🅿🄾🅂🅃 ➪ 01
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*तकमीले अर्ज़* मुसन्निफ के कलम से
••──────•◦❈◦•──────••
•••➲ यह बताना मैं जरूरी नहीं समझता हूँ कि सुल्तानुल हिन्द अता ए रसूल ख्वाजए ख्वाजगान हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज़ मुईनुद्दीन हसन चिश्ती सन्जरी रदियल्लाहु तआला अन्हु से मुझे कितनी अकीदत व मुहब्बत है बल्कि इस हकीकत का एअतिराफ मैं अपने लिए सआदतमन्दी व फीरोज़बख्ती तसव्वुर करता हूँ कि पाक परवर दिगार और उस के महबूबे नामदार आकाए दो आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इस मुख्तसर सी ज़िन्दगी में 'मुझ हकीर फकीर से चन्द ऐसे काम ले लिए जिन्हें मैं अपने लिए तोशए आखिरत समझता हूँ और जिन पर मुझे फख्रो नाज है। उन्हीं कामों में से एक काम जेरे मुतालआ किताब सीरते ख्वाजा गरीब नवाज़ की तालीफो तरतीब है। मैंने सीरते गौसे आज़म के ज़मानए तरतीब में ही यह इरादा कर लिया था कि इस के बाद सीरते ख्वाजा गरीब नवाज़ जरूर तरतीब ढूँगा मगर उस के बाद कारहाए दुन्या ने इस तरह घेरा कि इस की तरफ कोई तवज्जोह ही न हो सकी।..✍🏻
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 24 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 02
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*तकमीले अर्ज़* मुसन्निफ के कलम से
••──────•◦❈◦•──────••
•••➲ जब सीरते गौसे आज़म मन्ज़रे आम पर आई और खासो आम हर तब्के में मक्चूलियत के बामे उरूज पर पहुँची तो कुछ अहबाबो मुख्लिसीन ने अपनी दिली ख्वाहिश का इजहार करते हुए मुतालबा किया कि सीरते ख्वाजा गरीब नवाज़ जल्द अज़ जल्द मन्ज़रे आम पर लाने की कोशिश करें। फिर भी मैं मस्रूफियतों के जाल से बाहर नहीं निकल सका। अचानक कुछ ऐसा हुआ जैसे किसी ने मेरा रुख दीगर कामों से हटाकर इस तरफ मोड़ दिया और मैं इस की तैय्यारी में मसरूफ़ हो गया!
•••➲ जिस से मैं ने यह महसूस किया कि खुद सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ के फैजे रहानी ने मुझे महमीज़ किया और मेरे नातवाँ कलम को इस संगलाख और नाहमवार सरज़मीन पर रवा दवाँ करदिया या बकौले आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा फाज़िले बरेलवी कुद्दी स सिर्रहु यही कहा जा सकता है!..✍🏻
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 25 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 03
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*तकमीले अर्ज़* मुसन्निफ के कलम से
••──────•◦❈◦•──────••
•••➲ कि : ऐ रज़ा हर काम का एक वक्त है और शायद इस काम के लिए यही वक्त मुतऐय्यन था इसी लिए इस मुश्किल तरीन काम में हर तरफ से आसानियाँ ही आसानियाँ पैदा होती चली गई। जिस तरफ कदम बढ़ाए बगैर किसी रुकावट के आगे बढ़ते ही चले गए। इस काम के लिए मैंने मुतअद्दिद मकामात के सफर भी किए अजमेर शरीफ पहुँच कर आस्तानए पाक पर भी हाजरी दी और वहाँ के खुद्दाम से भी राबता काइम किया कुछ कीमती मालूमात उन हज़रात के जरीआ भी फराहम हुई जिस के लिए मैं उन मुकद्दस शहज़ादों का भी शुक्रगुजार हूँ। इस सिलसिले में मैं अदीबे अस्र फाजिले जलील हज़रत मौलाना कारी मुहम्मद मीकाईल साहब जियाई का तज़किरा न करे तो हकनाशनासी और एहसान फरामोशी होगी कि इतनी जल्दी इस किताब की तैय्यारी उन के बगैर नामुम्किन और दुश्यार ही नहीं। बल्कि मुहाल थी, कुल जमाकरदा मवाद पर मौलाना ने नज़रे सानी फरमाई और तरतीबो तहज़ीब की मन्जिलों से गुजारने में मेरा हाथ बटाया और अज़ अव्वल ता आखिर मेरा साथ दिया और मजीद बराँ एक तवीलो बसीत मुकद्दमा लिखकर शामिले किताब किया जो 'निहायत इल्मी व तहकीकी मवाद पर मुश्तमल है और अपनी जगह खुद एक किताब की हैसियत रखता है जिस से इस किताब की अहम्मियतो इफादियत में काबिले कदर इजाफा हो गया है मौला तआला मौलाना के कलम में और ज़ियादा कुव्वतो सुर्जत अता फरमाए। (आमीन) साथ ही मैं उन तमाम मुख्लिसीन का भी शुक्रगुजार हूँ जिन्हों ने इस सिलसिले में मेरी किसी भी तरह से मददो मुआवनत की है या मुफीद मशवरों से नवाजा है।.✍🏻
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 25 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 04
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*तकमीले अर्ज़* मुसन्निफ के कलम से
••──────•◦❈◦•──────••
•••➲ इस मौके पर सरकारे ख़्वाजा गरीब नवाज़ कुद्दि स सिरुहू की सीरतो सवानेह पर मुश्तमल बहुत सी किताबों का मुतालआ करने का शरफ हासिल हुआ।
•••➲ उर्दू ज़बान में तो चन्द ही किताबें सामने आई या फारसी किताबों के तर्जुमे और इस मौजूअ पर किताबें ज़ियादातर फारसी ज़बान में ही देखने में आईं मगर उन किताबों की इशाअत भी अब न होने की वजह से वह आम दस्तरंस से बाहर हैं और उर्दू ज़बान में जो किताबें हैं उन में दो एक के अलावा मुकम्मल और तफसीली सवानेहे हयात न होकर एक इजमाली सवानेही खाका से ज़ियादा हैसियत नहीं रखतीं। मैंने कोशिश की है कि उर्दू ज़बान में सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ के हालाते ज़िन्दगी पर यह किताब इम्तियाज़ी और इन्फिरादी हैसियत की हामिल हो जो कारी के जौके मुतालआ की तसकीन का सामान फराहम कर सके, और सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ से मुन्सलिक अकीदतमन्दों के जज़्बात और इश्को महब्बत की बेचैनियों को मज़ीद शोअला बदामाँ करसके। मैं इस जिद्दो जहद मे कामयाबी की किस मन्ज़िल पर हूँ इस का सहीह अन्दाजा इस के कारेईन और मुबस्सिरीन ही लगा सकते हैं मैं तो इतना जानता हूॅँ
•••➲ कि बारगाहे गुरीब नवाज़ मे अगर यह किताब मक्बूलियत का शरफ हासिल करले तो फिर किसी सनंद की मज़़ीद कोई हाजत नहीं और आसारो कराइन से उस बारगाह में इस की कुबूलियत का मुझे यकीन हो चुका है! *फल्हम्दुलिल्लाहि व लिरसूलिही अला ज़ालिका।..✍🏻*
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 25-26 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 05
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*मुकुद्दमा मौलाना मुहम्मद मीकाईल ज़ियाई*
••──────•◦❈◦•──────••
•••➲ कदीम हिन्दुस्तान ( जिस में मौजूदा हिन्दुस्तान के अलावा श्रीलंका, बंगलादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान का मोअतदबेह हिस्सा शामिल था ) में इसलाम और मुसल्मानों का वुजूद सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ सैय्यिद मुईनुद्दीन हसन चिश्ती सन्जरी रदियल्लाहु तआला अन्हु के दमक दम से है अगरचे अव्वलुलंबिया अबुलबशर हज़रत सैय्यिदुना आदम अलैहिस्सलाम का नुजूल हिन्दुस्तान में ही हुआ और इसी सरज़मीन पर अल्लाह वहदहू लाशरीक का नाम लेने वाले इनसान की तख़लीक और नश्वोनुमा का आगाज़ हुआ नीज़ अल्लाह तआला की वहदत, अज़मत और किब्रियाई का डंका बजाने वाले इसी मुल्क से दुन्या के मुख्तलिफ हिस्सों और गोशों में फैले और आबाद हुए मगर हज़रत आदम अला नबिय्येना व अलैहिस्सलातु वत्तस्लीम के बाद से नबिय्ये आखिरुज्ज़माँ खातमे पैगम्बरों सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम तक का अरसी हज़ारों साल पर तवील होने के सबब और बन्दगाने खुदा को राहे रास्त पर काइम रखने और उन की हिदायतो रहनुमाई के लिए दीगर अंबिया व रुसुल का वुरूदे मस्ऊद इस मुल्क में न होने की वजह से तौहीदो खुदा परस्ती के उजाले कुफ्रो बुतपरस्ती के अन्धेरों में तबदील हो गए थे नतीजे के तौर पर पूरा मुल्क कुफ्रो शि्क की आमाजगाह बन गया था।..✍🏻
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 26 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 06
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*मुकुद्दमा मौलाना मुहम्मद मीकाईल ज़ियाई*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ फिर नबिय्ये अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की विलादते बासआदत और एअलाने नुबुव्वत के बाद सरकारे ख़्वाजा गरीब नवाज़ कुद्दि स सिर्रुहू की इस मुल्क में तशरीफ आवरी से कब्ल अल्लाह के बहुत से मुरख्लिस बन्दे उलमा, फुज़ला, सूफिया, मुजाहिदीन, फातिहीन और मुबल्लिगीन अल्लाह की वहदानियत, रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की रिसालत और इस्लाम की हक़़्कानियतो सदाकृत का पैगाम आमो ताम करने के लिए हिन्दुस्तान आए।
•••➲ गोया अरब में इस्लाम का सुरज तुलूअ होने के साथ साथ हिन्दुस्तान में भी उस की रौशनी फैली। मगरं सैय्यिदुल अंबिया फख्रे कौनो मकाँ सरवरे आलम सल्लल्लाहु, तआला अलैहि वसल्लम के हुक्म से जब हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज़ यहाँ तशरीफ लाए तो कुप्रिस्तान का नक़्शा ही बदल गया। याअनी मुल्क के गोशे गोशे, और चप्पे चप्पे में आप की तब्लीग, तालीम और तरबियत के उजाले फैल गए, कुफ्रो शिर्क की तारीकियाँ छट गई और इस्लामो ईमान की कृन्दीलें रौशन हो गईं। इसी लिए इस मुल्क को हज़रत आदम का हिन्दुस्तान होने के साथ साथ ख्वाजा का हिन्दुस्तान होने का शरफ भी हासिल है बल्कि इम्तेदादे ज़माना के सबब आम हिन्दुस्तानी इसे ख्वाजा का हिन्दुस्तान ही कहता, मानता और तस्लीम करता है!..✍🏻
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 27-28 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 07
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*मुकुद्दमा मौलाना मुहम्मद मीकाईल ज़ियाई*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ तारीख़ के मुतालो से पता चलता है कि सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ मुसलमानों की गरदने बोझल हैं। हम जिस कदर भी अल्लाह तआला, उस के रसूल, सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ और उन के मुक्द्दस खुलफाए किराम के लिए एहसान मन्दी और तशकुर का इज़हार करें कम है।
•••➲ बेपनाह एहसानात से गैर मुन्कृसिम हिन्दुस्तानी सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ से पहले हिन्दुस्तान में इस्लाम की तब्लीगो इशाअत के काम बहुत से मुस्लिम मुजाहिदीन, इस्लामी हुक्मराँ, उलमा, सूफिया और बुजुर्गाने दीन ने बहुस्नो खूबी अन्जाम दिए, मुस्लिम मुजाहिदीन और इस्लामी हुक्मरानों में मुहम्मद बिन कासिम, अमीरे सुबुक्तगीन, महमूद गृज़नवी और उन के बेटे सुल्तान मस्ऊद ग़ज़नवी के नाम आज भी तारीख की पेशानी के झूमर हैं। इस की तफसील कैलिए तारीख की किताबों का मुतालआ काफी है यहाँ न इस का मौका है न गुन्जाइश!..✍🏻
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 28 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 08
••──────────────────────••►
❝तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*मुकुद्दमा मौलाना मुहम्मद मीकाईल ज़ियाई*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ हिन्दुस्तान में ग़ज़नवी खान्दान की हुकूमत कमोबेश दो सौ साल रही और शिमाल मगिरवी हिन्दुस्तान के अकसर इलाक़े उस के ज़ेरे नगीं रहे जिस के नतीजे में उन अलाकों मैं बिल्खुसूस और हिन्दुस्तान के दीगर अलाकों में बिल्डमूम जल्द ही इस्लामी मुआशरे ख़्वाजा गरीब नवाज़ की तशकील हो गई और उसे काफी तकवियत हासिल हुई। जगह जगह सैकड़ों मसाजिदो मदारिस तामीर हुए , अरबी व फारसी जबानों की नशरो इशाअत हुई और लाहौर जल्द ही एक इस्लामी शहर बन गया।
•••➲ मुहम्मद औफी ने अपने तज़्किरे लुबाबुल अल्बाब में एक ख़ास बाब फुज़लाए ग़ज़नी व लाहौर के उन्वान से बाँधा है जिस में वहाँ के शोअरा ,उलमा और सूफिया का ज़िक्र करते हुए लिखा है!..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 28-29 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 09
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*मुकुद्दमा मौलाना मुहम्मद मीकाईल ज़ियाई*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ उन शोअरा में अबुलफरह रोइनी ( मु0 484 हि0 ) और मस्ऊद सध्द सुलैमान ( मु0 491 हि0 ) मशहूर हैं। और आखिरुज़्ज़िक्र ने तो अरबी व फारसी के अलावा एक हिन्दी दीवान भी यादगार छोड़ा है जिस का मुल्ला अब्दुल कादिर बदायूनी ( मु0 1004 हि0 ) ने अपनी किताब मुन्तखबुत्तवारीख़ में इस तरह ज़िक्र किया है कि गोया उन के ज़माने में वह दीवान मौजूद था।
•••➲ उसी ज़माने में लाहौर में शैख़ हुसैन जन्जानी , हज़रत दाता गंज बख़्श हिज्वैरी साहिबे , कश्फुल महजूब , शैख इस्माईल मुहद्दिस , मौलाना मस्ऊद लाहौरी , मुलतान में शाह यूसुफ गुर्देज़ी ( मु0 547 हि0 ) ओच में सफीयुद्दीन गाज़रूनी ( मु0 398 हि0 ) शाहकोट में सुल्तान सखी सरवर ( मु0 577 हि0 ) अजमेर में हज़रत मीराँ सैय्यिद हुसैन मशहदी , सैय्यिद सालार मस्ऊदे गाज़ी और हज़रत सैय्यिद अब्दुल्लाह मुल्हम शहीद वगैरहुम इस्लाम के मुबल्लिगीन और मुजाहिदीन गुज़रे हैं जिन्हों ने तज़्कीरो तब्लीग के - फराइज़ अन्जाम देकर अपने अपने अलाकों में इस्लाम का बोल बाला किया। उन्हीं हज़रात की कोशिशों और कौलो अमल की यक्सानियत से कौमें और कबीले मुशर्रफ ब इस्लाम हुए।...✍
❏ ________________________________ ❏
•••➲ उन शोअरा में अबुलफरह रोइनी ( मु0 484 हि0 ) और मस्ऊद सध्द सुलैमान ( मु0 491 हि0 ) मशहूर हैं। और आखिरुज़्ज़िक्र ने तो अरबी व फारसी के अलावा एक हिन्दी दीवान भी यादगार छोड़ा है जिस का मुल्ला अब्दुल कादिर बदायूनी ( मु0 1004 हि0 ) ने अपनी किताब मुन्तखबुत्तवारीख़ में इस तरह ज़िक्र किया है कि गोया उन के ज़माने में वह दीवान मौजूद था।
•••➲ उसी ज़माने में लाहौर में शैख़ हुसैन जन्जानी , हज़रत दाता गंज बख़्श हिज्वैरी साहिबे , कश्फुल महजूब , शैख इस्माईल मुहद्दिस , मौलाना मस्ऊद लाहौरी , मुलतान में शाह यूसुफ गुर्देज़ी ( मु0 547 हि0 ) ओच में सफीयुद्दीन गाज़रूनी ( मु0 398 हि0 ) शाहकोट में सुल्तान सखी सरवर ( मु0 577 हि0 ) अजमेर में हज़रत मीराँ सैय्यिद हुसैन मशहदी , सैय्यिद सालार मस्ऊदे गाज़ी और हज़रत सैय्यिद अब्दुल्लाह मुल्हम शहीद वगैरहुम इस्लाम के मुबल्लिगीन और मुजाहिदीन गुज़रे हैं जिन्हों ने तज़्कीरो तब्लीग के - फराइज़ अन्जाम देकर अपने अपने अलाकों में इस्लाम का बोल बाला किया। उन्हीं हज़रात की कोशिशों और कौलो अमल की यक्सानियत से कौमें और कबीले मुशर्रफ ब इस्लाम हुए।...✍
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 10
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ पहली सदी हिजरी से छटी सदी हिजरी तक के अहम उलमा , मुबल्लिगीन और मुजाहिदीन ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ मुतज़क्किरए बाला बुजुर्गाने दीन में से बाज़ के अहवाल और तज़केरे जैल में दर्ज किए जाते हैं बकिया हज़रात के हालात दस्तयाब न होसके इस लिए सिर्फ उन के अस्माए गिरामी के ज़िक्र पर इक्तिफा किया जाता है।
*❝ मौलाना अबू हफ्स रबीअ मुहद्दिस बस्री ❞*
•••➲ मुहम्मद बिन कासिम के दौर में साहिबे तज़्किरा मौलाना अबूहफ्स रबीअ मुहद्दिस बस्री बिन सबीह अस्सईदी अल्बस्री ने इस दयार में कदमरन्जा फरमाया। आप तो ताबेईन और कामिल मुहद्दिसीन में से हैं! हज़रत हसन बस्री और हज़रत अता रदियल्लाहु तआला अन्हुमा से आप ने हदीसें रिवायत की हैं और आप के रावी हज़रत सुफ्यान सौरी और हज़रत वकीअ बिन मेहदी रदियल्लाहु तआला अन्हुमा हैं आप बड़े आबिदो ज़ाहिद और मुजाहिद थे आप के बारे में यह भी कहा जाता है कि आप मिल्लते इस्लामिया के सब से पहले मुसन्निफ हैं 160 हिजरी में मुल्के सिन्ध में रिहलत फरमाई और वहीं आप का मज़ारे पुरअन्वार है। ( तज़्किरए उलमाए हिन्द )..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 30 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 11
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ शैख़ मुहम्मद इस्माईल मुहद्दिस लाहौरी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ हज़रत शैख मुहम्मद इस्माईल मुहद्दिस लाहौरी रहमतुल्लाहि तआला अलैह अज़ीम मुहद्दिस , मुफस्सिर और बुखारा के सादाते किराम में से हैं।
•••➲ सुल्तान महमूद गज़नवी के अहदे हुकूमत याअनी 395 हिजरी के अवाख़िर में लाहौर तशरीफ लाकर मुतवत्तिन हुए उलूमे तफ्सीरो हदीसो फिक्ह के माहिर और ज़ाहिरो बातिन के जामेअ थे।
•••➲ आप की शख़्सियत वह है जो इल्मे तफ्सीरो हदीस लेकर लाहौर में पहले पहल आई और बहैसियत वाइज़ भी लाहौर में आप की पहली जात थी जो यहाँ वाअज़ो नसीहत और इस्लाम की तब्लीगो इशाअत - के लिए लबकुशा हुई।
•••➲ आप की ज़बान में इतनी तासीर थी कि आप की मज्लिसे वाअज़ में हज़ारों अफराद मुशर्रफ ब इस्लाम होते थे। 448 हिज़री में आप की वफात हुई और शहर लाहौर में मदफून हुए!..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 30-31 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 12
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ मीरा सैय्यिद हुसैन मशहदी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ हज़रत मीराँ सैय्यिद हुसैन मशहदी उर्फ खिनिग सवार रहमतुल्लाहि तआला अलैह जिनका मज़ार अजमेर शरीफ के किलअए तारा गढ़ पर मर्जओ अवामो ख़वास है। 391 हिज़री में सुल्तान महमूद गज़नवी की हुकूमत दर गज़नी के दौर में मुजाहिदीने इस्लाम की एक जमाअत के साथ इस्लाम की तरवीजो इशाअत के लिए हिन्दुस्तान आए।
•••➲ आप के वालिदे माजिद का नाम सैय्यिद मुहम्मद इब्राहीम मुहद्दिस मशहदी और वालिदए माजिदा का नाम बीबी हाजिरा बिन्ते सैय्यिद मुहम्मद हामिद मक्की है और चन्द वास्तों से आप का सिलसिलए नसबे पिदरी व मादरी हज़रत अलीये मुर्तज़ा कर्रमल्लाहु तआला वज्हहुल करीम तक पहुंचता है।
•••➲ आप के आबा व अजदाद मदीनए मुनव्वरा से आकर मशहदे मुक़द्दस में आबाद हो गए थे। आप सखावतो शुजाअत , फसाहतो बलागत और इल्मो फज्लो कमालो करामत के जामेअ और खुश खुल्को खुश जमाल गोया हमा सिफत मौसूफ थे।
•••➲ आप के साथ हिन्दुस्तान आने वालों में साहिबे कश्फो करामत बुजुर्ग हज़रत रौशन अली दुर्वेश के अलावा हज़रत अबूतय्यिब मुहद्दिस , सैय्यिद शहाबुद्दीन , सैय्यिद तकीयुद्दीन और सैय्यिद नकीयुद्दीन वगैरहुम के अस्माए गिरामी काबिले ज़िक्र हैं!..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 31 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 13
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ हज़रत सैय्यिद अब्दुल्लाह मुल्हम शहीद ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ हज़रत सैय्यिद अब्दुल्लाह मुल्हम शहीद रहमतुल्लाहि तआला अलैह सैय्यिद सालार साहू के अहद में अजमेर शरीफ में मुकीम थे। साहिबे इल्मो फल और हामिले जुहदो तक्वा होने के साथ साथ मुजाहिद फी सबीलिल्लाह भी थे।
•••➲ हज़रत सैय्यिद सालार मस्ऊदे गाज़ी रहमतुल्लाहि तआला अलैह के इब्तिदाई उस्ताज़ थे। आप थोड़ी सी फौज लेकर अजमेर शरीफ से रवाना हुए और बदायूँ पहुँचकर वहाँ राजा बदायूँ की कसीर और ताक़तवर फौज से मुकाब्ला किया और बहादुरी से जंग करते हुए 439 हिज़री में शहीद हो गए। आप का मज़ारे पाक बदायूँ शरीफ में है!..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 32 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 14
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ हज़रत सैय्यिद सालार मस्ऊदे गाज़ी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ शैख़ अब्दुल हक मुहद्दिस देहलवी रहमतुल्लाहि तआला अलैह ने लिखा है कि आप सुल्तान महमूद गजनवी के लश्कर के गाज़ियों और सरदारों में से हैं। अवाइले इस्लाम में हिन्दुस्तान में बहुत सी फुतूहात की आपने बहराइच में दर्जए शहादत हासिल किया। ख़वारिको करामात शहादत के बाद ज़ाहिर हुईं।
•••➲ बाज़ कौल के मुताबिक सुल्तान महमूद गजनवी ने अजमेर फतह करने के बाद आप के वालिदे गिरामी सैय्यिद सालार साहू को अजमेर का हाकिम मुकर्रर किया चुनाँचे अजमेर ही में 21 रजब या 21 शाबान 405 हिज़री में सैय्यिद सालार मस्ऊदे गाज़ी की विलादत हुई आप अल्वी सादात में से हैं आप का सिलसिलए नसब तेरह वास्तों से हज़रत अलीये मुर्तज़ा कर्रमल्लाहु तआला वज्हहुलकरीम तक पहुंचता है!..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 32 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 15
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ हज़रत सैय्यिद सालार मस्ऊदे गाज़ी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ आप की वालिदए माजिदा का नाम सरे मुअल्ला था। आप सुल्तान महमूद गजनवी के ख़्वाहरज़ादे भी हैं। सोलह साल की उम्र में आप अमीरे लश्कर बनाए गए। आप ने महमूद गजनवी के हमराह मुल्तान फतह करने के बाद देहली और सतरुख को फतह किया फिर बहराइच आकर शहीद हुए।
*📔 सौलते अफ्गानी सफ़ह 97 व गज़ानामा सफ़ह 43-64*
•••➲ अजमेर शरीफ में जहाँ आप की विलादत हुई थी आज भी वह जगह सैय्यिद सालार मस्ऊदे गाज़ी के चिल्ले के नाम से मशहूर है। आप का मज़ारे मुबारक बहराइच शरीफ में फैज़ बख़्शे आम है।..✍ ( सफीनतुल औलिया )
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 32-33 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 16
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ हज़रत मीर अमादुद्दीन खिल्जी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ हज़रत सैय्यिद सालार मस्ऊदे गाज़ी की फौज में बहुत से मुजाहिदीन और औलियाए कामिलीन शरीक थे उन्हीं में से मीर अमादुद्दीन खिल्जी भी थे जो जाईस की जंग में सिपहसालार बनाए गए थे। जनाब काज़ी अब्दुर्रहीम अन्सारी जाइसी ने अपनी किताब जुगराफिया व तवारीखे जाइस में लिखा है कि सैय्यिद सालार मस्ऊदे गाज़ी जब फुतूहात करते हुए अवध पहुंचे तो सतरुख से अराफो जवानिब में फौजें रवाना की। - हाशिये में उन मकामात में से कुछ के नाम भी दर्ज किए हैं मसलन : बनारस , गाजीपूर , मुबारकपूर , हमीरपूर , टाँडा , मऊ , काजी तय्यब , इलाहाबाद , फतहपूर , हसवा , फज़ाबाद , अयोध्या , बहराइच , महोबा , गोपामऊ , कड़ामानिकपूर , डलमऊ , रुदौली , और उदयानगर ( जाइस ) वगैरह!..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 33 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 17
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ हज़रत दाता गंज बख़्श लाहौरी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ हज़रत शैख़ अली हिजवेरी अलमारूफ ब , दाता गंज बख़्श लाहौरी रहमतुल्लाहि तआला अलैह शैख़ अबुल्फज़्ल बिन हसन अलखतली रहमतुल्लाहि तआला अलैह के मुरीद हैं वह शैख हज़रमी के मुरीद और वह हज़रत शैख़ शिबली रहमतुल्लाहि अलैहिम के मुरीद हैं। आप ने शैख़ अबुलकासिम गुर्गानी , शैख अबूसईद अबुलखैर और शैख़ अबुलकासिम कुशैरी रहमतुल्लाहि अलैहिम वगैरह बहुत से मशाइख को देखा है।
•••➲ आप मज़हबन ह-नफी थे , गज़नी के रहने वाले थे जुलाब और हिजवेर शहर। गज़नी के दो मुहल्लों के नाम हैं एक मुहल्ले से दूसरे मुहल्ले में आप मुन्तकिल हो गए थे। आप की वालिदा की कब्र गज़नी ही में वाकेअ है!..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 33 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 18
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ हज़रत दाता गंज बख़्श लाहौरी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ एक मस्जिद की तामीर आप ने खुद कराई थी जिस की मेहराब दूसरी मसाजिद की बनिस्बत जुनूब की तरफ झुकी हुई है। रिवायत है कि उस ज़माने के उलमा ने उस मेहराब के टेढ़ा होने से मुतअल्लिक एअतेराज़ किया था एक दिन आप ने सब को जमा किया , इमामत फरमाई और बादे नमाज़ सब को मुखातब करके इरशाद फरमाया देखो काअबा किस तरफ है , तमाम हिजाबात दरमियान से उठे हुए थे और काअबा सामने नज़र आ रहा था।
•••➲ आप की क़ब्र उसी मस्जिद की मुवाफिक सम्त में है। आप का पूरा खानदान जुहदो तक्वा के लिए मशहूर था। आप की तसानीफ बेशुमार हैं कश्फुल महजूब , ज़ियादा मशहूरो मकबूल है। किसी को इस किताब पर कोई कलाम नहीं। यह किताब तालिबाने हक के लिए कामिल रहनुमा और कुतुबे तसव्वुफ में एक मुर्शिदे कामिल की हैसियत रखती है!..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 34 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 19
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ हज़रत दाता गंज बख़्श लाहौरी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ आप के ख़वारिको करामात बेशुमार हैं। बारहा आप ने तजरीदो तवक्कुल के साथ सफर किया है। काफी सैरो सियाहत के बाद उस ज़माने के दारुस्सल्तनत लाहौर में आकर सुकूनत इख़्तियार फरमा ली।
•••➲ 454 या 456 हिज़री और तज़्किरए उलमाए हिन्द के मुताबिक 465 हिज़री में आप का विसाल हुआ कब्रे मुबारक लाहौर के मरिबी किले में वाकेअ है।
*📔 तज़्किरए उलमाए हिन्द , सफीनतुल औलिया*
•••➲ हज़रत दाता गंज बख़्श रहमतुल्लाहि तआला अलैह के आस्ताने पर सरकारे ख़्वाजा गरीब नवाज़ ने अकीदत मन्दाना हाज़री दी और इक्तेसाबे फैज़ किया है वहाँ एक मक़ाम हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज़ के चिल्ले के नाम से आज भी मुतआरफो मशहूर है , आस्तानए पाक पर एक शेर आज भी कन्दा है जो ज़बाँज़दे ख़ासो आम है जिस के बारे में मशहूर है कि यह शेर हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज़ ने वहाँ से रुख़्सत होते वक्त कहा था वह शेर यह है!...✍
*गंज बखो फैज़े आलम मज्हरे नूरे खुदा*
नाकिसाँ रा पीरे कामिल कामिलाँ रा रहनुमा
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 34 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 20
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ मौलाना मस्ऊद लाहौरी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ हज़रत मौलाना लाहौरी बिन साअद बिन सुलैमान लाहौरी का अस्ल वतन हमदान है। आप के वालिद साअद बिन सुलैमान हमदान से सल्तनते ग़ज़नवीया के अहद में लाहौर तशरीफ लाए और वहीं सुकूनत इख़्तियार करके सुल्तान इब्राहीम के मुलाज़िम हो गए।
•••➲ रफ्ता रफ्ता तरक्की करते हुए आली मन्सब पर फाइज़ हुए। आप के साहबजादे मौलाना मसऊद उस ज़माने के बड़े उलमा से इक्तिसाबे उलूम करके लाइको फाइक हो गए। तब्बे मौजूं के सबब बड़े खूबसूरत अश्आर भी कहते थे। सैफुद्दीन महमूद बिन इब्राहीम के हमनशीं थे। 515 हिज़री तक बकैदे हयात रहे। अरबी , फारसी और हिन्दी के साहिबे दीवान शाइर थे फारसी के दीवान हिन्दुस्तानो ईरान में दस्तयाब हैं मगरं अरबी और हिन्दी के दीवान नायाब हैं!..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 35 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 21
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ हिन्दुस्तानियों के मसीहाए आज़म ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ यह सच है कि इस कुफ्रिस्ताने हिन्द में इस्लाम का चराग हज़रत सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ कुद्दि स सिर्रहुल अज़ीज़ की तशरीफ आवरी से पहले ही जल चुका था जिस की कदरे तफसील गुंज़श्ता सफ्हात में गुजर चुकी है मगर नाइबुन्नबी सुल्तानुल हिन्द , अताए रसूल , ख्वाजए ख्वाजगान हज़रत ख्वाजा मुईनुद्दीन हसन चिश्ती सन्जरी रदियल्लाहु तआला अन्हु इस बरे सगीर के मुहसिने अकबर और मसीहाए आज़म हैं कि यहाँ इस्लाम की दिलकश बहारें आप ही की दाअवतो तब्लीग और रुश्दो हिदायत का नतीजा हैं!
•••➲ सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ छटी सदी हिजरी ( 586 या 588 हिज़री ) में रसूले अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के हुक्म से हिन्दुस्तान तशरीफ लाए और अपनी करामतआसार तब्लीग और कीमिया असर निगाह से इस कुफ्रिस्तान को इस्लाम के नूर से रौशनो मुनव्वर कर दिया!..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 35 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 22
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ हिन्दुस्तानियों के मसीहाए आज़म ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ आप की हिन्दुस्तान में आमद से पहले बहुत से मुजाहिदीने इस्लाम और उलमा व सूफियाए किराम इशाअते इस्लाम की खातिर हिन्दुस्तान आए और अपने अपने हल्कए असर में उन्हों ने इस्लाम का बोल बाला भी किया मगर उन की जिद्दो जहद के असरात उन के ही अलाकों तक महदूद रहे बिल्खुसूस हिन्दुस्तान के शिमाल मरिरबी ख़ित्तों सिन्ध , लाहौर , काबुल , ठट्ठा और बलूचिस्तान वगैरह शहरों और कस्बात में उस के गहरे असरात मुरत्तब हुए जिस के ज़ेरे असर आज भी उन अलाकों में मुसलमानों की अकसरियत है!.✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 36 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 23
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सरकारे गरीब नवाज़ की इन्फेरादियत ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ जिस तरह नबिय्ये अकरम खातमे पैगम्बरों सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की आमद से कब्ल दुन्या में बेशुमार अंबियाए किराम व रसूलाने उज़्ज़ाम तशरीफ लाए मगर उन के हल्के और अलाके महदूद थे इस लिए उन की तब्लीग और रुश्दो हिदायत के असरात भी महदूद रहे।
•••➲ लेकिन जब ख़ातमुल अंबिया सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की जल्वा गरी हुई तो आप ने अल्लाह तआला की पैगाम रसानी का एक आलमी निज़ाम काइम फरमाया जिस के असरात पूरी दुन्या में मुरत्तब हुए और वह केयामे कयामत तक बाकी रहेंगे।
•••➲ बिला तश्बीह सैय्यिदुना सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ रदियल्लाहु तआला अन्हु से कब्ल हिन्दुस्तान में बेशुमार मुबल्लिगीने इस्लाम की आमद हुई और सभों ने अपनी अपनी हैसियत और बिसात के मुताबिक तब्लीगी कारनामे अन्जाम दिए!..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 36 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 24
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सरकारे गरीब नवाज़ की इन्फेरादियत ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ सियासी , इल्मी , अमली और रूहानी हर मुम्किन तरीकए कार को अपनाकर यहाँ तक कि अपनी जानें गंवाकर अपनी ज़िम्मेदारियों से उहदाबरा हाने की जिद्दो जहद की और उस में वह काफी हद तक कामयाब भी रहे मगर जब सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ के क़दमे मुबारक इस धरती पर आए तो आप के तब्लीगी मसाई के असरात हिन्दुस्तान के हर खित्ते और गोशे तक पहुँचे।
•••➲ आप के खुलफा व मुतवस्सिलीन मुल्क के जिस हिस्से में पहुँच गए वहाँ इस्लाम का बोल बाला हो गया। कुफ्र की तारीकियाँ काफूर हुई और इस्लाम के उजालों का समन्दर मौज जन हो गया। आप से पहले मुतअद्दिद मुसलमान फातेहीन ने मुल्क के मुख़्तलिफ अलाकों पर कब्जा व इक्तेदार हासिल किया मगर आप की दुआओं की बरकत से पहली बार आप के अहदे मुबारक में देहली और अजमेर के ऐवानों में मुसलमानों की बाज़ाबता मुकम्मल हुकूमत का परचम लहराया।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 36-37 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 25
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सरकारे गरीब नवाज़ की इन्फेरादियत ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ अबुल फज़्ल आप के मुतअल्लिक लिखता है। उज़्लतगजी बअजमेर शुद व फरावाँ चराग बरअपरोख़्त व बज़ दमे कुबराए ऊ गरोहा गरोह बहरा बरगिरफ्तन्द।
*📔 आईनए अक्बरी सफ़ह 270*
•••➲ तर्जुमा : - आप ने अजमेर में गोशा नशीनी इख़्तियार की , इस्लाम के चराग खूब जलाए और आप के दमक़दम से गरोह दर गरोह लोगों ने इक्तिस्राबे फैज़ किया।
•••➲ सेरुल औलिया के मुसन्निफ अमीर खुर्द किरमानी ( मु0 770 हिज़री ) रकमतराज़ हैं। व करामते दीगर आँकि मम्लुकते हिन्दुस्तान ता हद्दे बरआमदने आफताब हमा दयारे कुफ्रो काफिरी व - बुतपरस्ती बूद व मुतमर्रिदाने हिन्द हरयके दाअवए अना रब्बुकुमुल आअला मी करदन्द व खुदाए रा अज़्ज़वजल्ल शरीक मी गुफ्तन्द व संगो कुलूख व दारो दरख्त व सुतूरे गांव व सरगीं ईशाँ रा सज्दा मी करदन्द व बजुल्मते कुफ्र कुफ्ले दिले ईशाँ मुज़्लमो मुहकम बूद ----- बवसूले क़दमे मुबारके आँ आफताबे अहले यकीं कि बहकीकत मुईनुद्दीन बूद जुल्मतई दयार ब नूरे इस्लाम रौशनो मुनव्वर गश्त।..✍
*📕 सैरुल औलिया सफ़ह 47*
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 37 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 26
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सरकारे गरीब नवाज़ की इन्फेरादियत ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ *तर्जुमा : -* दूसरी करामत यह है कि उस आफताब के तुलूअ होने ( ख्वाजा गरीब नवाज़ की हिन्दुस्तान में आमद ) से कब्ल पूरे हन्दुस्तान में कुफ्रो बुतपरस्ती का रिवाज आम था और हिन्द का हर सरकश , अना रब्बुकुमुल आअला ( मैं तुम्हारा सब से बड़ा रब हूँ ) का दावा करता था और अपने आप को अल्लाह तआला का शरीक कहता था वह पत्थर , ढेले , घर , दरख्त , चौपायों , गाय और उन के गोबर को सज्दा करते थे और कुफ्र की तारीकी से यकीन के इस आफताब के मुबारक कदमों की बरकत से जो दर हकीकत मुईनुद्दीन ( दीन के मुईनो मददगार ) थे इस मुल्क की तारीकी इस्लाम के नूर से जगमगा उठी। आप की निगाहे विलायत जिस पर पड़ जाती उस के दिल की दुन्या बदल जाती रहज़न आता रहबर बन जाता , कातिल आता मुहाफिज़ बन जाता , सरकश आता गुलाम बन जाता , काफिर आता मुसलमान बन जाता , फासिक आता मुत्तकी बन जाता , दुश्मन आता हाशियाबरदार बन जाता और जादूगर आता तो ताइब होकर आमिले कुरआन बन जाता।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 37-38 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 27
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सब से बड़े इन्केलाब के बानी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ हिन्दुस्तान के सब से बड़े समाजी इन्केलाब का यह बानी एक छोटी सी झोंपड़ी में एक फटे पुराने तहबन्द में लिप्टा बैठा रहता था। पाँच मिस्काल से ज़ियादा की रोटी कभी मयस्सर न आती लेकिन सोज़े दुर् की असरअंगेजी और निगाह की तिलिस्माती तासीर का यह आलम था कि एक नज़र जिस पर डाल देते उस की ज़िन्दगी से गुनाहों के जरासीम दम तोड़ कर फना हो जाते और माअसियत के सोते हमेशा के लिए खुश्क हो जाते। रिसाला अहवाले पीराने चिश्त के यह जुमले आज भी उन की इस करामत का एअलान कर रहे हैं!
•••➲ नज़रे शैख़ मुईनुद्दीन बर फासिके कि उफ्तादे दर ज़मों ताइव शुदे व बाज़ माअसियत न कर दे!
•••➲ *तर्जुमा : -* हज़रत ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की निगाह जिस फासिंक पर पड़ जाती वह उसी वक्त तौबा कर लेता और फिर कभी गुनाह के करीब नहीं फटकता।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 38 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 28
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सब से बड़े इन्केलाब के बानी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ आप के कुदूमे मैमनत लुजूम की बरकत से यह कुफ्रिस्ताने हिन्द तक्बीरो रिसालत की दिलनवाज़ सदाओं से गूंज उठा। उस मरदे दुर्वेश की छोटी सी मज्लिस रुश्दो हिदायत की आफाकी और हमागीर तहरीक बन गई। कुफ्रो शिर्क की दलदल में फंसे हुए हज़ारों बाशिन्दगाने हिन्द इस्लाम के उस चश्मए शीरीं की जानिब दौड़ने लगे और कुफ्र के मुजस्समे जामे हिदायत पीकर इस्लाम की सरमस्तियों से सरशार होने लगे।
•••➲ सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ की फैज़बार मज्लिस और उन की इन्केलाब आफरीं इस्लामी तहरीक पर रौशनी डालते हुए खज़ीनतुल अस्फिया के मुसन्निफ गुलाम सरवर लाहौरी लिखते हैं।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 38-39 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 29
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सब से बड़े इन्केलाब के बानी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ हज़ार दर हज़ार सेगारो किबार बखिदमते औं महबूबे किरदिगार हाज़िर शुदा मुशर्रफ ब शरफे इस्लाम व इरादते आँ हज़रत शुदन्द बहद्दे कि चरागे इस्लाम दर हिन्द बतुफैले ई खानदाने आलीशान रौशन गश्त।
*📭 खज़ीनतुल अस्फिया जिल्द अव्वल सफ़ह 259 📕*
•••➲ *तर्जुमा* : - हज़ारों हज़ार छोटे बड़े अफराद उस खुदा के महबूब ( सुल्तानुल हिन्द ) की बारगाह में आते और मुशर्रफ ब इस्लाम और उन के मुरीदो मोअतकिद हो जाते यहाँ तक कि इस्लाम का चराग हिन्दुस्तान में उसी बलन्द पाया ख़ानदान की बरकत से रौशन हुआ।
•••➲ हज़रत सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ ने हिन्दुस्तान में बिलाशुबह कुफ्रशिकन तहरीक बरपा की थी। जो काम हज़ारों तल्वारें और फौजो सिपाह नहीं कर सकीं वह एक आरिफ बिल्लाह की खामोश और अख़लाकी तहरीक ने कर दिखाया।
•••➲ एक फारसी शाइर ने इस की बड़ी अच्छी तस्वीरकशी की है।...✍
*अज़ फैज़े ऊ बजाए कलीसा व बुतकदा*
दर दारे कुफ्र मस्जिदो मेहराबो मिम्बरस्त
*आँजा कि बूद नाअरए फरयादे मुश्रिका '*
अकलूं खरोशे नग्मए अल्लाहु अकबरस्त
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 39 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 30
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सरकारे ख़्वाजा की मक्बूलियत और तब्लीगी असरात ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ की मक्बूलियत और उन के तब्लीगी असरात पर तब्सेरा करते हुए टी , डब्ल्लू , अन्ल्डि लिखता है : रफ्ता रफ्ता बहुत से लोग ख्वाजा साहब के मोअतकिद हो गए और उन्हों ने बुतपरस्ती छोड़ कर इस्लाम कुबूल कर लिया अब ख्वाजा साहब की शुहरत हर तरफ हो गई और आख़िर में हिन्दुओं के गरोह के गरोह उन का खिदमत में हाज़िर होकर मुसलमान हो गए। मशहूर है कि जिस वक़्त ख्वाजा देहली से अजमेर जा रहे थे तो रास्ते में सात सौ हिन्दुओं को उन्हों ने मुसलमान किया।
📕 तारीखे मुसलमानाने पाकिस्तान व भारत जिल्द अव्वल सफह 232
•••➲ शैख़ अबुल फज्ल अल्लामी ने लिखा है कि : ख्वाजए बुजुर्ग के अजमेर में केयाम करने की वजह से गरोह के गरोह मुसलमान हुए।
📔 आईने अकबरी जिल्द दोम सफह 207
•••➲ ख़्वाजा मुबारक अलअलवी लिखते हैं कि : हज़रत ख्वाजा के मुबारक कदम की बरकत से यह अलाका इस्लाम के नूर से मुनव्वर हो गया।
📘 औलिया सफह 47 , सफीनतुल औल या अज़ दारा शकोह कादरी सफह 128
•••➲ मीर अब्दुल वाहिद बिल्गिरामी रहमतुल्लाहि तआला अलैह सब्जे सनाबिल में सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ की बाफैज़ निगाह की तासीर बयान ' फरमाते हुए लिखते हैं कि : और शैख़ की नज़र जिस पर पड़ जाती वलियुल्लाह हो जाता।..✍
📓 सओ सनाबिल सफह 435
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 39-40 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 31
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सरकारे ख़्वाजा की मक्बूलियत और तब्लीगी असरात ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ हज़रत शाह वलियुल्लाह मुहद्दिस देहलवी रहमतुल्लाहि अलैह से किसी ने सुवाल किया कि जो मबूलियत हज़रत सुल्तानुल हिन्द ख्वाजा गरीब नवाज़ को हासिल है वह किसी और को हासिल नहीं। जो उन के मज़ार पर जाता है उन पर फरेफ्ता और दीवाना हो जाता है इस की क्या वजह है ?
•••➲ हज़रत शाह साहब ने कदरे तवक्कुफ के बाद यह हकीकतअफ्रोज़ जवाब इनायत फरमाया :
*ई सआदत बज़ोरे बाजू नेस्त*
ता न बख़्शद खुदाए बख्रिशन्दा
•••➲ सुल्तानुल हिन्द सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ कुद्दि स सिर॑हू बिलाशुबह इश्को इर्फान के आअला मकाम पर फाइज़ थे हज़रत शाह वलियुल्लाह मुहद्दिस देहलवी के वालिदे गिरामी हज़रत शाह अब्दुर्रहीम साहब सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ के फैज़ाने रूहानी ( जो खुद उन पर हुआ ) को बयान फरमाते हैं।
•••➲ हज़रत ख्वाजा मुईनुद्दीन को मैंने ख्वाब में देखा कि घर में बैठे हुए हैं और एक चराग रौशन है लेकिन उस चराग की बत्ती हरकत की मुहताज थी ताकि ताज़ा होकर रौशनी फैला सके मुझे उन्हों ने इस ख़िदमत पर मामूर फरमाया चुनाँचे मैंने ऐसा ही किया उस के बाद अपनी ख़ास निस्वत मुझे इनायत फरमाई और इस वाकेजे की ताबीर भी इजाजते तरीका थी।..✍
📕 अन्फासुल आरिफीन सफह 108
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 40 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 32
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ हज़रत सैय्यिदुना अबुल हुसैन अहमदे नूरी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ खातमुल अकाबिर हज़रत अल्लामा सैय्यिद शाह अबुल हुसैन अहमदे नूरी कादरी बरकाती मारहरवी कुद्दि स सिर॑हुल अज़ीज़ फरमाते हैं । : गौसे आज़म का इरशाद है कदमी हाज़िही अला रकबति कुल्लि वलिय्यिल्लाह मेरा कदम अल्लाह के हर वली की गरदन पर है। यह कलिमाते हक हज़रत ने अल्लाह - के हुक्म से बहालते होश इरशाद फरमाए। हुजूर गौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु का यह मक ला जुम्हूर औलियाअल्लाह की तसानीफ के जरीआ हम त खुसूसन ख्वाजए बुजुर्ग सुल्तानुल हिन्द हज़रत ख़्वाजा मुईनुद्दीन हसन चिश्ती सन्जरी रदियल्लाहु तआला अन्हु जो बिल इत्तेफाक सारे औलियाए हिन्द से ज़ियादा शरफो बुजुर्गी रखते हैं और फजीलत में सबसे मुम्ताज़ हैं उन्हों ने ' जब हुजूर गौसे आज़म का यह मकूला सुना तो उसी वक्त ख्वाजए बुजुर्ग पर कैफियत तारी हुई और उसी हाल में इरशाद फरमाया वह नूर का कदम मेरे सर आँखों पर!..✍
📕 सिराजुल अवारिफ सफह 39 - 41
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 41 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 33
••──────────────────────••►
❝तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ हज़रत सैय्यिदुना अबुल हुसैन अहमदे नूरी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ इस वाकेअ से जहाँ हज़रत गौसे आज़म की अज़मत का पता चलता है वहीं हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज़ के बलन्दपाया मकामे विलायतो रूहानियत का नाकाबिले शिकस्त सुबूत भी फराहम होता है। सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ उन दिनों नौजवान थे और खुरासान की किसी पहाड़ी के गार में रियाज़तो मुजाहदा फरमा रहे थे।
📕 अश्शैख़ अब्दुल कादिर ब हवालाए सिराजुल अवारिफ सफह 42
•••➲ सरकारे ख़्वाजा गरीब नवाज़ ने अपनी रूहानी कुव्वतों , दाअवतो तब्लीग की मुसलसल कोशिशों और अपने बाकमाल खुलफा की मुख्लिसाना जिगरकावियों से हिन्दुस्तान के चप्पे चप्पे को नूरे इस्लाम से रौशनो मुनव्वर कर दिया।
•••➲ आप बरे सगीर में सिलसिलए चिश्तिया की खिश्ते अव्वल और मुरब्बिये आअला हैं आप ही के दमक़दम से बर्रे सगीर में चिश्तिया सिलसिले की खुश्बू फूटी और उस का गोशा गोशा मुअततरो मुअंबर हो गया हिन्दुस्तान में इशाअते इस्लाम की तारीख के मुतालले से पता चलता है कि सरज़मीने हिन्द पर इशाअते इस्लाम का अहम फरीज़ा अन्जाम देने वाले सिलसिलए चिश्तिया के सूफिया व मशाइख हैं और उन असातीने चिश्त के शहन्शाहो ताजदार सुल्तानुल हिन्द सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ हैं।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 42 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 34
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सिलसिलए चिश्तिया और इस के बानी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ बर्रे सगीर में सिलसिलए चिश्तिया के बानी की हैसियत से सुल्तानुल हिन्द सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ मुईनुद्दीन हसन चिश्ती सन्जरी मुतआरफ हैं इस में कोई शुबह नहीं कि सिलसिलए चिश्तिया की तरवीजो इशाअत सबसे ज़ियादा आप ही के वुजूदे मस्ऊद से हुई लेकिन इस सिलसिले के हकीकी बानी हज़रत शैखुल मशाइख शैख अबू इसहाक शामी चिश्ती ( मु0 329 , या 340 हि० ) हैं ।
•••➲ चिश्त खुरासान के एक मशहूर शहर का नाम है वहाँ कुछ अहले दिल और अरबाबे तरीक़त ने रुश्दो हिदायत और इसलाहो तरबियत का मरकज़ काइम किया वह निज़ामे तरबियतो हिदायत उस मकाम की निस्बत से सिलसिलए चिश्तिया कहलाने लगा उस निज़ाम के सरखैलो मुक्तदा शैख़ अबू इसहाक शामी थे और उन्हों ने ही सबसे पहले अपने नाम के साथ उस निज़ामे तरबियत की निस्बत से लफ्ज़ , चिश्ती , लिखना शुरूअ किया। बाज़ रिवायात के मुताबिक आप का मौलदो मस्कन भी शहरे चिश्त था मुम्किन है कि अपने वतने मालूफ की निस्बत से आप ने चिश्ती लिखने की इब्तिदा की हो!..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 42-43 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 35
••──────────────────────••►
❝तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सिलसिलए चिश्तिया और इस के बानी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ मौलाना रहीम बख़्श अपनी तसनीफ , शजरतुल अन्वार , में लिखते हैं। : व आँ दो मकाम अन्द यके शहरेस्त दरमियाने विलायते खुरासान करीबे हिरात व चिश्ते दोम दहेस्त दर विलाते हिन्दुस्तान दरमियाने औच व मुल्तान व ख्वाजए ख्वाजगाने चिश्त दर चिश्ते खुरासान बूदा अन्द।
•••➲ तर्जुमा : - चिश्त नाम के दो मकाम हैं एक शहर है जो हिरात के करीब खुरासान में है और दूसरा हिन्दुस्तान में औच और मुल्तान के दरमियान एक गाँव है ( जो अब पाकिस्तान में है ) ख्वाजगाने चिश्त खुरासान वाले चिश्त के थे। आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा बरेलवी ने मन्कबते गौसे आज़म अब्दुल कादिर जीलानी में उसी खुरासान वाले चिश्त का जिक्र किया है आप फरमाते हैं। : ...✍
*मज़्जे चिश्तो बुख़ारा व इराको अजमेर*
कौन सी किश्त पे बरसा नहीं झाला तेरा
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 43 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 36
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ हज़रत शैख़ अबू इसहाक चिश्ती शामी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ हज़रत शैख़ अबू इसहाक शामी चिश्ती मशाइखे किबार में से गुज़रे हैं आप का लकब शरीफुद्दीन था आप की विलादत मुल्के शाम में और तालीमो तरबियत चिश्त में हुई मज़ारे मुबारक भी शहर अक्का में है जो मम्लुकते शाम में ही वाकेअ है।
📔 नफ्हातुल उन्स सफह 558
•••➲ रिवायत है कि आप मुरीद होने के इरादे से मुल्के शाम से शैखुल मशाइख हज़रत ख्वाजा मुमशाद अलू दीनौरी कुद्दि स सिर्राहू की बारगाह में बगदाद पहुँचे । हज़रत ख्वाजा ने दरयाफ्त फरमाया तुम्हारा क्या नाम है?
•••➲ आप ने जवाब दिया मुझे अबू इसहाक़ शामी कहते हैं , फिर हज़रत ने फरमाया आज से लोग तुम्हें अबू इसहाक चिश्ती कहेंगे चिश्त और उस अलाके के लोग तुम से रहनुमाई पाएंगे और जो तेरे सिलसिलए इरादत में दाखिल होगा उस को भी कियामत तक लोग चिश्ती कहेंगे।..✍
📕 मिश्रीतुल असरार सफह 371
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 43-44 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 37
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ हज़रत शैख़ अबू इसहाक चिश्ती शामी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ हल्कए इरादत में दाखिल फरमाकर तरबियत के बाद हज़रत शैख़ अलू दीनौरी ने आप को चिश्त भेज दिया आप ने वहाँ जाकर एक मरकज़े तरबियत काइम फरमाया जहाँ से सलिसिलए चिश्तिया का आगाज़ और उस का फरोग हुआ। नफ्हातुल उन्स , में है कि : शैख़ अबू इसहाक शामी चिश्त तशरीफ लेगए और वहाँ हज़रत ख्वाजा अहमद अबदाल को जो चिश्त के मशाइखे किबार में से हैं अपनी सुहबत और तरबियत से मुसतफीज़ फरमाया और यह सिलसिला आप की हयाते तैय्यिबा तक जारी व सारी रहा ( नफ्हातुल उन्स ) साहिबे , मिश्रीतुल अंसरार , आप की एक खुसूसियत का ज़िक्र करते हुए लिखते हैं। हज़रत ख्वाजा अबू इसहाक शामी चिश्ती मुकाशफात के पोशीदा रखने में बेहद कोशिश फरमाते थे इस लिए आप ने सूरते सहव इख़्तियार कर रखी थी ताकि अवाम आप के कमालात से मुततला न हों और सूफियाए किराम के नजदीक यह मकाम बहुत बलन्द है।..✍
📔 मिआतुल असरार बहवालए सै ल औलिया सफह 374
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 44 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 38
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ हिन्दुस्तान में सिलसिलए चिश्तिया ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ हिन्दुस्तान में सिलसिलए चिश्तिया की आमद सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ की ज़ाते पाक से मुन्सलिक है और आप के वुरूदे मस्ऊद से ही इस सिलसिले का फैज़ान यहाँ जारी हुआ। आप ने अपनी हिकमते अमली , जाँगुसल जिद्दो जहद , खुदादाद ताक़तो कुव्वत , कश्फो करामात और तसर्लफो ताईदे गैबी के ज़रीआ इस्लाम का नूर फैलाया और इसलाहे हाल व तकियए नफ्स का - हैरत अंगेज़ कारनामा भी अन्जाम दिया। आप के किरदारो अमल की खुशबू से पूरा मुल्क मुअत्तर होगया और आप के गिर्द जाँनिसारों का हुजूम रहने लगा आप ने अपने खुलफा और मुरीदीन की एक ऐसी जमाअत तैय्यार की जिस के अफराद मुल्क के मुख़्तलिफ हिस्सों में जाकर अपने मुर्शिद की नियाबत के फराइज़ अन्जाम देने लगे जिस के नतीजे में पूरे मुल्क में इस्लाम की इशाअत और सिलसिलए चिश्तिया का फरोग निहायत तेज़रफ्तारी से होने लगा यही वजह है कि आज चिश्तियत और हिन्दुस्तान एक दूसरे के लिए लाज़िमो मलजूम की हैसियत से मशहूरो मुतआरफ हैं अगरचे आप के अहद में आप के पीरभाई और मुरीदीनो खुलफा के अलावा हिन्दुस्तान के मुख़्तलिफ अलाकों में बड़े बड़े उलमा व मशाइख मौजूद थे और अपने अपने अन्दाज़ में दीन की इशाअत के फराइज़ अन्जाम देरहे थे मगर उन के मसाई उन के आस पास के अलाकों तक महदूद थे लेकिन उन बुजुर्गों की ख़िदमात भी लाइके सताइश हैं। जेल में हम उन मआसिर बुजुर्गों में से चन्द के असमाए गिरामी दर्ज कर रहे हैं।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 44-45 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 39
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ के अहद के उलमा , मशाइख और मुजाहिदीन ❞*
❏ ________________________________ ❏
❶ •••➲ *हज़रत शैख़ मुबारक उर्फ मास्को शहीद* 598 हिज़री में जन्जान ( ईरान ) से हिन्दुस्तान आमद और जाजमऊ कानपूर में शहादत।
❏ ________________________________ ❏
❶ •••➲ *हज़रत शैख़ मुबारक उर्फ मास्को शहीद* 598 हिज़री में जन्जान ( ईरान ) से हिन्दुस्तान आमद और जाजमऊ कानपूर में शहादत।
❷ •••➲ *हज़रत काज़ी सिराजुद्दीन उर्फ दादामियाँ* 599 हिज़री में जन्जान से हिन्दुसतान आमद और जाजमऊ कानपूर में इन्तेकाल ( वहीं आप का मज़ारे अकदस मरजओ ख़लाइक हैम )
❸ •••➲ *सैय्यिद सदरुद्दीन कन्नौजी* 604 हिज़री में कन्नौज में मुकीम होकर इल्मी व दीनी खिदमात की अन्जामदही में मसरूफ थे। *( तज़्किरए उलमाए हिन्द )*
❹ •••➲ *शैख़ अबुल अब्बास नहावन्दी नहावन्द से हिन्दुस्तान आमद* 643 हिज़री में इन्तेकाल मज़ारे मुबारक देहली में हज़रत कुतुब साहब के क़दमों में है। *( सफीनतुल औलिया )*
❺ •••➲ *ख्वाजा अमादुद्दीन बिल्गिरामी* 614 हिज़री से कब्ल राजा बिलिगराम को अपनी रूहानी ताकत से शिकस्त देकर इस्लाम का बोल बाला किया।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 46 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 40
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
❝ सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ के अहद के उलमा , मशाइख और मुजाहिदीन ❞
••──────────────────────••
❻ •••➲ हजरत सैय्यिद मुहम्मद सुगरा 614 हिज़री में विलिगराम के राजा से मुकाबला आराई करके उस पर फतह पाई 645 हिज़री में विसाल फरमाया और वहीं मज़ारे मुकद्दस है। *(यादे हसन सफह 76)*
❼ •••➲ मौलाना हसन सेगानी लाहौरी लाहौर में 577 हिज़री में विलादत हुई 615 हिज़री में बगदाद जाकर मुकीम हुए 650 हिज़री में विसाल फरमाया और मक्कए मुअज्जमा में मदफून हुए।
❽ •••➲ मौलाना याअकूब शाफई सन्जरी सन्जर से नहरवाला ( गुजरात ) में अल्फ खाँ सन्जर के साथ आकर मुकीम हुए आप की निगरानी में सुल्तान सन्जर ने एक मस्जिद तामीर करवाई जिस की तकमील 655 हिज़री में हुई।
❾ •••➲ हज़रत शैख़ बहाउद्दीन ज़करीया मुल्तानी आप का ज़िक्र सलासिले तरीक़त के ज़िम्न में आइन्दा सफ्हात में मुलाहज़ा फरमाएं।
❶⓿ •••➲ हज़रत मखदूम शाहे आअला जाजमवी आप की विलादत 570 हिज़री में ज़न्जान ( अलाक़ए ईरान ) में हुई। 599 हिज़री के आग़ाज़ में देहली पहुंचे फिर वहाँ से जाजमऊ कानपूर पहुंचकर राजा जाज से जंग करके फतह हासिल की। 659 हिज़री में विसाल हुआ और वहीं आप का आस्ताना फैज़ बख़्शे आम है।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 46 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 41
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
••──────────────────────••
❶❶ ➪ सूफी हमीदुद्दीन नागौरी आप का विसाल 6 73 हिज़री में हुआ मज़ारे मुबारक शहर नागौर ( राजस्थान ) में है। ( तज़्किरए उलमाए हिन्द )
❶❷ सैय्यिद कुतुबुद्दीन मुहम्मद हसनी कड़ावी 581 हिज़री में ग़ज़नी में पैदा हुए सुल्तान कुतुबुद्दीन अल्तमश के अहदे सल्तनत में देहली तशरीफ लाए 677 हिज़री में कड़ा ( मानिकपूर ) में आप का विसाल हुआ और वहीं मज़ारे मुबारक है।
❶❸ ➪ हज़रत मख्दूम अली महाइमी आप के आबा व अजदाद मदीनए तैय्यिबा से हिजरत करके हिन्दुस्तान के साहिले समन्दर पर आकर मुकीम होगए थे आप का विसाल 835 हिज़री में हुआ माहिम बम्बई में आप का आस्ताना फैज़बख्शे आम है।
❶❹ मौलाना अमादुद्दीन गौरी आप के बाज़ असलाफ शहाबुद्दीन गौरी के साथ हिल्दुस्तान पहुँचे। इल्मी व दीनी बेशबहा ख़िदमात अन्जाम दीं!...✍
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 42
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
••──────────────────────••
•••➲ गुज़रता सफ्हात में इब्तेदाए इस्लाम से सरकारे ख़्वाजा गरीब नवाज़ के अहद और उस से मुत्तसिल बाद के अहद तक के उलमा व मशाइख का तकिरा किया गया जिन में एक से बढ़कर एक साहिबाने इल्मो फल , जुहदो तकवा , विलायतो करामत , सखावतो शुजाअत और खुलूसो लिल्लाहियत के अदीमुल मिसाल पैकर थे और अपने अपने दाइरए अमल में सख़्त से सख़्त मुश्किलात और अज़िय्यतों का सामना करके बलिक बाज़ सूरतों में अपनी जानें निसार करके इस्लाम की तरवीजो इशाअत का अहम फरीज़ा अन्जाम दिया जिस के असरात आज भी उन के मखसूस अलाकों में महसूस किए जासकते हैं मगर उन सब की सरदारी व शहन्शाही कुदरत की तरफ से हज़रत सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ के नाम मुक़द्दर थी इस लिए मुल्की सतह पर ही नहीं बल्कि आलमी पैमाने पर सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ के तब्लीगी मिशन की कामयाबी की धूम है और हर खुशअक़ीदा मुसलमान के दिल में बगैर किसी रद्दोकदह के सरकारे गरीब नवाज़ की अकीदत हज़ार जलदासामानियों के साथ रासिख है जो कयामत तक इसी तरह काइमो दाइम रहेगी और तमाम उलमा व मशाइख और औलियाए किराम व सूफियाए उज्जाम की गरदनें अजमेर शरीफ के शोहरा आफाक और आसमाँसिफत आस्ताने की तरफ हमेशा खम रहेंगी।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 48 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 43
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
••──────────────────────••
•••➲ सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज अपने जलालो जमाल के इम्तेजाज के साथ अजमेर की तारीख साज धरती पर हिन्दुस्तानी लोगों के दिलों की सफाई सुथराई में मस्रूफ थे तो दूसरी तरफ मुल्क के मुख्तलिफ हिस्सों में आप के हमअर उलमा व मशाइख और सूफियाए किराम (जिन में आप के पीरभाई , और खुलफा भी शामिल हैं ) अपने अपने तरीकए कार से इस्लाम की इशाअतो तरवीज की कोशिशों में हमातन मुन्हमिक थे। सिलसिलए चिश्तिया के अलावा दीगर सलासिले तरीकत के बुजुर्गाने दीन भी अपने मुर्शिदाने किराम के अहकामो इरशाद की तामीलो तकमील में अपनी इल्मी , इर्फानी और रूहानी कुव्वतें सर्फ कर रहे थे मगर हिन्दुस्तान में आने वाले तमाम सलासिले तसव्वुफ (जिन का तकिरा आगे आएगा ) में जो शोहरतो मकबूलियत सिलसिलए चिश्तिया को हासिल हुई वह किसी और को मयस्सर न होसकी अलबत्ता इन्तेदादे ज़माना के सबब इस का जोर कम होने के बाद इस मुल्क में सिलसिलए कादिरीया को उरूज हासिल हुआ बाकी तमाम सिलसिले जिमनी और जली हैसियत से अपनी ज़िन्दगी का सुबूत पेश कर रहे हैं।...✍
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 44
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
••──────────────────────••
•••➲ सिलसिलए चिश्तिया की मकबूलियत के दो बड़े असबाब बताए जाते हैं। एक तो यह कि चिश्ती बुजुर्गों ने हाकिमाने वक्त से अपने रवाबित नहीं रखे बलिक अवाम के पसमांदा तबकों से गहरा तअल्लुक काइम किया। सलातीने तुगलक के ज़माने तक सोहरवर्दी सिलसिले के बुजुर्गों को कस्से सुल्तानी में इतना असरी रुसूख हासिल था कि वह न सिर्फ हाजत्मन्दों की अर्जियों लेकर बादशाह को पेश कर देते थे बलिक हजरत रुक्नुद्दीन मुलतानी ने अपना रु सूख इस्तेअमाल करके मुहम्मद तुगलक के हाथों मुलतान को कतले आम से बचा लिया था। मगर चिश्तिया सिलसिले के बुजुर्ग उस के बरअक्स उन परीशानहाल , दरमाँदा और हाजत्मन्दों केलिए दुआ और तावीज ही पर कनाअत करते थे इस की नौबत तकरीबन नहीं आती थी कि वह किसी केलिए बादशाहे वक्त से सिफारिश भी करें। इस तरह इब्तेदा में इस खानवादे के बुजुर्गों ने तसनीफो तालीफ से भी एहतेराज किया।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 48-49 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 45
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
••──────────────────────••
•••➲ चुनाँचे अगर हजरत निजामुद्दीन औलिया कुदि स सिरहुल अजीज ने फरमाया कि : हमारे मशाइख में से किसी ने कोई किताब नहीं लिखी।
•••➲ तो इस का मतलब यह भी होसकता है कि चिश्ती बुजुर्गों ने तसव्वुफ के नज़रयाती मबाहिस पर ऐसी कोई तसनीफ नहीं छोड़ी जैसी मिसीदुल इबाद , कुव्वतुल कुलूब , कश्फुल महजूब , अत्तअर्रफ , अवारिफुल मआरिफ या आदाबुल मुरीदीन वगैरह हैं और इस का सबब यह है कि चिश्ती बुजुर्गों ने तसव्वुफ को सरासर , हाल समझा और उस में काल , को दख्ल नही दिया वह यह अकीदा रखते थे कि तसव्वुफ तमामतर अमल है उस का फलसफे की तरह शर्हो बयों में आना मुश्किल है और जो कुछ कैदे अलफाज़ में आएगा वह तसव्वुफ नहीं होगा।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 49-60 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 46
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
••──────────────────────••
•••➲ जैसा कि बयान किया जाचुका है कि हिन्दुस्तान में सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ से कष्ल भी बहुत से बुजुर्ग तशरीफ लाए जिन्हों ने तब्लीगो इशाअते दीन की काबिले कदर खिदमात अन्जाम दी लेकिन उन की जिद्दोजहद के असरात ज़ियादातर सिन्धो पंजाब तक महदूद रहे जहों मुसलमानों की हुकूमत काइम हो चुकी थी। वह कोई मुल्कगीर निजामे तब्लीग काइम न करसके और न तालीको तरबियत याफ्तगान की कोई ऐसी जमाअत तैय्यार करसके जो उन के बाद इस दाअवत को आगे बढ़ाती। सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज की खिदमात को उन पर कई वुजूह से फजीलत हासिल है।
*•••➲ पहली वजह : -* सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ सिलसिलए चितश्तया के बुजुर्ग थे। आप के यहाँ शरीअत की पाबन्दी पर सब से ज़ियादा जोर दिया जाता था। शरीअत की पाबन्दी के बगैर किसी साहिबे कमाल का कमाल मकबूलो महमूद नहीं ख्वाह वह हवा में उड़े , पानी पर चले , आग में कूद पड़े और दामन को आँच न आने दे। सरकारे ख्वाजा के नज़दीक किसी बुजुर्ग की सबसे बड़ी करामत यह है कि उस की कोई बात शरीअत के खिलाफ न हो।...✍
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 47
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
••──────────────────────••
•••➲ आप की तालीमात में ज़िक्रे इलाही , तिलावते कलामे पाक , इश्के रसूल , इत्तेबाले सुन्नत , केयामे सलात , कसरते सौम , जियारते खानए काअबा ( हज ) , खिदमते वालिदैन , ताजीमो महब्बते बुजुर्गाने दीन व उलमाए किराम और खिदमते मुर्शिद को ख़ास और बुन्यादी अहम्मियत हासिल है। आप ने अहले दुन्या को तर्के दुन्या की तालीम नहीं दी बल्कि दुन्या में अहकामे इलाही के मुताबिक ज़िन्दगी गुज़ारने का सलीका सिखाया।
•••➲ *दूसरी वजह : -* आप के लिए रसूले अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने तब्लहगी व इसलाही कोशिशों के लिए मरकज़ के तौर पर एक ऐसे मकाम का इन्तेखाब फरमाया जो एक हिन्दू राजा की राजधानी था! जहाँ उस वक्त तक इस्लाम की रौशनी की कोई शोआअ पहुंची थी न उस वक्त तक वहाँ इस्लामी हुकूमत के कदम जमे थे इस वजह से जो मसाइबो मुश्किलात पेश आई उन का आप ने निहायत साबितकदमी से मुकाबला किया और आप ही के मसाई से इस्लाम की रौशनी मुसलमानों के हुदूदे मम्लुकत याअनी सिन्ध , पंजाब और देहली वगैरह से निकलकर हिन्दुस्तान के गोशे गोशे में पहुंच गई और इस तरह इस्लाम का दाइरा वसीअ से वसीअ तर होता चला गया!...✍
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 48
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
••──────────────────────••
•••➲ *तीसरी चजहः -* आप का तरीकए तब्लीगो हिदायत भी हिन्दुस्तान की मखसूस फज़ा के मुताबिक था। हिन्दुस्तानी समाज में जात पात की तक्सीम थी , पेशे इज्जतो जिल्लत की बुन्याद थे। सरकारे ख्वाजा ने इस्लामी तालीमात का जो रुख उन के सामने सबसे पहले पेश किया वह यह था कि तमामा मखलूक खुदा का कुंबा है , मखलूके खुदा की खिदमत करना खुर्दा के नज़दीक बलन्द दर्जे का काम है। इज्जतो जिल्लत का मेअयार पेशा या हमारी काइम की हुई समाजी हदबन्दियाँ नहीं बल्कि इज्जत और बड़ाई का मेअयार नेकी और शराफत है। अल्लाह तआला के नजदीक इज्ज़तदार वह है जो लोगों में सबसे ज़ियादा नेक हो। किसी शख्स को महज़ जात या रंग रूप या किसी खास पेशे की वजह से दूसरे पर फजीलत हासिल नहीं। मुसलमान भाई भाई है!
•••➲ इन्सानियत का एहतेराम और हर मज़हबो मिल्लत के बुजुर्गों की इज्जत करना आअला दजे का अख़लाक़ है। आप ने बताया कि मज़हब किसी ख़ास तब्के की जागीर नहीं। मज़हब इन्सानियत की सलाहो फलाह का ज़रीआ है और हर शख्स को हक हासिल है कि उस की तालीमात को सीखे और उस पर अमल करे जिस तरह खुदा की नेअमतें आम हैं , ज़मीन की वुस्अतों में सब केलिए गुन्जाइश है , सूरज सब को रौशनी देता है , हवा सब को पहुँचती है , चाँद सितारे सब केलिए हैं उसी तरह अल्लाह की महब्बत तमाम मखलूक केलिए है पस जो उस से महब्बत करता है खुदा उस से महब्बत करता है जो उस के आगे सर झुकाता है खुदा उसे दुन्या में इज़्ज़त देता और उस का सर बलन्द करता है!...✍
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 49
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
••──────────────────────••
•••➲ सरकारे ख़्वाजा सबसे पहले लागों को इन आलमगीर सच्चाइयों की तरफ माइल करते थे , इन्सानियत की ख़िदमत , मखलूके खुदा से महब्बत और अफ्वो दरगुज़र , लोगों के हुकूक का एहतेराम और उन की पासदारी और जुल्मो फसाद से गुरेज़ वगैरह इस के साथ वह इस्लामी तालीमात में से तौहीदो रिसालत , उखुव्वते इस्लामी और मुसावात वगैरह की खुसूसियात उन के जेहन नशीं कराए। यही तालीम लोगों के इस्लाम कुबूल करने का सबब बन जाती थी उस के बाद अहकामे इस्लामी की तालीम और उन पर अमल करने की तलकीन फरमाते और साथ ही साथ इसलाहो तरबियत का सिलसिला जारी रहता। यह तरीकए तब्लीग ऐसा फितरी था कि जब एक मरतबा कोई शख्स अकीदत के साथ उन की तरफ मुतवज्जेह होजाता तो उस का क़दम पीछे नही हटता था और नामुम्किन था कि वह इस्लाम की सदाक़तो हक्कानियत पर ईमान न लेआए चेनाँचे आप की कोशिशों से हज़ारहा गैरमुस्लिम मुशर्रफ ब इस्लाम हुए जिन की किस्मत में कुफ्र लिखा था , जिन के दिलों पर मोहरें लगी हुई - थीं उन के लिए तो इस्लाम कुबूल करना मुम्किन न था लेकिन वह भी आप की तालीमात और आप के अख़लाको सीरत से मुतअस्सिर हुए बगैर न रहते थे यही वजह है कि आप के विसाल को तकरीबन आठ सौ बरस गुज़र चुके हैं लेकिन मुख्तलिफ मज़हबों और मिल्लतों के लोग आप से यकसाँ अकीदत रखते हैं और आप का मज़ार बिला तफरीके मज़हबो मिल्लत अवामो खवास हिन्दुओं और मुसलमानों का मरजओ अकीदत है!..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 53 📚*
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 50
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
❝ ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ का आफाकी निज़ामे तब्लीग ❞
••──────────────────────••
•••➲ *चौथी वजह : - *आप ने अपनी तालीमो तरबियत से एक ऐसी जमाअत तफय्यार कर दी जिस ने तब्लीगो इशाअते इस्लाम और इसलाहे उम्मत की दाअवत को हमेशा ज़िन्दा रखा और हिन्दुस्तान का चप्पा चप्पा इस्लाम की रौशनी से मुनव्वर हो गया! आप ने कमो बेश पछत्तर खुलफा को अपनी नियाबत के लिए तैय्यार किया जिन में से सिर्फ अजमेर शरीफ में 26 , देहली में 15 , मुलतान और कन्धार में दो दो और नागौर , बनारस , कन्नौज , अहमदाबाद , हिरात और गज़नी में आप का एक एक नाइब व खलीफा आप की नियाबत के लिए मौजूद था उस के अलावा और भी मुख़्तलिफ मकामात पर आप ने अपने खुलफा मुतऐय्यन फरमाए ताकि मुल्कगीर सतह पर तब्लीग का निज़ाम काइम हो सके।
•••➲ *पाँचवीं वजह : -* सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ को सुलतानुल हिन्द की हैसियत से हिन्दुस्तान भेजा गया था ज़ाहिर है कि वह अपनी कोशिशों को किसी एक ख़ित्ते और मुल्क के किसी एक गोशे में महदूद नहीं रख सकते थे आप के सामने तो पूरा कुफ्रज़ारे हिन्द था। चुनाँचे आप ने हिन्दुस्तान में तब्लीगो इशाअते इस्लाम के लिए एक मुसतकिल निज़ाम काइम कर दिया उस निज़ाम में मरकज़ी हैसियत दारुलखैर अजमेर शरीफ को हासिल थी उस के तहत दूसरे मराकिज़ सरगर्मे अमल थे!..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 53 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 51
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
••──────────────────────••
•••➲ शिमाली हिनद में देहली और बनारस दो बड़े मरकज़ थे। देहली में आप के चहीते खलीफा हज़रत ख्वाजा कुतबुद्दीन बख्तियार काकी कुद्दि स सिहू और बनारस में आप के खलीफा शैख़ कादिर सईद रहमतुल्लाहि तआला अलैह रुश्दो हिदायत के कामों में मसरूफ थे , वस्ती , हिन्द में नागौर अहम मरकज़ था जहाँ आप के मशहूर खलीफा सूफी हमीदुद्दीन नागौरी रहमतुल्लाहि तआला अलैह मन्सबे रुश्दो हिदायत पर फाइज़ थे। मरिरबी हिन्द में लाहौर और मुलतान बड़े मरकज़ थे। लाहौर में हज़रत बाबा फरीदुद्दीन गंजे शकर मखलूके खुदा की ख़िदमतो हिदायत के लिए कोशाँ थे। हज़रत गंजे शकर अगरचे आप के खलीफा हल ख़्वाजा कुतबुद्दीन बख्तियार काकी रहमतुल्लाहि तआला अलैह बैअत और उन के ख़लीफा थे लेकिन उन्हों ने सरकारे ख्वाजा से भी फैज़ हासिल किया था , मुलतान में हज़रत शैख़ वजीहुद्दीन आपं के खलीफा तब्लीगो इशाअते दीन में मसरूफ थे। जुनूबी हिन्द में अहमदाबाद और शिमाली हिन्द में कन्नौज भी अहम मकामात थे अहमदाबाद में हज़रत शैख़ शमसुद्दीन लूकानी और कन्नौज में शैख फकीर मुहम्मद जमरूदी और शैख़ अहमद खाँ गिल्ज़नी आप के खलीफा व मुजाज़ थे। बंगाल में रैख़ जलालुद्दीन तबरेज़ी रुश्दो हिदायत और तब्लीगो इशाअते इस्लाम में मसरूफ थे। हज़रत शैख़ जलालुद्दीन तबरेज़ी पहले शैख़ अबू सईद तबरेज़ी से बैअत थे फिर हज़रत ख्वाजा उसमान हारवनी की सोहबत से फैज़ उठाया इस तअल्लुक की बिना पर उन्हें हज़रत ख्वाजा साहब से दिली इरादत थी वह हिन्दुस्तान तशरीफ लाए तो मुलतान होते हुए देहली पहुंचे और देहली से बंगाल का रुख किया। बंगाल का अलाका उस वक़्त तक सरकारे ख्वाजा ने किसी को तफ्वीज़ नहीं किया था इस लिए उन का वहाँ जाना उसी निज़ामे रुश्दो हिदायत की पाबन्दी थी जो सरकारे ख्वाजा ने हिन्दुस्तान के लिए तरतीब दिया था। राजपुताना में बयाना ( भरत पूर ) का अलाका सैय्यिद मुईनुद्दीन को तफ्वीज़ किया , अजमेर में खुद सरकारे ख़्वाजा अपने दरजनों खुलफा और सैकड़ों मुरीदीन के साथ मौजूद थे। आप के गिर्द हमेशा बड़े बड़े औलिया व मशाइख़ का मजमा रहता और यह अलाका अनवारो तजल्लियाते इलाही से हमेशा जगमगाता रहता था..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 54 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 52
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
••──────────────────────••
•••➲ यहाँ हर मरकज़ से सिर्फ एक ख़लीफा का नाम लिया गया है जबकि एक एक मरकज़ में बयक वक़्त आप के कई कई बलन्द मरतबा खुलफा मौजूद थे और उन्हों ने इस सिलसिले को पूरे हिन्दुस्तान में फैला दिया था। और सरकारे ख़्वाजा का यह निज़ाम आप के बाद तकरीबन दो सदियों तक पूरे शबाब पर रहा और इस से पूरे मुल्क के गोशे गोशे में इस्लाम की तब्लीगो इशाअत और सिलसिलए चिश्तिया का फरोग होता रहा। मुल्क़ के मुख़्तलिफ हिस्सों ( शहरों , कसबों और दिहातों ) में चिश्ती बुजुर्गों की मशहूरो माअरूफ खानकाहें और उन के बाफैज़ आसताने इस बात की शहादत के लिए काफी हैं। चुनाँचे सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ के फुयूज़ो बरकात का सिलसिला आज भी जारी है और बरे सगीरे हिन्दो पाक के हर अलाके में सिलसिलए चिश्त अहले बहिश्त का कोई न कोई बुजुर्ग हमेशा हर ज़माने में मौजूद रहा है और यह निज़ म हिन्दुस्तान व पाकिस्तान ही तक महदूद नहीं गज़नी में ख़्वाजा मुहम्मद यादगार खुर्रम , हिरात में शैख़ वजीहुद्दीन खुरासानी और कन्धार में ख्वाजा सब्ज़ यादगारी आप के खुलफा व मुजाज़ थे उन बुजुर्गों का सिलसिला आज तक तमाम आलमे इस्लाम में फैला हुआ है!..✍
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 53
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
••──────────────────────••
•••➲ हिन्दुस्तान में तसव्वुफ के दो खनवादों ने सब से पहले नुफूज़ किया , सोहरवर्दी सिलसिला मुल्क के मरिरबी अलाकों में खासा मक़बूल हो चुका था और उस के मुबल्लिगीन शिमाली हिन्दुस्तान की तरफ भी बढ़ते आ रहे थे लेकिन चिश्तिया सिलसिले का फरोग सरकारे ख्वाजा मुईनुद्दीन हसन सन्जरी कत्रुद्दि स सिईहू के कुदूमे मैमनत लुजूम के साथ हुआ और आप ने मगिरबी सरहदों से आगे बढ़कर हिन्दुस्तान के कल्ब में अपने मिशन की तब्लीग की और अजमेर को हमेशा के लिए रूहानियों का किबलओ काअबा बना दिया। सोहरवर्दी सिलसिले के बानी हज़रत शैख़ शहाबुद्दीन उमर सोहरवर्दी से चिश्ती सिलसिले के बुजुर्गों ने भी फैज़ हासिल किया था और उन की बलन्दपाया तसनीफ , अवारिफुल मआरिफ , तो कहना चाहिए अहले तसव्वुफ की रहनुमा किताब थी और यह उन चन्द किताबों में से एक है जिन में एक तो कुरआनो सुन्नत की रौशनी में यह साबित किया गया है कि तसव्वुफ महज़ अजमी और गैर इस्लामी चीज़ नही है बल्कि यह दीन की रूह का नाम है!...✍
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 54
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ दीगर सलासिले तरीक़त ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ दूसरे उस के तमाम नज़री मबाहिस पर पूरी वज़ाहत से लिखा गया है। उलमाए ज़ाहिर ने अहले तसव्वुफ के खिलाफ जो महाज तैय्यार किया था उसे अवारिफुल मआरिफ ,और , कश्फुल महजूब , जैसी किताबों ने बैते अनकबूत से ज़ियादा कमज़ोर बना दिया और लेदे के सिर्फ एक समाअ का मस्अला ऐसा रह गया था जिस पर वह महज़र तैय्यार कर सकते थे। सोहरवर्दी बुजुर्गों ने तसव्वुफ़ के नज़री मवाहिस पर खूब खूब लिखा और यह सिलसिला बाद में कई सदियों तक जारी रहा। सिलसिलए सोहरवर्दिया व दीगर सलासिले तरीकत मसलन सिलसिलए कलन्दरिया , सिलसिलए कादिरीया , सिलसिलए नश्बन्दिया , सिलसिलए तैफूरिया और सिलसिलए फिर्दीसिया की हिन्दुस्तान में आमद , उन सलासिल के अहम मशाइख और बानी व मुनतहा की कदरे तफसील मुलाहज़ा कीजिए!..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 56-57 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 55
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सिलसिलए सोहरवर्दिया ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ जैसा कि ऊपर बयान किया गया कि सिलसिलए सोहरवर्दिया छटी सदी हिजरी में हिन्दुस्तान में आया। इस के लाने वाले हज़रत शैख़ बहाउद्दीन ज़करीया मुलतानी रहमतुल्लाहि तआला अलैह हैं। हज़रत सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ की हिन्दुस्तान तशरीफ आवरी से कुछ पहले हज़रत ज़करीया मुलतानी हज़रत शैख़ शहाबुद्दीन सोहरवर्दी से बैअतो ख़िलाफत का शरफ हासिल करके मुलतान तशरीफ लाए जो हिन्दुस्तान में इस सिलसिले के बानी हैं। सोहरवर्द सीन , और पहली रा , के ज़म्मा ( पेश ) के साथ ,सोहरवर्द , एक शहर का नाम है चुनाँचे , बहजतुल अस्रार , और , हाशियए मवाहिब , वगैरह में यही है और , तारीखे इब्ने खलकान , वगैरह में रा , के फत्हा ( ज़बर ) के साथ , सोह र वर्द , लिखा है। इसके अजम के जन्जान के नज़दीक एक शहर इस नाम का आबाद है। हज़रत शैख़ शहाबुद्दीन सोहरवर्दी उसी शहर के रहने वाले थे उसी निस्बत से आप सोहरवर्दी कहे जाते थे। आप के सोहरवर्दी होने के सबब यह सिलसिला भी सोहरवर्दिया के नाम से मशहूरो मुतआरफ हो गया!...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 57 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 56
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ शैख़ शहाबुद्दीन सोहरवर्दी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ सिलसिलए सोहरवर्दिया के बानी हज़रत शैख शहाबुद्दीन उमर सोहरवर्दी हैं। आप का नाम उमर इब्ने मुहम्मद अल बकरी , लकब शैखुश्शुयूख और कुन्नियत अबू हफ्स है। आप के वालिद का नाम शैख मुहम्मद कुरैशी सोहरवर्दी है। आप का सिलसिलए नसब हज़रत सैय्यिदुना अबूबकर सिद्दीक रदियल्लाहु तआला अन्हु तक पहुँचता है। कुतबे ज़माँ , गौसे जहाँ , आलिमे आमिल , फाजिर कामिल और पेशवाए शरीअतो तरीक़त थे। मज़हब शाफई रखते थे मुतअख्विरीने बग़दाद में आप बहुत मशहूर हुए। अरबाबे तरीकत दूरो नज़दीक से तरीकत के मसाइलो मआमलात में आप से रुजी करते थे। अपने चचा हज़रत ज़ियाउद्दीन अबुन्नजीब सोहरवर्दी के मुरीदो खलीफा थे और हुजूर गौसे आज़म सैय्यिदुना शैख मुहीयुद्दीन अब्दुल कादिर जीलानी बगदादी रदियल्लाहु तआला अन्ह की सोहबतो इजाज़त से भी मुशर्रफ होकर बड़े फवाइद हासिल किए थे। हज़रत गौसे आअज़म ने आप को मुखातब करके इरशाद फरमाया था , या उमरु अन्ता आखिरुल मशहूरीना फिल इराक , ऐ उमर ! तुम इराक के मुतअख्खिरीन में सब से ज़ियादा मशहूर होगे। *( इन्तेसाह अन ज़िक्रे अहलिस्सलाह )* !...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 57-58 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 57
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ शैख़ शहाबुद्दीन सोहरवर्दी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ हज़रत शैखुश्शुयूख खुद फरमाते हैं कि : अय्यामे जवानी में मैं इल्मे कलाम में मशगूल था और उस की चन्द किताबें मैंने याद कर रखी थीं मेरे अम्मे मुहतरम उस से मना फरमाते थे। एक दिन अम्मे मुहतरम मुझे हुजूर गौसे आअज़म की ख़िदमते बाबरकत में लेगए और मुझ से फरमाया कि ऐसे शख्स की बारगाह में हाज़िर होरहे हो जिस का दिल खुदाए पाक की खबर देता है तो उन के दीदार की बरकतों के मुन्तज़िर रहो।
•••➲ जब मैं हाज़िरे बारगाह होकर बैठ गया तो शैख अबुन्नजीब ने कहा हुजूर ! यह मेरा भतीजा ( बिरादर जादा ) इल्मे कलाम में मशगूल है हरचन्द मेरे मना करने के बावुजूद उस से बाज़ नहीं आता। हुजूर गौसुस्सकलैन ने फरमाया : तू ने कौन कौन सी किताबें याद कर रखी है ? मैं ने कहा फुलाँ फुलाँ किताब। आप ने अपना दस्ते मुबारक मेरे सीने पर रखा। खुदा की कसम उन किताबों का एक लफ्ज़ भी मेरी याददाश्त में महफूज न रहा अल्लाह तआला ने उस के तमाम मसाइल मेरे दिलो दमाग से फरामोश करके मुझे इल्मे लदुन्नी से माअमूर फरमा दिया। हज़रत शैखुश्शुयूख फरमाते हैं कि मुझे जो कुछ हासिल हुआ है वह शैख अबदुल कादिर जीलानी की बरकत हैं।
•••➲ आप के मशाहीर खुलफा में हज़रत नूरुद्दीन मुबारक गजनवी ,हज़रत बहाउद्दीन ज़ करीया मुलतानी , शैख नजीबुद्दीन मरअशी शीराज़ी , शैख़ हमीदुद्दीन नागौरी और मशहूर तरीन मुरीदों में हज़रत शैख़ मुस्लिहुद्दीन साअदी शीराज़ी ( रहमतुल्लाहि अलैहिम अजमईन ) हैं। आप की विलादत रजब 539 हिज़री में हुई और वफात 632 हिज़री में। आप का मज़ारे मुबारक बगदाद शरीफ में है। आप की तसानीफ में , अवारिफुल मआरिफ , बहुत मशहूरो मकबूल है। *( इन्तेसाह )* !...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 58-59 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 58
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ शैख़ बहाउद्दीन ज़करीया मुलतानी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ हज़रत शैख़ बहाउद्दीन ज़करीया मुलतानी कुद्दि स सिर्राहू हज़रत शैखुश्शुयूख शहाबुद्दीन सोहरवर्दी कुद्दि स सिर॑हू के कामिल तरीन खलीफा और मुरीद हैं। आप हिन्दुस्तान में सिलसिलए सोहरवर्दिया के पहले बुजुर्ग हैं जिन की ज़ात से इस मुल्क में सिलसिलए सोहरवर्दिया को काफी फरोग हासिल हुआ। आप का नामे नामी ज़करीया , कुन्नियत अबू मुहम्मदं और लकब बहाउद्दीन है। आप के वालिदे माजिद हज़रत वजीहुद्दीन इब्ने कमालुद्दीन अली शाह अलकरशी अलअसदी सुम्मल मुलतानी हैं। आप मुलतान के क़दीमी बाशिन्दे थे उलूमे ज़ाहिरो बातिन , फिक्हो हदीस और उसूलो फुरूम में कामिलो मुकम्मल और अपने अहद के कुतबो गौस और अकाबिरे औलियाए हिन्द में से थे। आप हनफीयुल मज़हब थे। उलूमे जाहिरी की तहसीलो तकमील के बाद पन्दरह साल तक दसै तदरीस के ज़रीआ लोगों को उलूम से। बहरावर किया हर रोज़ आप से सत्तर तलबा इस्तिफादा करते थे आप साहिबे कश्फो करामात और बड़े दरजात के हामिल थे।!...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 59 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 59
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ शैख़ बहाउद्दीन ज़करीया मुलतानी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ हज्जो ज़ियारते हरमैने तैय्यिबैन से वापसी पर बगदाद शरीफ हाज़िर हुए और हज़रत शैखुश्शुयूख से मुरीद होगए और उसी मौके पर आप के पीरो मुर्शिद ने आप को इजाज़तो खिलाफत से भी नवाज़ा। फिर आप शैखुश्शुयूख से रुख़सतो इजाज़त लेकर मुलतान में आकर मुकीम हो गए।
•••➲ रिवायत है कि हज़रत बहाउद्दीन ज़करीया मुलतानी का हज़रत शैख़ फरीदुद्दीन गंजे शकर से बड़ा गहरा लगाव और तअल्लुक था यह भी कौल है कि दोनों खालाज़ाद भाई थे। ( सफीनतुल औलिया , इन्तेसाह )
•••➲ आप की विलादते बासआदत रमज़ानुल मुबारक की शबे कदर शबे जुमा 566 हिज़री में और बाज़ कौल के मुताबिक़ 578 हिज़री में किला कोट में हुई और वफात 7 सफर बरोज़ पंजशंबा ( जुमेरात ) बादे नमाजे जुहर और बाज़ कौल में 17 सफर 666 हिज़री को एक सौ साल की उम्र में हुई। मुलतान में आप का मज़ारे मुबारक मशहूरो माअयूफ और मरजओ खलाइक है। *( सफीनतुल औलिया , इन्तेसाह , तज़्किरए उलमाए हिन्द )* ...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 59-60 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 60
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ काज़ी हमीदुद्दीन नागौरी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ आप का नाम मुहम्मद इब्ने अता है काज़ी हमीदुद्दीन के नाम से मशहूरो म तआरफ हैं आप शमसुद्दीन अलतमश के दौरे हुकूमत में थे। हज़रत शैखुश्शुयूख शहाबुद्दीन उमर सोहरवर्दी कुद्दि स सिईहू के मुरीदो खलीफा थे। लेकिन उन पर वज्दो समाअ का मशरब गालिब था। हिन्दुस्तान के मुतक़द्दिमीने मशाइख में से थे उलूमे ज़ाहिरो बातिन के जामेअ थे। गोया सिलसिलए सोहरवर्दिया की दूसरी शाख़ हिन्दुस्तान में आप के ज़रीआ आई। आप की बहुत सी तसानीफ हैं इश्को वलवला की ज़बान में बात करते थे उन में से एक , तवालेओ शुमूस है जो असमाए हुस्ना के फज़ाइल पर मुश्तमल है। 605 हिज़री में आप का विसाल हुआ मज़ारे मुबारक देहली में वाकेअ है। *( तज़्किरए उलमाए हिन्द )* ..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 60 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 61
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सिलसिलए कलन्दरिया ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ शैख़ अब्दुल अज़ीज़ मक्की इस सिलसिले के बानी और अस्ल हज़रत शैख़ अब्दुल अज़ीज़ , मक्की अलमाअरूफ ब अब्दुल्लाह अलमबार कलन्दर कुदि स सिईहू हैं और आप ही से मन्सुब सिलसिले को सिलसिलए कलन्दरिया कहा जाता है। आप असहाबे सुफ्फा में से एक सहाबिये रसूल और हज़रत सालेह अलैहिस्सलाम के नबाइर में से हैं। आप सरकार की तशरीफ आवरी से कब्ल ही जुहूरे नबवी क मुन्तज़िर थे। आप को सरकारे दो आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से बिला वास्ता शरफे बैअत हासिल है और हज़रत सिद्दीके अकबर और हज़रत अली रदियल्लाहु तआला अन्हुमा से भी इजाज़तो खिलाफत की फजीलत हासिल है। आप की उम्र शरीफ बाअज़ कौल के मुताबिक एक हज़ार साल और बाअज़ कौल के मुताबिक छ : सौ साल है। *( इन्तेसाह अन ज़िक्रिस्सलाह )* ...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 61 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 62
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सैय्यिद नजमुद्दीन गौसुद्दहर ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ सिलसिलए कलन्दरिया की एक शाख आप के ज़र आ हिन्दुस्तान आई। आप की विलादत 637 हिज़री में हुई आप के दादा सैय्यिद मुबारक गज़नवी ' कुद्दि स सिर्राहुल अज़ीज़ शैखुश्शुयूख शहाबुद्दीन उमर सोहरवर्दी कुद्दि स सिरींहू के ख़लीफा थे जिन को शैख़ ने हिदायतो इरशाद केलिए गज़नी भेजा था और फिर वहाँ से हिन्दुस्तान तशरीफ ले आए थे।
•••➲ सैय्यिद नजमुद्दीन गौसुद्दहर कुद्दि स सिहू सनदुल मजजूबीन हज़रत सैय्यिद ख़िज़र रूमी कुद्दि स सिईहू के मुरीदो खलीफा थे जिन को हज़रत निजामुद्दीन औलिया महबूबे इलाही कुद्दि स सिईहू ने हज़रत सैय्यिद ख़िज़र रूमी के पास भेजा था कि तुम्हारा हिस्सा उन के पास है चुनाँचे आप रूम पहुंचे और वहाँ उन से इक्तेसाचे फैज़ किया काफी अर्से तक आप अपने मुर्शिद के साथ सैरो सियाहत में रहे।
•••➲ आप का विसाल 837 हिज़री में हुआ तकरीबन दोसौ साल की उम्र पाई आप का मज़ारे मुबारक चन्दला हौज़ के पास कोहे माँडो में है। उसूलुल मकसूद ,के मुताबिक आप की कब्र रियासते मालवा में नौनहरा घाटी से मुत्तसिल गढ़ माँडो और मौज़ा मालचा के करीब है जहाँ सुलतान शहाबुद्दीन गौरी का महल और एक बड़ा हौज़ है उसी की मरिरबी सम्त में आप का मज़ारे मुबारक है और मश्रिकी सम्त में सुलतान का महल है। उस हौज़ को चन्दला तालाब भी कहते हैं और बाअज़ के बकौल वह तालाब बी बी बाँदी के नाम से भी जाना जाता है।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 61-62 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 63
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ हज़रत बू अली शाह कलन्दर ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ हिन्दुस्तान में सिलसिलए कलन्दरिया की दूसरी शाख़ के मुनतहा हज़रत शैख़ शफुद्दीन बू अली शाह कलन्दर कुद्दि स सिईहू हैं। आप हज़रत सैय्यिद ख़िज़र रूमी के मुरीद , ख़लीफा व जानशीन सैय्यिद बहरी कलन्दर कुद्दि स सिईहू के मुरीदो ख़लीफा हैं। बाअज़ कौल के मुताबिक़ हज़रत बू अली शाह कलन्दर हज़रत मौलाना शमसुद्दीन तब्रेज़ी और मौलाना जलालुद्दीन रूमी कुद्दि स सिहुमा के भी फैज़ याफ्ता हैं। आप खुद एक मक्तूब में फरमाते हैं कि : दर रूम मौलाना शमसुद्दीन तब्रेज़ी व मौलाना जलालुद्दीन रूमी रसीदा अम व अज़ ईशा नवाज़िश याफ्ता ब पानीपत आमदा मुकीम गश्तम। आप का मज़ारे मुबारक पानीपत ( हरियाना ) में है।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 62 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 64
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ हज़रत बू अली शाह कलन्दर ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ हज़रत सैय्यिद खिज़र रूमी कलन्दर हिन्दुस्तान में सिलसिलए कलन्दरिया के मुहर्रिक व मुनतहाए अव्वल हज़रत सैय्यिद खिज़र रूमी कलन्दर कुद्दि स सिईहू हज़रत शाह अबदुल अज़ीज़ मक्की कलन्दर के खलीफा थे। आप हिन्दुस्तान के शहर देहली में तशरीफ लाए तो हज़रत ख्वाजा कुतबुद्दीन बख्तियार काकी कुद्दि स सिहू ने आप को अपना खिळ पेश किया जबकि हज़रत सैय्यिद ख़िज़र रूमी उम्र में ख्वाजा कुतबुद्दीन बख्तियार काकी से तकरीबन एक सौ साल से भी ज़ियादा बड़े थे इस लिए हज़रत सैय्यिद खिज़र रूमी ने फरमाया कि ऐ लोगो ! देखो यह बच्चा मुझ से खेल कर रहा है। हज़रत ख्वाजा कुतबुद्दीन ने फरमाया कि यह मैं अपनी तरफ से नही कर रहा हूँ बल्कि मुझे जो ह क्म दिया गया है उस की ताअमील कर रहा हूँ फिर आप ने हज़रत ख़्वाजा कुतबुद्दीन साहब से सिलसिलए चिश्तिया की इजाज़तो खिलाफत , खिकी और कुलाह वगैरह कुबूल किए। आप की उम्र बाअज़ के क़ौल के मुताबिक छ : सौ साल है लेकिन सैय्यिद शाह बासित अली कलन्दर रहमतुललाहि तआला अलैह के बकौल हज़रत सैय्यिद खिज़र रूमी की विलादत पाँचवीं सदी के आग़ाज़ में और विसाल 13 रजब 750 हिज़री में हुआ जिस से आप की उम्र करीब साढ़े तीन सौ साल साबित होती है आप का मज़ार हिनदुस्तान के उस शहर में बताया जाता है जहाँ सुलतान शमसुद्दीन अलतमश के भानजे गाँची शहीद का मज़ार है लेकिन मनाकिबुल अस्फिया , के मुताबिक आप का मज़ार रूम में हैं!..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 62-63 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 65
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सिलसिलए कादिरिया ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ शैख़ अब्दुल कादिर जीलानी सिलसिलए कादिरिया के बानी और उस की अस्ल सैय्यिदुल अफराद ताजदारे बगदाद सैय्यिदुना शैख़ मुहीयुद्दीन अब्दुल कादिर जीलानी गौसे आअज़म बगदादी कुद्दि स सिढ हू की ज़ाते बाबरकात है। पूरी दुन्या का कौन सा मुसलमान है जो आप की शख़्सियत , फज़ाइलो कमालात और मरातिबो मनासिब से वाकिफ नहीं। आप की विलादते बासआदत 470 हिज़री या 471 हिज़री में और विसाल की या 562 हि0 में हुआ। आप का मज़ारे पुर अनवार शहरे बगदाद के बाबुश्शैख़ में फैज़ बख़्शे ख़ासो आम है। आप ही के नामे नामी से मनसूब सिलसिला कादिरिया कहलाता है और इसी नाम से दुन्या में मशहूरो माअरूफ है हिन्दुस्तान में सिलसिलए कादिरिया की मुतअघिद शाखें आई जिन से यहाँ इस सिलसिले को काफी फरोग हासिल हुआ। सिलसिलए चिश्तिया के बाद हिन्दुस्तान में सब से बड़ा दूसरा सिलसिला सिलसिलए कादिरिया ही है इस की मुतअघिद शाख़ों और उन के बानियों का ज़िक्र जेल में मुलाहज़ा कीजिए।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 63-64 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 66
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ काज़ी सिराजुद्दीन ज़न्जानवी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ सिराजुल औलिया हज़रत काज़ी सिराजुद्दीन जन्जानवी कुद्दि स सिरह हज़रत ज़ियाउद्दीन अबुन्नजीब सोहरवर्दी से बैअतो खिलाफत का शरफ रखने के साथ साथ हज़रत गौसे आअज़म सैय्यिदुना शैख़ मुहीयुद्दीन अब्दुल कादिर जीलानी कुद्दि स सिईहू से भी खिलाफतो इजाज़त के हामिल थे । 599 हिज़री में हिन्दुस्तान तशरीफ लाए मगर यहाँ आकर जाजमऊ ( कानपूर ) के राजा जाज से जंगो जिहाद में मशगूल होगए और थोड़े ही दिनों में आप का विसाल हो गया इस लिए सिलसिले के फरोग का मौका आप को मयस्सर न आसका। जाजमऊ कानपूर में ही आप का आस्तानए। हज़रत दादा मियाँ के नाम से आप का आस्ताना मरज खलाइक हैं।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 64 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 67
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ काज़ी सिराजुद्दीन ज़न्जानवी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ सैय्यिद नूरुद्दीन मुबारक गज़नवी हिन्दुस्तान में सिलसिलए कादिरिया की इशाअत का काम अनजाम देने वाले पहले बुजुर्ग हज़रत सैय्यिद नूरुद्दीन मुबारक गज़नवी कुद्दि स सिईहू हैं। आप मुरीदो खलीफा हैं हज़रत शैखुश्शुयूख शहाबुद्दीन उमर सोहरवर्दी कुद्दि स सिरींहू के और हज़रत शैखुश्शुयूख सिलसिलए कादिरिया के बिला वास्ता मुजाज़ हैं हुजूर गौसे आअज़म अब्दुल कादिर जीलानी बगदादी के!
•••➲ हज़रत शैखुश्शुयूख के ज़रीआ जहाँ एक तरफ सिलसिलए सोहरवर्दिया को फरोग हासिल हुआ वहीं दूसरी तरफ सिलसिलए कादिरिया ने भी आप की ज़ात के तवस्सुत से काफी फरोग पाया। हज़रत सैय्यिद नूरुद्दीन मुबारक ग़ज़नवी का सने विसाल 632 या 647 हिज़री है। मज़ारे मुबारक देहली में हौज़े शमसी के नज़दीक जानिबे शर्क में वाकेअ है। आप शैखुश्शुयूख शहाबुद्दीन सोहरवर्दी के ख़्वाहरज़ादा ( भान्जे ) भी हैं। शैखुश्शुयूख ने हिदायतो तरबियत के बाद आप को खिलाफतो इजाज़त से नवाज़ कर हिदायतो इरशाद केलिए बगदाद से गज़नी भेज दिया फिर आप देहली तशरीफ लेआए यहाँ सुलतान शमसुद्दीन अलतमश ने देहली का शैखुल इस्लाम मुकर्रर करदिया चुनाँचे आप मीरे देहली के नाम से मशहूर हुए।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 64-65 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 68
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ हज़रत शैख़ मुहम्मद गौस जीलानी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ हिन्दुसतान में तसव्वुफ और रूहानियत के ज़रीआ इस्लामी इन्केलाब पैदा करने केलिए काद री बुजुर्गों में हज़रत शैख़ मुहम्मद गौस जीलानी भी थे। जिन्हों ने मसनदे रुश्दो हिदायत पर जलवा अफ्रोज़ होकर लोगों को कुफ्रो शिर्क और फिसको फुजूर के अंधेरों से निकाल कर सुन्नतो शरीअत और तरीक़तो रूहानियत के उजालों में पहुंचा दिया। आप हज़रत शैख़ बहाउद्दीन ज़करीया मुलतानी कुद्दि स सिढेहू के हमअर थे आप का केयाम औच में रहा और वही आप का मज़ारे मुबारक भी है। हिन्दुस्तान में सिलसिलए कादिरिया की दूसरी शाख़ आप के ज़रीआ आई!...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 65 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 69
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ हज़रत शैख़ बहाउद्दीन कादरी अनसारी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ सिलसिलए कादिरिया की तीसरी शाख़ हज़रत शैख़ बहाउद्दीन अनसारी शत्तारी कादरी कुद्दि स सिईहू के ज़रीआ हिन्दुस्तान में आई। किताब वफियातुल औलिया ,में लिखा है कि शैख बहाउद्दीन इब्ने इब्राहीम इब्ने अताउल्लाह अनसारी कादरी हुसैनी शत्तारी साहिबे हालातो जामेले करामातो बरकात थे। आप का वतने असली जुन्द , मुज़ाफाते सरहिन्द था किसी बादशाह की इस्तिदआ पर आप सुलतान गयासुद्दीन इब्ने सुलतान महरा खिलजी के अहद में देहली आकर मुकीम हुए फिर वहाँ से दी दकन का रुख करके शहर बीदर में सुकूनत इख्तियार फरमाई। आप कादरी थे और मशरब शत्तारी रखते थे। आप ने एक रिसाला लिखा है जिस में सिलसिलए कादिरिया की तरफ अपनी निस्वन का तफसीली जिक्र किया है। अमीरुल मूमिनीन हज़रत अलीये मुर्तज़ा करफमल्लाहु वजहहू से हज़रत गौसे आ अज़म शैख मुहीयुद्दीन अब्दुल कादिर जीलानी रदियल्लाहु तआला अन्हु तक का जिक्र करके फरमाते हैं। , व लक्क ना लिइनिहिस्सईदि अब्दिर्रज़्ज़ाकिल बग्दादी व लक्कनश्शैखु अब्दुर्रज़्ज़ाकि शैख़म बाअदा शैखिन इला शैखी व मुर्शिदिस्सैय्यिदि अहमदल जीलीय्यिल कादिरीय्यिश्शाफईय्यि फशैखी लक्क ननी व अरशदनी कलिमतत्तौहीदि व जमीअल अज़्कारि व अल्बसनिल खिर्क तल कादिरीय्यति फिल हरमिश्शरीफि तहाह बाबल काअबति व अजाज़नी इजाज़तम मुतलकतम बिअन उजी ज़ मैंय्यस्तजीजुनी व उलक्कि न व उल्बि स मैंय्यस्तलकिनु मिन्नी।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 65-66 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 70
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ हज़रत शैख़ बहाउद्दीन कादरी अनसारी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ हज़रत सैय्यिदुना गौसे आज़म ने ) अपने सआदत मन्द बेटे हज़रत सैय्यिद अब्दुर्रज्जाक बग़दादी को तलकीन की और शैख़ अब्दुर्रज्जाक ने एक शैख़ के बाद एक शैख़ को मेरे शैखो मुर्शिद हज़रत सैय्यिद अहमद जीलानी शाफई तक फिर मेरे शैख़ ने मुझ को तलकीन की और कलिमए तौहीद व जुम्ला अज़्क र की ताअलीम दी और हरम शरीफ में ख़ानए काअबा के दरवाजे के सामने मुझ को खिर्कए कादिरिया पहनाया और मुझे ऐसी मुतलक इजाज़त अता फरमाई कि मैं उसे इजाज़त दूँ जो मुझ से इजाजत चाहे और उसे तलकीन करूं और खिड़ी पहनाऊँ जो मुझ से तलकीन और ख़िी पहन्ना चाहे।
•••➲ हज़रत शैख अब्दुल हक़ मुहद्दिस देहलवी ने भी अख़बारुल अख्यार , में आप का ज़िक्र इसी तरह किया है इस से माअलूम हुआ कि हजरत शैख बहाउद्दीन अनसारी कादरी शत्तारी रहमतुल्लाहि तआला अलैह को बैअत , इजाज़त , खिलाफत और तरबियत का शरफ हजरत सैय्यिद अहमद जीलानी बगदादी रहमतुल्लाहि तआला अलैह से हासिल था जिन का मज़ारे मुबारक बगदादे मुअल्ला में है।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 66-67 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 71
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ हज़रत शैख़ बहाउद्दीन कादरी अनसारी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ कश्फुल मुतवारी में है कि हज़रत शैख़ बहाउद्दीन कुद्दि स सिढेहू के मुरीदो खलीफा बहुत थे। उन में से एक शैख़ मुहम्मद इबने शैख़ इब्राहीम मुलतानी जो आप की वफात के बाद शहर बीदर में अपने पीर के सज्जादा नशीन हुए और एक हज़रत सैय्यिद इब्राहीम एरजी रहमतुल्लाहि तआला अलैह हैं जो सैय यिदुना गौसे आअज़म के नबाइर में से हैं और जिन का मज़ारे पाक देहली में हज़रत निजामुद्दीन औलिया के आस्ताने के अहाते में हज़रत अमीर खुस्रो रहमतुल्लाहि तआला अलैह के मज़ार के करीब अलग एक कमरे में है। फी ज़माना जो सिलसिलए कादिरिया बरकातिया रज़विया का फरोग बहुत तेज़ी से हुआ और होरहा है जो सिर्फ हिन्दुस्तान में ही नहीं बल्कि दुन्या के हर उस ख़ित्ते में जहाँ भी मुसलमान आबाद हैं इस सिलसिल से बैअतो इरादत और अकीदतो महब्बत रखने वाले कसीर ताअदाद में मौजूद हैं वह सिलसिलए कादिरिया की इसी शाख़ का फैज़ान है।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 67 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 72
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ हज़रत शैख़ बहाउद्दीन कादरी अनसारी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ हज़रत शैख़ बहाउद्दीन कुद्दि स सिहू को खुशबू सूंघने पर ऐसी कैफियंत तारी हो जाती थी कि हलाकत के करीब पहुँच जाते थे इस लिए आप के विसाल का सबब भी खुशबू ही बनी। आप काफी कमज़ोर हो गए थे और उसी हालते नकाहत में किसी ने खुशबूदार चीज़ों का मुरक्कब , गालिया , लाकर आप के सामने रख दिया उस की खुशबू मिलते ही आप पर कैफियत तारी हुई और उसी आलम में 11 जिल्हिज्जा 921 हिज़री को आप की रूह कफसे उन्सुरी से परवाज़ कर गई। मज़ारे पाक दकन के एक कसबा दौलताबाद में है ( जो अब सुबए महारष्ट्र में है ) जहाँ आप शैख़ बहाउद्दीन लंगोट बन्द अनसारी के नाम से भी मशहूर हैं।
•••➲ हिन्दुस्तान में सिलसिलए कादिरिया को सब से ज़ियादा फरोग आप की जाते बाबरकात से हुआ। ( उम्दतुस्सहाइफ फी अहलिल कश्फि वलमआरिफ अज़ मौलवी मुहम्मद अब्दुल करीम ह-नफी कादरी )...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 67 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 73
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ हज़रत शैख़ मुहम्मद गौस ग्वाल्यारी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ सिलसिलए कादिरिया की चौथी शाख हिनदुस्तान में हजरत शैख़ मुहम्मद गौस ग्वाल्यारी रहमतुल्लाहि तआला अलैह के ज़रीआ पहुँची। आप सिलसिलए कादिरिया शत्तारिया में हज़रत हाजी हमीद रहमतुल्लाहि तआला अलैह के मुरीदो खलीफा हैं। इब्तेदाई ज़माने में आप बारह साल तक कोहे चुनार ( विलायते हलब ) के दामन में सख्त तरीन रियाज़तें करते रहे पहाड़ों के दामन में रहाइश इख़्तियार करके दरख्तों के पत्ते खाते रहे। हुमायूँ बादशाह आप से बड़ी अकीदत रखता था उन की हुकूमत के ज़वाल के बाद शेरशाह सूरी दरपए आजार होगए तो शैख़ ने दकन का रुख किया जहाँ के सलातीन आप के हलकए एअतेकाद में आ गए।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 68 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 74
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ हज़रत शैख़ मुहम्मद गौस ग्वाल्यारी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ हज़रत शैख़ वजीहुद्दीन गुजराती भी आप के मुतीओ मुनकाद हो गए। 966 हिज़री में शैख ग्वाल्यारी गुजरात से आगरा आगए और अकबर बादशाह को अपनी अकीदत के धागे में पिरो लिया मगर जल्द ही यह बादशाह भी साज़िशों का शिकार होकर मुन्हरिफ हो गया। उन की सोहबत बैरम खाँ और शैख़ गुदड़ी को रास नहीं आई। रन्जीदा होकर शैख ग्वाल्यार तशरीफ लेआए जहाँ एक खानकाह ताअमीर करवाई। आप बड़े मुतवाज़ेअ और मुन्कसिरुल मिज़ाज थे हर मुलाकाती का खड़े होकर इस्तिक्बाल करते थे। अपनी ज़बान पर कभी लफ्ज़े मन , ( मैं ) नहीं लाए। अपने को हमेशा फकीर ही कहते थे यहाँतक कि गल्ला तकसीम करते वक्त फरमाते कि इतने मीम नून ( मन ) गल्ला फुलाँ को देदो। अस्सी साल की उम्र पाकर 970 हिज़री में रेहलत फरमाई। ग्वाल्यार में ही आप का आस्ताना मशहूरो माअरूफ है।...✍ ( तज़्किरए उलमाए हिन्द )
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 68 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 75
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सिलसिलए नश्बन्दिया ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ हज़रत ख्वाजा बहाउद्दीन मुहम्मद : सलासिले तरीक़त में सिलसिलए नक्श्बन्दिया भी काफी अहम्मियत रखता है इस सिलसिले के बुजुर्गों ने भी हिन्दुस्तान में सलाहो फलाह और रुश्दो हिदायत के अहम और नुमायाँ कारनामे अनजाम दिए हैं। इस सिलसिले के बानी हज़रत शैख़ ख्वाजा बहाउद्दीन मुहम्मद इब्ने मुहम्मद बुखारी अलमाअरूफ ब नक्श्वन्द रहमतुल्लाहि तआला अलैह हैं।
•••➲ रिसालए बहाइया, जो हज़रत शैख़ के मकालात पर मुश्तमल है उस में तहरीर है। हज़रत शैख़ फरमाते हैं कि मैं और मेरे वालिद कम्ख्वाब बाफी और नरबन्दी के शग्ल में मशगूल थे यही हमारा मशगला और पेशा था इसी सबब से लोग मुझे नरबन्द कहते हैं। सफीनतुलं औलिया , और , अल इन्तेबाह , वगैरह में भी इसी तरह लिखा है अलबत्ता लताइफे अशरफी , में नरबन्दी की वज्हे तस्मिया बयान करते हुए आप को , बुजुर्गी की सूरतगरी नक्शगरी करने वाला , कहा गया है। कि यह मकाम उन को हासिल था या माअलूमो माअहूद का तसव्वुर करना जो कैफियत उस से हासिल होती है।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 69 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 76
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सिलसिलए नश्बन्दिया ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ आप की विलादते बासआदत मुहर्रम 718 हिज़री और बाअज़ कौल के मुताबिक 728 हिज़री में हज़रत ख्वाजा अली रामेतनी के अहद में हुई बचपन ही से विलायत , हिदायत और करामत के अनवारो आसार आप के रूए अनवर से साफ जाहिर थे। आदाबे तरीकत की ताअलीम हज़रत अमीर कलाल रहमतुल्लाहि तआला अलैह से हासिल हुई , दादापीर हज़रत ख्वाजा मुहम्मद बार समासी रहमतुल्लाहि तआला अलैह से भी इक्तेसाबे फैज़ किया और रूहानी तरबियत हजरत ख्वाजा अब्दुल खालिक गज्दवानी रहमतुल्लाहि तआला अलैह से पाई। आप का विसाल 3 रबीउल अव्वल शबे दोशंबा 791 हिज़री में हुआ मज़ारे मुबारक कसबा आरिफाँ में है जो शहरे बुखारा से एक फरसंग की दूरी पर वाकेअ है।..✍ *( इन्तेसाह )*
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 69-70 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 77
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ हज़रत ख्वाजा बाकी बिल्लाह ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ हिन्दुस्तान में सिलसिलए नश्बन्दिया के मरकज़ो मुन्तहा हज़रत ख्वाजा बाकी बिल्लाह कुद्दि सं सिर॑हू हैं। , तब्कात , में है कि आप का आबाई वतन समरकन्द है , आप की विलादत काबुल में हुई आप उवैसी थे हज़रत ख्वाजा एहरार की रूहानियत से आप ने तरबियत पाई रियरजातो मुजाहदात और हुसूले कमालात के बाद हज़रत ख्वाजा एहरार के रूहानी इशारे के मुताबिक मौलाना ख़्वाजा अमकनकी रहमतुल्लाहि तआला अलैह के सिलसिलए इरादत से मुन्सलिक हो गए। बैअत के बाद तीन दिन दौलतो नेअमत हासिल करके वहाँ से रुखसत हो गए और अमकनक ( मुज़ाफाते समरकन्द ) से रवाना होकर आप देहली तशरीफ ले आए।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 70 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 78
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ हज़रत ख्वाजा बाकी बिल्लाह ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ आप का विसाल 25 जुमादस्सानी 1012 हिज़री में हुआ मरकदे मुबारक मुहल्ला कन्जश्कगीराँ निज़दे क़दमे रसूल देहली में वाकेअ है आप को उम्र कुल चालीस साल मिली मगर इतने ही अर्से में आप ने हिन्दुस्तान में बेशुमार लागों की हिदायतो रहनुमाई फरमाई और बहुत से लोगों को इजाज़तो खिलाफत से नवाज़ा जिस के नतीजे में पूरे मुल्क में सिलसिलए नक्श्बन्दिया के बेशुमार बुजुर्गाने दीन के आस्ताने मरजओ ख़लाइक हैं और आज भी इस सिलसिले से मुल्सलिक अफराद बड़ी ताअदाद में हिन्दुस्तान में पाए जाते हैं।
•••➲ हज़रत शैख़ अहमद सरहिन्दी मुजद्दिदे अलफे सानी रहमतुल्लाहि तआला अलैह आप के मशहूर तरीन खलीफा हैं।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 70 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 79
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सिलसिलए तैफूरिया हज़रत ख्वाजा बायज़ीद बुस्तामी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ हिन्दुस्तान में इस्लाम की तरवीजो इशाअत की ख़िदमात अनजाम देने वाले बुजुर्गाने दीन में सिलसिलए तैफूरिया से मुन्सलिक शख़सीयात भी शामिल हैं इस सिलसिले को निसबत हासिल है हज़रत तैफूर शामी अलमाअरूफ ब ख्वाजा बायज़ीद बुसतामी की जाते वालासिफात से , तारीखे इब्ने खलकान में है कि आप का नाम तैफूर बिन ईसा बिन आदम बिन ईसा बिन अली अलबुसतामी कुद्दि स सिर॑हुस्सामी है। साहिबे अल मुअज्जमुल बुल्दान कहते हैं कि बुसताम एक बड़ा दिहात है जिस की निसबत से आप बुसतामी कहलाते हैं।
•••➲ आप का लकब सुललतानुल आरिफीन और नाम तैफूर बिन ईसा है। आप के दादा आतिश परस्त थे जो इस्लाम के शरफ से मुशर्रफ हो गए थे। आप का अस्ल वतन बुसताम है। साहिबे , तकिरतुल औलिया लिखते हैं कि , आप ने एक सौ तेरह पीरों की ख़िदमत की है उन्हीं में से हज़रत सैय्यिदुना इमाम जाअफर सादिक रदियल्लाहु तआला अन्हु भी हैं । हज़रत जुनैद बगदादी फरमाते हैं कि बायज़ीद हमारे दरमियान ऐसे थे जैसे मलाइका में हज़रत जिबरईले अमीन। सलिसिलए तैफूरिया आप ही से मन्सूब है। इस तरीक़ए सुलूक की बुन्याद सुक्रो गलबा पर है!...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 70 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 80
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सिलसिलए तैफूरिया हज़रत ख्वाजा बायज़ीद बुस्तामी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ आप का विसाल 15 शाअबान 261 हिज़री में हुआ मज़ारे मुबारक बुसताम में है। आप की उम्र एक सौ पचीस साल हुई। वाज़ेह हो कि यही सिलसिला आगे बढ़कर दो हिस्सों में मुन्कसिम होगया जिस की एक शाख़ सिलसिलए नक्श्बन्दिया और दूसरी सिलसिलए मदारिया के नाम से जानी जाती है।
•••➲ सिलसिलए तैफूरिया एक तरीके से हज़रत अलीये मुर्तज़ा करीमल्लाहु तआला सैय्यिदुना सीरते ख्वाजा वजहहू तक पहुँचता है और एक तरीके से हज़रत सैशि अबूबक्र सिद्दीक रदियल्लाहु तआला अन्हु तक जाता है। ( इन्तेसा सिलसिलए तैफूरिया की नश्वन्दी शाख़ हज़रत सैर खिज़र रूमी रहमतुल्लाहि अलैह के ज़रीआ हिन्दुस्तान में आई का तज़्किरा सिलसिलए कलन्दरिया के तहत गुज़शता सफ्हात किया जाचुका है और सिलसिलए मदारिया हज़रत शैख़ बदीउडी कुतबुल मदार रहमतुल्लाहि तआला अलैह के ज़रीआ आई।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 71-72 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 81
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ शाह बदीउद्दीन कुतबुल मदार ❞*
❏ ________________________________ ❏
❏ ________________________________ ❏
•••➲ हज़रत कुतबुल मदार की विलादत 300 हिज़री और बकौले बाअज़ 250 हिज़री में हुई आप की जाए पैदाइश दरयाए नील से तीन मन्ज़िल के फासले पर एक मौज़ा है। बाअज़ कौल के मुताबिक आप के वालिद का नाम अली हलबी था जैसा कि शाह हबीबुल्लाह कन्नौजी अपनी किताब , मनाकिबुल औलिया में लिखते हैं कि , आप के वालिद अली हलबी और वालिदा ख़ास मलक थीं। शाह मौसूफ ने बचपन ही में हलब छोरकर फुकरा की सोहबत इख्तियार करली और तरह तरह की रियाज़तों में मुनहमिक हो गए थे। फिर हज़रत तैफूर शामी बायज़ीद बुसतामी कुद्दि स सिईहू की ख़िदमत से इस्तिफादा किया। किताब कैय्यूमी , से मन्कूल है कि हज़रत शाह मदार के वालिद का नाम बन्दगी शाह अली और वालिदा का नाम बी बी ख़ास मलक और लकब बी बी हाज़िरा था। हज़रत शाह मदार कुरैश ख़ानदान से तअल्लुक रखते थे। आप की विलादत मौज़ा चुनार में हुई जो विलायते हलब में वाकेअ हैं।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 72 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 82
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ शाह बदीउद्दीन कुतबुल मदार ❞*
❏ ________________________________ ❏
❏ ________________________________ ❏
•••➲ आप ने अपने वतन अलाकए हलब ( शाम ) से मक्कए मुअज़्जमा - और फिर मदीनए मुनव्वरा पहुँचकर सरकार के रौज़ए पाक की ज़ियारत की यहाँतक कि खुद सरकारे दो आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने बकमाले रहमत आप का हाथ पकड़कर हकीकी इस्लाम की तलकीन फरमाई और हज़रत अलीये मुर्तजा की रूहानियत के सुपुर्द फरमाया फिर हज़रत शाह मदार सरकार के हुक्म के मुताबिक नजफे अशरफ के लिए रवाना हुए और वहाँ काम पूरा होने के बाद फिर मक्का आ गए। फिर चन्द दिनों के बाद गैबी हुक़्म से हिंदुस्तान की तरफ़ मुतवज्जेह हो गये।
•••➲ अलग़रज़ हज़रत शाह मदार अजमेर के रास्ते ( सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ के आस्तानए पाक पर अकीदतमन्दाना हाज़री देते और इक्तिसाबे फैज़ करते हुए ) अतराफो जवानिब की सैर करते हुए शहर कालपी पहुँचे और दरया के किनारे वाकेअ एक मस्जिद में केयाम फरमाया। वहाँ के हाकिम की बेतवज्जोही के सबब जौनपूर का सफर इख़्तियार किया और फरमाया कि कादिर खाँ वालिये कालपी ( वलद सुल्तान महमूद नबीरए सुल्तान फीरोज़ शाह देहली ) अपनी फिक्र करे!..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 72-73 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 83
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ शाह बदीउद्दीन कुतबुल मदार ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ हज़रत शाह मदार ने मुख्तलिफ मुलकों की सैर करने के बाद हिन्दुस्तान को अपना मसकन बनाया और यहाँ भी मुतअद्दिद शहरों का दौरा किया कालपी शरीफ से जौनपूर और लखनऊ वगैरह और दीगर शहरों के दौरों का पता चलता है आख़िर में आप ने अपना वतन मकन पूर ( कानपूर और कन्नौज के दरमियान एक कस्बे ) को बनाया जहाँ आप की खानकाह और आखरी आरामगाह आज भी मरजओ ख़लाइक है।
•••➲ साहिबे , इन्तेसाह के बकौल आप की विलादत 615 हिज़री में विलायते शाम में हुई और विसाल 18 जुमादल ऊला 840 हिज़री में सुल्तान इब्राहीम शरकी के अहदे सल्तनत में हिन्दुस्तान में हुई आप की उम्र दो सौ पचीस साल हुई है बाज़ कौल के मुताबिक़ आप की विलादत शहरे हलब मुलके शाम में यकुम शव्वाल दोशंबा के दिन सुब्हे सादिक़ के वक़्त 442 हिज़री में हुई।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 73 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 84
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सिलसिलए फिदौसिया शैख़ अबुन्नजीब फिदौसी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ यह सिलसिला हज़रत शैख़ अबुन्नजीब फिदौसी से मनसूब है और आप ही इस सिलसिले के बानी व मरकज़ हैं। फ़िर्दौसी फ़िर्दौसी से मनसूब है जो हलब से मुत्तसिल दमिश्क के नज़दीक एक मौज़ा है वही आप का वतने असली भी है। इसी वतनी निसबत से आप अपने नाम के साथ फ़िर्दौसी लिखने लगे और फिर यह निस्कत आप के नान का जुज़ बन गई। आप से तरीक़त का एक सिलसिला जारी हुआ जो सिलसिलए फिर्दीसिया के नाम से मुतआरफ हुआ हिन्दुस्तान में यह सिलसिला हज़रत बदरुद्दीन समरकन्दी और आप के मुरीदो ख़लीफा हज़रत शैख रुकनुद्दीन फिौसी के ज़रीआ दाखिल होकर परवान चढ़ा जेल में इख्तिसार के साथ दोनों बुजुर्गों के हालात पेश किए जा रहे हैं।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 73-74 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 85
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ शैख़ बदरुद्दीन समरकन्दी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ हज़रत शैख़ शरफुद्दीन यहया मनेरी ( मखदूम बिहारी ) रहमतुल्लाहि तआला अलैह के मलफूजात से माअलूम होता है कि आप हज़रत नजमुद्दीन कुबरा रहमतुल्लाहि तआला अलैह के ख़लीफा थे और सैरुल औलिया में है कि आप हज़रत शैख़ सैफुद्दीन बाख़िर्जी रहमतुल्लाहि तआला अलैह के खलीफा थे और शैख़ नजमुद्दीन कुबरा रहमतुल्लाहि तआला अलैह से भी आप की मुलाकात थी। सैरुल औलिया ही में है कि आप हज़रत शैख़ निज़ामुद्दीन औलिया की मज्लिस समाअ में हाज़िर रहकर समाअ सुनते थे। निहायत ही खूबसूरत और नेकसीरत थे जब हज़रत शैख़ बदरुद्दीन समरकन्दी रहमतुल्लाहि अलैह का विसाल हुआ तो आप को लोगों ने संगूला ( देहली ) में दफ्न कर दिया। खज़ीनतुल अस्फिया में है कि जब आप समरकन्द से हिन्दुस्तान तशरीफ लाए तो हज़रत शैख़ ख्वाजा निजामुद्दीन औलिया रहमतुल्लाहि अलैह की बाबरकत सोहबत से भी मुस्तफीज़ो मुस्तफीद हुए यहाँतक कि आप ही के खूलफा में शुमार होने लगे। आप की वफात 716 हिज़री में हुई तवील उम्र पाई और देहली ही में सुकूनत पज़ीर रहे। ( इन्तेसाह )..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 74 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 86
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ शैख रुकनुद्दीन फिदौसी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ हज़रत शैख़ रुकनुद्दीन फिर्दीसी रहमतुल्लाह तआला अलैह हज़रत शैख़ बदरुद्दीन फिर्दीसी समरकनदी रहमतुल्लाहि अलैह के मुरीदो खलीफा थे। अपने पीरो मुर्शिद के विसाल के बाद सज्जादए मशैखत पर जल्वा अफरोज़ हुए। हिन्दुस्तान में सिलसिलए फिौसिया आप ही के ज़रीआ फैला जो भी अपने आप को सिलसिलए फिौसिया से मुन्सलिक समझता है वह आप ही से मनसूब है। देहली में केयाम था। सुलतान मुइज्जुद्दीन कैकबाद ने किलोखरी में एक शहर आबाद किया था आप इस शहर से निकलकर दरया के किनारे एक झोंपड़ी बनाकर केयाम पज़ीर हो गए। आप का विसाल 724 हिज़री में हुआ मज़ारे मुबारक देहली में है। हज़रत शैख़ नजीबुद्दीन फिर्दीसी ( मज़ार देहली ) मख़दूम बिहारी हज़रत शैख़ शरफुद्दीन यहया मनेरी ( मज़ार मनेर शरीफ बिहार ) हज़रत शैख मुज़फ्फर बिन शमस बलखी ( मज़ार दर अदन ) हज़रत शैख़ हुसैन बिन मुइज़्ज़ शमस बलखी ( मज़ार दर बिहार ) वगैरह अजिल्लए औलियाए किराम इसी सिलसिले से मुनसलिक हैं।....✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 74-75 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 87
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ चिश्तिया की इन्फेरादियत ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ गुज़श्ता सफ्हात में हिन्दुस्तान में सरगर्मे अमल मुतअद्दिद सलासिले तरीकत की आमद और उन से मुनसलिक अहम शखसियात का तज़्किरा किया गया जिस से यह अनदाज़ा लगाना आसान होगया कि सिलसिलए कादिरिया की दो शाखों और सिलसिलए नरबन्दिया की के अलावा तमाम सलासिले तरीक़त सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ के अहद में या आप के अहद से मुत्तसिलन बाद के अहद में ही हिन्दुस्तान में दाखिल हुए खुसूसन सोहरवर्दी सिलसिला तो आप के साए की तरह हिन्दुस्तान में तक़रीबन आप के साथ साथ आया मगर सरकारे ख़्वाजा गरीब नवाज़ कुद्दि स सिह सिलसिलए चिश्तिया का ऐसा रौशन चराग बनकर तशरीफ लाए कि उस आफताबे चिश्तियत के सामने तमाम सलासिल सितारों की तरह अपनी रौशनी बिखेरने में नाकाम रहे नतीजे के तौर पर तमाम सलासिल अपने हामिल बुजुर्गों के आस पास के अलाकों तक सिमटकर रहगए और पूरे मुल्क में सिर्फ चितश्तया सिलसिले का ही तसल्लुतो इक्तिदार काइम होगया इस की वजह यह थी कि चिश्ती सिलसिले के बुजुर्गों ने तसव्वुफ की नज़री सूरत को छोड़ कर उस की अमली शक्ल पर अपनी तवज्जोह मरकूज़ रखी और उन्हें अपना पैगाम आम करने में जो कामयाबी मिली उस का राज़ यही था।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 75 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 88
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ चिश्तिया की इन्फेरादियत ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ फवाइदुल फवाद में है कि एक दिन एक नौजवान अपने एक हिन्दू दोस्त को लेकर हज़रत निजामुद्दीन औलिया रहमतुल्लाहि अलैह की खानकाह में आया और उस का तआरुफ कराते हुए कहा ई विरादरे मन अस्त हज़रत ने उस नौजवान से पूछा कि तुम्हारे इस भाई को इस्लाम की तरफ भी कुछ रगवत है या नहीं ? उस ने कहा कि मैं इसे मखदूम की ख़िदमत में लेकर इसी लिए हाज़िर हुआ हूँ कि आप की निगाह की बरकत से यह मुसलमान हो जाए।
•••➲ हजरत निजामुद्दीन औलिया की आँखें नम हो गई और फरमाया : ई कौम रा चन्दा बगुफ्ता कसे दिल नगरदद अम्मा अगर सोहबते सालेह बयाबद उम्मीद बाशद कि बबरकते सोहबते ऊ मुसलमान शवद ( इस कौम पर किसी के कहने सुन्ने का कोई असर नही होता हाँ अगर किसी सालेह की सोहबत नसीब हो जाए तो उम्मीद होती है कि उस की बरकत से मुसलमान हो जाए) ...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 76-77 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 89
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ चिश्तिया की इन्फेरादियत ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ यह वाकेआ फवाइदुल फवाद में 4 रमज़ान 717 हिज़री की मजिलस के बयान में ज़िमनन आ गया है लेकिन यह चिशती सूफिया के मिशन को समझने केलिए निहायत अहम और काबिले गौर नुकता है। खुद हज़रत का यह सुवाल करना कि , ई बिरादरे तू हेच मेल ब मुसलमानी दारद दाअवते हक से गहरे कल्बी तअल्लुक को ज़ाहिर करता है और जब उस लड़के ने दुआ की दरख्वास्त की तो आप का चश्मे पुरआब होजाना कुरआन के उस फरमान की निहायत गहरी और असली अमली तरजुमानी है कि वल्तकुम्मिन्कुम उम्मतुय्यदऊ न इललखे रि व याअमुर न बिलमाअरूफि व यन्हौ न अनिल्मुन्करि व उलााईक हुमुल मुफ्लिहून ( पारा 3 आयत 34 ) ( तुम में से एक जमाअत ऐसी हो जो लोगों को भलाई की दाअवत दे और अच्छे कामों का हुकम दे और बुरे कामों से रोके और यही लोग बामुराद हैं )...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 77 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 90
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ चिश्तिया की इन्फेरादियत ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ इस से यह भी ज़ाहिर होता है कि दाअवते इस्लाम की रूह को उन बुजुर्गों ने किस तरह समझा था।
•••➲ हदीस शरीफ में है कि अद्दीनु नसीहतुन दीन खैरख्वाही का नाम है और यही वह सच्ची खैरख्वाही है जो हज़रत निजामुद्दीन औलिया को इस मौके पर नमदीदा कर देती है। आप ने तब्लीगे दीन का उसूल भी बता दिया कि जिस खैर की तरफ तुम किसी को बुला रहे हो उस का नमन खुद बनकर दिखाओ तब दाअवत इललखैर का हक अदा होगा। कुरूने वुस्ता में उलमाए सू का किरदार जो कुछ भी रहा हो लेकिन जो साहिबे किरदार उलमाए शरअ थे उन्हों ने भी खूब समझ लिया था कि हिन्दुस्तान में दाअवते दीन केलिए तसव्वुफ ही की ज़रूरत है बहसो मुनाज़रे की नहीं।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 77-78 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 91
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ चिश्तिया की इन्फेरादियत ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ के एक हमअर आलिमे दीन हज़रत मौला ना रज़ियुद्दीन हसन सेगाानी रहमतुल्लाहि अलैह साहिबे मशारिकुल अनवार , ( जिन का तज़्किरा गुज़श्ता सफ्हात में किया जा चुका है ) बहुत मशहूरो मुमताज़ मुहद्दिस और आलिम दीन थे उन के मआसिर उलमा में कोई भी इल्मे हदीसो फिक्ह में उन का हम पाया न था वह उन माअदूदे चन्द उलमा में से थे जिन्हों ने उस ज़माने में बगदाद और हिजाज़ पहुँचकर हदीस की समाअत की थी।
•••➲ हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया ने , फवाइदुल फवाद में उन की ताअरीफ में बहुत कुछ फरमाया है। उन की तालीफ मशारिकुल अनवार , आज भी मदारिस में पढ़ाई जाती है और हदीस की मुस्तनद किताबों में शुमार होती है। अललामा सेगानी की एक और तालीफ , मिस्बाहुद्दुजा भी थी चुनाँचे मौलाना जब नागौर पहुंचे तो उन्हों ने एक महफिल में एक ही नशिस्त में पूरी मिस्बाहुद्दुजा, की किराअत कर डाली। समाअत करने वालों का बड़ा भारी मजमा था जिस में काज़ी हमीदुद्दीन नागौरी और काज़ी कमालुद्दीन जैसे फुज़ला भी इस्तिफादे के लिए मौजूद थे।..
✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह -78 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 92
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ तरबियते तसव्वुफ ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ मौलाना सेगानी खूब बड़ा सा अम्मामा बाँधते थे जिस की छोर आगे की तरफ लटकी होती थी। बहुत लम्बी चौड़ी आस्तीनों का कुर्ता होता था। यह उस ज़माने के उलमा की हैअत थी। यहीं नागौर के एक साहब ने मौलाना से बहुत इसरार किया कि मैं आप से कुछ इल्मे तसव्वुफ सीखना चाहता हूँ। मौलाना ने कहा कि यहाँ तो मुझे बिलकुल फुरसत नहीं है लोग हदीस की समाअत के लिए जमा होते हैं और इतना वक्त नहीं बचता कि तुम्हें इल्मे तसव्वुफ सिखाऊ अलबत्ता अगर तुम्हें ऐसी ही ख्वाहिश है तो मेरे साथ चलो जब हम गरीब मुसलमानों के अलाके में पहुँचेगे जहाँ इल्मे हदीसो फिक्ह के तलब्गारों का इतना हुजूम नहीं होगा मैं तुम्हें इतमीनान से इल्मे तसब्बुफ सिखाऊँगा चुनाँचे मौलाना और इल्मे तसव्वुफ के तालिबे इल्म नागौर से निकलकर जालौर की तरफ चल पड़े।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 78-79 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 93
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ तरबियते तसव्वुफ ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ गुजरात की सरहदों के शुरूअ होते ही मौलाना ने अपनी लम्बी आस्तीनों वाला कुर्ता और बड़ा अम्मामा लपेटकर एक बुक्चे में रखा और कोताह आस्तीनों का दुर्वेशों वाला लिबास ज़ेबे तन किया सर पर केलाह पांव में जूते की जगह खड़ांव आ गई एक मिट्टी का आबखोरा पानी पीने के लिए ले लिया और नमाजे नवाफिल पढ़ते हुए सफर की मन्ज़िलें तय करने लगे। जब इस तरह कई दिन गुज़र गए तो उस तालिबे इल्मे तसव्वुफ ने कहा कि , मौलाना आप ने फरमाया था कि मुझे कुछ इल्मे तसव्वुफ सिखाएंगे इसी उम्मीद पर मैं घर बार छोड़कर आप के साथ लग गया हूँ मगर आज इतने दिन हो गए आप ने एक बात भी नहीं सिखाई। मौलाना फरमाने लगे , मियाँ इल्मे तसव्वुफ काल , नहीं , हाल है जैसे मैं इबादत कर रहा हूँ और आम लोगों से बरताव कर रहा हूँ बस वैसे ही तुम भी किए जाओ यही इल्मे तसव्वुफ , कहलाता हैं।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 79 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 94
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ इस्लाम की अस्ल ताअलीम ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ मौलाना अपने ज़माने के बहुत बड़े आलिम और मुहद्दिस गुज़रे हैं उस दौर के जैय्यिद उलमा उन की सोहबत से इस्तिफादा करते थे लेकिन वह भी यह नुक्ता अच्छी तरह समझे हुए थे कि यह माअकूली और मन्कूली बहसें यह मुनाज़रे और मुकाबरे , यह फल्सफा और मन्तिक , यह मस्अले और तावीलें सिर्फ इस्लाम के ज़ाहिर को पेश कर सकती हैं उस की रूह को और भी ख़फी और बे असर बना देती हैं , इस्लाम की अस्ल तअलीम वही है जिसे सूफिया अपने अमल से पेश कर रहे हैं उसी ने हिन्दुस्तान में इस्लाम को फरोग दिया और दिलों को जोड़ने का काम किया है।
•••➲ चुनाँचे मौलाना सेगानी भी जब गैरमुस्लिम अक्सरियती अलाकों में जाते हैं तो सूफिया का लिबास ज़ेबे तन करलेते हैं और अपना चोंगा तह करके रख देते हैं!...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 79-80 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 95
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ तसव्वुफ की सोहरवर्दी और चिश्ती तशरीह ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ सोहरवर्दी सिलसिले के बुजुर्गों ने तसव्वुफ की नज़री सतह पर तशरीह की और उस के इल्मी व फल्सफियाना पहलुओं पर किताबें तसनीफ की जिन से दूसरे सिलसिले वालों ने भी फाइदा उठाया मगर अपने खानकाही निज़ामे अमल में उन्हों ने दीन और दुन्या के ज़ामो सिन्दाँ को एक तवाजुन के साथ यकजा रखना चाहा और हाकिमाने वक़्त पर भी असरअनदाज़ होने की कोशिश की इस लिए उन की खानकाहें ज़मानो मकान के एअतेबार से महदूद होकर रह गई जबकि चितश्तियों की खानकाहे छोटे छोटे दिहातो कस्बात तक में पहुँच गईऔर अवाम के दिलों में उन के लिए घर बन गए। इस दीनों दुन्या की आमेज़िश से पैदा होने वाले तज़ाद को इब्तेदा ही में महसूस करके चिश्ती सूफिया ने , तर्क , के फल्सफे पर जोर दिया और अपने मुरीदों को इस की तरबियत देने के लिए चहार तर्की , कुलाह पहनानी शुरूअ कर दी।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 80 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 96
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ तसव्वुफ की सोहरवर्दी और चिश्ती तशरीह ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ उन का कहना था कि : मर्द आली न शवद ता तर्के दुन्या न गीरद और उस तर्क का फल यह था कि जब देहली के शैखुल इस्लाम हज़रत कुतबुद्दीन बख्तियार काकी रहमतुल्लाहि तआला अलैह की मकबूलियत और हर दिल अज़ीज़ी से हसद होने लगा और उन की शिकायत पर सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ ने फरमाया कि : कुतबुद्दीन तुम मेरे साथ अजमेर चलो मैं नहीं चाहता कि मेरे किसी जानशीन की वजह से किसी को तकलीफ पहुंचे। और हजरत बख्तियार काकी अपने मुर्शिद के हुक्म की ताअमील में देहली को खैरबाद कहकर जाने लगे तो आप को रुख्सत करने के लिए हज़ारहा मर्द औरतें बूढे और बच्चे गिर्या व जारी करते हुए आप के पीछे पीछे शहर पनाह से बाहर तक निकल आए उस हुजूम में बूढा बादशाह अलतमश भी मौजूद था सब की यह हालत देख कर हजरत ख्वाजा दुजुर्ग ने कुतुब साहब को अपने साथ अजमेर ले जाने का इरादा बस्ख कर दिया।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 80 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 97
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ मुल्कगीरी के ज़रीआ इस्लाम की इशाअत ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ हिन्दुस्तान में जहाँ सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ कुद्दि स सिर्रहू की आमद और आप के काइम करदा जामेअ निज़ामे तब्लीग से यहाँ इस्लाम का बोल बाला हुआ वहीं मुस्लिम फातेहीन के जज़्बए जेहाद और ज़बर्दस्त इस्लामी अफवाज की जंगी हिक्मते अमली से भी हिन्दुस्तान में इस्लाम की जड़ें मज़बूत हुई हैं चुनाँचे इस सिलसिले में कुफ्रिस्ताने हिन्द बिलखुसूस अजमेर में आप ने ज़बर्दस्त नबर्द आज़माई की और जहाँतक रूहानी ताकत से उन्हें ज़ेर करना मुनासिब समझा आप ने उन बातिनी और गैबी कुव्वतों का मुजाहरा फरमाया लेकिन जब देखा कि प्रिथवीराज अपनी सल्तनत , हुकूमत , शौकतो सतवत , लावलश्कर और फौजी व अफरादी कुव्वतों के ज़ोअम में अख़लाकी व समाजी हदें पार करने की कोशिशों में मसरूफ है तो सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ ने अपनी रूहानी कुव्वत का सहारा लेकर इरशाद फरमाया ,प्रिथवीराज रा ज़िन्दा गिरफतार करदा ब लश्करे इस्लाम दांदेम , प्रिथवीराज को ज़िन्दा गिरफतार करके इस्लामी लश्कर के हवाले कर दिया।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 81 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 98
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ मुल्कगीरी के ज़रीआ इस्लाम की इशाअत ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ और उधर शहाबुद्दीन गौरी ( जो इस से कब्ल एक जंग में शिकस्त खाकर वापस जाचुके थे। ) ने आलमे ख्वाब में देखा कि कोई बुजुर्ग उन्हें हुक्म दे रहे हैं कि तुम हिन्दुस्तान पर हमला करो फतह तुम्हारा इन्तेज़ार कर रही है। चुनाँचे सुल्तान शहाबुद्दीन गौरी ने हिन्दुस्तान आकर तरावड़ी के मैदान में प्रिथवीराज से ज़बर्दस्त जंग करके उसे शिकस्ते फाश दी और इस्लामी हुकूमत की बुन्याद डाली जो हिन्दुस्तान में इस्लाम की इशाअत में मददगार साबित हुई 3 शाअबान 602 हिज़री 1206 ईस्वी को उस खुदा तर्स , आदिल और फैय्याज़ बादशाह को एक बातिनी ने गज़नी जाते हुए शहीद कर दिया।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 81 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 99
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ मुल्कगीरी के ज़रीआ इस्लाम की इशाअत ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ उन के बाद कुतबुद्दीन एबक ने यहाँ की हुकूमत संभाली। सुल्तान कुतबुद्दीन एबक का जियादा वक्त मुल्की फुतूहात और जंगी मुहिम्मात में गजरा इस वजह से उस के अहद में इल्मी सरगर्मियाँ पैमाने पर रहीं फिर भी बहाउद्दीन अवशी ( मु0 607 हिज़री ) जमालद्दीन मुहम्मद और हनीदुद्दीन वगैरह फुजला और शुअरा उस के दामने दौलत ते वाबसता रहे और उन के अहद का नामवर मुवरिख हसन निज़ामी नीशापूरी साहबे ताजुल मआसिर , हिन्दुसतान का पहला मुवर्रिख है। कुतबुद्दीन के दौर का एक दूसरा नामवर मुसन्निफ मुबारक शाह माअरूफ ब फलर मुदब्बिर है जिस ने बहरुल अनसाब के नाम से एक जखीम किताब लिख कर कुतबुद्दीन एबक के हुजूर पेश की। 607 हिज़री में कुतबुद्दीन एबक इस दुन्या से रु ख़्सत होकर आलमे जावेदानी की तरफ रवाना हो गए।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 82 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 100
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सुल्तान शमसुद्दीन अलतमश ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ कुतबुद्दीन एबक के बाद उस का सहीह जानशीन सुल्तान शमसुद्दीन अलतमश हुआ जो उस से क़ब्ल बदायूँ का सूबेदार रह चुका था। बदायूँ शिमाली हिन्द का एक मशहूर शहर है जिसे कुतबुद्दीन एबक ने 591 हिज़री में फतह किया उस के सूबेदारों में शमसुद्दीन अलतमश के अलावा रुकनुद्दीन भी रहे जो बाद को तख्ते देहली पर भी मुतमक्किन हुए फत्हे बदायूँ के बाद वह शहर मुसलमानों का मरकज़ बन गया जहाँ उस जमाने में एक मदरसा मुइज़्ज़िया , एक अज़ीमुश्शान जामेअ मस्जिद और ईदगाह वगैरह ताअमीर हुईं आख़िरुज्ज़िक्र दोनों इमारतें आज भी मुसलमानों की गुज़श्ता अज़मतो इक्तेदार की नौहा ख्वाँ हैं। गरज़ उस ज़माने में बैरूने हिन्द से बहुत से उलमा व सुलहा बदायूँ आकर सुकूनत पज़ीर हुए जिन के सबब वह शहर आज मदीनतुल औलिया कहलाता है।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 82 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 101
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सुल्तान शमसुद्दीन अलतमश ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ उन में ख्वाजा अरब बुखारी ( शैख़ निज़ामुद्दीन औलिया के नाना ) ख्वाजा हसन रसनताब ( मुरीद काज़ी हमीदुद्दीन नागौरी ) ख़्वाजा बदरुद्दीन मूए ताब ( बिरादरे ख्वाजा हसन रसनताब ) शैख हुसामुद्दीन मुलतानी ( खलीफा सदरुद्दीन आरिफ मुलतानी ) ख्वाजा अलाउद्दीन उसूली ( उस्ताजे शैख़ निजामुद्दीन औलिया ) जैसे अकाबिर सूफिया और मौलाना रज़ियुद्दीन हसन सेगानी साहिब मशारिकुल अनवार ( मु0 650 हिज़री ) शहाबुद्दीन महमरा ( मशहूर शाइर ) और ख्वाजा जैनुद्दीन दानिशमन्द जैसे उलमा खास तौर से काबिले ज़िक्र हैं।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 82-83 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 102
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सुलतान अलतमश की दीनदारी और इल्म नवाज़ी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ अलतमश ने 26 साल हुकूमत की सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ के विसाल के साल ( 633 हिज़री में ) इन्तेकाल किया। यह बादशाह बड़ा दीनदार , आबिद , ज़ाहिद और दुर्वेशदोस्त था नमाज़ मस्जिद में बाजमाअत अदा करता था। हज़रत कुतबुद्दीन बख्तियार काकी ( मु० 633 हिज़री ) की ख़िदमत में अकसर हाज़िर रहता था। अलतमश के ज़माने में देहली में उलमा , फुज़ला , सूफिया और मशाइख की ताअदाद में खासा इज़ाफा हुआ और बड़ी ताअदाद में लोग तुर्किस्तान , ईरान और मावराउन्नहर से तर्के वतन कर के हिन्दुस्तान पहुँचे , क्यूँकि उस ज़माने में कुफ्फार मगोल ने तबाही मचा रखी थी उन अलाकों में लोगों के जानो माल बिलकुल महफूज़ न थे और उन केलिए ह न्दुस्तान ही सब से बड़ी पनाहगाह थी और फिर शमसुद्दीन अलतमश उन पनाहगुज़ीनों की बड़ी मदद और कद्रदानी करता था और यह लोग भी देहली की सकाफती व इल्मी ज़िन्दगी को खूब खूब रौनक और आरास्तगी बख़्ते थे।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 83 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 103
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सुलतान अलतमश की दीनदारी और इल्म नवाज़ी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ अलतमश की फैय्याजी व कद्रदानी ने देहली को उलमा , फुजला , सूफिया व मशाइख़ का मरकज़ बनादिया , ताजुद्दीन संग्रेज़ा , अमीरे रूहानी , नासिरी और बहाउद्दीन अली जैसे शुअरा , काजी हमीदुद्दीन ( मु० 641 हिज़री ) हाजी मजदुद्दीन , फलमुल्क अताई , काजी मिनहाज सिराज , मौलाना जमालुद्दीन बुस्तामी , नुरुद्दीन मुबारक ग़ज़नवी जैसे उलमा व फुजला मौजूद थे और ख्वाजा कुतबुद्दीन बख्तियार काकी , शैख़ जलालुद्दीन तब्रेज़ी , शैख़ बदरुद्दीन गजनवी और काजी कुतबुद्दीन काशानी जैसे सूफिया और मशाइख रुश्दो हिदायत के हंगामे बरपा किए हुए थे।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 84 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 104
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सुलतान अलतमश की दीनदारी और इल्म नवाज़ी ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ उलमा और फुज़ला के केयाम की वजह से हिन्दुस्तान के बाज़ मरकज़ी शहर औच देहली , बदायूँ और लखनौती वगैरह में मरकज़ी मदारिश काइम हो गए थे जहाँ उलमा तदरीस के फराइज़ बड़ी ज़िम्मेदारी अनजाम देते थे उन मदारिस के के याम में सुल्तान शमसही अलतमश नीज़ दूसरे उमरा की सरपरस्ती और मआरिफ पर शमिल थी।
•••➲ सुल्तान शमसुद्दीन अलतमश के दौर में बदायूँ और मन्डावर ( जिला बिजनौर ) में आलीशान मस्जिदें , ईदगाहें और हौज ताअमीर हुए जो आज तक उस की दीनदारी और इस्लाम दोस्ती की गवाही दे रहे हैं।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 84 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 105
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सुल्तान रुकनुद्दीन ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ सुल्तान शमसुद्दीन अलतमश के बाद उन का मंझला बेटा रुकनुद्दीन तख़्त नशीं हुआ अगरचे उस की हुकूमत चन्द माह से ज़ियादा न रही मगर उस की मआरिफ परवरी और शुअरा नवाज़ी ने उस को बकाए दवाम बख़्श दिया। ताजुद्दीन संग्रेज़ा और शहाबुद्दीन महमरा उस के दामने दौलत से वाबस्ता रहकर इन्आमो इक्राम से मुस्तफीज़ हुए उस के बाद उस ख़ानदान में नासिरुद्दीन महमूद ( मु0 664 हिज़री ) और गयासुद्दीन बलबन ( मु0 686 हिज़री ) काबिले ज़िक्र हुक्मराँ गुज़रे हैं।
•••➲ अव्वलुज़्ज़िक्र निहयत दीनदार , मुत्तकी , ज़ाहिद , आबिद , सख़ी , अदलपरवर , शब बेदार और बुर्दबार हुक्मराँ था। दुर्वेशाना ज़िन्दगी बसर करता था यहाँ तक कि अपने जाती मसारिफ कुआने करीम की की किताबत के ज़रीआ पूरे करता था। सूफिया और मशइख़ का अकीदत मन्द और उलमा का कद्रदाँ था।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 84 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 106
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सुल्तान रुकनुद्दीन ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ काज़ी मिनहाज सिराज ने अपनी मशहूर किताब ,तब्काते नासिरी , उसी सुल्तान के नाम मुअनवन का हो।
•••➲ गयासुद्दीन बलबन बड़ी शानो शौकत और जाहो जलाल का मालिक था लेकिन सूफिया का मोअतकिद और उलमा का कद्रदा था उस के अहद में बुरहानुद्दीन महमूद ( मु0 687 हिज़री ) नजमुद्दान अब्दुल अज़ीज़ , शैख सिराजुद्दीन अबूबक्र , शरफुद्दीन दलवालजा , दुरहानुद्दीन बज्जाज , काजी रुकनुद्दीन सामानवी , अल्लामा कमालुद्दीन जाहिद , शमसुद्दीन ख्वार्ज़मी और फखरुद्दीन नाकला वगैरह वह उलमाए किराम थे जिन के नाम तारीख में बकाए दवाम का दर्जा रखते हैं। 689 हिज़री मुताबिक 1290 ई. में देहली का यह पहला हुक्मरॉ खानदान ख़तम हो गया।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 84 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 107
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सियासी और रूहानी ताक़तों का इज्तेमाअ ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ की दुआओं की बरकतों से हिन्दुस्तान में मुस्तकिल मुस्लिम हुकूमत की तश्कील ने इस मुल्क की काया ही पलट दी। हर शोअबए ज़िन्दगी में ज़बर्दस्त इन्केलाब आया और मुल्क को सियासी इस्तेहकाम हासिल होने के साथ साथ मज़हबी व इस्लामी अवामिल को भी दवामो इस्तिक्लाल नसीब हुआ मुसलमानों की बहुत सी नवआबादियाँ काइम हुई। सन्अतो हिर्फत के मैदान में नुमायाँ तरक्की हुई , ख़ानकाहें , मक्बरे , सराएं , नहरें , कुएं और पुल वगैरह ताअमीर हुए , देहली में कुतुब मीनार , कूतुल इस्लाम और अलाई दरवाज़ा जैसी आलीशान इमारतें वुजूद में आकर मुसलमानों के वुजूद की अलामतें बनीं।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 85 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 108
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सियासी और रूहानी ताक़तों का इज्तेमाअ ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ यह तो सियासी असरो इक्तेदार के नताईज थे इस के अलावा सूफिया और रूहानी तसर्राफात के हामिल बुजुर्गों की मुकद्दस जमाअत ने हिन्दुस्तान में जो इस्लाहो तब्लीग के अज़ीम कारनामे अन्जाम दिए वह आज भी तारीख़ के औराक की ज़ीनत बने हुए हैं। उन अकाबिर सूफिया में हज़रत ख्वाजा कुतबुद्दीन बख्तियार काकी , काज़ी हमीदुद्दीन नागौरी , शैख़ हमीदुद्दीन सूफी सुवाली , शैख़ जलालुद्दीन तब्रेज़ी , बाबा फरीदुद्दीन गंजे शकर , हज़रत बहाउद्दीन ज़करीया मुलतानी , हज़रत निजामुद्दीन औलिया , हज़रत बूअली शाह कलन्दर , शैख़ सदरुद्दीन मुल्तानी और शैख रुकनुद्दीन अबुल फत्ह वगैरह खास तौर से काबिले ज़िक्र हैं और उन सब के काइदो सरखैल सैय्यिदुना सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ रदियल्लाहु तआला अन्हु हैं।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 85 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 109
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सियासी और रूहानी ताक़तों का इज्तेमाअ ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ गोया सियासी और रूहानी दोनों ताकतें जेब मुजतमा होकर एक दूसरे की मुआविनो मददगार होगई तो हिन्दुस्तान में इस्लाम - को इन्तेहाई सुअंत के साथ फरोग हासिल होने लगा और देखते ही देखते पूरे मुल्क में मुसलमानों की ताअदाद बेशुमार हो गई और मुल्क के हर गोशे में इस्लाम के परचम लहराने लगे। आज की गैरमुन्कसिम हिन्दुस्तान गुजरता मुबल्लिगीनो मुजाहिदीन बतौर खास सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ कुद्दि स सिईहू की बेमिसाल जिद्दो जहद और अज़ीम कुर्बानियों का जीता जागता सुबूत है!...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 85-86 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 110
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ तमाम औलियाए हिन्द के सरदार ❞*
❏ ________________________________ ❏
•••➲ जिस तरह गौसे आज़म सैय्यिदुना शैख़ मुहीयुद्दीन अब्दुल कादिर जीलानी कुद्दि स सिर॑हू ने कदमी हाज़ हाज़िही अला रकबति कुल्लि वलिय्यिल्लाह फरमाकर पूरी दुन्या के तमाम औलियाए किराम पर मिन जानिबिल्लाह अपनी फौकियतो बरतरी का इज़हार फरमाया और उस ज़माने के तमाम औलियाए किराम ने अपनी गरदनें ख़म करके हुजूर गौसे पाक को अपना आका व मौला तसलीम किया उसी तरह हिन्दुस्तान में सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ का मनसबो मरतबा तमाम औलियाए हिन्द से आअला व बाला है। खुद सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ ने इस बलन्दी व बर तरी का इज़हार फरमाया हो या न फरमाया हो मगर हिन्दुस्तान के तमाम उलमा व सूफिया इस बात के मोअतरिफ हैं कि ख़्वाह वह किसी सिलसिलए तरीक़त से मुन्सलिक हों सरकारे ख़्वाजा गरीब नवाज़ अवामो खवास और सियासी नुमाइन्दों केलिए तो शहनशाह का दर्जा रखते ही हैं तमाम औलियाए किराम व उलमाए दीन के लिए भी आप काइदो रहनुमा और सरखैलो सरदार की हैसियत रखते हैं।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 86 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 111
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज
*❝ तमाम औलियाए हिन्द के सरदार ❞*
❏ ________________________________ ❏
❏ ________________________________ ❏
•••➲ हिन्दुस्तान की मशहूर कादरी खानकाह , खानकाहे बरकातिया मारहरा शरीफ के साबिक सज्जादा नशीन और मोअतबर आलिमे दीनो अदीबो मुफक्किर सैय्यिदुल उलमा हज़रत अल्लामा अलहाज सैय्यिद शाह आले मुसतफा मियाँ कादरी बरकाती ने सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ की बारगाह में अपना बेपनाह अकीदत और मुंह बोलती हकीकत का इज़्हारो एअतेराफ करते हुए क्या खूब फरमाया है।...✍
तेरे पाए का न हम ने कहीं पाया ख्वाजा
हिन्द के सारे वली तेरी रिआया ख्वाजा
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 86 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 112
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सीरतो सवानेहे सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ ❞*
❏ ________ ❏
❏ ________ ❏
•••➲ सैय्यिदुना सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ सैय्यिद मुईनुद्दीन हसन चिश्ती सन्जरी रादिअल्लाहु तआला अन्हु की जितनी अज़ीमो जलील शख़्सियत है उतने अज़ीमो जलील पैमाने पर आप की सीरतो सवानेह पर मुश्तमल कोई तफसीली और मुस्तनद किताब आज की मुरव्वजा उर्दू ज़बान में मनज़रे आम पर नहीं है।
•••➲ चिश्तिी सिलसिले के मुमताज़ बुजुर्गों में हज़रत बाबा फरीदुद्दीन गंजे शकर और हज़रत निजामुद्दीन औलिया कुद्दि स सिर॑हूमा के कुछ हालातो वाकेआत हमें मिल जाते हैं जिन से चिश्ती खानकाहों के निज़ाम और बुजुर्गों की ताअलीमात का अनदाज़ा हो जाता है।
•••➲ लेकिन सैय्यिदुना सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ के बारे में तारीख़ और तज़्किरे हमे बहुत ही कम माअलूमात फराहम करते हैं और बाद के ज़माने में कुछ रिवायात के इज़ाफों ने उस थोड़े से तारीख़ी मवाद को भी मुबहम बना दिया है।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 87 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 113
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सैरुल औलिया ❞*
❏ ________ ❏
❏ ________ ❏
•••➲ सैरुल औलिया प्रोफेसर मुहम्मद हबीब साहब ने अपने एक मज़मून में यह खयाल जाहिर किया है कि ख्वाजा साहब के हालात में क़दीमतरीन किताब सैरुल औलिया है जो फारसी ज़बान में हज़रत ख्वाजा अजमेरी के विसाल के तकरीबन सवा सौ बरस बाद मुरत्तब हुई है उस में जो माअलूमात दर्ज हैं उन पर कुछ इज़ाफा शैख़ जमाली देहलवी मुअल्लिफ , सैरुल आरिफीन , ने किया है जो सोहरवर्दी सिलसिले के बुजुर्ग थे और अहदे हुमायूँ बादशाह में सैरो सियाहत की गरज़ से भी निकले थे और ख्वाजा बुजुर्ग के वतने असली , सीस्तान भी पहुंचे थे उन्हों ने हजरत ख्वाजा और आप के ख़ानदान वग़ैरह के बारे में कुछ मवाद वहां की माकामी रिवायतों से भी फ़राहम किया होंगा!..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह 87-88 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 114
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ तब्काते नासिरी ❞*
❏ ________ ❏
❏ ________ ❏
•••➲ अहदे वुस्ता के बाज़ मुवरिखों की राय में आप का तज्किरा सब से पहले तब्काते नासिरी में पाया जाता है जो 658 हित मुताबिक़ 1220 ई की तसनीफ है उस के मुसन्निफ काजी मिनहाज सिराज जूरजानी हैं जो 589 हिज़री में पैदा हुए थे और अजमेर , सवालक , हाँसी , सिर्सी वगैरह अलाके रायं पिथौरा की शिकस्त के बाद 588 हिज़री में फतह हुए थे उस से अगले साल 589 हिज़री में कुतबुद्दीन एबक ने पहले मेरठ फिर देहली को फतह किया था 621 हिज़री में वह एक सफारत लेकर कहिस्तान गए थे और वहाँ से वापस आने के बाद 624 हिज़री में मदरसा फीरोज़ी औछ के निग्राँ मंदर्रिस बना दिए गए वह 625 हिज़री में अलंतमश के लश्कर के साथ देहली आगए थे इस लिए अगर सरकारे ख्वाजा से उन की मुलाकात हुई तो उस का ज़माना 625 से 633 हिज़री के दरमियान आठ साल का अस हो सकता है जब वह लश्करे शाही में शामिल होकर हिन्दुस्तान के मुतलिफ अलाकों में घूम रहे थे मगर उन्हों ने सरकारे ख्वाजा से अपनी मुलाकात का हाल वाज़ेह और रास्त अन्दाज़ में कहीं नहीं लिखा है!..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 88 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 115
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सैरुल औलिया का अहदे तालीफ ❞*
❏ ________ ❏
❏ ________ ❏
•••➲ सैरुल औलिया की तालीफ फीरोज़ तुगलक के ज़माने में हुई है और उस के आखिर में जो एक तारीख़ दर्ज है उस से फीरोज़ शाह तुगलक की ताखे वफात 789 हिज़री बरआमद होती है उस से यह अन्दाजा करना दुश्वार नहीं है कि अमीर खुर्द उस वक़्त तक बाहयात थे और इन्हों ने किताब की तालीफ से फारिग होने के बाद भी 25 - 30 बरस तक उस पर नज़रे सानी और इज़ाफे का काम जारी रखा।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 88 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 116
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सुरूरुस्सुदूर ❞*
❏ ________ ❏
❏ ________ ❏
•••➲ एक तहकीक के मुताबिक सरकारे ख़्वाजा गरीब नवाज़ मुईनुद्दीन चिश्ती रदियल्लाहु तआला अन्हु के हालातो मलफूज़ात में सब से क़दीम और अहम माअखज़ , सुरूरुस्सुदूर , है जो आज तक शाएअ नहीं होसकी है और जिस के कलमी नुस्खे भी अब नायाब होने की हद तक कमयाब हैं!
•••➲ सुरूरस्सुदूर , में सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ के मशहूरो माअरूफ ख़लीफां हज़रत शैख़ हमीदुद्दीन नागौरी अलैहिर्रहमह के बारे में उन के फरज़न्द शैख़ अजीजुद्दीन की रिवायात भी हैं और खुद शैख़ फरीदुद्दीन ने भी अपने मुशाहदातो माअलूमात दर्ज किए हैं उस से माअलूम होता है कि हज़रत शैख़ हमीदुद्दीन सुवाली ने हज भी किया था और सरकारे ख्वाजा मुईनुद्दीन गरीब नवाज़ कुद्दि स सिईहू की खानकाह में इमामत के शरफ से भी मुशर्रफ थे खुद सरकारे ख्वाजा भी उन की इक्तेदा में नमाज़ अदा फरमाते थे कभी ऐसा भी होता था कि कोई शख़्स कुछ पूछने या वज़ाहत तलब करने आजाता तो सरकारे ख्वाजा उसे हमीदुद्दीन नागौरी की तरफ़ भेज देते।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 89 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 117
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ क़दीमतरीन माअख़ज़ ❞*
❏ ________ ❏
❏ ________ ❏
•••➲ गरज़ यह किताब ( सुरूरुस्सुदूर ) सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ और उन के एक जलीलुल क़द्र खलीफा हज़रत शैख़ हमीदुद्दीन नागौरी के हालातो मलफूज़ात का सब से अहम और काबिले एअतेबार माअख़ज़ है उस में एक किताब ,शरफुल अनवार , का भी हवाला मिलता है जिस से यह अनदाज़ा होता है कि यह भी शैख़ - नागौरी के मलफूज़ात पर मुश्तमल थी और फस्ल और नौअ के उन्वान से मुखतलिफ फुसूलो अबवाब में तकसीम करे लिखी गई थी अब नापैद हो चुकी है अगर कहीं उस का नुस्खा दस्तयाब हो जाए तो उस में भी सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ अजमेरी के बारे में कीमती माअलूमात फराहम हो सकती हैं और यह हज़रत के • हालात में , सुरूरुस्सुदूर , से भी क़दीम तरीन माअखज़ होगी।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 89 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 118
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सीरते ख्वाजा गरीब नवाज़ ❞*
❏ ________ ❏
❏ ________ ❏
•••➲ सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ कुद्दि स सिहू की सीरतो सघानेह पर मुश्तमल मजकूरा कदीम व कदीम तरीन फारसी व उर्द किताबों को मरकज़ो माअखज़ बनाकर मुल्क के मशहूरो माअरफ आलिमे दीन और मुकर्ररो मुसन्निफ साहिरुल बयान हज़रत अल्लामा अब्दुर्रहीम साहब कादरी ने सीरते ख्वाजा गरीब नवाज के नाम से एक मेअयारी और ज़खीम किताब मुरत्तब की है जो इस मौजूअ पर उर्दू ज़बान में मौजूद किताबों में यक़ीनन फौकियत और एअतेबार का दर्जा हासिल करेगी।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 90 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 119
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सीरते ख्वाजा गरीब नवाज़ ❞*
❏ ________ ❏
❏ ________ ❏
•••➲ इस मौजूअ पर क़दीम माअख़ज़ जो कदीम ज़खाइरे कुतुब में कहीं कहीं आँखों को नूरो सुरूर बख्ने के लिए दस्तयाब हो जाते हैं पहली बात तो यह कि उन में से ज़ियादातर फारसी ज़बान में होने की वजह से सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ के आम अकीदत मन्दों को तसकीने कल्बो नज़र का सामान फाहम नहीं कर सकते और उर्दू ज़बान में सरकारे ख्वाजा की सीरत के नाम पर जो किताबें आम तौर पर दस्तयाब हैं वह या तो मुख़् तसर , इजमाली और नामुकम्मल हैं या जिन किताबों को इतमीनान बख़्श कहा जाता है वह आम दस्तरस से बाहर हैं उन्हीं अस्बाबो इलल और मुहर्रिकात ने साहिरुल बयान हज़रत अल्लामा अब्दुर्रहीम साहब कादरी रज़वी को इस बात पर उकसाया और कुछ मुख्लिस उलमा व अहबाब ने भी अकसरो बेशतर इस ख्वाहिश का इज़हार किया कि ,सीरते गौसे आअज़म की तर्ज पर , सीरते ख्वाजा गरीब नवाज ,की तरतीबो तदवीन का कारनामा अगर आप अन्जाम द दें तो पूरी जमाअते अहले सुन्नत इस बारे कर्ज से सुबुकदोश हो जाएगी।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 90 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 120
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सीरते ख्वाजा गरीब नवाज़ ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ वाजेह हो कि सैय्यिदुल अफराद , ताजदारे बगदाद , मरजउल औलिया , गौसे आअज़म सैय्यिदुना शैख़ मुहीयुद्दीन अब्दुल कादिर जीलानी बगदादी रदियल्लाहु तआला अन्हु की सीरतो सवानेह पर मुश्तमल , सीरते गौसे आअज़म , माम्लाना मौसूफ की मकबूलो मशहूर तरीन तस्नीफ है जो एक अर्सए दराज़ से लोगों के दिलो निगाह की तमानियतो तसकीन का ज़रीआ बनी हुई है।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 90 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 121
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ कादरी सिलसिला और ख्वाजा गरीब नवाज़ ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ यूँ तो हिन्दुस्तान के जितने औलियाए किराम हैं ख्वाह वह किसी भी सिलसिलए तरीकत से भुनसलिक हों सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ कुदि स सिईहू को अपना मरजओं मरकजे अकीदत तस्लीम करते आए हैं और आप की बारगाह में गुलामाना हाज़री देकर इक्तिसाबे फुयूज़ो बरकात करते रहे हैं और यह सिलसिला आज भी हस्बे दस्तूर जारी व सारी है बलिक कादरी सिलसिले के मशाइख और बुजुर्गों ने हमेशा आप के सामने अपनी गरदनें खम रखी हैं यह अलग बात है खुद सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ मुईनुद्दीन चिश्ती अजमेरी रदियल्लाहु तआला अन्हु को हुजूर गौसे पाक से बेपनाह अकीदतो महब्बत थी और आप से शरफे मुलाकात हासिल करके आप ने इस्तिफादा व इस्तिफाज़ा भी किया है बल्कि हुजूर गौसे पाक से अपनी गहरी अकीदतो वाबस्तगी का इज़हार अपने अश्आर के जरीआ आप ने यूं किया है।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 91 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 122
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ कादरी सिलसिला और ख्वाजा गरीब नवाज़ ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
या गौसे मुअज्जम नूरे हुदा मुख्तारे नबी मुख्तारे खुदा
सुल्ताने दोआलम कुतबे उला हैराँ जे जलालत अजों समा
गर दाद मसीह ब मुदी रवों दादी तुबदीने मुहम्मद जाँ
हमा खल्क मुहियुदी गोया बर हुस्लनो जमालत गश्ता फिदा
•••➲ *तरजमा :-* ऐ अज़मत वाले गौस, ऐ हिदायत की रौशनी, ऐ नबी के मुख्तार और खुदा के मुख्तार, ऐ दोनों आलम के सुल्तान, बलन्द मर्तबा कुतब! आप की जलालतो बुजुर्गी से ज़मीनो आसमान हैरतजदा हैं। अगर हजरत ईसा अलैहिस्सलाम ने इनसान के मुर्दा जिस्म में जान डाली है तो आप ने दीने मुहम्मदी को जिन्दा व ताबिन्दा किया है। पूरी दुन्या आप को मुहीयुद्दीन कहती है और आप के हुस्नो जमाल पर वाला व शैदा है।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 91 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 123
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ कादरी सिलसिला और ख्वाजा गरीब नवाज़ ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ और दूसरी जगह सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज रदियल्लाहु तआला अन्हु इरशाद फरमाते हैं!
गोयम जे कमाले तु चे गौसुस्सक लैना
महबू ये खुदा इब्ने हसन आले हुसैना
सर दर कदमत जुम्ला नहादन्द व गुफ्तन्द
तल्लाहि लकद आसरकल्लाहु अलै ना
•••➲ इस के अलावा तारीखं शाहिद है कि हुजूर गौसे आअज़म के फरमान कदमी हाजिही अला रकबति कुल्लि बलिस्मिल्लाह, सुनकर सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज ने अपनी गरदने अकीदत खम करके जवाबन इरशाद फरमाया था ,बल अला जैनी राअसी, ऐसार पाक! आप के कदम मेरी गरदन ही पर नहीं बल्कि मेरे सर और औंखों पर हैं।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 91 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 124
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ कादरी सिलसिला और ख्वाजा गरीब नवाज़ ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ जिस से यह अन्दाज़ा लगाना मुश्किल नहीं कि सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ को सरकारे गौसे आअज़म से किस कदर अकीदत व महब्बत थी क्यूंकि सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज जानते थे कि पूरी दुन्या में माअरिफतो विलायत के अपने जमाने के सब से बड़े खजाने के मालिको मुख्तार हुजूर गौसे आअज़म ही हैं वह जिसे चाहें विलायत का आअला से आअला मन्सब अता फरमा दें और जिसे चाहें उस मन्सब से उतार कर कैदे माअजूली में डाल दें लेकिन हिन्दुस्तान के तमाम बुजुर्गों बिलासूस कादरी सिलसिले के मशाइख ने सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज को मरकजे अकीदत ही माना है बलिक हिन्दुस्तान में दीनी व दुन्याची तमाम नेअमतों के तकसीमकार की हैसियत से आप को नाइके रसूल और । नाइवे गौसे आअजम तस्लीम किया है इस वजह से भी कादरियों । के दिलों में आप की ज़ाते बाबरकात से गहरी अकीदतो वाबस्तगी । होना लाजिमी अस है। चुनाँचे कादरियों को इस बात का ज़ियादा हक पहुँचता है कि सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज से इजहारे अकीदतो महबबत करें और उन के गुन गाएं।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 92 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 125
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ कादरी मेहमाने चिश्ती ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ श्ह बात अपनी जगह मुसल्लम है कि हिन्दुस्तान सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ और यहाँ के चिश्ती बुजुर्गों का है इस लिए कि इस कुफ्रज़ारे हिन्द में इस्लाम का चराग रौशन करके इसे वतन का दर्जा देने का कारनामा सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ और आप के खुलफा व मुरीदीन ने ही अन्जाम दिया है इस लिए इस मुल्क को चिश्तियों का ही वतन होने का शरफ हासिल है और दीगर सलासिल के इस मुन्क में बाद में आने की वजह से उन सलासिल के बुजुर्गों को चिश्ती बुजुर्गों का मेहमान होने का फख्र हासिल है । उस वक्त चूँकि गैरमुन्कसिम हिन्दुस्तान ही नहीं बैरूनी ममालिक में भी चिश्ती सिलसिले के अलावा कादरी सिलसिला ही उरूज पर है और बड़े बड़े उलमा , मशाइख और बुजुर्गाने दीन के अलावा आम मुसलमानों की कसीर ताअदाद इन्हीं दोनों सिलसिलों से वाबस्ता है इस लिए यह कहना ज़ियादा मौजूं और मुनासिब होगा कि हिन्दुसतान में कादरी हज़रात चिश्ती हज़रात के मेहमान हैं और मेहमान से मेज़बान की इज़्ज़तो शराफत भी जुड़ी होती है और हुक्मे शरअ भी यही है कि मेहमान को खुश रखो उस की इज़्जत करो कि वह तुम्हारे लिए रहमतो बरकात का ज़रीआ हैं।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 92 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 126
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ कादरी मेहमाने चिश्ती ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ लिहाज़ा दोनों को एक दूसरे से बरकातो हसनात के हुसूल की कोशिश करनी चाहिए न कि उन के ज़ाइल करने की आपस में मेल महब्बत के साथ शीरो शकर होकर ही दीनो सुन्नियत और शरीअतो तरीक़त के मसाइल हल किए जासकते हैं। चुनाँचे एक कादरी आलिमे दीन ने सरकारे गरीब नवाज़ की मोअतबर , मुस्तनद , मुअक्कर और ज़ख़ीम सवानेहे हयात लिख कर इस फारमूले पर अमल करने की पहल की है। सैय्यिदुना आअला हज़रत इमाम अहमद रज़ा फाज़िले बरेलवी कुद्दि स सिर॑हू ने हज़रत खातमुल अकाबिर सैय्यिदुना अबुलहुसैन अहमदे नूरी मारहरवी कुद्दि स सिर॑हू के मनाकिब में क्या ही खूब फरमाया है। :
कादरीयत है चिश्तियत से बहम
नग दोपल्का है अहमदे नूरी
•••➲ इस शेर में दोनों सिलसिलों के इत्तेहाद और उस इत्तेहाद से एक दूसरे की कद्रो कीमत में चार चाँद लगने की तरफ कितना हसीन इशारा है।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 92 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 127
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ एक एअतेराज़ और उस का जवाब ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ आज के बाज़ मुतअसिसब चिश्तिी आम कादरीयों और बिलखुसूस इमामे अहले सुन्नत मुजद्दिदे दीनो मिल्लत आअला हज़रत सैय्यिदुना शाह अहमद रज़ा खाँ कादरी बरकाती फाज़िले बरेलवी कुद्दि स सिढेहू पर ताअनो तशनीअ की ज़बान दराज़ करते हैं और यह लायाअनी एअतेराज़ करते हैं कि कादरी लोग गौसे आअज़म और आअला हज़रत की ही ताअरीफो तौसीफ करते हैं किसी और को खास तौर पर सरकारे ख़्वाजा गरीब नवाज को कुछ नहीं समझते इन का तज़्किरा नहीं करते!
•••➲ बल्कि यहाँ तक कहते हैं कि , खुद आअला हज़रत ने ख्वाजा गरीब नवाज़ से अपनी अक़ीदतो महब्बत का इज़हार नहीं कया है न तो कभी अजमेर शरीफ में हाज़री दी और न ही पूरी , हदाइके बख्रिशश में कहीं एक शेर भी ख्वाजए ख़्वाजगाँ की मदहोसना में मौजूद है तो उन के मुअतकिदीन अगर उन्हीं के नक्शे कदम पर चलकर ऐसा करते हैं तो इस में क्या तअज्जुब है!?..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 92 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 128
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ एक एअतेराज़ और उस का जवाब ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ इस किस्म की बातें करने वाले यकीनन या तो असबीयतो हसद के शिकार हैं या ज़ेहनो फिक्र की वुस्अत और शऊरो आगही की बेशबहा दौलत से महरूम हैं। आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा तो उस अज़ीम जातो शख्सियत का नाम है जिस ने हिन्दुस्तान में सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ के लाए हुए मिशन को सकरातो नज़्अ के आलम से निकाल कर सेहतो तवानाई की दौलत से नवाज़ा यह आला हज़रत ही का एहसानो करम है कि आज हिन्दो बैरूने हिन्द औलियाए किराम और बुजुर्गाने दीन के आस्ताने , खानकाहें और मज़ारात न सिर्फ सहीहो सलामत हैं बल्कि रौशनो ताबनाक और उन के मुतअल्लिकीन शादो आबाद हैं। इसी किताब , सीरते ख्वाजा गरीब नवाज़ , में आप को इस बात का भी सुबूत मिलेगा कि आअला हज़रत फाज़िले बरेलवी ने अपनी बेपनाह इल्मी व दीनी मसरूफियात के बावुजूद सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ की आस्ताँबोसी केलिए दो बार अजमेर शरीफ में हाज़री दी है वहाँ आज भी मौजूद , खानकाहे रज़वीया , इस बात की शहादत के लिए काफी है।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 94 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 129
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ एक एअतेराज़ और उस का जवाब ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ उस खानकाह के बानी और आस्तानए गरीब नवाज़ के खादिम सैय्यिद हुसैन अली साहब अलैहिर्रहमह वकीले जावरा आअला हज़रत के मुरीदो खलीफा थे आप के साहब ज़ादे मौलवी सैय्यिद अहमद अली साहब रज़वी हुजूर मुफ्तिए आअज़मे हिन्द अलैहिर्रमह के खलीफा थे तमाम अकाबिर उलमाए अहले सुन्नत का केयाम ज़ियादातर आप ही के मेहमान ख़ाने में हुआ करता था। अब रही यह बात कि आला हज़रत ने सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ की शान में कोई मनकबत नहीं कही तो इस से यह नतीजा निकालना कि आला हज़रत को सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ से अकीदत नहीं थी।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 94 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 130
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ एक एअतेराज़ और उस का जवाब ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ यह भी वुस्अते कल्बी के फुक्दान को ज़ाहिर करता है अगर इसे बुन्याद बना लिया जाए कि जिन की शान में क़सीदा या मनकबत के अश्आर नहीं कहे गए उन सब से आला हज़रत को अकीदत नहीं थी तो पूरी हदाइके बख्शिश का मुतालआ कर लीजिए आप को पता चल जाएगा कि उस में कितने हज़रात की शान में मदहीया अश्आर हैं अल्लाह तबारक व तआला की बारगाह में हमदो मुनाजात और नबिये अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की नाअतें इश्को महब्बत में डूबकर कही हैं और चूँकि आप सिलसिलए कादिरिया में बैअत थे इस लिए हुजूर गौसे आज़म की अकीदतो महब्बत में ऐसे मुस्तग़रक हुए कि किसी और की शान में कुछ कहने और लिखने का यारा ही न रहा।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 95 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 131
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ एक एअतेराज़ और उस का जवाब ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ हाँ ज़रा उस से बाहर आए तो अपने पीरो ' मुर्शिद सैय्यिदुना शाह आले रसूले अहमदी कादरी बरकाती मारहरवी , मुर्शिदे तरबियत हज़रत सैय्यिदुना शाह अबुल हुसैन अहमदे नूरी कादरी बरकाती मारहरवी और उस बारगाह तक पहुँचाने वाले मुहसिन हज़रत ताजुल फुहूल अल्लामा अब्दुल कादिर बदायूनी अलैहिमुर्रहमतु वर्रिज़वान की शान में कुछ मनकबतें कहीं गोया आला हज़रत को इन चन्द हज़रात के अलावा इस्लाम की जितनी अज़ीमो जलील शख़्सियतें हैं जिन में अंबियाए किराम , सहाबा , ताबेईन , मुजतहेदीन , शुहदा , अइम्मा , मुहद्दिसीन और बेशुमार अकाबिर औलियाए किराम शामिल हैं किसी से अकीदतो महब्बत नहीं थी। ? बात यह नहीं है बल्कि सैय्यिदुना आला हज़रत , सैय्यिदुना गौसे आज़म और अपने मुर्शिदाने इज़ाम के तसव्वुर में ऐसे गुम हुए कि किसी और की तरफ देखने और तवज्जुह देने की फुर्सत ही नहीं मिली।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 95 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 132
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ एक एअतेराज़ और उस का जवाब ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ इस के लिए आप ने अपने बिरादरे अज़ीज़ उस्ताजे ज़मन हज़रत अल्लामा हसन रज़ा खाँ बरेलवी कुद्दि स सिहू को तैय्यार करदिया और कहा ऐ हसन ! मैं तो इश्के रसूल और महब्बते गौसे आज़म में ऐसा महवो मुसतम्रक हूँ कि किसी और की तरफ देखने की मुझे फुर्सत ही नहीं है सुलतानुल हिन्द ख्वाजए ख्वाजगान की बारगाह में नजे अकीदत पेश करने के लिए तुम मनकबत लिखो।
•••➲ चुनाँचे उन्हों ने ऐसी मनकबत लिखी जो बारगाहे गरीब नवाज़ में यकीनन मकबूल हो गई।...✍
जिस का मतलअ
*ख्वाजए हिन्द वो दरबार है आला तेरा*
*कभी महरूम नहीं मांगने वाला तेरा*
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 95 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 133
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ एक एअतेराज़ और उस का जवाब ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ आस्तानए गरीब नवाज पर मकतूबो मन्कूश है और उसे पाक मौके पर थोडी थोड़ी देर में पूरे अजमेर मुकद्दस में ही नहीं बलि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के तवस्सुत से पूरी दुन्या में गूंजता है नीज शैदायानो फिदायाने त्याजा की ज़बान पर यह शेर और हम मनकबत के दूसरे अश्आर अकसरो बेशतर जारी रहते हैं। उस्ताले जमन हज़रत अल्लामा हसन रज़ा खों बरेलवी अलैहिर्रहमह की यह मकबूले आम मनकबत भी जेरे तज्किरा किताब सीरते ख्वाजा गरीब नवाज के इब्तेदाई सपहात में मौजूद है।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 96 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 134
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ आला हज़रत और अज़मते ख्वाजा गरीब नवाज़ ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ यह एक अलमीया है कि हिन्दुस्तान की अकसर खानकाहों के मौजूदा पीर साहिबान को आला हज़रत और बरेली शरीफ की शुहरतो मकबूलियत एक आँख नहीं भा रही है हालाँकि आला हज़रत का उन सब को एहसानमन्द होना चाहिए कि आप ही की इल्मी व फिक्री काविशों और जिद्दो जहद के नतीजे में आज तमाम खानक हों के गुंबदो मीनार सलामत हैं और वहाँ उर्स , फातिहा और नो नियाज़ की हमाहमी और अकीदतमन्दों और ज़ाइरीन का वहाँ मेला सा लगा रहता है जिस के सहारे मुजविवरीनो खुद्दाम ऐशो फराह्मदस्ती की ज़िन्दगी गुजार रहे हैं जब्कि जान्ने वाले जानते हैं कि उन के पास दाअवए पेदरम सुलतान बूद , के सिवा कुछ भी नहीं है। पढ़े लिखे और तसळूफ के झूटे दाअवेदार , लोगों में अपनी बढ़ाई साबित करने के लिए आला हज़रत जैसी शख्सियत पर उलटे सीधे इल्जामात जड़ देते हैं जिन का कोई सर पैर ही नहीं होता।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 96 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 135
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ आला हज़रत और अज़मते ख्वाजा गरीब नवाज़ ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ यह दुरुसत है कि सैय्यिदुना आला हज़रत कुद्दि स सिईहू ने सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ कुदि स सिईहू की मदह में अश्आर नहीं कहे लेकिन आप की तसनीफात का मुतालआ करने वालों को मालूम है कि सैय्यिदुना आला हज़रत ने जहाँ कहीं देखा कि सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ या दुसरे बुजुर्गों की शाने अज़मत पर कीचड़ उछालने की कोशिश की जा रही है तो आला हजरत ने उन का भरपूर देफाअ करके मज़बूत और रौशन दलीलों के सहारे उन की अज़मतो अहम्मियत और शानो वकार की सियानतो हिफाज़त की पूरी ज़िम्मेदारी निभाई है। जेल में आअला हज़रत कुद्दि स सिईहू की तसनीफात से कुछ इक्तेबासात पेश किए जा रहे हैं जिन से सरकारे ख़्वाजा गरीब नवाज़ से आप की अकीदत फूट फूट कर ज़ाहिर हो रही है।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 96 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 136
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ आला हज़रत और अज़मते ख्वाजा गरीब नवाज़ ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ फतावा रज़वीया ,जिल्द शशुम सफह 187 पर दर्ज एक सवाल और उस का जवाब बिलपिज़ही नक्ल है मुलाहज़ा कीजिए जिस के लफ्ज़ लफ्ज़ से अज़मतो शाने सरकारे ख्वाजा टपक रही है।
•••➲ *मस्अला : -* अज़ सरकारे अजमेरे मुकद्दस लंगर गली मस्ऊला हकीम गुलाम अली साहब 6 शव्वाल 1339 हिज़री अगर कोई मौलवी अपने मदरसे के दरवाजे पर , खिलाफत के बोर्ड पर , खिलाफत की टोपी पर और खिलाफत की रसीद पर फक़त अजमेर लिखे तो क्या अजमेर के साथ लफ्ज़े शरीफ न लिखना और अस्ली नाम गुलाम मुईनुद्दीन पर गुलाम न लिखना खिलाफे अकीदए अहले सुन्नत है या नहीं ?।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 96 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 137
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ आला हज़रत और अज़मते ख्वाजा गरीब नवाज़ ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ *अल जवाब : -* अजमेर शरीफ के नामे पाक के साथ लफ्ज़ शरीफ न लिखना और उन तमाम मवाकेअ में इस का इल्तेज़ाम करना अगर इस बिना पर है कि हुजूर सैय्यिदुना ख्वाजा गरीब नवाज़ रदियल्लाहु तआला अन्हु की जल्वा अफरोज़ी , हयाते ज़ाहिरी व मज़ारे पुरअनवार को ( जिन के सबब मुसलमान अजमेर शरीफ कहते हैं ) वज्हे शराफत नहीं जानता तो गुमराह बल्कि अदुव्बुल्लाह ( अल्लाह के दुशमन ) है। सहीह बुखारी शरीफ में है रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि अल्लाह तआला फरमाता है मन आदा ली वलिय्यन फक़द आजन्तुहू बिल्हर्ब ,और अगर यह नापाक इल्तेजाम बर बिनाए कस्लो कोतह कलमी है तो सख़्त बेबरकता और फज्ले अजीम व खैरे जसीम से महरूम है ।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 96 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 138
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ आला हज़रत और अज़मते ख्वाजा गरीब नवाज़ ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ कमा अफादहू इमामूल मुहक्कि कु मुहीयुद्दीन अबू ज़करीया कुद्दि स सिईहू फित्तरज्जी , और अगर इस का मबना वहाबियत है तो वहाबियत कुफ्र है उस के बाद ऐसी बातों की क्या शिकायत ? मा अलैय्या मिस्लुहू बादल ख़ता अपने नाम से लफ्ज़ गुलाम का हज़्फ अगर इस बिना पर है कि हुजूर ख्वाजए ख्वाजगान रदियल्लाहु तआला अन्हु व अन्हुम का गुलाम बनने से इन्कारो इस्तिक्चार रखता है तो बदस्तूर गुमराह और बहुक्मे हदीसे मजकूर अदुव्बुल्लाह है और उस का ठिकाना जहन्नम का ल तआला , लै स फी जहन्नम मसवल्लिल मुतकब्बिरीन , और अगर बर बिनाए वहाबियत है कि गुलामे औलिया बन्ने वालों को मुश्रिक और गुलाम मुहीयुद्दीन व गुलाम मुईनुद्दीन नाम रखने को शिर्क जानता है तो वहाबिया खुद ज़िन्दीक बेदीन कुफ्फारो मुर्तदीन हैवलिल काफिरी न अज़ाबुम्मुहीन , वल्लाहु तआला आलम।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 97 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 139
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ आला हज़रत और अज़मते ख्वाजा गरीब नवाज़ ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ मुजद्दिदे आज़म आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा फाज़िले बरेलवी कुद्दि स सिहू से सवाल किया गया कि हज़रत गौसे पाक कुद्दि स सिईहू को दस्तगीर और हज़रत ख्वाजा मुईनुद्दीन सन्जरी कुद्दि स सिईहू को गरीब नवाज़ के लकब से पुकारना जाइज़ है या नहीं !? इस के जवाब में आला हज़रत के इरशाद का इक़तेबास मुलाहज़ा कीजिए।
•••➲ हुजूर सैय्यिदुना गौसे आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु ज़रूर दस्तगीर हैं और सुल्तानुल हिन्द मुईनुल हक्कि वद्दीन जरूर गरीब नवाज़ हज़रत शैख़ अहमद सरहिन्दी मुजद्दिदे अल्फे सानी कुद्दि स सिर्मीहू अपने मकतूबात में फरमाते हैं , बाद अज़ रिहलते इशाँ रोज़े ईद बज़ियारते मज़ारे ईशाँ रफ्ता व दर असनाए तवज्जुह बमज़ार इल्तेफाते तमाम रूहानियते मुक़द्दसए ईशाँ ज़ाहिर गश्त ज़ि कमाले गरीब नवाज़ी निस्बते खास्सए खुद रा बहज़रते ख्वाजा एहरार मनसूब बूद मरहमत फरमूदन्द *वल्लाहु तआला आलम* ।...✍
*📕 फतावए रज़वीया जिल्द याज़दहुम सफ़ह 43 - 44*
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 98 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 140
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ आला हज़रत और अज़मते ख्वाजा गरीब नवाज़ ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा अपनी मुअक्कर तस्नीफ हयातुल मवात फी बयाने समाइल अम्वात , में फरमाते हैं।
•••➲ मुतअस्सिबाने ताइफा हज़रत ख्वाजा अजमेरी रदियल्लाहु तआला अन्हु की निसबत गरीब नवाज़ कहने से चिढ़ते हैं।...✍
📕 हयातुल मवात सफह 158
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 98 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 141
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ आला हज़रत और अज़मते ख्वाजा गरीब नवाज़ ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा कुद्दि स सह॒हू ने एक मक़ाम पर हज़रत शाह वलिय्युल्लाह मुहद्दिस देहलवी रहमतुल्लाहि अलैह के हवाले से हज़रत अमीर अबुल उला अकबराबादी रहमतुल्लाहि तआला अलैह के यह दिल आवेज़ तअस्सुरात भी नक़ल फरमाए हैं। : ब मज़ारे फाइजुल अनवारे हज़रत ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती कुद्दि स सिईहू मुतवजजे ह बूदन्द व अजाँजा दिलरुबाईहा याफ्तन्द व फैज़हा गिरफ्तन्द।( फतावए रज़वीया ) - याअनी हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज़ के मज़ारे पुरअनवार पर हाज़िर हुए और उस से दिलों की तस्कीन और फुयूज़ हासिल किए।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 99 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 142
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ आला हज़रत और अज़मते ख्वाजा गरीब नवाज़ ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा फाज़िले बरेलवी कुद्दि स सिईहू के वालिदे गिरामी हज़रत अल्लामा नकी अली खाँ साहब रहमतुल्लाहि तआला अलैह ने आदाबे दुआ पर मुश्तमल एक रिसाला लिखा है जिस का नाम , अहसनुल विआअ लिआदाबिद्दुआ है जिसे फज़ाइले दुआ ,के नाम से रज़ा इस्लामिक मिशन बरेली शरीफ ने शाएअ किया है। जिस में दुआ के आदाबो तुरुक और उस की कुबूलियत केलिए मखसूस औकात और मुकद्दस मकामात का बित्तफसील ज़िक्र किया है उस पर आअला हज़रत ने जैलुद्दुआ लिअहसनिल विआअ के नाम से कुछ तशरीहात और इज़ाफे किए हैं।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 99 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 143
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ आला हज़रत और अज़मते ख्वाजा गरीब नवाज़ ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ गोया कुल चव्वालीस मकामाते मुकद्दसा हैं जहाँ यकीनी तौर पर अल्लाह तआला की बारगाह में खुलूसे निय्यत के साथ दुआ करने से मूमिनों की दुआ कुबूल होती है। उन चव्वालीस मकामात का जिक्र करते हुए।
•••➲ आला हज़रत ने 39 वें नम्बर पर मज़ारे पाके हज़रत मुईनुल हक्कि वंदीन गरीब नवाज़ अजमेरी रदियल्लाहु तआला अन्हु का जिक्र किया है जहाँ हर नेक व जाइज़ दुआ मकबूले बारगाहे इलाही होती है।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 99 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 144
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ आला हज़रत और अज़मते ख्वाजा गरीब नवाज़ ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ यह तो आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा कोई स सिर वह इरशादाते आलिया हैं जो आप की तसनीफात के सर मतालों से सामने आए गहराई व गीराई के साथ मुतालआ कर पर अन्दाज़ा हो सकता है कि आप की किताबों में और भी न कैसे कैसे कीमती इरशादात हैं जिन से सरकारे ख़्वाजा गरी नवाज़ से आप की गहरी वाबस्तगी और कल्बी लगाव का इजहार होता है।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 100 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 145
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ आला हज़रत और अज़मते ख्वाजा गरीब नवाज़ ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ रही आम कादरी उलमा व अवाम की बात तो ज़ेरे तज्किरा किताब में इस मौजूअ भरपूर रौशनी डाली गई है और बहुत से कादरी मशाइख व उलमा की बारगाहे ख़्वाजा गरीब नवाज़ में गुलामाना हाज़री और इज़हारे अकीदत के वाकेआत दर्ज किए गए हैं उस के अलावा आज भी अहले सुन्नत व जमाअत की वह कौन सी दीनी व इल्मी महफिल , मजिलस , जल्सा या कानफ्रन्स है जहाँ सरकारे ख़्वाजा गरीब नवाज़ का नस्रो नज़्म में तज़्किरा नहीं होता। हज़रत साहिरुल बयान अल्लामा अब्दुर्रहीम साहब कादरी ने इस किताब को मुरत्तबो मुदव्वन करके कादरियों के सर से बेबुनयाद इलज़ामात का बोझ बहुत हद तक हलका करने की कामयाब कोशिश की है।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 100 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 146
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ साहिरुल बयान अल्लामा अब्दुर्रहीम कादरी ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ सीरते ख्वाजा गरीब नवाज़ ,के मुअल्लिफ व मुरत्तिब साहिरुल बयान हज़रत अल्लामा अब्दुर्रहीम साहब कादरी हिन्दुस्तान के नामवर उलमाए अहले सुन्नत में शुमार किए जाते हैं तकरीबन गुज़श्ता चालीस बरसों से मुल्क के गोशे गोशे में आप की ख़िताबत की धूम है।
•••➲ आप का वतने अस्ली उत्रौला ज़िला गोण्डा ( मौजूदा ज़िला बलरामपुर ) है मगर अवाइले उम्र में ही कानपुर आ गए और यहीं तकमीले उलूमे दीनिया के बाद मुस्तकिल केयाम और रिहाइश इख्तियार कर ली और कानपुरी हो कर रह गए
•••➲ अपनी जमाअत के अकाबिर उलमा व मशाइख के साथ जल्सों और कान्फ्रन्सो में शिर्कत और ख़िताबत का आप को शरफ हासिल है।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 100 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 147
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ साहिरुल बयान अल्लामा अब्दुर्रहीम कादरी ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ ताजदारे अहले सुन्नत , शहजादए आला हज़रत हुजूर मुफ्तिये आजम हिन्द कुदि स सिरेहू से बैअतो खिलाफत से मुसतफीज़ हैं। आप न अर्सा पहले कई किताबें तसनीफ की थीं जिन में अलमुअजिजात सैय्यिदुल अंबिया और सीरत गौसे आजम बहुत मशहूर और मकबूल हुई।
•••➲ आप का एक मक्तबा , मक्तबए रहीमिया , , के नाम से काइम थाजिस के ज़रीआ आप ने अपनी जमाअत के मुतअद्दिद मुसन्निफीन की किताबें शाएअ की और नाअतिया व मनकबती मजमूओ भी छापे। पूरे मुल्क में मक्तबए रहीमिया की अपनी एक पहचान थी मगर हज़रत साहिरुल बयान की तवज्जोह उस तरफ से कम होगई इस लिए न तो मज़ीद तसनीफो तालीफ का काम होसका और न तबाअतो इशाअतं का मगर हस्बे ज़रूरत मुतालबात अपनी तसनीफात की इशाअत करते रहे। पहले तो सिर्फ उर्दू में लिथो की किताबतो तंबाअत थी मगर जब किताबें आम तौर पर आपसेट पर छपने लगी और मुसलमानों में हिन्दीदाँ अफराद की ताअदाद ज़ियादा होने लगी तो आप ने नइ किताबत और आफ्सेट की दीदाज़ेब तबाअत के साथ अपनी किताबें शाएअ करने का सिलसिला शुरू किया।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 100 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 148
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ साहिरुल बयान अल्लामा अब्दुर्रहीम कादरी ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ इस सिलसिले की पहली कड़ी सीरते गौसे आजम ,और , अलमोअजिजात, है जो नई - किताबतो तबाअत के साथ हिन्दी और उर्दू दोनों ज़बानों में नए गेटअप के साथ मन्जरे आम पर आई।
•••➲ सीरते गौसे आज़म ,की शोहरते तमाम और मकबूलियते दवाम के सबब गुज़श्ता कई बरसों से हज़रत साहिरुल बयान से फरमाइशें की जारही थीं कि सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ की , - सीरत पर भी एक किताब उसी तर्ज़ पर लिख दें जिस तर्ज़ पर सीरते गोसे आज़म लिखी है। दीनी , दुन्यावी , समाजी और खानगी मसरूफियात के सबब लोगों की इस ख्वाहिश को सर्फे नज़र करते रहे मगर सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ को भी शायद यही मनजूर था इस लिए आप को इस तरफ मुतवज्जेह होना पड़ा और एक अज़ीमो ज़खीम किताब तैय्यार होकर मनज़रे आम पर आ गई।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 101 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 149
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ साहिरुल बयान अल्लामा अब्दुर्रहीम कादरी ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ सीरते गौसे आज़म , की शोहरते तमाम और मकबूलियते दवाम के सबब गुज़श्ता कई बरसों से हज़रत साहिरुल बयान से फरमाइशें की जारही थीं कि सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ की , - सीरत पर भी एक किताब उसी तर्ज़ पर लिख दें जिस तर्ज़ पर सीरते गोसे आज़म लिखी है।
•••➲ दीनी , दुन्यावी , समाजी और खानगी मसरूफियात के सबब लोगों की इस ख्वाहिश को सर्फे नज़र करते रहे मगर सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ को भी शायद यही मनजूर था इस लिए आप को इस तरफ मुतवज्जेह होना पड़ा। और एक अज़ीमो ज़खीम किताब तैय्यार होकर मनज़रे आम पर आ गई l।
•••➲ सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ की सीरतो सवानेह पर फारसी ज़बान में बहुत सी किताबें मौजूद हैं और बहुत सी किताबें ऐसी हैं जिन में अकाबिर औलियाए किराम के हालात हैं और सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ का भी तफसीली जिक्र है मगर उर्दू ज़बान में मनज़रे आम पर काबले ज़िक्र कोई किताब नहीं है।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 101 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 150
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ साहिरुल बयान अल्लामा अब्दुर्रहीम कादरी ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ उन तमाम किताबों को सामने रख कर अगर सीरते ख्वाजा गरीब नवाज़ का मुतालआ किया जाए तो यकीनन इस किताब में इन्फेरादियत मिलेगी कुछ मवाद के एअतेबार से और कुछ अन्दाजे तरतीब के लेहाज़ से इस किताब का मुतालआ करें और में ख्वाजा गरीब नवाज़ से अपनी अकीदतो वाबस्तगी का मज़बूत करने के साथ साथ आप के फुयूज़ो बरकात से भी दिलो दमाग और ईमानो अमल को रौशनो मुनव्वर करें।
•••➲ मौला तआला अपने महबूबे मुकरेम सल्लल्लाहु तआला अऔर वसल्लम के सदके में हमें और आप को अपने अस्लाफ और बल के किरदारो अमल और सीरतो सवानेह का मुतालआ करने उन के नुकूशे कदम पर चलकर जिनदगी गुज़ारने की तौफीक अता फरमाए और दुन्या व आखिरत में हर लम्हा उन के दामाने करम से वाबस्ता रखे। *आमीन* ...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 102 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 151
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ सरकारे ख्वाजा गरीब नवाज़ का मादरी नसबनामा ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ हुजूर ख़ातमुन्नबिय्यीन सैय्यिदुना मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम
•••➲ *आप की साहबज़ादी* खातूने जन्नत सैय्यिदा फातिमा ज़हरा रादिअल्लाहु तआला अन्हा
( ज़ौजए सैय्यिदुना अलीये मुर्तज़ा रादिअल्लाहु तआला अन्हु )
•••➲ *आप के साहबजादे* सैय्यिदुश्शुहदा सैय्यिदुना इमामे हुसैन रादिअल्लाहु तआला अन्हु
•••➲ *आप के साहबज़ादे* सैय्यिदुना इमामे जैनुल आबिदीन रादिअल्लाहु तआला अन्हु
•••➲ *आप के साहबजादे* सैय्यिदुना इमाम मुहम्मद बाक़िर रादिअल्लाहु तआला अन्हु
•••➲ *आप के साहबजादे* सैय्यिदुना इमाम जाअफर सादिक रादिअल्लाहु तआला अन्हु
•••➲ *आप के साहबजादे* सैय्यिदुना इमाम मूसा काज़िम रादिअल्लाहु तआला अन्हु
•••➲ *आप के साहबजादे* सैय्यिदुना इद्रीस रादिअल्लाहु तआला अन्हु
•••➲ *आप के साहबज़ादे* सैय्यिदुना इब्राहीम रादिअल्लाहु तआला अन्हु
•••➲ *आप के साहबजादे* सैय्यिदुना अब्दुल अज़ीज़ रादिअल्लाहु तआला अन्हु
•••➲ *आप के साहबज़ादे* सैय्यिदुना नजमुद्दीन ताहिर रादिअल्लाहु तआला अन्हु
•••➲ *आप के साहबजादे* सैय्यिदुना अहमद हुसैन रादिअल्लाहु तआला अन्हु
•••➲ *आप के साहबजादे* सैय्यिदुना ख्वाजा कमालुद्दीन रादिअल्लाहु तआला अन्हु
•••➲ *आप के साहबज़ादे* सैय्यिदुना ख्वाजा गयासुद्दीन हसन रादिअल्लाहु तआला अन्हु
•••➲ *आप के साहबजादे* सैय्यिदुना ख्वाजा मुईनुद्दीन हसन गरीब नवाज़ रादिअल्लाहु तआला अन्हु!...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 103 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 152
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ निगाहे अव्वलीं ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ लुगत में अगरचे , वली , के माअना करीब , पैरो , मुतसर्रिफ , मददगार , फरमाँरवा , दोस्त और मौसमे बहार की दूसरी बारिश के हैं और बाज़ के नज़दीक जब यह लफ्ज़ , अल्लाह ,के साथ मिलाकर बोला जाता है याअनी वलिय्युल्लाह , तो इस के माअना अल्लाह के करीब , अहकामे इलाही के पैरो , अल्लाह की तरफ से मुख़्तारो मुतसर्रिफ , अल्लाह की तरफ से ज़ईफों के मददगार , किश्वरे जुहदो इत्तेका के फरमाँरवा , अल्लाह पर सब कुछ कुर्बान करने वाले दोस्त और खुदा के बन्दों केलिए मौसमे बहार की बारिश की तरह फायदामन्द के हैं। हमें लुगवी माअनों के अलावा यहाँ यह देखना है कि इस खुदाई ख़िताब औलियाअल्लाह , की जो पहचान अल्लाह के महबूबे आअज़म शहंशाहे दोआलम फले आदमो बनी आदम हज़रत मुहम्मद मुसतफा सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने अहादीसे करीमा में बयान फरमाई है वह किस गरोह पर सादिक़ आती हैं!...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 107 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 153
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ निगाहे अव्वलीं ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ हदीस में औलियाअल्लाह की यह शनाख्त बताई गई है कि न वह आपस में रिश्तेदारी के सबब मिलेंगे न उन के दरमियान दुन्या . होगी जिसे आपस में तक़सीम करें बल्कि वह मुख़्तलिफ शहरों और जुदा जुदा कबाइल के होने के बावुजूद उन की बिनाए महब्बत महज़ ज़ाते बारी तआला होगी , सरवरे . आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की फरमूदा पहचान - फुकरा , मशाइख और सूफियाए किराम के गरोह पर सादिक आती है। यही वह हज़रात हैं जो बिला किसी दुनयावी लालच के बल्कि दुन्यावी मालो ज़र लुटाकर अपने मुर्शिद से सिर्फ खुदा केलिए महब्बत करते हैं हालाँकि एक किसी शहर का होता हैऔर दूसरा किसी मकाम का , उन में आपस में न दुन्यावी हिर्स दामनगीर होती है न वह किसी दुन्यावी रिश्ते से मिलते हैं , न हमवतन या कराबतदार होने की वज़ह से आपस में मोहब्बत करते हैं!..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 107 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 154
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ निगाहे अव्वलीं ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ बल्कि उन की महब्बत खदा के लिए होती है , चुनाँचे हज़रत ख्वाजा हसन बस्री रदियल्लाह तआला अन्हु का रिश्तए महब्बत हज़रत अली रदियल्लाहु तआला अन्हु के साथ , हज़रत इब्राहीम इब्ने अदहम बलखी रहमतुल्लाह अलैह का तअल्लुक हज़रत फुजैल इब्ने अयाज़ रदियल्लाहु अन्ह के साथ और इस किस्म के बहुत से औलिया अल्लाह का उन्स अपने पीराने उज़्ज़ाम के साथ ताईद में पेश किया जा सकता है। इस गरोहे औलिया अल्लाह के हज़रात वह मुकद्दस हज़रात हैं जो इश्को महब्बत के तअल्लुक के साथ फना फिश्शैख , फना फिर्रसूल और फना फिल्लाह हो जाते हैं और जाते मुतलक में अपनी हस्ती गुम कर देते हैं जिन के बारे में अल्लाह तआला का इरशाद है कि मैं उस की आँख बन जाता हूँ जिस से वह देखता है , मैं उस की ज़बान बन जाता हूँ जिस से वह बोलता है , मैं उस का हाथ बन जाता हूँ जिस से वह पकड़ता है , मैं उस का पाँव बन जाता हूँ जिस से वह चलता है और जब वह मुझ से कोई चीज़ मांगता है तो मैं उसे ज़रूर ज़रूर देता हूँ , जब किसी बन्दए ख़ास को यह मरतबा हासिल हो जाता है तो उस की नज़रे फैज़असर जिस पर पड़ जाती है वह भी वली हो जाता है और जो कुछ यह ज़बान से फरमा देते हैं वह होकर रहता है , जिस बीमार को यह हाथ से छू लेते हैं वह शिफायाब हो जाता है , जिस के सर पर हाथ रख देते हैं वह मामूनो महफूज़ हो जाता है , जिसके हाथ से उन का दस्ते यदुल्लाही मस हो जाता है वह फैज़याब और बाबरकत हो जाता है!..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 108 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 155
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ निगाहे अव्वलीं ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ इसी वजह से लोग औलिया अल्लाह की एक नज़रे करम के जोयाँ , उन के इरशादात सुनने के मुशताक और उन के हाथ पाँव से अपने हाथ , सर , आँख और होंटों से मस करके , बरकाते खुदावन्दी हासिल करते हैं और मुरीद करते वक्त यह हज़रात मुरीद का हाथ अपने हाथ में लेकर कान में कुछ कहकर नज़र से नज़र मिलाकर और अपना लुआबे दहन बज़रिअए शर्वत वगैरह चखाकर बरकाते बातिनी और तस्फियए कल्ब से मुस्तफीज़ फरमाते हैं। बई वजह वादे विसाल भी लोग औलिया अल्लाह के मजारात से हाथ मस करके , होंटों से चूमकर , आँखों से लगाकर और मजार से मस शुदा चादर को सर पर रख कर बरकात हासिल करते थे!...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 108 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 156
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ निगाहे अव्वलीं ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ गरोहे अस्फिया में मुसल्लमुस्सुबूत औलिया अल्लाह हज़रत ख्वाजा हसन बस्री , हज़रत बायज़ीद बुस्तामी , शैख़ अबुल हसन खिकीनी , हज़रत फरीदुद्दीन अत्तार , सैय्यिदुत्ताइफा हज़रत जुनैद बगदादी , गौसे आज़म हज़रत शैख़ मुहीयुद्दीन अब्दुल कादिर जीलानी , हज़रत ख्वाजा अबू इसहाक शामी चिश्ती , हज़रत ख्वाजा फुजैल इब्ने अयाज , हज़रत ख्वाजा उस्मान हारवनी और दूसरे हज़ारों औलियाए किराम रदियल्लाहु तआला अन्हुम अजमईन हैं और उसी पाक गरोह में से हज़रत ख्वाजा मुईनुद्दीन हसन चिश्ती सनजरी रदियल्लाहु तआला अन्हु हैं आप ने भी महज़ खुदा के लिए बमिस्दाके अहादीसे करीमा अपने पीरो मुर्शिद हज़रत ख़्वाजा उस्मान हारवनी से रिश्तए महब्बत जोड़ा हालाँकि पीरो मुर्शिद मुत्तसिल नीशापुर कस्बा हारवन के रहने वाले थे और हज़रत - ख्वाजा गरीब नवाज़ सन्जरी थे मगर आपस में रिश्तए महब्बत ऐसा उस्तवार हुआ कि दुन्यावी दौलत , रिश्तेदारी और वतन के तअललुकात से बालातर हो गया !...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 109 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 157
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ निगाहे अव्वलीं ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ दुन्यावी दौलत लुटाकर , रिश्तेदारों की मफारकत इख्तियार करके , वतन को खैरबाद कहकर मुर्शिद की खिदमत इख़्तियार की आप की दीद से खुदा की याद जुहूर पज़ीर होती थी बल्कि बाज़ मुरीदीन तो आप के रूए अनवर की दीद को नूरे एज़दी की दीद समझते थे आज भी आप का ज़िक्र खुदा व रसूल के जिक्र के साथ आता है।
•••➲ आप के ज़िक्र से खुदा व रसूल की तरफ रगबत और महब्बत पैदा होती है।
•••➲ दरबारे एज़दी का बरगुज़ीदा फर्द ही समझकर लोग आप की ज़ियारत के लिए आया करते थे और आज तक आप के रौज़ए अकदस की ज़ियारत केलिए आते हैं आप के फैज़े विलायत से हज़ारों बन्दगाने खुदा मन्ज़िले विलायत पर फाइज़ हो गए , आज तक हो रहे हैं और केयामत तक यह सिलसिला जारी रहेगा।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 109 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 158
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ निगाहे अव्वलीं ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ आप ही ने हिन्दुस्तान में रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की नियाबतो जानशीनी के फराइज़ बहुस्ना खूबा अंज़ाम देकर सुल्तानुल आरिफीन , सुल्तानुल हिन्द , नाइबे रसूलुल्लाह फिल हिन्द और औलियाए हिन्दुस्तान का सरताज बनने का शरफ पाया।
•••➲ बिलआख़िर यदे कुदरत ने बादे विसाल आप की पेशानिए अतहर पर बखत्ते नूर ,हाज़ा हबीबुल्लाहि मा त फी हुब्बिल्लाह , लिखकर अल्लाह के दोस्त और हबीब होने की और अल्लाह की महब्बत में जान कुर्बान करने की मुहर सब्त करके आप की विलायत की तसदीक फरमाई।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 109 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 159
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ निगाहे अव्वलीं ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ आप की ज़ाते वाला सिफात उन हज़रात में से एक है जो मैदाने केयामत में अर्शे इलाही के सामने मोतियों की मस्नद पर बैठे होंगे और , ला ख़ाफुन अलैहिम , के मुताबिक तमाम खौफनाक मनाज़िर से वह बेखौफ होंगे और बमिसदाक , व लाहुम यहज़नून , हर ग़मो अलम से आज़ाद व बे परवाह होंगे बल्कि जब उन से महब्बतं करने वाला उनहें नज़र आएगा तो उस का हाथ पकड़कर अपने पास खड़ा कर लेंगे अगर फरिश्ते कुछ कहेंगे तो उन से फरमाएंगे , यह हमारे चाहने वाले और पैरो हैं अल्लाह तआला का उन के बारे में हम से वाअदा है , हा उलाए कौमुल ला यश्का जलीसुहुम , , यह लोग दुन्या में हमारे हमनशीं थे लिहाज़ा यहाँ भी हमारे पास रहेंगे।
•••➲ आप ही जैसे मुक़द्दस हज़रात के लिए अल्लाह तआला ने फरमाया है कि मैं उन की आँख बन जाता हूँ , मैं उन की ज़बान बन जाता हूँ , मैं उन का हाथ बन जाता हूँ वगैरह वगैरह चुनाँचे आप की नज़रे कीमिया असर जिस पर पड़जाती थी वह वली होजाता था बल्कि पत्थर तक तूर के पत्थरों की तरह जलकर ख़ाकिस्तर हो जाते थे।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 109 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 160
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ निगाहे अव्वलीं ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ आप जैसा फरमा देते वैसा ही जुहूर में आता शमसुद्दीन अलतमश को बरसों पहले आप ने हिन्दुस्तान का बादशाह फरमाया था और ऐसा ही जुहूर में आया राजा प्रिथवी रॉय के लिए आप ने फरमाया था कि हम ने उसे मुलमानों के हाथों ज़िन्दा गिरफ्तार करा दिया। आख़िर कुछ अस बाद ऐसा ही हुआ। जो आप के हाथों पर बैअत हो जाता वह खुदा रसीदा हो जाता।
•••➲ आप पर दरबारे एज़दी से जो खासुल ख़ास इन्आमातो इकरामात हुए हैं उन के मुकम्मल राज़दार तो आप खुद ही है मगर आप की विलादत , वफात और हयाते मुकद्दसा के बाज़ हालात से चन्द मखसूस इन्आमात का कदरे अन्दाज़ा ज़रूर हो जाता है चुनाँचे ख्वाजए हिन्द का दौरे वस्त में आलमे नासूत को जीनत बख़शना एक तरफ कुरूने ऊला की याद ताज़ा करता है तो दूसरी तरफ दौरे आख़िर केलिए शम्ओ हिदायत है जिस की रौशनी में अहालियाने आलम बिलखुसूस बाशिन्दगाने हिन्द के कुलूब नूरे इस्लाम से मुनव्वर नज़र आते हैं और बरकाते सुवरी व माअनवी से आज तक फैज़याब हो रहे हैं।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 110 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 161
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ निगाहे अव्वलीं ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ उस ज़रीं अहद में कुरूने ऊला की ज़िया पाशी हिजाज़ से फैलकर एशियाई मुल्कों को इस्लाम के साथ साथ इलूमे ज़ाहिरो बातिन और अनवारे तरीक़तो माअरिफत से मुनव्वर कर चुकी थी। फारस व इराक , रूम व शाम , खुरासान व अफगानिस्तान , खेवार व बुखारा , सीस्तान व किरमान और सिन्ध व पंजाब में रूहानियत का दौरे उरूज था। एशिया के इसी ख़ित्ते में मशहूरे आलम मशाइख व दुर्वेश ताअलीमाते रूहानी व तसर्राफाते बातिनी से बारिशे इफान कर रहे थे। फकर का हिलाले नव बद्रे कमाल हो चुका था , आफताबे रूहानियत की गर्म बाज़ारी निस्फुन्नहार पर थी। बग़दाद में गौसे आअज़म दस्तगीर , शैख शहाबुद्दीन सोहरवर्दी , ख्वाजा अबू नजीब सोहरवर्दी और दूसरे बहुत से कामिलीन रूहानी फुयूज़ और कल्बी नूर के खजाने लुटा रहे थे। म हद में शैख फरीदुद्दीन अत्तार , ख्वार्ज़म में शैख नज्मुद्दीन कुब्रा , तब्रेज़ में शैख़ शमसुद्दीन , उस्तुराबाद में शैख़ नासिरुद्दीन , किरमान में शैख़ औहदुद्दीन , हारवन में ख्वाजए ख्वाजगान ख्वाजा उस्मान हारवनी चिश्ती कुद्दिसत अस्रारुहुम और दूसरे सैकड़ों मायए नाज़ मशइखो दुर्वेश एशिया के इस चमनिस्तान पर गुलहाए माअरिफत बरसा रहे थे और गुलहाए इल्मो अमल की खुश्बू फैलाकर लाज़वाल शोहरत हासिल कर रहे थे यह वह हज़रात हैं जिन पर दुन्याए फकर जितना भी फख्र करे कम है।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 110 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 162
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ निगाहे अव्वलीं ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ अल्लाह तआला ने अपनी कुदरते कामिला से जो खुसूसियात आप को अता फरमाई वह अपनी नज़ीर आप हैं। इस आलम में जलवा फरमा होते ही आप ने सर ज़मीने तख़्तगाहे जमशेद पर क़दम रखा। मुत्तसिले सन्जर अस्फहान ही वह मक़ाम है जहाँ जमशेद का मशहूरे आलम तख़्त आज तक बिछा हुआ है और जिस की मदहख़्वानी शाइरों के दीवान की ज़ीनत बनी हुई है। सरज़मीने तख्त गाहे जमशेद में आप की विलादते मुबारका गोया कुदरत का इशारा था कि हम ने दुन्यावी तख्ते शाही को दीनी बादशाह के कदमों में बिछा दिया। वस्ते एशिया में आप का नशवो नुमा होना कुदरत का किनाया है कि वह सर ज़मीन जो माद्दी जंगी कुव्वत का मरकज़ बनी हुई थी।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 110 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 163
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ निगाहे अव्वलीं ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ अब रूहानी कुव्वत के शहंशाह की पाबोसी करे अवाइले उम अगरचे बज़ाहिर आप बाग में आबपाशी कर हे थे मगर बबानि चमने इस्लाम को आबे रहमत से सैराब कर रहे थे।
•••➲ आगाजे शबान में केयामे समरकन्द व बुख़ारा से साबित है कि कुदरत ने आप को एशिया की सद्रनशीनी अता फरमाई और कल्बे एशिया में कुआन ख्वानी की बा बरकत आवाज़ से चारों तरफ़ नूरे इस्लाम ' और रूहानी रौशनी की शुआएं फैलाई। कुदरत ने आपका मुस्तकरे अव्वल उस मकाम को बनाया जो इलूमे ज़ाहिरो बातिन का मरकज़ था उस वक्त बगदाद के मदरसा निज़ामिया में दूर दराज़ के तालिबाने इल्म आकर मुस्तफीज़ हो रहे थे और उसी मुकद्दस शहर में तालिबाने माअरिफत अतराफो जवानिब से वारिद होकर अपनी रूहानी प्यास बुझा रहे थे मस्लेहते खुदावन्दी थी कि उलमाए ज़ाहिर , मशाइख़ो दुर्वेश और बादशाह फक़ से रूशनास हों आप की सियाहत में दरपर्दा मशिय्यते एज़दी थी कि मक्कए मुअज़्ज़मा और मदीनए मुनव्वरा से लेकर समरकन्दो बदख्रशाँ तक और देहली व अजमेर से लेकर तब्रेज़ो दमिश्क तक सरज़मीने एशिया आप के कुदूमे मुबारक से बरकत हासिल करे।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 112 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 164
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ निगाहे अव्वलीं ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ तमाम ममालिक के लोग आप के दीदारे पुरअनवार से मुशर्रफ हों और यह तूलो अर्ज आइन्दा नस्लों केलिए रूहानियत की आमाजगाह रहे। दौराने सियाहत अगरचे बज़ाहिर आप तीरो कमान से परिन्दों का शिकार फरमा रहे थे मगर हकीक़त यह है कि बबातिन आप इन्सानी कुलूब पर फतह हासिल कर रहे थे सुबूत में मुसलमानाने हिन्द की कसीर ताअदाद पेश का जा सकती है। बहुत सी खुसूसियात में से आप की एक खुसूसियत यह भी है कि दरबारे रिसालत से आप को शरीअतो तरीकत और माअरिफत केलिए वह मुल्क मिला जहाँ बुत परस्ती यूनान की हमपल्ला थी बलिक हिन्दुस्तान ही वह मुलक है जहाँ दुन्या का तवहहुम परस्ती खत्म होजाने के सैकड़ों बरस बाद भी अब तक यह सिलसिला जारी है आप ही ने सब से पहले शिमाला हिन्दुस्तान में आकर परचमे इस्लामो रूहानियत बे तेगो तफा बलन्द फरमाया बिला खौफे तीरों शमशीर , दुशमनाने इस्लाम के नरगे में हजरत इमाम हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु की तरह तशरीफ फरमा हुए और हजरत इमाम हसन रदियल्लाहु तआला अन्हु की तरह हुस्ने सुलूक और सुल्ह का रवैय्या इख़्तियार करके हिन्दुस्तान में तब्लीगे इस्लाम की खिदमात बहुसनो खुबी अंजाम दीं और इक्तेदारे इस्लाम काइम फरमाया।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 112 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 165
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ निगाहे अव्वलीं ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ आप की ज़ाते गिरामी आफताब से ज़ियादा रौशन और . माहताब से ज़ियादा जाज़िबे कुलूबो रूह है। हिन्दुस्तान का चप्पा चप्पा आप के फुयूज़े बातिनी और दर्से ज़ाहिरी से माअमूरो मुज़ैय्यन है।
•••➲ अहालियाने हिन्द अपने मुहसिने आअज़म के एहसानात को आठ सदियाँ गुज़र जाने के बाद भी नहीं भूले हैं आज तक लाखों की ताअदाद में लोग गैर मुन्कसिम हिन्दुस्तान के गोशे गोशे से आकर आप की चौखट पर सरे नियाज़ झुकाते हैं , फुयूज़े सुवरी व माअनवी केलिए दामने दिल फैलाते हैं , कुर्बान हो हो कर इज़हारे तशक्कुर करते हैं और अदलो इन्साफ , इजज़ो नियाज़ , हिल्मो . . तवाज़ो , पाकबाज़ी व पाक बातिनी , सिदको रास्त गुफ्तारी , इल्मो अमल , मखलूक परवरी , इन्सान नवाजी , फर्ज़ शनासी , इश्को महब्बत , मसावातो यगानगत और खुदा शनासी व खुदारसी का दर्स हासिल करते हैं।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 113 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 166
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ निगाहे अव्वलीं ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ आज से तकरीबन नौ सदी पहले पैवन्द दार कपड़ों में मलबूस , चन्द माशे सूखी रोटी खाने वाला , फकीराना ज़िन्दगी बसर करने वाला एक इन्सान हिन्दुस्तान में मुसाफिराना तौर से वारिद होता है और अहालियाने हिन्द के कुलूब को मुसख्खर करलेता है उस के पास न तोप होती है न तल्वार , न फौज न खंज़ाना मगर वह तेगे इन्साफ चलाकर , फौजे अखलाकियात फैलाकर , गंजे इरफानो सदाकत लुटाकर न सिर्फत हिन्दुस्तान व सलातीने हिन्दुस्तान पर रूहानी फतह हासिल करलेता है बल्कि बैरूने हिन्द भी अपनी लाज़वाल रूहानी कुव्वत का सिक्का बिठा देता है। चीनो जापान , रूसो तुर्किस्तान , अरबो शाम , अफगानिस्तानो ईरान और इराको सीस्तान में उस के अकीदत मनद आज भी नज़र आते हैं और अफरीका व मिस्र , हालैन्डो फ्राँस और यूरप के दूसरे ममालिक से उस के रौज़ए अंकदस की जियारत करने के लिए आते हैं।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 113 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 167
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ निगाहे अव्वलीं ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ कौन जानता था कि मिसकीन सूरत , खिका पोश और गरीबुल वतन इन्सान की गुदड़ी में लाअलों से ज़ियादा कीमती खजाना मौजूद है यह इन्सान वह कामिलो अकमल इन्सान है जो हजारों को सिदको सफा का रास्ता बताएगा , अकसर को ज़ाहिदो आबिद बनाएगा और उस का दर्से इन्सानियत बतसर्मीफाते रूहानी हमेशा जारी रहेगा। आखिर वह दिन आया कि आफताबे हिदायत ने उन हिन्दुस्तान पर जल्वागर होकर अपनी शुआओं से मुल्क का कर कोना मुनव्वर कर दिया। यहाँ आप को सुकूनत के लिए मुल्क वह सूबा मिला जो हिजाज़ से बदर्जए अतम मुशाबहत रखता है। राजपुताना की रेगिस्तानी सरज़मीन , पानी की कमयाबी , ऊँटों की सवारी और पहाड़ों का जाबजा वुकूअ हमारे इस दाअवे की तसदीक करते हैं , हज़रत ख्वाजा ने जो दर्से इन्सानियत बिल्लिसान , बिलकलम और बिलकल्ब दिया है उस का नमूना पहले आप ने खुद बनकर दिखाया है। जो कुछ फरमाया उस का अमली सुबूत अपने किरदार से दिया , जो लिखा उस का मिस्दाक पहले खुद बने , जो बयान किया उस का मुशाहदा अपने आअमालो अफ्आल से कराया याअनी जो कहा वह करके दिखाया।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 113 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 168
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ निगाहे अव्वलीं ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ आप ने न सिर्फ तहज़ीबो अख़लाक़ की ताअलीम दी बल्कि फको दुर्वेशी का भी वह ऊँचा सबक़ दिया जो अपनी मिसाल आप है , कही रियाज़ातो मुजाहदात से तज़्कियए नफ्स का दर्स दिया है तो कहीं औरादो वज़ाइफ से खुदा की याद में मस्रूफ रहने की हिदायत फरमाई है कहीं ज़िक्रो अज़कार से तस्फियए कल्ब की ताअलीम दी है तो कहीं पासे अन्फास की तलकीन फरमाई है कहीं सुल्तानुल अज़कार की तरफ इशारा किया है तो कहीं कल्ब जारी होने की तरफ किनाया फरमाया है कहीं शग्ले शमसी का जिक्र किया तो कहीं शग्ले माहताबी के मुतअल्लिक बयान फरमाया कहीं माहताब दर आफताब का शग्ल तल्कीन किया है तो कही आफताब दर माहताब का तरीका सिखाया है। जानकारी आप की ताअलीमात में आलमे नासूतो मलकूत की अस्लियत और आलमे जबरूतो लाहूत की हकीकत , बेहमा व बाहमा का कैफियत और सफरो हज़र की मन्ज़िल का हाल वाज़ेह तौर पर बयान किया गया है और , हमा अज़ ऊस्त हमा ऊस्त , इश्का गिना , खुलूसे इबादात , तौहीदे हकीकी , वहदतुल वुजूद , शाहिदा मशहूद और फना फिल बक़ा की हकीक़त को आश्कारा फरमाया गया है।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 114 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 169
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ निगाहे अव्वलीं ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ आप के किस को माअलूम था कि वह पैकरे इस्तिगना जो ऐय्यान जवानी ही में अपना सब कुछ लुटा देता है एक दिन हिन्दुस्तानमा आकर बबातिन सुल्तानी करेगा बड़े बड़े उलुल अज़्म सलातीन उस की चौखट पर सरे नियाज़ झुकाएंगे , अहले दुवल खाकबोसी करेंगे , साहिबे हुकूमत उस के महकूम बनेंगे , अहलुल्लाह उस के नक्शे कदम पर चलेंगे , अहले माअरिफत उस की ख़ाकेपा को आँखों से लगाएंगे। आखिर वह वक्त भी आया कि खाक नशीन ने तख्तनशीनों पर हुक्मरानी की , गरीब नवाज़ी में खुदा की शान नज़र आई , खुदा के बन्दे ने बनी नौओ इन्सान के साथ हमदाना सुलूक किया , क़दमे , सुख़ने , दिरमे उन की इमदाद करके शरफे जाँनिसारी अता फरमाया।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 115 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 170
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ निगाहे अव्वलीं ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ कि आप की जाज़िबीयत सिर्फ हिन्दुस्तान तक ही महदूद न रही बल्कि किसी ने खुरासान से आकर शरफे कदमबोसी हासिल किया तो किसी ने सीस्तान से , कभी कोई ईरानी हल्का बगोश हुआ तो कभी किसी अफगानी ने सरे इरादत झुकाया। आखिर वह वक़्त आया कि बमन्शए क़ज़ा व क़द्र आप ने अपनी आखरी ख्वाबगाह केलिए वह शहर पाया जो बलिहाज़े जाए वुकूअ मक्कए मुअज्जमा की मिसाल और बलिहाज़े मकानियत मदीनए मनव्वरा के मुशाबेह है। आप की शराबे उलफत के मतवाले आज भी नश्शए महब्बत में मखमूर नज़र आते हैं कोई आप के आस्ताने पर ज़र लुटा रहा है कोई गिर्या व बुका में मुबतला है कोई मदहोश है कोई सरशार है कोई हज़रत ख्वाजा का नाम लेलेकर अश्कबार है।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 115 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 171
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ निगाहे अव्वलीं ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ आप जिस क़दर मखलूक में अज़ीज़ हैं उसी क़दर बारगाहे एज़दी में महबूब हैं अहले महब्बत के लिए आप के रौज़े की दीद ही ईद है अल्लाह ने जो शरफे कुबूलियत आप को बख़शा है वह अपनी नज़ीर आप है तमाम औलियाए हिन्द आप के ज़ेरे नगीं हैं। हज़रत अली कर्रमल्लाहु वजहहू का कौल है कि , जो खालिक से महब्बत करता है मखलुक उस से महब्बत करने पर मजबूर है , इस सिलसिलए महब्बत ने ऐसे आअला मदारिज हासिल किए कि आप दरबारे एज़दी में मकबूल और महबूब हो गए मखलूक ने आप की रूहे पुरफुतूह के वसीले से अपनी दिली मुरादें हासिल की हज़ारों बल्कि लाखों रुप्ये आप के आस्ताने पर निछावर किए , कीमती इमारात ताअमीर की , मवाजेआत वक्फ किए , आप के सवानेहे हयात मुरत्तब किए , मनाकिब लिखे , आप के नाम से बाज़ मकामात को मन्सूब किया और आप के आस्ताने पर हाज़री देने को अपनी सआदत समझा।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 115 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 172
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ निगाहे अव्वलीं ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ इस मौके पर आप की उस दुर्वेशाना खुसूसियत का इज़हार भी बेमहल न होगा कि आप से कसीर ताअदाद में करामती जुहूर हुआ मुम्किन है कि यूरुप और मग्रिब के मुकल्लिदीन : को अफ्साना निगारी समझें मगर उन्हें माअलूम होना चाहिए। यूरूप के जिस मुवरिख ने बाबर के हालात लिखे हैं उस ने की यह करामत ज़रूर लिखी है कि उस ने अपने बीमार फर हुमायूँ का तवाफ किया , बेटे के एवज़ अपनी जान देदी और हमा तन्दुरुस्त हो गया। लेहाज़ा एक आम मुसलमान बादशाह की करामत को लिखा और उस पर यकीन किया जा सकता है तो एक दीनदार दुर्वेश की करामतें लिखने को किस तरह मुवरिखीन के तरीके के खिलाफ कहा जासकता है।..✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 115 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 173
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ निगाहे अव्वलीं ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ इसके अलावा चूँकि करीब करीब तमाम मज़हबी पेशवाओं से माफोकल आदात वाकेआत रूनुमा होते रहे हैं जिन का तज़्किरा मुकद्दस मज़हबी किताबों में जा बजा आया है मसलन हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम से मुर्दे जिन्दा करने , बीमारों को शिफायाब करने के मोअजेजे जुहूर पज़ीर हुए हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से असा के अज़दहा बनने का मोजिज़ा जुहूर में आया और सरकारे खातमुल अंबिया सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से लोगों को बाकसरत साहिबे करामत बनाने का मोअजिज़ा मिनसए शुहूद पर आया।
•••➲ इसी तरह करीब करीब तमाम बानियाने मज़ाहिब और पाक लोगों से आज तक बराबर करामतें जुहूर में आती रही हैं इस लिए सिवाए ला मज़हब लोगों के और किसी मज़हब वाले को करामत से इन्कार का कोई मौका हासिल नही है।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 116 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 174
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ निगाहे अव्वलीं ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ सिर्फ करामत ही वह तुर्रए इम्तियाज़ है जिस से अल्लाह तआला अवाम और ख़वास का फर्क नुमायाँ करता है ब अलफाजे दीगर करामत दरबारे एज़दी में कुबूलियत की एक ऐसी पहचान है जो असबाबी दुन्या और माद्दी कुव्वतों से बालातर है यह जब किसी वली से रूनुमा होता है तो करामत कहलाती है , जब नबी से जुहूर पज़ीर हो तो मोअजिज़ा कहते हैं और जब किसी दूसरे मज़हब वाले से जाहिर हो तो ब इस्तिलाहे शरीअते इस्लाम उस इस्तिदराज़ कहते हैं।
•••➲ आप की मुकम्मल खुसूसियात का इरफान तो आप ही जसा मुकम्मल इन्सान हासिल कर सकता है मगर इस मौके पर कुछ पेश किया गया है मुश्त नमूना अज़ खवारे , के मिस्वाद लिहाजा हम एअतेरार्फ इज्ज़ करते हुए इसी पर इक्तिफा करत वल्लाहु यत्तस्सु बिरहमतिही मैंय्यशाउ वल्लाहु जुल फाल अज़ीम।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 116 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 175
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ आप के अहदे मुबारक के सियासी हालात ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ छटी सदी और अवाइले सातवीं सदी हिजरी का दौर एशियाई मुल्कों में इस्लाम केलिए पुर ख़तर था फिर्कए बातिनी के मुकल्लिदीन ने शामो इराक और फारस वगैरह में हंगामा बरपा कर रखा था खुदा के बन्दों को इन्तेहाई बेदर्दी से ज़िबह कर रहे थे उन का एअतेक़ाद था कि गैर फिकी वाले को ख्वाह वह मुसलमान ही क्यूँ न हों कतल करना मुबाह है यह इस्लाम और मुसलमानों पर डाके और छापे मार रहे थे अल्लाह की मखलूक उन के मज़ालिम से तंग आगई थी उन की कुव्वत इतनी बढ़ गई थी कि खुलफाए वक्त तक उन की लगाई हुई फसाद की उस आग को बुझाने से कासिर थे थोड़े ही अर्से में यह लोग ममालिके इस्लामिया में फैल गए थे उन के खुपया कार गुज़ारों को फिदाईन कहा जाता था उन्हों ने बड़े बड़े उमराए सल्जूकिया को खाको खून में मिला दिया।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 117 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 176
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ आप के अहदे मुबारक के सियासी हालात ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ छटी सदी हिजरी के दौरे वस्त में कौमे गज़ान का गरोह अपनी तेगे जुल्म से खून की नदियाँ बहा रहा था खुरासान के अलाकों में ऐसे वहशियाना तरीके से कतले आम हुआ कि रिआया क दिल लरज़ गए नीशापुर और मशहदे मुकद्दस बेरहमी के साथ लूट लिए गए . इमारातो मसाजिद तक जला दी गई जो लोग मास्जदों में पनाहगुजी हुए उन्हें भी तहे तेग कर दिया गया हर क लाशों के अंबार नज़र आते थे उस गरोह ने तुर्को को ज़ेरो पर किया उलमा व फुजला तक उन ज़ालिम हमला आवरों के हाथों शहीद होने से महफूज़ न रह सके...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 117 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 177
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ आप के अहदे मुबारक के सियासी हालात ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ हज़रत मुहम्मद यहया फकीह ने भी उसी फितने में शहादत पाई। आखिरकर बेदीन तातारियों ने चंगेज़ ख़ाँ की सरकदंगी में सातवीं सदी के अवाइल में उन की हुकूमत का खातमा कर दिया और एक साल के अर्से में मुल्क के इस सिरे से उस सिरे मालिक बन बैठे हज़रत शैख़ नजमुददीन कुबरा उन्हीं तातारियों तेगे जुल्म से 618 हिज़री में शहीद हुए।
•••➲ कानूने कुदरत के मुताबिक उस दौरे जुलमत में एक मुजस्समए अख़लाक़ , पैकरे इस्लाम , आफताबे हिदायत और नूरे ईमान की ज़रूरत थी जिस की बातिनी कुव्वत और से तसरफात से इस्लाम की हिफाज़त की जासके इस मन्शाए कटर " को पूरा करने केलिए मुहसिने आअजम , मुसलेहे कबीर हजर ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाहि अलैह छटी सदी हिजरी के तीस साल रौनक बखशे ख़ित्तए अस्फहान हुए आप ने न सिर्फ बबातिन अपनी ईमानी और रूहानी कुव्वत से इस्लाम को बातिल के नरगे से बचाया बल्कि अपने तसर्राफाते बातिनी से जुलमतकदए हिन्दुस्तान में अलमे हिदायत बलन्द करके किश्वरे माअरिफत के साथ साथ बज़ाहिर भी इस्लामी हुकूमत काइम करदी आप ही के कुदूम की बरकत से कुफ्रिस्ताने हिन्द इस्लाम का चमनिस्तान हुआ।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 118 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 178
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ आप के अहदे मुबारक के सियासी हालात ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ तारीख शाहिद है कि आप ही के तसर्राफाते बातिनी से शिकस्त खुर्दा शहाबुद्दीन गौरी को प्रिथ्वीराज पर फतह नसीब हुई और हिन्दुस्तान में इस्लामी कलमरौ की बुन्याद पड़ी।
•••➲ जोन आलमे अजसाम में शहंशाहे किश्वरे बातिन के तशरीफ फरमा होते ही इस्लामी निज़ामे ज़ाहिर में तब्दीली वाकेअ होती है उसी सन में ख़लीफए राशिद माअजूल किया जाता है और उस की जगह पर अबू अब्दुल्लाह मुस्तज्हर अलमुक्तज़ी बगदाद में मस्नद खिलाफत पर मुतमक्किन होता है अभी शहंशाहे इरफान को इस आलम , में तशरीफ फरमा हुए सिर्फ दो ही साल गुज़रे थे कि माअजूल ख़लीफा राशिद और मलिक दाऊद फारस व खरिस्तान पर कब्ज़ा करने केलिए ख़्वार्ज़म शाह के साथ इराक का कस्द करते हैं सुल्तान मस्ऊद तल्वार और नीज़ा लिए उन के इस्तिकबाल को निकलता है यह लोग मुन्तशिर हो जाते हैं मलिक दाऊद फारस चला जाता है ख्वार्ज़म शाह अपने दारुल हुकूमत का जानिब लौटता है।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 118 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 179
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ आप के अहदे मुबारक के सियासी हालात ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ राशिद असफहान का रास्ता इख्तियार करता है अस्नाए राह में चन्द खुरासानी ब हमराहिए गुलाम 532 हिज़री में उस का खातमा कर देते हैं मकामे शहरिस्तान में अस्फहान के बाहर उस को दफ्न किया जाता है फितना व फसाद की गर्मबाज़ारी होती है यहाँतक कि बगदाद से जो गिलाफे काअबा हर साल जाया करता था वह भी उस साल नहीं गया। एक फारसी ' सौदागर अठारह हज़ार मिस्री दीनार के सरफे से यह ख़िदमत बजा लाता है उस सौदागर की आमदो रफ्त इसी मुलक हिन्दुस्तान में थी जो शहंशाहे अक्लीमे माअरिफत को अपनी आगोश में लेने " के लिए हाथ फैलाए बेचैनी से इन्तेज़ार कर रहा था 533 हिज़री के माहे रबीउल अव्वल में सुल्तान मस्ऊद वारिदे बगदाद हो कर चन्द किस्म के महसूल मआफ करके रिआया की दुआएं लेता है।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 119 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 180
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ आप के अहदे मुबारक के सियासी हालात ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ जब मुअल्लिमे एशिया अपनी उम्र के पन्दरहवें साल मे इल्मे जाहिर हासिल करने केलिए समरकन्दो बुखारा के सफर में होता है उस ज़माने में खलीफा मुक्तजी क़लम्दाने वज़ारत यहया के सुपुर्द करता है खुरासान का हुक्मराँ मलिक सन्जर सल्की रय की जानिब कूच करता है उसी सन याअनी 544 हिज़री में मलिक शाह इब्ने सुल्तान महमूद इराक वापस आता है और सुल्तान मस्ऊद वारिदे बगदाद होता है जब मुसलेहे एशिया समरकन्दो बुखारा में तहसीले इल्म कर रहा था उन ऐय्याम में बर्किय अरक के अहदे सलतनत और इमारते सुलतान सन्जर में कुतबुद्दीन मुहम्मद इब्ने नविश्तगीन मुलक्कब ' बलकबे ख्वार्जम शाह ख्वार्जम ( खेवा ) में हुकूमत कर रहा था।...✍
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 119 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 181
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ आप के अहदे मुबारक के सियासी हालात ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ अभी मुसलेहे एशिया को समरकन्दो बुखारा में आए हुए चार साल ही गुज़रे थे कि खुरासान में गज़ान ने फितना बरपा करना शुरू कर दिया यह लोग नासिरुद्दीन मुलक्कब ब मुइज़्जुद्दीन इब्ने जलालुद्दीन मलिक शाह याअनी सुल्तान सन्जर का फाजा अड्डा लूट कर उस का कद कर लत है जब मुआल्लम इस्लाम पाँच साल तक तहसीले इल्म के बाद समरकन्दो बुखारा से अपनी कल्बी प्यास बुझाने के लिए मुर्शिद की तलाश में बराहे खुरासान इराको अरब का सफर कर रहा था उस ज़माने में ग़ज़ान सुल्तान सन्जर को नज़रबन्द किए हुए खुरासान को लूटते फिर रहे थे उमरा व अराकीने दौलत मुन्तशिर हो गए थे जो जिस शहर में पहुंचता था उसे दाब लेता था उस ज़माने में उस सरज़मीन से गुजरना खतरे से खाली न था आख़िर सुल्तान सन्जर 551 हिज़री में अहमद हाकिमे तिरमिज़ की सई से गोर खाँ वालिए तुर्किस्तान की कैद से निकल कर भागा और 552 हिज़री में तुर्को की मुदाफअत की तमन्ना लिए हुए इस जहाँ से रुखसत हुआ उस वक्त से उस के अमीरों में तकसीम हो गया बाद अज़ाँ बनी ख्वार्ज़म शाह ने कुल बलादे अस्फहान और रय पर कबजा कर लिया और सूबाजाते गज़ना भी उन्ही सुबुक्तगीन से ले लिए इस तरह सलातीने सल्जूकिया की जगह पर यह ख़ानदान बरसरे हुकूमत आ गया।...✍️
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 120 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 182
••──────────────────────••►
❝तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ आप के अहदे मुबारक के सियासी हालात ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ जब ताजदारे विलायत हारवन में ख्वाजए आलमियाँ हज़रत ख्वाजा उस्मान हारवनी कुद्दि स सिढुहू के दस्ते हक परस्त पर बैअते अव्वल करने के बाद ढाई साल तक मस्रूफे मुजाहदा रहकर ख़िर्कए खिलाफत से मुशर्रफ हुआ और 555 हिजरी में वारिदे बग़दाद होकर मशाइख से मुलाकात की बक़ौले इब्ने खुल्दून उसी सन के माहे रबीउल अव्वल में ख़लीफा मुक्तज़ी ने चौबीस साल चार माह ओहदए खिलाफत पर मुतमक्किन रहने के बाद वफात पाई और खलीफा मुस्तन्जिद की खिलाफत का दौर शुरूअ हुआ उसी सन में मुहम्मद इब्ने सल्जूक अस्फहान का हाकिम था। 557 हिज़री में सैय्याहे आलम उस्तुराबाद , हिरात , सब्ज्वार , किल्अए शादमाँ , मुल्तान , लाहौर , ग़ज़नी , बलख और समरकन्द वगैरह की सियाहत शुरूअ फरमाई उन्हीं ऐय्याम में अलाउद्दीन जहाँसोज़ का इन्ते काल हो चुका था और कौमे गजान ने अफगानिस्तान में कुछ अर्से केलिए गौरी व गजनी हुकूमत को मिटाकर ईरान का रुख किया था बाद अज़ाँ अलाउद्दीन के भतीजे गयासुद्दीन साम ने कौमे गजान से 569 हिज़री में गज़नी वापस लेलिया और दो साल बाद हिरात भी ले लिया।..✍️
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 120 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 183
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ आप के अहदे मुबारक के सियासी हालात ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ जब 561 हिज़री में सुल्तानुल हिन्द बारे अव्वल वारिदे हिन्द हुआ उस ज़माने में लाहौर का हुक्मराँ ग़ज़नवी ख़ानदान का आखरी ताजदार खुस्रौ मलिक इब्ने खुस्रौ शाह बरसरे हुकूमत था। 562 हिज़री में , सीरू फिल अर्द ,, पर अमल करते हुए आप ने अपना तवील सफर ख़त्म किया और हिन्दुस्तान से वापस हुए और बगदाद में कदमरंजा फरमाकर अपने मुर्शिदे गिरामी से बैअते दोम की और 563 हिज़री से 582 हिज़री तक पीरो मुर्शिद के हमरिकाबे सफर समरकन्दो बुखारा , बदख्रशॉ व सीस्तान , शामो किरमान और हरमैने शरीफैन वगैरह में रहा। उस बीस साल के अर्से में खलीफा मुस्तन्जिद ने 566 हिज़री में वफात पाई और उस की जगह पर मुस्तजी खलीफा हुआ , खलीफा मुस्तज़ी के शुरूअ जमाने में दौलते कैद से निकल कर भागा और 552 हिज़री में तुकों की मुदाफअत की तमन्नों लिए हुए इस जहाँ से रुखसत हुआ उस वक्त से खुरासान कुल बलादे अस्फहान और रय पर कबजा कर लिया और सूबाजाते अलवीया का टिमटिमाता हुआ चराग मिस्र में गुल होगया और मुहर्रम 567 हिज़री में अब्बासी खलीफा मुसतज़ी का जामेअ मस्जिद मिस्र में खुत्बा पढ़ा गया जीकाअदा 575 हिज़री में खलीफा मुसतज़ी बिअमिल्लाह की वफात हुई और अन्नासिर लिदीनिल्लाह की खिलाफत का दौर शुरू हुआ।..✍️
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 120 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 184
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ आप के अहदे मुबारक के सियासी हालात ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ उस के दौरे ख़िलाफत में फरे आदम खलीफतुल्लाह का जानशीन मुर्शिद के हमराह बीस साल सियाहत करके 582 हिजरी में वारिदे बगदाद हुआ और बादे हुसूले खिलाफत बउम्र 52 साल रैखे आअज़म अपने मुर्शिद से रुख्सत होकर वारिदे औशो अस्फहान हुआ कुतबुल अक्ताब ख्वाजा कुतबुद्दीन बख्तियार काकी औशी को शरफे मुरीदी बख़्शा उसी सन में भलवान ने वफात पाई जो हमदान , रय , आज़र बाइजान और आरामिया वगैरह में हुकूमत करतर था। जब शहाबुद्दीन गौरी लाहौर पर कबज़ा करचुका था और सलतनते गजनविया गौरी खानदान में मुन्तकिल हो गई थी उस वक़्त 583 हिज़री में सुल्तानुल आरिफीन ने मआ कुतबुल अक्ताब औश से सफरे हरमैन इख्तियार किया और बादे जियारते हरमैन 585 हिज़री में मदीनए मुनव्वरा से हिन्दुस्ता का रुख किया उसी ज़माने में ख़लीफा नासिर ने सलातीने सल्जूकिया के दारु लख़िलाफत के इन्हेदाम का हुक्म सादिर किया और अपने वज़ीर जलालुद्दीन इब्ने यूनुस को कज़ल की कुमक पर 584 हिज़री में रवाना किया तुग्रल और अब्दुल्लाह से सख़्त लड़ाई हुई आख़िर 587 हिज़री में तुररल कत्ल करदिया गया उस के कत्ल से सलातीने सल्जूकिया का चराग गुल हो गया।..✍️
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 120 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 185
••──────────────────────••►
❝ तज़किरा ए सुल्तानुल हिन्द ❞
••──────────────────────••►
नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*❝ आप के अहदे मुबारक के सियासी हालात ❞*
❏ ••────•◦❈◦•────•• ❏
•••➲ मदीनए मुनव्वरा से रवाना होने के बाद अहालियाने हिन्द के मुहसिने आअज़म ने 586 हिज़री में वारिदे अजमेर होकर जुलमतकदए हिन्दुस्तान को नूरे इस्लाम की रौशनी और जियाए माअरिफत से मुनव्वर फरमाया उस वक्त रॉय पिथौरा अजमेर में हुक्मराँ था जहाँ हुनूद की आबादी थी , बकसरत मन्दिर थे , हिन्दुवाने रस्मो रिवाज थे , धोती का पहनावा था , रेगिसतान में सफर केलिए ऊँट की सवारी या बैल गाड़ी थी , नाहमवार पहाड़ी अलाकों में घोड़े पर सफर किया जाता था , गुरबा व मसाकीन पैदल सफर करते थे , मार्वाड़ में पानी की किल्लत थी , ज़बान मााड़ी थी। अभी रूहानी बादशाह को अजमेर आए थोड़ा ही अर्सा गुजरा था कि तसर्राफाते बातिनी ने अपना काम करना शुरूअ करदिया 588 या 589 हिज़री में शहाबुद्दीन गौरी ने प्रिथ्वीराज पर फतह पाई।..✍️
*📬 सीरते ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ सफ़ह - 122 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
No comments:
Post a Comment