ीलत*
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••• ➲  फ़क़ीहे मिल्लत हुज़ूर जलालुद्दीन अहमद अमजदी रज़िअल्लाहू तबारक व तआला अन्ह फ़रमाते हैं यह आरजू करना के किसी की नेमत या फजीलत उसकी बजाय मुझको मिल जाए उसे हसद कहते हैं और हसद करना हराम है!

••• ➲  हदीस शरीफ में है के हसद नेकियों को इस तरह खाता है जैसे के आग लकड़ी को,

*📕 अबू दाऊद शरीफ़, जिल्द 2, सफह 316*

••• ➲  और इस हदीस शरीफ में जो बज़ाहिर दो चीजों में हसद करने को जाइज़ बताया गया उसका मतलब है रश्क व आरज़ू, हदीस शरीफ का खुलासा ये है के लोग तरह तरह की आरज़ू करते हैं लेकिन आरज़ू करने के लायक़ सिर्फ दो नेमतें हैं एक वो माल जो राहे हक में खर्च किया जाए और दूसरे वो इल्म के उसके मुताबिक फ़ैसला किया जाए और उसे लोगों को सिखाया जाए!...✍

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝इल्म और उल्मा ❞
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                *इल्मे दीन की फ़ज़ीलत*

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••• ➲ ❽  हदीस शरीफ़, हज़रत अबू हुरैरा रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है उन्होंने कहा के रसूलल्लाह सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जब इंसान मर जाता है तो उस से उसका अमल कट जाता है मगर तीन 3.अमल का सवाब बराबर जारी रहता है!

••• ➲ ❶ सद का ए जारियाह!

••• ➲ ❷ इल्म जिससे नफा हासिल किया जाए!

••• ➲ ❸ नेक औलाद जो उसके लिए दुआ करे!..✍

*📕 मिश्कात शरीफ, सफह 32*

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     ❝इल्म और उल्मा ❞
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               *इल्मे दीन की फ़ज़ीलत*
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••• ➲ हुज़ूर फ़क़ीहे मिल्लत मुफ्ती जलाल उद्दीन अहमद अमजदी रज़िअल्लाहू तबारक व तआला अन्ह फ़रमाते हैं!

••• ➲ सदक़ा ए जारिया से मुराद है मस्जिद और मदरसा बनवाना या ज़मीन और किताब वगैरह वक्फ करना!

••• ➲ और इल्म से मुराद है दीनी किताबें तस्नीफ करना और अच्छे शागिर्दों को छोड़ जाना, जिनसे दीनी फैजान जारी रहे!

••• ➲ और बाप ने अगर अपनी औलाद को नेक बनाया तो वो उसके लिए दुआ ए खैर करें या न करें बाप को बहर हाल सवाब मिलेगा!

••• ➲ ❾ हदीस शरीफ़, हज़रत अली करम अल्लाहु वजहुल करीम से मरवी है इल्म खज़ाने हैं और उनकी कुंजी सवाल है तो सवाल करो अल्लाह तुम पर रहम फरमाएगा!

*📕 कंज़ुल उम्माल जिल्द 1 सफ़ह 76*

••• ➲ यानी उल्मा ए हक (यानी सुन्नी सहीहुल अक़ीदा परहेज़गार आलिमों) से मसअले मालूम करते रहो अल्लाह तआला तुम पर रहम फरमाएगा!...✍

            *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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                *इल्मे दीन की फ़ज़ीलत*

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••• ➲  ❶⓿  हदीस शरीफ़, हज़रत उम्मे हानी रज़िअल्लाहू तआला अन्हा से रिवायत है के सरकारे अक़दस सल्लल्लाहू तआला अलैही व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया इल्म मेरी मीरास है और जो मुझसे पहले अम्बिया गुज़रे हैं उनकी मीरास है!

*📔 कन्जुल उम्माल जिल्द‌.1, सफह.77*

••• ➲  ❶❶ हदीस शरीफ़, हज़रत इब्ने अब्बास रज़िअल्लाहु तआला अन्हुमा से रिवायत है इल्म और माल हर एब को छुपाते हैं और जहालत व ग़रीबी हर एब को खोलते हैं!..✍

*📘 कंजुल उम्माल जिल्द 1, सफह,77*

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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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                *इल्मे दीन की फ़ज़ीलत*

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••• ➲ ❶❷ हदीस शरीफ़, हजरत अनस रज़िअल्लाहु तआला अन्ह से मरवी है अल्लाह तआला की ज़ात व सिफ़ात का इल्म बेहतरीन अमल है, इल्म के साथ तुझे थोड़ा और ज्यादा अमल फ़ायदा देगा और जहालत के साथ ना तुझे थोड़ा अमल फ़ायदा देगा और ना ज़्यादा!

*📕 कंज़ुल उम्माल, जिल्द 10, सफ़ह 82*

••• ➲ ❶❸ हदीस शरीफ़, हज़रत इब्ने अब्बास रज़िअल्लाहु तआला अन्हुमा से रिवायत है हजरत सुलेमान अलैहिस्सलाम माल सल्तनत और इल्म के दरमियान इख़्तियार दिए गए तो उन्होंने इल्म को पसंद फरमाया तो इल्म इख़्तियार करने के सबब सल्तनत और माल से भी सरफ़राज़ किए गए!..✍🏻

*📔 कंज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 87*

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••• ➲ ❶❹ हदीस शरीफ़, हज़रत इब्ने अब्बास रज़िअल्लाहु तआला अन्हुमा से मरवी है इल्म को लाज़िम पकड़ो इसलिए के इल्म मोमिन का गहरा दोस्त है!

*📕 कंज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 88*

••• ➲ ❶❺ हदीस शरीफ़, हजरत अबू सईद खुदरी रज़िअल्लाहु तआला अन्ह से रिवायत है इल्म की ज़्यादती मुझे इबादत की ज्यादती से बहुत महबूब है!..✍🏻

*📔 कंज़ुल उम्माल जिल्द 1, सफ़ह 88*

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                *इल्मे दीन की फ़ज़ीलत*

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••• ➲ ❶❻ हदीस शरीफ़, हज़रत अनस रज़िअल्लाहु तआला अन्ह से मरवी है थोड़ा अमल इल्म के साथ फ़ायदा देता है और ज्यादा अमल जहालत के साथ फ़ायदा नहीं देता!

*📕 कंज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 88*

••• ➲ ❶❼ हदीस शरीफ़, हज़रत इब्ने उमर रज़िअल्लाहु तआला अन्हुमा से रिवायत हैहर चीज़ का एक रास्ता है और जन्नत का इल्म है!..✍🏻

*📘 कंज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 89*

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               *इल्मे दीन की फ़ज़ीलत*
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••• ➲ ❶❽ हदीस शरीफ़, हुज़ूर सैय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फ़रमाते हैं जो इल्म से ज़िन्दा होगा वो कभी नहीं मरेगा!

*📘 हाशिया हिदाया जिल्द 1 सफ़ह 2*

रहता है नाम इल्म से ज़िन्दा हमेशा दाग़,
औलाद से तो बस यही दो पुश्त चार पुश्त,

••• ➲ ❶❾ हदीस शरीफ़, हज़रत अबू हुरैरह रज़िअल्लाहु तआला अन्ह से मरवी हैअल्लाह तआला इल्म व अदब को बन्दा पर रोक कर उसे ज़लील करता है!

*📔 कंज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 89*

••• ➲ ❷⓿ हदीस शरीफ़, हज़रत मुसअब बिन ज़ुबैर रज़िअल्लाहु तआला अन्हुमा इरशाद फ़रमाते हैं इल्म हासिल करो, अगर तुम्हारे लिए माल भी होगा तो इल्म तुम्हारे लिए ख़ूबसूरती होगा और अगर तुम्हारे लिए माल नहीं होगा तो इल्म ही तुम्हारे लिए माल होगा!..✍🏻

*📕 तफ़्सीरे कबीर जिल्द 1 सफ़ह 275*

            *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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*👨‍💻अज़ क़लम :-*  हजरत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ्ती जलाल उद्दीन अहमद अमजदी रज़िअल्लाहू तबारक व तआला अन्ह!..✍🏻


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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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                *इल्मे दीन की फ़ज़ीलत*

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••• ➲  हज़रत अल्लामा इमाम फ़ख़रुद्दीन राज़ी रहमातुल्लाही तआला तहरीर फ़रमाते हैं!

قال بعضهم فى قوله تعالى انزل من السماء ماء فسالت اودية بقدرها فاحتمل السيل زبدا رابيا السيل ههنا العلم شبهه الله تعالى بالماء لخمس خصال،

••• ➲ अल्लाह तआला का क़ौल انزل، الخ،

••• ➲ यानी ख़ुदा ए तआला अज़्ज़ा व जल्ल ने आसमान से पानी उतारा तो नाले अपने अपने लायक़ बह निकले तो पानी की रौ उस पर उभरे हुए झाग उठा लाई!

*📔 पारा 13 रुक 8*

••• ➲ इस के बारे में ब‌अज़ मुफस्सीरीन ने फ़रमाया के السیل से मुराद यहां इल्म है, पांच 5 वजह है के इल्म को पानी से तश्बीह दी!

••• ➲ ❶ जैसे बारिश आसमान से उतरती है ऐसे ही इल्म भी आसमान से उतरता है!

••• ➲ ❷ ज़मीन की दुरुस्तगी बारिश से है तो मख़लूक़ की दुरुस्तगी इल्म से है!

••• ➲ ❸ जैसे खेती और हरियाली  बगैर बारिश के नहीं पैदा होती ऐसे ही आमाल व ताआत का वुजूद बगैर इल्म के नहीं होता!

••• ➲ ❹ जैसे के बारिश गरज और बिजली की फर‌अ है ऐसे ही इल्म के वो वअदा और व‌ईद की फर‌अ है!

••• ➲ ❺ जैसे के बारिश नफा और नुक़सान दोनों पहुंचाती है ऐसे ही इल्म नफा और नुक़सान दोनों पहुंचाता है!

••• ➲ जो इल्म पर अमल करे उसके लिए वो फायदा मन्द है और जो इस पर अमल न करे उसके लिए नुक़सान दह है!..✍🏻

*📕 तफसीरे कबीर जिल्द 1 सफ़ह 276*

            *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

      *📬  इल्म और उल्मा, सफ़ह - 11 📚*

*👨‍💻अज़ क़लम :-*  हजरत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ्ती जलाल उद्दीन अहमद अमजदी रज़िअल्लाहू तबारक व तआला अन्ह!..✍🏻


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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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                *इल्मे दीन की फ़ज़ीलत*

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••• ➲ ❷❷ हज़रत अली रज़िअल्लाहु तआला अन्ह ने फ़रमाया माल से इल्म 7 वजह से अफ़ज़ल है!

••• ➲ ❶ इल्म अम्बिया अलैहिमुस्सलाम की मीरास है और माल फिर‌औन की मीरास है!

••• ➲ ❷ इल्म खर्च करने से नहीं घटता और माल घटता है!

••• ➲ ❸ माल हिफाज़त का मोहताज होता है और इल्म आलिम की हिफाज़त करता है!

••• ➲ ❹ जब आदमी मर जाता है उसका माल दुनिया में बाक़ी रहता है और इल्म उसके साथ क़ब्र में जाता है!

••• ➲ ❺ माल मोमिन और काफ़िर दोनों को हासिल होता है और इल्मे दीन सिर्फ मोमिन को हासिल होता है!

••• ➲ ❻ सब लोग अपने दीनी मुआमला में आलिम के मोहताज हैं और मालदार के मोहताज नहीं!

••• ➲ ❼ इल्म से पुल सिरात पर गुज़रने में क़ुव्वत हासिल होगी और माल उसमें रुकावट पैदा करेगा!..✍

*📔 तफसीरे कबीर जिल्द 1 सफा 277*

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                *इल्मे दीन की फ़ज़ीलत*

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••• ➲ ❷❸ हदीस शरीफ़ सरकार ए अक़दस सल्लललाहू तआला अलैही व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया : एक साअत गौर व फिक्र करना साठ 60, साल की इबादत से बेहतर है!

*📕 तफ्सीरे कबीर जिल्द 1 सफह 280*

••• ➲ हज़रत अल्लामा इमाम राज़ी रहमातुल्लाहि तआला अलैह तहरीर फरमाते हैं के इस फज़ीलत की दो वजहैं हैं!

••• ➲ ❶ गौर व फिक्र करना तुझे अल्लाह त‌आला तक पहुंचाएगा और इबादत तुझे अल्लाह तआला के सवाब तक पहुंचाएगी और जो चीज़ अल्लाह तआला तक पहुंचाने वाली हो वो बेहतर है उस चीज़ से जो तुझे गैरुल्लाह तक पहुंचाए!

••• ➲ ❷ गौर व फिक्र दिल का काम है और फरमाबरदारी दूसरे आज़ा (जिस्म के दूसरे हिस्सों) का अमल है और दिल तमाम आज़ा (जिस्म के दूसरे हिस्सों ) से अफ़ज़ल है तो उसका अमल भी तमाम आज़ा (यानी जिस्म के दूसरे हिस्सों ) के अमल से अफ़ज़ल है और वो दलील जो इस बात को मज़बूत करती है अल्लाह त‌आला का क़ौल है!

اقيم الصلاة لذكرى،

••• ➲ यानी मेरी याद के लिए नमाज़ क़ायम करो!

*📘 पारा 16, रुकू 10*

••• ➲ इस लिए के अल्लाह त‌आला ने दिल की याद के लिए नमाज़ को वसीला ठहराया और मक़सूद वसीला से अफ़ज़ल होता है, तो साबित हुआ के इल्मे दीन दूसरी चीजों से अफ़ज़ल है!...✍🏻

*📔 तफ्सीरे कबीर जिल्द 1 सफा 280*

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                *इल्मे दीन की फ़ज़ीलत*

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••• ➲ ❷❹ हज़रत अल्लामा इमाम राज़ी रहमातुल्लाहि तआला अलैह तहरीर फरमाते हैं अल्लाह तआला ने फ़रमाया और तुम्हें सिखा दिया जो कुछ तुम न जानते थे और अल्लाह का तुम पर बड़ा फ़ज़्ल है!

*📕 पारा 5 रुकू 14*

••• ➲ तो अल्लाह तआला ने इल्म को अज़ीम फ़रमाया और आयते करीमा

ومن يوت الحكمة فقد اوتى خيرا كثيرا،

*📘 पारा 3, रुकू 5*

••• ➲ में हिक्मत को ख़ैरे कसीर फ़रमाया और हिक्मत इल्म ही है और अल्लाह त‌आला ने ये भी फ़रमाया के रहमान ने अपने महबूब को क़ुरआन सिखाया!

*📘 पारा 27 रुकू 11*

••• ➲ तो खुदा ए त‌आला ने इस नेमत को सारी नेमतों पर मुक़द्दम फ़रमाया जिससे साबित हुआ के इल्म सबसे अफ़ज़ल है!..✍🏻

*📔 तफ्सीरे कबीर जिल्द 1 सफ़ह 280*

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               *इल्मे दीन की फ़ज़ीलत*
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••• ➲❷❺ हज़रत अली रज़िअल्लाहु तआला अन्ह इरशाद फरमाते हैं इल्म माल से बेहतर है, इल्म तेरी हिफाज़त करता है और तू माल की हिफाज़त करता है माल ख़र्च करने से घटता है और इल्म ख़र्च करने से बढ़ता है इल्म हाकिम है और माल महकूम अलैह है!

*📕 तफसीरे कबीर जिल्द 1 सफा 283*

••• ➲❷❻ हज़रत अल्लामा इमाम फ़ख़रुद्दीन राज़ी रहमातुल्लाहि तआला अलैह तहरीर फरमाते है दिल मुर्दा है और उसकी ज़िंदगी इल्म से है!

*📘 तफसीरे कबीर जिल्द 1 सफह 284*

••• ➲❷❼ हज़रत अल्लामा इब्ने हजर अस्क़लानी रहमातुल्लाहि तआला अलैह तहरीर फरमाते हैं जैसे बारिश मुर्दा शहर में ज़िन्दगी पैदा कर देती है ऐसे ही दीन के उलूम (इल्म ए दीन) मुर्दा दिल में ज़िन्दगी डाल देते हैं!..✍🏻

*📔 फतहुल बारी शरह बुखारी जिल्द 1 सफह 161*

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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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          *तालिबे इल्म और उसकी फ़ज़ीलत*

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••• ➲ ❶ *हदीस शरीफ़* हज़रत अनस रज़िअल्लाहू त‌आला अन्ह से रिवायत है के रसूल ए अकरम सल्लललाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : इल्म का हासिल करना हर मुसलमान मर्द व औरत पर फ़र्ज़ है!

*📗 मिश्कात शरीफ़ सफह 34*

••• ➲ हज़रत मौलाना अली क़ारी रहमातुल्लाहि तआला अलैह लिखते हैं : शारेहीन हदीस ने फ़रमाया के इल्म से मुराद वो मज़हबी इल्म है जिसका हासिल करना बंदा के लिए ज़रूरी है जैसे ख़ुदा ए त‌आला को पहचानना, उसकी वहदानियत उसके रसूल की नबूवत की सनाख़्त (पहचान) और ज़रूरी मसाइल के साथ नमाज़ पढ़ने के तरीक़े  को जानना , मुसलमान के लिए इन चीज़ों का इल्म फ़र्ज़े ऐन है और फ़तवा व इजतिहाद के मर्तबा को पहुंचना फ़र्ज़े किफ़ाया है!..✍🏻

*📔 मिर्क़ात शरह मिश्कात शरीफ़ जिल्द 1सफह 233*

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     ❝इल्म और उल्मा ❞
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         *तालिबे इल्म और उसकी फ़ज़ीलत*
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••• ➲  हज़रत शैख़ अब्दुल हक़ मुहद्दिस देहलवी  बुख़ारी रहमातुल्लाहि तआला अलैह तहरीर फ़रमाते हैं के इस हदीस शरीफ़ में इल्म से मुराद वो इल्म है जो मुसलमानों को वक़्त पर ज़रूरी है मसलन जब इस्लाम में दाखिल हुआ तो उसपर ख़ुदा ए त‌आला की ज़ात व सिफ़ात को पहचानना और सरकारे अक़दस सल्लललाहू तआला अलैहि वसल्लम की नबूवत को जानना वाजिब हो गया और हर उस चीज़ का इल्म ज़रूरी हो गया के जिसके बग़ैर ईमान सही नहीं, और जब नमाज़ का वक़्त आ गया तो उसपर नमाज़ के अहकाम का जानना वाजिब हो गया,और जब माहे रमज़ान आगया तो रोज़ा के अहकाम का सीखना ज़रूरी हो गया और जब मालिके निसाब हो गया तो ज़कात के मसाइल का जानना वाजिब हो गया, और अगर मालिके निसाब होने से पहले मर गया और ज़कात के मसाइल को न सीखा तो गुनाहगार न हुआ, और जब औरत से निकाह किया तो हैज़ (Mc) व निफ़ास (बच्चा पैदा होने के बाद जो ख़ून आता है) वग़ैराह जितने मसाइल का मियां बीवी से त‌अल्लुक़ है मुसलमान पर जानना वाजिब हो जाता है! (व‌ अला हाज़ल क़यास)..✍🏻

*📕 अश्अतुल लम‌आत. जिल्द 1 सफह 161*

            *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

      *📬  इल्म और उल्मा, सफ़ह - 24 📚*

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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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          *तालिबे इल्म और उसकी फ़ज़ीलत*
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••• ➲  हज़रत अल्लामा इमाम गज़ाली रज़िअल्लाहु त‌आला अन्ह तहरीर फ़रमाते हैं!

••• ➲  हज़रत उमर रज़िअल्लाहू त‌आला अन्ह दुकानदारों को दुर्रे मारकर इल्म सीखने के लिए भेजते थे और फ़रमाते थे के जो शख़्स ख़रीदो फ़रोख़्त के अहकाम न जाने वो तिजारत (बिजनेस) न करे के ला इल्मी में सूद खाएगा और उसे ख़बर न होगी, इसी तरह हर पेशा का इल्म है यहां तक के हुज्जाम (हेयर कटिंग मास्टर) है तो उसको ये जानना ज़रूरी है के आदमी के बदन से किया चीज़ काटने के लायक़ है और किया चीज़ काटने के लायक़ नहीं है! (व‌ अला हाज़ल क़यास)

••• ➲ और ये उलूम हर शख्स के हाल के मुवाफ़िक़ होते हैं लिहाज़ा बज़ाज़ पर हजामत का पेशा सीखना फ़र्ज़ नहीं!

*📗 कीमया ए स‌आदत सफ़ा 129*

••• *नॉट* ➲ फ़क़ीह ए मिल्लत हुज़ूर जलाल‌उद्दीन अहमद अमजदी रज़ीअल्लाहू त‌आला अन्ह तहरीर फ़रमाते हैं इल्म हासिल करने का मतलब ये नहीं है के तालिब ए इल्म बनकर किसी मदरसे में अपना नाम लिखाए और पढ़े जैसा के राइज है बल्के इसका मतलब ये है के उल्मा ए अहले सुन्नत से मुलाक़ात करके शरीअत का हुक्म उनसे मालूम करे या मअतबर और मुस्तनद किताबों के ज़रिआ हलाल व हराम और जाइज़ व नजाइज़ की जानकारी  हासिल करे!..✍🏻

            *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

      *📬  इल्म और उल्मा, सफ़ह - 24 📚*

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          *तालिबे इल्म और उसकी फ़ज़ीलत*
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••• ➲ ❷  हदीस शरीफ़, हज़रत इब्ने अब्बास रज़िअल्लाहु तआला अन्हुमा से मरवी है एक साअत इल्म हासिल करना रात भर की इबादत से बेहतर है, और एक दिन इल्म हासिल करना तीन महीने के रोज़े से बेहतर है!

*📕 कंज़ुल उम्माल जिल्द 10, सफ़ह 75*

••• ➲ ❸ हदीस शरीफ़, हज़रत अनस रज़िअल्लाहु तआला अन्ह से रिवायत है, इल्म हासिल करना अल्लाह तआला के नज़दीक अफ़ज़ल है नमाज़ से, रोज़ा से, हज से, और जिहाद फ़ी सबीलिल्लाह से!

*📘 कंज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 75*

••• ➲ ❹ हज़रत अबू दरदा रज़िअल्लाहु तआला अन्ह से मरवी है के रसूलल्लाह सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : जो शख़्स इल्मे दीन हासिल करने के लिए सफ़र करता है तो ख़ुदा ए तआला उसे जन्नत के रास्तों में से एक रास्ता चलाता है, और तालिबे इल्म की रज़ा हासिल करने के लिए फ़िरिश्ते अपने परों को बिछा देते हैं!...✍🏻

*📓 मिश्कात शरीफ़, सफ़ह 34*

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      *📬  इल्म और उल्मा, सफ़ह - 24 📚*

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         *तालिबे इल्म और उसकी फ़ज़ीलत*
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••• ➲  हज़रत मौलाना अली क़ारी रहमातुल्लाही तआला अलैह तहरीर फ़रमाते हैं : इस हदीस शरीफ में इस बात की जानिब इशारा है के जन्नत के रास्ते इल्म के रास्तों में महदूद हैं इसलिए के नेक अमल बगैर इल्म के मुतसव्वर नहीं!

*📓 मिरकात, जिल्द 1, सफ़ह 229*

••• ➲  और तहरीर फ़रमाते हैं के
अहमद बिन शुएब से रिवायत है उन्होंने बयान किया के हमने शहरे बसरा में इस हदीस शरीफ को एक मुहद्दिस से बयान किया जबके उस मजलिस में एक बदमज़हब मुअतज़ली भी बैठा हुआ था जो इल्म हासिल करने के लिए आया हुआ था उसने इस हदीस शरीफ का मज़ाक उड़ाते हुए कहा कल हम जूता पहन कर चलेंगे और उससे फिरिश्तों के परों को रौंदेंगे, जब अपने कहने के मुताबिक दूसरे दिन वो जूता पहन कर चला तो धड़ाम से गिर गया और उसके पैरों में मर्ज आकला पैदा हो गया जिससे उसके दोनों पैर सड़ गए!

*📕 मिरक़ात शरह मिश्क़ात, जिल्द 1 सफ़ह 229*

••• ➲  और तिबरानी ने कहा के मैंने इब्ने याहया साजी से सुना वो बयान करते थे के हम एक महद्दिस के यहां जाने के लिए बसरा शहर के गलियों में से गुज़र रहे थे तो हमारे साथ एक मस्ख़रा आदमी था जो अपने दीन में मोहतमिम था उसने कहा
अपने पैरों को फिरिश्तों के परों से उठा लो उन्हें ना तोड़ो!

••• ➲  यानी इस हदीस शरीफ का मजाक उड़ाया तो उसी जगह पर उसके पैरों ने उस को पछाड़ दिया और वो धड़ाम से ज़मीन पर गिर गया!...✍🏻

*📘 मिरकात जिल्द 1 सफ़ह 229*

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          *तालिबे इल्म और उसकी फ़ज़ीलत*

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••• ➲ ❺ हदीस शरीफ़, हज़रत अबू हुरैरा रज़िअल्लाहु तआला अन्ह से रिवायत है के रसूलल्लाह सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : जो शख़्स इल्म की तलाश में रास्ता चलता है तो उसकी बरकत से अल्लाह त‌आला उसपर जन्नत के रास्ता को आसान कर देता है, और जब कोई क़ौम अल्लाह के घरों में से किसी घर में (यानी मस्जिद मदरसा ख़ानक़ाह में) जमा होती है और क़ुरआन मजीद को पढ़ती पढ़ाती है तो उनपर ख़ुदा की तस्कीन नाज़िल होती है, ख़ुदा की रहमत उनको ढांप लेती है फ़िरिश्ते उनको घेर लेते हैं और अल्लाह तआला उन लोगों का ज़िक्र फ़िरिश्तों में करता है जो उसके पास रहते हैं!

*📗 मिश्कात शरीफ़ सफ़ह 33*

••• ➲ ❻ हदीस शरीफ़, हज़रत अनस रज़िअल्लाहु तआला अन्ह से मरवी है के सरकार ए अक़दस सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : जो इल्म की तलाश में निकला तो वो वापसी तक अल्लाह तआला के रास्ता में है!

*📕 मिश्कात शरीफ़ सफ़ह 34*

*⚠️नोट👇* हज़रत फ़क़ीह ए मिल्लत मुफ्ती जलाल‌उद्दीन अहमद अमजदी रज़िअल्लाहु तआला अन्ह तहरीर फ़रमाते हैं, फ़तवा हासिल करने के लिए (सुन्नी सहीहुल अक़ीदा) आलिमे दीन के घर जाना भी तालिबे इल्म में दाख़िल है!...✍🏻

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      *📬  इल्म और उल्मा, सफ़ह - 28 📚*

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         *तालिबे इल्म और उसकी फ़ज़ीलत*
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••• ➲ ❼  हदीस शरीफ़, हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : जिसने इल्म हासिल किया तो ये हासिल करना उसके गुज़रे हुए गुनाहों का कफ़्फारा हो गया!

*📓 रवाहुत्तिर्मिज़ी व दारमी*

••• ➲ हुज़ूर फ़क़ीह ए मिल्लत मुफ्ती जलाल‌उद्दीन अहमद अमजदी रज़िअल्लाहु तआला अन्ह फ़रमाते हैं के इस हदीस शरीफ़ का ये मतलब हरगिज़ नहीं के तालिबे इल्म जो गुनाह चाहे करे बल्के मतलब ये है के इल्म ए दीन हासिल करने से गुनाहे सग़ीरा (छोटे गुनाह) माफ़ हो जाते हैं,या ये मतलब है के अच्छी नियत से इल्म हासिल करना तौबा से उसके गुनाहों की माफ़ी का वसीला होगा!

*📗 इल्म और उल्मा सफ़ह 28*

••• ➲ ❽ हदीस शरीफ़, हज़रत अबू सईद खुदरी रज़िअल्लाहु अल्लाह से मरवी है के हुज़ूर सैय्यद ए आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: ख़ैर यानी इल्म की बातें सुनने से मौमिन कभी सैर नहीं होगा यहां तक के जन्नत में पहुंच जाएगा!...✍🏻

*📗 मिश्कात शरीफ़ सफ़ह 34*

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      *📬  इल्म और उल्मा, सफ़ह - 28 📚*

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     ❝इल्म और उल्मा ❞
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          *तालिबे इल्म और उसकी फ़ज़ीलत*
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••• ➲ ❾ हदीस शरीफ़, हज़रत वासिला रज़िअल्लाहु तआला अन्ह से मरवी है के हुज़ूर सैय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : जिसने इल्मे दीन तलाश किया और उसे पा लिया तो उसके लिए सवाब का दोहरा (डबल) हिस्सा है, और जिसने उसको नहीं पाया तो उसके लिए एक हिस्सा है!

*📗 मिश्कात शरीफ़ सफ़ह 36*

••• ➲ ❶⓿ हदीस शरीफ़,हज़रत आयशा सिद्दीक़ा रज़िअल्लाहु तआला अन्हा से मरवी है के हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : ख़ुदा ए त‌आला ने मेरी तरफ वही फ़रमाई (पैग़ाम भेजा) है के जो शख़्स इल्म की तलाश में किसी रास्ता पर चलेगा में उसके लिए जन्नत का रास्ता आसान कर दूंगा!..✍🏻

*📗मिश्कात शरीफ़ सफ़ह 36*

            *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

      *📬  इल्म और उल्मा, सफ़ह - 28 📚*

*👨‍💻अज़ क़लम :-*  हजरत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ्ती जलाल उद्दीन अहमद अमजदी रज़िअल्लाहू तबारक व तआला अन्ह!..✍🏻

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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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          *तालिबे इल्म और उसकी फ़ज़ीलत*
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••• ➲ ❶❶  हदीस शरीफ़, हज़रत अनस रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : दो (2) भूके सैर नहीं होते एक इल्म का भूका इल्म से सैर नहीं होता दूसरे दुनियां का भूका दुनियां से सैर नहीं होता!

*📗 मिश्कात शरीफ़ सफ़ा 37*

••• ➲ हज़रत शैख़ अब्दुल हक़ मुहद्दिस देहलवी बुख़ारी रहमतुल्लाहि तआला अलैह तहरीर फ़रमाते हैं : आदमी जिस क़दर इल्म ज़्यादा हासिल करता है उसकी प्यास और बढ़ जाती है!

*📕 अश‌अतुल लम‌आत जिल्द 1 सफ़ा 173*

••• ➲ फ़क़ीह ए मिल्लत मुफ्ती जलाल‌उद्दीन अहमद अमजदी रज़िअल्लाहु तआला अन्ह फ़रमाते हैं के : मालूम हुआ के जिस मौलवी का पेट इल्म से भर जाए हक़ीक़त में उसने इल्म हासिल ही नहीं किया!...✍🏻

            *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

      *📬  इल्म और उल्मा, सफ़ह - 30 📚*

*👨‍💻अज़ क़लम :-*  हजरत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ्ती जलाल उद्दीन अहमद अमजदी रज़िअल्लाहू तबारक व तआला अन्ह!..✍🏻

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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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         *तालिबे इल्म और उसकी फ़ज़ीलत*
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••• ➲ ❶❷  हज़रत औन रज़िअल्लाहु तआला अन्ह से रिवायत है के : हज़रत अब्दुल्लाह बिन मस‌ऊद रज़िअल्लाहु तआला अन्ह ने फ़रमाया : दो (2) भूके कभी सैर नहीं होते इल्म वाला और दुनियां दार मगर दोनों बराबर नही के इल्म वाला ख़ुदा ए त‌आला की ख़ुशनूदी बड़ाता है और दुनियां दार शरकशी में बढ़ जाता है!

••• ➲ फिर हज़रत अब्दुल्लाह ने ये आयत पढ़ी!

كلا ان الانسان،  الخ، 

••• ➲ यानी ख़बर दार हो बेशक इन्सान शरकशी करता है  जब वो अपने आपको बेनियाज़ समझता है!

*📕 पारा 30, सूरह अल्क़*

••• ➲ रावी ने कहा और हज़रत अब्दुल्लाह ने दूसरे के लिए ये आयत पढ़ी!

انما يخشى،  الخ،

••• ➲ यानी अल्लाह से उसके बन्दों में उल्मा ही डरते हैं!

*📓 पारा 22, रुकू 16*
*📘 मिश्कात शरीफ़ सफ़ा 37*

••• ➲ इस आयत ए मुक़द्दसा से मालूम हुआ के अल्लाह से इल्म वाले ही डरते हैं,मगर अफ़सोस है के ला इल्म (जाहिल) लोग कहते हैं के अल्लाह से अनपढ़ जाहिल लोग डरते हैं,ताअज्जुब है ऐसे बेवक़ूफ़ों पर!..✍🏻

            *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

      *📬  इल्म और उल्मा, सफ़ह - 30 📚*

*👨‍💻अज़ क़लम :-*  हजरत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ्ती जलाल उद्दीन अहमद अमजदी रज़िअल्लाहू तबारक व तआला अन्ह!..✍🏻

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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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          *तालिबे इल्म और उसकी फ़ज़ीलत*
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••• ➲ ❶❸  हज़रत इब्ने सीरीन रज़ीअल्लाहु तआला अन्ह ने फ़रमाया : ये (यानी क़ुरआन व हदीस का) इल्मे दीन है तो देख लो  के तुम अपना दीन किस से हासिल कर रहे हो!

*📗 मिश्कात शरीफ़ सफ़ा 37*

••• ➲ हज़रत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ्ती जलाल‌उद्दीन अहमद अमजदी रज़ीअल्लाहु तआला अन्ह फ़रमाते हैं : यानी गुमराह बेदीन और दुनियां दार से क़ुरआन व हदीस का इल्म न हासिल करो के गुमराही. बेदीनी और दुनियां दारी पैदा होगी, और किसी इजतिमा में बदमज़हब का व‌अज़ (तक़रीर) भी सुनने के लिए न जाओ के बदमज़हबी असर कर जाएगी इसीलिए बदमज़हब (वहाबी देवबंदी अहले हदीस शिआ क़ादयानी वगैरह) की तक़रीर सुनने के लिए जाना हराम व नजाइज़ है!..✍🏻

            *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

      *📬  इल्म और उल्मा, सफ़ह - 32 📚*

*👨‍💻अज़ क़लम :-*  हजरत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ्ती जलाल उद्दीन अहमद अमजदी रज़िअल्लाहू तबारक व तआला अन्ह!..✍🏻

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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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         *तालिबे इल्म और उसकी फ़ज़ीलत*
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••• ➲ ❶❹  हदीस शरीफ़, हज़रत इब्ने उमर रज़ीअल्लाहु तआला अन्हुमा से रिवायत है : तालिब ए इल्म लोगों में सबसे ज़्यादा भूका है और उनमें जिसका पेट भरा है वो इल्म को तलाश नहीं करता!

*📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 78*

••• ➲ ❶❺  हदीस शरीफ़ हज़रत अबू ज़र और हज़रत अबू हुरैरह रज़ीअल्लाहु तआला अन्हुमा से रिवायत है : जबके तालिबे इल्म को मौत आ जाए और वो तलब ए इल्म की हालत पर मरे तो वो शहीद है!..✍🏻

*📘 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 79*

            *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

      *📬  इल्म और उल्मा, सफ़ह - 32 📚*

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••• ➲ ❶❻ हदीस शरीफ़ हज़रत अनस रज़ीअल्लाहु तआला अन्ह से मरवी है : क़ियामत के दिन सबसे ज़्यादा अफ़सोस करने वाला वो शख़्स होगा के जिसे दुनियां में इल्म ए दीन हासिल करने का मौक़ा मिला मगर उसने इल्म ए दीन हासिल नहीं किया!

*📘 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 79*

••• ➲ ❶❼  हदीस शरीफ़ हज़रत अनस रज़ीअल्लाहु तआला अन्ह से रिवायत है :इल्म ए दीन हासिल करो अगरचे मुल्क ए चीन में हो!

*📓 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 79*

••• ➲ हुजूर फ़क़ीह ए मिल्लत मुफ्ती जलाल‌उद्दीन अहमद अमजदी रज़ीअल्लाहु तआला अन्ह फ़रमाते हैं : इस हदीस शरीफ़ से इल्म ए दीन की बेइंतहा अहमियत साबित होती है के उस ज़माने में जबके हवाई जहाज़ रेल और मोटर नहीं थे अरब से मल्क ए चीन पहुंचना कितना मुश्किल था मगर रहमत ए आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फ़रमा रहे हैं के अगरचे तुमको अरब से मुल्क ए चीन जाना पड़े लेकिन इल्म ए दीन ज़रूर हासिल करो इससे ग़फ़लत हरगिज़ न बरतो!..✍🏻

            *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

      *📬  इल्म और उल्मा, सफ़ह - 33 📚*

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     ❝इल्म और उल्मा ❞
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          *तालिबे इल्म और उसकी फ़ज़ीलत*
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••• ➲ ❶❽ हदीस शरीफ़ हज़रत ज़्याद बिन हारिस सदाई रज़ीअल्लाहु तआला अन्ह से रिवायत है : जिसने इल्म ए दीन हासिल किया अल्लाह तआला ने उसकी रोज़ी को अपने ज़िम्मा ए करम पर ले लिया!

*📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 79*

••• ➲ मगर अफ़सोस है उन लोगों पर के जिनके पास मस्जिद मदरसा ख़ानक़ाहें हैं लेकिन उनमें न अपने बच्चों को तालीम दिलाते हैं और न खुद उल्मा ए हक़ से कछ सीखते हैं ऐसे लोगों को क़ियामत के दिन सबसे ज़्यादा अफ़सोस होगा और वो अल्लाह तआला के आज़ाब में मुबतला होंगे!..✍🏻

               *वल अयाज़ू बिल्लाही ताआला!*


            *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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         ❝ इल्म और उल्मा ❞
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           *तालिबे इल्म और उसकी फ़ज़ीलत*
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••• ➲ ❶❾ हदीस शरीफ़
हज़रत अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहु तआला अन्ह से मरवी है : इल्म हासिल करो और इल्म के लिए हैबत और वक़ार सीखो और जो लोग के तुमसे इल्म हासिल करें उनके साथ नरमी से पेश आओ!

*📓 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 80*

••• ➲ ❷⓿ हदीस शरीफ़, हज़रत इब्ने अब्बास रज़ीअल्लाहु तआला अन्हुमा से रिवायत है : बेहतरीन अतिया (गिफ्ट) वो कल्मा ए हक़ है के जिसे तुम सुनो फिर उसे अपने मुसलमान भाई के पास लेजाओ और उसको वो कल्मा ए हक़ सिखाओ!..✍🏻

*📘 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 80*

            *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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           *तालिबे इल्म और उसकी फ़ज़ीलत*
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••• ➲ ❷❶  हदीस शरीफ़ हज़रत हस्सान बिन अबू सनान रज़ीअल्लाहु तआला अन्ह से मरवी है : इल्म हासिल करने वाला जाहिलों के दरमियान ऐसा है जेसे ज़िन्दा मुर्दों के दरमियान!

*📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 81*

••• ➲ ❷❷ हदीस शरीफ़ हज़रत अनस रज़ीअल्लाहु तआला अन्ह से रिवायत है : तालिब ए इल्म अल्लाह तआला के नज़दीक मुजाहिद फ़ी सबीलिल्लाह से अफ़ज़ल है!..✍🏻

*📓 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 81*

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           *तालिबे इल्म और उसकी फ़ज़ीलत*
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••• ➲ ❷❸ हदीस शरीफ़, हज़रत अनस रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से मरवी है : इल्म ए दीन का तलाश करने वाला रहमत का तलाश करने वाला है, इल्म ए दीन हासिल करने वाला इस्लाम का खम्बा है उसको नबियों के साथ सवाब दिया जाएगा!

*📘 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 82*

••• ➲ ❷❹  हदीस शरीफ़ हज़रत इब्ने उमर रज़ीअल्लाहु तआला अन्हुमा से रिवायत है : वो दिल के जिसमें कुछ इल्म नहीं है वीरान घर की तरह है तो इल्म सीखो और सिखाओ और दीन की समझ हासिल करो और जाहिल होकर न मरो के अल्लाह तआला जाहिल होने का उज़्र नहीं क़ुबूल फ़रमाएगा!

*📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 84*

••• ➲  यानी क़ियामत के दिन किसी का ये बहाना नहीं चलेगा के ऐ रब मेंने इल्मे दीन हासिल नहीं किया इस लिए मुझे मालूम नहीं था के हराम व हलाल क्या था मुझे माफ़ कर दे!...✍🏻

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          *तालिबे इल्म और उसकी फ़ज़ीलत*
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••• ➲ ❷❺ हज़रत हसन बसरी रज़ीअल्लाहु तआला अन्ह से मरवी है : ये बात सदक़ा में से है के आदमी इल्म सीखे तो उस पर अमल करे और दूसरे को सिखाए!

*📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 89*

••• ➲ ❷❻ हदीस शरीफ़ हज़रत अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहु तआला अन्ह से रिवायत है : बेहतरीन इबादत इल्म का हासिल करना है!

*📘 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 90*

••• ➲ ❷❼ हदीस शरीफ़ हज़रत अबू अय्यूब अंसारी रज़ीअल्लाहु तआला अन्ह से मरवी है : एक दीनी मस‌अला के मुसलमान उसको सीखे एक साल की इबादत से बेहतर है और हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम की औलाद के ग़ुलाम को आज़ाद करने से बेहतर है और बेशक तालिब ए इल्म वो औरत जो अपने शौहर की फ़रमाबरदार है और वो लड़का जो अपने मां बाप के साथ भलाई करता है ये सब अम्बिया ए किराम के साथ जन्नत में बेहिसाब दाख़िल होंगे!...✍🏻

*📓 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 91*

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••• ➲ ❷❽ हदीस शरीफ़
हज़रत इब्ने उमर रज़ीअल्लाहु तआला अन्हुमा से मरवी है : जो शख़्स इल्म की तलाश में होगा जन्नत उसकी तलाश में होगी और जो शख़्स गुनाह की खोज में होगा जहन्नम उसकी खोज में होगी!

*📓 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 92*

••• ➲ ❷❾ हदीस शरीफ़ हज़रत जाबिर रज़ीअल्लाहु तआला अन्ह से रिवायत है के हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : जिसने बचपन में इल्म हासिल नहीं किया तो बड़ी उम्र का होकर उसको हासिल किया फिर मर गया तो वो शहीद मरा!

*📘 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 92*

••• ➲ ❸⓿ हदीस शरीफ़ हज़रत अबू ज़र रज़ीअल्लाहु तआला अन्ह से मरवी है : जबके तू इल्म का एक हिस्सा सीखे ये तेरे लिए इस बात से बेहतर है के हज़ार (1000) रक‌अत नफ़्ल नमाज़ पढ़े जो मक़बूल हों!..✍🏻

*📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 93*


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           *तालिबे इल्म और उसकी फ़ज़ीलत*
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••• ➲ ❸❶  हदीस शरीफ़ हज़रत अनस रज़ीअल्लाहु तआला अन्ह से रिवायत है के
रसूलल्लाह सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : जो शख़्स जहन्नम से अल्लाह के आज़ाद किये हुए लोगों को देखना पसंद करे तो वो तालिब ए इल्मों को देखे क़सम है उस ज़ात की जिसके क़ब्ज़ा ए क़ुदरत में मेरी जान है कोई तालिब ए इल्म जब किसी आलिम के दरवाज़ा पर आता जाता है तो अल्लाह तआला उसके लिए हर क़दम के बदले एक साल की इबादत लिखता है और उसके लिए हर क़दम के बदले जन्नत में एक शहर तैयार करता है और वो ज़मीन पर इस हाल में चलता है ज़मीन उसके लिए मग़फ़िरत तलब करती है और सुबह व शाम वो इस हाल में करता है के बख़्शा हुआ होता है और मलाएका(फ़िरिश्ते) तालिब ए इल्मों के लिए गवाही देते हैं के वो जहन्नम से अल्लाह के आज़ाद किये हुए हैं!..✍🏻

*📔 तफ़सीर ए कबीर. जिल्द 1, सफ़ा 275*

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          *तालिबे इल्म और उसकी फ़ज़ीलत*
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••• ➲ ❸❸  हदीस शरीफ़, हज़रत अल्लामा इमाम राज़ी रज़ीअल्लाहु तआला अन्ह तहरीर फ़रमाते हैं के : हुज़ूर सय्यद ए आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम एक सहाबी से गुफ्तगू फ़रमा रहे थे तो अल्लाह तआला ने वही नाज़िल फ़रमाई (पैगाम भेजा) के ये शख़्स जो आपसे बात कर रहा है इसकी उम्र  सिर्फ एक साअत और बाक़ी रह गई है, और वो असर का वक़्त था हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने उस सहाबी को इस बात से आगाह फ़रमाया तो वो बेक़रार हो ग‌ये और अर्ज़ किया या रसूलल्लाह मुझे कोई ऐसा अमल बताइए जो इस बात पर मेरे लिए ज़्यादा मुनासिब हो!

हुज़ूर ने फ़रमाया :

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••• ➲ इल्म हासिल करने में मशग़ूल हो जाओ, तो वो इल्म हासिल करने में मशग़ूल हो गये और मग़रिब से पहले इंतक़ाल कर गए, रावी ने कहा के अगर इल्म से अफ़ज़ल कोई और चीज़ होती तो हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम उस वक़्त में उसी के करने का हुक्म फ़रमाते!..✍🏻

*📔 तफ़सीर ए कबीर जिल्द 1 सफ़ा 282*

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••• ➲ ❸❹ हज़रत अल्लामा इमाम फ़ख़रुद्दीन राज़ि रज़ीअल्लाहु तआला अन्ह तहरीर फ़रमाते हैं के : मोमिन छः (6) ख़ूबियों के सबब इल्म हासिल करता है!

••• ➲ नंबर ❶ अल्लाह तआला ने मुझे फ़राइज़ की अदायगी का हुक्म फ़रमाया है और मैं इल्म के बग़ैर उनकी अदायगी पर क़ादिर नहीं हो सकता!

••• ➲ नं. ❷ ख़ुदा ए त‌आला ने मुझे गुनाहों से दूर रहने का हुक्म दिया है और मैं इल्म के बग़ैर उससे बच नहीं सकता!

••• ➲ नं. ❸ अल्लाह तआला ने अपनी नेमतों का शुक्र मुझ पर लाज़िम फ़रमाया है और मैं इल्म के बग़ैर उनका शुक्र नहीं कर सकता!

••• ➲ नं. ❹ ख़ुदा ए त‌आला ने मुझे मख़लूक़ के साथ इंसाफ करने का हुक्म दिया है और मैं इल्म के बग़ैर इंसाफ नहीं कर सकता!

••• ➲ नं. ❺ अल्लाह तआला ने मुझे बला पर सब्र करने का हुक्म फ़रमाया और मैं इल्म के बग़ैर उसपर सब्र नहीं कर सकता!

••• ➲ नंबर ❻ ख़ुदा ए त‌आला ने मुझे शैतान से दुश्मनी करने का हुक्म दिया है और मैं इल्म के बग़ैर उससे दुश्मनी नहीं कर सकता!...✍🏻

*📕 तफ़सीर ए कबीर जिल्द 1 सफ़ह 278*

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          *तालिबे  इल्म  और  उसकी  नियत*
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••• ➲  हज़रत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी अलैहिर्रमा तहरीर फ़रमाते हैं : तालिबे इल्म से दीने इस्लाम की तक़वियत और उसकी नशर व इशाअत मक़सूद होता के अल्लाह व रसूल जल्ला व जलालहू व सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम की रज़ा व ख़ुशनूदी हासिल हो, माल व दौलत और जाहो हश्मत हर गिज़ मक़सूद न हो के इस नियत से इल्म ए दीन हासिल करने पर बेशुमार व‌ईदें वारिद हैं!

••• ➲  ❶ हदीस शरीफ़ हज़रत अबू हुरैरा रज़िअल्लाहु तआला अन्ह से रिवायत है के सरकार ए अक़दस सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : जिसने उस इल्म को सीखा जिससे ख़ुदा की ख़ुशनूदी हासिल की जाती है सिर्फ इस नियम से के इसके ज़रिया दुनियां वी सामान हासिल करे वो क़ियामत के दिन जन्नत की ख़ुशबू नहीं पाएगा!

📗मिश्कात शरीफ़ सफ़ा 35)

••• ➲  हज़रत फ़क़ीह ए मिल्लत मुफ्ती जलाल‌उद्दीन अहमद अमजदी रज़ीअल्लाहु तआला अन्ह तहरीर फ़रमाते हैं के इस हदीस शरीफ़ की शरह का खुलासा ये है के जो शख़्स इल्म ए दीन से सिर्फ दुनियां का क़स्द करे वो इस व‌ईद का मस्तहिक़ है, और अगर मक़सूद सिर्फ अल्लाह की रज़ा हो मगर साथ में दुनियां इसके लिए हासिल की जाए ताके  फ़राग़त से ख़िदमते दीन हो तो हर्ज नहीं, और अगर दीन व दुनियां दोनों मक़सूद हों तो नियत के तनासुब से इल्म हासिल करने का सवाब कम हो जाएगा!..✍🏻  

            *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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*👨‍💻अज़ क़लम :-*  हजरत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ्ती जलाल उद्दीन अहमद अमजदी रज़िअल्लाहू तबारक व तआला अन्ह!..✍🏻

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           *तालिबे  इल्म  और  उसकी  नियत*
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••• ➲ ❷ हदीस शरीफ़ हज़रत अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के रसूलल्लाह सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : लोगों में सबसे पहले क़ियामत के दिन जिसका फ़ैसला किया जाएगा वो शहीद है तो उसे हाज़िर किया जाएगा तो अल्लाह तआला उससे अपनी नेमतों का इक़रार कराएगा तो वो इक़रार करेगा तो अल्लाह फ़रमाएगा तूने इसके शुक्रिया में क्या काम किया अर्ज़ करेगा तेरी राह में जिहाद किया यहां तक के क़तल कर दिया गया, अल्लाह फ़रमाएगा तू झूटा है तूने इसलिए लड़ाई की थी के तुझे बहादुर कहा जाए तो तुझको बहादुर कहा गया फिर हुक्म होगा तो उसे मुंह के बल घसीटा जाएगा यहां तक के आग में फैंक दिया जाएगा, और वो शख़्स जिसने इल्म हासिल किया और उसको सिखाया और क़ुरआन पढ़ा उसको लाया जाएगा अल्लाह उसको अपनी नेमतें याद दिलाएगा तो वो याद करेगा, फ़रमाएगा तूने इनके शुक्रिया में क्या काम किया, अर्ज़ करेगा इल्म सीखा और सिखाया और तेरे लिए क़ुरआन पढ़ा, फ़रमाएगा तू झूटा है, तूने इसलिए इल्म सीखा के तुझे आलिम कहा जाए और क़ुरआन इसलिए पढ़ा के तुझे क़ारी कहा जाए तो वो कहलिया गया, फिर हुक्म दिया जाएगा तो उसे मुंह के बल खींचा जाएगा यहां तक के आग में दाल दिया जाएगा, फिर वो शख़्स जिसे ख़ुदा ने वुस‌अत (ख़ुशहाली मालदारी) दी और हर तरह का माल अता फ़रमाया उसे हाज़िर किया जाएगा अल्लाह उसको अपनी नेमतों का इक़रार कराएगा वो इक़रार करेगा, फ़रमाएगा तूने इनके शुक्रिया में क्या काम किया, अर्ज़ करेगा मेंने कोई ऐसा रास्ता जिसमें ख़र्ज करना तुझको पसंद है नहीं छोड़ा और तेरी ख़ुशनूदी के लिए उसमें ख़र्च किया, अल्लाह फ़रमाएगा तू झूटा है तूने इसलिए ख़र्च किया के तुझे सख़ी कहा जाए तो वो कहलिया गया फिर हुक्म दिया जाएगा तो उसको मुंह के बल घसीटा जाएगा यहां तक के आग में फैंक दिया जाएगा!..✍🏻

📗 मिश्कात शरीफ़, सफ़ा 33

*والعياذ بالله تعالى* *वल अयाज़ू बिल्लाही तआला!*
  
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••• ➲  हुज़ूर फ़क़ीहे मिल्लत मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं!

••• ➲  इस हदीस शरीफ़ से वाज़ेह हुआ के अगर इल्मे दीन से माल व दौलत मक़सूद न हो बल्के सिर्फ आलिम कहलवाना मक़सूद हो तो इस सूरत में भी सवाब की बजाए अज़ाब होगा!

••• ➲  दोस्तों शहीद हो तो हुज़ूर आले रसूल सय्यदी सरकार इमाम हुसैन रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह और उनके सैदाइयों जैसा के जिन्होंने अपना सब कुछ अपने नाना जान हुज़ूर अलैहिस्सलाम के दीन की खातिर क़ुर्बान कर दिया और क़ियामत तक के लोगों को सबक़ दे दिया के लोगो हमारी तरह जिओ और हमारी तरह अल्लाह व रसूल के नाम पर क़ुर्बान हो जाओ!

••• ➲  अल्लाह तआला हम तमाम मुसलमानों को तमाम गुनाहों रियाकारी से बचने की और हुज़ूर इमाम हुसैन रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह के नक्श़े क़दम पर चलने की तौफीक़ अता फ़रमाए!..✍🏻

आमीन या रब्बल आलमीन
आमीन बिजाही सय्यीदिल मुर्सलीन सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम
  
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••• ➲ ❸ हदीस शरीफ़ हज़रत अनस रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से मरवी है के रसूलल्लाह सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : ना अहल को इल्म सिखाने वाला ऐसा है जैसे सूवरों को जवाहरात मोती और सोने का हार पहनाने वाला!

*📗 मिश्कात शरीफ़ सफ़ा 34*

••• ➲ हज़रत फ़क़ीह ए मिल्लत मुफ़्ती हुज़ूर जलालुद्दीन अहमद अमजदी अलैहिर्रमा तहरीर फ़रमाते हैं के : ना अहल से मुराद या तो वो शख़्स है जो ना समझ है और या वो तालिबे इल्म मुराद है जो अल्लाह तआला की ख़ुशनूदी के लिए नहीं बल्के माल व दौलत या जाहो हश्मत के लिए इल्मे दीन हासिल करता है इसलिए के ऐसे शख़्स से इस्लाम व सुन्नीयत को फ़ायदा की बजाय नुक़सान पहुंचेगा और हिदायत की बजाय गुमरही फैलेगी!

••• ➲ हज़रत मौलाना रूमी रज़िअल्लाहू तआला अन्ह फ़रमाते हैं :

نا اہل را علم و فن آ مو ختن
دادن تیغ ست دست راہزن،

••• ➲ यानी ना अहल को इल्म व हुनर सिखाना ऐसा है जैसे डाकू के हाथ में तलवार देना!..✍🏻

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••• ➲ ❹ हदीस शरीफ़ हज़रत क‌अब बिन मालिक रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के रसूलल्लाह सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : जो इस लिए इल्म हासिल करे ताके उससे आलिमों का मुक़ाबला करे या इसलिए के जाहिलों से झगड़े या इसलिए के लोगों को अपनी तरफ़ मुतवज्जह करे तो अल्लाह तआला उसे आग 🔥में दाख़िल करेगा!

*📗 मिश्कात शरीफ़ सफ़ह 34*

••• ➲ ❺ हदीस शरीफ़, हज़रत हसन बसरी रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के रसूलल्लाह सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : जिस शख़्स को इस हाल में मौत आए के वो इस्लाम को ताज़ा ज़िन्दगी बख़्शने के लिए इल्म हासिल कर रहा हो तो उसके और अम्बिया के दरमियान जन्नत में एक दर्जा होगा!

*📗 मिश्कात शरीफ़ सफ़ा 36*

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••• ➲ ❻ हदीस शरीफ़ हज़रत इब्ने मस‌ऊद रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से मरवी है : जो शख़्स इल्म का एक हिस्सा हासिल करे ताके उसके ज़रिया हक़ की तरफ़ से बातिल का रद्द करे या हिदायत से गमराही को हटाए तो वो चालीस 40.साल इबादत करने वाले की इबादत के मिस्ल है!

*📔 कन्ज़ुल उम्माल, जिल्द 10 सफ़ह 92*

••• ➲ ❼ हदीस शरीफ़ हज़रत अनस रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के नबी ए करीम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : जो शख़्स इल्म का एक हिस्सा हासिल करे ताके उससे ख़ुद अपनी या बाद के लोगों की इस्लाह करे तो अल्लाह तआला उसके लिए टीला की रेत के बराबर सवाब लिखेगा!

*📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 92*

••• ➲ इन आहदीस ए मुबारका से वो लोग सबक़ हासिल करें जो सुलह कुल्लीयत का बाज़ार गर्म किए हुए हैं, और कहते हैं के हमें किसी का बुरा नहीं बनना!

(अल्लाह तआला तमाम सुलह कुल्लीयों को हिदायत फ़रमाए, आमीन बिजाहिस्सैय्यिदिल मुरसलीन सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम)

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••• ➲ ❽ हदीस शरीफ़, हज़रत अनस रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से मरवी है के रसूलल्लाह सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : जो अल्लाह की ख़ुशनूदी के लिए इल्म हासिल करे तो वो उस शख्स की तरह है जो दिन में रोज़ा रखे और रात में इबादत करे, और बेशक इल्म का एक बाब के आदमी सीखे उसके लिए इस बात से बेहतर है के अबू क़ुबैस पहाड़ उसके लिए सोना हो जाए तो वो उसको अल्लाह की राह में ख़र्च करे!

*📔 तफ़सीरे कबीर जिल्द 1 सफ़ह 275*

••• ➲ ❾ हदीस शरीफ़, हज़रत इब्ने मस‌ऊद रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के रसूलल्लाह सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : जो शख़्स इसलिए इल्म हासिल करे ताके अल्लाह तआला की ख़ुशनूदी के लिए उसको लोगों से बयान करे तो ख़ुदा ए तआला उसको 70.नबीयों का सवाब अता फ़रमाएगा!..✍🏻

*📕 तफ़सीरे कबीर जिल्द 1 सफ़ह 275*

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••• ➲ ❶⓿ हदीस शरीफ़, हज़रत इब्ने उमर रज़ीअल्लाहू तआला अन्हुमा से मरवी हैं हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने इरशाद फ़रमाया : जो अल्लाह के अलावा दूसरे के लिए इल्म ए दीन हासिल करे वो अपना ठिकाना जहन्नम में बना ले!

*📓 कन्ज़ुल उम्माल, जिल्द 10 सफ़ह 112*

••• ➲ ❶❶ हदीस शरीफ़, हज़रत उम्मे सलमा रज़िअल्लाहू तआला अन्हा से मरवी है के सैय्यद ए आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : जो शख़्स इल्म हासिल करे उसके सबब लोगों से फ़ख़्र करे तो वो जहन्नम में जाएगा!

*📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 115*

••• ➲ ❶❷ हदीस शरीफ़, हज़रत अनस रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया : जो शख़्स दुनियां की नियत से हदीस या दूसरा इल्म हासिल करे वो आख़िरत की खेती नहीं पाएगा!..✍🏻

*📔 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 115*

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••• ➲ ❶③ हदीस शरीफ़,हज़रत इब्ने अब्बास रज़िअल्लाहू तआला अन्हुमा से मरवी है के सरकारे दो आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : जो अमल न करने के लिए इल्म हासिल करे तो वो उस शख़्स की मिस्ल है जो अपने रब अज़्ज़ा व जल्ल से ठिठ्ठा (हंसी मज़ाक़) करने वाला है!

*📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 116*

••• ➲ ❶④ हदीस शरीफ़, हज़रत अनस रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से मरवी है के हुज़ूर नबी ए करीम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : जो शख़्स आख़िरत के काम से दुनियां तलब करे उसके लिए आख़िरत में कोई हिस्सा नहीं!..✍🏻

*📔 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 116*

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           *फ़िक़्ह और फ़ुक़्हा की फ़ज़ीलत*
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••• ➲  हज़रत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी अलैहिर्रमा तहरीर फ़रमाते हैं के : लुग़त में मुतकल्लिम के कलाम से उसकी ग़र्ज़ के समझने को फ़िक़्ह कहते हैं और इसतिलाहे शरअ में फ़िक़्ह उन अहकामे शरीयह अमलियाह के जानने को कहते हैं जिनको अदल्ला ए तफ़सीलियह से हासिल किया गया हो!

*📓 अत्तारीफ़ात लिस्सय्यिद शरीफ़, जुरजानी. सफ़ह 147*

••• ➲  और शैख़ अब्दुल हक़ मुहद्दिस देहलवी बुख़ारी अलैहिर्रमतू व रिज़वान तहरीर फ़रमाते हैं : फ़िक़्ह का लफ़्ज़ असल में फ़हम व ज़कावत के मअना में आता है मगर उर्फ़े शरअ में अक्सर अहकामे शरीयह के इल्म पर बोला जाता है!...✍🏻

*📕 अश्अतुल लम‌आत जिल्द 1 सफ़ा 152*

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          *फ़िक़्ह और फ़ुक़्हा की फ़ज़ीलत*
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••• ➲  फ़िक़्ह जानने वाले को फ़क़ीह कहते हैं फ़ुक़्हा इसकी जमा है!

••• ➲  1️⃣ ख़ुदा ए तआला इरशाद फ़रमाता है *तर्जुमा :* तो क्यों न हुआ के उनके हर गिरोह में से एक जमाअत निकले के दीन की समझ हासिल करें और वापस आकर अपनी क़ौम को डर सुनाएं इस उम्मीद पर के वो बचें!

*📔 पारा 11 रुकू 4*

••• ➲  हज़रत अल्लामा इमाम राज़ी रज़िअल्लाहू तआला अन्ह तहरीर फ़रमाते हैं : इस आयत ए मुबारका से साबित हुआ के सफ़र के बग़ैर इल्मे फ़िक़्ह अगर न हासिल हो सके तो उसके लिए सफ़र करना वाजिब है!

*📕 तफ़सीरे कबीर जिल्द 4 सफ़ह 535*

••• ➲  और आले रसूल मुफ़स्सिर ए क़ुरआन हज़रत सदरुलाफ़ाज़िल मौलाना मुहम्मद न‌ईम उद्दीन साहिब क़िब्ला मुरादाबादी रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह!

••• ➲  इस आयत ए करीमा की तफ़सीर में तहरीर फ़रमाते हैं के : फ़िक़्ह अहकामे दीन के इल्म को कहते हैं फ़िक़्ह मुस्तलेह इसका सही मिसदाक़ है, और तहरीर फ़रमाते हैं के : फ़िक़्ह अफ़ज़ल तरीन उलूम है, और आलाहज़रत इमाम अहमद रज़ा ख़ान बरेलवी अलैहिर्रहमतू व रिज़वान तहरीर फ़रमाते हैं के : इल्म ए दीन फ़िक़्ह व हदीस है, मन्तिक व फ़लसफ़ा के जानने वाले उल्मा नहीं, ये उमूर मुत‌अल्लिक़ ब फ़िक़्ह हैं तो जो फ़िक़्ह में ज़्यादा है वोही बड़ा आलिमे दीन है अगरचे दूसरा हदीस व तफ़सीर से ज़्यादा इश्तेग़ाल रखता हो!..✍🏻

*📔 फ़तावा रज़वीयाह, जिल्द 4 सफ़ा 572*

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         ❝ इल्म और उल्मा ❞
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           *फ़िक़्ह और फ़ुक़्हा की फ़ज़ीलत*
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••• ➲ ❷ ख़ुदा ए अज़्ज़ा व जल्ल इरशाद फ़रमाता हैं :

*و من يوت الحكمة فقد اوتى خيرا كثيرا،*

••• ➲ *तर्जमा : -* और जिस शख़्स को हिक्मत दी गई उसे बहुत भलाई मिली!

*📓 पारा 3 रुकू 5*

••• ➲ साहिब ए दुर्रे मुख़्तार हज़रत अल्लामा हसकफ़ी रहमातुल्लाही तआला अलैह तहरीर फ़रमाते हैं मुफ़स्सिरीन की एक जमाअत ने

حكمة

••• ➲ की तफ़्सीर की है उन फ़ुरू का जानना जो इल्म फ़िक़्ह है!

*📕 दुर्रे मुख़्तार, माअ शामी, जिल्द 1 सफ़ह 28*

••• ➲ फ़क़ीह ए मिल्लत मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी अलैहिर्रमा तहरीर फ़रमाते हैं के साबित हुआ के फ़िक़्ह ऐसी फ़ज़ीलत वाला इल्म है के जिसे वो दिया गया वो ख़ैरे कसीर से सरफ़राज़ किया गया!..✍🏻

*📔 علم اور علماء، صفه 52, 53, 54*

            *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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••• ➲ ❸ हदीस शरीफ़ हज़रत अमीरे मुआविया रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के सरकार ए अक़दस सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : अल्लाह तआला जिसके साथ भलाई चाहता है उसे दीन का फ़क़ीह बना देता है!

*📕 बुख़ारी शरीफ़ जिल्द 1 सफ़ा 16*

••• ➲ हज़रत अब्दुल हक़ मुहद्दिसे देहेलवी अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं : फ़क़ीह बना देने का मतलब ये है के अल्लाह तआला उसे दीन का फ़हम, ज़ेर, की दानाई अता फ़रमाता है और उसके दीदा ए बसीरत को ख़ोल देता है के क़ुरआन मजीद व हदीस शरीफ़ के मआनी का दर्क हासिल हो जाता है और उसकी हक़ीक़ी मुराद तक पहुंच जाता है!

*📓 अश्अतुल लम‌आत जिल्द 1 सफ़ा 152*

••• ➲ और हज़रत अल्लामा इब्ने हजर अस्क़लानी रहमातुल्लाही तआला अलैह तहरीर फ़रमाते हैं : इस हदीस शरीफ़ का मतलब ये है के जो शख़्स दीन का फ़क़ीह नहीं हुआ यानी उसने मज़हबे इस्लाम के क़वाइद और जो फ़ुरू के उससे मुताल्लिक़ हैं उनको नहीं सीखा तो वो भलाई से महरूम हो गया!

••• ➲ और तहरीर फ़रमाते हैं के : उल्मा का सब लोगों से और फ़िक़्ह का सारे उलूम से अफ़ज़ल होने का इस हदीस शरीफ़ में वाज़ेह बयान है!..✍🏻

*📔 फ़तहुल बारी शरह बुख़ारी जिल्द 1 सफ़ह 151*

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*👨‍💻अज़ क़लम :-*  हजरत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ्ती जलाल उद्दीन अहमद अमजदी रज़िअल्लाहू तबारक व तआला अन्ह!..✍🏻

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          *फ़िक़्ह और फ़ुक़्हा की फ़ज़ीलत*
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••• ➲ ❹ हदीस शरीफ़, हज़रत अबू हुरैरह रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के हुज़ूर सैय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : लोग कान हैं जैसे के सोना चांदी की कानें, उनमें से जो कुफ़्र में अच्छे थे वो इस्लाम में भी अच्छे हैं
जबके वो दीन में फ़क़ाहत हासिल करें!

*📗 मिश्कात शरीफ़. सफ़ह 32*

••• ➲ हज़रत शैख़ अब्दुल हक़ मुहद्दिस देहेलवी बुख़ारी रहमातुल्लाही तआला अलैह तहरीर फ़रमाते हैं के हुज़ूर के क़ौल ➡ اذافقهوا

••• ➲ (यानी जबके वो फ़क़ीह हो जाएं, इल्म ए दीन सीखलें और साहिबे बसीरत हो जाएं) में इस बात की जानिब इशारा है के दीन में दारो मदार इल्म व मारफ़त हासिल करने पर है और अगर उस इल्म व मारफ़त के साथ उसकी शराफ़त और ज़ाती बुज़ुर्ग़ी भी जमा हो जाएं तो उसका भी बड़ा ऐतबार होगा, इल्म ए दीन के बग़ैर उसकी कोई हैसियत नहीं इसीलिए कहा गया है वो आलिम जिसमें कमीना पन न हो शरीफ़ जाहिल से बेहतर है!..✍🏻

*📕 अश्अतुल लम‌आत, जिल्द 1. सफ़ह 152*

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••• ➲ ❺ हदीस शरीफ़, हज़रत इब्ने अब्बास रज़ीअल्लाहू तआला अन्हुमा से मरवी है के रसूले अकरम सल्लललाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : एक फ़क़ीह शैतान पर हज़ार (1000) आबिदों से ज़्यादा भारी है!

*📗 मिश्कात शरीफ़, सफ़ा 34*

••• ➲ हज़रत मौलाना अली क़ारी रहमतुल्लाही तआला अलैह तहरीर फ़रमाते हैं के शैतान पर फ़क़ीह हज़ार (1000) आबिदों से ज़्यादा भारी इसलिए है के वो शैतान के फ़रेब में नहीं आता और लोगों को भलाई का हुक्म देता है जबके आबिद शैतान के फन्दे में आजाता है और उसे ख़बर भी नहीं होती!...✍🏻

*📓 मिरक़ात शरह मिश्कात जिल्द 1 सफ़ह 233*

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••• ➲ ❻ हदीस शरीफ़ हज़रत अबू हुरैरह रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के सरकारे अक़दस सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : दो 2, ख़ूबियां मुनाफ़िक़ में जमा नहीं हो सकतीं अच्छे अख़्लाक़ और दीन का तफ़क़्क़ोह!

*📗 मिश्कात शरीफ़ सफ़ा 34*

••• ➲ हज़रत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी रज़िअल्लाहू तआला अन्ह तहरीर फ़रमाते हैं : इस हदीस शरीफ़ से मालूम हुआ के जिस शख़्स के अख़्लाक़ उम्दा हों और उसमें तफ़क़्क़ोह यानी दीन की सही समझ हो वो मुनाफ़िक़ नहीं!...✍🏻

*📗 इल्म और उल्मा, सफ़ा 56*

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••• ➲ ❼ हदीस शरीफ़, हज़रत अली रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से मरवी है के रसूले अकरम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : दीन का वो फ़क़ीह किया ही बेहतरीन आदमी है के अगर उसकी ज़रूरत पड़े तो फ़ायदा पहुंचा दे और अगर उससे ला परवाही की जाए तो वो लोगों से बे नियाज़ रहे!

*📗 मिश्कात शरीफ़ सफ़ा 36*

••• ➲  हज़रत अब्दुल हक़ मुहद्दिस देहलवी बुख़ारी रज़िअल्लाहू तआला अन्ह तहरीर फ़रमाते हैं के : हदीस शरीफ़ का ख़ुलासा ये है के आलिमे दीन को ऐसा होना चाहिए के वो अपने आप को लोगों का मौहताज न बनाए और न उनके मिलने जुलने का ख़्वाहिश मन्द हो मगर लोगों से बिल्कुल अलैहदगी भी न इख़्तियार करे के उनको अपने इल्म से फ़ायदा न पहुंचाए बल्के अगर लोग उसके इल्म के मौहताज हों तो उनको अपने इल्म से फ़ायदा पहुंचाता रहे और अगर लोगों को उसकी हाजत (ज़रूरत) न हो तो वो अल्लाह की इबादत, दीनी किताबों के मुताल‌अह, तसनीफ़ व तालीफ़ और इल्मे दीन की तब्लीग़ व इशाअत में मसरूफ़ रहे!...✍🏻

*📓 अश्अतुल लम‌आत जिल्द 1 सफ़ा 170*

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••• ➲ ❽ हदीस शरीफ़, हज़रत अबू दरदा रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के रसूलल्लाह सल्लललाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : जो शख़्स दीन से मुताल्लिक़ चालीस (40) हदीसें याद करे और मेरी उम्मत के लोगों को पहुंचाए अल्लाह तआला क़ियामत के दिन उसे फ़ुक़्हा के गिरोह में उठाएगा और में क़ियामत के दिन उसकी शफ़ाअत करूंगा और उसके ईमान व इताअत की गवाही दूंगा!

*📗 मिश्कात शरीफ़ सफ़ह 36*

••• ➲ ❾ हदीस शरीफ़, हज़रत अनस रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : जब अल्लाह तआला किसी बन्दा के साथ भलाई चहता है तो उसे दीन का फ़क़ीह बनाता है और उसमें दुनियां की बे रग़बती पैदा करता है और उसके ऐबों को उसे पहचनवा देता है!..✍🏻

*📓 कन्ज़ुल उम्माल, जिल्द 10. सफ़ह 78*

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••• ➲ ❶⓿ हदीस शरीफ़, हज़रत वासिला रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से मरवी है के हुज़ूर सय्यदे आलम सल्लललाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : फ़िक़्ह के बग़ैर इबादत करने वाला ऐसा है जैसे चक्की का गधा!

*📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 80*

••• ➲ हज़रत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी रज़िअल्लाहू तआला अन्ह तहरीर फ़रमाते हैं : इस हदीस शरीफ़ का मतलब ये है  के जैसे पहले ज़माना में आटा की चक्की को गधा चलाया करता था मगर आटा खाने के लिए उसको नहीं मिलता था ऐसे ही बग़ैर फ़िक़्ह यानी मसाइले शरीयह की रियायत के बग़ैर जो इबादत की मशक्कत उठाता है उसे कुछ सवाब नहीं मिलता!

*📘 इल्म और उल्मा, सफ़ह 58*

••• ➲ दोस्तो इल्म ए दीन हासिल करो, अगरचे कितनी ही महनत करनी पड़े, अब जवान हो ग‌ए घर की ज़िम्मेदारियां बढ़ ग‌ईं तो कुछ वक़्त निकाल कर उल्मा ए अहले सुन्नत के पास जाकर मसाइल सीखते रहें और उल्मा ए किराम का साथ न छोड़ें, ख़बरदार सुलह कुल्ली मोलवीयों से दूर रहें सिर्फ उन्हीं आलिमों से राबता रखें जो मसलके आला हज़रत के पासवान और आशिक़ाने ताजुश्शरीअह है, इसी भलाई है इसी में हम सबकी कामयाबी है!...✍🏻

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••• ➲ ❶❶ हदीस शरीफ़, हज़रत अबू हुरैरह रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के सय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : दीनी फ़िक़्ह से अफ़ज़ल अल्लाह तआला के नज़दीक कोई चीज़ नहीं है और ज़रूर एक फ़क़ीह शैतान पर हज़ार (1000) आबिद से ज़्यादा भारी है और हर चीज़ के लिए एक खम्बा है और इस दीन का खम्बा फ़िक़्ह है!

*📓 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 84*

••• ➲  ❶❷ हदीस शरीफ हज़रत इब्ने उमर रज़िअल्लाहू तआला अन्हुमा से मरवी हैं : इबादत में अफ़ज़ल फ़िक़्ह है और दीन में अफ़ज़ल परहेज़गारी हैं!..✍🏻

*📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 85*

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••• ➲ ❶❸  हदीस शरीफ़, हज़रत अबू हुरैरह रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने इरशाद फ़रमाया : हर चीज़ के लिए एक खम्बा है और दीन का खम्बा फ़िक़्ह है!

*📓 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 86*

••• ➲  ❶❹ हदीस शरीफ़ हज़रत दर्रह बिन्ते अबू लहब रज़िअल्लाहू तआला अन्हा से रिवायत है के नबी ए करीम अलैहिस्सलातू व तस्लीम ने इरशाद फ़रमाया : लोगों में अच्छे वो हैं जो उनमें ज़्यादा क़ुरआन पढ़ने वाले हैं और जो उनमें ज़्यादा दीनी समझ रखने वाले हैं और जो उनमें ज़्यादा अल्लाह से डरने वाले हैं और जो उनमें ज़्यादा अच्छी बात का हुक्म करने वाले हैं और जो उनमें ज़्यादा बुरी बात से रोकने वाले हैं और जो उनमें ज़्यादा सिला रहमी वाले हैं!...✍🏻

*📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 87*

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••• ➲ ❶❺  हदीस शरीफ़ हज़रत इब्ने उमर रज़िअल्लाहू तआला अन्हुमा से मरवी है : थोड़ी फ़िक़्ह ज़्यादा इबादत से बेहतर है और इंसान को फ़िक़्ह काफ़ी है जबके वो अल्लाह तआला की इबादत करे!

*📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 88*

••• ➲  ❶❻ हदीस शरीफ़, हज़रत अनस रज़िअल्लाहु तआला अन्ह से रिवायत है के हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : फ़िक़्ह का हासिल करना हर मुसलमान मर्द औरत पर ज़रूरी है वाजिब है!..✍🏻

*📗 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10, सफ़ा 91)*

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••• ➲ ❶❼  हदीस शरीफ़, हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : जो शख़्स अल्लाह तआला के दीन का फ़क़ीह बना अल्लाह तआला उसके लिए उसके ग़म और उसकी रोज़ी को काफ़ी होगा जहां से वो गुमान नहीं करेगा!

*📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 94*

••• ➲ ❶❽ हदीस शरीफ़ हज़रत अनस रज़ीअल्लाहु तआला अन्ह से मरवी है: बेहतरीन इबादत फ़िक़्ह है!..✍🏻

*📗 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 100*

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••• ➲ ❶❾  हदीस शरीफ़ हज़रत इब्ने उमर रज़िअल्लाहु तआला अन्हुमा से रिवायत है : फ़िक़्ह के बग़ैर कोई इबादत नहीं और फ़िक़्ह की मजलिस साठ (60) साल की इबादत से बेहतर है!

*📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 100*

••• ➲ ❷⓿ हदीस शरीफ़ हज़रत आयशा सिद्दीक़ा रज़िअल्लाहु तआला अन्हा से मरवी है : उस इबादत गुज़ार की हालत जो फ़िक़्ह नहीं जानता है उस शख़्स की हालत के मिस्ल है जो रात में घर बनाता है और दिन में ढा (तोड़) देता है!..✍🏻

*📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 102*

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••• ➲ ❷❶ हदीस शरीफ़, हज़रत अली करमअल्लाहू तआला वजहुल करीम से रिवायत है: सुनलो, नहीं है कोई भलाई ऐसी इबादत में जिसमें तफ़क़्क़ोह न हो और न ऐसे इल्म में के जिसमें ग़ौर व फ़िक्र न हो!

*📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 104*

••• ➲ ❷❷ हदीस शरीफ़ हज़रत इब्ने अब्बास रज़ीअल्लाहु तआला अन्हुमा से मरवी है के हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: दीन की आफ़तें तीन (3) हैं!

फ़ासिक़ फ़क़ीह,
ज़ालिम इमाम,
और जाहिल मुजतहिद,

*📗 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 105*

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                 *उल्मा की फ़ज़ीलत*

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••• ➲ ❶ अल्लाह तआला इरशाद फ़रमाता है तर्जुमा -- ऐ ईमान वालो अल्लाह की इताअत करो और रसूल की इताअत करो और जो तुममें ऊलुल अम्र हैं!

*📓 पारा 5. रुकू 5*

••• ➲  हज़रत अल्लामा इमाम फ़ख़रुद्दीन राज़ी रहमतुल्लाहि तआला अलैह तहरीर फ़रमाते हैं : ऊलुल अम्र से मुराद उल्मा हैं असह अक़वाल हैं,इसलिए के बादशाहों पर उल्मा की फ़रमाबरदारी, वाजिब है और उसका बर‌अक्स नहीं, (यानी उल्मा बादशाहों की फ़रमाबरदारी नहीं करेंगे बल्के बादशाह उल्मा की फ़रमाबरदारी करेंगे)

*📓 तफ़्सीर ए कबीर जिल्द 1. सफ़ा 274*

••• ➲  हज़रत फ़क़ीह ए मिल्लत मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं : इस तफ़्सीर की रोशनी में आयत ए करीमा का तर्जुमा यूं हुआ के अल्लाह व रसूल की फ़रमाबरदारी करो और जो तुममें आलिम हैं उनकी फ़रमाबरदारी करो!..✍🏻

*📗 इल्म और उल्मा, सफ़ा 62--63*

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                 *उल्मा की फ़ज़ीलत*

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 ••• ➲ ❷ और ख़ुदा ए तआला इरशाद फ़रमाता है!

*तर्जुमा :-* अल्लाह से उसके बन्दों में वही डरते हैं जो इल्म वाले हैं!

*📕 पारा 22. रुकू 16*

••• ➲ हज़रत अल्लामा इमाम राज़ी रहमतुल्लाहि तआला अलैह तहरीर फ़रमाते हैं के : आयते मुबारका में इस बात पर दलालत है के उल्मा जन्नती हैं और वो इसलिए के उल्मा ख़शियत वाले हैं और हर वो शख़्स जो ख़शियत वाला है जन्नती है, तो उल्मा जन्नती है,
और इस बात का सुबूत के ख़शियत वाले जन्नती हैं!

अल्लाह तआला का ये क़ौल :

جزاء هم،  الخ،

••• ➲ ये आयत शुरु से आख़िर तक, का

••• ➲ *तर्जुमा : -* यानी उनका सिला उनके रब के पास रहने के बाग़ हैं जिनके नीचे नहरें जारी हैं,वो लोग उनमें हमेशा रहेंगे,अल्लाह उनसे राज़ी और वो अल्लाह से राज़ी,ये उसके लिए है जो अपने रब से डरे!..✍🏻

*📒 पारा 30. सूरह लमयकु*
*📗 तफ़्सीरे कबीर जिल्द 1 सफ़ह 279*

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*👨‍💻अज़ क़लम :-*  हजरत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ्ती जलाल उद्दीन अहमद अमजदी रज़िअल्लाहू तबारक व तआला अन्ह!..✍🏻


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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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                 *उल्मा की फ़ज़ीलत*
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 ••• ➲ ❸ ख़ुदा ए अज़्ज़ा व जल्ल इरशाद फ़रमाता है!

••• ➲ *तर्जुमा : -* क्या इल्म वाले और बे इल्म बराबर हो जायेंगे!

*📓 पारा 23. रुकू 15*

••• ➲ हज़रत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं के : इस आयत ए करीमा से मालूम हुआ के आलिम ग़ैरे आलिम से अफ़ज़ल है ग़ैरे आलिम ख़्वाह आबिद हो या ग़ैरे आबिद,बहरहाल आलिम उससे अफ़ज़ल है!...✍🏻

*📘 इल्म और उल्मा, सफ़ह 64*

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                 *उल्मा की फ़ज़ीलत*

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••• ➲ ❹ और अल्लाह तआला इरशाद फ़रमाता है!

••• ➲ *तर्जुमा : -* अल्लाह तआला तुम्हारे ईमान वालों के और जिन लोगों को इल्म दिया गया है ख़ास कर उनके दर्जे को बुलंद फ़रमाएगा!

*📗 पारा 28. रुकू 2*

••• ➲ हज़रत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं के इस आयते मुबारका से मालूम हुआ के सब मोमिन बड़े दर्जे वाले हैं और उनमें ख़ास कर उल्मा ए दीन बहुत बुलंद मर्तबे वाले हैं, दुनियां व आख़िरत में उनकी इज़्ज़त है ख़ुदा ए तआला ने उनके लिए बुलंदी ए दर्जात का वादा फ़रमाया है!

••• ➲ *इन्तिबाह* ख़बरदार क़ुरआन व हदीस से आलिमों की जो बहुत सी फ़ज़ीलतें साबित हैं उनसे वो लोग मुराद हैं जो हक़ीक़त में इल्म वाले हैं चाहे वो सनद याफ़्ता हों या न हों के सनद कोई चीज़ नहीं ख़ुसूसन इस ज़माना में जबके जाहिलों को आलिम व फ़ाज़िल की सनद दी जा रही है!..✍🏻

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                 *उल्मा की फ़ज़ीलत*
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 ••• ➲  मुजद्दिदे आज़म सरकार

आलाहज़रत इमाम अहमद रज़ा ख़ान फ़ाज़िले बरेलवी अलैहिर्रहमतू व रिज़वान तहरीर फ़रमाते हैं के : सनद कोई चीज़ नहीं के बहुतेरे सनद याफ़्ता महज़ बे बहरा होते हैं!

*📕 फ़तावा रज़वीयह जिल्द 10. सफ़ह 231*

••• ➲  और तहरीर फ़रमाते हैं के सनद हासिल करना तो कुछ ज़रूर नहीं हां बा क़ायदा तालीम पाना ज़रूर है मदरसा में हो या किसी आलिम के मकान पर, और जिसने बे क़ायदा तालीम पाई (ख़्वाह मदरसा में रहकर) वो जाहिल महज़ से बदतर नीम मुल्ला ख़तरा ए ईमान होगा!

*📗 फ़तावा रज़वीयह जिल्द 10. सफ़ह 572*

••• ➲  लिहाज़ा वो लोग जो आलिम की सनद तो रखते हैं मगर इल्म वाले नहीं हैं जिनकी तादाद तेज़ी के साथ रोज़ ब रोज़ बढ़ रही है उनके मुताल्लिक़ आलिमों की फ़ज़ीलत से ग़लत फ़हमी में न पड़ें!..✍🏻

            *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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                 *उल्मा की फ़ज़ीलत*
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••• ➲  यानी जो आलिम ख़िलाफ़ ए शराअ काम करते हैं मसलन Tv Video या जानदार की तस्वीर को जाइज़ व बाइस ए सवाब क़रार देते हैं!

••• ➲  लाउडस्पीकर पे नमाज़ पढ़ाने को जाइज़ मानते हैं!

••• ➲  दाढ़ी एक मुस्त से कम रखने को जाइज़ समझते हैं!

••• ➲  क़व्वाली म‌अ मज़ामीर (Music) के साथ जाइज़ समझते हैं!

सुलह कुल्लीयत फ़ैलाना,
बद मज़हबों का रद्द न करना,
बल्के रद्दे बातिला से दूसरे उल्मा ए किराम को रोकना अच्छा समझते हैं!

••• ➲  कभी नमाज़ पढ़ते हैं और कभी नहीं पढ़ते!

••• ➲  ख़ुले आम हराम काम करते हैं ऐसा शख़्स आलिम नहीं और न ही उसके लिए कोई फ़ज़ीलत है, ऐसे लोग सिर्फ़ नाम के आलिम हैं, ऐसे लोगो से दूर रहें!..✍🏻

            *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

          *📬  इल्म और उल्मा, सफ़ह - 65 📚*

*👨‍💻अज़ क़लम :-*  हजरत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ्ती जलाल उद्दीन अहमद अमजदी रज़िअल्लाहू तबारक व तआला अन्ह!..✍🏻

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     ❝इल्म और उल्मा ❞
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              *❝ उल्मा  की  फ़ज़ीलत ❞*
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••• ➲  हज़रत अबू दरदा रज़ीअल्लाहु तआला अन्ह से रिवायत है के सरकारे अक़दस सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : बेशक आलिमे दीन के लिए आसमानों और ज़मीन की चीजें और मछलीयां पानी में दुआ ए मग़फ़िरत करती हैं और यक़ीनन आलिम की फ़ज़ीलत आबिद पर ऐसी है जैसे चौधवीं (14.वीं) रात के चांद की फ़ज़ीलत तमाम सितारों पर, और बेशक उल्मा अम्बिया के वारिस हैं और नबीयों ने किसी को दीनार व दिरहम का वारिस नहीं बनाया उन्होंने सिर्फ इल्म को विरासत में छोड़ा है तो जिसने इल्म हासिल कर लिया उसने पूरा हिस्सा पा लिया!

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📗 मिश्कात शरीफ़ सफ़ह 34 

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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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               *❝ उल्मा  की  फ़ज़ीलत ❞*

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••• ➲  हज़रत मुल्ला अली क़ारी रहमतुल्लाहि तआला अलैह इस हदीस शरीफ़ की शरह में तहरीर फ़रमाते हैं के आलिमों के लिए दुआ ए मग़फ़िरत में मछलीयों की तख़्सीस इसलिए है के पानी हैवान की ज़िंदगी का सबब है वो उल्मा ए हक़ की बरकत से नाज़िल होता है जैसा के एक दूसरी हदीस में है!

••• ➲  आलिमों के सबब उनपर बारिश की जाती है और उन्हीं के सबब उनको रोज़ी दी जाती है!

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📗 मिरक़ात शरह मिश्कात. जिल्द 1. सफ़ह 230


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     ❝इल्म और उल्मा ❞
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              *❝ उल्मा  की  फ़ज़ीलत ❞*
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••• ➲  और हज़रत शैख़ अब्दुल हक़ मुहद्दिस देहलवी बुख़ारी रहमतुल्लाहि तआला अलैह तहरीर फ़रमाते हैं!

••• ➲  सारे जहान का आलिम के लिए दुआ ए मग़फ़िरत करने का सबब ये है के जहान की दुरुस्तगी इल्मे दीन की बरकत से है,अहले जहान की तमाम चीजों में  से कोई भी चीज़ ऐसी नहीं जिसकी दुरुस्तगी और जिसका वुजूद व बक़ा इल्म की बरकत से न हो!

                 *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

📗 अश्अतुल लम‌आत, जिल्द 1 सफ़ह 158


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     ❝इल्म और उल्मा ❞
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               *❝ उल्मा  की  फ़ज़ीलत ❞*

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••• ➲  और तहरीर फ़रमाते हैं के हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने आलिमे दीन को चांद से इसलिए तश्बीह दी है के चांद के नूर से सारी दुनियां रोशन होती है जैसे इल्म ए दीन का फ़ायदा सारे जहान को पहुंचता है ब ख़िलाफ़ इबादत गुज़ार के उसका फ़ायदा सिर्फ उसकी ज़ात तक महदूद रहता है दूसरों को नहीं पहुंचता जैसे के सितारों की रोशनी दूसरों को फ़ायदा नहीं देती!

                 *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

📗 अश्अतुल लम‌आत जिल्द 1, सफ़ह 159


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     ❝इल्म और उल्मा ❞
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              *❝ उल्मा  की  फ़ज़ीलत ❞*
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••• ➲  और तहरीर फ़रमाते हैं के आलिमे दीन से वो शख़्स मुराद है जो इल्म हासिल करने के बाद फ़राइज़ व सुनन ए मुअक़्किदा ज़रूरी इबादात पर इकतिफ़ा करता हो यानी बे अमल न हो और ज़्यादा वक़्त इल्म सिखाने और दीनी किताबों के तस्नीफ़ करने (दीनी किताबें लिखने) पर ख़र्च करता हो उसका काम इल्म की नशरो इशाअत और दीन की तरवीज हो, और आबिद से वो शख़्स मुराद है जो इल्म हासिल करने के बाद इबादत में मशग़ूल हुआ हो यानी जाहिल न हो और अपने औक़ात (वक़्त) को इबादत में सर्फ़ करता हो, और चूंके इल्म की नशरो इशाअत और उसमें मशग़ूल रहने का फ़ायदा दीन के लिए बहुत ज़्यादा है और लोगों को उसका नफ़ा आमतर व शामिल तर है इसलिए इल्म इबादत से बहुत ज़्यादा अफ़ज़ल है!

                 *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

📗 अश्अतुल लम‌आत जिल्द 1 सफ़ह 159


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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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              *❝ उल्मा  की  फ़ज़ीलत ❞*
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••• ➲  हदीस शरीफ़ हज़रत अबू अमामह बाहिली रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है उन्होंने फ़रमाया के रसूलल्लाह सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम की ख़िदमत में दो (2) आदमीयों का ज़िक्र किया गया, एक(1) इबादत गुज़ार का दूसरे आलिम ए दीन का, तो हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : आलिम की फ़ज़ीलत आबिद पर ऐसी है जैसे मेरी फ़ज़ीलत तुम्हारे अदना आदमी पर,फिर रसूलल्लाह सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया के अल्लाह, उसके फ़िरिश्ते और आसमान व ज़मीन वाले यहां तक के चियूंटी अपने सुराख़ में और मछलियां (पानी में) सलात भेजते हैं लोगों को इल्मे दीन सिखाने वाले पर!

                 *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

📗 मिश्कात शरीफ़, सफ़ा 34 

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     ❝इल्म और उल्मा ❞
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               *❝ उल्मा  की  फ़ज़ीलत ❞*

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••• ➲  हज़रत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ़्ती जलालुद्दीन अमजदी अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं अंदाज़ा करना चाहिए के इस हदीस शरीफ़ में किस क़दर आबिद पर आलिम की फ़ज़ीलत व शान का इज़हार है के जब हुज़ूर सय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम तमाम अम्बिया व मुर्सलीन से अफ़ज़ल हैं तो एक अदना आदमी पर आपकी फ़ज़ीलत किस क़दर होगी!

••• ➲  (मगर अफ़सोस नाक़िस अक़्ल वाले वहाबी देवबंदी अहले हदीस वग़ैरह के गुरु घंटाल इस्माईल देहलवी लाअनातुल्लाह अलैह पर के उसने अपनी किताब तक़्वियातुल ईमान, में लिख मारा के हर मख़लूक़ छोटी हो या बड़ी अल्लाह की शान के आगे चमार से भी ज़लील है! *माअज़ अल्लाह*

••• ➲  यानी वहाबियों के नज़दीक अल्लाह तआला के यहां चमार की इज़्ज़त तो है मगर बड़ी मख़लूक़ यानी अम्बिया अलैहिमुस्सलाम व सहाबा ए किराम अलैहिमुर्रिज़वान और औलिया ए किराम, और छोटी मख़लूक़ आम मुसलमानों में से किसी की भी इज़्ज़त नहीं! *माअज़‌अल्लाहि रब्बिल आलमीन,*

••• ➲  अल्लाह की लानत हो इन गुस्ताखों पर) प्यारे सुन्नी जन्नती भाईयो वहाबियों से दूर रहो इनसे हरगिज़ हरगिज़ मेल-जोल ना रखो वरना ईमान जाने का ख़तरा है!

                 *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📗 इल्म और उल्मा, सफह 48-49*


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              *❝ उल्मा  की  फ़ज़ीलत ❞*
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••• ➲  हज़रत मुल्ला अली क़ारी रहमतुल्लाहि तआला अलैह तहरीर फ़रमाते हैं के आलिम की फ़ज़ीलत आबिद पर इसलिए बहुत ज़्यादा है के इल्म का फ़ायदा दूसरे को भी पहुंचता है और इबादत का फ़ायदा सिर्फ़ इबादत गुज़ार(आबिद) को, नीज़ इल्म या तो फ़र्ज़े ऐन है और या तो फ़र्ज़े किफ़ाया और ज़ाइद इबादत नफ़ल है और फ़र्ज़ का सवाब बहरहाल नफ़ल से ज़्यादा है!

*📓 मिर्क़ात शरह मिश्कात, जिल्द 1 सफ़ह 249*

••• ➲  और हज़रत शैख़ अब्दुल हक़ मुहद्दिस देहलवी बुख़ारी रहमतुल्लाहि तआला अलैह तहरीर फ़रमाते हैं के इस हदीस शरीफ़ में इशारा है के फ़ज़ीलत उस आलिम को है जो लोगों को दीन सिखाता है ताके उसके इल्म से दूसरों को फ़ायदा पहुंचे और वो इबादत से अफ़ज़ल हो जाए जिससे लोगों को फ़ायदा नहीं पहुंचता!

                 *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📗 अश्अतुल लम‌आत, जिल्द 1 सफ़ह 159*

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                *❝ उल्मा  की  फ़ज़ीलत ❞*
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••• ➲  हदीस शरीफ़ हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ीअल्लाहू तआला अन्हुमा से मरवी है के रसूलल्लाह सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम दो (2) मजलिसों के पास गुज़रे जो आपकी मस्जिद में थीं तो आपने फ़रमाया : ये दोनों भलाई पर हैं मगर इनमें एक मजलिस दूसरी से अफ़ज़ल है, रहे ये लोग तो अल्लाह से दुआ कर रहे हैं और उसकी तरफ रग़बत ज़ाहिर करते हैं अगर चाहे उनको अता फ़रमाए और चाहे कुछ न दे, रहे ये लोग तो फ़िक़्ह और इल्म सीखते हैं और न जानने वालों को सिखाते हैं तो ये अफ़ज़ल हैं और मैं मुअल्लिम ही बनाकर भेजा गया हूं, फिर हुज़ूर इल्म वाली मजलिस में बैठ ग‌ए!

                 *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📗 मिश्कात शरीफ़ सफ़ह 36*


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               *❝ उल्मा  की  फ़ज़ीलत ❞*
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••• ➲  हज़रत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं के : हदीस शरीफ़ का ख़ुलासा ये है के इबादत की मक़बूलियत यक़ीनी नहीं और तालीम का फ़ायदा बहर हाल है चाहे वो तदरीस (दर्स देने के) तौर पर हो या तसनीफ़ (किताबें लिखने के) तौर पर, इसलिए के इससे लोग अपने ईमान व अमल को दुरूस्त करते हैं, और दुनियां में हुज़ूर सय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम की तशरीफ़ आवरी का मक़सद तालीम है न के इबादत, इसीलिए उल्मा हुज़ूर के वारिस व जानशीन हैं!

                 *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📗 इल्म और उल्मा, सफ़ह 70-71*


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         ❝ इल्म और उल्मा ❞
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               *❝ उल्मा  की  फ़ज़ीलत ❞*
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••• ➲  हदीस शरीफ़,हज़रत अली करमल्लाहू तआला वजहुल करीम से रिवायत है के हुज़ूर सय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद इरशाद फ़रमाया : उल्मा दुनियां के चिराग़ हैं और अम्बिया के जानशीन हैं, और मेरे नीज़ दीगर अम्बिया के वारिस हैं!

                 *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📗 कन्ज़ुल उम्माल, जिल्द 10 सफ़ह 77* 

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         ❝  इल्म और उल्मा❞
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              *❝ उल्मा  की  फ़ज़ीलत ❞*
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••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत अनस रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से मरवी है के हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : आलिम नबियों के वारिस हैं, आसमान वाले उनसे मुहब्बत करते हैं, और जब उल्मा इन्तिक़ाल कर जाते हैं तो मछलियां पानी में क़ियामत तक उनके लिए दुआ ए मग़फिरत करती हैं!

📙 कन्ज़ुल उम्माल, जिल्द 10 सफ़ह 77

••• ➲  हदीस शरीफ़ हज़रत अनस रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के नबी ए करीम अलैहिस्सलातू व तस्लीम ने फ़रमाया : आलिमों की पैरवी करो इसलिए के वो दुनियां और आख़िरत के चिराग़ हैं!

📗 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 77

                 *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*


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               *❝ उल्मा  की  फ़ज़ीलत ❞*
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••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत इब्ने अब्बास रज़ीअल्लाहू तआला अन्हुमा से मरवी है के हुज़ूर सय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : जबके आलिम और आबिद पुलसिरात पर जमा होंगे तो आबिद से कहा जाएगा के जन्नत में दाख़िल हो जाओ और अपनी इबादत के सबब नाज़ व नेमत के साथ रहो और आलिम से कहा जाएगा के यहां ठहर जाओ और जिस शख़्स की चाहो शफ़ाअत करो, इसलिए के तुम जिस किसी की शफ़ाअत करोगे क़ुबूल की जाएगी, तो वो अम्बिया के मक़ाम पर खड़ा होगा!

📒 कन्ज़ुल उम्माल, जिल्द 10 सफ़ह 78

••• ➲  हदीस शरीफ़ हज़रत वासिला रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के नबी ए करीम अलैहिस्सलातू व तस्लीम ने इरशाद फ़रमाया : आलिम जो किसी ख़ानदान में पैदा होता है उससे बढ़कर इबलीस (शैतान) की कमर तोड़ने वाली कोई चीज़ नहीं!

📗 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 84

                 *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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         ❝इल्म और उल्मा  ❞
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                *❝ उल्मा  की  फ़ज़ीलत ❞*
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••• ➲  हदीस शरीफ़ हज़रत जाबिर रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से मरवी है के हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : आलिमों की इज़्ज़त करो इसलिए के वो अम्बिया के वारिस हैं तो जिसने उनकी इज़्ज़त की तहक़ीक़ उसने अल्लाह व रसूल की इज़्ज़त की!

📒 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 85

••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत अबू हुरैरह रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने इरशाद फ़रमाया : बेशक फ़ितना उठेगा तो इबादत के महल को पूरे तौर पर ढा देगा (गिरा देगा) और आलिम अपने इल्म के सबब (ज़रिए) उस फ़ितना से निजात पाएगा!

📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 85

*⚠️ नोट : - क़ुरआन मजीद व हदीस शरीफ़* में जो फ़ज़ीलत उल्मा ए किराम के लिए आईं हैं वो सब पाबंदे शराअ आलिमों के लिए हैं!

••• ➲  सुलह कुल्ली मौलवी के लिए नहीं, और ना ही किसी बेअमल बद परहेज़ के लिए जैसे आजकल के कुछ नाम निहाद मौलवी जो जानदार की तस्वीर विडियो को जाइज़ करके टीवी पर आते हैं और लाउडस्पीकर पर नमाज़ पढ़ते पढ़ाते हैं और क़व्वाली मअ मज़ामीर (Music) को जाइज़ कहते हैं, और दाढ़ी को एक मुस्त से कम रखने को जाइज़ कहते हैं!

••• ➲  क्योके ये इख़्तिलाफ़ी मसअले नहीं बल्के इजमाई हैं, ख़ुलासा ये ये के जो आलिम *मसलक ए आलाहज़रत यानी हुज़ूर ताजुश्शरीअह अलैहिर्रहमा* की तालीम के ख़िलाफ़ करे उसके लिए कोई फ़ज़ीलत नहीं, बल्के वो अज़ाबे इलाही का मुस्तहिक़ है!

*والعياذ بالله تعالى*
*वल अयाज़ू बिल्लाही तआला*

लगातार मैसेज पढ़ते रहिए ताके पूरी तरह बात समझ में आ जाए!

                 *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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         ❝  इल्म और उल्मा❞
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               *❝ उल्मा  की  फ़ज़ीलत ❞*
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••• ➲   हदीस शरीफ़, हज़रत जाबिर रज़ीअल्लाहु तआला अन्ह से रिवायत है के हुज़ूर सय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : यक़ीनन जन्नती जन्नत में उल्मा के मोहताज होंगे और वो इसलिए के वो हर जुमा को अल्लाह के दीदार से सरफ़राज़ होंगे तो ख़ुदा ए तआला उनसे फ़रमाएगा जिस चीज़ की चाहो तमन्ना करो, तो वो लोग उल्मा के पास जाएंगे और उनसे पूछेंगे के हम किस चीज़ की तमन्ना करें, तो वो कहेंगे ख़ुदा ए तआला से ऐसी ऐसी तमन्ना करो, तो जन्नती जन्नत में आलिमों के मोहताज होंगे जैसा के दुनियां में वो उनके मोहताज हैं!

📓 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10. सफ़ा 86

••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत मुहम्मद बिन अली रज़ीअल्लाहु तआला अन्हुमा से मरवी है के हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया : आलिम की दो (2) रकअत नमाज़ ग़ैरे आलिम की सत्तर (70) रकअत से अफ़ज़ल है!

📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ा 87

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                *❝ उल्मा  की  फ़ज़ीलत ❞*
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••• ➲   हदीस शरीफ़, हज़रत जाबिर रज़ीअल्लाहु तआला अन्ह से मरवी है के आक़ा ए दो जहां ने फ़रमाया : ऐसा आलिम जो बिस्तर पर टेक लगाकर इल्म के बारे में ग़ौर व फ़िक्र करे उसकी एक साअत आबिद की सत्तर (70) साला इबादत से बेहतर है!

📗 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 87

••• ➲   हदीस शरीफ़, हज़रत अबू दरदा रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया : क़बीला की मौत आलिम की मौत से आसान है!

📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10, सफ़ह 90

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              *❝ उल्मा  की  फ़ज़ीलत ❞*
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••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत अबू हुरैरह रज़ीअल्लाहु तआला अन्ह से मरवी है के हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया : जिसने आलिमों में से किसी आलिम के पीछे नमाज़ पढ़ी तो गोया उसने नबियों में से किसी नबी के पीछे नमाज़ पढ़ी!

📕 तफ़्सीरे कबीर जिल्द 1 सफ़ह 275

••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत इब्ने उमर रज़ीअल्लाहु तआला अन्हुमा से मरफ़ूअन रिवायत है के हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया : आलिम की फ़ज़ीलत आबिद पर सत्तर 70 दर्जे है, हर दर्जा के दरमियान सत्तर 70 साल घोड़ा दौड़ाने के बराबर फ़र्क़ है, और वो इसलिए के शैतान लोगों के लिए बदमज़हबी पैदा करता है तो आलिम उसे देखकर मिटा देता है और आबिद इबादत में मशग़ूल रहता है उधर मुतवज्जह नहीं होता और ना बदमज़हबी को पहचानता है!

📗 तफ़्सीरे कबीर जिल्द 1.सफ़ह 275


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               *❝ उल्मा  की  फ़ज़ीलत ❞*
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••• ➲  हदीस शरीफ़ हज़रत हसन रज़ीअल्लाहु तआला अन्ह से मरफ़ूअन रिवायत है के रसूलल्लाह सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : अल्लाह की रहमत हो मेरे जानशींनों पर तो अर्ज़ किया गया या रसूलल्लाह सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम आपके जानशींन कौन हैं, फ़रमाया जो मेरी सुन्नत से मुहब्बत रखते हैं और उसे अल्लाह के बन्दों को सिखाते हैं!

📕 तफ़्सीरे कबीर जिल्द 1 सफ़ह 275

••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत उस्मान ग़नी रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से मरवी है के आक़ा ए दो जहां ने इरशाद फ़रमाया : क़ियामत के दिन सबसे पहले जो शफ़ाअत फ़रमाएंगे वो अम्बिया हैं फिर उल्मा उसके बाद शुहदा!

📓 कंज़ुल उम्माल, जिल्द 10, सफ़ह 84

••• ➲  हज़रत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं : शफ़ाअत करने में शुहदा पर उल्मा इसलिए मुक़द्दम होंगे के वो अम्बिया के नायब हैं और शहीदों की हैसियत सिपाहियों जैसी है!

*📗 इल्म और उल्मा, सफ़ह 77*

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••• ➲  हदीस शरीफ़, हुज़ूर सय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैही व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया : उल्मा जन्नत की कुंजियां हैं और अम्बिया के ख़लीफ़ा हैं, रावी ने कहा इंसान कुन्जी नहीं होता है मतलब ये है के उनके पास ऐसा इल्म है जो जन्नतीयों की कुंजी है और दलील इस पर ये है के जो शख़्स ख़्वाब देखे के उसके हाथ में जन्नत की कुंजियां हैं तो उसे इल्मे दीन से सरफराज़ किया जाएगा!

📒 तफ़्सीरे कबीर, जिल्द 1 सफ़ह 282

••• ➲  हदीस शरीफ़,सरकारे अक़दस सल्लल्लाहू तआला अलैही व सल्लम इरशाद फ़रमाते हैं : आलिम का सोना इबादत है और उसका इल्मी मुज़ाकिरा तस्बीह है और उसकी सांस सदक़ा है और आंसू का हर वो क़तरा जो उसकी आंख से बहे वो जहन्नम के एक समंदर को बुझा देता है!

📕 तफ़्सीरे कबीर जिल्द 1 सफ़ह 281

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••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत अबू हुरैरह रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : पांच चीज़ें इबादत से हैं!

कम खाना,
मस्जिद में बैठना,
कअबा देखना,
मुसहफ़ (क़ुरआन) को देखना,
और आलिम का चेहरा देखना,

📒 फ़तावा रज़वियह शरीफ़, जिल्द 4, सफ़ह 616

••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत इमामे आज़म अबू हनीफ़ा और इमामे शाफ़ई रज़िअल्लाहू तआला अन्हुमा ने फ़रमाया : जब उल्मा औलिया अल्लाह (यानी अल्लाह के वली) नहीं तो फिर (कोई) अल्लाह का वली नहीं और ये उस आलिम के बारे में है जो अपने इल्म पर अमल करता हो!

📕 तफ़्सीरे सावी जिल्द 2, सफ़ह 182

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••• ➲ मुजद्दिदे आज़म आलाहज़रत इमाम अहमद रज़ा ख़ान फ़ाज़िले बरेलवी अलैहिर्रहमतू व रिज़वान तहरीर फ़रमाते हैं के : आलिमे दीन हर मुसलमान के हक़ में उमूमन और इल्मे दीन का उस्ताद अपने शाग़िर्द के हक़ में ख़ुसूसन हुज़ूर पुर नूर सैय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम का नाइब है!

📒 फ़तावा रज़वीयह, जिल्द 10 सफ़ह 97

••• ➲ और तहरीर फ़रमाते हैं के : आलिमे दीन सुन्नीउल मज़हब जो अपने शहर में आलम (यानी सबसे ज़्यादा इल्म वाला) हो ज़रूर उनका हाकिमे शरई है!

📕 फ़तावा रज़वीयह जिल्द 10 सफ़ह 180

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••• ➲  और तहरीर फ़रमाते हैं के : इमाम हुज्जतुल इस्लाम मुहम्मद ग़ज़ाली क़ुद्दसा सिर्रहुल आली
अहयाउल उलूम में फ़रमाते हैं : हमारे इमामे आज़म रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह के तिलमीज़े रशीद अब्दुल्लाह बिन मुबारक रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह के हदीस व फ़िक़्ह व मारफ़त व विलायत सब में इमामे अजल हैं, उनसे किसी ने पूछा के नास यानी आदमी कौन हैं, फ़रमाया उल्मा, और हुज्जतुल इस्लाम इमाम मुहम्मद ग़ज़ाली क़ुद्दसा सिर्रहुल अज़ीज़ फ़रमाते हैं के : जो आलिम ना हो इमाम इब्ने मुबारक रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह ने उसे आदमी ना गिना इसलिए के इंसान और चौपाए (जानवर) में इल्म ही का फ़र्क़ है, इंसान उस सबब से इंसान हैं जिसके बाइस उसका शर्फ़ जिस्मानी ताक़त से नहीं के ऊंट 🐫 उससे ज़्यादा ताक़तवर है, ना बड़े जस्सह (जिस्म) के सबब के हाथी 🐘 का जस्सह (जिस्म) उससे बड़ा है, ना बहादुरी के बाइस के शेर 🦁 उससे ज़्यादा बहादुर है, ना ख़ुराक (ज़्यादा खाना) की वजह से के ब़ैल का पेट उससे बड़ा है, ना जिमअ (सेक्स) की ग़रज़ से के चिड़ौटा जो सबमें ज़लील चिड़िया है उससे ज़्यादा जुफ़्ती (बार बार सेक्स) की क़ुव्वत रखता है, आदमी तो सिर्फ इल्म के लिए बनाया गया है और इसी से उसका शर्फ़ है!

                 *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

📘मक़ालुल इरफ़ा, सफ़ह 20
📗 इल्म और उल्मा, सफ़ह 79-80


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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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          *❝  मजलिसे उल्मा की फ़ज़ीलत ❞*
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••• ➲   हदीस शरीफ़ हज़रत इब्ने अब्बास रज़ीअल्लाहू तआला अन्हुमा से मरवी है के हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : आलिमों के साथ बैठना इबादत है!

📕 कन्ज़ुल उम्माल, जिल्द 10 सफ़ह 84

••• ➲   हज़रत बहज़ बिन हकीम रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : जिसने आलिमों का इस्तक़बाल किया तहक़ीक़ उसने मेरा इस्तक़बाल किया,और जो आलिमों की मुलाक़ात के लिए गया यक़ीनन वो मेरी मुलाक़ात के लिए आया और जो आलिमों के साथ बैठा वो तहक़ीक़ मेरे साथ बैठा और जो मेरे साथ बैठा वो यक़ीनन मेरे रब की बारगाह में बैठा!

                 *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

📗 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफह 97

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••• ➲  हदीस शरीफ़ हज़रत इब्ने अब्बास रज़ीअल्लाहू तआला अन्हुमा से मरवी है के हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : जब तुम जन्नत के बागों में से गुज़रो तो चर लिया करो, अर्ज़ किया गया जन्नत के बाग़ क्या चीज़ हैं, फ़रमाया आलिमों की मजलिसें!

📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफह 79

••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत अबू हुरैरह रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया : शरिअत की एक बात का सुनना साल भर की इबादत से बेहतर है और इल्मे दीन की गुफ़्तगू करने वालों के पास एक घड़ी बैठना ग़ुलाम आज़ाद करने से बेहतर हैं!

📗 कंज़ुल उम्माल जिल्द 10, सफ़ह 101


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••• ➲  हदीस शरीफ़ हज़रत उमर बिन ख़त़्त़ाब रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से मरवी है के आक़ा ए दो जहां सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : आलिमों की मजलिसों से अलग न रहो इसलिए के अल्लाह तआला ने रूऐ ज़मीन पर आलिमों की मजलिसों से बढ़कर किसी मिट्टी को नहीं पैदा फ़रमाया!

📗 तफ़्सीरे कबीर जिल्द 1, सफ़ह 283

*⚠️ नोट* क़ुरआन मजीद व हदीस शरीफ़ में आलिमों की जो फ़ज़ीलत आई हैं वो सिर्फ़ सुन्नी सहीहुल अक़ीदा पाबंदे शरअ परहेज़गार आलिमों के लिए हैं, वहाबी, देवबंदी, अहले हदीस, तब्लीग़ी, क़ादयानी , नीचरी, चकड़ालवी, राफ़्ज़ी ख़ारिजी, शिआ वग़ैरह फ़िर्क़ाहाए बातिला के लिए नहीं, क्योंके ये लोग अल्लाह व रसूल व सहाबा ए किराम व औलिया ए कामिलीन की बारगाह के ग़ुस्ताख़ हैं, और ग़ुस्ताख़ों के लिए कोई फ़ज़ीलत नहीं बल्के ये लोग हमेशा के जहन्नमी हैं!

••• ➲  शैतान भी बहुत बड़ा आलिम था और फ़िरिश्तो का उस्ताद था और फ़िरिश्ते उसकी ताज़ीम किया करते थे, मगर जब उसने अल्लाह की नाफ़रमानी और हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की ग़ुस्ताख़ी की तो अल्लाह तआला की बारगाह में मर्दूद और हमेशा का जहन्नमी हो गया, जो फ़िरिश्ते उसकी ताज़ीम किया करते थे वोही फ़िरिश्ते उसपर लानत भेजते हैं और क़यामत तक भेजते रहेंगे, इसी तरह तमाम फ़िर्क़ाहाए बातिला भी अल्लाह तआला की बारगाह में मर्दूद और हमेशा के जहन्नमी हैं!

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••• ➲  और फ़सिक़ व फ़ाजिर आलिम अगरचे सुन्नी हैं लेकिन उनके लिए भी कोई फ़ज़ीलत नहीं,फ़ासिक़ उसको कहते हैं जो ख़ुल्लम ख़ुल्ला हराम काम करते हैं जैसे जानदार की तस्वीर टी वी वीडियो को जाइज़ कहने वाले,दाढ़ी एक मुस्त से कम रखने या उसको जाइज़ कहने वाले, कव्वाली मअ मज़ामीर (Music के साथ) सुनने या उसको जाइज़ कहने वाले, माइक पर नमाज़ पढ़ने पढ़ाने को जाइज़ कहने वाले, नमाज़ कभी पढ़ने कभी छोड़ने वाले, हराम को हलाल बताने वाले,ऐसों की मजलिससों में जाना जाइज़ नहीं है के ऐसे लोग भटके हुए हैं और दूसरों को भी गुमराह करने की कोशिश करते हैं लिहाजा ऐसों की सोहबत से बचें!

••• ➲  खुलासा ये है के जो मसलके आलाहज़रत और हुज़ूर ताजुश्शरीअह की तालीम के खिलाफ करे वो भटका हुआ है उसके लिए कोई फ़ज़ीलत नहीं और उसको सलाम करना भी जाइज़ नहीं और उसके पीछे नमाज़ भी मकरूहे तहरीमी होगी, और ऐसे बे अमल आलिम सज़ा पाएंगे!

••• ➲  *बे अमल आलिमों के ताल्लुक़ से तक़रीबन 5, पोस्ट के बाद आहादीसे मुक़द्दसा की रोशनी में बताया जाएगा लिहाज़ा आने वाले मैसेज पढ़ते रहिए!*
 

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••• ➲  ग़ौसे समदानी क़ुतुबे रब्बानी हज़रत शैख़ अब्दुल क़ादिर जीलानी रज़िअल्लाहू तआला अन्ह तहरीर फ़रमाते हैं के रसूलल्लाह सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : ऐसे आलिम की सोहबत में बैठो जो पांच (5) चीजों को छुड़ाकर पांच (5) चीजों की रग़बत दे!

••• ➲  1 दुनियां की रग़बत निकालकर ज़हद की तरग़ीब दे!

••• ➲  2 रिया (दिखावा) से निकालकर इख़लास की तालीम दे!

••• ➲  3 ग़ुरूर छुड़ाकर तवाज़ोअ की तरग़ीब दे!

••• ➲  4 काहिली से बचाकर वअज़ व नसीहत करने की तरग़ीब दे!

••• ➲  5 और जहालत से निकालकर इल्म की तरग़ीब दे!

📗 ग़ुनियातुत्तालिबीन, मुतर्जम, सफ़ह 451

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          *❝  मजलिसे उल्मा की फ़ज़ीलत ❞*
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••• ➲  हज़रत फ़क़ीह अबुल्लैस रहमतुल्लाहि तआला अलैह ने फ़रमाया के जो शख़्स आलिम के पास बैठे और इल्म की बात याद ना रख सके उसके लिए भी सात (7) ख़ूबियां हैं!

••• ➲  नं.1. इल्म हासिल करने वालों का सवाब पाएगा!

••• ➲  नं.2. जब तक आलिम के पास बैठा रहेगा गुनाह से बचेगा!

••• ➲  नं.3. जब इल्म हासिल करने के लिए अपने घर से निकलेगा उसपर रहमत नाज़िल होगी!

••• ➲  नं.4. जब इल्म के हल्क़ा में बैठेगा और उनपर रहमत नाज़िल होगी तो उसका भी उसमें हिस्सा होगा!

••• ➲  नं.5. जब तक दीन की बातें सुनेगा उसके लिए फ़रमाबरदारी लिखी जाएगी!

••• ➲  नं.6. जबके वो सुनेगा और नहीं समझेगा तो इदराके इल्म से महरूमी के सबब उसका दिल तंग होगा. तो वो ग़म उसके लिए ख़ुदा ए तआला की बारगाह का वसीला बन जाएगा इसलिए के अल्लाह अज़्ज़ा व जल्ल का इरशाद है!

••• ➲  *तर्जमा :* मैं उन लोगों के पास हूं जिनके दिल मेरे लिए टूटने वाले हैं!

📕 हदीस ए क़ुदसी

••• ➲  नं.7. वो मुसलमानों से आलिमों की तअज़ीम और फ़ासिक़ों (हराम काम करने वाले) की तौहीन देखेगा तो उसका दिल फ़िस्क़ (हराम काम) से नफ़रत करेगा और इल्मे दीन की तरफ़ माइल होगा, इसीलिए नेक लोगों के साथ रसूलल्लाह सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने बैठने का हुक्म फ़रमाया है!

📗 तफ़्सीर ए कबीर, जिल्द 1. सफ़ह 277

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     ❝इल्म और उल्मा ❞
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          *❝  मजलिसे उल्मा की फ़ज़ीलत ❞*
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••• ➲ और फ़क़ीह अबुल्लैस रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं : जो शख़्स आठ (8) क़िस्म के आदमियों के पास बैठेगा अल्लाह तआला उसमें आठ (8) चीजें बढ़ा देगा!

••• ➲ जो मालदारों के पास बैठेगा उसके दिल में दुनियां की मुहब्बत व रग़बत ज़्यादा होगी!

••• ➲ और जो दरवेशों के साथ बैठेगा उसको अल्लाह तआला की तक़सीमे नेअमत पर शुक्र व रज़ा की तौफ़ीक़ होगी!

••• ➲ और जो बादशाह के पास बैठेगा उसमें सख़्ती व तकब्बुर ज़्यादा होगा!

••• ➲ और जो औरतों के साथ बैठेगा उसमें शहवत व जहालत बढ़ेगी!

••• ➲ और जो बच्चों के पास बैठेगा उसमें हंसी मज़ाक ज़्यादा होगा!

••• ➲ और जो फ़ासिक़ों (हराम काम करने वालों) के पास बैठेगा उसमें गुनाहों पर जुराअत बढ़ेगी!

••• ➲ और जो नेकों के पास बैठेगा उसमें फ़रमाबरदारी की रग़बत ज़्यादा होगी!

••• ➲ और जो आलिमों के पास बैठेगा उसका इल्म व तक़्वा बढ़ जाएगा!

🔤📕 तफ़्सीरे कबीर, जिल्द 1. सफ़ह 277

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     ❝इल्म और उल्मा ❞
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       *❝  तालीम व तसनीफ़ की फ़ज़ीलत ❞*
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••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत अबू हुरैरह रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के सरकार सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : मोमिन को उसकी मौत के बाद जो आमाल व नेकियां पहुंचती रहती हैं उनमें से एक *इल्म* है जो उसने हासिल किया और फैलाया!

••• ➲  *दूसरे* वो नेक औलाद के जिसको उसने छोड़ा!

••• ➲  *तीसरे* क़ुरआन मजीद जिसका वारिस बनाया!

••• ➲  *चौथे* मस्जिद जिसको उसने तामीर की!

••• ➲  *पांचवें* मुसाफ़िर ख़ाना बनाया!

••• ➲  *छटे* नहर जारी किया!

••• ➲  *सातवें* सदक़ा जिसको उसने अपनी सेहत व ज़िन्दगी में निकाला!

••• ➲  इन सब चीजों का सवाब मरने के बाद भी मौमिन को पहुंचता है!

📗 मिश्कात शरीफ़, सफ़ह 36

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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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       *❝  तालीम व तसनीफ़ की फ़ज़ीलत ❞*
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••• ➲  हज़रत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी रहमतुल्लाहि तआला अलैह तहरीर फ़रमाते हैं : इन तमाम चीज़ों का और इसी तरह दीनी किताबें विरासत में छोड़ने, उनको वक़्फ़ करने और मदरसा व ख़ानक़ाहें बनवाने का सवाब भी मौमिन को क़ब्र में मिलता रहेगा जब तक के वो दुनियां में बाक़ी रहेंगी, इनमें तालीम देने का सवाब ज़्यादा दिनों तक मिलता रहेगा बशर्त ये के शाग़िर्दों को क़ाबिल बनाए और उनसे दर्स व तदरीस का सिलसिला चल पड़े, और सबसे ज़्यादा सवाब बेहतरीन दीनी किताबों की तस्नीफ़ात का मिलेगा के वो पूरी दुनियां में फैल जाती हैं और क़ियामत तक बाक़ी रहेंगी जिनसे मुसलमान अपने ईमान व अमल को संवारते रहेंगे!

📘 इल्म और उल्मा, सफ़ह 86 

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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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       *❝  तालीम व तसनीफ़ की फ़ज़ीलत ❞*
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••• ➲  हदीस शरीफ़ हज़रत अनस रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से मरवी है के रसूलल्लाह सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : क्या तुम लोग जानते हो सबसे बड़ा सख़ी कौन है, सहाबा ने अर्ज़ किया अल्लाह और उसके रसूल ज़्यादा जानने वाले हैं, फ़रमाया अल्लाह सबसे बड़ा जव्वाद है, फिर इंसान में सबसे ज़्यादा सख़ी में हूं, और मेरे बाद सबसे ज़्यादा सख़ी वो शख़्स है के जिसने इल्मे दीन हासिल किया तो उसको फैलाया वो अकेला अमीर होकर आएगा या जमाअत की हैसियत से!

📗मिश्कात शरीफ़, सफ़ह 37

हज़रत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं : इस हदीस शरीफ़ का मतलब ये है के दर्स व तदरीस या तस्नीफ़ व तालीफ़ से जो शख़्स इल्मे दीन फैलाएगा वो क़ियामत के दिन बड़ी शान व शौकत और जाहो हश्मत के साथ आएगा!

📘 इल्म और उल्मा, सफ़ह 86-87


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     ❝इल्म और उल्मा ❞
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       *❝  तालीम व तसनीफ़ की फ़ज़ीलत ❞*
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••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत अबू दरदा रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया : अल्लाह तआला के नज़दीक क़ियामत के दिन बहुत बुरे दर्जा वाला वो आलिम होगा जिसके इल्म से फ़ायदा ना उठाया जाए!

📓 मिश्कात शरीफ़, सफ़ह 37

••• ➲  हज़रत शाह अब्दुल हक़ मुहद्दिसे देहेलवी रज़िअल्लाहू तआला अन्ह फ़रमाते हैं : यानी वो आलिम जो दर्स व तदरीस या तस्नीफ़ व तालीफ़ में मश्ग़ूल ना हो, अपने इल्म से लोगों को फ़ायदा ना पहुंचाए "अम्र बिल मारूफ़ और नहीं अनिल मुनकर" छोड़ दे!

📗 अश्अतुल लमआत, जिल्द 1 सफ़ह 176

••• ➲  या ये मतलब है के इल्मे दीन हासिल किया मगर उसपर अमल नहीं किया तो वो जाहिल से बुरा है के ऐसे आलिम पर अज़ाब जाहिल से सख़्त होगा!

📕 मिर्क़ात जिल्द 1, सफ़ह 255 

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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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        *❝  तालीम व तसनीफ़ की फ़ज़ीलत ❞*
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••• ➲  हुज़ूर फ़क़ीहे मिल्लत मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं

••• ➲ जो लोग इल्मे दीन हासिल करने के बाद कारोबार में लग जाते हैं और अपने इल्म से लोगों को फ़ायदा नहीं पहुंचाते वो इस हदीस शरीफ़ से नसीहत हासिल करें और वो आलिम भी के जो बेअमल हैं!

📘 इल्म और उल्मा, सफ़ह 88

••• ➲ और वो आलिम भी नसीहत हासिल करें जो हराम कामों को हलाल करने की कोशिश कर रहे हैं और मुसलमानों को गुमराह करने में लगे हुए हैं जैसे दीनी काम के लिए जानदार की तस्वीर वीडियो को जाइज़ बताकर और टीवी चैनल को देखना जाइज़ ही नहीं बल्के "मआज़ अल्लाह" बाइसे सवाब कहते हैं, जब्के दीन का काम वीडियो या फोटो के बग़ैर यानी ओडियो के ज़रिए भी हो सकता है, और वहाबी, देवबंदी, अहले हदीस, तब्लीग़ी जमाअत, शिआ राफ़्ज़ी, ख़ारिजी नीचरी, चकड़ालवी, क़ादयानी, वग़ैरहुम फ़िर्क़ाहाए बातिला से इत्तेहाद करने के लिए लोगों को आमादा करते हैं, ऐसे लोग जो आपने को आलिम कहते हैं वो इस हदीस शरीफ़ से नसीहत हासिल करें, वरना ख़सारा ही ख़सारा है, क्योके शरिअत में जो काम नाजाइज़ व हराम हैं उन कामों को जाइज़ बताना शरिअत पर अमल ना करने से भी बदतर हैं!

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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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       *❝  तालीम व तसनीफ़ की फ़ज़ीलत ❞*
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••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत अबू हुरैरह रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से मरवी है के रसूलल्लाह सल्लल्लाहू त‌‌आला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : उस इल्म की मिसाल जिससे फ़ायदा ना उठाया जाए उस ख़ज़ाने की तरह है के जिसमें से अल्लाह तआला की राह में ना ख़र्च किया जाए!

📗 मिश्कात शरीफ़ सफ़ह 38

••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत मआज़ बिन अनस रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया : जिसने किसी शख़्स को इल्मे दीन सिखाया तो उसके लिए उस आदमी का सवाब है के जिसने उसपर अमल किया मगर अमल करने वाले का सवाब कम ना होगा!

📘 कन्ज़ुल उम्माल, जिल्द 10 सफ़ह 80

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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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        *❝  तालीम व तसनीफ़ की फ़ज़ीलत ❞*
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••• ➲  हदीस शरीफ़,हज़रत अबू सईद ख़ुदरी रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से मरवी है के हुज़ूर सैय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : जो शख़्स क़ुरआन मजीद की कोई आयत या इल्म का कुछ हिस्सा सिखाए तो अल्लाह तआला उसके सवाब को क़ियामत तक बढ़ाएगा!

📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 80

••• ➲   हदीस शरीफ़, हज़रत इब्ने उमर रज़ीअल्लाहू तआला अन्हुमा से रिवायत है के हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया : आलिमों के क़लम की रोशनाई शहीदों के ख़ून से तोली जाएगी तो वो ख़ून पर ग़ालिब हो जाएगी!

📓 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 80

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       *❝  तालीम व तसनीफ़ की फ़ज़ीलत ❞*
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••• ➲  हदीस शरीफ़,हज़रत अनस रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से मरवी है के हुज़ूर सैय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : क़ियामत के दिन आलिमों के क़लम की रोशनाई और शहीदों के ख़ून तौले जाएंगे तो आलिमों की रोशनाई शहीदों के ख़ून पर भारी होगी!

📙 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 80

••• ➲  हज़रत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं : यानी किताबों की तस्नीफ़ ख़ुदा ए तआला के नज़दीक इतनी ज़्यादा फ़ज़ीलत रखती है के उसके लिए आलिमे दीन जो रोशनाई इस्तेमाल करते हैं वो क़ियामत के दिन वज़न में शहीदों के ख़ून पर ग़ालिब आ जाएगी!

📘 इल्म और उल्मा, सफ़ह 90

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        *❝  तालीम व तसनीफ़ की फ़ज़ीलत ❞*
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••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत अली करमल्लाहू तआला वजहुल करीम से रिवायत है के हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया : वो आलिम के जिसकी तालीम व तस्नीफ़ से फ़ायदा उठाया जाए हज़ार (1000) आबिद (इबादत करने वाला) से बेहतर है!

📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 81

••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत समरह रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से मरवी है के हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया के : वो इल्म के जिसे (तालीम व तस्नीफ़) से फ़ैलाया जाए उससे अफ़ज़ल लोगों का कोई सदक़ा नहीं!

📙 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 89

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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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        *❝  तालीम व तसनीफ़ की फ़ज़ीलत ❞*
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••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत इब्ने अब्बास रज़िअल्लाहू तआला अन्हुमा से रिवायत है के हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया : जो शख़्स मेरी उम्मत तक कोई दीनी बात पहुंचाए ताके उससे सुन्नत क़ायम की जाए या उससे बदमज़हबी दूर की जाए तो वो जन्नती है!

📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 90

••• ➲  इस हदीस शरीफ़ से मालूम होता हुआ के रद्दे बातिला करने वाले उल्मा जन्नती हैं,लेकिन अब कुछ ऐसे बेवक़ूफ़ पैदा हो गए हैं जो बातिल का रद्द करने वाले उल्माओं को बुरा कहते हैं और उन्हें रद्दे बातिला से रोकने की कोशिश करते हैं और बिल्कुल मीठे मीठे बन गए हैं वो अपना अंजाम सोचें, जो कहते हैं के हम किसी को बुरा नहीं कहेंगे!

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     ❝इल्म और उल्मा ❞
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                *❝  बेअमल आलिम  ❞*
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••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत इबादा बिन सामत रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया : आलिम वो शख़्स है जो इल्म पर अमल करे अगरचे इल्म थोड़ा हो!

📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 76

••• ➲  हज़रत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं के : यानी जो इल्म पर अमल न करे वो सिर्फ़ नाम का आलिम है हक़ीक़त में आलिम नहीं जैसा के हज़रत मौलाना अली क़ारी रहमतुल्लाहि तआला अलैह तहरीर फ़रमाते हैं!

*ان غيرالعاملين ليسوا علماء،*

••• ➲  *तर्जमा :* यक़ीनन जो अमल करने वाले नहीं हैं वो आलिम नहीं हैं!

📗 मिर्क़ात, जिल्द 1 सफ़ह 255

••• ➲  इस हदीस शरीफ़ से वो लोग सबक़ हासिल करें जो शरीअत पर अमल नहीं करते बल्के उसके ख़िलाफ़ करते हैं यानी जानदार की तस्वीर वीडियो जाइज़ कहते हैं, और खुद वीडियो बनवाकर टीवी चैनल और यूट्यूब चैनल पर आते हैं और वो लोग भी सबक़ हासिल करें जो अपनी प्रोफ़ाइल पर फोटो लगाते हैं, दाढ़ी एक मुस्त से कम रखते हैं, और इन मसअलों को इख़्तिलाफ़ी बताकर लोगों को धोका देते हैं, हालांके ऐसे लोग अपनी नफ़्सानी ख़्वाहिशात के शिकार हैं, क़व्वाली Music के साथ गाना सुनना जाइज़ कहते हैं, लाउडस्पीकर पर नमाज़ पढ़ने पढ़ाने को जाइज़ कहते हैं, रद्दे बातिला नहीं करते बल्के रद्दे बातिला करने से मना करते हैं!..✍🏻

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••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत अबू हुरैरह रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से मरवी है के हुज़ूर सैय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : क़ियामत के दिन सबसे सख़्त अज़ाब वाला वो आलिम होगा के जिसे उसके इल्म ने फ़ायदा नहीं दिया!

📗 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 107

••• ➲  फ़ायदा तो उसी को होगा जो इल्मे दीन पर अमल करे, और जो अमल नहीं करते वो तो अज़ाब ही पाएंगे! *अल अयाज़ू बिल्लाही तआला*

••• ➲  हदीस शरीफ़ हुज़ूर सैय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : उस आलिम की मिसाल जो लोगों को भलाई सिखाता है और अमल नहीं करता उस चिराग़ के मानिन्द है जो दूसरों को रोशनी देता है और ख़ुद को जलाता है!

📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 107

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••• ➲  हदीस शरीफ़ हज़रत अनस रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया : क़ियामत के दिन बहुत ज़्यादा अफ़सोस करने वाला वो शख़्स होगा के इल्म हासिल किया तो जिसने उससे सुना फ़ायदा उठाया सिवाए उसके!

📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 79

(यानी जिसने इल्म हासिल करने के बाद लोगों को सुनाया मगर खुद अमल नहीं किया तो क़यामत के दिन सबसे ज़्यादा अफ़सोस उसी को होगा!)

••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत अनस रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया : जो इल्म चाहो हासिल करो मगर ख़ुदा की क़सम तुम इल्म जमा करने पर सवाब नहीं दिए जाओगे यहां तक के अमल करो!

📓 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 81

(यानी इल्मे दीन पर अमल करोगे जब ही सवाब मिलेगा वरना नहीं अगरचे कितना ही बड़ा आलिम हो)

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••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत वलीद बिन उक़बा रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से मरवी है के हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया : जन्नत के बअज़ लोग जहन्नम के कुछ लोगों से मुतवज्जह होकर कहेंगे के आप लोग जहन्नम में क्यों दाखिल हुए, ख़ुदा की क़सम हम आप लोगों से सीखने ही के सबब जन्नत में दाखिल हुए, तो वो कहेंगे हम लोग कहते थे मगर अमल नहीं करते थे!

📒 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 108

(यानी बेअमल आलिम जहन्नम में जाएगा, तो जब आलिम का ये हाल है तो ज़रा सोचिए जो आलिम भी नहीं है और थोड़ा इल्म होने के बावुज़ूद अमल भी ना करे तो उसका क्या होगा)

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••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत अनस रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के हुज़ूर सैय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : मेंने मैराज की रात में देखा के कुछ लोगों के होंट आग की कैंचियों से काटे जा रहे हैं, मेंने पूछा जिबरील ये कौन लोग हैं, उन्होंने कहा ये आपकी उम्मत के ख़तीब और वाइज़ हैं जो लोगों को नेकी की हिदायत करते थे और अपने आप को भूल जाते थे यानी ख़ुद नेक काम ना करते थे!

📗 मिश्कात शरीफ़, सफ़ह 438

••• ➲  इस हदीस शरीफ़ से मुक़र्रिर (तक़रीर करने वाले) हज़रात नसीहत हासिल करें वरना सज़ा भुगतने के लिए तैयार रहें!

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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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              *❝  बेअमल आलिम  ❞*
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••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत उसामा बिन ज़ैद रज़ीअल्लाहू तआला अन्हुमा से मरवी है के हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने इरशाद फ़रमाया : क़ियामत के दिन एक शख़्स को लाकर जहन्नम में डाल दिया जाएगा तो उसकी आंतें फ़ौरन पेट से निकलकर आग में गिर पड़ेंगी फिर वो उन्हें पीसेगा यानी उनके गिर्द चक्कर लगाएगा जैसे पन चक्की का गधा आटा पीसता है तो दोज़ख़ी ये देख़कर उसके पास जमा हो जाएंगे और उससे कहेंगे ऐ फ़ुलां तेरा क्या हाल है यानी ये तू क्या कर रहा है, क्या तू हमको नेक काम करने और बुरे काम से बाज़ रहने का हुक्म नहीं देता था वो कहेगा में तुमको नेक काम का हुक्म देता था और ख़ुद उसको नहीं करता था और बुरे काम से तुमको रोकता था और ख़ुद उसको करता था!

📗 मिश्कात शरीफ़, सफ़ह 436

••• ➲  हज़रत शैख़ अब्दुल हक़ मुहद्दिस देहेलवी बुख़ारी रहमतुल्लाहि तआला अलैह तहरीर फ़रमाते हैं : इस हदीस शरीफ़ से मालूम हुआ के दूसरों को अच्छी बात का हुक्म देना और बुरी बात से रोकना और ख़ुद उसपर अमल न करना अज़ाब का सबब है, लेकिन ये अज़ाब अमल न करने की वजह से है!

*عمرو نهى*

की वजह से नहीं है उसलिए के अगर

*عمرو نهى*

••• ➲  भी नहीं करेगा तो दो वाजिब तर्क करने के सबब और ज़्यादा अज़ाब का मुस्तहिक़ होगा!

📔 अश्अतुल लमआत, जिल्द 4.सफ़ह 175

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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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                *❝  बेअमल आलिम  ❞*
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••• ➲  हज़रत मौलाना अली क़ारी रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह तहरीर फ़रमाते हैं के : इल्म ए दीन ख़शीयते इलाही पैदा करता है जिससे तक़्वा हासिल होता है और वही आलिम की अफ़ज़लियत का सबब है, लिहाज़ा जिस शख़्स का इल्म ऐसा ना हो वो जाहिल के मिस्ल है बल्के वो जाहिल है!

📓 मिर्क़ात, शरह मिश्कात शरीफ़ जिल्द 1 सफ़ह 231

••• ➲  इमाम शाफ़ई रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह ने फ़रमाया : 

انماالعالم من خشى الله عز و جل،

••• ➲  *तर्जमा :-* यानी आलिम सिर्फ़ वो शख़्स है जिसे ख़ुदा ए अज़्ज़ा व जल्ल की ख़शीयत हासिल हो!

📗 तफ़्सीरे ख़ाज़िन, व मुआलिमुत तंज़ील, जिल्द 5. सफ़ह 302

••• ➲  इमाम रबीअ् बिन अनस अलैहिर्रहमतू व रिज़वान ने फ़रमाया :

من لم يخش الله فليس بعالم،

••• ➲  *तर्जमा :-* जिसे ख़शीयत ए इलाही हासिल न हो वो आलिम नहीं!

📔 तफ़्सीर ए ख़ाज़िन, जिल्द 5 सफ़ह 302

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     ❝इल्म और उल्मा ❞
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       *❝  दुनियांदार और बुरे उल्मा  ❞*
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••• ➲  हदीस शरीफ़,हज़रत इब्ने अब्बास रज़ीअल्लाहू तआला अन्हुमा से रिवायत है के हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने इरशाद फ़रमाया : मेरी उमम्मत के कुछ लोग दीन का इल्म हासिल करेंगे और क़ुरआन पढ़ेंगे, वो कहेंगे के हम अमीरों के पास जाते हैं ताके उनकी दुनियां हासिल करें मगर अपना दीन हम उनसे बचाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हो सकेगा जैसे के बबूल के दरख़्त (पेड़) से कांटे ही चुने जाते हैं ऐसे ही अमीरों के क़ुर्ब (पास) से कुछ नहीं हासिल होगा, मगर (इब्ने सबाह ने फ़रमाया) ख़ताएं ही  हासिल होंगी!

📗 मिश्कात शरीफ़, सफ़ह 37

••• ➲  हज़रत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं के : हाकिमों और अमीरों के यहां दीनी फ़ायदे के लिए उल्मा के जाने में हरज नहीं लेकिन नज़र की लालच में जाना या उनसे क़ुर्ब (क़रीबी) हासिल करना पक्की दुनियांदारी है और दीन के लिए ज़हरे क़ातिल है!

📕 इल्म और उल्मा, सफ़ह 98

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     ❝इल्म और उल्मा ❞
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        *❝  दुनियांदार और बुरे उल्मा  ❞*
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••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है उन्होंने फ़रमाया : अगर उल्मा इल्म की हिफ़ाज़त करते और इल्म को  उसके अहल ही पर पेश करते तो उसकी बरकत से अपने ज़माना वालों के सरदार हो जाते,लेकिन उन्होंने अपना इल्म दुनियां वालों के लिए इस्तेमाल किया ताके उससे उनकी दुनियां हासिल करें तो वो लोग दुनियां वालों के सामने ज़लील हो गए,
मेंने तुम्हारे नबी सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम को फ़रमाते हुए सुना के जो शख़्स तमाम ग़मों को निबाले एक ग़म अपनी आख़िरत का ग़म, अल्लाह तआला उसकी दुनियां के ग़मों को काफ़ी होगा, और जिसके ग़म मुतफ़र्रिक़ हों दुनियां की परेशानियां तो अल्लाह को उसकी परवाह नहीं के वो दुनियां के किस जंगल में हिलाक हुआ!

📗 मिश्कात शरीफ़, सफ़ह 37

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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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       *❝  दुनियांदार और बुरे उल्मा  ❞*
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••• ➲  हज़रत फ़क़ीह ए मिल्लत मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं के : इस हदीस शरीफ़ का खुलासा ये है के अगर उल्मा अपने इल्म की इज़्ज़त करें, उसे ज़लील होने से बचाएं और दुनियां हासिल करने की लालच में उसे रुसवा ना करें तो वो अहले ज़माना के सरदार हो जाएंगे, और जिसे सिर्फ़ आख़िरत का ग़म हो अल्लाह तआला उसके लिए काफ़ी है और जिसे दुनियां के ग़म हों ख़ुदा ए तआला को उसकी कोई परवाह नहीं!

📘 इल्म और उल्मा, पेज 98-99

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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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        *❝  दुनियांदार और बुरे उल्मा  ❞*
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••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत आमश से रिवायत है के रसूले अकरम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : इल्म की आफ़त उसे भूल जाना है, और इल्म को ज़ाएअ (बर्बाद) करना ये है के तू उसे ना अहल और ना लायक़ को सिखाए!

📗 मिश्कात शरीफ़, सफ़ह 37

••• ➲  हज़रत शैख़ अब्दुल हक़ मुहद्दिसे देहेलवी बुख़ारी रहमतुल्लाहि तआला अलैह तहरीर फ़रमाते हैं के : इस हदीस शरीफ़ में दरअसल इस बात पर तम्बीह है के उन बातों के इख़्तियार करने से बचना चाहिए जो इल्म के भूल जाने का सबब बनते हैं यानी गुनाहों का इर्तिक़ाब,नफ़्स व ख़्वाहिशात दुनियां की मसरूफ़ियात और उसके लिए दौड़ धूप, जैसा के हज़रत इमाम शाफ़ई रज़िअल्लाहू तआला अन्ह ने फ़रमाया : मेंने हज़रत वकीअ से कमज़ोर हाफ़िज़े (दिमाग़) की शिकायत की तो उन्होंने मुझे गुनाह तर्क करने (छोड़ने) की वसीयत की इसलिए के इल्म अल्लाह तआला का फ़ज़्ल है और अल्लाह तआला का फ़ज़्ल गुनाहगार को नहीं दिया जाता!

📕 अश्अतुल लमआत जिल्द 1 सफ़ह 175

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     ❝इल्म और उल्मा ❞
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        *❝  दुनियांदार और बुरे उल्मा  ❞*
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••• ➲  हज़रत सुफ़ियान से मरवी है के हज़रत उमर फ़ारूक़े आज़म रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह ने हज़रत कअब से फ़रमाया के अहले इल्म कौन लोग हैं, उन्होंने फ़रमाया : वो लोग जो अपने इल्म पर अमल करते हैं, हज़रत उमर ने फ़रमाया तो किस चीज़ ने उल्मा के दिलों से इल्म को निकाल दिया, फ़रमाया : लालच ने!

📗 मिश्कात शरीफ़ सफ़ह 37

••• ➲  हज़रत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं के : इल्म निकल जाने का मतलब है उसका नूर और उसकी हैबत व बरकत का निकल जाना,यही वजह है के लालची आलिम हक़ गोई नहीं करता,जैसा के देखा जा रहा है,मशहूर मक़ूला है👇

*الطمع يصيرالاسد ذبابا،*

••• ➲  यानी लालच शेर को मक्खी बना देता है।
 
📘 इल्म और उल्मा पेज 101


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       *❝  दुनियांदार और बुरे उल्मा  ❞*
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••• ➲  हज़रत अब्दुल हक़ मुहद्दिसे देहेलवी बुख़ारी रहमतुल्लाहि तआला अलैह तहरीर फ़रमाते हैं : हज़रत शैख़ अबुल अब्बास मरसी क़ुद्दसा सिर्रहू से मनक़ूल है के : जब मैं अपने काम के इब्तिदाई (शुरू) ज़माना में अस्कन्दरया पहुंचा तो वहां एक शख़्स से मेरी जान पहचान थी मैंने उससे आधे दिरहम में एक चीज़ ख़रीदी, चूंके आधा दिरहम एक मामूली चीज़ थी इसलिए मेरे दिल में ख़्याल पैदा हुआ के शायद आधा दिरहम वो मुझसे वसूल ना करे तो ग़ैब से आवाज़ आई : दीन की सलामती मख़लूक़ से लालच के छोड़ देने में है!

📘 अश्अतुल लमआत जिल्द 1 सफ़ह 175

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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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        *❝  दुनियांदार और बुरे उल्मा  ❞*
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••• ➲  हदीस शरीफ़, हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : आगाह हो जाओ के बुरों में सबसे बुरे उल्मा ए सू हैं और अच्छों में सबसे अच्छे उल्मा ए हक़ हैं!

📗 मिश्कात शरीफ़ सफ़ह 37

••• ➲  हज़रत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं के : इसलिए के आलिम लोगों के मुक़तदा होते हैं उनकी अच्छाई से बहुत लोग अच्छे बन जाते हैं और उनकी बुराई  व बदमज़हबी से बहुतेरे बुरे और बदमज़हब हो जाते हैं!

📘 इल्म और उल्मा पेज 102

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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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       *❝  दुनियांदार और बुरे उल्मा  ❞*
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••• ➲  हज़रत ज़ियाद बिन हुदैर से मरवी है उन्होंने कहा के मुझसे हज़रत उमर रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह ने फ़रमाया : क्या तुम जानते हो इस्लाम को क्या चीज़ ढा (गिरा) देगी, मेंने कहा नहीं,उन्होंने फ़रमाया : आलिम का गुनाह, क़ुरआन में मुनाफ़िक़ का झगड़ना और गुमराहगर सरदारों की हुकूमत इस्लाम को ढा (गिरा) देगी!

📗 मिश्कात शरीफ़ सफ़ह 37

••• ➲  आज वहाबी देवबंदी अहले हदीस और तब्लीग़ी जमाअत वाले जो हक़ीक़त में मुनाफ़िक़ हैं, हम अहले सुन्नत व जमाअत से क़ुरआन में झगड़ते हैं कहते हैं के रसूले पाक को इल्मे ग़ैब नहीं और रसूले पाक नूर नहीं रसूले पाक हमारे जैसे हैं!

••• ➲ *मआज़ अल्लाह* जब्के क़ुरआन कहता है के रसूले अकरम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम को इल्मे ग़ैब दिया गया है और आप अलैहिस्सलाम नूर हैं, लेकिन इन लोगों को रसूले करीम अलैहिस्सलाम की अज़मत वाली आयाते मुक़द्दसा दिखाई ही नहीं देतीं, और फ़ित्ना फैलाते फ़िरते हैं इन लोगों की वजह से ही हुज़ूर अलैहिस्सलाम की उम्मत को सबसे ज़्यादा नुक़सान हुआ है, और यही वो लोग हैं जो इस्लाम को ढाने में लगे हुए हैं, कही ज़ालिम हुक्मरानों के साथ मिलकर तो कहीं ज़रूरियाते दीन का इन्कार करके,तफ़्सीली मालूमात के लिए देखिए!👇

📓 तारीख़ नज्दो हिजाज़,
📕 ख़ून के आंसू,
📒 जा अल हक़,
📘 अद्दौलतुल मक्कियह


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     ❝इल्म और उल्मा ❞
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••• ➲  हदीस शरीफ़,हज़रत अबू हुरैरह रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के रसूलल्लाह सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : ग़म के कुंआ से अल्लाह की पनाह मांगो, लोगों ने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह ग़म का कुंआ क्या है, फ़रमाया: वो दोज़ख़ की ऐसी घाटी है के जिससे ख़ुद दोज़ख़ चार सौ (400) मर्तबा रोज़ाना पनाह मांगती है, अर्ज़ किया गया या रसूलल्लाह उसमें कौन लोग दाख़िल होंगे, फ़रमाया : अपने आमाल को दिखाने वाले क़ारी!

📗 मिश्कात शरीफ़ सफ़ह 38

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••• ➲  हुज़ूर फ़क़ीहे मिल्लत मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं : हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम के ज़माना ए मुबारका में जो क़ारी होते थे वो आलिम भी होते थे!

••• ➲  लिहाज़ा हदीस शरीफ़ का ये मतलब हुआ के वो आलिम व क़ारी जो रियाकार हैं अपने आमाल लोगों को दिखाते हैं वो जहन्नम की बदतरीन घाटी में अज़ाब दिए जाएंगे!

📘 इल्म और उल्मा पेज 103

••• ➲  ज़रा सोचिए, जब रियाकार आलिमों का ये हाल है तो फिर जो जाहिल होते हुए भी रियाकारी करे उसका क्या हाल होगा! *वल अयाज़ू बिल्लाही तआला*

••• ➲  आजकल के कुछ आलिमों क़ारियों नअत ख़्वा हज़रात को देखो के अपने को मशहूर करने के लिए वीडियो बनवाते और शेयर करते हैं ताके मशहूर हो जाएं मगर फिर भी गुमनाम हैं और अल्लाह तआला के नज़दीक गुनाहगार भी के सज़ा दिए जाएंगे, और हमारे हुज़ूर ताजुश्शरिअह अलैहिर्रहमा और हुज़ूर महद्दिसे कबीर मद्दज़िल्लुहुल आली और हुज़ूर असजद रज़ा ख़ान और हुज़ूर गयासे मिल्लत और हुज़ूर ग़ुलज़ारे मिल्लत और दीगर उल्मा ए हक़ को देखो के कभी भी उन्होंने फोटो वीडियो को अच्छा नहीं समझा और नाही बनवाया और ना बनवाते हैं, लेकिन फिर भी वो सारी दुनिया में मशहूर हैं क्योंके ये अल्लाह व रसूल की रज़ा के लिए काम करने वाले हैं, इसलिए रब तआला ने इनको सारी दुनिया में मशहूर कर दिया, के यही हैं हक़ वाले!


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••• ➲   हदीस शरीफ़ हज़रत अली करमल्लाहू तआला वजहुल करीम से रिवायत है के हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : अनक़रीब लोगों में ऐसा वक़्त  आएगा के इस्लाम का सिर्फ़ नाम बाक़ी रह जाएगा और क़ुरआन का सिर्फ़ रिवाज ही रह जाएगा, उनकी मस्जिदें आबाद होंगी मगर हिदायत से ख़ाली होंगी,उनके उल्मा आसमान के नीचे बदतरीन मख़लूक़ होंगे,उन्हीं से फ़ित्ना उठेगा और उन्हीं में लौट जाएगा!

📗 मिश्कात शरीफ़ सफ़ह 38

••• ➲   हज़रत फ़क़ीह ए मिल्लत मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं के : इस हदीस शरीफ़ से मालूम हुआ के वो नाम निहाद उल्मा (यानी वहाबी, देवबंदी, अहले हदीस, तब्लीग़ी जमाअत) के जिन्होंने अपनी तस्नीफ़ात (यानी लिखी हुई किताबों में)

📓 तक़्वियतुल ईमान,
📕 हिफ़्ज़ुल ईमान,
📙 बराहीने क़ातिअह,और
📗 तहज़ीरुन्नास,

••• ➲   वग़ैरह में सरवर ए आलम सरकारे अक़दस सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम की तौहीनें लिखीं और उनकी ज़ात से मुसलमानों में फ़ित्ना उठा वो आसमान के नीचे बदतरीन मख़लूक़ हुए!

📘 इल्म और उल्मा, सफ़ह 104

(और जो उनके अक़ाइदे कुफ़्रीया को जानकर भी उन्हें अपना इमाम पेशवा मानते हैं वो भी बदतरीन मख़लूक़ हुए,)

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••• ➲   हदीस शरीफ़ हज़रत अबू हुरैरह रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : आख़िरी ज़माना में एक गिरोह फ़रेब देने वालों और झूट बोलने वालोें का होगा वो तुम्हारे सामने ऐसी बातें लाएंगे जिनको ना तुमने कभी सुना होगा ना तुम्हारे बाप दादा ने,तो ऐसे लोगों से बचो और उन्हें अपने क़रीब ना आने दो ताके वो तुम्हें गुमराह ना करें और ना फ़ित्ना में डालें!

📗 मिश्कात शरीफ़ सफ़ह 28

••• ➲   हज़रत शैख़ अब्दुल हक़ मुहद्दिस देहेलवी बुख़ारी रहमतुल्लाहि तआला अलैह तहरीर फ़रमाते हैं : यानी एक ऐसी जमाअत पैदा होगी जो मक्कारी व फ़रेब से उल्मा मशाइख़ और सलहा बनकर अपने को मुसलमानों का ख़ैर ख़्वाह और मुस्लेह ज़ाहिर करेगी ताके अपनी झूटी बातें फैलाए और लोगों को अपने बातिल अक़ीदों और फ़ासिद ख़यालों की तरफ़ राग़िब करे!

📒 अश्अतुल लमआत जिल्द 1 सफ़ह 133

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••• ➲   हज़रत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं के : इस गिरोह की पहचान ये है के उनके अक़ीदे सवादे आज़म अहले सुन्नत व जमाअत के ख़िलाफ़ होंगे!

📘 इल्म और उल्मा पेज 106

••• ➲  ख़ुलासा ये है के जिस जमाअत का अक़ीदा मसलक-ए-आलाहज़रत के ख़िलाफ़ हो वो झूटे फ़रेबी मक्कार बदमज़हब हैं, इनसे बचना हर सुन्नी मुसलमान को बेहद ज़रूरी है,ना उनके पीछे नमाज़ पढ़ें और ना उनसे दोस्ती रिश्तेदारी करें, इसीमें हम सबकी कामयाबी है!

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     ❝इल्म और उल्मा ❞
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        *❝  दुनियांदार और बुरे उल्मा  ❞*
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••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत अनस रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के हुज़ूर सैय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : ख़राबी है मेरी उम्मत के बुरे उल्मा के लिए!

📔 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10.सफ़ह 112

••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत मआज़ रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से मरवी है के सरकारे अक़दस सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : जब किसी शख़्स ने क़ुरआन पढ़ा और दीन में तफ़क़्क़ोह (दीन की सही समझ) हासिल किया फिर वो बादशाह के दरवाज़े पर उसकी चापालोसी के लिए और उसके माल की लालच में आया तो वो बादशाह के गुनाहों के बराबर दोज़ख़ की आग 🔥 में घुसा!

📓 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10. सफ़ह 112

••• ➲  हज़रत फ़क़ीहे मिल्लत मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी रहमातुल्लाही तआला अलैह फ़रमाते है : जो आलिम सेठों (मालदारों) के पास चापालोसी के लिए उनके माल की लालच में जाते हैं वो भी इस वईद में दाख़िल है!

📘 इल्म और उल्मा पेज 106--107

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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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       *❝  दुनियांदार और बुरे उल्मा  ❞*
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••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत अबू हुरैरह रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के हुज़ूर सैय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : मख़्लूक़ में सबसे ज़्यादा नफ़रत अल्लाह तआला को उस आलिम से है जो हाकिमों (मंत्रीयों ओफिसरों) और रईसों (मालदारों) से मुलाक़ात करे!

📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 108

••• ➲  हुज़ूर फ़क़ीहे मिल्लत हज़रत मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी रहमतुल्लाही तआला अलैह फ़रमाते है : बुज़ुर्गों ने कहा है

بس الفقير على باب الامير ونعم الاميرعلى باب الفقير،

••• ➲  यानी क्या ही बुरा है वो फ़क़ीर जो अमीर के दरवाज़े पर है, और क्या ही अच्छा है वो अमीर जो फ़क़ीर के दरवाज़े पर है!

📘 इल्म और उल्मा पेज 107

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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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        *❝  दुनियांदार और बुरे उल्मा  ❞*

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••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत अनस रज़ीअल्लाहू त‌‌आला अन्ह से मरवी है के हुज़ूर सैय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : ख़राबी है मेरी उम्मत के उल्मा ए सू (गुमराह उल्मा) के लिए जो इस इल्मे दीन को तिजारत बनाएंगे उसको अपने ज़माना के अमीरों से अपनी ज़ात के नफ़ा के लिए बेचेंगे, अल्लाह तआला उनकी तिजारत में नफ़ा ना दे!

कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 117

••• ➲  हज़रत अल्लामा इमाम फ़ख़रुद्दीन राज़ी रहमतुल्लाहि तआला अलैह तहरीर फ़रमाते हैं :

من طلبا الدنيا بالدين كان من الاخسرين اعمالا، الذين ضل سعيهم فى الحياة الدنيا و هم يحسبون انهم يحسنون صنعا

••• ➲  जो लोग दीन से दुनियां तलब करें वो सबसे बढ़कर नाक़िस अमल के हैं जिनकी सारी कोशिश दुनियां की ज़िंदगी में गुम हो गई और वो इस ख़याल में हैं के हम अच्छा काम कर रहे हैं!

••• ➲  तफ़्सीर ए कबीर जिल्द 4  सफ़ह 536

*⚠️ नोट*
الاخسرين,

••• ➲  से आखिर तक नज़म क़ुरआन पारा 16. रुकू 3. से है!

📘 इल्म और उल्मा पेज 108


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     ❝इल्म और उल्मा ❞
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        *❝  इल्मे दीन छुपाने वाले उल्मा  ❞*

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••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत अबू हुरैरह रज़ीअल्लाहू त‌‌आला अन्ह से रिवायत है के हुज़ूर सैय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : जिस शख़्स से इल्म की वो बात पूछी गई के जिसे वो जानता है फिर वो उसे छुपाए यानी ना बताए तो क़ियामत के दिन (उसके मुंह में) आग 🔥 की लगाम लगाई जाएगी।

📗 मिश्कात शरीफ़, सफ़ह 34

••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत अबू सईद ख़ुदरी रज़ीअल्लाहू त‌‌आला अन्ह से मरवी है के हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : इल्म छुपाने वाले पर हर चीज़ लानत करती है यहां तक के मछली पानी में और चिड़िया हवा में।

📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 109


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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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       *❝  इल्मे दीन छुपाने वाले उल्मा  ❞*
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••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत इब्ने मसऊद रज़ीअल्लाहू त‌‌आला अन्ह से रिवायत है के हुज़ूर सैय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : जिस शख़्स को अल्लाह तआला ने इल्म दिया और वो उसको छुपाए तो ख़ुदा ए तआला क़ियामत के दिन उसके मुंह में आग 🔥 की लगाम लगाएगा।

📒 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 109

••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत जाबिर रज़ीअल्लाहू त‌‌आला अन्ह से मरवी है के हुज़ूर सैय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : जिस शख़्स के पास इल्म हो तो वो उसको ज़ाहिर करे इसलिए के इल्म छुपाने वाला क़ियामत के रोज़ मुहम्मद (सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम) पर नाज़िल शुदा चीज़ को छुपाने वाले की तरह होगा।

📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 125

••• ➲  इन आहादीसे मुक़द्दसा से
मीठे मीठे मीठे भाई सबक़ हासिल करें, के रद्दे बातिला नहीं करते, सुन्नतों का सबक़ देने वाले मीठे मीठे मीठे भाईयो क्या रद्दे बातिला सुन्नत नहीं है, इस अज़ीम सुन्नत को कौन अदा करेगा।


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     ❝इल्म और उल्मा ❞
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       *❝  इल्मे दीन छुपाने वाले उल्मा  ❞*
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••• ➲  हदीस शरीफ़, हुज़ूर सैय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फ़रमाते हैं : जब फ़ित्ने ज़ाहिर हों और हर तरफ़ बेदीनी फ़ैलने लगे और ऐसे मौक़ा पर आलिमे दीन अपना इल्म ज़ाहिर ना करे और अपनी किसी मसलेहत या मफ़ाद (फ़यदा) की लालच में ख़ामोश रहे तो उसपर अल्लाह की और तमाम फ़िरिश्तों की और सारे इंसानों की लानत है, अल्लाह ना उसका फ़र्ज़ क़ुबूल करेगा और ना उसकी नफ़ल।

📗 सवाइक़ मुहर्रिक़ा सफ़ह 2
📙 अल मलफ़ूज़ शरीफ़ जिल्द 4 सफ़ह 4

••• ➲  हुज़ूर फ़क़ीहे मिल्लत हज़रत मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते है : जो आलिम के हुक्मे शरअ जानते हुए पूछने वाले को किसी मसलेहत से मसअला नहीं बताते हालांके साइल (सवाल करने वाले को) उसकी हाजत (ज़रूरत) होती है, या मौजूदा ज़माना में जब्के बेदीनी बहुत तेज़ी से फ़ैल रही है मगर वो किसी मफ़ाद (फ़ायदे) के पेशे नज़र बेदीनों के खिलाफ अपना इल्म ज़ाहिर नहीं करते और ख़ामोश रहते हैं वो आलिम इन हदीसों से नसीहत हासिल करें।

📘 इल्म और उल्मा, सफ़ह 111

••• ➲  (जैसे के मीठे मीठे इल्यासी भाई और जितने भी पिलपिले हैं क्योंकि आजतक इन लोगों ने रद्दे बातिला नहीं किया बतिलों के रद्द में कोई किताब ही नहीं लिखी) 

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     ❝इल्म और उल्मा ❞
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       *❝  इल्मे दीन छुपाने वाले उल्मा  ❞*
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••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत अबू सईद ख़ुदरी रज़ीअल्लाहू त‌‌आला अन्ह से रिवायत है के सरकारे अक़दस सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम नमाज़ पढ़ने के लिए अपने हुजरा मुबारिका से बाहर तशरीफ़ लाए उस वक़्त एक ऐराबी ने आपसे कुछ दर्याफ़त किया तो फ़रमाया :

ليس هذه ساعة

••• ➲  यानी फ़त्वा का वक़्त ये नहीं है।

📙 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 144


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     ❝इल्म और उल्मा ❞
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                 *❝  आलिम की तौहीन  ❞*

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••• ➲  हदीस शरीफ़, हुज़ूर सैय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : जिसने आलिम की तौहीन की तहक़ीक़ उसने इल्मे दीन की तौहीन की, और जिसने इल्मे दीन की तौहीन की तहक़ीक़ उसने नबी की तौहीन की, और जिसने नबी की तौहीन की यक़ीनन उसने जिबरील की तौहीन की, और जिसने जिबरील की तौहीन की तहक़ीक़ उसने अल्लाह की तौहीन की, और जिसने अल्लाह की तौहीन की क़ियामत के दिन अल्लाह उसको ज़लील व रुसवा करेगा।

📒 तफ़्सीरे कबीर जिल्द 1 सफ़ह 281

••• ➲  हदीस शरीफ़ हज़रत अबू ज़र रज़िअल्लाहु त‌‌आला अन्ह से रिवायत है के हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने इरशाद फ़रमाया : आलिम ज़मीन में अल्लाह की दलील व हुज्जत हैं तो जिसने आलिम में ऐब निकाला वो हिलाक हुआ।

📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 77


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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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                 *❝  आलिम की तौहीन  ❞*

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••• ➲  हदीस शरीफ़ हज़रत जाबिर बिन अब्दुल्लाह अंसारी रज़िअल्लाहु त‌‌आला अन्हुमा से मरवी है के सरकारे अक़दस सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : उल्मा के हक़ को हल्का ना समझेगा मगर खुला हुआ मुनाफ़िक़,  (यानी वो मुनाफ़िक़ ही होगा जो उल्मा ए किराम के हक़ को हल्का समझता हो)

📒 फ़तावा रज़वियह जिल्द 10 सफ़ह 104

••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत इबादा बिन सामत रज़िअल्लाहु तआला अन्ह से रिवायत है के हुज़ूर सैय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : जो हमारे आलिम का हक़ न पहचाने वो मेरी उम्मत से नहीं।

📙 फ़तावा रज़वियह जिल्द 1, सफ़ह 140


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                *❝  आलिम की तौहीन  ❞*
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••• ➲  हज़रत अल्लामा इमाम फ़ख़रुद्दीन राज़ी रहमातुल्लाही तआला अलैह तहरीर फ़रमाते हैं, जिसने आलिम को हक़ीर समझा उसने अपने दीन को हिलाक किया।

📒 तफ़्सीरे कबीर जिल्द 1 सफ़ह 283

••• ➲  प्यारे अज़ीज़ो ये सारी फ़ज़ीलतें परहेज़गार (यानी मसलके आलाहज़रत के पासवान व तालीमाते ताजुश्शरिअह अलैहिर्रहमा पर अमल करने वाले) आलिमों के लिए हैं, बद परहेज़ फ़ासिक़ो फ़ाजिर गुमराह व बदमज़हबों के लिए नहीं क्योंके ये लोग आलिम ही नहीं जैसा के आपने गुज़रे हुए मैसेज में पढ़ा होगा, जो के आहादीसे मुक़द्दसा और बुज़ुर्गाने दीन के अक़वाल से साबित है, के जो इल्मे दीन पर अमल न करे वो आलिम ही नहीं।


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     ❝इल्म और उल्मा ❞
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                 *❝  आलिम की तौहीन  ❞*

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••• ➲  आलाहज़रत पेशवा ए अहले सुन्नत इमाम अहमद रज़ा ख़ांन फ़ाज़िले बरेलवी अलैहिर्रहमतू व रिज़वान तहरीर फ़रमाते हैं : आलिमे दीन से बिला वजह बुग़्ज रखने में भी ख़ौफ़े कुफ़्र है अगरचे एहानत ना करे!

📕 फ़तावा रज़वियह जिल्द 10, सफ़ह 571

••• ➲  और तहरीर फ़रमाते हैं के : अगर आलिमे दीन को इसलिए बुरा कहता है के वो आलिम है जब तो सरीह काफ़िर है, और अगर ब वजहे इल्म उसकी ताज़ीम फ़र्ज़ जानता है मगर अपनी किसी दुनियवी  ख़ुसूमत के बाइस बुरा कहता है गाली देता है और तहक़ीर करता है तो सख़्त फ़ासिक़ व फ़ाजिर है, और अगर बे सबब रंज रखता है तो मरीज़ुल क़ल्ब ख़बीसुल बातिन है और उसके कुफ्र का अंदेशा है :

📘 ख़ुलासा में है👇

من ابغض عالمامن غير سبب ظاهر خيف عليه الكفر،

📗مخ الروض الازهر में है

اظاهر انه يكفر،

📒 फ़तावा रज़वियह जिल्द 10. सफ़ह 140


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                *❝  आलिम की तौहीन  ❞*
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••• ➲  और तनवीरुल अबसार,
व दुर्रे मुख़्तार के हवाले से तहरीर फ़रमाते हैं : ख़ुदा ए तआला ने इरशाद फ़रमाया के :

••• ➲  *तर्जमा :-* वो आलिमों के दर्जे को बुलंद फ़रमाएगा,

📓 पारा 28 रुकू 2

••• ➲  तो आलिम को बुलंद करने वाला अल्लाह है, तो जो शख़्स उसको गिराएगा  अल्लाह उसको दोज़ख़ में गिराएगा।

📘 फ़तावा रज़वियह जिल्द 9. सफ़ह 59

••• ➲  और तहरीर फ़रमाते हैं के
मजमउन्नहर में हैं : जो शख़्स किसी आलिम को  मोलवीया उसकी तहक़ीर के लिए कहे वो काफ़िर है।

📒 फ़तावा रज़वियह जिल्द 10, सफ़ह 395


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                 *❝  आलिम की तौहीन  ❞*

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••• ➲  और तहरीर फ़रमाते हैं के : आलिम की ख़तागीरी और उसपर ऐतराज़ हराम है और उसके सबब रहनुमाए दीन से किनारा कश होना और इस्तिफ़ादा व मसाइल छोड़ देना उसके हक़ में ज़हर है।

📕 फ़तावा रज़वियह जिल्द 10 सफ़ह 539

••• ➲  फ़क़ीहे आज़मे हिन्द हज़रत सदरुश्शरीअह अलैहिर्रहमतू व रिज़वान तहरीर फ़रमाते हैं के : इल्मे दीन और उल्मा की तौहीन बे सबब यानी महज़ इस वजह से के आलिम इल्मे दीन है कुफ़्र है।

📒 बहारे शरीअत हिस्सा 9, सफ़ह 131

••• ➲  ऊपर ज़िक्र की गई क़ुरआन मजीद और आहादीसे मुक़द्दसा व बुज़ुर्ग़ों के अक़वाल की रौशनी में वो लोग अपना मुहासबा करें जो पासवाने मसलके आलाहज़रत उल्मा ए हक़ और वली ए कामिल हुज़ूर ताजुश्शरीअह अलैहिर्रहमतू व रिज़वान की शान में गुस्ताख़ियां करते हैैं कहते हैं हैं के ये उल्मा ना दीन का काम करते हैं और ना करने देते।

••• ➲  *मआज़ अल्लाहि रब्बिल आलमीन* ऐसे जाहिलों को जल्द से जल्द तौबा करना चाहिए वरना ख़सारा ही ख़सारा है।


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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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                    *❝  ज़ाहिल मुफ़्ती  ❞*
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••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत अबू हुरैरह रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के सरकारे अक़दस सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : जो बे इल्म फ़त्वा दे उसका गुनाह फ़त्वा पूछने वाले पर है।

📗 मिश्कात शरीफ़, सफ़ह 35

••• ➲  हज़रत शैख़ अब्दुल हक़ मुहद्दिस देहेलवी बुख़ारी अलैहिर्रहमतू व रिज़वान तहरीर फ़रमाते हैं के : बे इल्म के फ़त्वा देने से पूछने वाला गुनाहगार इसलिए होगा के वही उसके फ़त्वा देने का सबब बना, हदीस शरीफ़ का ये मअना इस सूरत में होगा जबके अफ़्ता सैग़ा ए मअरूफ़ के साथ हो, और अगर बसैग़ा ए मजहूल हो यानी उफ़्तीया तो इस सूरत में मतलब ये होगा के जिसे बग़ैर इल्म के फ़त्वा दिया गया इसका गुनाह उस शख़्स पर होगा के जिसने फ़त्वा दिया और ये मअना ज़्यादा ज़ाहिर है।

📒 अश्अतुल लमआत जिल्द 1 सफ़ह 168

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                   *❝  ज़ाहिल मुफ़्ती  ❞*

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••• ➲  और हज़रत मौलाना अली क़ारी रहमतुल्लाहि तआला अलैह तहरीर फ़रमाते हैं के : दूसरी सूरत अज़हर वाज़ेह है यानी जाहिल ने आलिम से मसअला पूछा तो आलिम ने ग़लत जवाब दिया और जाहिल ने उसपर अमल किया और मसअला का ग़लत होना नहीं जाना तो उसका गुनाह मसअला बताने वाले पर होगा बशर्त ये के उसने अपनी समझ से बताया हो।

📕 मिर्क़ात शरह मिश्कात, जिल्द 1 सफ़ह 246

••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत उबैदुल्लाह बिन अबू जअफ़र रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से मुर्सलन रिवायत है : जो शख़्स तुममें फ़त्वा पर ज़्यादा दिलैर है वो जहन्नम पर ज़्यादा दिलैर है।


📒 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10. सफ़ह 106••──────────────────────••►
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••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत अली रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के हुज़ूर सैय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : जिसने बग़ैर इल्म के फ़त्वा दिया आसमान व ज़मीन के फ़िरश्तों ने उसपर लानत की।

📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 111

••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत अबू हुरैरह रज़िअल्लाहु तआला अन्ह से मरवी है के हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया : आख़री ज़माना में कुछ लोग पैदा होंगे जो सरदार और जाहिल होंगे वो लोगों को फ़तवा देंगे ख़ुद गुमराह होंगे और दूसरों को ग़ुमराह करेंगे।

📒 कन्ज़ुल उम्माल, जिल्द 10 सफ़ह 119

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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह ने फ़रमाया : ऐ लोगो, जो शख़्स कुछ जानता हो तो बयान करदे और जो ना जाने तो कहदे के अल्लाह बेहतर जानता है इसलिए के ये बात इल्म ही से है के जिसे तुम ना जानो तो कहदो के अल्लाह बेहतर जानता है।

📗 मिश्कात शरीफ़, सफ़ह 37

••• ➲  हुज़ूर फ़क़ीहे मिल्लत हज़रत मुफ़्ती जलाल उद्दीन अहमद अमजदी अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं : यानी आलिम को अपनी लाइल्मी ज़ाहिर करने में शर्म नहीं करना चाहिए के इंसान की जहालत उसके इल्म से बहुत ज़्यादा है जैसा के ख़ुदा ए तआला ने फ़रमाया।

*तर्जमा :-* तुम लोग थोड़ा ही इल्म दिए गए हो।

📒 पारा 15 रुकू 10

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     ❝इल्म और उल्मा ❞
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••• ➲  हज़रत अली करमअल्लाहू तआला वजहुल करीम जब्के मिम्बर पर रौनक अफ़रोज़ थे तो आपसे कोई मसअला पूछा गया आपने फ़रमाया : मैं नहीं जानता, वो गुस्ताख़ बोला जब आप नहीं जानते तो मिम्बर पर क्यों चढ़ गए, आपने फ़रमाया के में अपने इल्म के लिहाज़ से चढ़ा हूं अगर अपनी जहालत के ऐतबार से चढ़ता तो आसमान पर पहुंच जाता।

📘 इल्म और उल्मा, सफ़ह 119

••• ➲  और हज़रत इमाम मालिक रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से चालीस (40) मसअले पूछे गए जिनमें से आपने सिर्फ़ चार (4) के जवाबात दिए और छत्तीस (36) मसअलों के बारे में फ़रमाया के में नहीं जानता।

📒 मिर्क़ात शरह मिश्कात शरीफ़ जिल्द 1 सफ़ह 257

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                   *❝  ज़ाहिल मुफ़्ती  ❞*

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••• ➲  और हज़रत इमाम अबू यूसुफ़ रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से कोई मसअला दरयाफ़्त किया गया तो आपने फ़रमाया मुझे मालूम नहीं, पूछने वाले ने कहा के आप बैतुल माल से इतना इतना रुपया लेते हैं और कहते हैं के हमें मालूम नहीं, आपने फ़रमाया में अपने इल्म के लिहाज़ से रुपया लेता हूं अगर अपनी जहालत के ऐतबार से लेता तो बैतुल माल का कुल (सब) रुपया ले लेता।

📒 शरह फ़िक़्हे अकबर, सफ़ह 51

••• ➲  बुज़ुर्ग़ों के इन अक़्वाल से वो लोग नसीहत हासिल करें जो अपनी तबीयत से लोगों को मसअला बता देते हैं जब्के उन्हें उसका इल्म ही नहीं होता, वो ये समझते के अगर हम मसअला न बताएंगे तो हमारी बे इज़्ज़ती हो जाएगी हालांके ऐसा नहीं है।

इन्शा अल्लाहुर्रहमान, बाक़ी तहरीर आने वाली पोस्ट क़िस्त नं.3 में।

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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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                   *❝  ज़ाहिल मुफ़्ती  ❞*

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••• ➲  मुजद्दिदे आज़म सरकार

आलाहज़रत अज़ीमुल बरकत इमाम अहमद रज़ा ख़ान फ़ाज़िले बरेलवी अलैहिर्रहमतू व रिज़वान तहरीर फ़रमाते हैं के : इल्म फ़त्वा पढ़ने से नहीं आता जबतक के मुद्दतुहा त़बीब हाज़िक़ का मतलब ना किया हो।

📕 फ़तावा रज़वियह, जिल्द 10 सफ़ह 231

••• ➲  और तहरीर फ़रमाते हैं के : आजकल दरसी किताबें पढ़ने से पढ़ाने से आदमी फ़िक़्ह के दरवाज़े में दाख़िल नहीं होता ना के वाइज़ (तक़रीर करने वाला) जिसे सिवाए तलाक़तुल्लिसान कोई लियाक़त जहां दरकार नहीं।

📒 फ़तावा रज़वियह जिल्द 4, सफ़ह 565

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     ❝इल्म और उल्मा ❞
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                   *❝  ज़ाहिल मुफ़्ती  ❞*

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••• ➲  हुज़ूर फ़क़ीहे मिल्लत हज़रत अल्लामा मौलाना मुफ़्ती जलाल उद्दीन अहमद अमजदी अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं : मगर आजकल आम तौर पर हर वो शख़्स के जिसे किसी मदरसा से आलिम व फ़ाज़िल की सनद मिल जाती है चाहे वो जाहिल ही क्यों ना हो अपने को फ़त्वा देने का अहल समझता है और हलाल व हराम की परवाह किए बग़ैर जो कुछ समझ में आता है बे धड़क बता देता है इसी तरह बहुत से जाहिल मुक़र्रिर जो तक़रीरी किताबों के अलावा बहारे शरीअत, को भी कभी हाथ नहीं लगाते मगर चर्ब ज़ुबानी के सबब अवाम उन्हें सबसे बड़ा अल्लामा समझते हैं जब उनसे कोई मसअला दरयाफ़्त किया (पूछा) जाता है तो वो अपनी बड़ाई का भरम क़ायम रखने के लिए अपनी तबीयत से मसअला घड़कर बता देते हैं, ना अल्लाह व रसूल से ख़ौफ़ करते हैं और ना अपनी आक़िबत के बर्बाद होने से डरते हैं, ख़ुदा ए तआला ऐसे लोगों को समझ अता फ़रमाए। *आमीन या रब्बल आलमीन*

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                   *❝  ज़ाहिल मुफ़्ती  ❞*

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••• ➲   हज़रत अल्लामा इमाम फ़ख़रुद्दीन राज़ी रहमतुल्लाही तआला अलैह तहरीर फ़रमाते हैं के : आदमी चार(4) तरह के होते हैं।

••• ➲   नं.1, अव्वल वो के जानता है और वो ये जानता है के में जानता हूं तो वो आलिमे दीन है उसकी पैरवी करो।

••• ➲   नं.2, दोम वो के जानता है और वो ये नहीं जानता है के में जानता हूं तो वो सोया हुआ है उसे बेदार करो (जगाओ।)

••• ➲   नं.3, सोम, वो के नहीं जानता है और वो ये जानता है के में नहीं जानता हूं तो उसको हिदायत की ज़रूरत है उसे हिदायत करो।

••• ➲   नं.4, चहारुम, वो के नहीं जानता है मगर वो ये नहीं जानता है के में नहीं जानता हूं तो वो शैतान है उससे दूर रहो।

📒 तफ़्सीरे कबीर, जिल्द 1. सफ़ह 278

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                      *❝  मुतफ़र्रिक़ात  ❞*
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••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत अबू बकर सिद्दीक़ रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है के हुज़ूर सैय्यदे आलम सल्लललाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : आलिमे दीन बनो या तालिबे इल्म बनो या आलिमे दीन की बात सुनने वाला बनो या उससे मुहब्बत करने वाला बनो और पांचवां मत बनो के हिलाक हो जाओगे।

📘 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10, सफ़ह 82

••• ➲  इस हदीस शरीफ़ से वो लोग नसीहत हासिल करें जो ना आलिम हैं ना तालिबे इल्म ना आलिमों की बात सुनने वाले और ना आलिमों से मुहब्बत करने वाले, और दीन के ठेकेदार बनने की कोशिश करते हैं कहीं देखो तो तबलीग़ करते फिरते हैं और कहीं देखो तो मिम्बरे रसूल पर बैठकर मुक़र्रिर बनें बैठे हैं।

••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत इब्ने मसऊद रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से मरवी है के हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया : आदमी दो हैं, आलिमे दीन, और तालिबे इल्म, और इन दोनों के अलावा में भलाई नहीं।

📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 80

••• ➲  हुज़ूर फ़क़ीहे मिल्लत मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं : इस हदीस शरीफ़ में सिर्फ़ दो का ज़िक्र है तो मुस्तमेअ् (सुनने वाला) और मुहिब (मुहब्बत करने वाला) मुतअल्लिम (इल्म सीखने वाला) में दाख़िल हैं।

📒 तफ़्सीरे कबीर, जिल्द 1, सफ़ह 282

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                      *❝  मुतफ़र्रिक़ात  ❞*
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••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत इब्ने उमर रज़िअल्लाहू तआला अन्हुमा से रिवायत है के सरकारे अक़दस सल्लललाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : हमारे रास्ता पर सिर्फ़ आलिमे दीन हैं या तालिबे इल्म, (इल्मे दीन हासिल करने वाले)

📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 94

••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत इब्ने अब्बास रज़िअल्लाहू तआला अन्हुमा से मरवी है के नबी ए करीम अलैहिस्सलातू व तस्लीम ने इरशाद फ़रमाया : तुम्हारे बड़े उल्मा के साथ बरकत है।

📒 कंज़ुल उम्माल, जिल्द 10, सफ़ह 99

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                      *❝  मुतफ़र्रिक़ात  ❞*
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••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़िअल्लाहू तआला अन्हुमा से रिवायत है के हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया के : दो तरह के आदमी जब दोस्त होंगे लोग दोस्त होंगे और जब वो दोनों बिगड़ेंगे तो लोग बिगड़ेंगे, एक उल्मा, दूसरे अमरा (क़ाज़ी) और हुक्काम (बादशाह हाकिम)

📓 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 110

••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत अनस रज़ीअल्लाहू तआला अन्ह से मरवी है के हुज़ूर सल्लललाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : छोटे बच्चे का याद करना ऐसा है जैसे पत्थर का नक़्श और बड़ा होने के बाद याद करना ऐसा है जैसे पानी पर लिखना।

📕 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 140

••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत इब्ने उमर रज़िअल्लाहू तआला अन्हुमा से रिवायत है के हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया : अच्छा सवाल आधा इल्म है।

📒 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 140

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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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                      *❝  मुतफ़र्रिक़ात  ❞*
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••• ➲ हदीस शरीफ़, हज़रत उबई रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से मरवी है के हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया : आलिम के लिए मुनासिब है के वो कम हंसने वाला ज़्यादा रोने वाला रहे।

📘 कन्ज़ुल उम्माल जिल्द 10 सफ़ह 143

••• ➲  हदीस शरीफ़, हज़रत मुआविया रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है : नबी करीम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने मम्मों से मना फ़रमाया।

📓 अबू दाऊद,
📗 मिश्कात शरीफ़, सफ़ह 35

••• ➲ मम्मह और पहेली से अगर अपने नफ़्स की बरतरी का इज़हार और दूसरे को रुसवा करना मक़सूद हो या वो फ़ित्ना और अदावत व अज़ीयत का सबब हो तो ना जाइज़ व हराम है, और बअज़ उल्मा ने कहा के अगर बदले के तौर पर हो तो
جزاء سيئة سيئة مثلها،

के मुताबिक़ जाइज़ है।

📒 अश्अतुल लम्आत जिल्द 1 सफ़ह 168

••• ➲ इसी तरह अगर तलबा के ज़हन में तेज़ी पैदा करना मक़सूद हो तो हरज नहीं जैसे के साहिबे बहरुर्राइक़, अल्लामा इब्ने नुजीम मिसरी ने ,الاشبه والنظاءر में बहुत सी फ़िक़्ही पहेलियों को तहरीर फ़रमाया।

📘 इल्म और उल्मा, सफ़ह 124••──────────────────────••►
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     ❝ इल्म और उल्मा❞
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                      *❝  मुतफ़र्रिक़ात  ❞*
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••• ➲  क़ौल, हज़रत इमाम मालिक रज़िअल्लाहू तआला अन्ह ने इरशाद फ़रमाया : जिसने तफ़क़्क़ोह हासिल किया और सूफ़ियों की आदत नहीं इख़्तियार किया तो वो दुरुस्तगी के रास्ते से हट गया, और जो सूफ़ी बना मगर तफ़क़्क़ोह नहीं हासिल किया तो वो ज़ंदीक़ हो गया और जिसने दोनों बातें जमा कीं तो वो सही रास्ता पर हुआ।

📕 मिर्क़ात जिल्द 1 सफ़ह 256

••• ➲  क़ौल, हज़रत अल्लामा इमाम फ़ख़रुद्दीन राज़ी रहमतुल्लाहि तआला अलैह तहरीर फ़रमाते हैं के : दुनियां एक बाग़ है जिसे पांच (5) चीजों से सजाया गया है :

नंबर.1.आलिमों के इल्म से।
नं.2.हाकिमों के इंसाफ़ से।
नं.3.इबादत गुज़ारों की इबादत से।
नं.4.ताजिरों (Businessman) की अमानत से।
नं.5.और अहले पेशा की नसीहत से,,,
तो इबलीस ने पांच (5) क़िस्म का झंडा🏴 लाकर इन चीजों की बग़ल में गाड़ दिया।

1.इल्म के पहलू में हसद का झंडा।
2.इंसाफ़ के बाज़ू में ज़ुल्म का झंडा।
3.इबादत की बग़ल में रियाकारी का झंडा।
4.अमानत के पहलू में ख़यानत का झंडा।
5.और अहले पेशा के बाज़ू में खोट का झंडा।

📒 तफ़्सीरे कबीर, जिल्द 1 सफ़ह 276

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     ❝इल्म और उल्मा ❞
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                      *❝  मुतफ़र्रिक़ात  ❞*
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••• ➲  हुज़ूर फ़क़ीहे मिल्लत हज़रत मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं : इल्म की बग़ल में हसद का झंडा इबलीस के गाड़ने ही का असर है के आलिमों में हसद बहुत ज़्यादा पाया जाता है यहां तक के उस्ताद शागिर्द से और शागिर्द उस्ताद से हसद करने लगता है बल्के यहां तक के बअज़ आलिम जो अपने क़ौल व फ़ेएल से ये साबित करते हैं के हम तक़्वा की सबसे बुलंद (ऊंची) चोटी पर बैठे हुए हैं, वो भी इबलीस के हसदी झंडा के नीचे आकर बुरी तरह हसद करने लगते हैं और दीने मतीन की सही ख़िदमत करने वाले आलिमों को तरह तरह से अज़ियतें (तकलीफ़ें) पहुंचाते हैं!

••• ➲ दुआ है के ख़ुदा ए अज़्ज़ा व जल्ल उल्मा को ख़ुसूसन और तमाम मुसलमानों को उमूमन शैतान के हसदी झंडा से बचने की तौफ़ीक़ो रफ़ीक़ बख़्शे, आमीन बिरहमतिन्नबीय्यिल करीमिल अमीन, व सल्लललाहू तआला अलैहि व अला आलिही व सहाबिही अजमईन,

آمين برحمه النبى الكريم الامين، و صل الله تعالى عليه وعل آله و صحبه اجمعين،

📘 इल्म और उल्मा, सफ़ह 126, लेखक ख़लीफ़ा ए हुज़ूर मुसन्निफ़ ए *बहारे शरीअत* फ़क़ीहे आज़म हुज़ूर सदरुश्शरीअह हज़रत अमजद अली आज़मी रज़वी क़ादरी, हुज़ूर फ़क़ीहे मिल्लत हज़रत मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी रज़िअल्लाहू तआला अन्हुमा?!

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*📬 अल्हम्दुलिल्लाह पोस्ट मुकम्मल हुई 🔃*        
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