🅿🄾🅂🅃 ➪ 01
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❝ • गुनाहों से • बचाने ⚡ • वाली बातें • ❞
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〓•••➲ *आईये पहले इल्मे दीन कि अहमियत को समझें!* इल्मे दीन का मतलब है अल्लाह व रसूलﷺ की तरफ से मदद मिलना, इल्मे दीन साथी की तरह है, जिस तरह दुनिया मे इंसान ये चाहता है कि मुसीबत में कोई उसकी मदद करे कोई कुछ मशवरा दे, कोई कुछ साथ दे, कोई कुछ उपाय बता दे, ठीक उसी तरह शैतान से ईमान बचाने के लिए इंसान को किसी के साथ की ज़रूरत होती है, किसी की मदद की ज़रूरत होती है, उस वक़्त यही इल्मे दीन यानी अल्लाह व रसूलﷺ का फ़रमान ईमान बचाने की कोशिश करने वाले के हक़ में मददगार साबित होता है, यानी इल्मे दीन से अल्लाह व रसूलﷺ का साथ मिलता हैं, इल्मे दीन हासिल करना यानी अल्लाह और रसूलﷺ को दोस्त बना लेना है।
〓•••➲ मगर जिसके पास इल्मे दीन न हो वो अल्लाह व रसूलﷺ की मदद से महरूम रह जाता है, यानि जाहिल के दोस्त अल्लाह और रसूलﷺ नही होते और शैतान उसे हलाक़ कर देता है।
〓•••➲ अब अल्लाह और रसूल ﷺ को दोस्त या मददगार बनाना चाहते है तो इल्मे दीन हासिल कीजिये इसी में भलाई है दुनिया और आख़िरत के लिए...!✍🏻
🤲 अल्लाह तआला से दुआ कि हमें हक़ पढ़ने हक़ समझने औऱ हक़ ही को अपना अक़ीदा बनाने की तौफीक़ अता फ़रमाये! आमीन
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📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 02
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〓•••➲ पोस्ट लिखने की वजह आज का दौर शार्ट-कर्ट का दौर है और शार्ट-कर्ट शैतानी तरीका है और शैतान इंसान का दुश्मन है, हर जगह शैतान की हुकूमत है अपने आप को मुसलमान कहने वाले मुनाफिक, फासिक व फाजिर लोग शरीयत की धज्जियां उड़ा रहे है। अल्लाह ने शैतान की मुखालफत का हुक्म दिया है और फरमाया (तर्जमा) : बेशक शैतान तुम्हारा दुश्मन है तो तुम भी उसे दुश्मन समझो (सूरह फ़ातिर, आयत न. 6) लेकिन अफसोस आज मुसलमान शैतान की हिमायत में लगे हुए है।
〓•••➲ शैतान ऐसा दुश्मन है जिसे हम जाहिरी आंखों से देख नही सकते लेकिन वो हमें देख सकता है ऐसे दुश्मन से बचना कितना मुश्किल है जिसे हम देख नही सकते शैतान को दिल की निगाहों यानी बातिनी इल्म से देखकर उससे बचा जा सकता है लेकिन किसी के पास इतना वक्त नही की कुरआन और हदीस को पढ़ कर और समझ कर कोई काम करे या कोई फैसला ले...!✍🏻
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 03
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〓•••➲ आज मुसलमान इस कदर दुनिया से चिपका हुवा है जैसे दूध पीता बच्चा अपने मां के छाती से चिपका होता है बल्कि इससे भी ज्यादा,जबकि हदीस में आया है कि ये दुनिया मुसलमान के लिए कैद खाना है और काफिर के लिए जन्नत यानी राहत की ज़िदगी।
〓•••➲ आज का मुसलमान न हक को जानता है ना हकीकत को मानता है, शैतान अभी जिन्दा है वो कयामत तक का मोहलत पा चुका है पिछली जितनी कौमें गुजरी सबको शैतान हलाक कर चुका है कहीं किसी का नामो निशान नही ये सब शैतान का ही फितना फसाद है फितनों के इस दौर में आलिम गलत हो सकता है, पीर गलत हो सकता है, वो इसलिए कि अहादीस में बुरे उलमा का भी जिक्र है और शैतान दौलत, शोहरत और औरत का लालच देकर नेक को भी बुरा बना देने का काम करता रहता है जो आज हम देख रहे है कोई दौलत पसंद करता है ङ्केतो कोई शोहरत पसंद करता है तो कोई औरत पसंद करके हलाक होता है, मगर बाहर से उनकी हलाकत पता नही चलती क्योंकि इसे ज़ाहिर की आंखों से देखा नही जा सकता अगर आप हकीकत का जानना चाहते हैं तो बातिनी इल्म हासिल कीजिये जो दुनियादारी से दूरी बना कर हासिल किया जा सकता है..!✍🏻
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 04
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〓•••➲ *शैतान क्यों पैदा किया गया.!* खुदा तआला हकीमे मुतलक है और हकीम का कोई काम हिकमत से खाली नहीं होता, खुदा तआला ने जो कुछ भी पैदा फरमाया है मबनी बर हिकमत है किसी चीज़ को भी देखीये तो यूं कहिये ऐ रब हमारे तूने उसे बेकार नहीं बनाया हजरत इमाम गजाली अलैहिर्रहमह ने कीमियाए-सआदत में लिखा है कि एक मर्तबा हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने छत पर छिपकली को देखा और खुदा से पूछा या इलाही तूने छिपकली को क्यों बनाया खुदा तआला ने फरमाया : मूसा ! तुम से पहले यह छिपकली मुझ से यही पुछ रही थी कि इलाही तूने मूसा को क्यों बनाया मेरे कलीम ! मैंने जो कुछ बनाया है मनी बर हिकमत ही पैदा फरमाया है!
〓•••➲ यह हकीकत है कि हर चीज़ अपनी जिद से पहचानी जाती है यअनी मिठास जभी मअलूम हो सकती है जब कड़वाहट भी हो सेहत की कद्र उसी वक्त मअलूम हो सकती है, जब कि बीमारी भी हो, खुश्बू का इल्म उसी वक्त हो सकता है जब कि बदबू भी हो, एक पहलवान अपनी हिम्मत व ताकत का मुजाहिरा उसी वक्त कर सकता है जबकि उस के मकाबिल में कोई दूसरा पहलवान भी हो, पहलवान किसी दूसरे पहलवान को गिराकर ही पहलवान कहलाता है अगर मकाबिल में कोई पहलवान ही न हो तो वह गिरायेगा किसे? और अगर गिरायेगा किसी को नहीं तो पहलवान कहलायेगा कैसे? इस लिये ज़रूरी है कि पहलवान से टक्कर लेने वाला भी कोई हो, टकराने वाले की वजह से पहलवान के कमालात का इजहार हो सकेगा..!✍🏻
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 05
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〓•••➲ *शैतान से पनाह :* शैतान इंसान का अजली (शुरु से) और पैदाईसी दुश्मन है और उस वक्त तक दुश्मनी करता रहेगा जब तक यह दुनिया काइम है क्योंकि उसे अल्लाह के तरफ से मोहलत मिल चुकी है और वो ऐसा दुश्मन है कि जिस से कोई बच नहीं सकती है क्योंकि उसकी मंशा इंसान को हलाकत में डालना है वह हर वक्त अपनी शैतानियत के ज़ोर पर इंसान से ऐसे काम करवाना चाहता है जो अल्लाह की नाफरमानी पर मब्नी हों और उस नाफरमानी के नतीजे में इंसान भी अल्लाह की रहमत से ऐसे ही लईन और मरदूद हो जाये जिस तरह वह खुद है और इस तरह से उसे अदावत का इन्तिकाम मिल सकेगा।
〓•••➲ फिर शैतान हर इंसान की मुखालिफत करता है ख्वाह उसके साथी ही क्यों न हो मगर उन लोगो की तो बहुत ज्यादा मुखालिफत करता है जो अल्लाह के खास बन्दे होते हैं। मुखालिफत करने में वह सिर्फ अकेला ही नहीं है बल्कि उसके साथ एक शयातीन का गिरोह है जिस में इंसानी नफ्स की कमजोरी और ख्वाहिशात भी शामिल हैं अब सवाल पैदा होता है कि शैतान जब इंसान का ऐसा दुश्मन है जो किसी सूरत में इंसान की मुखालिफत किए बगैर नहीं रह सकता तो फिर शैतान से किस तरह अपने आप को बचाया जाये शैतान से बचने के लिए हमेशा अल्लाह की पनाह मांगनी चाहिए और जब कोई ऐसा वाकिआ होता नजर आये जिस में शैतान बन्दा परवार कर रहा हो तो वक्त अल्लाह की पनाह में रहने की दुआ मांगने के ऐलावा और कोई बेहतर सूरत नहीं हो सकती..!✍🏻
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 06
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〓•••➲ शैतान से बचने का दूसरा तरीका यह है कि शैतान से जिहाद किया जाये उसकी मुखालिफत के लिए इंसान को अल्लाह की अता करदा कुव्वत के जरिए शैतान के हमलों का जवाब देने के लिए तैयार रहना चाहिए, चुनाँचे शैतान से बचने के लिए दोनों उसूलो पर अमल करना चाहिए!
〓•••➲ फिर कभी कभी ऐसा भी होता है कि अल्लाह से पनाह मांगने के बावजूद शैतान को मुखालिफत करने की इजाज़त मिल जाती है और इस तरह से अल्लाह तआला अपने खास बन्दों का इम्तिहान लेता है, शैतान से अल्लाह की पनाह मांगने का कसूर हम को नमाज से मिलता है क्योंकि नमाज में हम पढ़ते हैं कि मैं अल्लाह की पनाह मांगता हूँ शैतान मरदूद से यह अलफाज पाँचों नमाजों में पढ़ते हैं उसका यह मतलब है कि इलाही मुझे एक नमाज से ले कर दूसरी नमाज़ तक शैतान की शरारतों से महफूज़ रख!..✍🏻
*📚 सुन्नी फज़ाइले अमाल सफ़ह - 75*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 07
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〓•••➲ *जब शैतान न था :-* जब इब्लीस शैतान नही बना था, तब गुनाहों का नाम व निशान भी न था, सभी मखलूख अल्लाह का ज़िक्र और फरमाबरदारी में मशगूल थे।
〓•••➲ लेकिन अल्लाह की नाफरमानी करने और आदम अलैहिस्सलाम को सज्दा न करने की वजह से जब इब्लीस को अल्लाह ने मलऊन और मरदूद करार दिया तो इब्लीस इंसानो से दुश्मनी की कसम खाते हुए बोला कि मैं सीधे रास्ते से इंसानो को गुमराह करूँगा और तेरा नाफरमान यानी नाशुक्रा बना दूंगा, उसके बाद से भाई - भाई (काबिल - हाबिल) से झगड़ा, मियां बीवी से झगड़ा, सास बहू में झगड़ा, पास पड़ोस में झगड़ा, गाँव-गाँव, देश देश मे फितना फसाद, लालच, हसद, चोरी, कत्ल, तकब्बुर, बेहयाई, गुनाह, हरामकारी, जिना, परेशानी, बेचैनी, नाफरमानी सब शुरू हुआ।..✍🏻
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 08
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〓•••➲ इन तमाम फितना फसाद, गुनाहों से बचाने के लिए अल्लाह अंबिया अलैहिमुस्सलाम को भेजता रहा ,लगभग 1 लाख 24 हजार अंबिया के आने का मकसद यही था कि शैतान से बचा कर अल्लाह की इबादत की मुतवज्जह किया जाए और आसमानी किताबों के नुजूल का यही मकसद था कि मखलूक को शैतानी तरीके से बचाकर इसलामी तरीका दिया जाए।
〓•••➲ आखरी किताब कुरआन और आखरी पैगम्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को भेजने का भी यही मकसद था कि दुनियादारी और शैतान से बचाकर, दीनदारी और इस्लाम को अपना कर अल्लाह तक पहुँचने का रास्ता बता दिया जाए।
〓•••➲ कुरआन, हदीस और अकवाल पर मबनी शैतान से बचाने वाली येह किताब आप ज़रूर पढ़ें और ईमान की हिफाजत करें।..✍🏻
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 09
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〓•••➲ *हर जगह शैतान :-* मनकूल है कि जब अल्लाह तआला ने अपनी बारगाह से इब्लीस को निकाल दिया तो उसकी शैतान बीवी को उसी की बायीं पसली से पैदा किया जिस तरह हव्वा को हज़रते आदम से पैदा किया गया था।
〓•••➲ फिर उस औरत से शैतान ने जिमाअ किया वह हामला हो गई और उसने इकत्तीस अन्डे दिये, उसकी सारी नस्ल की असल यही ___31 अन्डे हैं, फिर उस से शैतान की तमाम जुर्रियत फैली जिस से खुश्की और समन्दर पट गए यहां तक कि हर अन्डे से दस हजार नर व मादा पैदा हुए जिन्होंने पहाड़ों पर, जजीरों, वीरानों, जंगलों, दरियाओं, रेगिस्तानों, बयाबानों, चश्मों, चौराहों, हम्मामों, पाखानों, फुरजों, जंग व जिदाल के मैदानों, करना फूंकने के मैदानों, कब्रस्तानों, घरों, काठियों, बहुओं के खेमों गर्ज कि जुमला जगहों को भर दिया।..✍🏻
*📚 गुनियतुत्तालिबीन, बाब 10 , 248*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 10
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〓•••➲ *हर इंसान के साथ शैतान :-* इमाम मुस्लिम उम्मुल मोमिनीन आयशा रदिअल्लाहु तआला अन्हा से रिवायत करते हैं रसूलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम एक रात उनके पास से बाहर तशरीफ ले गए उम्मुल मोमिनीन हज़रते आयशा रदिअल्लाहु त'आला अन्हा फरमाती हैं मुझे फिक्र हुई (कि शायद आप किसी और जौजह मुतहरा (बीवी) के पास तशरीफ ले गए है) जब आप वापस तशरीफ लाए और मुझे देखा तो फरमाया ऐ आइशा तुम्हें क्या हो गया क्या तुम मुतफक्किर हो ? मैंने अर्ज किया मुझ जैसे को आप जैसे पर कोई धोखा नही दे सकता।
〓•••➲ रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया : क्या तुम्हारे पास तुम्हारा शैतान आ गया, (तुझे तेरे शैतान ने वसवसे में डाल दिया है) मैंने अर्ज किया या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम क्या मेरे साथ शैतान है? रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया हां , मैने अर्ज किया क्या हर इंसान के साथ शैतान होता है? हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया हां। फिर मैंने अर्ज किया या रसूलल्लाह सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम किया आपके साथ भी है। फरमाया हां लेकिन मेरे रब ने उस पर मेरी मदद फरमायी हत्ता कि वो मुसलमान हो गया।..✍🏻
*📚 जिन्नों की दुनिया, पेज 189*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 11
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〓•••➲ *काफिर का शैतान और मोमिन का शैतान :-* एक रिवायत में आया है के मोमिन और काफिर के शैतानों की आपस में मुलाकात हुई तो मोमिन का शैतान कमज़ोर था और काफिर का शैतान मोटा ताजा तो काफिर के शैतान ने मोमिन के शैतान से पूछा तुम कमजोर क्यों हो? उसने कहां किया बताऊ उसके पास मेरा कोई हिस्सा नहीं जब वो घर में दाखिल होता है अल्लाह तआला का जिक्र करता है जब खाना खाता है तो अल्लाह तआला का जिक्र (बिस्मिल्लाह) करता है जब पीता है तो अल्लाह त'आला का जिक्र करता है, काफिर के शैतान ने कहा लेकिन मैं तो उसके साथ खाता भी हूँ पीता भी हूँ इसलिए मोटा ताज़ा हूँ, और उसके साथ बिस्तर पर सोता भी हूँ लेकिन मोमिन का शैतान मोमिन से छुपा रहता है और उसकी ताक में लगा रहता है के मोमिन अपनी अकल से कब गाफिल होता है के वो उससे फायदा उठाए शैतान ज़्यादा खाने वाले और ज्यादा सोने वाले इंसान को ज्यादा पसंद करता है।
*📚 जिन्नो की दुनिया, 193*
〓•••➲ *शैतान इंसान की रगों में हदीस :-* हज़रत अली बिन हुसैन रदीअल्लाहु अन्हु से रिवायत है उन्होंने कहा नबीए पाक ने इरशाद फरमाया - बेशक शैतान इंसान के रगों में खून की तरह दौड़ता है।..✍🏻
*📚 मकाइदुश्शैतान, इब्ने - 13*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 12
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〓•••➲ *इंसान के साथ कितने शैतान होते हैं और कब मरते हैं? :-* इब्ने अबिदुनिया हज़रते आसिम अहूल से रिवायत करते हैं वो फरमाते हैं, मैंने हजरते रबीअ बिन अनस रदीअल्लाहु अन्हु से पूछा कि क्या यह शैतान जो इंसान के साथ रहता है वो मरता नहीं? तो उन्होंने फरमाया यह कोई एक शैतान थोड़ी है बल्कि मुसलमानों को गुमराह करने के लिए तो कबीलए रबीअह और कबीलए मुदिर की तादाद के बराबर शैतान दर पै होते हैं।
*📚 जिन्नों की दुनिया, 187*
〓•••➲ *शयातीन इंसान की सूरत में जाहिर होकर दीन में फसाद करेंगे :-* तबरानी हज़रते अब्दुल्लाह बिन उमर रदिअल्लाहु त'आला अन्हुमा से रिवायत करते हैं कि रसूलल्लाह ने इरशाद फरमाया-(तर्जमा) हज़रते सुलैमान बिन दाऊद अलैहिमुस्सलाम ने शैतान को समन्दर में कैद कर दिया था, वो ज़माना करीब है जब शैतान तुम में जाहिर होंगे, तुम्हारे साथ तुम्हारी मस्जिदों में नमाज़ पढ़ेंगे और तुम्हारे साथ कुरआन पढ़ेंगे और तुम्हारे साथ दीन के मामले में झगड़ा फसाद करेंगे, खबरदार येह इंसान की शक्ल में शैतान होंगे।..✍🏻
*📚 जिन्नों की दुनिया*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 13
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〓•••➲ *वो माल शैतान के राह में :-* एक दिन हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम एक जगह बैठे हुये थे कि एक हट्टा कट्टा नो जवान आप के करीब से गुज़रा, और बाज़ार में एक दुकान के अन्दर चला गया सहाबा किराम ने कहा : ऐ काश ! उस शख्स का यूँ सुबह सवेरे उठना राहे हक में होता!
〓•••➲ हुजूर ने फरमाया" यँ न कहो, क्योंकि अगर उस का जाना उस गर्ज से है कि वह अपने आप को और अपने बाल बच्चों को दुनिया की मोहताजी से बचाये या इस लिए कि अपने माँ बाप को किसी का दस्ते नगर न होने दे तो समझो कि यह राहे हक ही में जा रहा है, हाँ अगर उसका मकसद फखर व नाज़ लाफ व गज़ाफ (शोहरत) की खातिर इमारत व दौलत की तलाश है तो वह राहे शैतान पर गामज़न है और फरमाया कि जो शख्स दुनिया में रिज़्क हलाल का तलाश कर रहे ताकि दुनिया का दस्तनगर न होने पाये और हमसायों से नेक सुलूक करे और खेश व अकारिब से तलत्तु व मदारात से पेश आये, उस का चेहरा कियामत के दिन यूँ होगा जैसे कि चौदहवीं का चाँद.!..✍🏻
*📚 सुन्नी फजाईले आमाल, 694*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 14
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〓•••➲ *मोमिन का शैतान लागर और कमजोर होता है :-* हदीस हजरते अब्दुल्लाह रदीअल्लाहु अन्हु ने फरमाया - मोमिन का शैतान लागर और नातवां (कमजोर) होता है।
*📚 मकाइदुश्शैतान, इब्ने अबिडुनिया*
〓•••➲ *मोमिन और शैतान के बीच झगड़ा :-* हदीस : हज़रत इब्ने लहीअह मूसा बिन विरदान से रिवायत करते हैं, उन्होंने कहा कि सरकार ने इरशाद फरमाया - बेशक मोमिन अपने शैतान को उसी तरह कमजोर कर देता है जैसे कि तुम में से कोई सफर में अपने ऊँट को कमजोर करता है!..✍🏻
*📚 मकाइदुश्शैतान, इब्ने अबिदुनिया*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 15
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〓•••➲ *इंसान के जिस्म के हिस्से में शैतान रहता है :-* हदीस : हज़रते खालिद बिन मेअरान से रिवायत है, उन्होंने कहा हर __ इंसान की रीढ़ की हड्डी से शैतान चिमटा रहता है, अपनी गर्दन उसके कंधे से लटकाए रहता है और उसके दिल पर अपना मुंह खोले रखता है।
〓•••➲ *शैतान बावला कर देता है :-* जिन्न मिर्गी वाले के जिस्म में दाखिल होता है या नहीं?- फिरका ए मो'तज़िला के एक गिरोह ने इस बात का इनकार किया है कि जिन्नात मिर्गी वाले के बदन में दाखिल हो। हज़रते इमाम अबुल हसन अशहरी रहमतुल्लाहि अलैह बयान फ़रमाते हैं कि अहले सुन्नत व जमात का मज़हब यह है कि जिन्न मिर्गी वाले के जिस्म में दाखिल हो जाता है। चुनाँचे अल्लाह तबारक व त'आला इरशाद फरमाता है: "जो लोग सूद खाते हैं वो कयामत के दिन (अपनी कब्रों से) ऐसे उठेंगे जिस तरह वो शख़्स उठता है जिसको शैतान (आसेब) ने छूकर बावला कर दिया है!..✍🏻
*📚 पारा 3,सूरह बकर, आयत _275*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 16
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〓•••➲ *इब्लीस उस बन्दे को ले जाता है :-* हदीस : हज़रते साबित रदिअल्लाहु अन्हु से रिवायत है ,वो कहते है कि मुतरफ ने कहा : मैंने गौर किया तो इंसान को अल्लाह अज़्ज व जल्ल और इब्लीस के दरमियान पड़ा हुआ पाया तो अगर अल्लाह उसको बचाना चाहे तो बचा लेता है वरना उसे इब्लीस ले जाता है।
〓•••➲ *इब्लीस ने कत्ल करने का तरीका बताया :-* आदम अलैहिवस्सलाम के दोनों बेटे काबिल और हाबील के बीच शैतान दुश्मनी पैदा करा दिया, काबिल को कत्ल करने की तरीका नही आती थी क्योंकि इससे पहले दुनिया मे कत्ल नही किया गया, इब्लीस जानवर की शक्ल में काबिल के सामने आया उसके पंजे में एक और जानवर था उसने उस जानवर का सर पत्थर पर रख कर दूसरे पत्थर से कुचल दिया जिससे वह जानवर मर गया तब काबिल को कत्ल करने का तरीका आया एक दिन हाबील अपने जानवर किसी पहाड़ी पर चरा रहे थे दोपहरी में किसी सायादार दरख्त के नीचे सो गए, काबिल ने बड़ा वजनी पथर उनके सर पर मारा जिससे उनका सर कुचल गया और वह फौत हो गए।..✍🏻
*📚 तफसीरे नईमी*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 17
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〓•••➲ *शैतान की हक़ीक़त :-* शैतान का नाम पहले आसमान पर आबिद, दूसरे पर जाहिद, तीसरे पर आरिफ, चौथे पर वली, पांचवे पर मुत्तकी, छठे पर अजाजील और लौहे महफूज पर इवलीस था, वह अपनी आकिबत से बे फिक्र था जब उसे हजरते आदम को सज्दा करने का हुक्म मिला तो कहने लगा ऐ अल्लाह! तू ने इसे मुझ पर फजीलत दे दी हालांकि मैं इस से बेहतर हूं, तू ने मुझे आग से और इसे मिट्टी से पैदा किया है, खुदावन्द तआला ने फ्रमाया मैं जो चाहता हूं वह करता हूं, शैतान ने अपने आप को आदम अलैहिस्सलाम से बेहतर समझा और नंग व तकब्बुर की वजह से आदम से मुंह फेर कर खड़ा हो गया, जब फ़रिश्ते आदम अलैहिस्सलाम को सज्दा कर के उठे तो उन्हों ने देखा कि शैतान ने सज्दा नहीं किया तो वह दोबारा सज्दए शुक्र में गिर गये लेकिन शैतान उन से वे तअल्लुक खड़ा रहा और उसे अपने इस काम पर कोई पशेमानी न हुई, तब अल्लाह तआला ने उसकी सूरत बिगाड़ दी!..✍🏻
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 18
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〓•••➲ खिनजीर (सुअर) की तरह लटका हुआ मुंह, सर ऊँट के सर की तरह, सीना बड़े ऊँट की कोहान जैसा, उन के बीच चेहरा ऐसे जैसे बन्दर का चेहरा, आंखें खड़ी, नथने हज्जाम के कूजे (बर्तन) जैसे खुले हुए, होंट बैल के होंटों की तरह लटके हुए, दांत खिन्जीर की तरह बाहर निकले हुये और दाढ़ी में सिर्फ सात बाल, इसी सूरत में उसे जन्नत से नीचे फेंक दिया गया बल्कि आसमान व जमीन से जज़ीरों की तरफ फेंक दिया गया। वह अब अपने कुफ्र की वजह से जमीन पर छुपते-छुपते आता है और कियामत तक के लिए लानत का मुस्तहिक बन गया है। शैतान कितना खूबसूरत, हसीन, कसीरुल इल्म (ज्यादा इल्म वाला), कसीरुल इबादत (ज्यादा इबादत करने वाला), फरिश्तों का सरदार, मुकर्रबीन का सरखेल था मगर उसे कोई चीज, अल्लाह के गज़ब से न बचा सकी। बेशक इस में अक्लमन्दों के लिए इबरत है। एक रिवायत में है कि जब अल्लाह तआला ने शैतान की पकड़ की तो जिबरील व मीकाईल रोने लगे। रब ने फरमाया क्यों रोते हो? अर्ज की ऐ अल्लाह! तेरी पकड़ के खौफ से रोते हैं। इरशाद हुआ इसी तरह मेरी पकड़ से रोते रहना!..✍🏻
*📚 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 12, पेज 90*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 19
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〓•••➲ *गुनाह कराने वाले शैतानी खानदान कुरआन :* "खबरदार तुम्हें शैतान फितने (मुसीबत) में न डाले जैसा तुम्हारे मां बाप को बहिश्त (जन्नत) से निकाला उतरवा दिये उनके लिबास कि उनकी शर्म की चीजें उन्हें नज़र पड़ी, बेशक वह (शैतान) और उसका कुम्बा (शैतानी फौज) तुम्हें वहां से देखते हैं कि तुम उन्हें नही देखते बेशक हमने शैतानों को उनका दोस्त किया है जो ईमान नही लाते" *(सुरह : अराफ, आयत न 27)*
〓•••➲ *हदीस :* मकातिल ने बारिवायत जहरी बवासता उमर, हजरते आइशा से बयान किया कि उन्होंने फरमाया कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के सहाबाए किराम एक रात हुजूर की तलाश में आए उन सहाबा में हज़रत अबू बकर सिद्दीक, हज़रत उमर फारूक, हज़रत उस्मान, हजरत अली, हज़रत सलमान और अम्मार बिन यासिर शामिल थे। उन असहाब के पहुंचने पर रसूलुल्लाह बाहर तशरीफ लाए और हालत यह थी कि बुखार की वजह से आप की मुबारक पेशानी पर पसीने के कतरात मोतियों की तरह चमक रहे थे!..✍🏻
*📚 गुनाहों से बचाने वाली बातें सफ़ह - 19*
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〓•••➲ फिर हुजूर ने अपनी मुबारक पेशानी पर हाथ फेर कर फरमाया : अल्लाह तआला मलऊन पर लानत करे आप ने तीन मरतबा फरमाया इसके बाद सरे अकदस झुका लिया, हजरत अली मुर्तजा ने अर्ज किया मेरे मां बाप आप पर कुरबान हों, इस वक्त आप ने किस पर लानत फरमाई? हुजूर ने फरमाया खुदा के दुशमन इब्लीस खबीस पर! उसने अपनी दुम दुबुर (पीछे के मकाम ) में डाल कर सात अंडे निकाले और उनसे उसकी औलाद हुई फिर उनको बनी आदम के बहकाने पर उसने मामूर किया उन सात में से एक का नाम मदहश है जिस को उलमा (के वरगलाने) पर मुकर्रर किया गया चुनान्चे वह औलमा को मुखतलिफ ख्वाहिशात की तरफ ले जाता है।
〓•••➲ *दूसरे का नाम :* हदबस है जो नमाज़ पर मुकर्रर हैं नमाजियों को जिक्रे इलाही से हटा कर इधर उधर लहव व लइब में लगा देता है और उनको जमाही और औंघ में मुब्तला कर देता है।
〓•••➲ पस इस तरह नमाजियों में से कोई सो जाता है और जब कोई कहता है कि सो गए? तो वह कहता है नही मैं तो नही सोया! इस तरह वह नमाज़ में बगैर वजू के रह जाता है!..✍🏻
*📚 गुनाहों से बचाने वाली बातें सफ़ह - 20*
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〓•••➲ कसम है उस जात की जिस के कब्जे में मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की जान है कि उनमें से कोई नमाजी इस हाल में निकलता है कि उसको आधी नमाज़ क्या बल्कि चौथाई नमाज के दसवें हिस्से का भी सवाब नही मिलता बल्कि ऐसी नमाज का गुनाह सवाब से बढ़ जाता है।
〓•••➲ *शैतान की तीसरी औलाद का नाम :* जलबनून है बाजारों में मुकर्रर है वह लोगों को कम तोलने और झूट बोलने पर उकसाता है, माल बेचते वक्त दुकानदारों को माल की झूटी तारीफ पर उभारता है ताकि अपना माल फरोख्त कर के रोजी कमाए।
〓•••➲ *चौथे का नाम :* बतर्रर है वह लोगों को गिरेबान चाक करने, मुंह नोचने और मुसीबत के वक़्त वावैला कराने पर मुकर्रर है (लोग मुसीबत पड़ने पर हाए वावैला करते हैं) ताकी मुसीबत के अज्र व सवाब को (फरयाद व गां करा के) जाया करा दे।..✍🏻
*📚 गुनाहों से बचाने वाली बातें सफ़ह - 20*
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〓•••➲ *पांचवें का नाम :* मनशूत है यह दरोग गोई, चुगुल खोरी, तअन व तशनीअ करने पर मुकर्रर है।
〓•••➲ *छटे का नाम :* वासिम है यह शर्मगाहों पर मुकर्रर है चुनान्चे यह मर्द और औरत की शर्मगाहों पर फूंक मारता है ताकि वह एक दूसरे के साथ जिना में मुब्तला हों।
〓•••➲ *सातवें का नाम :* अऊर है, - यह चोरी पर मामूर है यह चोर से कहता है कि (माल चोरी कर) कि चोरी तेरे फाका को दूर कर देगी, तेरा कर्ज अदा हो जाएगा और तेरी तन पोशी भी हो जाएगी बाद को तौबा कर लेना, लिहाजा हर मुसलमान का का फर्ज है कि वह किसी हालत में भी शैतान से गाफिल न रहे और अपने कामों में उससे बे खौफ हो कर न बैठ जाए।..✍🏻
*📚 गुनाहों से बचाने वाली बातें सफ़ह - 21*
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〓•••➲ एक हदीस में आया है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि वजू पर एक शैतान मुकर्रर है जिस का नाम वलहान है तुम उससे अल्लाह की पनाह मांगो।
〓•••➲ नमाज़ की सफों में मिल कर खड़े होने की भी आप ने हिदायत फरमाई है ताकि शैतान बकरी के बच्चे की (हज़फ) की तरह सफ़ों में न घुस आए।
〓•••➲ हजफ हिजाज़ की उन छोटी छोटी बकरियों को कहते हैं जिनके न दुम होती है और न कान, ऐसी बकरियां यमन के मकामे जर्श में पैदा होती हैं।..✍🏻
*📚 गुनियतुत्तालिबीन, बाब - 10 सफ़ह - 246*
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〓•••➲ *शयातीन ही इल्मे दीन हासील करने से रोकते है :* हिकायत : एक रोज़ अस्र के बाद शैतान ने अपना तख्त बिछाया, और शयातीन ने अपनी अपनी कार गुजारी की रिपोर्ट पेश करना शुरू की किसी ने कहा कि मैंने इतनी शराब पिलाई, किसी ने कहा मैंने इतने ज़िना कराए, शैतान ने सब की सुनी, एक ने कहा कि मैने एक तालिबे इल्म को पढ़ने से बाज़ रखा, शैतान सुनते ही तख्त पर से उछल पड़ा और उस को गले से लगा लिया और कहा, "अन् त तूने काम किया तूने काम किया, दूसरे शयातीन यह कैफियत देख कर जल गए कि उन्होंने इतने बड़े काम किये, उन पर तो शैतान खुश नहीं हुआ और इस मअमूली से काम करने वाले पर इतना खुश हो गया।
〓•••➲ शैतान बोला तुम्हें नहीं मलूम जो कुछ तुमने किया सब इसी का सदका है उन्हें इल्म होता तो वह गुनाह नहीं करते, लो मैं तुम्हें दिखाता हूँ, वह कौनसी जगह है जहाँ सब से बड़ा आबिद रहता है मगर वह आलिम नहीं और वहाँ एक आलिम भी रहता हो तो उन्होंने एक मकाम का नाम लिया, सुबह को सूरज निकलने से पहले शयातीन को लिए हुए शैतान उस मकाम पर पहुंचा, शयातीन छुपे रहे और यह इन्सान की शक्ल बनकर रास्त में खड़ा हो गया।..✍🏻
*📚 गुनाहों से बचाने वाली बातें सफ़ह - 22*
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〓•••➲ आबिद साहिब की नमाज़ तहज्जुद के बाद फर्ज के वास्ते मस्जिद की तरफ तशरीफ लाए रास्ते में शैतान खड़ा था, अस्सलामु अलैकुम, व अलैकुम सलाम के बाद कहा हजरत मुझे एक मसला पूछना है आबिद साहिब ने जल्दी पूछों, मुझे नमाज के लिए मस्जिद में जाना है, शैतान ने जेब से एक छोटी सी शीशी निकाली और पूछा, क्या अल्लाह कादिर है कि उन सारे आसमानों और ज़मीनों को इस छोटी सी शीशी में दाखिल करदे, आबिद साहिब ने सोचा और कहा कहाँ इतने बड़े आसमान और ज़मीन और कहाँ यह छोटी सी शीशी बोला बस यही पूछना था तशरीफ ले जाईए और शयातीन से कहा, देखो मैंने इस की राह मार दी उसको अल्लाह की कुदरत पर ही ईमान नहीं इबादत किस काम की, फिर सूरज निकलने के करीब एक __ आलिम जल्दी जल्दी करते हुए तशरीफ लाए शैतान ने कहा अस्सलामु अलैकुम मुझे एक मसला पूछना है आलिम ने फरमाया, पूछो जल्द पूछो नमाज़ का वक्त कम है, उसने शीशी दिखाकर वही सवाल किया, आलिम साहिब ने फरमाया मलऊन तू शैतान मालूम होता है, अरे वह कादिर है कि यह शीशी तो बहुत बड़ी है एक सुई के नाके के अंदर अगर चाहे तो करोड़ों आसमान व जमीन दाखिल करदे, "इन्नल्लाह अला कुल्लि शै इन कदीर आलिम साहिब के तशरीफ ले जाने के बाद शैतान ने शयातीन से कहा, देखा यह इल्म ही की बरकत है और वह जिसने इल्म हासिल करने वाले को पढ़ने से रोका उसने बहुत बड़ा काम किया ताकि वह न पढ़े और न आलिम बन सके।..✍🏻
*📚 मलफूजाते आला हजरत जिल्द 3, सफ़ह 21-22*
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〓•••➲ *सबक :* अब तो शैतान को खुश करने वाले न बनो दीन कि किताबो को पढो शैतान से इल्म के जरिये लड़ो, ईमान बचने के लिए दीन का इल्म बहुत बड़ी जरूरी और मुफीद चीज़ है, शैतान ऐसे इल्म वालो से बहुत डरता है क्यों कि इल्म वाले अपने इल्म की वजह से शैतान के जाल में नहीं फंसता, बिगैर इल्म के जुहद व इबादत भी खतरे में __ रहती है, खूद हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया है "फकीहुन वाहिदुन अशहु अल-शैतानि मिन-अल्फि आबिदिन" ___ यअनी शैतान पर एक आलिम हजार आबिद से भी ज़्यादा भारी।
〓•••➲ *कुरआन में शैतान का जिक्र इंसानी शैतान और जिन्नाती शैतान :* अल्लाह फरमाता है : इसी तरह हमने हर नबी के दुश्मन किये हैं आदमियों और जिन्नों में के शैतान कि उनमें एक दूसरे पर खुफिया डालता है बनावट की बात धोखे को और तुम्हारा रब चाहता तो वो ऐसा न करते तो उन्हें उनकी बनावटों पर छोड़ दो!..✍🏻
*📚 सूरह अनाम, आयत न. - 112*
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〓•••➲ *इन्सानी शैतान :-* हदीस में है रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने अबू ज़र रदीअल्लाहु तआला अन्हु से फरमाया अल्लाह की पनाह मांग शैतान आदमियों और शैतान जिन्नों के शर से, अर्ज किया आदमियों में भी शैतान हैं? फरमाया हाँ! *मुस्नद अहमद*
〓•••➲ *फरमाने गौसे आजम :-* दुनिया और दुनिया वाले (दुनियादार) सब शैतान की फौज और उसका गिरोह है।..✍🏻
*📚 गुनियतुत्तालिबीन, बाब 10 , पेज 245*
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〓•••➲ *शैतान और इन्सान आपस में दुश्मन है :-* अल्लाह फरमाता है : तो शैतान ने जन्नत से उन्हें लगजिश (डगमगाहट) दी और जहां रहते थे वहां से उन्हें अलग कर दिया और हमने फरमाया नीचे उतरो आपस में एक तुम्हारा दूसरे का दुश्मन और तुम्हें एक वक्त तक जमीन में ठहरना और बरतना है।
*📕 सूरह बकरह, आयत न. 36*
〓•••➲ *शैतान को दुश्मन जानो :-* अल्लाह फरमाता है : बेशक शैतान तुम्हारा दुश्मन है तो तुम भी उसे दुश्मन समझो वह तो अपने गिरोह को इसीलिये बुलाता है कि दोजखियों में हो।..✍🏻
*📚 सुरह फातिर, आयत न. 6*
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〓•••➲ *शैतान से बचता रह :-* अल्लाह फरमाता है : ऐ मुसलमान अल्लाह के उतारे (कुरआन के मुताबिक)पर हुक्म कर और उनकी (शैतान की) ख्वाहिशों पर न चल और उनसे (शैतान से)बचता रह कि कहीं तुझे लगज़िश (धोखा) न दे दें।
📒 सूरह माएदा, आयत न. 49
*शैतान से बचो :-* अल्लाह फरमाता है: अल्लाह को पूजो और शैतान से बचो।
📓 सूरह हिज़र, आयत न. 36
*शैतान तुम्हें धोखा न दे :-* अल्लाह फरमाता है : हरगिज़ तुम्हें धोखा न दे दुनिया की जिन्दगी और हरगिज तुम्हें अल्लाह के हुक्म पर फरेब न दे वह (शैतान) बड़ा फरेबी।..✍
📚 सुरह फातिर, आयत न. 5
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〓•••➲ *ऐ इंसान खबरदार :-* अल्लाह फरमाता है : ऐ आदम की औलाद खबरदार तुम्हें शैतान फितने (मुसीबत) में न डाले जैसा तुम्हारे मां बाप को बहिश्त (जन्नत) से निकाला, उतरवा दिये उनके लिबास कि उनकी शर्म की चीजें उन्हें नज़र पड़ी, बेशक वह और उसका कुनबा (खानदान) तुम्हें वहां से देखते हैं कि तुम उन्हें नहीं देखते बेशक हमने शैतानों को उनका दोस्त किया है जो ईमान नहीं लाते!
📒 सूरह आराफ, आयत न. 27
〓•••➲ *शैतान इंसान का खुला दुश्मन है :-* अल्लाह फरमाता है : ऐ ईमान वालो इस्लाम में पूरे दाखिल हो और शैतान के कदमों पर न चलो बेशक वह तुम्हारा खुला दुश्मन है।..✍
📚 सूरह बकरह, आयत न. 208
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〓•••➲ *शैतान क्या चाहता है :-* अल्लाह फरमाता है : शैतान तुम्हें अन्देशा (आशंका) दिलाता है मोहताजी का और हुक्म देता है बेहयाई का और अल्लाह तुमसे वादा फ़रमाता है बख्शिश(इनाम) और फल का और अल्लाह वुसअत (विस्तार) वाला इल्म वाला है।
📕 सूरह बकरह, आयत न. 268
〓•••➲ *मैं उन्हें पीस डालूँगा :-* अल्लाह फरमाता है : (शैतान) बोला देख तो जो यह तूने मुझसे इज़्ज़त वाला रखा अगर तूने मुझे कयामत तक मुहलत दी तो ज़रूर मैं उसकी (आदम की) औलाद को पीस डालूंगा मगर थोड़ा! (ईमान वालो के अलावा)..✍
📚 सूरह बनी इस्राएल, आयत न. 62
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*• गुनाहों से • बचाने ⚡ • वाली बातें •*
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〓•••➲ *शैतान के दोस्तों :-* अल्लाह फरमाता है : ईमान वाले अल्लाह की राह में लड़ते हैं और कुफ्फार शैतान की राह में लड़ते हैं तो शैतान के दोस्तों से लड़ो बेशक शैतान का दाव कमजोर है।
📓 सूरह निसा, आयत न. 76
〓•••➲ *शैतान इंसानो का हिस्सा लेगा :-* अल्लाह फरमाता है : जिसपर अल्लाह ने लाअनत की और बोला कसम है मैं ज़रूर तेरे बन्दों में से कुछ ठहरा हुआ हिस्सा लूंगा।..✍
📚 सूरह निसा, आयत न. 118
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*• गुनाहों से • बचाने ⚡ • वाली बातें •*
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〓•••➲ *वोह आरजुएं दिलाएगा :-* अल्लाह फरमाता है : कसम है मैं (शैतान) ज़रूर उन्हें (इंसानो को) बहकाढुंगा और ज़रूर उन्हें आरजुऐं दिलाऊंगा और ज़रूर उन्हें कहूंगा कि वो चौपायों के कान चीरेंगे और ज़रूर उन्हें कहूंगा कि वो अल्लाह की पैदा की हुई चीजें बदल देंगे और जो अल्लाह को छोड़कर शैतान को दोस्त बनाये वह सलीम घाटे में पड़ा।
📒 सूरह निसा, आयत न. 119
〓•••➲ *शैतान ने उन्हें धोखा दिया :-* अल्लाह फरमाता है : बेशक वो जो अपने पीछे पलट गए बाद इसके कि हिदायत उनपर खुल चुकी थी शैतान ने उन्हें धोखा दिया और उन्हें दुनिया में मुद्दतों रहने की उम्मीद दिलाई।..✍
📚 सूरह मोहम्मद, आयत न. 25
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*• गुनाहों से • बचाने ⚡ • वाली बातें •*
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〓•••➲ *काफिरों को दोस्त न बनाओ :-* अल्लाह फरमाता है : ऐ ईमान वालो काफिरों को दोस्त न बनाओ मुसलमानों के सिवा, क्या यह चाहते हो कि अपने ऊपर अल्लाह के लिये सरीह हुज्जत कर लो।
📓 सूरह निसा, आयत न. 144
〓•••➲ *अल्लाह फरमाता है :-* ऐ ईमान वालो यहूदियों और ईसाइयों को दोस्त न बनाओ वो आपस में एक दूसरे के दोस्त हैं और तुम में जो कोई उनसे दोस्ती रखेगा तो वह उनहीं में से है बेशक अल्लाह बे इन्साफों को राह नहीं देता।..✍
📚 सूरह माएदा, आयत न. 51
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*• गुनाहों से • बचाने ⚡ • वाली बातें •*
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〓•••➲ *शैतान से अल्लाह की पनाह मांग :-* अल्लाह फरमाता है : ऐ सुनने वाले अगर शैतान तुझे कोई कौंचा (वसवसा) दे तो अल्लाह की पनाह मांग बेशक वही सुनता जानता है।
📕 सूरह अराफ, आयत न. 200
〓•••➲ *डर वाले होशियार हैं :-* अल्लाह फरमाता है : बेशक वो जो डर वाले हैं जब उन्हें किसी __ शैतानी खयाल (गुनाह वस्वसा) की ठेस लगती है होशियार हो जाते हैं उसी वक्त उनकी आँखें खुल जाती हैं।...✍
📚 सूरह अराफ, आयत न. 201
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*• गुनाहों से • बचाने ⚡ • वाली बातें •*
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〓•••➲ *मैं उन सबको गुमराह करूँगा :-* शैतान बोला ऐ रब मेरे कसम इसकी कि तूने मुझे गुमराह किया मैं उन्हें ज़मीन में भुलावे दूंगा और ज़रूर मैं उन सब को बेराह करूंगा।
📓 सूरह हिज्र, आयत न. 39
〓•••➲ *शैतान बेहयाई और बुरी ही बात बताएगा :-* अल्लाह फरमाता है : ऐ ईमान वालो शैतान के कदमों पर न चलो, और जो शैतान के कदमों पर चले तो वह तो बेहयाई और बुरी ही बात बताएगा और अगर अल्लाह का फल और उसकी रहमत तुम पर न होती तो तुम में कोई भी कभी सुथरा न हो सकता हाँ अल्लाह सुथरा कर देता है जिसे चाहे और अल्लाह सुनता जानता है।...✍
📚 सूरह नूर, आयत न. 21
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*• गुनाहों से • बचाने ⚡ • वाली बातें •*
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〓•••➲ *शैतान को मदद कौन देता है :-* अल्लाह फरमाता है : काफिर अपने रब के मुकाबिल शैतान को मदद देता है! (सूरह फुरकान, आयत न. 55)
〓•••➲ *बोहतान वालों पर शैतान :-* अल्लाह फरमाता है : क्या मैं तुम्हें बतादूँ कि किस पर उतरते हैं शैतान, उतरते हैं हर बड़े बोहतान वाले गुनहगार पर। (सूरह शु'अरा, आयत न. 22!1-222)
〓•••➲ *खिनजब कौन है :-* हज़रत उसमान बिन आस ने फरमाया कि उन्होंने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम से अर्ज किया मेरी नमाज और मेरी किरअत में शैतान खलल डालता है, हुजूर ने इरशाद फरमाया, उसका नाम खिनज़ब है जब तुम को उसका एहसास हो तो अल्लाह की पनाह मांगो (आऊजुबिल्लाह पढ़ो) और बाईं तरफ को तीन बार थुतकार दो, हज़रत उसमान ने अर्ज किया कि मैंने ऐसा ही किया है और अल्लाह ने उसको मुझ से दूर कर दिया है!..✍
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*• गुनाहों से • बचाने ⚡ • वाली बातें •*
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〓•••➲ *इन्सानों पर शैतान का गलबा :-* शैतान ने अल्लाह से कहा- ऐ अल्लाह! तू ने मुझे जन्नत से निकाला तो आदम के सबब, अब मुझे औलादे आदम पर गल्बा अता फरमा, खुदा तआला ने फरमाया- मैं ने तुझे नबियों के इलावा जिन की इस्मत मुसल्लम है, आदम की औलाद पर गल्बा दिया। शैतान बोला कुछ और? अल्लाह तआला ने फरमाया जितनी आदम की औलाद होगी उतनी ही तेरी औलाद होगी। शैतान बोला कुछ और? खुदावन्दे कौनैन ने फरमाया- मैं ने उन के सीनों को तेरा मस्कन बनाया, तू उन में खून की तरह गदिश करेगा, अर्ज की कुछ और? फरमाने इलाही हुआ- अपने सिवा और प्यादा मददगारों से मदद मांग कर उन्हें हराम माल की कमाई पर आमादा करना, उन्हें हैज के दिनों वगैरह में मुजामिअत से औलादे हराम का हकदार बनाना और हरामकारी की वजहें पैदा करना, उन्हें मुशरिकाना नाम सिखाना जैसे अब्दुलउज्जा वगैरह, इन्हें गन्दी बातें, बुरे अफआल और झूटे मजहबों के जरिए गुमराह करना, इन्हें झूटी तसल्लियां देना जैसे झूटे मअबूदों की शफाअत, आबा व अजदाद की कामो और तरीको पर फखर, लम्ची उम्मीदों के जरीये तौबा में देर वगैरह और यह सब कुछ डराने के तौर पर था जैसा कि फरमाने इलाही है- तुम जो चाहो करो"!..✍
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*• गुनाहों से • बचाने ⚡ • वाली बातें •*
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〓•••➲ आदम अलैहिस्सलाम ने अर्ज की ऐ अल्लाह! तूने मेरी औलाद पर इबलीस को मुसल्लत कर दिया, अब उससे रिहाई तेरी रहमत के बगैर कैसे होगी? खुदा ने फरमाया- तेरे हर एक फरजन्द के साथ मैं मुहाफिज़ (हिफाजत के) फरिश्ते बनाऊंगा। अर्ज की अभी कुछ और! फरमाने इलाही हुआ एक नेकी का सवाब उन्हें दस गुना मिलेगा। अर्ज की अभी कुछ और! फरमाने इलाही हुआ। उन के आखिरी सांस तक उन की तौबा कबूल करूंगा। अर्ज की कि कुछ और अता फरमा! फरमान हुआ उन के लिए बख्शिश आम कर दूंगा, मैं बे नियाज़ हूं। आदम अलैहिस्सलाम बोले! ऐ मेरे रब यह काफी है।
〓•••➲ शैतान ने कहा ऐ अल्लाह! तू ने आदमी की औलाद में नबी बनाये, उन पर किताबें नाज़िल की, मेरे रसूल और किताबें क्या हैं? जवाब आया मैं तेरे रसूल और गुदी हुई खालें तेरी किताबें झूट तेरी हदीसें झूट, तेरा कुरआन शेअर (जादू), तेरे मुअज्जिन (अपनी तरफ बुलाने का लिए बाजे, गाना, म्यूजिक, ढोल) तेरी मस्जिद बाज़ार, तेरा घर पखाना घर, तेरा खाना वह जिस पर मेरा नाम न लिया गया हो। तेरा पानी शराब, नशीली चीज़ और औरतें तेरा जाल हैं।..✍
📓 मुकाशफुतुल कुलूब, पेज 92
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*• गुनाहों से • बचाने ⚡ • वाली बातें •*
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〓•••➲ *हसद और लालच शैतान की तरफ से :-* हदीस : हज़रते लैस से रिवायत है उन्होंने कहा हज़रते नूह अलैहिस्सलाम से इब्लीस ने मुलाकात की और कहा : ऐ नूह हसद (जलन) और हिर्स (लालच) से बचो क्योंकि मैंने हसद किया तो जन्नत से निकाल दिया गया, और आदम ने शजरहे ममनूआह (जिस दरख्त का फल खाने से उन्हें रोका गया था) पर लालच किया तो जन्नत से निकाल दिए गए।
〓•••➲ *मछलियों की जबान क्यूँ छिन गई :-* अल्लाह तआला ने तमाम जानवरों के मुँह में जबान पैदा की है मगर मछली को ज़बान नहीं दी गई, इस की वजह यह है कि जब खुदा के हुक्म से फरिश्तों ने आदम अलैहिस्सलाम को सज्दा किया और इबलीस, रजीम होकर बिगड़ी हुई शक्ल में ज़मीन पर फेंक दिया गया तो वह समुन्दरों की तरफ गया, उसे सब से पहले मछली नज़र आई जिसे उसने आदम अलैहिस्सलाम की तख्लीक (पैदाइश) का किस्सा सुनाया और यह भी बताया कि वह बहर व बर (पानी और खुश्की) के जानवरों का शिकार करेगा तो मछली ने तमाम दरियाई जानवरों तक हजरते आदम की कहानी कह सुनाई, इसी वजह से अल्लाह तआला ने उसे ज़बान के शरफ से महरूम कर दिया।..✍
📕 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 20 , पेज 141
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*• गुनाहों से • बचाने ⚡ • वाली बातें •*
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〓•••➲ *खाने के वक्त शैतान से सावधान :-* हदीस :- सहीह मुस्लिम शरीफ में हुजैफा रदियल्लाहु त'आला अन्हु से मरवी कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि जिस खाने पर बिस्मिल्लाह न पढ़ी जाए शैतान के लिए वह खाना हलाल हो जाता है यानी बिस्मिल्लाह न पढ़ने की सूरत में शैतान उस खाने को खाता है।
📘 बहारे शरीयत, हिस्सा 16
〓•••➲ *शैतान इंसान के साथ खाना चाहता है :-* हज़रत हुजैफा रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं खाना खाते वक्त हम उस वक्त तक खाना न खाते जब तक हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम शुरूअ न फरमा लेते। एक रोज़ हम एक दावत में हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ गए खाना चुना गया तो एक छोटी लड़की आई और उसने जल्दी से अपना हाथ खाने की तरफ बढ़ाया हुजूर ने उस का हाथ पकड़ लिया फिर एक देहाती आया ! उसने भी जल्दी से अपना हाथ खाने की तरफ बढ़ाया हुजूर ने उस का हाथ भी पकड़ लिया और फरमाया शैतान चाहता है कि खाना बगैर बिस्मिल्लाह पढ़ने के खाया जाए ताकि वह भी शरीक हो सके। चुनाँचि वह उस लड़की के साथ आया ताकि बगैर बिस्मिल्लाह पढ़ के खाना शुरू कर दिया जाये मैंने उसका हाथ पकड़ लिया फिर उस देहाती के साथ आया मैंने उसको भी हाथ पकड़ लिया उसके बाद हुजूर ने बिस्मिल्लाह पढ़ी और खाना शुरूअ फरमाया।...✍
📒 मिश्कात शरीफ सफ़ह - 360
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〓•••➲ *बिस्मिल्लाह पढ़ना भूल गए तो ये दुआ पढ़ो। :-* मसअला:- खाना बिस्मिल्लाह पढ़ कर शुरू किया जाए और खत्म करके अल्हम्दुलिल्लाह पढ़ें अगर बिस्मिल्लाह कहना भूल गया है तो जब याद आ जाए (खाना खत्म होने से पहले तक) यह कहे "बिस्मिल्लाहि फी अव्वलिही व आखिरिही"।
📗 बहारे शरीयत, हिस्सा - 16
〓•••➲ *शैतान पानी कैसे पीता है :-* हजरत अबु बकर मुहम्मद बिन शहाब जहरी रहमतुल्लाह अलैह से रिवायत के रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वस्सलम जब पानी पीते तो तीन सांस में पीते। हुजूर सल्लाहु अलैहि वस्सलम ने एक सांस में गट- गट पीने से मना फरमाया(एक सांस में पीना) शैतान का तरीका है।..✍ (बैहकी)
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*• गुनाहों से • बचाने ⚡ • वाली बातें •*
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〓•••➲ *सोने के वक्त शैतान से सावधान :-* इब्ने अदी हज़रते अबु उमामा से रिवायत करते हैं कि रसूलुल्लाह ने इरशाद फरमाया अल्लाह का नाम लेकर अपने दरवाजे बंद करो और अपने बर्तनों को ढांको और अपने मश्कीजों के मुँह बांधो और अपने चरागों को बुझा दो, इसलिए कि ऐसा करने से उन (शयातीन) को दीवार फाँदने की इजाजत नहीं दी जाती। (जिन्नों की दुनिया)
〓•••➲ *सोते वक्त सावधान :-* सोते वक्त किसी न किसी सूरत में अल्लाह का जिक्र करना ज़रूरी है क्योंकि जिक्रे इलाही से एक तो गुनाह माफ हो जाते हैं और दूसरे अल्लाह के जिक्र से रात भर इन्सान अल्लाह की पनाह में आ जाता है और उस पर अल्लाह की रहमत रहती है। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जब आदमी सोने के लिये अपने बिस्तर पर पहुँचता है तो उसी वक्त एक फरिश्ता और एक शैतान उसके पास आ पहुँचते हैं, फरिश्ता उससे कहता है "अपने आमाल (कर्म) का खातिमा भलाई पर करो" और शैतान कहता है "अपने आमाल का खातिमा बुराई पर करो" फिर अगर वह आदमी खुदा का जिक्र करके सोया तो फरिश्ता रात भर उसकी हिफाज़त करता है।..✍ (अल-अदबुल मुफरद)
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*• गुनाहों से • बचाने ⚡ • वाली बातें •*
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〓•••➲ *इस तरह सोना मना है :-* सोते वक्त इस बात का ख्याल रखें कि पेट के बल यानी उल्टे होकर न सोएं क्योंकि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने पेट के बल लेटने से मना फरमाया है, पेट के बल लेटना अखलाकी तौर तरीकों के खिलाफ है और दूसरे ये कि शैतानी शर का खतरा होता है, तीसरे ये कि डाक्टरी नुक्त-ए-नज़र से पेट से के बल लेटने से खाना अच्छी तरह हजम नहीं होता, चौथे ये के पेट के बल लेटने वाला बे तहजीब मालूम होता है, पाँचवें ये कि पेट के बल लेटने से बदन नंगा होने का डर होता है इसलिये उल्टा, पेट के बल सोना मना है।
📒 आदाबे सुन्नत, पेज 150
〓•••➲ *शैतान का बिस्तर हजरत कैस बिन अबू हिजाम ने कहा :-* जिस घर मे कोई बिस्तर बिछा हो और उस पर कोई सोता न हो तो उस पर शैतान सोता है।..✍ (मकाइदुरशैतान, इब्ने अबिद्दुनिया)
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〓•••➲ *जब आप बिस्तर पर जाएँ :-* मैं (इमाम सुयुती) कहता हूँ इब्ने अबिदुनिया ने "मकाइदुरशैतान" में और दीनावरी ने "अल मजालिसह' में हज़रते हसन बसरी से रिवायत करते है के नबी करीम सलल्ललाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया - : (तर्जमा) हज़रते जिब्रईल ए अमीन मेरे पास आए और उन्होंने कहा कि इफरीत (देव, भूत) जिन्नों में से है जो आप के साथ मक्र (अय्यारी) करता है लिहाजा आप जब भी अपने बिस्तर पर तशरीफ ले जाए तो आयतल कुर्सी पढ़ लिया करें। (जिन्नों कि दुनिया)
〓•••➲ *हमबिस्तरी के वक्त शैतान से सावधान :-* हुजूरे अकरम सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम इरशाद फरमाते हैं "जब तुम में कोई अपनी बीवी से सोहबत (हमबिस्तरी) करे तो पर्दा कर ले, बे पर्दा होगा तो फरिश्ते हया की वजह से बाहर निकल जाएंगे और शैतान आ जाएंगे, अब अगर कोई बच्चा हुआ तो शैतान की उस में शिर्कत होगी (यानी बच्चा बेहया पैदा होगा)।
📕 गुनियतुत्तालिबीन सफा नं. 116
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〓•••➲ *औलाद का बेशर्म व बेहया होना :-* आला हज़रत रदीअल्लाहो तआला अन्हो एक जगह इरशाद फरमाते हैं- "बरहना (नंगी हालत में) रह कर सोहबत करने से औलाद के बे शर्म व बेहया होने का खतरा है।
📕 फतावा-ए-रज़विया, जिल्द 9 सफा 46
〓•••➲ *आधी रात में शैतान से सावधान :-* शैतान की तीन बंदिशें (गिरह) : हज़रते अबू हुरैरा रदीअल्लाहु अन्हु से रिवायत है के रसूलल्लाह सल्लल्लाहू त'आला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया : जब तुम में से कोई सोता है तो शैतान उसकी सर की दिमाग में तीन बन्दिश (गिरह) लगा देते है और गिरह पर ये वसवसा डालता है के अभी रात बहुत बाकी है सो जा फिर अगर वो सोने वाला बंदा जाग जाता है और अल्लाह का जिक्र करता है तो एक गिरह खुल जाती है, फिर जब वजू करता है तो दूसरी भी खुल जाती है फिर जब नमाज पढ़ता है तो सारी गिरहें खुल जाती है और वो बंदा खुश दिल और बिशाश और पाक हो जाता है वरना वो सुबह को सुस्त व काहिल और पलीद तबीयत उठता है!..✍ (बुखारी,मुस्लिम)
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〓•••➲ *घर में दाखिल होते वक्त शैतान से सावधान :-* हजरत जाबिर रदीअल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलल्लाह सललल्लाहो अलैहे व सल्लम ने इर्शाद फरमाया "जब आदमी घर में दाखिल हो उस वक्त वह खुदा का जिक्र करता है तो शैतान (मायूस होकर) कहता है कि आज यहाँ न रात गुज़र सकती है और न खाना मिल सकता है। " (इब्ने माजा)
〓•••➲ *घर से निकलते वक्त शैतान से सावधान :-* हज़रते अबु हुरैरह रदीयल्लाहु अन्हु बयान करते हैं कि हुजूर ताजदारे मदीना सललल्लाहो अलैहे व सल्लम फरमाते है कि "आदमी जब अपने घर के दरवाजे से बाहर निकलता है तो उसके साथ दो फरिश्ते मुकर्रर होते हैं। जब वह आदमी कहता है"बिस्मिल्लाह" तो वह फरिश्ते कहते हैं तूने सीधी राह इख्तियार की। फिर जब वह कहता है- "ला हौला वला कुव्वता इल्ला बिल्लाह तो फरिश्ते कहते है अब तू हर आफत से महफूज है। फिर जब वह बन्दा कहता है - "तवक्कल्तु अलल्लाह" तो फरिश्ते कहते हैं अब तुझे किसी और की मदद की हाजत नहीं। इसके बाद उस शख्स पर दो शैतान जो मुसल्लत किये रहते हैं उससे मिलते हैं। यह देख फरिश्ते उनसे कहते हैं अब तुम इसके साथ क्या करना चाहते हो...? इसने तो सीधा रास्ता इख्तियार किया। तमाम आफत से महफूज हो गया और खुदा की इमदाद के अलावा दूसरे की इमदाद से बेनियाज हो गया।..✍ (इब्ने माजा)
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〓•••➲ *बजने वाली चीज़ के साथ शैतान :-* हज़रते जुबैर रजियल्लाहु अन्हु कहते है कि उनकी एक आज़ाद करदा लौंडी उनकी लड़की को उमर बिन खत्ताब रदीअल्लाहु अन्हु की खिदमत में ले गई लड़की के पैरों में धुंघरू थे हज़रत उमर रदीअल्लाहु अन्हु ने इन घुघरुओं को काट डाला और फरमाया "मैने रसूलल्लाह सललल्लाहो अलैहे व सल्लम को ये फरमाते हुए सुना है कि हर बजने वाली चीज़ के साथ शैतान होता है। (अबू दाऊद)
〓•••➲ *दरवाजा बंद करते वक्त सावधान :-* सोने से पहले घर का दरवाजा बन्द कर लेना चाहिये अगर बाहर से आने वाले दरवाजे ज्यादा हों तो हर एक को अच्छी तरह चैक करें अगर कोई खुला हो तो उसे ज़रूर बंद कर लें, दरवाजा खुला रहने से चोर और गैर लोगों के आने का ख़तरा होता है इसलिये दरवाजा बंद करना ज़रूरी है, यही वजह है कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने शैतान के शर से महफूज रहने के लिये सोने से पहले दरवाजों को बंद करने की नसीहत फरमाई है।..✍
📗 आदाबे सुन्नत,पेज 146
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〓•••➲ *रात में सावधान रहो :-* इब्ने अबिदुनिया ने अज़्जुहद में और इब्ने अल-फरीस ने फज़ाइलुल-कुरआन में और हमीद बिन नज्वियह ने फजाइलुल-आमाल में उबादा बिन साबित से रिवायत की के जब तुम रात को कुरआन पढ़ो तो बुलन्द आवाज से पढ़ो क्योंकि उससे शयातीन और सरकश जिन्न भाग जाते हैं और हवा में रहने वाले फरिश्ते नीज़ घर के रहने वाले सुनते हैं, नीज़ जब कोई कुरआन नमाज़ में पढ़ता है तो लोग उसको देख कर नमाज पढ़ते हैं और घर वाले भी पढ़ते हैं।
📒 शरहुससुदूर, पेज 117
〓•••➲ *शैतान कान में पेशाब कर देता है :-* हजरत इब्ने मसऊद रदीअल्लाहु अन्हु से रिवायत है के हुजूर नबीए __ करीम सल्लल्लाहू ताला अलैहि वसल्लम की खिदमते अकदस में एक शख्स का जिक्र किया गया वो सुबह तक सोता रहता है नमाज के लिए भी नहीं उठता तो आपने इरशाद फरमाया वो ऐसा शख्स है जिसके कानों में शैतान ने पेशाब कर दिया है।..✍ (बुखारी, मुस्लिम)
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〓•••➲ *शैतान उस पर हँसता है :-* हज़रत अबु हुरैरा रदियल्लाहो तआला अन्हु से रिवायत है के रसूलल्लाह सल्लाहु अलैहीवस्सलम ने इरशाद फरमाया छींक अल्लाह तआला की तरफ से है और जमाई शैतान की तरफ से है जब तुम में से कोई जम्हाई ले तो अपना हाथ मुँह पर रख लिया करे क्योंकि जब आदमी जमाई लेते वक्त कहता है आह आह। तो शैतान उस के ऊपर हँसता है और अल्लाह तआला जम्हाई लेते छींक को पसंद करता है और जम्हाई के वक्त आह आह करता है तो शैतान उसके पेट में हँसता है। (तिर्मिजी, बसनदे हसन)
〓•••➲ *शैतान पेट में घुस जाता है :-* हज़रत अबु सईद रदीअल्लाहु त'आला अन्हु से रिवायत है के रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वस्सलम ने इरशाद फरमाया जब तुम में से किसी को जम्हाई आए तो अपना हाथ अपने मुँह पर रख ले क्योंके शैतान जमाई के साथ अंदर घुस जाता है।..✍ (मुसनद अहमद, बुखारी, मुस्लिम)
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〓•••➲ *नमाज़ में शैतान :-* मैं (इमाम सुयूती) कहता हूं कि बज़्ज़ार और तबरानी हज़रते अबुल मलीह से रिवायत करते हैं कि एक साहब ने रसूलल्लाह की खिदमत में अर्ज किया या रसूलल्लाह! मैं आपकी खिदमत में उस वसवसे की शिकायत अर्ज करने हाज़िर हुआ हूं जो मैं अपने दिल में पाता हूं,"मैं जब नमाज शुरू करता हूं तो मुझे याद नही रहता कि दो रकअत हुई या एक" तो रसूलल्लाह ने इरशाद फरमाया जब तुम्हे ये सूरत पेश आए तो (नमाज़ से पहले) अपने सीधे हाथ की शहादत की उंगली उठाकर अपनी उल्टे रान में चुभा दो और "बिस्मिल्लाह" पढ़ो इसलिए कि ये कलमा शैतान के लिए छड़ी है।..✍
(जिन्नों की दुनिया, इमाम जलालुद्दीन सुयूती)
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〓•••➲ *नमाज के वक्त शैतान से सावधान :-* हज़रते अमर बिन अलआस रदीयल्लाहु अन्हु ने नबीए अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से अर्ज की या रसूलल्लाह! शैतान मेरे _और मेरी नमाज व किरअत के दरमियान हाइल हो जाता है। आपने फरमाया यह शैतान है जिसे खिनज़ब कहा जाता है, तुम जब भी उसके वसाविस महसूस करो अल्लाह तआला से उससे पनाह मांगो और तीन मर्तबा बायें जानिब थूक दो, रावी कहते हैं चुनान्चे मैं ने __ ऐसा ही किया और अल्लाह तआला ने मुझे उससे दूर कर दिया।..✍
📕 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 79, पेज 458
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*• गुनाहों से • बचाने ⚡ • वाली बातें •*
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〓•••➲ *शैतान का धंधे के जरिये नमाज छुड़वाना :-* खुदा तआला ने जब नमाज का हुक्म नाजिल किया तो शैतान ने एक दर्दनाक चीख मारी, उसकी चीख की आवाज़ सुन कर सारा लश्कर उसके पास जम'अ हो गया, शैतान ने परेशानी के आलम में उन से नमाज फर्ज होने का जिक्र किया।
〓•••➲ शैतान ने कहा जहाँ तक तुम से हो सके, लोगों को तुम नमाज के औकात से रोको और किसी ऐसे धंधे में उन्हें मशगूल रखो जिस से उन्हें नमाज़ पढ़ने की फुरसत ही न मिले, शयातीन बोले और अगर हम से ऐसा न हो सके तो फिर शैतान ने कहा, तो फिर यूँ करो कि जब कोई शख्स नमाज़ पढ़ने के लिए खड़ा है तो तुम में से चार शैतान गिर्द खड़े हो जाएं दायें जानिब खड़ा होने वाला यूँ कहे कि ज़रा अपनी दाईं जानिब देख और बाएं तरफ खड़ा होने वाला यूँ कहे कि जरा अपनी बाएं जानिब देख ऊपर की तरफ खड़ा होने वाला यूँ कहे जरा ऊपर आसमान की तरफ देख और नीचे की तरफ खड़ा होने वाला उसे नीचे देखने की रगबत दिलाए, और जल्दी जल्दी नमाज पढ़ने का वसवसा दिल में डालो और खूब याद रखो अगर इतनी कोशिश के बावजूद वह बराबर नमाज़ में मशगूल रहा तो हमारा बेड़ा गर्क हो जाएगा क्योंकि खुदा तआला उसे बख्श देगा।..✍
📒 नुहतुल-मजालिस जिल्द 1 सफ़ह 66
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〓•••➲ *गुनाह दौलत के लालच की वजह से :-* हज़रत इब्ने अब्बास से रिवायत है कि टेक्साल में जब पहला रूपया ढाला गया तो शैतान ने उसको लेकर बोसा दिया और उसको अपनी आँखों पर और नाफ पर रखकर कहा कि तेरे ज़रिये से मैं सरकश बनाऊँगा और तेरी बदौलत काफिर बनाऊँगा मैं फरजंदे आदम से इस बात से खुश हूँ कि रूपये की मुहब्बत की वजह से मेरी इताअत करता है। (तलबीस इब्लीस 455)
〓•••➲ *बैतुल खला में शैतान से सावधान :-* हदीस शरीफ आया है, हुजूरे अकदस ने फरमाया उन पाखानों में शैतान होते हैं इसलिए तुम शैतान से अल्लाह की पनाह मांगो और तुम में से हर शख्स बैतुल खला में दाखिल होते वक्त कहे : "अल्लाहुम्मा इन्नी आऊजुबिका मिनल् खुबसि वल् खबाइस' तर्जमा : बिस्मिल्लाह मैं अल्लाह की पनाह मांगता हूँ खबीस नर और मादा जिन्नात से और पलीद गन्दे फटकारे हुए शैतान से।...✍
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〓•••➲ *वसवसे की बिमारी क्यूँ होती है :-* हदीस : इमाम अबुदाऊद ईमाम तिर्मिजी और इमाम निसाई हज़रते अब्दुल्लाह बिन मगफूल रदीअल्लाहु त आला अन्हु से रिवायत करते हैं के रसूलल्लाह सल्लाहु तआला अलैहि वस्सलम ने इरशाद फरमाया तर्जुमा :- "तुम में का कोई गुस्लखाने में हरगिज़ पेशाब न करे इस लिए की आमतौर पर वसवसे की बिमारी इसी से पैदा होती है।"
(जिन्नों की दुनिया, इमाम जलालुद्दीन सुयुति)
नोट : अटेच लेटरिग बाथरूम बनाना बेहतर नहीं।...✍
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〓•••➲ *शैतान को लाल रंग पसंद है :-* शैतान को सुर्ख रंग पसंद है: मैं (इमाम सुयुति और बू उदय, इब्न काने, इब्न अस्कन, अबू नईम "अल-मरीफा" और इमाम बैहकी "शो'अबुल-ईमान में हज़रत रफी यजीद सकफी से रिवायत करता हैं कि रसूलुल्लाह सलल्लाहो अलैहिस्सलम ने ईरशाद फरमाया शैतान सुर्ख रंग पसंद करता है तुम अपने को सुर्ख रंग से बचाओ और हर किस्म के तकब्बुर पैदा करने वाले लिवास से भी बचाओ।
(जिन्नों की दुनिया, इमाम जलालुद्दीन सुयुति)
〓•••➲ *लटका हुआ कपड़ा शैतान पहन लेता है :-* हज़रते जाबिर रदीयल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वस्सलम ने इरशाद फरमाया तुम अपने लिबास लपेट कर रखा करो तो उनकी ताकत बाकी और कायम रहेगी इसलिए कि शैतान जब कोई कपड़ा लपेटा हुवा पाता है तो उसको नही पहनता है लेकिन जब वह खुला हुआ पाता है तो शैतान उसको पहन लेता है।..✍ (तबरानी औसत)
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〓•••➲ *सदका देने से शैतान रोकता है :-* इमाम इब्ने जौजी रहमतुल्लाहि अलैह तलबीसे इबलीस के सफहा 455 पर एक रिवायत दर्ज फरमाते हैं कि हम ने शकीक से रिवायत किया कि अब्दुल्लाह ने कहा शैतान हर उम्दा चीज़ के जरिए से इंसान को फरेब देता है और कहा कि जब तंग आ जाता है तो उसके माल में लेट जाता है और उसको सदका व खैरात करने से बाज़ रखता है!
〓•••➲ मअलूम हुआ कि सदका व खैरात करने वाला शैतान के काबू से बाहर है, और जो शख्स सदका व खैरात का काइल नहीं और खैरात की मदों पर तरह तरह के एअतिराजात करता रहता है समझ लीजीए कि उसके माल में शैतान लेटा हुआ है! (शैतान की हिकायत)
〓•••➲ *रास्तों में शैतान से सावधान :-* रसूले अरबी सललल्लाहो अलैहे व सल्लम का फरमाने आलीशान है कि - "औरत पर्दे में रहने की चीज है जिस वक्त वह बे पर्दा होकर बाहर निकलती है तो शैतान उसको झांक-झांक कर देखता है। (औरत को देखना शैतानी काम है)
📙 तिर्मिज़ी जिल्द 1 सफह 140
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〓•••➲ *शैतान का चौराहा :-* चार बातों से परहेज किया जाए!
1) फिजूल नजर (बेकार इधर उधर देखना)
2) फिजूल गुफ्तगू
3) फिजूल खाने (जरूरत से जाइद खाने)
4) लोगो की फिजूल मुलाकात से बाज रहना भी शैतान से महफूज रहने का जरिया है इस लिए के शैतान इन चार दरवाजों से इंसान पर मुसल्लत व हमलावर होता है।..✍
📙 जिन्नों की दुनिया, इमाम जलालुद्दीन सुयूती, पेज 250
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〓•••➲ *कुरआन सुन कर भाग गए :-* कुरआने पाक की तिलावत से शैतान भागता है: इब्ने अबिदुनिया हज़रते अबू खालिद वाबिली से रिवायत करते है वो फरमाते है में अपने बीवी बच्चों के साथ वफद की सूरत में उमरा के लिए रवाना हुआ तो हम एक मंजिल पर उतरे और मेरे अहल वो अयाल (परिवार) थे। अचानक मैंने बच्चो का शोर और गुल सुना तो मैंने अपनी आवाज कुरआने करीम के साथ ऊंची की तो किसी चीज़ के गिरने की आवाज सुनाई दी।
〓•••➲ चुनाँचे मैंने उनसे पूछा तो उन्होंने कहा के हमे शैतानों ने पकड़ लिया और हम से खेल कूद करने लगे जब आपने कुरआने पाक के साथ अपनी आवाज बुलंद की तो वो हमे फेंक कर भाग गए। (जिन्नों की दुनिया)
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〓•••➲ *खुशी और गुस्से में शैतान से सावधान :-* हज़रते खुजैमा रहमतुल्लाह अलैह से रिवायत है, शैतान कहता है: इंसान जब खुश होता है तो मैं आता हूँ और उस के दिल पर मूसल्लत हो जाता हूँ और जब वो गुस्सा करता है तो मैं उड़ कर __ उसके दिमाग में सवार हो जाता हूँ। (इब्ने अबिददुनिया)
〓•••➲ *गुस्सा पानी से बुझाओ :-* हदीस : गुस्सा शैतान की तरफ से है और शैतान आग से पैदा होता है और आग पानी ही से बुझाई जाती है लिहाजा जब किसी को गुस्सा आ जाये तो वुजू कर ले । ( अबू दाऊद) हदीस : जब किसी को गुस्सा आये और वह खड़ा हो तो वह बैठ जाये अगर गुस्सा चला जाये तो ठीक वरना लेट जाये। (इसलामी अखलाक ओ- आदाब, 213) (अहमद, तिर्मिजी)
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〓•••➲ *नमाज और शैतान :-* इब्ने अबी हातिम, हज़रते जाफर बिन मुहम्मद रदीअल्लाहु त'आला अन्हुमा से रिवायत करते हैं कि मुझे खबर पहुंची है कि मलक उल मौत (हज़रत इज़राईल अलैहिस्सलाम) नमाजों के वक्त में लोगों से मुसाफह करते हैं फिर जब वो आदमी को उसकी मौत के वक्त देखते हैं तो अगर वो नमाज की पाबंदी करता था तो उसके करीब हो जाते हैं और उससे शैतान को दफा करके "ला इलाहा इल्लाह" की तलकीन करते हैं।
〓•••➲ *पैदाइश के वक्त शैतान :-* रसूलल्लाह सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः बच्चे की पैदाइश के वक्त चीखना और चिल्लाना बच्चे की कोख में शैतान के उंगली मारने की वजह से है। (मुस्लिम)
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〓•••➲ *जवानी में शैतान से सावधान :-* शैतान इंसान में कहां कहां होता हैं : अबू बकर मुहम्मद बिन अहमद बिन शैबह "किताबूल कलाइद" में हज़रते इब्ने अब्बास रदीअल्लाहु __ अन्हु से रिवायत करते हैं कि मर्द का शैतान जिस्म में तीन जगह पर रहता है :
(१) उस की आंखों में ,
(२) उस के दिल में ,
(३) और उस के आलए तनासुल (शर्मगाह) में
〓•••➲ और औरत का शैतान भी तीन मकाम पर रहता है
(१) उस की आंखों में,
(२) उस के दिल में
(३) उस की सुरीन (शर्मगाह) में,
(जिन्नों की दुनिया, इमाम जलालुद्दीन सुयूती)
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〓•••➲ *शैतान और गंदा काम :-* हिकायत : शहरे सदूम की बस्तियां बहुत आबाद और निहायत सर सब्जो शादाब थी और वहां तरह तरह के अनाज और किस्म किस्म के फल और मेवे बहुत तादाद में पैदा होते थे ,शहर की खुशहाली की वजह से अकषर जा बजा के लोग मेहमान बन कर इन आबादियों में आया करते थे और शहर के लोगों को इन मेहमानों की मेहमान नवाजी का बार उठाना पडता था ,इस लिये इस शहर के लोग मेहमानों की आमद से बहुत ही कबीदा खातिर और तंग हो चुके थे ,मगर मेहमानों को रोकने और भगाने की कोई सूरत नज़र नहीं आ रही थी।
〓•••➲ इस माहोल में इब्लीसे लईन एक बूढ़े की सूरत में नुमूदार हुवा, और इन लोगों से कहने लगा कि अगर तुम लोग मेहमानों की आमद से नजात चाहते हो तो इस की येह तदबीर है कि जब भी कोई मेहमान तुम्हारी बस्ती में आए तो तुम लोग ज़बरदस्ती उस के साथ बद फे’ली करो।
〓•••➲ चुनान्चे, सब से पहले इब्लीस खुद एक खूब सूरत लड़के की शक्ल में मेहमान बन कर इस बस्ती में दाखिल हुवा और इन लोगों से खूब बद फे' ली कराई इस तरह येह फे' ले बद (मर्द मर्द के साथ बदकारी) इन लोगों ने शैतान से सीखा फिर रफ्ता रफ्ता इस बुरे काम के येह लोग इस कदर आदी बन गए कि औरतों को छोड़ कर मर्यों से अपनी शहवत पूरी करने लगे। (अजाइबुल कुरआन, पेज 111)
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〓•••➲ *मर्द और औरत के साथ तीसरा शैतान होता है :-* हदीस :- हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः "कोई मर्द किसी औरत के साथ जब तन्हाई में इकट्ठा होता है तो तीसरा शैतान ज़रूर होता है।"
📙 तिरमिजी शरीफ जिल्द 1, पेज 140
〓•••➲ *उन औरतों के पास न जाओ :-* हदीस :- रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया : "जिन औरतों के शौहर मौजूद न हों उनके पास न जाओ क्योंकि शैतान तुम्हारी रगों में खून की तरह दौड़ता है।..✍
📒 तिरमिजी शरीफ़ जिल्द 1, पेज 140
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〓•••➲ *40 की उम्र के बाद भी तौबा न करने वाला :-* इब्ने वज्जाह रदीअल्लाहु अन्हु ने एक हदीस नकल की है जिसमें कहा गया है जब आदमी चालीस साल को पहुंच जाता है और तौबा नही कर पाता तो शैतान उसके मुंह पर हाथ फेरता और कहता है कि मुझे अपने बाप की कसम यह उसका चेहरा है जो फलाह नही __ पाएगा।
📕 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 79, पेज 460
〓•••➲ *तन्हाई और शैतान :-* हिकायत : एक रोज़ शैतान हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के पास आया, आपने उससे दरयाफ्त फरमाया, भला यह तो बतला वह कौनसा काम है जिस के करने से तू आदमी पर गालिब आ जाता है, उसने जवाब दिया कि गैर महरम औरत के साथ तनहाई में न बैठना, क्यूँकि जब कोई शख्स तनहाई में गैर महरम औरत के साथ बैठता है, तो उनके साथ तीसरा मैं होता हूँ, यहाँ तक कि औरत के साथ उस को फितने (बदकारी) में डाल देता हूँ।..✍
📘 शैतान की हिकायत, पेज 38
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〓•••➲ *तन्हाई में शैतान से सावधान :-* मुश्त जनी यानी हस्तमैथुन हराम है फतावा रजविया जिल्द 22 में है : मसअला 58 : अज़ गिलगित छावनी, जुइनाल मुर्सल सय्यद मुहम्मद यूसुफ अली साहब, शअबान 1312 हिजरी क्या फरमाते हैं उलमाए दीन व मुफ्तियाने शरअ मतीन इस मस्अला में कि जलख ( हस्तमैथुन) लगाने का अल्लाह पाक क्या गुनाह फरमाता है? ( बयान फरमाएं, अज्र पाएं)
〓•••➲ अल-जवाब :- यह फेअल (काम) नापाक हराम व नाजाइज है। अल्लाह जल्ल व उला ने इस हाजत के पूरा करने को सिर्फ जीजा (बीवी) व कनीजे शरई बताई है और साफ इरशाद फरमा दिया है कि : जो इसके सिवा और कोई तरीका ढूंडे तो वही लोग हैं हद से बढ़ने वाले।..✍
📗 कुरआनुल करीम 7/31
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〓•••➲ *निकाह के बाद शैतान से सावधान मियाँ बीवी का झगड़ा :* हज़रते जाबिर रदीअल्लाहु अन्हु रिवायत करते हैं कि मैंने रसूल सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम को इरशाद फरमाते हुए सुना है कि इब्लीश समंदर पर अपना तख्त बिछाता है और उस पर बैठ कर अपनी फौजों को लोगों में फितना डालने के लिये भेजता है शैतान के इस गिरोह में मंज़िलत के एतबार से इब्लीस के सब से ज्यादा करीब वो शैतान होता हैं जो इंतेहा दर्जा का(बड़ा) फितना परवर (फितना बरपा करने वाला) हो उन में से एक शैतान आकर अपने सरदार से कहता है के मेंने ऐसा ऐसा फितना फैलाया सरदार (इब्लीस) कहता है तूने कुछ नही किया।
〓•••➲ फिर उन में से एक दूसरा शैतान आकर कहता है के मेंने फला शख्स का उस वक्त तक पीछा ना छोड़ा जब तक मैंने उसमें और उसकी बीवी में जुदाई न डाल दी। (हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते हैं) इब्लीस उस को अपने करीब करके कहता है ये तूने बहूत ही अच्छा काम किया ( आमश फरमाते है मुझे खयाल आता है के हज़रते जाबिर रदीअल्लाहु अन्हु ने फरमाया शैतान उसे गले से लगा लेता है।
(मुसनद अहमद, मुस्लिम किताबुल मुनाफिकीन)
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〓•••➲ *लोगो के बीच शैतान से सावधान :-* इंसानो में शैतान की हरकत से लड़ाई होती है:- इब्ने अबिद्दनिया और अबू नोएम हज़रते अब्दुल्लाह बिन उमरो रदीअल्लाहु अन्हुमा से रिवायत करते है, वो फरमाते हैं कि शैतान सबसे निचली(सातवीं) जमीन में मुकय्यद है, जब वो हरकत करता है तो जमीन पर जिन दो या दो से दो से जाएद आदमियों के दरमियान लड़ाई झगड़े होते हैं वो इसी हरकत की वजह से होते हैं।
(जिन्नों की दुनिया, इमाम जलालुद्दीन सुयुति)
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〓•••➲ *जाकिर पर शैतान का कामयाबी :-* इमाम अहमद अज़्जुहद में हजरते इब्ने मसऊद रदीअल्लाहु अन्हु से रिवायत करते हैं फरमाते हैं कि शैतान ज़िक्र की मजलिस करने वालों को फितने में मुब्तला करने के लिए चक्कर देता है। जब उनमें तफीक करने में कामयाब नहीं होता तो उस मजलिस में जाता है जो लोग दुनियाँ का जिक्र कर रहे होते हैं उनको एक दूसरे के खिलाफ उकसाता है यहाँ तक कि वो आपस मे लड़ना शुरू कर देते हैं तो अल्लाह का जिक्र करने वाले उनके दरमियान में आकर लड़ने से रोकते हैं।
〓•••➲ इस तरह शैतान जिक्र करने वालों को मुन्तशिर कर देता है। (जिन्नों की दुनिया)
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〓•••➲ *सफर में शैतान से सावधान :-* बिस्मिल्लाह न पढ़ी तो शैतान सफर का साथी बन जाता है : हज़रते इब्ने अब्बास रदीअल्लाहु अन्हु से रिवायत है के रसूल सल्लल्लाहु त'आला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया: जब कोई बंदा सवारी पर सवार होता है और अल्लाह का नाम नहीं लेता यानी बिस्मिल्लाह नही पढ़ता तो शैतान उसके पीछे बैठ जाता है ,यानी उसके सफर का साथी हो जाता है और उसको कहता हैं कुछ गाना गाओ जो वो अच्छी तरह नहीं गा पाता तो उससे कहता है कोई आरजू करो चुनांचे वो आरजू में ही लगा रहता है हत्ता के सवारी से उतर जाता है। (दैल्मी)
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〓•••➲ *मौत के वक्त शैतान से सावधान हिकायत : -* जकरिया नाम का एक मशहूर जाहिद गुज़रा है, सख्त बीमारी के बाद जब उस की रूह कब्ज होने का वक्त आया तो उस के दोस्त ने उसे कलिमा की तलकीन की, मगर उसने दूसरी तरफ मुँह फेर लिया। दोस्त ने दूसरी मर्तबा तलकीन की लेकिन उस ने इधर से उधर मुँह फेर लिया। जब उसने तीसरी मर्तबा तलकीन की तो उस ज़ाहिद ने कहा, मैं नही कहता, दोस्त यह सुनते ही बेहोश हो गया। कुछ देर बाद जब जाहिद को कुछ इफाका हुआ, उस ने आँखें खोली और पूछा तुम ने मुझ से कुछ कहा था? उन्हों ने कहा हाँ, मैं ने तुम को कलिमा की तलकीन की थी मगर तुमने दो मर्तबा मुँह फेर लिया और तीसरी मर्तबा कहा "मैं नही कहता" जाहिद ने कहा बात यह है कि मेरे पास शैतान पानी का प्याला लेकर आया और दायें तरफ खड़ा होकर मुझे वह पानी दिखाते हुए कहने लगा तुम्हें पानी की ज़रूरत है? मैं ने कहा हाँ! कहने लगा कहो ईसा अल्लाह के बेटे हैं। मैं ने मुँह फेर लिया तो दूसरी तरफ से आकर कहने लगा, मैं ने फिर मुँह फेर लिया। जब उस ने तीसरी मर्तबा ईसा अल्लाह के बेटे हैं" कहने को कहा तो मैं ने कहा, मैं नही कहता, इस पर वह पानी का प्याला ज़मीन पर पटक कर भाग गया। मैं ने तो यह लफ्ज़ शैतान से कहे थे, तुम से तो नही कहे थे और फिर कलिमए शहादत का जिक्र करने लगा।
(मुकाशफतुल कुलूब, बाब 16, पेज 120)
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 72
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〓•••➲ *शैतान की नांक :-* हजरते उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ से मरवी है कि किसी ने अल्लाह तआला से सवाल किया मुझे इन्सानी दिल में शैतान की जगह दिखा दे, ख्वाब में उस ने शीशे की तरह साफ सुथरा एक इन्सानी जिस्म देखा जो अन्दर बाहर से एक जैसा नज़र आ रहा था। शैतान को देखा वह उस इन्सान के बायें कंधे और कान के दमियान बैठा हुआ था और अपनी लम्बी नाक से उस के दिल में वसवसे डाल रहा था। जब वह इन्सान अल्लाह का जिक्र करता तो वह फौरन ही पीछे हट जाता।
〓•••➲ ऐ रब्बे जुलजलाल! खत्मुल मुरसलीन सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के तुफैल हमें शैताने मरदूद के वसवसे से बचा, हमें हासिद जबान से नजात बख्श और अपने जिक्र व शुक्र की तौफीक इनायत फरमा (आमीन बिजाहे सय्येदिल मुरसलीन)
(मुकाशफतुल कुलूब, बाब 16, पेज 120)
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〓•••➲ *दिल मे फरिश्ता या शैतान :-* हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया दिल में उतरने की दो जगहें हैं, एक जगह फरिश्ते के उतरने की वह है जो नेकी पर तम्बीह करती है और हक की तस्दीग की जानिब रगबत दिलाती है लिहाजा जो आदमी अपने अन्दर यह बात महसूस करे वह उसे अल्लाह तआला की रहमत समझे और खुदावन्द जल्ल व आ'ला की तारीफ व तौसीफ करे, दूसरी जगह दुश्मन की है जो फितना व फसाद की जानिब मैलान पैदा करता, हक की तकजीब (झुटलाना) और नेकियों से मना करता है, जो शख्स अपने दिल में यह बात महसूस करे वह अल्लाह तआला से शैताने रजीम की शरारतों से पनाह मांगे, फिर आपने यह आयत तिलावत फरमाई "शैतान तुम्हें फक्र का वादा देता है और बुरे काम करने का हुक्म देता है"।
(मुकाशफतुल कुलूब, बाब 79, पेज 458)
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〓•••➲ *दिल की दो फिकरें :-* जनाब हसन बसरी रदीअल्लाहु अन्हु का कौल है कि दो फिकरें हैं जो इंसान के दिल में गर्दिश करती रहती हैं, एक हक की फिक्र और दूसरी दुश्मनी की फिक्र होती है।
〓•••➲ अल्लाह त'आला उस बन्दे पर रहम करे जो अपने अजाइम का कस्द करता है, जो काम उसे अल्लाह तआला की तरफ से नजर आता है उसे पूरा करता है और जो उसे दुश्मन की तरफ से नजर आता है उसे छोड़ देता है।
(मुकाशफतुल कुलूब, बाब 79, पेज 458)
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〓•••➲ *उस दिल में शैतान नहीं रहता :-* जनाब जाबिर दिन उबैदा अदवी कहते हैं, मैंने जनाब अला बिन ज़ियाद से अपने दिल में पैदा होने वाले वसवसों की शिकायत की तो उन्होंने उसे फ़रमाया, दिल की मिसाल उस घर जैसी है जिस में चोरों का गुज़र होता है, अगर उसमें कुछ मौजूद होता है तो वह उसे निकाल ले जाने के बारे में सोचते हैं वरना उसे छोड़ देते हैं यानी जो दिल ख्वाहिशात से खाली होता है उसमें शैतान दाखिल नही होता, इसी लिए फरमाने इलाही है 'बेशक मेरे बन्दों पर तेरे लिए कोई गलबा नही'।
(मुकाशफतुल कुलूब, बाब 79, पेज 458)
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*• गुनाहों से • बचाने ⚡ • वाली बातें •*
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〓•••➲ *ख्वाहिशात का पैरोकार किसका बंदा* वह इंसान जो ख्वाहिशात की पैरवी करता है वह अल्लाह का नही बल्कि शहवत का बन्दा है इसी लिए अल्लाह त'आला उस पर शैतान को मुसल्लत कर देता है, इरशादे इलाही है :"क्या तूने उसको नही देखा जिसने अपनी ख्वाहिश को मअबूद बना लिया।
〓•••➲ इस आयत में इस अमर की जानिब इशारा है कि जिसका मअबूद और खुदा उसकी ख्वाहिश हो वह अल्लाह का बन्दा नही होता।
(मुकाशफतुल कुलूब, बाब 79, पेज 458)
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〓•••➲ *वजू के वक्त शैतान से सावधान :-* हदीस शरीफ में है वजू में नुक्स पैदा करने के लिए एक शैतान है जिसका नाम वलहान है, अल्लाह तआला की रहमत से उससे बचने का सवाल करो।
(जिन्नों की दुनिया, इमाम जलालुद्दीन सुयुति)
〓•••➲ *शैतानी वसवसों से सावधान :-* दिल से शैतानी वसवसे इस सूरत में दूर हो सकते हैं कि इंसान उन वसवसों के खिलाफ बातें सोंचे यानी ज़िक्रे इलाही करे क्योंकि दिल में किसी चीज का ख्याल आता है तो पहले वाली चीज़ का खयाल मिट जाता है लेकिन हर उस चीज़ का खयाल जो जाते रब्बानी और उसके फरामीन के इलावा हो, शैतान की जौलानगाह बन सकती है मगर जिक्रे खुदा ऐसी चीज़ है जिसकी वजह से मोमिन का दिल मुतमइन हो जाता है और वह जान लेता है कि शैतान की ताकत नही जो उसमें जोर आजमाई करे, चूंकि हर चीज का इलाज उसकी ज़िद से किया जाता है, लिहाजा जान लीजिये कि तमाम शैतानी वसवसों की ज़िद जिक्रे इलाही है..... आगे पढ़ें!
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•••➲ शैतान से पनाह चाहना है और "ला-हौला-वला-कुव्वता-इल्ला-बिल्लाह" से रिहाई पाना है और तुम्हारे इस कौल का कि मैं अल्लाह से शैताने रजीम से पनाह मांगता हूं और"ला-हौला-वला-कुव्वता-इल्ला-बिल्लाहिल-अलिय्यिल -अजीम" की यही मन्शा है, इस मकाम पर वही लोग सरफराज होते हैं जो मुत्तकी हों और ज़िक्रे खुदा जिन की रग-रग में रच बस गया हो और शैतान ऐसे लोगों पर बे-खबरी के आलम में अचानक हमले किया करता है, फरमाने इलाही है "तहकीक वह लोग जो परहेज़गार हैं जब उनको शैतान की तरफ से वसवसा लगता है तो वह जिक्र करते हैं फिर अचानक वह देखने लगते हैं।
〓•••➲ मुजाहिद रदीअल्लाहु अन्हु इस फरमाने इलाही 'खन्नास के वसवसों के शर से" की तफसीर में कहते हैं कि वह दिल पर फैला हुआ होता है, जब इंसान ज़िक्रे खुदा करता है तो वह पीछे हट जाता है और सिकुड़ जाता है और जब इंसान जिक्र से गाफिल होता है तो वह हस्बे साबिक दिल पर तसल्लुत जमा लेता है।
📓 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 79, पेज 459
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〓•••➲ *शैतान से मुकाबला :-* ज़िक्रे इलाही और शैतान के वसवसों का मुकाबला ऐसे है जैसे नूर और जुलमत, रात और दिन, और जिस तरह यह एक दूसरे की जिद हैं चुनान्चे फरमाने इलाही है "उन पर शैतान गालिब आया और उन्हें यादे इलाही से गाफिल कर दिया"।
📗 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 79, पेज 459
〓•••➲ *शैतान इंसान के दिल को निगल लेता है :-* हज़रते अनस रदीअल्लाहु अन्हु से मरवी है, हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि शैतान इंसान के दिल पर अपनी ताक लगाये हुए, जब इंसान अल्लाह तआला को याद करता है तो वह पीछे हट जाता है और जब वह यादे इलाही से गाफिल हो जाता है तो शैतान उसके दिल को निगल लेता है।
📔 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 79, पेज 459
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〓•••➲ *भूख से शैतानी रास्ता रोक लो :-* इंसानी ख्वाहिशात व शहवात इंसान के खून और गोश्त पोस्त से जुदा नही होती, उसी तरह शैतान की सल्तनत भी इंसानी दिल पर मुहीत है और इंसान के खून और गोश्त व पोस्त पर जारी व सारी है चुनान्चे फरमाने नबवी है शैतान इंसान के वजूद में खून की तरह गर्दिश करता है लिहाजा उसकी गुजरगाहों को भूक से बन्द करो, आपने भूक का ज़िक्र इस लिए फरमाया है कि शहवत को खत्म कर देती है और शैतान के रास्ते भी शहवात हैं।
📔 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 79, पेज 460
〓•••➲ शहवाते नफ़्सानी के दिल का घेराव करने के मुत'अल्लिक इरशादे इलाही है जिस में शैतान के कौल की खबर दी गई है कि उसने कहा "फिर अलबत्ता मैं उनके पास उनके आगे से, उनके पीछे से, उनके दायें से और उनके बाईं तरफ से आऊंगा" इससे पहले वाली आयत में है कि शैतान ने कहा कि "मैं अलबत्ता तेरी सीधी राह पर उनके लिए बैलूंगा।
📕 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 79, पेज 460
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〓•••➲ *इस्लाम, हिजरत और जिहाद मे शैतानी रुकावट :-* फरमाने नबवी है कि शैतान इंसान के रास्तों पर बैठ गया, उसके इस्लाम के रास्ते में बैठकर उससे कहाः क्या तू इस्लाम कबूल करता है और अपने और अपने बाप दादा के दीन को छोड़ता है मगर इस इंसान ने उसका कहा मानने से इंकार कर दिया और इस्लाम ले आया। फिर वह हिजरत के रास्ता में बैठ गया और बोला क्या तू हिजरत करता है और अपने वतन को और उसकी जमीन व आसमान को छोड़ता है? मगर उस इंसान ने उसकी बात मानने से इंकार कर दिया और हिजरत कर गया फिर उसके जिहाद के रास्ता में बैठ कर बोला क्या तू जिहाद करना चाहता है, हालांकि उसमें जान व माल का जाया (खर्च बैसूद) है, जब तू जंग में जाएगा तो कत्ल हो जाएगा और तेरी औरतों से लोग निकाह कर लेंगे, तेरा माल आपस में बांट लेंगे मगर उस बन्दए खुदा ने शैतान की बात मानने से इनकार कर दिया और जिहाद में शरीक हुआ और हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जिस किसी ने ऐसे किरदार का मुजाहिरा किया, फिर उसे मौत आ गई तो अल्लाह त'आला पर वाजिब होगा कि वह उसे जन्नत में दाखिल करे।
📚 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 79, पेज 460
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〓•••➲ *तकवा और परहेजगारी में शैतान से निजात :-* जिस तरह मीठी चीज़ को चींटियों की फौज खा लेती है उसी तरह ईमान को शैतान की फौज छीन लेती है इसलिए ईमान को तकवा और परहेजगारी के साथ बचाओ। फितनों के इस दौर में शैतान का जाल पूरी तरह फैल चुका है, इस जाल से सिर्फ परहेज़गार बन्दा ही निकल सकता है।(मुसन्निफ)
〓•••➲ *गुनाह शैतान कराता है :-* कुरआन : कसम है मैं (शैतान) ज़रूर उन्हें (इंसानो को) बहकाढुंगा और ज़रूर उन्हें आरजुऐं दिलाऊंगा और ज़रूर उन्हें कहूंगा कि वो चौपायों के कान चीरेंगे और ज़रूर उन्हें कहूंगा कि वो अल्लाह की पैदा की हुई चीजें बदल देंगे और जो अल्लाह को छोड़कर शैतान को दोस्त बनाये वह सलीम टोटे में पड़ा!
📗 सुरहः निसा, आयात न. 119ll
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〓•••➲ *परहेजगारी सीधा रास्ता है :-* कुरआन : यह (परहेजगारी) है मेरा सीधा रास्ता तो इस पर चलो, और दुसरी राहें न चलो कि तुम्हें उसकी राह से जुदा कर देंगी यह तुम्हें हुक्म फरमाया कि कहीं तुम्हें परहेजगारी मिले।
📓 सूरह अनाम, आयत न 153
〓•••➲ *अपने रास्तों पर बुलाता है :-* हज़रते अब्दुल्लाह बिन मसऊद रदीअल्लाहु अन्हु कहते हैं, हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हमारे सामने एक लकीर खींची और फरमाया यह अल्लाह का रास्ता है, फिर आपने उस लकीर के दायें बायें कुछ और लकीरें खींची और फरमाया यह शैतान के रास्ते हैं जिन के लिए वह लोगों को बुलाता रहता है।
📕 मुकाशफतुल कुलूब, बाब 16, पेज 107
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〓•••➲ *शैतान के 4 खास रास्ते :-* खुदा तआला ने शैतान को जब अपनी बारगाह से निकाल दिया और उसे मरदूद व मलऊन कर दिया तो शैतान ने खुदा से कहा कि मुझे क्यामत तक के लिए मुहलत दे, खुदा ने फरमाया अच्छा मैंने मुहलत दी, शैतान ने मुहलत मिलने का व'अदा लेकर फिर कसम खाकर कहा कि मैं सीधे रास्ते पर बैठ जाउँगा तेरे बंदों (आदम की औलाद) को चारों तरफ से घेर लूँगा, इस तरह उन पर सामने से भी हमला कर दूँगा, पीछे से भी, और उन के दाहिने और उन के बाएं से भी उन पर हमला आवर होंगा, और उन्हें तेरे शुक्र गुज़ार बन्दे न रहने दूंगा। खुदा तआला ने फरमाया, मलऊन तू यहाँ से निकल जा! और जा लोगों को बहका, मेरा भी यह एलान है जो तेरे कहे पर चला मैं उसे भी तेरे साथ जहन्नम में दाखिल करूँगा। (कुरअन पारा 8, रूकु 6)
〓•••➲ *गौर व फिक्र : -* मेरे(मुसन्निफ के) इल्म के मुताबिक शैतान ने जो चारों तरफ से हमलावार होने की बात कही उसमें एक तरफ दौलत है जिसका लालच देकर मुसलमानों को दीन से दूर करता है , दूसरी औरत है जिसके जरिए शैतान मर्दो को गुनाह कराने में कामयाब रहा है खासकर बदकारी , तीसरी शोहरत यानी खुद को बेहतर समझना या दिखावा है जिसके जरिए मुसलमानों को सुन्नत से दूर कर दिया है और चौथी ख्वाहिशात यानी लंबी उम्मीदे हैं जिनकी वजह से मुसलमान मौत, आखिरत और अल्लाह को भूल बैठा है।
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〓•••➲ *वसवसों का दरवाजा :-* इमाम सुयूती इब्ने अबिददुनिया हज़रत यहया बिन अबी काशिर से रिवायत करते हैं, वो फरमाते हैं के इंसान के सीने(दिल) में वसवसे का एक दरवाजा है जिससे (शैतान) वसवसा डालता है।(जिन्नों की दुनिया , हदीस 270)
〓•••➲ *इन्सान के दिल में शैतान का घर :-* खुदा तआला ने शैतान को हज़रते आदम अलैहिस्सलाम की खातिर जब अपनी बारगाह से निकाल दिया तो शैतान ने खुदा से दरख्वास्त की कि इलाही तूने मुझे मरदूद तो कर ही डाला है अब इतना कर कि मुझे आदम की औलाद पर पूरी कुदरत और काबू दे दे, ताकि उन्हें मैं गुमराह कर सकूँ। खुदा ने फरमाया जा तू उन पर काबू याफता हैं और मैंने तुझे उन पर कुदरत दे दी। कहने लगा, इलाही! कुछ और ज़्यादा कर फरमाया तू उन के मालों में शिरकत करले, य'अनी फिजूलखर्ची करवा सकेगा। कहने लगा कुछ और ज़्यादा कर, फरमायां जा उनके दिल तेरे रहने के घर होंगे!
📕 नुजहतुल मजालिस, जिल्द 2, पेज 31-32
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〓•••➲ *वोह शैतान के भाई हैं :-* अल्लाह फरमाता है : बेशक उड़ाने (फिजूलखर्ची) वाले शैतानों के __भाई हैं और शैतान अपने रब का बड़ा नाशुक्रा है (सुरहः बनी इस्राईल, आयत न.27)
〓•••➲ *शैतान का साथी कौन :-* अल्लाह फरमाता है : जिसे रतौंद (भुलना) आए रहमान के जिक्र से हम उस पर एक शैतान तैनात करें कि वह उसका साथी रहे। (सुरहः जुखरूफ, आयत न. 36)
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〓•••➲ *शैतान का सर दिल के ऊपर :-* सईद बिन मंसूर और अबू बकर बिन अबी दाऊद "ज़िम्मुल वसवसा" में हज़रत अरवह बिन रुवैम से रिवायत करते हैं के हज़रत ईसा बिन मरयम अलैहिस्लाम ने अपने परवरदिगार की बारगाह में अर्ज की के उन (हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम) को इन्सानों में शैतान के रहने की जगह दिखाए। चुनांचे अल्लाह ताअला ने उन पर ज़ाहिर फरमा दिया तो हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम ने देखा कि शैतान का सर सांप के सिर की तरह है जिसने अपना सिर दिल के दहाने पर रखा हुआ है जब इंसान अल्लाह ताअला का जिक्र करता है तो ये अपना सिर हटा लेता है और जब बंदा अल्लाह का जिक्र करना छोड़ देता है तो शैतान उसे आजमाता है और वसवसे डालने लगता है याअनी उसकी तरफ वापिस आ कर वसवसे डालता है।
(जिन्नों की दुनिया, इमाम जलालुद्दीन सुयुति)
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〓•••➲ *शैतान चुपके चुपके बातें करता हैं :-* इब्ने अबीददुनिया "मकाईदुश्शशैतान" में और अबु याअला और बैहकी "शो'बुल ईमान" में हज़रत अनस रदीअल्लाहु अन्ह से रिवायत करते हैं वो फरमाते हैं के नबीए करीम ने इरशाद फ़रमायाः (तर्जमा) बेशक शैतान ने अपनी सूंढ़ इंसान के दिल पर रखी हुई है जब आदमी अल्लाह ताअला का जिक्र करता है तो वो पीछे हट जाता है और जब अल्लाह को भूल जाता है तो शैतान उसके दिल में चुपके चुपके बातें करता है।
(जिन्नों की दुनिया, इमाम जलालुद्दीन सुयुति)
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〓•••➲ *वो दो चीजें शैतान को झूठा नहीं करती :-* रिवायत है कि जब हजरते नूह अलैहिस्सलाम ने खुदा के हुक्म से पहले हर जिन्स का एक-एक जोड़ा कश्ती में सवार किया और खुद भी सवार हुये तो आपने एक अजनबी बूढ़े को देख कर पूछा, तुम्हें किस ने कश्ती में सवार किया है? उस ने कहा, मैं इसलिए आया हूं कि आप के साथियों के दिलों पर कब्जा कर लूँ, उस वक्त उन के दिल मेरे साथ और बदन आप के साथ होंगे। हजरते नूह अलैहिस्सलाम ने फरमाया ऐ अल्लाह के दुश्मन! ऐ मलऊन निकल जा इबलीस बोला ऐ नूह! पाँच चीजें ऐसी है जिन से मैं लोगों को गुमराही में डालता हूँ, तीन तुम्हे बतलाऊँगा और दो नही बतलाऊँगा।
〓•••➲ अल्लाह तआला ने हजरते नूह अलैहिस्सलाम की तरफ वही की, आप कहें कि मुझे तीन से आगाही की जरूरत नही तू मुझे सिर्फ वही दो बतला दे। शैतान बोला, वह दो ऐसी है जो मुझे कभी झूटा नही करती और न ही कभी नाकाम लौटाती हैं और उनहीं से मैं लोगों को तबाही के दहाने पर ला खड़ा करता हूं। उन मे से एक हसद (जलन) है और दूसरी हिर्स (लालच) है। इसी हसद की वजह से तो मैं रांदए बारगाह और मलऊन हुआ हूँ और हिर्स के सबब आदम अलैहिस्सलाम को ममनूआ चीज़ की ख्वाहिश पैदा हुई और मेरी आरजू पूरी हो गई।
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〓•••➲ *कुरआन का असर :-* हदीस : हजरत कैस बिन हज्जाज ने कहा, मेरे शैतान ने मुझसे कहा कि जब मैं तेरे अंदर दाखिल हुआ था तो जड़ की तरह था , लेकिन आज मेरी हालत गोरी की मानिन्द है, मैं ने कहा यह क्यों? शैतान ने कहा तूने मुझे किताबुल्लाह के जरिये पिघला दिया है।
〓•••➲ *कुरआन से शैतान भागता है :-* हदीस : हज़रते अबू खालिद वाबिली से मरवी है, उन्होंने फरमायाः मैं एक वफ्द के साथ हज़रते उमर रदिअल्लाहु अन्हु के पास गया, उस वक्त मेरी बीवी मेरे साथ थी, हम एक जगह उतरे, मेरी बीवी मेरे पीछे थी। मैंने कुछ बच्चों की चीख ओ पुकार सुनी तो बलन्द आवाज़ से कुरान पढ़ना शुरू कर दिया फिर मेंने कुछ छूटने जैसी आवाज़ सुनी (वो लडके मेरे पास आए)। मैंने उनसे उनके बारे में पूछा, तो उन्होंने जवाब दिया कि हमको शयातीन ने पकड़ लिया था और वो हमारे साथ लहव ओ लइब कर रहे थे जब आपने बलन्द आवाज़ से कुरान पाक पढ़ा तो वो लोग हमें छोड़ कर भाग गए। (मकाइदुश्शैतान, इब्ने अबिद्दुनिया)
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 91
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〓•••➲ अल्लाह के जिक्र से शैतान भागता है *हदीस : -* शैतान और इंसान का दिलःहज़रते अनस बिन मालिक रदिअल्लाहु अन्हु से रिवायत है उन्होंने कहा कि आका करीम ने इरशाद फरमायाः यकीनन शैतान अपनी नाक इंसान के दिल पर रखे हुए है, तो जब बंदा ए मोमिन अल्लाह का जिक्र करता है तो शैतान भाग जाता है और जब इंसान अल्लाह के ज़िक्र से गाफिल हो जाता है तो शैतान उसके दिल मे वसवसा डालने लगता है। *(मकाइदुश्शैतान, इब्ने अबिदुनिया)*
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〓•••➲ ला इलाहा इल्लल्लाह' *दिल से शैतान को भगा देता है : -* हदीस : हज़रते उमरो बिन मालिक नकरी कहते हैं मैंने अबू जौजह को कहते सुनाः कसम है उस जात की जिसके कब्जा ए कुदरत में मेरी जान है, यकीनन शैतान दिलों से चिमटा हुआ है, शैतानी सोच वाला अल्लाह तआला के ज़िक्र की ताकत नही रखता, क्या तुम बाजारों और मजलिसों में नही देखते कि शैतान तकरीबन हर दिन उन में से किसी के पास आता है फिर वो ज़िक्रे इलाही से गाफिल हो जाता है, शैतान को दिल से सिर्फ "ला इलाहा इल्लल्लाह" ही दूर कर सकता है। फिर इस आयते करीमा की तिलावत की:"और जब तुम कुरान में अपने अकेले रब की याद करते हो तो वो पीठ फेर कर भागते हैं, नफरत करते" *(मकाइदुश्शैतान, इब्ने अबिदुनिया)*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 93
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〓•••➲ *कारून के साथ शैतान का मक्रो फरेब : -* हदीसः हज़रते अहमद बिन अबु हवारी कहते हैं, मैंने अबु सुलैमान और उन के सिवा दूसरों से सुना, उन्होंने कहाः कारून के सामने इब्लीस ज़ाहिर हुआ, रावी कहते हैं: कारून एक पहाड़ पर चालीस साल तक इबादत में मशगूल रहा यहां तक कि इबादत के मामले में वो बनी इसराइल में मुमताज हो गया। रावी कहते हैं: इब्लीस ने कारून के पास अपने चंद शयातीन को भेजा लेकिन वो उस पर कुदरत न पा सके, तो वो बजाते खुद कारून के पास आया और उसके साथ इबादत करने लगा, कारून कभी-कभी खाता पीता लेकिन ये कुछ न खाता पीता, और वो कारून की कुव्वत से ज़्यादा इबादत व रियाज़त करता, रावी कहते हैं : कारून इब्लीस के सामने झुक गया, तो इब्लीस ने उस से कहाः ऐ कारून! मैं इससे राजी हुआ, तू बनी इसराइल के जनाजे और जमात में हाज़िर न हो, रावी ने कहाः फिर इब्लीस ने कारून को पहाड़ पर शब बेदारी से रोका, ___ यहां तक कि उसको गिरजा घर मे दाखिल कर दिया।
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 94
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〓•••➲ रावी कहते हैं : बनु इस्राइल के लोग उनके पास खाने पीने की चीजें ले जाते, एक मर्तबा इब्लीस ने कारून से कहाः ऐ कारून! अगर हम इससे राजी हैं तो हम बनु इसराइल पर बोझ बन गए हैं, कारून ने कहाः तो फिर बेहतर क्या होगा?, उसने कहाः हम एक दिन कमाएँ और जुमा तक इबादत करें, कारून ने कहाः ठीक है। फिर इब्लीस ने उस से कहाः हम इससे राजी हो गए कि ना हम सदका करेंगे और ना ही कोई काम करेंगे, तो कारून ने कहाः तो बेहतर क्या होगा? इब्लीस कहने लगाः हम एक दिन इबादत करें और एक दिन कमाएँ, कारून ने इस तरह करना शुरू किया और इब्लीस उसे छोड़कर भाग गया, __ और कारून पर दुनियां गालिब आ गयी। (यानी दौलत के लालच में मुबतला हो गया) *(मकाइदुश्शैतान, इब्ने अबिदुनिया)*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 95
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〓•••➲ *शैतान और फिरऔन :-* हिकायत : एक रोज़ शैतान ने फिरऔन से कहा देख मैं तुझ से उम्र में बड़ा हूँ लेकिन मैंने रबूबियत का दवा आज तक नहीं किया, तू किस तरह करता है, फिरऔन ने कहा तू सच कहता है, मैं तौबा करता हूँ, शैतान ने कहा, न, न, ! ऐसा हरगिज न करना, सारा मिस्र तुम्हारी रबूबियत का काइल हो गया है, अब अगर तुमने यह कह दिया कि मैं खुदा नहीं तो कितनी जिल्लत की बात है चुनाँचे फिरऔन फिर अपने दअवे पर डट गया। *( नुजहतुल-मजालिस जि:1 स. 176)*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 96
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〓•••➲ इमाम गजाली रहमतुल्लाहि अलैह अपनी किताब मुकाश्फतुल कुलूब में लिखतें है : *इन्सान का दिल एक किला है :-* इन्सानी कल्ब की मिसाल एक किले जैसी है और शैतान एक दुश्मन है जो किले पर हमला करके उस पर कब्जा जमाना चाहता है, किले की हिफाजत दरवाजों को बन्द किये बगैर और तमाम रास्तों और सुराखों की निगरानी के बगैर नामुमकिन है और यह फरीजा वही सर अंजाम (पूरा करना) दे सकता है जो उन रास्तों से अच्छी तरह वाकिफ हो। लिहाजा दिल को शैतानी वसवसों के हमले से महफूज़ रखना हर अक्लमन्द के लिए ज़रूरी ही नहीं बल्कि एक फर्जे ऐन है, चूँकि शैतान के हमले का मुकाबला उस वक्त तक नामुमकिन है, जब तक उस के तमाम रास्तों की जानकारी न हो। लिहाजा उन रास्तों की जानकारी सबसे पहली ज़रूरत है और यह रास्ते इन्सान ही के पैदा किये हुए होते हैं, जैसे गुस्सा, शहवत क्योंकि गुस्सा अक्ल को खत्म कर देता हैं।
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