Saturday, 2 November 2019

फुतूह अल ग़ैब




🅿🄾🅂🅃 ➪  01


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                ❝  फुतूह अल ग़ैब  ❞
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• अल् हम्दोलिल्लाहे रब्बिल आलमीन वल आक़िबतुल लील मुत्तकिन वस्सलातो वस्सलामु अला रहमतील लील आलमीन

⚘✧➤ हम्दो सना के बाद हुजूर गौषे पाक رضي الله تعالي عنه ने जो किताब अपने  मुक़द्दस हाथो से अपने साहब ज़ादे शैख़ शरफुद्दीन सैयद इसा رضي الله تعالي عنه के लिए तहरीर फ़रमाई थी जो आज से आप के सामने पेश की जायेगी।      इन्शा अल्लाह

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                    ⌬   मोमिन  की  शान   ⌬
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⚘✧➤ मोमिन के लिए तीन काम हर हालत में ज़ुरूरी है।

1 ☞ अहक़ामे शरीअत पर अमल करना
2 ☞ शरीअत ने जिन कामो से बचने का हुकम दिया है उनसे बहरहाल बचे।
3 ☞ तकदीर पे राज़ी रहे।

⚘✧➤ किसी बी हाल में इन तीन चीजों से खाली रहना मोमिन के लिए निहायत अदना दर्जा है। मोमिन इन बातों को पूरा करना अपने लिए लाजिम करार दे, इन्ही की गुफ्तगू करे और आअजा व् ज्वारह को इन्ही की तकमील में लगाय रखें।

                ✍ फुतूहल ग़ैब 5 📚
             
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🅿🄾🅂🅃 ➪  02


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     ❝ नेकीयों की तलकीन और उनका अजर् ❞
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❏ सुन्नतो की पैरवी करो।

❏ बिदअतों से बचो।

❏ खुदा और उसके रसूल ﷺ के मतीअ (ईताअत करने वाला) बनो।

❏ उनके अहकाम से सरताबी ना करो।

❏ खुदा को एक जानो।

❏ उसके साथ शिर्क न करो।

❏ उस मुकाम पर दिल में शक न लाओ, खुदा पर बोहतान न बांधो,

❏ मसाइब् व् आलाम में सब्र करो,

❏ गोगा (शोर गुल) न करो।

❏ साबित कदम रहो,

❏ राहे फरार इख़्तियार न करो,

❏ खुदा से सवाल करने को बुरा न समझो।

⚘✧➤ दुआ के बाद मायूस न हो बल्कि इसकी कबूलियत का इन्तेजार करो। लोगों से दुश्मनी के बजाय दोस्ती शआर करो। खुदा की बंदगी के लिए ईखटटे रहो, उल्फत से काम लो, नफरत व् कीना से बचो, गुनाहो मुर्तक़िब ना हो और अपने रब की बन्दगी से अपनी जात को संवारो। दरबारे खुदा वन्दी से न हटो। हर वक़्त उसी जानिब मुतवज्ज़ा रहो। तौबा करने में जल्दी करो। दिन-रात के किसी हिस्से में गुनाहों से माफी मांगने को तबियत पर बोज न जनो। ये करो तो सायद तुम पर रहम किया जाए, तुम्हे दोजख की आग से बचा कर जन्नत में दाखिल किया जाए, और तुम्हे विसाले खुदा वन्दि की सआदत हासिल हो। मुमकिन है दारुस्सलाम में तुम्हे हमेशा हमेशा के लिये पाकीजा कुंवारिया मिलेँ, दूसरी नेमतें मयस्सर हों, आला नसल के घोड़ों पर सवारी नसीब हो और तरह तरह की खुश्बूओँ और हूरों और खुश आवाज लोंडियो की नेअमतो से तुम्हे खुश किया जाए और सिद्दिकैन, शोहदा और सालेहीन के साथ खातमा बिलखैर हो।

                  ✍ फुतूहल ग़ैब 5 📚

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🅿🄾🅂🅃 ➪  03


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     ❝  आजमाइशे  और  उनसे  खुलासी   ❞
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⚘✧➤ हज़रत गौसुल आज़म رضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया के, बन्दा जब मुसीबतों और बलाओं में गिरफ्तार होता है तो शुरू मे उससे छुटकारा हासिल करने के लिए खुद कोशिश करता है। लेकिन जब इस तरह मकसद बरारी नहीं होती तो बादशाह से, ओहदेदारों से और दूसरे दुनिया दारो से और मालदारो से मदद मांगता है।

⚘✧➤ बीमारी वगैरह के सिलसिले में तबीबो से रुजुअ करता है। जब तक अपनी कोशिश पर एतेमाद होता है, मख्लूक से राबता कायम नहीं करता। फिर जब तक मख्लूक से इआनत (सहारा) व् इमदाद की उम्मीद होती है। हुसूले इमदाद के लिए खालिक़ की तरफ तवज्जोह नहीं करता।

⚘✧➤ मगर जब खालिक की तरफ से इसकी मदद नही होती तो सवाल, दुआ, आहोज़ारी और हम्द में मसरूफ़ हो जाता है और बीम दर्जे की इसी कैफियत में दुआ कुन्ना होता है। फिर जब खुदावंदे तआला उसे इतना आजिज कर देता है के उसकी दुआको शर्फे कुबूल नहीं बख्शता और तमाम जाहिरी असबाब उससे छिन जाते है तो कजा व् कद्द के एहकामे इलाही उस पर नफिज़ (जारी) होते है और वो तमाम असबाबे जाहिरी से  बेताल्लुक हो जाता है।

              ✍ फुतूहल ग़ैब 6 - 7 📚

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🅿🄾🅂🅃 ➪  04


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    ❝ मकामे फना और अलूवि (बुलंद) दरजात ❞
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⚘✧➤ हज़रत गौषे पाक  رضي الله تعالي عنه ने फरमाया जब बंदा खुद को को मखलूकसे फना कर लेता है तो उसे कहा जाता है के तुज पर खुदा की रहमत हो और फिर उसकी नफसियती ख्वाहिशात मुर्दा हो जाती है। तो उसे फिर कहा जाता है के तुज पर खुदा अपनी रहमत नाज़िल करे और फिर जब इसकी तमाम ख्वाइशे और सब इरादे फना हो जाते हैं तो फिर कहा जाता है के तुज पर खुदा की रहमत हो।

⚘✧➤ इसके बाद बंदे को वो अबदी ज़िन्दगी अता होती है। जिसमें मौत का कोई तसव्वुर नहीं। उसे वो दौलत इस्तेगना नसीब होती है, जिसके बाद कोई हाजत बाकी नहीं रहती और एसी नेअमते दी जाती है  जिनके हुसूल में कोई शै हाइल नहीं हो सकती और उसे वो राहत अता होती हैं, जिनके बाद उसे कोई दु:ख या मलाल नही रहता।

⚘✧➤ उसे इल्मे लदननी (खुदादाद वो इल्म जो सीखे बगैर या वही या इल्म के ज़रीये हासिल हो) हासिल हो जाता है। और जेहालत का नाम-निशान मिटा दिया जाता है।

⚘✧➤ उसे तमाम खतरात से मेहफूज़ व मानून करके हर खौफ और बदबख्ती को ज़ाइल कर दिया जाता है। उसे वो इज्जत मिलती है के ज़िल्ल्त का तसव्वुर मादूम हो जाता है। कुर्ब इस तरह मिल जाता है के बुअद (पिछे-आखिर) फना हो जाता है। रिफअत व अजमत दी जाती है। ज़िल्लत व रुस्वाइ से बचा लिया जाता है। उसे गिलाज़तो से पूरी तरह पाक कर दिया जाता है।

            ✍ फुतूहल ग़ैब 8 📚

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🅿🄾🅂🅃 ➪  05


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    ❝ मकामे फना और अलूवि (बुलंद) दरजात ❞
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⚘✧➤ इस मुकाम पर पहुँचकर वो हर दिल अज़िज़ि में बेमिस्ल हो जायेगा। इसके मरतबे का इदराक लोगो के लिये मुमकिन न होगा ऐसा बेअदिल होगा के गैब के पोशीदा इसरार का मुन्फरिद मुजस्समा बन जाएगा इस तरह वो तमाम अम्बिया व रसूल और शोहदा का वारिस बन जाएग इस पर मरातिबे विलायत यूं खत्म होंगे के तमाम अबदाल इसकी तरफ मुतवज्जा होंगे। उसी के फैज़ से मुश्किले हल होंगी और बाराने रहमत बरसेगी। जिनसे खेतियां सरसब्ज होंगी। हर खास व आम सरहदी मुसलमन, बादशह, रिआया, कौम के पेश्वा, हुक्काम, और अवाम की मुसीबतें उसकी दूआ से खत्म होगी।

⚘✧➤ वो शेहरों पर और लोगों पर मोहासिब होगा। लोग दूर दराज से उसके पास आएंगे। सीमो ज़र उसके कदमों पर निछावर करेंगे और उसकी खीदमते खास की सआदत हासील करना चाहेंगे। उसकी अज़मते शान में कोई इख्तेलाफ न करेगा। ऐसा मार्दे कमिल वादी व सेहरा में सबसे बेहतरीन, अज़ीम और अफज़ल हो जाता है और साहेबे फज़ले अज़ीम खुदावंद करीम उसे अपने फज़ल से नवाजता है।

                ✍ फुतूहल ग़ैब 9 📚

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🅿🄾🅂🅃 ➪  06


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   ❝ दुनियवी आशाइशें काबिले तवज्जह नहीं  ❞
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⚘✧➤ हज़रत शैख अब्दुल कादर जीलानी رضي الله تعالي عنه ने फरमाया, जब तुम अहले दुनिया की फना हो जाने वाली आराइश व ज़ेबाइश, दिलकशी और दिल फरेबी के हामिल, मक्र व दगा, हिलाक और गुमराह करने वाली लज़्ज़्तों और चेहरा रोशन अंदरून चंगेज़ से तारीकतर किसम के दजल व फरेब, बेवफाइ, और एहद शिकनी के मज़हरे गाफिल, व बेखबर दुनियादारों को देखो तो यूं समझो जैसे कोई बरहना शख्स हवाइ ज ज़रुरी यह से फारिग होने के अमल में है और तुम नफरत अंगेज़ मंज़र और बू से अपनी आंखे और नाक बन्द कर लेते हो।

 ⚘✧➤ बिलकुल इसी तरह तुम  दुनिया दारों की ज़हिरी ज़ैबा‌-ज़िनत से आंखों और लज़्ज़त व शेहवत की बू से अपनी नाक को बचा लो। इस तरह तुम आफते दुनियावी से बच सकोगे और जो अच्छाइयां तुम्हारे मुकद्दर में हैं। उनसे तुम ज़ुरूर बहरा अंदोज़ होगे।

⚘✧➤ अल्लाह करीम ने अपने बरगुज़ीदा नबी   ﷺ  को फरमाये, हमने दुन्यवी आसाइश व आराम की जो चीज़ें कुफ्फार को दे रख्खी हैं। आप इन्हें नज़र भर कर भी न देखिये, उनसे तो उन्हें फितने और इम्तेहान में डालना मक्सूद है और आपके लिये तो आपके परवर दिगार का रिज़्क अच्छा भी है और इसमें दवाम (हंमेशगी) भी है।

           ✍ फुतूहल ग़ैब 9 - 10 📚

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🅿🄾🅂🅃 ➪  07


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        ❝ औलिया  अल्लाह  कौन  हैं..? ❞
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⚘✧➤ हज़रत गौशे समदानी رضي الله تعالي عنه ने फरमाया, खुदा के हुकम से अपने आपको मखलूक से फना कर लो। अपनी ख्वाइशों को उसके अमर से और अपने इरादों को उसके फैल से ताबे कर लो। इस तरह तुममें सलाहियत और एहलियत पैदा हो जाएगी के इल्मे इलाही का ज़र्फ बन जाओ। मखलूक से फना हो जाना ये है के उन से कतअ तअल्लुक करके उनकी हर चीज से अलग हो जाओ। ख्वाहिशों को अमरे इलाही के ताबे करना ये है के सूद व ज़िया और नफा व ज़रर के हर तसव्वुर से और अस्बाबे दुनियावी की हर खवाहिश से और हुसूले मआशकी हर जद्दो जहद में अपनी ज़ात पर भरोसा न किया जाय। बल्के एसे मआमलात को खुदा के सुपुर्द कर दिया जाय।

⚘✧➤ क्योंके खुदा के बजाये अपने नफ़्स पर एअतेमाद करना शिर्क है। जब तुम मां के पेट में थे ये शिरख्वार बच्चे की सूरत पंघोडे में थे उस वक्त भी वो ही उन अमूरका (बहुत से काम का) मालिक था और अब भी  वही मालिक है।

⚘✧➤ अपने इरादों को फज़ले खुदावन्दी के ताबे करना ये है के तमाम ख्वाहिशात, अगराज़, हाजात और इरदों से हाथ उठा लिया जाय और ये सब कुछ एहकामे बारिएत आला के ताबे कर दिया जाय। अगर तुम खुदा के मासिवा का इरादा न करोगे तो ख्वहीशाते नफ्सानी छोडने के बाइस फैअले खुदा वन्दी तुम में जारी हो जाएगा। इस तरह तुम्हारे आअज़को सुकून, कल्ब को तमानियत, सीने को फराखी व कुशादगी, चेहरे को नूर और ज़मीर को इत्मीनान नसीब होगा। तआल्लुक बिल्लाह की इस कैफियत के हुसूल से कायनात की हर शैअ से मुस्त्गनी हो जाओगे।

           ✍ फुतूहल ग़ैब 10 - 11 📚


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🅿🄾🅂🅃 ➪  08


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     ❝ औलिया  अल्लाह  कौन  हैं..? ❞
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⚘✧➤ दस्ते कुदरत तुम्हारा मुआविन होगा। ज़ुबाने अज़ल तुम्हें निदा देगी। तुम्हारा परवर दिगार तुम्हें इल्म सिखाएगा। तुम्हे अश्याकी माहियत से रूशनास करा के लिबासे माअरिफत से नवाज़ा जाएगा। और यूं तुम्हें सलफे सालेहीन और आरेफीने कामील के मुकाम तक रसाई होगी। फिर तुम्हारे दिल में ख्वाहिशें और इरादे न ठहरेंगे। जिस तरह शिकस्ता बरतन में पानी वगैरह नही ठहेरता। फिर तुम बशरियत की कशाफत से पाक हो जाओगे और दिल में खुदा के इरादे के बगैर कोई शैअ नही आएगी। ये वो मुकाम है जिसमें करामत व तसरफात की नेअमत से नवाज़ा जाता है। बजाहिर लोग ये खर्क आदात तुम में पाएंगे मगर हकीकतन ये खुदा तआला के एहकाम व अफआल होंगे। यूं तुम उन औलिया-अल्लाह की सफ में शामिल हो जाओगे। जिनमें ख्वाहिशाते नफ्शानी और इरादा ए बसरी अन्का हो जाते है। (नायाब चीज) और अज़सरे नौव उनमें इरादाए खुदा वन्दी पैदा किया जाता है।

⚘✧➤ जैसा के सरकारे दो आलम ﷺ ने फरमाया, तीन चीज़ें मेरे लिये पसंद की गई है। खूश्बू, औरत और नमाज़ में आंखों की ठंडक। ख्वाहिशात से मावरा (इसके अलावा) होने के बाद ये चीज़ें हुज़ूर से मनसूब की गई। *अल्लाह करीम ने फरमाया मैं उनके पास हुं जिनके दिल मेरी वजह से ख्वाहिशात के गुलाम नहीं है।* चुनान्चे तुम्हारी ख्वाहिशात और इरादे रज़ाए इलाही के हुसूल की तमन्ना में दम तोड दें तो तुम्हें खुदा का कुर्ब नसीब न होगा। लेकिन अपने इरदों को उसके इरादों में फना कर देने के बाद वो तुम्हें नइ बातिनी खुसूसियात के साथ अज़ सरे नौव तखलीक करेगा और तुज़में नये इरादे पैदा करेग। अगर इन नये इरादों में भी नफ्स का थोडा बहोत दखल पाया गया तो फिर उसे तोडकर नये इरादे पैदा किये जाएंगे।

              ✍ फुतूहल ग़ैब 11 - 12 📚

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🅿🄾🅂🅃 ➪  09


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         ❝ औलिया  अल्लाह  कौन  हैं..? ❞
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⚘✧➤ कल्ब की इन्कसारी के इन मराहिल का इख्तेताम (खातमा) ये होगा के तौहीद दिल व दिमाग में रासिख (मजबूत) हो जाएगी और तुम्हें दीदारे खुदा वन्दी नसीब होगा। ‌‌‌अना इनहल मनकसर तुल कुलूबहुम. ( यानी मैं शिकस्ता दिलों के बहोत करीब हूं) का यही मतलब है और हमारे कौल इन्द वजूदक फीहाका मतलब इरदाए नौ में तुम्हारा इत्मिनाने कल्ब है।

⚘✧➤  हदीसे कुदसी में है के मेरा मोमिन बन्दा इबादत व ज़िक्र के बाइस मेरे कुर्बका तमन्नाइ होता है। हत्ताके मैं उसे मेहबूब बना लेता हूं और जब ये कैफियत हो जाए तो मैं उसके कान बन जाता हूं जिससे वो सुनता है, उसकी आंखे हो जाता हूं जिससे वो देखता है, उसकी ज़बान और हाथ और पांव बन जाता हूं जिससे वो बोलता, पकडता और चलता है।

⚘✧➤  पस फना की हालत ये है के मख्लूक अच्छी हो या बूरी,  तुम खुद नेक हो या बद – अपने आपसे और मखलूक से लाताल्लुक हो जाओ फिर जब तुम न किसी से तवक्कोआत (तवक्कोकी जमा) वाबस्ता करो, न किसी से डरो और न अपनी फितरी सफात की हिफाज़त में कोई खिलाफे शरअ बात कुबूल न करो। तो तुम्हारे नफ्स में अल्लाह ही अल्लाह बाकी होगा। जिस तरह तुम्हारी पैदाइश से कब्ल (पहले) था।

              ✍ फुतूहल ग़ैब 12 📚

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🅿🄾🅂🅃 ➪  10


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         ❝ औलिया  अल्लाह  कौन  हैं..? ❞
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⚘✧➤ याद रखो के खैर-व-शर अल्लाह ही के कबज़ए कुदरत में हैं और इस पर यकीने कामिल तुम्हें कज़ा-व-कद्र के खौफ से बेनियाज़ कर देगा। बरकाते खैर तुम्हारे लिये बहुत ज्यादा हो जाएंगी। फिर तुम हर खैर का सरचश्मा हर इबतिहाज व मुसर्रत का मुन्बाअ (पानी के निकलने की जगा-चश्मा), तमाम अमूर का मरकज़-व-मेहवर और अमन-व-आराम की हर कैफियत के हामिल बन जाओगे।

⚘✧➤  हक्के तमाम तालिब इसी फना के ख्वाहिश मन्द होते हैं और यही वो मकान है जहां औलिया-अल्लाह को मंज़िल मिलती है। अपने इरादों की शिकस्त-व-रिख्त (बिखरा हुआ) के बाद खुदा के इरादे में महवं (मिटा हुआ) हो जाना तो दमे मर्ग तमाम औलियाए अल्लाह-व-अब्दाल का मत्मह (नज़र पडने की जगा) रहा है। इसी लिये इन्हें अब्दाल कहा जाता है। वो हक के इरादे में अपने इरादे को शरीक करना गुनाहे अज़ीम समझते हैं। अलबत्ता हालते जज़ब में या गल्बए हाल में या भूल कर उनसे कोइ ऐसा फैल सरज़द हो जाए तो खुदवन्दे तआला उन्हें खबरदार कर देता है और वो तौब-इस्तिगफार में मश्गुल हो जाते है।

⚘✧➤ औलिया अल्लाह अज़म और इरादे के एतेबार से मासूम तो नहीं होते,  ख्वाहिशे नफ़्स से आज़ाद और महफूज़ तो महेज़ अंबियाए किराम और मलाएका (अलयहिस्सलाम) होते है। दिगर जिन्न-व-इन्स पर शरीयत की पाबन्दी ज़ूरूरी है और इनमें से कोई मासूम नहीं। औलियाए किराम और अब्दाले उज़्ज़ाम इरादा और ख्वाहिशे नफ्स से मेहफूज़ तो यकीनन होते है। मगर किसी वक़्त इस पर माइल हो जाना भी इनके लिये ऐन मुमकिन है। ये है के खुदावन्दे करीम अपनी रहमत के बाइस बेदारी के आलम में उनकी लगज़िश पर मतलअ (आगाह) कर देता है और वो बरवक़्त इसकी तलाफी कर लेते हैं।

        ✍ फुतूहल ग़ैब 12 - 13 📚

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🅿🄾🅂🅃 ➪  11
                 

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     ❝ एअतेराफे तकसीर और इस्तिगफार ❞
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                      ❢  हिस्सा - 01  ❢

⚘✧➤ हज़रत मोहियुद्दीन जीलानी رضي الله تعالي عنه ने फरमाया नफ्स की ख्वाहिशों से आज़ाद हो जाओ और इसकी इत्तेबा (पैरवी करने से) किनारा कश हो जाओ। अपनी हर चीज अल्लाह के सुपुर्द कर दो और अपने दिल पर इस तरह पहरा दो के इसमें सिर्फ वही शै दाखिल हो जिसकी इजाजत मौला करीम दे। शयतानी वसवसों को दिल में जगा न दो। ख्वाहिशाते नफ्सानी को दाखले की इजाज़त नहीं होनी चाहिए। हर हाल में उनकी मुखालेफत हो क्यों के किसी ख्वाहिश का दिल में दाखिल होना दर असल इसका इत्तेबा है।

⚘✧➤ इरादाए हक़ के सिवा किसी और इरादे की ख्वाहिश दुरूस्त नहीं। इरादाए हक़ के अलावा किसी और इरादे को दिल में जगा देना तबाही और हिलाकत, निगाहे रहमत से गिरने और हिजाब पर मुन्तज होता है।

            ✍ फुतूहल ग़ैब 13 - 14 📚

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🅿🄾🅂🅃 ➪  12
                   

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       ❝ एअतेराफे तकसीर और इस्तिगफार ❞
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                      ❢  हिस्सा - 02  ❢

⚘✧➤ हंमेशा एहकामे इलाही की पाबन्दी करो और जिन बातों से मना किया गया है, उनसे इजतेनाब (बचों) करो। मकदराते खुदावन्दी को इसी के इख्तियार व रज़ा पर रहने दो और मख्लूकात में से किसी को इसका शरीक न बनाओ।

⚘✧➤ याद रखो के तुम्हारे इरादे और आरज़ूअए खुदा तआला के पैदा करदा हैं। इसलिये अपना इरादा और अपनी ख्वाहिशें खालिक के साथ शिर्क करना हैं और ऐसा करने पर तुम मुशरेकीन में से हो जाओगे।

⚘✧➤ चुनान्चे खुदा तआला फरमाता है अगर अल्लाह के  दीदार की तमन्ना हो तो नेक काम करने चाहियें और ज़ुरूरी है के उसकी इबादत में किसी को शरीक ना करे

⚘✧➤ शिर्क सिर्फ बुतपरस्ती ही नहीं है, ख्वाहिशाते नफ्स की पैरवी और दुनिया की किसी भी चीज़ के साथ इश्क की कैफियत से मुन्सलिक हो जाना सरहन शिर्क है। खुदा के सिवा हर शय गैर खुदा है और हर गैर खुदा की ख्वाहिश शिर्क कहलाएगी लेहाज़ा इससे परहेज़ करो। अपने नफ्स की बुराइयों से डरते रहो, तलाशे हक़ में साइ (कोशिश करने वाला) रहो।

⚘✧➤ गफलत को शआर (तरीका) न करो। जो हाल व मुकाम तुम्हें मिलें उन्हें अपने नफस से मन्सूब न करो। इसलिये के तगीरे हाल (हालत बदलने)के लिये हर रोज़ खुदा तआला की नई शान है।

           ✍ फुतूहल ग़ैब 13 - 14 📚

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        ❝ एअतेराफे तकसीर और इस्तिगफार ❞
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                      ❢  हिस्सा - 03  ❢

⚘✧➤ अल्लाह की ज़ात बन्दे और इसके कल्ब के माबीन (दरमियान- बीच) है। इसलिये ये करीने क्यास है के अपने जिस हाल की तुम दुसरों को खबर दो वो तुम से सलब (छीन) कर लिया जाए और तुम जिसे  पाएदार और बाकी समझते हो उसे खत्म कर दिया जाए और तुम्हे उस आदमी से नादिम होना पडे जिससे तुमने बात की थी। इस लिये ज़ुरूरी है के अपने मकाम को अपने दिल ही में रखो। किसी दूसरे को न बताओ और अगर खुदा तुम्हें तुम्हारे हाल व मकाम पर कायम रखे तो उसे खुदा का इनाम समझकर उसका शुक्र अदा करो और उसमें इज़ाफे की दरखास्त करो और मौजूदा हाल के बजाए ऐसा हाल नसीब हो जिसमें इल्म व मआरिफत और नूर व अदब ज़यादा हो, तो तुम्हारे लिये तरक्की का बाइस है।

⚘✧➤  खुदावन्द तआला इर्शाद फरमाते है के, जब हम किसी आयत को मन्सूख (रद्) करते है, उस जैसी या उससे बेहतर आयात लाते है।

            ✍ फुतूहल ग़ैब 14 - 15 📚

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🅿🄾🅂🅃 ➪  14


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       ❝ एअतेराफे तकसीर और इस्तिगफार  ❞
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                     ❢  हिस्सा - 04  ❢

⚘✧➤ ये वाज़ेह है के अल्लाह तबारक व तआला हर शै पर कादिर है। उसको कुदरत से आजिज़ न समजना, तकदीरो तदबीर पर इतहाम (तोहमत लगाना) न तराशना, उसके वादों पर किसी शक-शुबाका इज़हार न करना। ताके हुजूरे अकरम ﷺ के अस्वए हुस्ना (अच्छे नमूने) की तकलीद कर शको।   हुज़ूर ﷺ  पर आयतें और सूरतें नाज़िल हुइ। इन्हें सफह में लिखा गया और मस्जिदो मेहराब में पण्हा गया। फिर उन्हें मन्सूख करके दूसरी आयत लाइ गइ। ये हुज़ूर ﷺ  शरइ और ज़ाहिरी हालत थी। आपके बातिनी एहवाल और उलूम से या आप खुद वाकिफ है। या आपका खुदा।

⚘✧➤ हुजूर ﷺ  ने इरशाद फरमाया के जब मेरे दिल को ढांप लिया जाता तो में हर रोज सत्तर (70) मरतबा (एक और रिवायतमें है के सो-100 मरतबा) मगफेरत करता था और वो हालत दुसरी हालत में तबदील कर दी जाती थी।..✍

            ✍ फुतूहल ग़ैब 15 📚

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       ❝ एअतेराफे तकसीर और इस्तिगफार ❞
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                      ❢  हिस्सा - 05  ❢

⚘✧➤ हुज़ूर ﷺ को कुर्बकी मंज़िलो और गैब के मेदानो की सैर कराइ जाती थी और आपकी नूरानी खिलअतें तब्दील होती रहती थी और हर नइ हालत बेहतर और रोशन होटी थी और पहली हालत में रवद अदब की हिफाज़त करने में नुक्शान ज़ाहिर होता था।

⚘✧➤  आप ﷺ को इस्तिगफार की तालीम दी जाती थी और बन्दे के लिये इस्तिगफार की हालत सबसे बेहतर है। क्यों के इस तहर बन्दा कुसूर का एअतेराफ करता है और तौबा व इस्तिगफार बन्दे की दोनों सिफते अबुल बशर हज़रते आदम की मीरास (विरसा) है।

⚘✧➤ जब एहद-व-पयमान भूल जाने और जन्नत में हंमेशा रेहने, रेहमान व मन्नान मेहबूब की हमसायगी और अपने सामने मलाएका की तहयत (दुआ) व-सलाम की हाज़रीकी ख्वाहिशने उनकी हालत की खूबियों पर परदा डाल दिया और खुदा के इरादेके बजाए उनकी अपनी ख्वाहिश ज़ाहिर हो गइ तो उनका शिकस्ता हो गया और उनकी पहली हालत तबदील कर के उनकी विलायत माअज़ूल (मौकूफ) कर दी गई

⚘✧➤ उनकी वो मंज़िलत न रही और उनकी हालते अनवार को मकद्दर (मेला) कर दिया गया। फिर खुदाने उन्हें मतनबह (खबरदार, आगाह) किया। उन्हें अपनी पाकिज़गी याद आइ और उन्हें एअतेराफकी तालीम और इकदार की तल्कीन की गई।

⚘✧➤  इस वक्त हज़रत आदम अलैहिस्सलाम ने कहा – अय हमारे रब हमने अपने नफ्स पर ज़ुल्म किया अगर तू हमें माफ नहीं फरमाएगा तो हम खसारे में (नुक्सान में) रेह जाएंगे। - फिर अन्वारे हिदायत, उलूमे तौबा और इसके गवामिज़ (भेद)-व-मसालह और जो चीज़ें उंनशे पोशीदा थीं और अभी ज़ाहीर ही न हुइ थीं, हजरत आदम अलैहिस्सलाम को दे दी गई। उनके इरादों को खुदा तआला ने अपने इरादों में तब्दील कर दिया।

             ✍ फुतूहल ग़ैब 16 📚

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            ❝  कुरबे  इलाही  के  मरहले ❞
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                      ❢  हिस्सा - 01  ❢

⚘✧➤ हजरत शैख अब्दुल क़ादर ज़ीलानी رضي الله تعالي عنه ने फरमाया तुम जिस कैफियत या हालत में हो-उससे अदना या आला की आरज़ू ना करो।

⚘✧➤ जब तुम शाही महल के दरवाज़े पर हो तो अपने आपको पास्बान समझो और अज़खुद इसमें दाखिल होने का इरादा न करो। जब तक गैर इख्तेयारी सूरत में तुम्हें इसमें दाखले पर मजबूर न किया जाए। याअनी तुम्हे सख्त हुकम या ताकीद के ज़रीये अंदर न बुलाया जाए।

⚘✧➤ सिर्फ दाखले के इज़न पर इन्हेसार न करो। क्योंके हो शकता है के बादशाह की तरफ से ये इजाज़त महज़ फरेब हो। या सिर्फ तुम्हारा इम्तेहान मतलूब हो। उस वक्त तक सब्रो तहम्मुला का मुज़ाहिरा करो जब तक तुम्हें दाखिल होने पर मजबूर न कर दिया जाए और तुम्हारा दाखला सरासर हुकमे शाहिसे हो।

⚘✧➤ जब बादशाह के इजाज़त नामे से ऐसा होग, तुम्हें सज़ा का मुस्तहिक गरदाना जा सकेगा सजा तो इसी सूरत में होगी जब के ये फेअल तुम्हारा ज़ाति हो और हिर्स बेसबरी, बेअदबी और अपनी मौजुदा हालत पर राज़ी न होने की कैफियत के बाइस हो।

⚘✧➤ जब तुम हुकमे शाही पर कसरे शाही में दाखिल हो जाओ तो उसे सआदत और खुशबख्ती पर महमूल करो। मोअद्दब (तेहज़ीबयाफता), सरनिगूं और फरमाबर्दार बन कर जान व दिल से हुकम की ताअमील में मसरूफ हो जाओ और तरक्कीए मरातिबकी ख्वाहिश न करो।

              ✍ फुतूहल ग़ैब 17 📚

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            ❝  कुरबे  इलाही  के  मरहले  ❞
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                      ❢  हिस्सा - 02  ❢

⚘✧➤ अल्लाह तबारक-व-तआला ने अपने बरगुज़ीदा नबी ﷺ  को फरमाया हमने दुनिया के जो ज़ाहिरी अमवाल-व-अस्बाब कुफ्फार को दे रखे हैं, आप उनकी तरफ नज़र भर के न देखिये। क्योंके ये तो उनको फितना व इम्तेहान में मुब्तेला करने के लिये हैं और आपके रबका अता करदा रिज़्क आपके लिये बेहतर और बाकी रहने वाला है।

⚘✧➤ इस कौले खुदा वन्दी में हुज़ूर पूर नूर ﷺ के पैरवों के लिये हफज़े हाल, सब्रो, शुक्र और अताकरदाह नेअमतों पर राज़ी रहने की तलकीन की गई है। इसका मतलब ये है के खैर, मन्सबे नबुव्वत, इल्म, किनाअत, तवहीद-व-मआरिफत, जेहाद, सब्र, विलायत और फतुह गैबी वगैरह जो चीज़ें दिलके मुतल्लिक हबीबे पाक ﷺ को अता की गई हैं, वो इनकी ज़ात के लिये मखसूस हैं।

⚘✧➤  दुनिया के माल और सामाने इशरत से बेहतर और दाएमी हैसियत की हैं और मुकम्मिल खैर का मतलब भी यही है के खुदा की रज़ा पर राज़ी हो कर अपने हाल की हिफाज़त की जाए और फानी चीज़ों की तरफ मुल्तफिन (इल्तेफात करने वाला) न होना ही नेकीयों और बरकतों की अस्ल हैं।

⚘✧➤  दुनिया की तमाम अशयाको (चीज़ों को) खुदावंद तआला ने बन्दों की आज़माइश के लिये पैदा किया है।..✍

               ✍ फुतूहल ग़ैब 18 📚

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            ❝  कुरबे  इलाही  के  मरहले  ❞
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                      ❢  हिस्सा - 03  ❢

⚘✧➤ दुनिया की तमाम अशयाको (चीज़ों को) खुदावंद तआला ने बन्दोंकी आज़माइश के लिये पैदा किया है। कोई भी चीज़ या तो तुम्हारी किस्मत है, या किसी गैर की या वो किसीके लिये भी नहीं बल्के खुदा तआलाने उसको किसी आज़माइश व इबतेला के लिये पैदा किया है। अगर मशीय्यत (मरज़ी-किस्मत) में वो तुम्हारा मुकद्दर है तो तुम्हें बेहरहाल ज़ूरूर मिलेगी।

⚘✧➤ तुम चाहो या न चाहो लेकिन ये बात गलत है के इस सिलसिलेमें तुम्हारी तरफसे गफलत, गुस्ताखी या सुए अदब का इज़हार हो और अगर वो चीज़ किसी दुसरे की किस्मत में है तो उसके हुसूल के लिये तरददुद करना नामुनासिब और बेसूदर है

⚘✧➤ और अगर वो सलामती और खैर के साथ किसी की भी किस्मतमें नहीं है बल्के सिर्फ फितना या आज़्माइश की हैसियत रखती है तो कोई साहेबे अकल ख्वामख्वा फितनों-आज़माइशों को परेशानीयों की आमजगाह बनना कहां पसंद कर सकता है।

⚘✧➤   इससे साबित हो गया के भलाइ और सलामती हिफज़े हाल ही में है। चुनान्चे अगर तुम कसरे शाही में दाखले के बाद सीडीयां चढते हुए छत और बालाखाने तक पहोंच जाओ तो भी पेहले की तरह मोअदब, खामोश और सरनिगूं रहो। बल्के पेहलेसे ज़्यादा आदाबे शाही को मल्हूज़ रखकर खिदमत में मशगूल हो जाओ। क्यों के कल्बे शाही में खतरात ज़्यादा है।

                  ✍ फुतूहल ग़ैब 19 📚

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            ❝  कुरबे  इलाही  के  मरहले  ❞
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                     ❢  हिस्सा - 04  ❢

⚘✧➤ ऐसे में कभी अपने एहवाल-व-मकामात में किसी तरह की तब्दीली की ख्वहिश न करो और मौजुदा हाल के बकाअकी आरजू भी न करो। क्यो के इस सिलसिले में तुम्हें कोइ इख्तियार ही नहीं हैं। अगर तुमने ऐसा किया तो ये नेअमात की नाशुक्री होगी जिसके बाइस दुनिया व आखेरत की रूस्वाइ मुकद्दर हो जाएगी चुनान्चे हमारे बयान के मुतबीक तुम हंमेशा ऐसा अमल करो जिसके बाइस तुम्हें तरक्की की मनाज़िल तय कराके उस मुकाम तक पहोंचा दिया जाए जो दाइमी और अबदी हो और वहा से कभी ना हटाया जाए और ये जान लो के ये मकाम भी खुदा का अता करदाह है और ज़हुरे अलामात-व-आयात के साथ ये मुकामे हक है इससे गफलत और बेएअतेनाइ न करो और मुस्तहकिम तरीके पर हंमेशा कयम रहो। औलिया अल्लाह के लिये एहवाल होते हैं और अब्दाल के लिये मकामात।

               ✍ फुतूहल ग़ैब 19 📚

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          ❝ जलाली और जमाली सिफात  ❞
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                     ❢  हिस्सा - 05  ❢

⚘✧➤ जलाली वो जो खौफ-व-हैबत, बेअकली और बेआरामी पैदा करते हैं और इससे आअज़ाए जिस्म पर खौफ-व-देहशत के आसार मरतब होते हैं। जैसा के रसूले करीम अलैहिस्सलात व तस्लीम के मुतअल्लिक अहादीस में है के नमाज़ मे शिद्दते खौफ के बाइस उनके सीनए मुबारक से जोश खाती हुइ देग जैसी आवाज़ सुनाइ देती थी। क्यों के वो चीज़ हुज़ूर खुदा तआला के जलाल-व-जबरूत (अज़मत व जलाल के इल्म) को देखते थे और आप पर अज़मत व हैबते खुदावंदी का ईंन्किशाफ होता था। ईसी तरह हजरत ईब्राहीम खलीलुल्लाह (अलयहिस्सलाम) और हजरत उमर फारुक رضي الله تعالي عنه के लिये मंकुल है जो अपनी ज़ातके लिये नहि बल्के गैरते हक और हिफज़े तौहीद के लिये होता था।

                ✍ फुतूहल ग़ैब 20 📚

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          ❝ जलाली और जमाली सिफात ❞
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                     ❢  हिस्सा - 06  ❢

⚘✧➤ और मुशाहेदा ए जमाल दिलों और मिज़ाजोंमे खुदाकी सिफाते रेहमत,नुरो सुरुर,बख्शीश-व-इनायत, अल्ताफ-व-करम,अफ-व-दरगुज़र और जूदो (सखावत) -व-सखा(बख्शीश-खैरात)की तमानियत-व- फरहतका हुसूल है। यही चीज़ें हैं जिनकी तरफ आखिरे कार लौटना है और जिनके साथ फज़लो रेहमतसे इन चीज़ोंको कलमबंद कर के कलम खुश्क हो चुका है और जिसकी बख्शीशें ज़मानए गुज़िश्ता में मुकद्दर हो चुकी हैं।

⚘✧➤ खुदावंदे करीम अपने फज़लो करमसे औलियाअ और अब्दाल को तादमे मर्ग(मौत आने तक) इसी हालत पर रखता है। ताके फर्ते शौक से उनकी महोब्बत और शिद्दते शौक हद से ना गुज़र जाए और इनकी कुव्व्तें ज़ाइल हो कर और मौजुदा हालत ज़वालपज़ीर हो कर इनकी हलाकत की वजह न बन जाए। या बंदगी के आदाबमें किसी कोताही या तसापल का अंदेशा न ज़ाहिर हो और ये ऐसी हालतमें फौत (नेस्त,माअदूम) हो जाए।

⚘✧➤ लुत्फो करमके लेहाज़ से या चीज़ें इनके दिलोंसे इमराज़को (बीमारियों को) दूर करती हैं और दिलों की तरबियत के ज़रीये नरमी और सलाबत (मज़बूती) इख्तयार करने पर उकसाती हैं। ऐसे लोगों के लिये खुदावंदे तआला हकीम, अलीम, लतीफ है और उन पर रउफ-व-रहीम हैं।

⚘✧➤ चुनांचे फख्रे मौजूदात अलैहिस्सलाम-व-सलात फरमाया करते थे- अय बिलाल इकामत-(कयाम-करार) केह कर हमें राहत पहोंचा ताके इन चीज़ों के मुशाहेदे के लिये (जिनका ज़िक्र किया जा चुका है) हम नमाज़ में दाखिल हों और जमाले इलाहीसे मुस्तफीद (फायदा चाहनेवाले) हों। इसी लिये आका-व-मौला अल्तहय्यता व सना ने फरमाया नमाज़ मेरी आंखों की ठंडक है।

                  ✍ फुतूहल ग़ैब 21 📚

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         ❝ ज़ात की नफी मुखालिफते नफ्स  ❞
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                    ❢  हिस्सा - 01  ❢

⚘✧➤ महबूबे सुबहानी शेख अब्दुल कादर जीलानी رضي الله تعالي عنه ने फरमाया-सूरत ये है के सब चीजे खुदा की ताबेअ है। चुनांचे तुम्हारा नफस भी अल्लाह तआला की मख्लूक और मिल्कीयत है। लेकिन ख्वाहिशो, लिज्जतो और शेहवतो और अस्बाबे तकब्बुर की वजह से खुदा का दुश्मन और मुखालिफ है। इसलिये जब तुम खुदा की ईताअत के लिये नफस की मखालेफत करो, तो गोया खुदा के लिये नफस के दुस्मन हो जाओगें।

                         ✍ फुतूहल ग़ैब 21 📚

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         ❝ ज़ात की नफी मुखालिफते नफ्स ❞
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                      ❢  हिस्सा - 02  ❢

⚘✧➤ जिस तरह अल्लाह ने हज़रत दाउद अलैहिस्सलामको फरमाया अय दाउद! मै तुम्हारा चाराहसाज़ हूं। तुम अपने चाराहसाज़ से तआल्लुक महकम (मजबूत) कर लो और ये इसी सूरत में होगा जब नफ्स से अदावत को शआर कर लो। इसी तरह खालिक-व-मालिकसे तुम्हारी दोस्ती और उसकी बंदगी साबित होगी। तुम्हें पाकिज़ा हिस्से मिलेंगे, तुम अज़ीज़-व-मोहतरम बन जाओगे और चीज़ें तुम्हारी ताबेअ और खिदमतगुज़ार हो जाएगी। इसलिये के हर चीज़ उसके ताबेअ है। उसने हर चीज़ को पैदा कीय, वही हर चीज़ को दुबारा पैदा करेगा। हर चीज़ उसके माअबूद होने का इकरार करती है।

               ✍ फुतूहल ग़ैब 22 📚

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         ❝ ज़ात की नफी मुखालिफते नफ्स ❞
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                      ❢  हिस्सा - 03  ❢

⚘✧➤ खुदा वंदे करीम फरमाते है “हर चीज़ खुदाकी हम्द सरा है और उसीकी तस्बीह करती है लेकिन तुम इस बातका शउर नहीं रखते। नीज़ फरमाया खुदाने आसमानों और ज़मीनों से कहा के आमादगी से या गैर आमादगीसे बहरहाल मेरी इताअत करो उन्होने जवाब दिया के हम मुताबेअत(पैरवी) में हाज़िर है। लेहाज़ा इबादत की तकमील ये है के ख्वाहिशाते नफ्सकी मुखालेफत की जाए। अल्लाह करीमने फरमाया के नफ्से अम्मारा (बदीकी तरफ रगबत दिलानेवाले) की पैरवी न करो। के ये खुदाकी राह पे न चलने देगा।

⚘✧➤ हज़रत दाउद अलैहिस्सलामसे भी फरमाया गया के, नफ्सानी ख्वाहिशात से ज़यादा राहे रास्तसे भटका देनेवाली कोइ चीज़ नहीं। इन्की पैरवी न कर और हज़रत बायज़ीद बुस्तामी रेहमतुल्लाह अलयहके मुताल्लिक मशहूर है के उन्होने खुदा तआला को खाव्बमें कहा के कोनसा रास्ता तुज़ तक पहोंचा देगा ? जवाब मीला नफ्स छोडकर।

⚘✧➤ चुनांचे हज़रत बायज़ीद बुस्तामी फरमाते हैं मैंने अपने नफ्सको इस तरह छोड दिया जिस तरह सांप केंचली उतार फेंकता हैं।

                  ✍ फुतूहल ग़ैब 22 📚

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         ❝ ज़ात की नफी मुखालिफते नफ्स ❞
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                      ❢  हिस्सा - 04  ❢

⚘✧➤ पस (इस लिये) नफ्स की मुखालेफत ही में बेहतरी है। दरहकीकत नफ्स की मुखालिफत करते हुवे लोगों के हराम और मुशतबा (जिसमे शुबा न हो) माल से इजतेनाबही परहेज़गारी है। न इनका एहसान मन्द हो न इन पर भरोसा करो और, न इन से डरो, न इनके पास जो कुछ थोडा बहोत है उसका लालच करो और न ज़कात, सदकात, कुफ्फारा, हदीया या नज़र के हुसूल की तवक्को रखो।

⚘✧➤ पस (इस लिये) नफ्स की मुखालेफत ही में बेहतरी है। दरहकीकत नफ्स की मुखालिफत करते हुवे लोगों के हराम और मुशतबा (जिसमे शुबा न हो) माल से इजतेनाबही परहेज़गारी है। न इनका एहसान मन्द हो न इन पर भरोसा करो और, न इन से डरो, न इनके पास जो कुछ थोडा बहोत है उसका लालच करो और न ज़कात, सदकात, कुफ्फारा, हदीया या नज़र के हुसूल की तवक्को रखो।

⚘✧➤ चुनान्चे खलकत से कोइ ख्वाहिशात हासिल करने का कोइ इरादा न करो। यहा तक के किसी बासरवत रिश्तेदार की वफात पर तुम्हें माल मिलने की उम्मीद हो तो उसकी रेहलतकी ख्वाहिश न करो और हर इम्कानी तरीके से मख्लूक से किनारा कर लो। उन्हें उन दरवाज़ों की तरह समज़ो जो कभी खुलते कभी बंद होते है या उन दरख्तो की तरह जानो जो कभी फल देते है, कभी नही देते और यकीन जानो के ये सब अफआल अल्लाह तआला के फेअल और तदब्बुर (गौर करना) ही के बाईस अमल में आते है के वही फाइले हकीकी है।चुनान्चे खलकत से कोई ख्वाहिशात हासिल करने का कोई इरादा न करो। यहा तक के किसी बासरवत रिश्तेदार की वफात पर तुम्हें माल मिलने की उम्मीद हो तो उसकी रेहलत की ख्वाहिश न करो और हर इम्कानी तरीके से मख्लूक से किनारा कर लो। उन्हें उन दरवाज़ोंकी तरह समज़ो जो कभी खुलते कभी बंद होते है या उन दरख्तो की तरह जानो जो कभी फल देते है, कभी नही देते और यकीन जानो के ये सब अफआल अल्लाह तआला के फेअल और तदब्बुर (गौर करना) ही के बाईस अमल में आते है के वही फाइले हकीकी है।

               ✍ फुतूहल ग़ैब 22-23 📚

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       ❝ ज़ात की नफी मुखालिफते नफ्स ❞
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                    ❢  हिस्सा - 05  ❢

⚘✧➤ इसके बावजूद मख्लूक की महोब्बत और कोशिश के उसूल को फरामोश नही करना चाहिये। अगर ये भूल बेठे तो फिरका जबरया (इस्लाम का एक फिरका जिसका एअतेकाद है के ईन्सान को अपने आअमाल-व-अफआल पर कोई ईख्तियार नही) में शामिल हो जाओगे। लेकिन ये अकीदा जुरूरी है के कोई काम कुदरते खुदावंदी के बगैर मुकम्मिल नहीं होता।

⚘✧➤ खुदा को भूल कर मख्लूक को पूजने लगोगे। ये समजना के बंदा खुदा के बगैर खुद ही अपने ईरादे और फैअल का मालिक-व-मुख्तार है। कुफ्र है और फिरकए “कदरिय” (एक फिरका जो कज़ा-व-कद्रका मुंकर है) में शमुलियत (शालिम होना) पर दाल (आतिशी शोशेका अकस जिससे आग सुलगती है) हैं। दुरस्त अकीदा ये है के अफआलका खालिक अल्लाह है और ऊन्हे अंजाम देनेवाले बंदे है। जैसा के अजाब-व-सवाब के सिलसिले में बयान होने वाली हदीस से वाज़ेह है, पस (इसलिये), एहकामे ,ताअमील-ज़ुरूरी है।

               ✍ फुतूहल ग़ैब 23 📚

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        ❝ ज़ात की नफी मुखालिफते नफ्स ❞
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                      ❢  हिस्सा - 06  ❢

⚘✧➤ अपने हिस्से को मख्लूक से अलाहेदा समझो, हुकमे इलाही बजा लाओ। किसी मआमले में खुद हुकमरान न बन बैठना। क्योंके हाकमियते असली अल्लाह तआला की है और क्योंके मख्लूक में तुम्हारी शमूलियत (शामिल) मुकद्दर हो चुकी है और मुकद्दर की तारीकी (अंधेरे) में किताब-व-सुन्नत की रोशनी ले कर दाखिल होना ज़ुरूरी है। उस पर पूरी तरह अमल करना। अगर तुम्हारे दिल में कोई वसवसा पैदा हो या इल्हामे राह (खुदा की तरफ से दिलमें आइ हुइ बात) पाए तो देखलो के वो कुर्आन-व-सुन्नतके मुताबिक है या नहीं।

⚘✧➤ अगर ज़िना (बदकारी) करने, सूद लेने, फासिक फाजिर लोगोंसे तआल्लुकात उस्तेवार करने और इसी किस्मकी दूसरी तमन्नाऐं दिलमें जनम लें तो चूंके ये सब काम हराम है, इसलिये इनसे बचो। इस किसम के वसवसे-शैतान दिलों में पैदा करता है। इन्हें दिल-व-दिमाग से निकाल फेंको और किसी सूरत इन पर अमल न करो और जिन बातोंको कुर्आन व सुन्नतने मुबाह (हलाल) करार दिया है मसलन खाना, पीना, पेहनना, निकाह करना वगैरह तो इनसे भी ऐहतेराज़ (परहेज़) करे क्योंके हाकीकतन ये भी नफसकी ख्वाहिशें हैं और तुम्हें नफस और उसकी ख्वाहिशों की मुखालेफत करनी है।

                ✍ फुतूहल ग़ैब 24 📚

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        ❝ ज़ात की नफी मुखालिफते नफ्स  ❞
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                   ❢  हिस्सा - 07  ❢

⚘✧➤ और अगर ऐसी बात की तरफ इशारा हो जिसे कुर्आन-व-सुन्नत ने हराम या मुबाह करार दिया बल्के तुम इसको समजते ही नही हो मसलन ये के किसी खास जगाह जा कर किसी खास आदमीसे मिलना जब के खुदा तआला से हासिल करदाह इल्म व मआरिफत के हिसाब से तुम्हें वहां जा कर किसी मर्दे सालेह से मुलाकातकी ज़ुरूरत नहीं है तो इस सिलसिले में जल्दी न करो, तवक्कूफ (ढील) करो, दिलमें सोचो के क्या ये खुदा की तरफ से इल्हाम है।

⚘✧➤ इंतेजार करो, अगर हुकमे इलाही हुआ तो वही इल्हाम बार बार होगा। तुम्हें इस पर अमलका हुकम दिया जाएग। या कोइ एसी निशानी ज़ाहिर होगी जो आलमे बिल्लाह इन्सानों पर ज़ाहिर हुवा करती है, और साहबाने कुव्वत व इदराक औलिया व अब्दाल पर खुलती है।

               ✍ फुतूहल ग़ैब 24-25 📚

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       ❝ ज़ात की नफी मुखालिफते नफ्स  ❞
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                      ❢  हिस्सा - 08  ❢

⚘✧➤ इसलिये ऐसे काम में जलदी न करो। क्योंके के इसका मकसद, अन्जाम, खुदा की मरज़ीका तुम्हें इल्हाम नहीं और ये भी पता नही के इसमें फितना, हिलाकत, मकर या इम्तेहान क्या चीज़ कारफरमा है। चुनान्चे उस वक्त तक सब्र से काम लो। जब अल्लाह तआला खुद ही फाइल हो जाए। जब सिर्फ फअले हककी कैफियत बाकी रेह जाएगी और तुम्हें “ताइदे हक” मिल जाएगी। ऐसे में अगर कोइ फित्ना पैश भी आए तो उसके शर (बदी-बुराइ) से तुम्हें मेहफूज़ कर दिया जाएगा। क्योंके खुदावंदे करीम अपनी मशीयत (किसमत) पर तुम्हारी पकड नहीं करेगा। बंदे को अज़ाब इसी सूरत में दिया जाता है, जब वो खुदाई कामोंमें दखल दे। अगर तुम विलायतकी रिफअतोंके खवाहिशमंद हो तो मुखलिफते नफस को शआर कर लो और अवामिर (एहकाम)की पैरवी में अपने आपको ढाल लो

⚘✧➤  ये पैरवी दो तरह से है। पहली किस्म ये है के दुनिया के माल से खुरदोनोश के लिये सिर्फ बकद्रे किफायत लिया जाए। नफसकी लिज़्ज़तोंसे बचें और अपने ज़ाहिर और बातिन को गुनाहोंसे बचाऐं।

⚘✧➤ दुसरी किस्म ये है के अपने आपको बातिनी अमर (लाफानी, फरमान) पर माअमूर कर लें।

                ✍ फुतूहल ग़ैब 25 📚

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         ❝ ज़ात की नफी मुखालिफते नफ्स ❞
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                      ❢  हिस्सा - 09  ❢

⚘✧➤ यही वो अमर (फरमान) है जिससे शरीयतने न तो मना किया है न उसे करने का हुकम दिया है। यही अमर(काम) उस मुबाह (हलाल, दुरुस्त,पाक) में भी है जिसकी न सख्त मुमानेअत (मना करना) है, न वो वाजिब है। बल्के महमिलात (बेकार) में से है। इसमे बंदे को इख्तियार दिया गया है। इस तरह उसे मुबाह केहते हैं। लेकिन इसमें कोई सखश तरमीम (इस्लाह, दुरुस्त) व-तन्सीख (मन्सूख करना) का इख्तियार नहीं रखता।

⚘✧➤  जब आदमी के सब काम अल्लाह की तरफ से होंगे। जिस कामका हुकम शरआमें है वो इसके मुताबिक और जिसका हुकम शरियत में नहीं वो बातिनी अमर से अंजाम देगा,वो आदमी एहले हकीकत में से हो जाएगा और जिस काम में अमर बातिन नहीं वो खालिस फेअले इलाहीए तकदीर महेज़ और हालत तसलीम है।

⚘✧➤ अगर बन्दा “हक्कुल हक” की मंजिल में है जो मिट जाने और फना हो जाने की हालत में है, तो वो अब्दाल है। अब्दालोंके दिल खुदा तआला के लिये  शिकसता हो चुके हैं। यही लोग मोहिद ( खुदा को एक जानने वाले) हैं। आरिफ (वली, खुदा सनास) हैं, इल्मो अमल के मालिक हैं, उमरा (दोलत मंद) के सरखील (सरदार) हैं।

             ✍ फुतूहल ग़ैब 25-26 📚

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          ❝ ज़ात नफी मुखालिफते नफ्स ❞
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                      ❢  हिस्सा - 10  ❢

⚘✧➤ खलकत के निगेहबान और खुदा के नाइब और दोस्त है अलयहिमुस्सलम इसी हालत मे अमरकी इत्तेबा यही है के बंदा खुद अपनी ज़ातकी नफी (किसी चीज़ के वजूद से इन्कार ) कर दे, अपने हौल-व-कुव्वत से बेज़ार हो जए और दुनिया-व-आखेरत की किसी चीज़ का ख्वाहिशमंद न रहे।
                                                                                                       
⚘✧➤ फिर तुम मुल्क के गुलाम नही, मलिकुल मुल्क के बंदे बन जओगे। ख्वाहिशातके नहि, अमर हकके गुलाम होगे और हर तरह तुम्हारा मआमला इस तरह खुदावंदे तआला के सुपुर्द हो जाएगा , जेसे शीरख्वार बच्चा दाया के हाथो मे , नहलाया हुआ मुरदा गुस्सल के हाथो मे, या बेहोश मरीज़ तबीबके रुबरु होता है। इस तरह तुम अव अमरो नवाही की पैरवी के अलावा दिगर तमाम उमूर से हर तरह बे तआल्लुक हो जाओगे

               ✍ फुतूहल ग़ैब 26 📚

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            ❝ सब्रो - शुक्र  की  फज़िलत ❞
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                      ❢  हिस्सा - 01  ❢

⚘✧➤  हज़रत कुत्बे रब्बानी गौसुस्समदानी رضي الله تعالي عنه ने फरमाया जब उसरत (मुफलिसी,दुस्वारी) व नादानीकी कैफियत में तुम्हारे दिल में निकाह की ख्वाहीश पैदा हो और तुम इस बोज़को बरदाश्त करनेके काबिल भी न हो तो खुदावन्द करीम से खुशहाली की दुआ करो। उसी की कुदरत ने इन्सान के अंदर ये ख्वाहीश पैदा की है, वही रब्बे तआला या तो  उसके अस्बाब पैदा करेगा या तुम्हारी ख्वहिश को खत्म कर देगा। उसी की तरफ तवज्जो मबजूल (मसरूफ) रखोगे तो तुम्हें उसके लिये न दुनिया में मुशक्कत उठानी पडेगी, न आखेरत में तकलीफ होगी।

              ✍ फुतूहल ग़ैब 27 📚

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             ❝ सब्रो - शुक्र  की  फज़िलत ❞
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                      ❢  हिस्सा - 02  ❢

⚘✧➤  ये इनआम सिर्फ सब्र-व्-शुक्र के बदले में तुम्हे मिलेगा जो हर तरह इत्मिनान बक्ष होगा और तुम्हें गुनाह से बचने की सलाहीयत-व-कुव्वत अता की जाएगी। अगर वो शैअ तुम्हारी किस्मतमे होगी तो तुम्हें बा बरकत और किफायत करने वाला हिस्सा मिलेगा और तुम्हारे सब्र को शुक्र की हैसियत मेँ बदल दिया जाएगा। क्यों के अल्लाह करीम ने शाकिरों को (शुक्र करने वालों को) ज़ियादा अता फरमाने का वादा कर रख्खा है।

                  ✍ फुतूहल ग़ैब 27 📚

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           ❝ सब्रो - शुक्र  की  फज़िलत ❞
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                      ❢  हिस्सा - 03  ❢

⚘✧➤  इर्सादे बारी तआला है अगर तुम शाकिर (शुक्र गुज़ार ) रहोगे तो हम ज़ियादा अता करेंगे और अगर नाशुक्रगुज़ारीका सुबूत दिया तो हम तुम्हें निहायत शदीद अज़ाब में डाल देंगे।

⚘✧➤ अगर वो चीज़ तुम्हारी किस्मत में न हुई तो तुम्हारे दिल से उसका खयाल मिटा दिया जाएगा, नफ़स उसे चाहे या न चाहे , पस तुम्हारे लिए लाज़िम है के हर हाल में साबिर रहो , ख्वाहिशाते नफस की मुखालेफत में कमरबस्ता रहो और शरीयत के एहकाम पर पूरी तरह कारबन्द रेहते हुए क़ज़ा व् क़द्र पर राज़ी हो जाओ और खुदाए रहीम व् करीम का फज़ल व् करम चाहो।

 ⚘✧➤ अल्लाह तआला ने फरमाया "बेशक सब्र करने वालों को बेहिसाब अज्र दिया जाएगा।

             ✍ फुतूहल ग़ैब 27 📚

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        ❝ मुहब्बत नेअमत से या मुनइम से  ❞
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                      ❢  हिस्सा - 04  ❢

⚘✧➤ हज़रत गौसुलवरा رضي الله تعالي عنهने फरमाया जब तुम्हें माल अता किया जाए तो अगर तुम इस मालकी नैरंगीयो में डूबकर ईताअते खुदावन्दी से मुंह फेर लोगे तो कुर्बे इलाही की दौलत तुमसे छीन जाएगी और दुनिया व् आखेरात में शरमिन्दगी तुम्हारा मुकद्दर बन जाएगी।

⚘✧➤ ऐन मुमकिन है, दौलत व् सरवत (तवंगरी-हुकूमत) ही तुमसे छीन ली जाए, तुम्हारी हालत बदलकर तुम्हें कंगाल कर दिया जाए। क्योंके माल देने वाले के बजाए माल की मुहब्बत में मुब्तिला होने की यही सजा हैं। लेकिन अगर तुम बा सरवत (तवंगर) होते हुए भी ईताअते इलाही में मग्न रहे तो ये दौलत तुम्हारे लिये अल्लाह की तरफ से हिबा (खैरात-अता ) करदी जाएगी और इसमें ज़र्रा बराबर कमी न होगी।

⚘✧➤ तुम मौला के खादिम होंगे तो दौलत तुम्हारी खादिम होगी, इस हैसियत में नेअमतों से मुस्तफीद होते हुए फरागत से जिंदगी बसर करोगे और आख़ेरत में भी खुशहाली और मेहरबानी-बुज़ुर्गिके साथ सिद्दीकीन, शोहदाअ और सालेहीन की मअय्यत (साथ) से सरफ़राज़ किये जाओगे।

             ✍ फुतूहल ग़ैब 28 📚

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 ❝ अवामिर  की  ताअमिल  (एहकाम)  और  नवाही  से  इजतिनाब  (परहेज) ❞
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                      ❢  हिस्सा - 05  ❢

⚘✧➤ हज़रत मोहियुद्दीन अब्दुल कादर जीलानी  رضي الله تعالي عنهने इर्साद फ़रमाया अगर नेअमत तुम्हारी किस्मतमें है तो उसकी ख्वाहिश करने या न करने से कुछ नही होगा। नेअमत ज़ुरूर मिलेगी। अगर मुसीबत-व- मुज़र्रत (नुकसान) मुकद्दर मेँ है तो उसे पसन्द करने या ना करने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। दुआ करना के ये बला जल्द दफाअ हो।

⚘✧➤ दुआ करना के ये बला जल्द दफाअ हो। या सब्र करना या खुदा की मरजिका बहाना करना कुछ फायदा न देगा। मुसीबत आकर रहेगी चुनांचे फाइले हकीकी (खुदा तआला) के फेे सामने सरे तस्लीम ख़म करने ही में आफ़ियत है।

⚘✧➤ अगर उसकी तरफ से नेअमत मिली है तो शुक्र करो, अगर मुसीबत और बला आई है तो सब्र का दामन थाम लो। सब्र खुदा की रज़ा के लिए होतो बेहतर है, वरना तकल्लुफ़ से सब्र का दामन लो।

               ✍ फुतूहल ग़ैब 28 📚

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❝ अवामिर  की  ताअमिल  (एहकाम)  और  नवाही  से  इजतिनाब  (परहेज)  ❞
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                      ❢  हिस्सा - 06  ❢

⚘✧➤ ख़ुशनूदीए हक तआला के लिए मुसीबत को भी नेअमत समझो, और बेहर तस्लीम व् रज़ा में गर्क हो जाओ। इस अमल के नतीजे में तुम्हे खुदा की इताअत और मवालत (आपस की दोस्ती) के रास्तों और मंज़िलो की सैर कराई जायेगी और तुम्हे सिद्दीकीन, शोहदाअ और सलेहीन के खास मकामात पर फाइज़ कर दिया जाएगा।

⚘✧➤ ताके जो लोग तुमसे पहले कुर्बे खुदावन्दी की नेअमतो से फ़ैज़याब हो चुके हैं, उनका मुशाहेदा कर सको। ये वही लोग हैं जिन्हें ज़िक्र के बाइस करामते , नेअमते, अमन और मसर्रत मिल चुकी है।

⚘✧➤ मुसिबतोँ और बलाओं का दुआओ से या बेसब्री के ज़रीए रास्ता रोकने की कोशिश  कभी न करना, उन्हें अपने करीब आने दो जब वो तुम पर आ जाए तो हरगिज वावीला न करो क्यों के ये मसाइल दोज़ख़ की आग से बढ़कर नही है। खल्क के बीरगुज़ीदातरीन और बेहतरीन जमीन जिनके कदमों तले बिछी है और आसमान साया अफगन है।

⚘✧➤ यानी हुजूर ﷺ ने एक हदीसे पाक में फ़रमाया "नारे जहन्नम मोमिन से मुखातिब होगी के, अय साहेबे ईमान जल्दी से गुजर जा, क्यों के तेरा नूर मेरे शोअलो को बुजा रहा है।

                  ✍ फुतूहल ग़ैब 29 📚

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❝ अवामिर  की  ताअमिल  (एहकाम)  और  नवाही  से  इजतिनाब  (परहेज)  ❞
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                      ❢  हिस्सा - 07  ❢

⚘✧➤ हुजूर ﷺ ने एक हदीसे पाक में फ़रमाया "नारे जहन्नम मोमिन से मुखातिब होगी के, अय साहेबे ईमान जल्दी से गुजर जा, क्यों के तेरा नूर मेरे शोआलों को बुजा रहा है।

⚘✧➤ मोमिन का नूर जिससे जहन्नम के शोअले सर्द होते है, क्या वही नहीं जो दुनिया में इसके साथ था। यही है, यही नूर दुनिया के मसाइब्-व-मुश्किलात की आग को ठंडा कर सकता है। इस नूर की मईय्यत (साथ) में तुम्हें लाज़मन अपने सब्र और खालिक की रज़ा जुइ की ठंडक नसीब होगी और बलाओं की हिद्द्त (ज़ोर-जोश) मुकम्मिल तौर पर खत्म हो जाएगी, मसाइल बन्दे को खुदा के कुर्ब की नेअमतो से नवाजते है।

⚘✧➤ मसाइल बन्दे को खुदा के कुर्ब की नेअमतो से नवाजते है। इसलिए ये अगर मुसीबतें या बलाए आऐं तो समझो के वो तुम्हें हलाक करने के लिये नहीं बल्के इस अम्र में तुम्हारी आजमाइशे और ईमान की सहेत व्  तकमील है। यूं तुम्हें ईकान (यकीन) की पुख्ता असास (बुनियाद) मयस्सर होगी और तुम्हारे लिये इस्तेक़ामत के मुज़ाहेरे पर ख़ुशी भी है और फ़ख़्र भी।

⚘✧➤ खुदा तआला खुद फरमाता है "बेशक हम तुम्हें आजमाइश में इसी खातिर डालते हैं के तुम जेहाद करने वाले और सब्र करने वालों की पहचान हो जाए और तुम्हारे आमाल-व-किरदार का इम्तेहान हो।

                ✍ फुतूहल ग़ैब 29 - 30 📚

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❝ अवामिर  की  ताअमिल  (एहकाम)  और  नवाही  से  इजतिनाब  (परहेज)  ❞
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                      ❢  हिस्सा - 08  ❢

⚘✧➤ खुदा तआला खुद फरमाता है "बेशक हम तुम्हें आजमाइश में इसी खातिर डालते हैं के तुम जेहाद करने वाले और सब्र करने वालों की पहचान हो जाए और तुम्हारे आमाल-व-किरदार का इम्तेहान हो।" चुनान्चे तुम्हारा मोहकम ईमान और पुख्ता यक़ीन यही है के तुमने खुदा के फेअल की मुताबअत (पैरवी) की। यकीन रख्खो के ये तौफीक भी खुदा ही की अता और उसके एहसान से है।

⚘✧➤ लेहाज़ा तुम्हारे लिये ज़ुरूरी है के क़ज़ा व कद्र को सब्रो इस्तेक़ामत के साथ तस्लीम करो और हर ऐसी नई बात से ऐहतेराज़ (परहेज़) करो। और खुदा के हर हुकम को खुश दिली से सुनो और उसे कुबूल करने के लिये मुस्तयदी (तैयारी) से मुतहर्रिक हो जाओ। उसे सुनकर सोचते ही न रहो।

                  ✍ फुतूहल ग़ैब 30 📚

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❝ अवामिर  की  ताअमिल  (एहकाम)  और  नवाही  से  इजतिनाब  (परहेज) ❞
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                      ❢  हिस्सा - 09  ❢

⚘✧➤ तकदीर के अफआल को सिर्फ मान लेना ही काफी नही। उसकी ताअमिल में ताअजिल (जल्दी करो) और मेहनत से काम लो। ताके हकमे खुदवन्दी की ताअमील बा हुस्ने तरीक हो सके। अगर किसी हुकम की ताअमील न हो सके,उसकी तकमील से अपने आपको आजिज़ पाओ तो खुदा तआला से पनाह की इल्तेजा करो। रोव, गिड़गिड़ाओ और खुदा से माफ़ी चाहो। इसके साथ साथ वो सबब ढूंढो जिसके बाईस तुम इताअत-व-ताअमील मेँ नाकाम रहने के बाईस सआदत से महरुम रहे।

⚘✧➤ शायद इसकी वजह तुम्हारा तकब्बुर, ईबादत में कोई बेअदबी, घमन्ड और गुरुर, अपनी सलाहियत पर भरोसा करना और खुदा के साथ अपने नफस या मखलुक मे से किसी को शरीक करना हो और दरे ईलाही से दूर कर दिया गया हो और उसकी बन्दगी और इताअत से माअज़ुल (मौकुफ) कर दिया गया हो।

               ✍ फुतूहल ग़ैब 30 - 31 📚

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❝ अवामिर  की  ताअमिल  (एहकाम)  और  नवाही  से  इजतिनाब  (परहेज) ❞
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                      ❢  हिस्सा - 10  ❢

⚘✧➤ शायद इसकी वजह तुम्हारा तकब्बुर, ईबादत में कोई बेअदबी, घमन्ड और गुरुर, अपनी सलाहियत पर भरोसा करना और खुदा के साथ अपने नफ़्स या मखलुक मे से किसी को शरीक करना हो और दरे ईलाही से दूर कर दिया गया हो और उसकी बन्दगी और इताअत से माअज़ुल (मौकुफ) कर दिया गया हो।

⚘✧➤ इस तरह वो तुमसे नाराज़ हो और गुस्से में हो और तुम्हें दोस्त न रहने दिया हो और तुम्हें हिर्स-व-हवा में मसरूफ़ कर दिया हो। तुम्हें इल्म नहीं है के ये सब चीज़े तुम्हारे पैदा करने, मुरत्तब (तरतीब) करने और दुनिया के सामान का मालिक बना देने वाले रब्बे करीम से दूर रखने और उसकी निगाहे रहमत से गिरा देने वाली हैं। इन हरकतों से बचो, ऐसा न हो के खुदा के सिवा किसी और (गैर अल्लाह) की तरफ रागिब हो जाओ।ان شاءالله عزوجل

                 ✍ फुतूहल ग़ैब 31 📚

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❝ अवामिर  की  ताअमिल  (एहकाम)  और  नवाही  से  इजतिनाब  (परहेज) ❞
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                      ❢  हिस्सा - 11  ❢

⚘✧➤ खुदा के सिवा हर चीज़ गैर मौला है। इसलिए हर गैर मौला की तरफ तवज्जो न दो और गैर अल्लाह से कुर्ब की वजह से अल्लाह के एहकाम से गाफिल होना अपने आप पर ज़ुल्म करना है। क्योंकि इसका नतीजा ऐसी आग है जिसका ईंधन आदमी और पत्थर है। कुफ्फार के लिये तैयार की गई इस आग में ज़ोक दिए जाने से डरो।

⚘✧➤ फिर तुम मआजरत करोगे, फ़रियाद करोगे, रज़ाए इलाही के तालिब होंगे तो भी इसमें कामियाब नहीं हो सकोगे और चाहोगे के दुनिया में दोबारा आकर ईमान व अमाल के हवाले से अपनी गलतियो का तदारुक (उपाय-चारा) कर सको तो इसकी इजाजत न होगी।

               ✍ फुतूहल ग़ैब 31 📚

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 ❝ अवामिर  की  ताअमिल  (एहकाम)  और  नवाही  से  इजतिनाब  (परहेज) ❞
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                      ❢  हिस्सा - 12  ❢

⚘✧➤ पस अपने आप पर रहम करो और अकल-व-इल्म और इकान (यकीन)-व-मआरिफत को हक तआला की इताअत व रज़ा के लिये इस्तेमाल करो और अगर मुक़द्दरात की तारीकियों को दूर करना चाहो तो खुदा तआला से इन्ही अन्वार से रोशनी मांगो।

⚘✧➤  जिस काम का तुम्हें हुकम दिया गया है, करो और जिससे रोका गया है उसे मत करो और हर काम को अपने खालिक व परवरदिगार के सुपुर्द कर दो। खालिक ने तुम्हें मिट्टी से बनाया, तुम्हारी पवरिश फ़रमाई और hनुत्फा(औलाद) के ज़रिये तुम्हें इंसानी शकल दी। इसलीये जान लो के उसके किसी हुकम की खिलाफ वरज़ि कुफ़्र है। इसलीये जान लो के उसके किसी हुकम की खिलाफ वरज़ि कुफ़्र है।

⚘✧➤ जिन उमुर से मना किया गया है। उनके अलावा किसी को मकरूह (नफरत अंगेज़-नाजाइज़) न समज़ो और दुनिया व आखेरत में अमरे हक ही को काफी जानो और नवाही को हर जगा बुरा समजो। तुम्हारी हर मुराद एहकामे इलाही ताबेअ होनी चाहिये और खुदा ने जिसको मकरुह कहा उससे कराहत (नफरत) ज़ुरूरी है।

                    ✍ फुतूहल ग़ैब 31 📚

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❝ अवामिर  की  ताअमिल  (एहकाम)  और  नवाही  से  इजतिनाब  (परहेज) ❞
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                      ❢  हिस्सा - 13  ❢

⚘✧➤ जब तुम ख़ुदावन्दे तआला के एहकाम पर अमल पेश हो जाओगे तो तमाम काएनात तुम्हारे हुकम पर चलेगी, जब तुम खुदा की मना करदा चीज़ों और कामो को बुरा समझोगे तो जहां भी रहोगे कोई गम दुःख तुम्हारे करीब न आएगा।

⚘✧➤ अल्लाह करीम ने बाअज़ किताबो मे फर्माया है के "अय बनी नुए इन्सान मैं अल्लाह हूँ और अकेला माअबूद हूं, मैं कहता हूँ हो जा तो हो जाता है। तू मेरी फरमाबरदारी कर ताके मैं तुझे भी ऐसा बना दू के तू कहे हो जा तो हो जाया करे।

                ✍ फुतूहल ग़ैब 32 📚

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 ❝ अवामिर  की  ताअमिल  (एहकाम)  और  नवाही  से  इजतिनाब  (परहेज) ❞
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                      ❢  हिस्सा - 14  ❢

⚘✧➤ अल्लाह करीम ने बाअज़ किताबो मे फ़रमाया है के "अय बनी नुए इन्सान मैं अल्लाह हूँ और अकेला माअबूद हूं, मैं कहता हूँ हो जा तो हो जाता है। तू मेरी फरमाबरदारी कर ताके मैं तुजे भी ऐसा बना दू के तू कहे हो जा तो हो जाया करे। नीज़ फ़रमाया अय दुनिया जो आदमी मेरी खिदमत और इताअत करे तो उसकी खिदमत व इताअत में मसरूफ़ हो और जो आदमी तेरी खिदमत करे उसे मुसीबतो की नज़र कर दे।

⚘✧➤ और खुदा जिस चीज़ से मना कर दे तो तुम यूं बन जाओ जैसे तुम्हारे जोड़ ढीले पड़ गए है। तुम बे हवास, तंगदिल और मुर्दे की तरह हो जाओ। युं जैसे तुम्हारी कोई ख्वाहिश ही न हो और बशरियत की अलामत ही माअदूम (फना किया गया)-व-मफंकूद(खोया हुआ) हो और शहवानी ख्वाहिशात गायब।

                ✍ फुतूहल ग़ैब 32 📚

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 ❝ अवामिर  की  ताअमिल  (एहकाम)  और  नवाही  से  इजतिनाब  (परहेज) ❞
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                      ❢  हिस्सा - 15  ❢

⚘✧➤ और खुदा जिस चीज़ से मनाअ कर दे तो तुम यूं बन जाओ जैसे तुम्हारे जोड़ ढीले पड़ गए है। तुम बे हवास, तंगदिल और मुर्दे की तरह हो जाओ। युं जैसे तुम्हारी कोई ख्वाहिश ही न हो और बशरियत की अलामत ही माअदूम (फना किया गया)-व-मफंकूद (खोया हुआ) हो और शहवानी ख्वाहिशात गायब। घर पर अंधेरा पुरफिशां हो। दीवारें गिर पड़ें और छत गिर पड़ने से घर तबाह व बर्बाद हो गया हो। सोचने समझने की सलाहियतेँ सलब हो गई हों और कान बेहरे हों। यूं लगे जैसे तुम्हें पैदा ही इस सुरत में किया गया हो के आखों पर पडदा हो या आंखे खराब और बिनाई ज़ाइल हो,होंठ, फोड़ा,ज़बान गुंग, दांत में दर्द, हाथ शील और बेजान, कदमों की लड़खड़ाहट और कुव्वते  मरदानगी खत्म हो। पेट ऐसा ओ जेसे भरा हुआ। खाने की ख्वाहिश ही नहीं। जनून की कैफियत है और जिस्म यूं है जैसे उसे कब्र की तरफ ले जाया जा रहा हो।

                 ✍ फुतूहल ग़ैब 33 📚

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 ❝ अवामिर  की  ताअमिल  (एहकाम)  और  नवाही  से  इजतिनाब  (परहेज) ❞
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                      ❢  हिस्सा - 16  ❢

⚘✧➤ अवमिर में उजलत और नवाही में काहिली और आजिज़ी बेहतर है और अपने आपको मुर्दा तसव्वुर करना अच्छा है। क़ज़ा-व-कद्र के आगे अपनी हस्ति  को नस्ती समझो। यही शरबत पीने के काबिल है और यही दुआ ईलाज के लायक है। यही ग़िज़ा है जिससे तवानाइ और कुव्वत मिल सकती है। इसी सूरत मेँ ख्वाहिशाते नफसानी और ईमराज़े मअसीयते तंदुरस्ती मुमकीन है।

                 ✍ फुतूहल ग़ैब 33 📚

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           ❝ वासिलाने  हक  की  कैफियत ❞
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                      ❢  हिस्सा - 01  ❢

⚘✧➤  हज़रत मोहियुद्दीन जीलानी رضي الله تعالي عنه ने फरमाया अय नफ़स के बन्दो ! तुम उन लोगो का मुकाबला न करो जो साहबाने हाल है और हकके साथ वासिल (मिले हुए) है। क्यों के तुम अपनी ख्वाहिश के और वो ख़ुदावन्द तआला के गुलाम है। तुम्हारी निगाहें  दुनिया पर लगी हुई हैं और उन्हें आख़ेरत की रग़बत हैं।  तू दुनिया की तरफ निगरा (देखने वाला) है और वो अर्ज़ व समा के रब की तरफ देखते हैँ।  तू मखलूक से आराम का तालिब है और वो हक तआला से

               ✍ फुतूहल ग़ैब 33 📚

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         ❝ वासिलाने  हक  की  कैफियत ❞
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                      ❢  हिस्सा - 02  ❢

⚘✧➤ तेरा दिल एहले ज़मीन से से लगा हुआ है और उनके कुलूब (ज़मीर) रब्बुल अर्श से जुड़े हुए है। तुम जिस चीज़ की तरफ देखते हो उसी का शिकार हो जाते हो। वासिला ने हक वो हैँ जो अपने देखने वालों की तरफ मुतवज्ज़ा नही होते बल्के हर चीज़ के खालिक की तरफ देखते हैँ, जो बज़ाहिर दिखाई नहीं देता। उन्होंने तो रिहाई पा ली। और नजात हासिल कर ली और तुम ख्वाहिशाते नफसानी के कैदी हो कर रह गए हो।

                 ✍ फुतूहल ग़ैब 34 📚

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           ❝ वासिलाने  हक  की  कैफियत ❞
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                      ❢  हिस्सा - 03  ❢

⚘✧➤ वासिलाने हक वो हैँ जो अपने देखने वालों की तरफ मुतवज्ज़ा नही होते बल्के हर चीज़ के खालिक की तरफ देखते हैँ, जो बज़ाहिर दिखाई नहीं देता। उन्होंने तो रिहाई पा ली। और नजात हासिल कर ली और तुम ख्वाहिशाते नफसानी के कैदी हो कर रह गए हो। उन्हों ने ख्वाहिशो, इरादों, मुरादों और ख़ल्कत के फन्दों से रिहाई पा ली और कुर्बे खुदावन्दीसे फ़ैज़याब हो गए।

⚘✧➤  खुदा तआला ने उन पर मुन्तहाए मकसूद वाजह कर दिया जो महेज़ खुदा की इताअत और हम्दो सना है और इस अमर से आगाही उसी को होती है जिस पर खुदा का फज़ले ख़ास हो। उन्हों ने हम्दे बारीए तआला और ईताअते खुदावन्दी को वाज़िब समझा और इसी की तौफीक से किसी तकलीफ और मुशक्कत के बगैर उसमें मसरूफ़ रहे।

                    ✍ फुतूहल ग़ैब 34 📚

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         ❝ वासिलाने  हक  की  कैफियत ❞
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                      ❢  हिस्सा - 04  ❢

⚘✧➤ इताअते बारी तआला उनकी ग़िज़ा बन गई और ऐसी नेअमत और राहत की सूरत इख़्तयात कर गई गोया वो बेहिश्त (जन्नत) के बासी हैं। क्यों के वो चीज़ को देखने से पहले उसके खालिक के फेअलको देख लेते हैं।

⚘✧➤ ऐसे वासिलने हक ही के दम से ज़मीन-व-आसमान कायम हैं और ज़िंदों को करार और मुरदों आराम ईन्हीं से है। अल्लाह तआला ने फर्शे ज़मीन के क़याम के लिए उन्हें मिख (खूंटी) की हैसियत दी है। ऐसे साहेबाने हाल में से हर एक पहाड़ की तरह अपने मकाम पर कायम हैं।

⚘✧➤ तुम उन लोगों की राहो में मज़ाहम न होव बल्के एक तरफ हट जाओ। क्यों के उनकी राहों मे तो उनके असलाफ (बुज़ुर्ग)-व-अख़लाक़ भी रुकावट न बन सके। ये ऐसे हज़रात है के उन्हें सब लोगोँ पर फवकीयत (बरतरी) दी गई हैं। रब के करम ने उनको पैदा कर के ज़मीन में फैला दिया है और जब तक अर्ज़-व-समा हैं, उन पर खुदा की रेहमतेँ, बरकतें और सलाम पहुँचता रहेगा।

                  ✍ फुतूहल ग़ैब 34 📚

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           ❝ खुदा  से  रिश्ता  जोड़ने  वाले ❞
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                      ❢  हिस्सा - 01  ❢

⚘✧➤ हज़रत शैखने फ़रमाया मैंने ख्वाब में देखा के मस्जिद से मुशाबह (हमशकल) किसी जगह पे हूं। वहां कुछ ऐसे आदमी इखट्टे है जो दुनिया और एहले दुनिया से कतअ ताल्लुक किये हुए है। मैंने सोचा अगर फलां सालेह बुजुर्ग होता तो इन्हें शरीअत के आदाब सिखाता और हिदायत करता। वो लोग मेरे इर्द गिर्द इखट्टे हो गए और उनमे से एक ने मुज़े पूछा आप कैसे हैं? हम से गुफ़्तगु क्यों नही फरमाते?

⚘✧➤ मैंने कहा, अगर तुम्हारी ख्वाहिश यही है तो यही सही फिर मैंने उनसे कहा के जब तुम मखलुक से रिश्ता तोड़कर खुदा से रिश्ता जोड़ चुके हो तो फिर चाहिये के ज़बान बन्द रख्खो और किसी से भी किसी तरह का सवाल न करो।

                 ✍ फुतूहल ग़ैब 34 📚

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           ❝ खुदा  से  रिश्ता  जोड़ने  वाले ❞
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                      ❢  हिस्सा - 02  ❢

⚘✧➤ फिर मैंने उनसे कहा के जब तुम मखलुक से रिश्ता तोड़ कर खुदा से रिश्ता जोड़ चुके हो तो फिर चाहिये के ज़बान बन्द रख्खो और किसी से भी किसी तरह का सवाल न करो। जब इस पर आमिल हो जाओ तो दिल में भी किसी शैअका तसव्वुर न आने दो।

⚘✧➤ इस लिए के दिल की ख्वाहिश और ज़बान से मांगने में कुछ फर्क नहीं है और ये भी याद रख्खो के चीज़ों मे तगय्युर (हालत बदल देना)-व-तबदिल करने और बनाने-बिगाड़ने और इज़्ज़त बख्शने और ज़िल्लत देने में खुदा तआला की हर रोज़ नइ शान होती है। वो किसी गिरोह को इल्लय्यीन (जन्नत-आठवां आसमान) के मकाम तक रिफअत बखश्ता है और किसी को असफलुल साफेलीन में गिरा देता है।

               ✍ फुतूहल ग़ैब 35 📚

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           ❝ खुदा  से  रिश्ता  जोड़ने  वाले ❞
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                      ❢  हिस्सा - 03  ❢

⚘✧➤ इस लिए के दिल की ख्वाहिश और ज़बान से मांगने में कुछ फर्क नहीं है और ये भी याद रख्खो के चीज़ों मे तगय्युर (हालत बदल देना)-व-तबदिल करने और बनाने-बिगाड़ने और इज़्ज़त बख्शने और ज़िल्लत देने में खुदा तआला की हर रोज़ नइ शान होती है। वो किसी गिरोह को इल्लय्यीन (जन्नत-आठवां आसमान) के मकाम तक रिफअत बखश्ता है और किसी को असफलुल साफेलीन में गिरा देता है।

⚘✧➤ पहला तबका चाहता है के उसे इसी मक़ामे रफीअ पर रखते हुए उसकी हिफाजत की जाए। जब के दुसरा तबका इस बात से ख़ौफ़ज़दा रहता है के कही हंमेसा पस्ती की इन्ही गहराइयो में न रेहना पड़े और उनकी ख्वाहिश रेहती है के काश हमें भी मक़ामे रिफ़अत नसीब हो। फिर मैं बेदार हो गया।

               ✍ फुतूहल ग़ैब 35 📚

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❝ काएनाते  आलम  पर  मुतसर्रफ  ( कबज़ा  करने  वाला )  कौन ..❓❞
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                      ❢  हिस्सा - 01  ❢

⚘✧➤ हज़रत मोहियुद्दीन अब्दुल कादर जीलानी  رضي الله تعالي عنه फरमाते है। तुमने मखलूक पर और दूसरे असबाब-व-वसाइल पर भरोसा किया है, इसलिये अल्लाह तआला के फ़ज़ल से और किसी  वास्ते के बगैर उसकी नेअमतो के हुसुल से मेहरूम हो गए हो। तुमने रिज़के हलाल को हुज़ूर ﷺ के बताए हुए तरीके से हासिल करने को छोड़ दिया है। इसलिये मखलूक तुम्हारे दरमियान हिजाब (पर्दा बन गई है।

                           ✍ फुतूहल ग़ैब 36 📚

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❝ काएनाते  आलम  पर  मुतसर्रफ  ( कबज़ा  करने  वाला )  कौन ..❓ ❞
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                      ❢  हिस्सा - 02  ❢

⚘✧➤ तुमने रिज़के हलाल को हुज़ूर ﷺ  के बताए हुए तरीके से हासिल करने को छोड़ दिया है। इसलिये मखलूक तुम्हारे दरमियान हिजाब(पर्दा) बन गई है। चुनान्चे जब तक तुम लोगों की बख्शीश और उनके दरवाज़ों पर जूदो सखा की खैरात लेने की कैफियत में रहोगे, तुम्हारा शुमार मुशरेकीन में होगा और तुम्हें इसकी सज़ा मिलेगी के तुमने आकाए दो आलम ﷺ के बताए हुए तरीके से हलाल रोज़ी क्यों न ली के ये तुम पर वाजीब था।

⚘✧➤ इस शिर्क की वजह से अल्लाह तआला तुम्हें अज़ाब में मुब्तला कर देगा। फिर अगर तुम मखलूक के साथ तआल्लुक को कताअ कर लो और शिर्क से तौबा करते हुए कसब (हासिल करना-हुनर) की तरफ कोशां (कोशिश करनेवाला) हो जाओ, अपनी मेहनत और जिस्मानी-व-दिमागी कुव्वतों के इस्तेमाल से रिज़क हासिल करो और फज़ले खुदावन्दी को भूल जाओ तो फिर भी मुशरिक ही कहलाओगे बस ईतना है के ये शिर्क पहले से खाफी (छुपा हुआ-बारिक) होगा।

                           ✍ फुतूहल ग़ैब 36 📚

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❝ काएनाते  आलम  पर  मुतसर्रफ  ( कबज़ा  करने  वाला )  कौन ..❓ ❞
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                      ❢  हिस्सा - 03  ❢

⚘✧➤ इस हरकत पर भी सजा के मस्तोजब (सज़ावार) करार दिए जाओगे और खुदा के फ़ज़ल और बिला वास्ता नेअमतो से मेहरूम हो जाओगे। फिर अगर इस शिर्के ख़फ़ी से भी तौबा कर लो और सिर्फ मेहनत-व-सलाहियत पर एअतेमाद करने के बजाए यकीन करलो के खुदा तआला ही की हकीकी राजिक है, वही मुसब्बुल अस्बाब (कई सबब पैदा करने वाला) और तौफिके कसब अता करने वाला है और रिज़क हंमेशा उसी के दस्ते कुदरत में रहता है।

                         ✍ फुतूहल ग़ैब 36 ,37 📚

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❝ काएनाते  आलम  पर  मुतसर्रफ  ( कबज़ा  करने  वाला )  कौन ..❓ ❞
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                      ❢  हिस्सा - 04  ❢

⚘✧➤ अगर हर तरफ से कट कर और पलट कर अपनी तमाम हाज़तों और ज़ुरुरतो को खुदा तआला के हुज़ूर ले आओगे और उसीसे  हर उम्मीद वा बस्ता कर दोगे। उस वक़्त खुदा अपने फ़ज़ल से तुम्हारे दरम्यान कोई पर्दा न रहने देगा और तुम्हारी ज़ुरूरत के मुताबिक बल्के तुम्हारी तलब और उम्मीद से भी ज्यादा तुमको इस तरह से रिज़क अता करेगा के तुम्हारे वहम-व-गुमान में भी न हो।

⚘✧➤ बिलकुल इसी तरह जैसे एक तबीब का अमल जो मरीज़ पर महेरबान भी हो और उसका दोस्त भी और ये फकत अल्लाह का फ़ज़ल है के वो तुम्हें अपने सिवा किसी की तवज्जो का मोहताज़ न करे और ये तुम्हारे इस फ़ज़ल पर खुश होनी का सबब हैं। फिर जब तुम्हारे दिल में इरादाए ईलाही के सिवा किसी चीज़ की रगबत और ख्वाहिश न रहे तो जब खुदा चाहेगा तुम्हारी किस्मत का हिस्सा तुम्हें अता फरमा देगा।

                         ✍ फुतूहल ग़ैब 37 📚

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❝ काएनाते  आलम  पर  मुतसर्रफ  ( कबज़ा  करने  वाला )  कौन ..❓ ❞
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                      ❢  हिस्सा - 05  ❢

⚘✧➤ फिर जब तुम्हारे दिल में इरादाए ईलाही के सिवा  किसी चीज़ की रगबत और ख्वाहिश न रहे तो जब खुदा चाहेगा तुम्हारी किस्मत का हिस्सा तुम्हें अता फरमा देगा। ये तुम्हें ज़ुरूर मिलेगा और तुम्हारे अलावा इस में किसी दूसरे को कुछ न मिलेगा।

⚘✧➤ ख़ुदावन्द तआला उसकी ख्वाहिश तुम्हारे दिल में पैदा कर देगा और जब ज़ुरूरत होगी वो तुम्हे मिल जाएगा। फिर वही तुम्हें इसकी तौफिक भी देगा के इस अता पर उसका शुक्र अदा कर सको, तुम्हारे दिल पर ये हकीकत ज़ाहिर कर दी जाएगी के ये सब कुछ खुदा तआला ने दिया है और वही देने वाला है। फिर तुम्हें उसकी माअरिफत (पेहचान) नसीब हो जाएगी।

                        ✍ फुतूहल ग़ैब 37 📚

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❝ काएनाते  आलम  पर  मुतसर्रफ  ( कबज़ा  करने  वाला )  कौन ..❓ ❞
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                      ❢  हिस्सा - 06  ❢

⚘✧➤ इसके बाद तुम्हें मखलूक से मज़ीद दूर कर दिया जाएगा, तुम्हारे बातिन में सिर्फ अल्लाह रह जाएगा। फिर तुम्हारा यकीन कवी (मज़बूत) होगा, सीना खुल जाएगा, दिल मुनव्वर होगा और जब इन कैफ़ियतो के साथ तुम खुदा तआला का ज्यादा कुर्ब पा लोगे  तो तुम्हें खुदाई इसरार और अमानत की हिफ़ाज़त के बाईस बारगाहे खुदावन्दि में तुम्हें मज़ीद इज़्ज़त मिलेगी, फिर तुम्हें ये जता दिया जाएगा के बुज़ुर्गी और करामत के सबब तुम्हारा ख़ास हिस्सा तुम्हें कब मिलेगा।

⚘✧➤ ख़ुदावन्द तआला ने फरमाया हमने अपने एहकाम की हिदायत करने वालो में से पेश्वा बनाए जिन्होंने हमारी आयतों पर यकीन किया और सब्र से काम लिया । फिर फ़रमाया- जो लोग हमारे रास्ते में रियाज़त और मुजाहिदे से काम लेते हैं। हम उन्हें अपनी राहकी हिदायत करते हैं। मज़ीद फरमाया अल्लाह से डरते रहो। एक जगह फ़रमाया अल्लाह तआला तुम्हें तालीम देता हैं।

               ✍ फुतूहल ग़ैब 37  38 📚

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❝ काएनाते  आलम  पर  मुतसर्रफ  ( कबज़ा  करने  वाला )  कौन ..❓ ❞
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                      ❢  हिस्सा - 07  ❢

⚘✧➤ जब तुम उस मकाम तक पहुच जाओगे तो तुम्हें ज़ाहिरी इजाज़त दे कर काएनाते आलम में तसर्रुफ़ करने की कुव्वत अता होगी। इसमें किसी शक का  तसव्वुर नहीं। आफताब की तरह रोशन दलील, दिलआवेज़ कलाम जो सब लज़ाइज़ से ज़यादा लज़ीज़ हो, बिला शक व शुबा सच्चा इल्हाम जो तमाम नफसानी खतरों और शैतानी वसवसों से पाक हो, तुम्हें अता किया जाएगा।

⚘✧➤ अल्लाह तआला ने अपनी बाअज़ किताबों में फ़रमाया के, अय बनी आदम! मैं जिस चीज़ को होने का हुकम देता हूं वो हो जाती है। जब तुम मेरे फरमाबरदार व ताबेअ बन जाओगे तो तुम्हें भी ऐसा ही बना दूँगा के तुम भी जिस शैअ को कहोगे "होजा" तो हो जाएगी। बेशक अल्लाह तआला ने अपने अकसर अम्बिया-व-अवलिया और ख़ास बन्दों को इस नेअमत से नवाज़ा है।


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        ❝ अल्लाह  तक  रसाई  का  तरीका ❞
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                      ❢  हिस्सा - 01  ❢

⚘✧➤ हज़रत नुरुल्लाह मरकदहुने फरमाया अल्लाह तक तुम्हारी रसाई और कुर्बे इलाही की मन्ज़िल पाना महज़ उसी की तौफीक से है। खुदा तक रसाई का  मतलब ये है के तुम मखलूक के अलाइक (ताल्लुकात), ख्वाहिशाते नफसानी और अपने इरादे की कैद से आज़ाद हो कर अपनी हस्ती को अफआले खुदावन्दी के मातेहत कर लो, यहा तक के तुम्हारी कोई हरकत और कोई फेअल उसके फेअल और इरादे से अलग न हो और फनाइयत की यही मन्ज़िल खुदा तक रसाई है।

               ✍ फुतूहल ग़ैब 38 , 39 📚

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        ❝ अल्लाह  तक  रसाई  का  तरीका ❞
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                      ❢  हिस्सा - 02  ❢

⚘✧➤ खुदा तक रसाई का  मतलब ये है के तुम मखलूक के अलाइक (ताल्लुकात), ख्वाहिशाते नफसानी और अपने इरादे की कैद से आज़ाद हो कर अपनी हस्ती को अफआले खुदावन्दी के मातेहत कर लो, यहा तक के तुम्हारी कोई हरकत और कोई फेअल उसके फेअल और इरादे से अलग न हो और फनाइयत की यही मन्ज़िल खुदा तक रसाई है।

⚘✧➤ लेकिन नउज़ोबिल्लाह खुदा तक रसाई किसी तरह भी दुनिया वालो तक रसाई के मुमासिल (मानिंद) नही हैं। क्यों के काएनात की कोई शैअ खुदा की  मिस्ल नहीं। वो सब कुछ सुनता और देखता है और वो इस बात से बरतर है के इस सानेअ (पैदा करने वाले) हकीकी और खालिक व मालिक को उसकी किसी सनअत और उसकी किसी तखलीक या मिलकीयत से तश्बीह दी जाए।

               ✍ फुतूहल ग़ैब 39 📚

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        ❝ अल्लाह  तक  रसाई  का  तरीका ❞
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                      ❢  हिस्सा - 03  ❢

⚘✧➤ पस वसूलअलिल्लाह का मफ़हूम सिर्फ वही समज सकते हे जो इस मन्ज़िल पर फाइज़ हो, जिन्हें इस मकाम तक रसाई नहीं और इतना कुर्ब उन्हें नसीब नही हुआ वो उसकी बातिनी कैफियत और रूहानी वारदात का अंदाज़ा नहीं कर सकते और जो लोग खुदा तक रसाईं की मन्ज़िल पर पहुच गए हैँ, वो कुर्बे इलाही के रूत्बे में एक-दूसरे से मुख़्तलिफ़ दरजों मे है

⚘✧➤ इसी तरह अंबिया-व-औलिया के साथ ख़ुदावन्द करीम के मआमलात जुदा गाना हैं के किसी एक के राज़ खुदा के सिवा दुसरा नहीं जानता यहां तक के आलमे रूहानियत में ऐसा भी होता है के मुरीद के रमुज़ (इशारे) से उसके शैख़ को इत्तेलाअ नहीं होती और शैख़ इसरार से मुरीद वाकिफ नहीं होता। अगर वो बातिनी इरतेकाअ(तरक्की) के एतबार से मक़ामे शैख़ की देहलीज़ तक पहोंच जाता है।

⚘✧➤ मुरीद जब शैख़ की हालत व कैफियत और उसके मकामात तक रसाई हासिल कर ले तो खुदा तआला उसे शैख़ से जुदा कर लेता हैं और उसे अपनी विलायत में लेकर सब मखलूक से अलग कर लेता है।

                          ✍ फुतूहल ग़ैब 39 📚

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         ❝ अल्लाह  तक  रसाई  का  तरीका ❞
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                      ❢  हिस्सा - 04  ❢

⚘✧➤ मुरीद जब शैख़ की हालत व कैफियत और उसके मकामात तक रसाई हासिल कर ले तो खुदा तआला उसे शैख़ से जुदा कर लेता हैं और उसे अपनी विलायत में लेकर सब मखलूक से अलग कर लेता है। शैख़ की कैफियत वो हो जाती है जो दूध पिलानेवाली दाया की दो साल के बाद दूध छुड़ाने पर हो जाती है। जब ख्वाहिश और इरादा शिकस्त न हो जाएं, इस मकसूद के लिए शैख़ की ज़ुरूरत होती है। जब ख्वाहिशात और इरादे ज़ाइल हो जाए तो मखलूक में से किसी हाजत नहीं रहती।

                    ✍ फुतूहल ग़ैब 39 , 40 📚

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        ❝ अल्लाह  तक  रसाई  का  तरीका ❞
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                      ❢  हिस्सा - 05  ❢

⚘✧➤ मुरीद जब शैख़ की हालत व कैफियत और उसके मकामात तक रसाई हासिल कर ले तो खुदा तआला उसे शैख़ से जुदा कर लेता हैं और उसे अपनी विलायत में लेकर सब मखलूक से अलग कर लेता है। शैख़ की कैफियत वो हो जाती है जो दूध पिलाने वाली दाया की दो साल के बाद दूध छुड़ाने पर हो जाती है। जब ख्वाहिश और इरादा शिकस्त न हो जाएं, इस मकसूद के लिए शैख़ की ज़ुरूरत होती है। जब ख्वाहिशात और इरादे ज़ाइल हो जाए तो मखलूक में से किसी हाजत नहीं रहती।

⚘✧➤ जब मुरीद खोट और नुक्सान से मावरा हो गया तो हक तक रसा हो गया जैसा बयान किया जा चुका है। फिर वो खुदा के सिवा हर चीज़ से हंमेशा के लिये मामुन हो गया। फिर उसे (नफा-नुक्सान) अताअ-व-मनाअ और खौफ-व-उम्मीद के आलम में ख़ुदा के सिवा कोई हस्ती नज़र नही आएगी । इसी तरह जब ये यकीन हो जाए के, अल्लाह करीम ही से मगफेरत की उम्मीद है और उसीसे डरना चाहिये। तो फिर तुम हंमेशा उसी के फ़ैअल पर निगाह रख्खो, उसके हुकम को देखो और उसकी इताअत में मसरूफ़ रहो और दुनिया व आख़ेरत की मखलूक से बेतआल्लुक हो जाओ।

               ✍ फुतूहल ग़ैब 39 , 40 📚

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        ❝ अल्लाह  तक  रसाई  का  तरीका ❞
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                      ❢  हिस्सा - 06  ❢

⚘✧➤ तमाम खलकत को उस आदमी की तरह आजिज़ समझो जिसे एक अज़ीम सल्तनत सख्त हुकम और रोअब-व-दबदबे वाला बादशाह गिरफ्तार करके उसकी गर्दन में तौक (हलका) और पाँव में बेड़ियां पहना दे, फिर उसे दरख़्त के साथ फांसी पर लटका दे और वो दरख़्त एक मव्वाज (मौजें मारने वाला),  चौडे, गहरे और तेज़ दरिया के किनारे वाक़ेअ हो। फिर बादशाह  ऐसे तख्त पर बैठ जाए, जो बहोत बड़ा और ऊंचा हो और उस तक पहुचना बहुत मुश्किल हो।

⚘✧➤  बादशाह के पहलु मे तीर, नेजे, कमाने बड़ी तादाद में पड़ी हो, जिनकी तादाद सिर्फ बादशाह ही जानता हो। बादशाह फांसी पर लटके हुए शख्स पर जिस हथियार को चाहे फेंक कर मारे। ऐसे में क्या कोई आदमी ऐसा भी हो सकता है। जो इस हलको देखे और बादशाह से मुंह मोड ले। उससे न डरे और न उम्मीद रख्खे बल्के सूली चढ़े हुए आदमी  से डरे और उसीसे उम्मीद रखे। क्या ये खयाल रखने वाला फातिरुल अकल, दीवाना, हैवान और इन्सानियत से खारिज नहीं केहलाएगा?

                       ✍ फुतूहल ग़ैब 40 📚

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        ❝ अल्लाह  तक  रसाई  का  तरीका ❞
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                      ❢  हिस्सा - 07  ❢

⚘✧➤ खुदा तआला हमें बिनाई के बाद कोरचश्मी  (अंधेपन) से, वस्ल (मुलाकात) के बाद फ़िराक (जुदाई), कुर्ब के बाद बुअद से, हीदायत के बाद गुमराही और रज़ालत (ओछेपन)से और ईमान के बाद कुफ़्र से बचाए।

⚘✧➤ चुनान्चे दुनिया जैसा के बयान हो चुका एक बेहते दरिया की तरह है के हर रोज़ उसका पानी बढ़ता है और ये दुनिया में मिलने वाली लिज़्ज़तो, शेहवत और ख्वाहिशोकी कसरत है और मिखतलिफ किस्म के तीर,नेजे और दूसरे हथियार वो बालाएं हैं। जो मुक्क़दर से पहुचती हैं और जिनके सबब बनी नुए इन्सान पर आफतें, बलाए, सख्तीयां और तारीकीयां छा जाती हैं और कुछ लज़्ज़त व राहत मिले भी तो मुसीबतों से लबरेज़ मिलती है।

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        ❝ अल्लाह  तक  रसाई  का  तरीका ❞
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                      ❢  हिस्सा - 08  ❢

⚘✧➤ चुनान्चे दुनिया जैसा के बयान हो चुका एक बेहते दरिया की तरह है के हर रोज़ उसका पानी बढ़ता है और ये दुनिया में मिलने वाली लिज़्ज़तो, शेहवत और ख्वाहिशो की कसरत है और मिखतलिफ किस्मके तीर,नेजे और दूसरे हथियार वो बालाएं हैं। जो मुक्क़दर से पहुचती हैं और जिनके सबब बनी नुए इन्सान पर आफतें, बलाए, सख्तीयां और तारीकीयां छा जाती हैं और कुछ लज़्ज़त व राहत मिले भी तो मुसीबतों से लबरेज़ मिलती है।

⚘✧➤ चुनान्चे मोमिन की अकलमन्दी इसी में है,के दुन्यवी लज़्ज़तों और ऐश व आराम के बजाए आख़ेरत को पसन्द करे।

⚘✧➤ हुज़ूर सरवरे काएनात अलैहिस्सलातो वस्सलाम फरमाते है। आख़ेरत के आराम के मुक़ाबले मेँ कोई ऐश नही और ये खास मोमिन के लिए है। एक और मकाम पे फ़रमाया दुनिया ऐहले ईमान के लिये कैद खाना है और ऐहले कुफ़्र के लिये जन्नत  एक और हदीसे पाक में है के परहेज़गारों के मुह में लगाम दी गई है।

                         ✍ फुतूहल ग़ैब 41 📚

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        ❝ अल्लाह  तक  रसाई  का  तरीका ❞
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                      ❢  हिस्सा - 09  ❢

⚘✧➤ हुज़ूर सरवरे काएनात अलैहिस्सलातो वस्सलाम फरमाते है। आख़ेरत के आराम के मुक़ाबले मेँ कोई ऐश नही और ये खास मोमिन के लिए है। एक और मकाम पे फ़रमाया दुनिया ऐहले ईमान के लिये कैद खाना है और ऐहले कुफ़्र के लिये जन्नत एक और हदीसे पाक में है के परहेज़गारों के मुह में लगाम दी गई है।

⚘✧➤ इन अहादीस-व-मुशाहीदात के पेशे नज़र दुनिया की अच्छी ज़िन्दगी की ख्वाहिश कौन कर सकता है। क्यों के हकीकी मसर्रत और दाएमी राहत इसीमें है के इन्सान ख़ल्कतसे बचकर खुदा के दर पर आ जाए, उसीकी ईताअत करे, उसके सामने अपने इजज़ (शिकस्त-कमजोरी) का मुज़ाहिरा करे। जब तक दुनियाके बन्धन से आज़ाद न हो जाएगा, खुदा की तरफ से अल्फात-व-इनआम, राहत, रहमत और बेहतरी हासिल न कर सकेगा।

                            ✍ फुतूहल ग़ैब 41 📚

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   ❝ तुम्हारे लिए अच्छा क्या है और बुरा क्या? ❞
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                      ❢  हिस्सा - 01  ❢

⚘✧➤ हज़रत महबूबे सुब्हानी शैख़ अब्दुल क़ादिर जीलानी رضي الله تعالي عنه फ़रमाते है के, तुम्हारे लिये वसीयत ये है के तुम्हें कोई तकलीफ या ज़रर पहुचे तो उसकी किसी अपने या बेगाने से शिकायत न करो और खुदा तआला तुम पर कोई बला नाज़िल करे या और कोई सुलूक करे तो उस पर तोहमत न लगाओ। ज़ुरूरी है के सिर्फ खुदा का शुक्र करो। अगर तुम तकलीफ में शुक्र को जूट समझते हो तो ये हालाकी शिकायत करने के सच से बेहतर है। कोई शख्स और उसका कोई लम्हा खुदा की नेअमत से खाली नहीँ।

                     ✍ फुतूहल ग़ैब 42 📚

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  ❝ तुम्हारे लिए अच्छा क्या है और बुरा क्या? ❞
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                      ❢  हिस्सा - 02  ❢

⚘✧➤ खुदा तआला ने फ़रमाया अल्लाह की नेअमतें ऐसी और इतनी हैं। -के हद-व-हिसाब में नहीं आ सकतीं, बहुत सी ऐसी भी हैं जिनका तुम्हें ऐहसास तक नहीं। बस तुम्हें चाहिये के किसी चीज़ की तलब के लिये मखलूक की तरफ न देखो और खालिक के सिवा किसी और से तआल्लुक न रखो और न किसी को अपने हालात बताओ। मुहब्बत उसी से करो, हाजतें उसी से अर्ज़ करो, तकलीफ के इज़ाले के लिये उसी तरफ रुजुअ करो क्यों के सुदोज़िया उसी की तरफ से हैं, परेशनिया वही रफअ कर सकता है,इज़्ज़त व ज़िल्लत और बुलंदी व पस्ती देने वाला वही है, ईशरत व सतवत वही दे सकता है और हरकत व सुकून उसी के कब्ज़ए कुदरत में है।

                        ✍ फुतूहल ग़ैब 42 📚

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   ❝ तुम्हारे लिए अच्छा क्या है और बुरा क्या? ❞
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                      ❢  हिस्सा - 03  ❢

⚘✧➤ पास तुम्हें चाहिये के किसी चीज़ की तलब के लिये मखलूक की तरफ न देखो और खालिक के सिवा किसी और से तआल्लुक न रखो और न किसी को अपने हालात बताओ। मुहब्बत उसी से करो, हाजतें उसी से अर्ज़ करो, तकलीफ के इज़ाले के लिये उसी तरफ रुजुअ करो क्यों के सुदोज़िया उसी की तरफ से हैं, परेशनिया वही रफअ कर सकता है,इज़्ज़त व ज़िल्लत और बुलंदी व पस्ती देने वाला वही है, ईशरत व सरवत वही दे सकता है और हरकत व सुकून उसी के कब्ज़ए कुदरत में है।

⚘✧➤ तमाम वाकेआत और अवामिल उसी के हुकम और इजाज़त से ज़ाहिर होते हैं। हर चीज़ उसी वक़्त जारी रहती है जिसका तअइयुन (मुकर्रर) वो कर दे जिसको खालिक व मालिक ने मकदम (आमद) किया है। वो मोवख्खिर (आखरी) नही हो सकती और जो मोवख्खर है, उसे कोई मकदम (पैर धरने नहीं दे)  सकता। अल्लाह तआला ने फरमाया के अगर अल्लाह की तरफ से कोई नुकसान पहोंचे तो वो ही और सिर्फ वो ही उसे दूर कर सकता है और अगर खुदा तेरी भलाई करना चाहे तो उसके फ़ज़ल को रद करने वाला कोई नहीँ।

                         ✍ फुतूहल ग़ैब 42 📚

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   ❝ तुम्हारे लिए अच्छा क्या है और बुरा क्या? ❞
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                      ❢  हिस्सा - 04  ❢

⚘✧➤ और अगर तुम अल्लाह से तरह तरह की बेहिसाब नेअमतें और आफियते हासिल करने के बावजूद अपनी कोरचश्मि की बदोलत खुदा से शिकवा शिकायत करने लगो तो ये कुफ़राने नेअमत होगा और खुदा की अता करदा नेअमतो को कम और हकीर समझकर ज़्यादा की ख्वाहिश करना है और उसकी वजह से तुम खुदाई कहर, गुस्से और दुश्मनी के मुस्तवजब (सज़ावार) बन जाओगे।

⚘✧➤ मौजूद नेअमतें भी तुम से छिन जाएगी। तुम्हारी शिकायतों को सच और बलाओ को तुम पर ज़्यादा कर दिया जाएगा। निगाहे रहमत तुमसे फिर जाएगी। तुम्हें चाहिये के अगर कैची से तुम्हारा गोश्त टुकड़े टुकड़े भी कर दिया जाए तो भी शिकायत न करो कोशिश कर के अपने आपको गिला गुज़ारिसे बचाओ। खुदा से डरो और मुसलसल डरो। जान लो के इंसानो पर जो मसाइब व् आलाम नाज़िल होते है, अपने रब की शिकायत ही की वजह से होते हैं।

               ✍ फुतूहल ग़ैब 43 📚

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   ❝ तुम्हारे लिए अच्छा क्या है और बुरा क्या? ❞
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                      ❢  हिस्सा - 05  ❢

⚘✧➤ परवरदिगारे आलम के गिले का क्या जवाज़ (जाइज़) है क्यों के वो तो  सब महेरबानो सब हाकिमो से बड़ा है। हर चीज़ की खबर रखता है और  रउफ़ो रहीम है। वो अपने बन्दो पर रहम करता है, कभी ज़ुल्म नहीं करता। वही बीमारियों को दूर करने वाला, शफक्कत फरमाने वाला और हाथ पकड़ने वाला है। क्या शफीक माँ बाप पर ज़ुल्म और ज़ियादतिकी तोहमत लगाई जा सकती है?

⚘✧➤ हुज़ूर पुरनूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया के, अल्लाह अपने बन्दो पर माँ से भी ज़्यादा मेहरबान है। इसलिये बारगाहे खुदावन्दी के आदाब बजा लाओ और ताकत से बढ़कर भी बलाए नाज़िल हो जाए तो भी सब्र से काम लो।

               ✍ फुतूहल ग़ैब 43 📚

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  ❝ तुम्हारे लिए अच्छा क्या है और बुरा क्या? ❞
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                      ❢  हिस्सा - 06  ❢

⚘✧➤ हुज़ूर पुर नूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया  के, अल्लाह अपने बन्दो पर माँ से भी ज़्यादा मेहरबान है। इसलिये बारगाहे खुदावन्दी के आदाब बजा लाओ और ताकत से बढ़कर भी बलाए नाज़िल हो जाए तो भी सब्र से काम लो।

⚘✧➤ रज़ा-व-मवाफेकतकी ताकत न हो तो भी उन्हें शआर किये रख्खो। इस तरह फनाइयत की मंज़िल पा लोगे और फना होने के बाद तुम कहां पाए जा सकोगे।

⚘✧➤ क्या तुमने खुदाए पाक का इरशाद नहीं सुना के तुम्हारा तबई मैलान (ख्वाहिश) न होने के बावजूद तुम पर जेहाद फ़र्ज़ किया गया है हालांके जिस काम को तुम अच्छा नहीं समझते, हो सकता है वो तुम्हारे लीये बेहतर हो। और जो चीज़ तुम्हें अच्छी लगती है मुमकिन है वो तुम्हारे लिये ज़रर की पैग़ाम्बर हो। तुम्हारा बुरा भला खुदा तआला ही बेहतर समझता है। तुम्हें इसकी कुछ खबर नहीं।

                    ✍ फुतूहल ग़ैब 44 📚

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   ❝ तुम्हारे लिए अच्छा क्या है और बुरा क्या? ❞
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                      ❢  हिस्सा - 07  ❢

⚘✧➤ खुदा ने अश्याअकी हकीकत का इल्म तुम से छुपा लिया है। इसलिये कोई चीज़ तुम्हें अच्छी लगे या न लगे, उसके खिलाफ न कहो और हालते तक़वाअ में शरीयत की पैरवी तुम्हारे लिये ज़ुरूरी है।

⚘✧➤  मक़ामे विलायत पा लो और अपनी ख्वाहिशात छोड़ चुके हो तो बातिनी अवामिर की पैरवी करो और मआरफत की राह में दुसरा कदम है के कभी हद से न बढ़ो और फ़ेअले खुदावन्दी पर राज़ी होना और उसकी मवाफेकत में फनाइयतकी मन्ज़िल पर पहुचना, गौस, क़ुतुब और सिद्दीक हज़रात का मुकाम है और यही तरीकत की इन्तेहा है।

⚘✧➤  क़ज़ा-व-कद्र की राह में न आना चाहिये और दिल से तमाम ख्वाहिशों को निकाल बाहर करना और कभी शिकायत न करना ज़ुरूरी है।

                        ✍ फुतूहल ग़ैब 44 📚

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   ❝ तुम्हारे लिए अच्छा क्या है और बुरा क्या? ❞
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                      ❢  हिस्सा - 08  ❢

⚘✧➤ क़ज़ा-व-कद्र की राह में न आना चाहिये और दिल से तमाम ख्वाहिशों को निकाल बाहर करना और कभी शिकायत न करना ज़ुरूरी है।

⚘✧➤ यही काम तुम्हारे हक में अच्छा है। इसी लिये ख़ुदावन्द करीम तुम्हें पाकिज़ा ज़िन्दगी और मसर्रत व लिज़्ज़त की दौलतों में इज़ाफ़े से मालामाल करेगा। अगर तुम्हारी किस्मत में ख़राबी है तो खुदा अताअतके इस हाल में तुम्हारी हिफाज़त करेगा और मुसीबतों को तुमसे दूर करेगा और तुम्हें ईस दौरान में अपने सायए रहमत में रखेगा। यहां तक के मुसीबत तुमसे दूर हो जाएगी। जिस तरह रात गुजरने पर दिन चढ़ता है या जाड़े के बाद गरमी का मौसम आता है। ये सारी हालत तुम्हारे लिये है इससे इबरत हासील करो।

                        ✍ फुतूहल ग़ैब 44 📚

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   ❝ तुम्हारे लिए अच्छा क्या है और बुरा क्या? ❞
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                      ❢  हिस्सा - 09  ❢

⚘✧➤ ईन्सान बड़ी ग़िलाज़तों और खताओं से आलूदा होता है और इस हालत में खुदा के कुर्ब की सलाहियत नहीँ रखता। जब तक मआसी (मुसीबत) की नजासतों (गन्दगी)से, लगज़िशों की कशाफतों से पाक न हो और ख्वाहिशाते नफ़स से छुटकारा न हासिल कर ले, वो दरे खुदावन्दी तक रसाईं नहीं पा सकता बादशाह का कुर्ब उसी को नसीब हो सकता है जो अपने आपको हर गिलाज़त से पाक करे और पाकीज़गी को अपनी ज़ात पर जारी कर ले।

⚘✧➤ नबी करीम अलैहे सलात-व-तसलीम ने फ़रमाया है के, एक दिन का बुखार साल भर के गुनाहों का कुफ्फारा है। सच फ़रमाया आका-व-मौला अलैहिल तहैयत-व-सनाने।

                         ✍ फुतूहल ग़ैब 45 📚

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      ❝ ईमान-व-ईकान की कुव्वत-व-ज़ुअफ ❞
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                      ❢  हिस्सा - 01  ❢

⚘✧➤ हज़रत मोहियुद्दीन अब्दुल कादर जीलानी  رضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया तुम्हारा यकीन और ईमान ज़ईफ़ है, वरना इस बातका तसव्वुर ही नहीं के तुम्हारे साथ किया हुआ वादा पुरा न हो। तुम्हारे ईमान-व-यकीन को मज़बूत करने के लिये वादा पुरा किया जाएगा और जब ये तुम्हारे दिलमेँ कवी हो जाएगा तो तुम्हें इस तरह दाअवत दी जाएगी
*बेशक तुम आज अमानत दार की हैसीयत से हमारे पास ठेहरो।* और जब ये दाअवत तुम्हें बार-बार मिले तो समझलो के तुम बन्दगाने ख़ास मेँ शुमार होने लगे हो। फिर तुम्हारे दिल से हर इरादा, हर गर्ज़ और हर मतलब इस तरह निकल जाएगा, जिस तरह सुराख वाले बरतन में पानी नहीं ठहेरता।

⚘✧➤ इस तरह तुम्हारी कर्ब की हर ख्वाहिश पूरी हो जाएगी और जिस मन्ज़िल की तरफ माइल होगे, वो हासिल हो जाएगी। कोई इरादा, कोई आदत और दुनिया-व-आखेरत की किसी शैअ की ख्वाहिश तुम्हारे करीब न आएगी और अल्लाह के सिवा तुम हर चीज़ से पाक हो जाओगे।

                           ✍ फुतूहल ग़ैब 45 📚

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       ❝ ईमान-व-ईकान की कुव्वत-व-ज़ुअफ ❞
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                      ❢  हिस्सा - 02  ❢

⚘✧➤ फिर तुम्हारे दिल से हर इरादा, हर गर्ज़ और हर मतलब इस तरह निकल जाएगा, जिस तरह सुराख वाले बरतन में पानी नहीं ठहेरता। इस तरह तुम्हारी कर्ब की हर ख्वाहिश पूरी हो जाएगी और जिस मन्ज़िल की तरफ माइल होगे, वो हासिल हो जाएगी। कोई इरादा, कोई आदत और दुनिया-व-आखेरतकी किसी शैअ की ख्वाहिश तुम्हारे करीब न आएगी और अल्लाह के सिवा तुम हर चीज़ से पाक हो जाओगे।

⚘✧➤ तुम रज़ाए इलाही हासिल कर लोगे और खुदा के खुदा के राज़ी होने का वादा पा लोगे। तुम्हें अफआले खुदावन्दी से लिज़्ज़त-व-नेअमत मिलेगी। उस वक़्त तुमसे कोई इत्मीनान बख्स वादा किया जाएगा। अगर इस सिलसिले में तुम्हारा कोई इरादा पाया गया तो वादे को और अरफाअ (बहुत बुलन्द) कर दिया जाएगा।

                      ✍ फुतूहल ग़ैब 45 - 46 📚

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     ❝ ईमान-व-ईकान की कुव्वत-व-ज़ुअफ ❞
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                      ❢  हिस्सा - 03  ❢

⚘✧➤ और जब हर तरह तुम्हें इस वादे पर इत्मीनान हो गया और इससे ज़्यादा का कोई इरादा तुम्हारे दिलvमें दिखाई न दिया तो फिर इस वादे से मज़ीद आला वादे की तरफ तुम्हें ले जाया जायेगा और ये इरादा खत्म होने के इस्तेगना (बेफिकरी) की वजासे होगा।

⚘✧➤  मअरिफ़त और उलूम के दर तुम पर वा हो जाऐंगे (खुल जाएंगे) और उमूर की असलीयत, अमूज़ की हकीकत और पहले वादे से अरफ़ाअ-व-आअला वादे की तरफ रजअत की खुफिया मसालह से आगाह कर दिये जाओगे। हीफाज़ते हाल के बाईस मरतबे में इज़ाफ़ा कर दिया जाएगा और रमूज़-व-असरार की हिफाज़त के सिलसिले मेँ दयानत व अमानत के बाब में तुम्हारा रुत्बा बढ़ जाएगा।

⚘✧➤ फिर तुम्हारा सीना खोल दिया जाएगा, दिल में नूर, ज़बान में फसाहत ज़्यादा होगी और वुफूरे (ज़्यादा) महोब्बत की नेअमत से अता की जाएगी और दुनिया व आख़िरत में जिन्सो-इन्सके सिवा बाकी तमाम मख्लुकात तुमसे महोब्बत करने लगेगी और ये मकाम इसलिये मिलेगा के मेहबूब बन चुके हो। मखलूक चूंके खुदा तआला की ताबेअ है, इसलिये मख्लूक़ की तुमसे महोब्बत-खुदा से महोब्बत है। जिस तरह उनकी दुश्मनी खुदा की दुश्मनी है।

                           ✍ फुतूहल ग़ैब 46 📚

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     ❝ ईमान-व-ईकान की कुव्वत-व-ज़ुअफ ❞
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                      ❢  हिस्सा - 04  ❢

⚘✧➤ जब तुम उस मकाम को पा लोगे के तुम्हारा कोई इरादा नही होगा तो खुदा तआला तुम में किसी चीज़ का इरादा पैदा कर देगा। जब वो इरादा ज़ाहिर हो जाएगा तो जिसका इरादा पैदा हुआ था, वो नेस्तो नाबूद कर दी जाएग, तुम्हें उससे मोड़ लिया जाएगा। वो चीज़ तुम्हें दुनिया में नहीं मिलेगी बल्के इसके बदले मेँ आख़ेरत में कोई ऐसी चीज़ दी जाएगी , जिससे ख़ुदावन्द करीम से तुम्हारा कुर्ब ज़्यादा होगा और फ़िरदौसे आला और जन्नतुल मावा में तुमहारी निग़ाहें उससे रोशन होंगी।

                     ✍ फुतूहल ग़ैब 46 - 47 📚

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      ❝ ईमान-व-ईकान की कुव्वत-व-ज़ुअफ ❞
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                      ❢  हिस्सा - 05  ❢

⚘✧➤ और अगर तुम किसी चीज़ की तमन्ना न करो और इस तकलीफ से भरी फानी दुनिया में किसी शैअ की तरफ माइल न हो और न किसी की उम्मीद रख्खो और सिर्फ हर चीज़ के खालिक व मालिक ही को अपना मकसूद जानो। वो खालिक जिसने किसी को मेहरूम और कीसी को अतायाब किया है, आसमान को रफअत बख्शी है और ज़मीन को मसतूह किया है। कभी युं भी होता है के दुनिया की किसी चीज़ की ख्वाहिश न करने और इरादे खत्म कर देनेके एवज़ दुनिया ही में उससे कुछ कमतर या उसके बराबर अता कर दिया जाता है। लेकिन ये उस सूरत में होता है के तुम दिल शिकस्ता हो जाओ के हमने ज़िक्र किया और बयान हुआ।

                          ✍ फुतूहल ग़ैब 47 📚

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❝ अल्लाह  ही  से  मांगो  और  मशकूक (संदिग्ध) चीज़े  न लो ❞
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                      ❢  हिस्सा - 01  ❢

⚘✧➤ हज़रत मोहियुद्दीन अब्दुल कादर जीलानी  رضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया  हुज़ूर हादिए आज़म ﷺ का इरशाद है के, *"तुम मशकूक चीज़ों को छोड़ कर गैर मशकूक चीज़ों को अपना लो।"*  याअनी अगर मशकूक और गैर मशकूक इखट्टी हों तो तुम एसी चीज़ को मत इख़्तियार करो जिसमें शक व शुबा हो। अगर कोई ऐसी ही चीज़ मशकूक हो, उससे दिल में शक और खलिश पैदा हो तो खुद कोई फैसला मत करो। हुकमे खुदावन्दी का इन्तेज़ार करो, फिर उसे इस्तेमाल करने का इशारा हो तो ठीक है। मनाअ कर दिया जाए तो मनाअ हो जाओ और युं समजो गोया वो चीज़ थी ही नहीं। फिर अल्लाहु करीम की तरफ रजू (पलटना) करो और उससे रिज़क के तलबगार हो।

               ✍ फुतूहल ग़ैब 47 📚

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 ❝ अल्लाह  ही  से  मांगो  और  मशकूक (संदिग्ध) चीज़े  न लो ❞
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                      ❢  हिस्सा - 02  ❢


⚘✧➤ अगर तुमने सब्र करने में कमज़ोरी का मुज़ाहेरा किया या रज़ा व फना से गुरेज़ (परहेज़) किया तो फिर खुदा तआला उसका मोहताज़ नहीं के उसे वादा याद दिलाया जाऐ। वो तुम्हारे हाल से भी वाकिफ है, गैरों के हाल से भी, और जब वो काफिरों, मुनाफ़िकों, और रवगरदानी के मुरतकबीन (कुसूरवार) को भी रिज़क अता फरमता है, तो फिर अय साहबे ईमान ! तुम तो उसके मवहिद (खुदा को एक जानने वाले) और मतीअ हो, वो तुम्हें क्यों कर भूलाएगा।

                         ✍ फुतूहल ग़ैब 48 📚

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   ❝ अल्लाह  ही  से  मांगो  और  मशकूक (संदिग्ध) चीज़े  न लो ❞
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                      ❢  हिस्सा - 03  ❢

⚘✧➤ इस हादीस की एक और तवज्जोह ये है के मख्लूक़ के सदकात-व-अतयात पर नज़र रख्खो। इस मआमले में ख्वाहिश-व-तलब से बेनियाज़ हो कर दिल से उसका खयाल तक बाहर निकाल दो। ना मखलुक से कोई उम्मीद रख्खो, न उससे खौफ महसूस करो और जो गैर मशकूक चीज़ ख़ुदावन्द करीम तुम्हें अता फरमाये उसे कुबूल कर लो।

⚘✧➤  तुम एक ही चीज़ का सवाल करो कयों के देने वाला भी वाहिद है। एक ही ज़ात है जो उम्मिदो का मरकज़ है और वही एक ज़ात है जिससे डरना चाहिये। वही खालिक तुम्हारा मकसूद होना चाहिये। जिसके हाथ में बादशाहों की पेशानियां और मखलुकके अजसाम-व-कुलूब हैं, जो सबकी जान-व-माल का मालिक है और लोगों के पास जानो माल महेज़ अनामत है। लोगों के अतीयात भी तो अल्लाहु इज़्ज़ोजल के हुकम से तुम्हें मिलते है। उसका हुकम हो तो लोगों के हाथ तुम्हें देने के लिये हरकत ही न कर सके।

⚘✧➤ हर साइल को खुदा तआला का इरशाद है क अल्लाह से उसका फ़ज़लो करम मांगो। नीज़ फ़रमाया जिन्हें तुम खुदा के सिवा पुकारते हो, वो तुम्हारे रिज़क के मालिक नहीं है। अल्लाह से रिज़क तलब करो, उसी की इबादत करो और शुक्र अदा करो।

                        ✍ फुतूहल ग़ैब 48 📚

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   ❝ अल्लाह  ही  से  मांगो  और  मशकूक (संदिग्ध) चीज़े  न लो ❞
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                      ❢  हिस्सा - 04  ❢

⚘✧➤ लोगों के अतीयात भी तो अल्लाहु इज़्ज़ोजल के हुकम से तुम्हें मिलते है। उसका हुकम हो तो लोगों के हाथ तुम्हें देने के लिये हरकत ही न कर सके। हर साइल को खुदा तआला का इरशाद है के अल्लाह से उसका फ़ज़लो करम मांगो। नीज़ फ़रमाया जिन्हें तुम खुदा के सिवा पुकारते हो, वो तुम्हारे रिज़क के मालिक नहीं है। अल्लाह से रिज़क तलब करो, उसीकी इबादत करो और शुक्र अदा करो। तुम्हें उसी की तरफ लौटकर जाना है।

⚘✧➤ एक और जगा फ़रमाया" या हबीब जब मेरे बन्दे मेरे मुताल्लिक आपसे पूछें तो फरमा दीजिये के, बेशक में बहोत करीब हुँ। और में हर पुकारने वाले की पुकारको सुनता हुँ और दुआ कुबूल करता हुँ और अल्लाह करीम ने फ़रमाया मुजी से मांगो, में तुम्हारी दुआ को शर्फ़े कबूलियत बख्शूंगा। और फ़रमाया " अल्लाह ही रिज़क देने वाला और मज़बूत कुव्वत वाला है।" एक जगा इरसाद फ़रमाया जाता हैं। " बेशक, जिसे खुदा चाहता है बेहिसाब रिज़क देता है।

                     ✍ फुतूहल ग़ैब 48 📚

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      ❝ खैरो शरके बारे में इब्लीसकी गुफ़्तगू ❞
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⚘✧➤ हज़रत मोहियुद्दीन अब्दुल कादर जीलानी  رضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया मैंने ख्वाब में इब्लीस लइनको देखा। मेरे साथ बहोत से लोग थे। मैंने इब्लिस को मार डालने का इरादा किया तो उसने कहा, आप मुझे किस गुनाह के सबब कत्ल करना चाहते है। अगर तकदीर शर (बदी) के साथ जारी होती है तो मेँ इतनी ताकत नहीं रखता के उसे खैरमें तब्दील कर दूं और अगर मुकदरात ये हैं के खैर में सरफराज़ी नसीब हो तो मेँ उसे शरसे बदल देने की कुव्वत नहीं रखता। फिर मेरे इख़्तियार में क्या है?

⚘✧➤ मैंने देखा के मलऊन ने हिजड़ो की सी शकल बना रख्खी है। नरमी से आहिस्ता आहिस्ता बात करता था। चेहरा लम्बूतरा और ठोडी पर थोडेसे बाल थे। सूरत मकरूह और शकल ज़लील थी और ख़ौफ़े ज़िन्दगी की हालत में खिसयाना हो कर हंस रहा था। मैंने ये ख़्वाब 12 ज़िल्हज हिजरी 491 को इतवार के दिन देखा था।

                         ✍ फुतूहल ग़ैब 49 📚

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  ❝ ईमान के दरजे के मुताबिक बला-व-मुसीबत ❞
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                      ❢  हिस्सा - 01  ❢

⚘✧➤ फ़रमाया अल्लाहु तबारक व तआला हंमेशा अपने मोमिन बन्दे के इमान की पुख्तगी के लिहाज़ से आफत और इब्तेलाअ (मुसीबत) मेँ डालता है। जितना किसी मोमिन का इमान कवी (मजबूत) होगा, उतनी ही बड़ी मुसीबत उस पर आएगी। चुनान्चे ईमान के दरजे के एतेबार से देखें तो रसुल की बला नबी की बला से ज़यादा होती है। इसलिये के रसूल का का ईमान नबी के के ईमान से अफज़ल होता है। इसी तरह नबी की मुसीबत अब्दाल की मुसीबत से सख़्त होती है क्यों के अब्दाल के ईमान से नबी का ईमान ज़यादा मज़बूत और तवाना होता है।

                       ✍ फुतूहल ग़ैब 49 - 50 📚

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  ❝ ईमान के दरजे के मुताबिक बला-व-मुसीबत ❞
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                      ❢  हिस्सा - 02  ❢

⚘✧➤ चुनान्चे ईमान के दरजे के एतेबार से देखें तो रसुल की बला नबी की बला से ज़यादा होती है। इसलिये के रसूल का का ईमान नबी के के ईमान से अफज़ल होता है। इसी तरह नबी की मुसीबत अब्दाल की मुसीबत से सख़्त होती है क्यों के अब्दाल के ईमान से नबी का ईमान ज़यादा मज़बूत और तवाना होता है।  फिर एक अब्दाल की इब्तेला (इन्तेहा) वली की इब्तेला से ज़यादा होती है।

⚘✧➤ बिलकुल इसी तरह आफत-व-मुसिबत के दरजों में कमी होती जाती है और मोमिन बन्दा अपने ईमान-व-इकान के मुताबिक इम्तेहान में डाला जाता है और इस बात की बुनियाद सरकारे दो आलम ﷺ  का ये फरमान है के बला-व-इम्तेहान के एतबार से गिरोह अम्बिया और लोगों की बनिस्बत ज़यादा हदफ़ (निशाना) बनते है। अम्बियाके बाद मख्लूक़ पर दरजों के एतेबार से बला का नुज़ूल होता है। इसलिये खुदा तआला ने सादाते-किराम को हंमेशा इम्तेहान-व-इब्तेला में मुब्तेला रख्खा, ईसलिये के वो दाइम (हंमेशा) खुदा तआला के कुर्ब में हुज़ूर की सआदत पाएं और शहूदे हक से दूर न रहें। इसकी वजह ये है के वो अल्लाह के ज़यादा दोस्त और मेहबूब है और मोहिब (महोब्बत करने वाले) के लिये अपने मेहबूब की दूरी काबिले बरदाश्त नहीं होती।

                         ✍ फुतूहल  ग़ैब  50 📚

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  ❝ ईमान के दरजे के मुताबिक बला-व-मुसीबत ❞
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                      ❢  हिस्सा - 03  ❢

⚘✧➤ इब्तेला उनके दिलों को हक की तरफ माइल रखती है और उन्हें खुदा की याद से गाफिल नहीं होने देती इस तरह उनके दिल ख्वाहिशाते नफसानी का घर नहीं बनते और खुदा के सिवा किसी चीज़ की तरफ रागिब और मुतवज्ज़ा नहीं होते। जब उन पर बला का नुज़ूल तसलसल (सिलसिला)-व-तवातुर(लगातार) के साथ होता है। तो उनकी ख्वाहिशात खत्म हो जाती है। उनके नफूश शिकस्त हो जाते है और हकको बातिल से इम्तीयाज़ी शान मिल जाती है।

⚘✧➤ फिर शेहवत, इरादे, लज़्ज़ात की तमन्नाए और दुनिया-व-आखेरत की नेअमतें उनके गोशए नफसमें सिमट आती है और उनके दिल वादए हकसे तमानीयत-व-सुकून, कज़ाए रब्बानी से रज़ा-व-मफाफेकत, अताए इलाही से क़नाअत, इब्तेला-व-आज़माइश पर सब्र-व-रज़ा और ख़ल्कत के शरसे अमन पा लेते है।

⚘✧➤ उनके दिल की शवकत (ताकत) वाजेह हो जाती है और कल्बको तमाम आजा पर हुकूमत हासिल हो जाती है। क्यों के इब्तेला व आज़माइश से दिल मज़बूत, यकीन कवी, ईमान मुस्तहकिम, सब्र कायम और ख्वाहिशात और इरादे सुस्त और कमज़ोर हो जाते है।

                    ✍ फुतूहल  ग़ैब  50 - 51 📚

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  ❝ ईमान के दरजे के मुताबिक बला-व-मुसीबत ❞
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                      ❢  हिस्सा - 04  ❢

⚘✧➤ मोमिन को जब दर्द मिलता है तो उसे सब्र-व-इस्तेक़ामत और फ़ेअले इलाही पर रज़ा-व-तसलीम और शुक्र नसीब होता है। फिर अल्लाह उससे राज़ी हो जाता है और खुदा की तरफ से उसे मज़ीद मदद और तौफिक मिलती है।

⚘✧➤ अल्लाह तबारक व तआला ने फ़रमाया अगर तुम शुक्र गुज़ार हुए तो मेँ तुम्हें ज़्यादा नेअमत अता करूँगा और जब नफ़स सिर्फ हवस के ताबेअ हो जाएगा और महेज़ ख्वाहिशात परस्तार बन जाएगा तो मोमिन अमरे इलाही की मुताबअत (पैरवी) से बहोत दूर जा पड़ेगा और उस पर गफलत छा जाएगी और वो गुनाहों में फस जाएगा।

                      ✍ फुतूहल  ग़ैब  51 📚

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   ❝ ईमान के दरजे के मुताबिक बला-व-मुसीबत ❞
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                      ❢  हिस्सा - 05  ❢

⚘✧➤ अल्लाह तबारक व तआला ने फ़रमाया अगर तुम शुक्र गुज़ार हुए तो मेँ तुम्हें ज़्यादा नेअमत अता करूँगा और जब नफ़स सिर्फ हवस के ताबेअ हो जाएगा और महेज़ ख्वाहिशात परस्तार बन जाएगा तो मोमिन अमरे इलाही की मुताबअत (पैरवी)से बहोत दूर जा पड़ेगा और उस पर गफलत छा जाएगी और वो गुनाहों में फस जाएगा।

⚘✧➤  खुदा तआला जब चाहता है के उसे इस हालत से वापस अपनी तरफ रागिब करे और सिराते मुस्तकीम पर चलाए तो उस पर आफत-व-बलियात (बलाए) नाज़िल कर देता है ताके मोमिन के बातिन की सफाई हो जाए। कोई दफए ख़ुदावन्द करीम की तरफ से ये रहनुमाई इल्हाम या  इलका से होती है और खुदा तआला मोमिनके दिल को अपने अनवार की तजल्लीयात के ज़रिये ख्वाहिशात की खराबीयो और नफस के फितनो से बचाता है, फिर मोमिन को अपने इरफान (पेहचान) से और कुर्ब से मुस्तफीद करता है।

                       ✍ फुतूहल  ग़ैब  51 📚

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❝ ख्वाहिश  के  ज़ेरे  असर  तसर्रुफ़  करना  शिर्क  है। ❞
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                      ❢  हिस्सा - 01  ❢

⚘✧➤ हज़रत मोहियुद्दीन अब्दुल कादर जीलानी  رضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया जो कुछ मिले उसी पर किनाअत करो, हत्ता के नोश्तए तकदीर (किस्मत का लिख्खा) की मईना मुद्त पूरी हो और तुम्हें बेहतरीन और अरफअ मकाम पर फाइज़ किया जाए और तुम्हें मुबारक बाद दी जाए और इसी नफ़ीस मरतबे पर तुम्हें बहार रखते हुए दुनिया व आखेरत की सख्तीयों, बुरे अंजाम और हदसे बढ़े बगैर इसी हाल में तुम्हें हिफाज़त के साथ बाकी रख्खा जाए।

                       ✍ फुतूहल  ग़ैब  52 📚

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❝ ख्वाहिश  के  ज़ेरे  असर  तसर्रुफ़  करना  शिर्क  है। ❞
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                      ❢  हिस्सा - 02  ❢

⚘✧➤ हज़रत मोहियुद्दीन अब्दुल कादर जीलानी  رضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया जो कुछ मिले उसी पर किनाअत करो, हत्ता के नोश्तए तकदीर (किस्मत का लिख्खा) की मईना मुद्त पूरी हो और तुम्हें बेहतरीन और अरफअ मकाम पर फाइज़ किया जाए और तुम्हें मुबारकबाद दी जाए और इसी नफ़ीस मरतबे पर तुम्हें बहार रखते हुए दुनिया व आखेरत की सख्तीयों, बुरे अंजाम और हदसे बढ़े बगैर इसी हाल में तुम्हें हिफाज़त के साथ बाकी रख्खा जाए।

⚘✧➤ फिर तुम्हें इस मन्ज़िल से मज़ीद तरक्की दे कर उस मकाम की तरफ मुन्तक़िल कर दिया जाएगा जो उससे ज़यादा खुशगवार और ज़यादा खुनक (ठंडा) होगा और याद रख्खो के अगर तलब न करोगे तो भी तुम्हारा हिस्सा जाए (बेकार) नहीं होगा और जो शैअ तुम्हारी किस्मत में नहीं वो किसी तलब, कोशिश या लालच से नहीं मिल सकेगी इसलीये सब्र को शआर कर लो और जिस हालत में भी हो उस पर राज़ी रहो और देने-लेने के अमल में अपनी तदबीर से काम न लो।

                         ✍ फुतूहल  ग़ैब  52 📚

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❝ ख्वाहिश  के  ज़ेरे  असर  तसर्रुफ़  करना  शिर्क  है। ❞
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                      ❢  हिस्सा - 03  ❢

⚘✧➤ और जो शैअ तुम्हारी किस्मत में नहीं वो किसी तलब, कोशिश या लालच से नहीं मिल सकेगी इसलीये सब्र को शआर कर लो और जिस हालत में भी हो उस पर राज़ी रहो और देने-लेने के अमल में अपनी तदबीर से काम न लो। हुकमे खुदावन्दी के पाबंद रहो। अपनी किसी हरकत में अपने इरादे को दखल न दो, आराम न लो वरना शामते आमाल से बदतर मखलूक जेसे हो जाओगे। इसलिये के अपनी सई-व-तलब के बाइस तुम अपनी जान पर ज़ुल्म करते हो और ज़ालिम को माफ़ नहीं किया जाता। ख़ुदावन्द तआला ने फ़रमाया के हम ज़ालिमो को बाज़के हवाले कर दिया करते है।

                       ✍ फुतूहल  ग़ैब  52 📚

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❝ ख्वाहिश  के  ज़ेरे  असर  तसर्रुफ़  करना  शिर्क  है। ❞
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                      ❢  हिस्सा - 04  ❢

⚘✧➤ अल्लाह अपने साथ शिर्क करने वाले को माफ़ नहीं करता और मुशरिक के अलावा दूसरे गुनाहगारों मे से जिसे चाहता है माफ़ कर देता है। लेहाज़ा ज़ुरूरी है के शिर्क से बचो। उसके करीब भी न जाओ। सुबह-व-मसा (सुबह-शाम), खिल्वत-व-जिलवत में अपने दिलों को और दूसरे आज़ाअ-व-जवारेह को हर जली-व-ख़फ़ी गुनाह से महफूज़ रख्खो। खुदा से फरार के मुताल्लिक मत सोचो के उसकी पकड से कोई नही बच सकता। न तुम उसकी क़ज़ा से ज़ग़डा कर सकते हो। वो तुम्हारे टुकड़े उड़ा देगा और उसके हुकम पर कोई तोहमत न तराशो के वो ज़िल्लत-व-रुस्वाई हो।

⚘✧➤ तुम्हारा मुकद्दर बना देगा और उससे गफलत न बरतो के वो तुम्हें भूल जाएगा और  उसके घर में कोई नई बात न करो के वो हलाकत में मुब्तेला कर दिये जाओगे और खुदा के दिन में अपने नफ़स के ज़ेरे असर कोई बात न डालो, वो तुम्हारे दिल को तारीक कर देगा और तुम्हें हलाक कर डालेगा और तुम्हारा ईमान -व-मारिफ़त छिन जाएगा और शैतान को, नफस को, शेहवत-व-लिज़्ज़त को तुम्हारे पहले खाना को हमसायों, और साथियों को और सब मखलूके खुदा को तुम पर ग़ालिब कर दिया जाएगा तुम्हारी दुन्यवी ज़िन्दगी तारीक हो जाएगी और आख़िरत मेँ अज़ाब तवील हो जाएगा।

                   ✍ फुतूहल  ग़ैब  53-54 📚

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        ❝ अपनी  किस्मत  पर  शाकिर  रहो ❞
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                      ❢  हिस्सा - 01  ❢

⚘✧➤ हज़रत गौसुलवरा رضي الله تعالي عنهने फरमाया खुदा तआला की नाफ़रमानी से बचना ज़ुरूरी है और दरे इलाही को मज़बूती से पकड़ो।  आजिज़ी के साथ तौबा करो, फर्दतनी (आजिज़ी) के साथ अपनी हाजते पेश करो, निगाह बाअदब रख्खो और न खुदा की मख़लूक़ात की तरफ देखो ना अपनी ख्वाहिश की पैरवी करो, न दिन-व-दुनिया में इबादत का बदला चाहो,न उसकी अताअत बुलन्द मकाम और ऊँचे मरतबे की तमन्ना करो और यकीन करो के तुम उसके बन्दे हो और बन्दे की हर चीज़ अपने आका के लिये होती है, उसका अपना हक किसी शैअ पर नहीं होता।

                     ✍ फुतूहल  ग़ैब  54 📚

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        ❝ अपनी  किस्मत  पर  शाकिर  रहो ❞
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                      ❢  हिस्सा - 02  ❢

⚘✧➤ हज़रत गौसुलवरा رضي الله تعالي عنهने फरमाया अपने मौला के सामने मोअद्दिद ( तहजिब याफता ) रहो और उस पर इत्हाम ( इल्जाम ) न तराशो , उसके यहाँ पर हर चीज अन्दाजे के मुताबिक होती है. वो जिसे मोअखर करे वो मकदम नहीं हो सकता और जिसे मकदम करे उसे मोअखर करने वाला कोई नहीं और तुम्हारे मुकद्दर में जो चीज है वो तुम्हे जल्द मिलकर रहेगी, उसके लीये हिर्स न करो , और जो चीज किसी और के लिए है उसकी ख्वाहिश न करो और उसके न होने पर उजहारे तासुफ़ न  करो।

                     ✍ फुतूहल  ग़ैब  54 📚

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        ❝ अपनी  किस्मत  पर  शाकिर  रहो ❞
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                      ❢  हिस्सा - 03  ❢

⚘✧➤ हज़रत गौसुलवरा رضي الله تعالي عنهने फरमाया जो शैअ ( चीज) तुम्हारे पास नहीं है उसकी दो सूरते है या वो तुम्हारी किस्मत की है या किसी दुसरे के किसमत की है अगर तुम्हारी किस्मत की है तो वो तुम्हे मिल जाएगी ओर तुम खीच कर उसकी तरफ जा पोहचोगे  और अगर किसी  और की किस्मत की है तो तुम उस से और वो तुम से बरगश्ता होगे,फिर वो तुम्हे कैसे मयस्सर होगी चुनांचे तुम्हे जो चीज़ दरकार हो.उसके हुसुल में हुस्ने अदब को मल्हुज़ रख्खो और जिस हालत में हो इसी पर शाकिर रहते हुए एताअते खुदावंदिमे मशरूफ रहना चाहिये

                        ✍ फुतूहल  ग़ैब  54 📚

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        ❝ अपनी  किस्मत  पर  शाकिर  रहो ❞
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                      ❢  हिस्सा - 04  ❢

⚘✧➤ हज़रत गौसुलवरा رضي الله تعالي عنهने फरमाया ना खुदा के सामने से सरको उठाओ , न मासवा अल्लाह की तरफ रुख करो अल्लाह तआला ने फरमाया  हमने दुन्यवी आसाईश की जो चीजे कुफ्फारको दी है उनकी तरफ नज़र भरके न देखो, वो तो हमने उन्हें फितने और इम्तिहान में डालने के लिए दी है और तुम्हारा परवरदिगार जो रिज्क देता है , वोह बेहतर है और बाकि रहने वाला है पस खुदा तआला ने तुम्हे जिस हालत में रखा है उसके अलावा किसी और तरफ देखना तुम्हारे लिए ममनुअ (मना) है उसने तुम्हे अपनी इबादत पर लगा दिया है और तुम्हे ख़बरदार किया है के मासिवामे तुम्हारे लिए फितना है और खुदा ने दुनियाके चाहने वालो को इस फितने में डाल रख्खा है अगर तुम अपने मुकद्दर  पर शाकिर हो तो तुम्हारे लिए ज्यादा पाएदार और मुबारक है और यही बेहतर है इसी को अपना शआर , अपनी आरजुओ का मकसूद -व- मतलूब समाजों इसी तरह तुम ककसुद हासिल कर सकोगे और इसी रस्ते और रफतार से हर मकाम पर तक रसाई हो सकती है इसी से हर नेअमत , हर ताज़गी ,हर खैर –व-बरकत  ओर हर सुरुरकी तरफ रीफअत हासिल की जा सकती है।

                       ✍ फुतूहल  ग़ैब  55 📚

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          ❝ फुकरा  -व-  उमरा  का  बयान ❞
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                      ❢  हिस्सा - 01  ❢

⚘✧➤ हज़रत गौसुलवरा رضي الله تعالي عنهने फरमाया किसी शख्स के तही दस्त, दुनिया और एहले दुनिया का रान्दा हुआ ( धुतकारा हुआ ) , गुमनाम, भूखा - प्यासा , बरहना जिस्म , जिगर , हर गोशऐ जमीन और मस्जिद –व- वीराने में परागन्दा ( परेशान ) रहने वाला , हर दरका ठुकराया हुआ , शिकस्ता कल्ब इन्सान ,ख्वाहिशो और हाजतो से भरे हुए दिल का मालिक हरगिज़ न कहो ये कहो के खुदा तआला ने मुझे फ़क़ीर बनाया है, मुजसे दुनिया को हटा दिया है , मुझे गिरा दिया है , मुझे छोड़ दिया है , मुझे दुश्मन बना कर परेशान कर दिया है, मुझे जमीअते  खातिर की दौलत नाही दी और जिल्लत–व-रुसवाई दे दी गयी है मुझे दुनियामे रहने के काबिल नहीं किया,मुझे गुमनाम किया है ,मेरे नाम को मख्लुकमें और कुन्बे बिरादरी में मक़ाम नहीं बख्सा और दुसरो को नेअमते अता करके इत्मेनान – कल्ब की दौलत दी है और दुसरो को मुज पर और मेरे एहले वतन पर बड़ाई अत की है अगरचे हम सब मुसलमान और मोमिन है , सब आदम-व-हव्वाकी औलाद है।

                         ✍ फुतूहल  ग़ैब  56 📚

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          ❝ फुकरा  -व-  उमरा  का  बयान ❞
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                      ❢  हिस्सा - 02  ❢

⚘✧➤ हज़रत गौसुलवरा رضي الله تعالي عنهने फरमाया खुदा तआला ने  तुम्हारे साथ ये सुलूक क्यों रवा रख्खा है ? इसलिए के तुम्हारा खमीर अच्छी और सख्त मिट्टी से उठा है और तुम्हे अल्लाह तआला की रेहमत से इकान –व – इरफ़ान , सब्रो रजा , इमान और अनवार खुदावन्दी सैराब ( तरो ताजा ) करते है ताज़गी बख्सते है चुनांचे तुम्हारे इमान के दरख़्तकी जड़ मज़बूत है और शाखे बुलन्द होने वाली है और चूंके दरख़्त परवान चढ़ चूका है इसीलिए उसे खाद की ज़रूरत नहीं रही तुम्हारी इस हलाता मे खुदाने तुम्हे फरागत -  व – फुरसत अता करके हमेशा कायम करने वाली जन्नत का मालिक बना दिया है और अपने रहेम-व-करम से तुम्हे वो नेअमते अरजां फरमाई है , जिन्हें न किसीने देखा , न किसी ने सुना और न कोई दिल में उनका तसव्वुर कर सकता है।

                        ✍ फुतूहल  ग़ैब  56 📚

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          ❝ फुकरा  -व-  उमरा  का  बयान ❞
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                      ❢  हिस्सा - 03  ❢

⚘✧➤ हज़रत गौसुलवरा رضي الله تعالي عنهने फरमाया अल्लाह करीम ने फ़रमाया किसी को खबर नहि के उसके आअमाल की जजामे उसकी आँखों की ठंडक के लिए क्या कुछ छुपाया गया है याअनी अवा मरव नवाही की पाबन्दी पर सब्र से काम लिया और अपने तमाम कामो को तकदीरे खुदावन्दिके हवाले करके तस्लीम –व- रजासे काम लिया और तमाम कामो में खुदा के हुक्म की ताअमिल की मगर दुसरो को खुदा तआला ने दुनिया का मालिक बनाया और दुनिया ही में अपनी नेअमते  उन पर तमाम कर दी ये इसलिए किया के उनके इमान की मिटटी पथरीली और शौर थी जिसमे न पानी ठेहरता है, न दरख़्त उगाने की सलाहियत होती है ,न उसमे खेती बाड़ी हो सकती है ,न फुलो के पैड लगते है इस मिट्टी में किस्म-किस्म की खाद के अलावा एसी चीज भी डाली गई जिसके सबब घास-फूस और खुदरव दरख्तो के सिवा कुछ पैदा नहीं होता।

                      ✍ फुतूहल  ग़ैब  57 📚

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          ❝ फुकरा  -व-  उमरा  का  बयान ❞
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                      ❢  हिस्सा - 04  ❢

⚘✧➤ हज़रत गौसुलवरा رضي الله تعالي عنهने फरमाया ये दुनिया और इसके असबाब है ताके ईमान के दरख्त और पौदे जो अल्लाह तआला दिल मे लगाता है उसकी हिफाज़त हो अगर इस ज़मिन में खाद बिलकुल ना डाली जाए तो घास और दरख़्त सुख जाएँगे, फल गिर पड़ेंगे, मुल्क वीरान हो जाएगा हालाके खुदा चाहता है के ये आबाद हो अमिरो के इमान का दरख़्त कमजोर है और इस चिज़से खाली है जिससे फकिरो के इमान का दरख्त भरा हुआ है उमराह्के इमान का दरख़्त दुनिया की किस्म किस्म की नेअमतोकी शकल में है फिर उनकी दरख़्त की कमजोरी के बावजूद ये नेअमते उनसे छीन जाएगी और दरख़्त सुख जायेगा और एहले सरवत काफिरों,मुनकिरो,मुनाफिको,मुरतदोके गिरोह मे शामिल हो जाएँगे हां,अगर अल्लाह तआला मालदारो की  तरफ सब्रो-रजा ,यकीन और इल्म-व्-इरफान के लश्कर भेज दे तो इनका इमान भी मज़बूत हो जाएगा और फिर दौलत व नेअमत के छिनने से उन्हें दुःख नहीं होगा।

                       ✍ फुतूहल  ग़ैब  57 📚

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       ❝ तकरबे इलाहि की मंज़िल का हुसूल ❞
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                      ❢  हिस्सा - 01  ❢

⚘✧➤ हज़रत गौसुलवरा رضي الله تعالي عنهने फरमाया अपने एहवाल को उस वक्त तक परदे में रहने दो जब तक तुम अलाइके-मखलूक से बच कर अपने तमाम एहवाल में उसको छोड़ते हुए अपनी ज़ुरुरातो और ख्वाहिशो को ख़त्म न करो फिर जब तुम्हारे इरादे और आरजुए जाइल हो जाए और तुम दुनिया-व-आखिरत से मकामे फ़ना पा लो, तो ऐसे सुराख वाले बरतन की मानिन्द हो जाओगे जिसमे इरादाए खुदावन्दी के सिवा हर चीज बेह जाएगी इस तरह तुम्हे  नूर से भर दिया जायेगा और तुम्हारे दिल मे सिवाए खुदातआला के कोई दाखिल न हो सकेगा तुम अपने दिल के निगेहबान और दरबान(चोकीदार) बन जाओगे और तौहीद,अज़मत और जबरूत (कुदरत) की तलवार से नवाजे जाओगे, ताके जब तुम्हारे सीने से कोई ख्वाहिस उठकर दिल के दरवाजे के करीब फटके,तुम उसका सर गरदन से उडा दो इस सुरत मे तुम्हारी कोई ख्वाहिश , दुनिया-व-आखेरत की कई तमन्ना और कोई इरादा तुम्हारे सामने सर न उठा सकेगा, कोई बात तुम्हारे कानो को भली मालुम न होगी और खुदातआला के अलावा किसी का हुकम तुम्हारे लिए पेरवी के काबिल न रहेगा

               ✍  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  58  📚

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       ❝ तकरबे इलाहि की मंज़िल का हुसूल ❞
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                      ❢  हिस्सा - 03  ❢

⚘✧➤ जब ये हालत होगी तो सब लोगोँ के ज़रर (नुकसान) से और लोगोँ के जौक-दर-जौक तुम्हारे पास आने के बाइस और इन सब में तुम्हारे मकबूल-व-महमूद हो जाने की वजह से तुम में खुद बीनी का फ़ख्र और बड़ाई पैदा होने के खतरे से तुम्हें महफूज़-व-मामून कर दिया जाएगा।

⚘✧➤ इसी तरह अगर कोई खूबसूरत बीवी तुम्हारी किस्मत में है तो उसकी कफ़ालत(ज़मानत-ज़िम्मेदारी)के लिये तुम्हें बहोत कुछ अता कर दिया जाएगा और उसके अपने और उसके रिश्तेदारों की तरफ से तुम्हें किसी शरारत का खदशा नहीं होना चाहिये। तुम्हें खैरो-बरकत वाली नेअमतें अता होंगी जिनमे कशाफतका शाएबा(शक) तक न होगा। तुम्हारी बीवी किफायत करने वाली, मुबारक, मवाफ़िक और  फरमाबरदार होगी और उसमें खबासत (बुराई), दगा, कीना, गुस्सा और चुगली करनेकी आदत नही होगी वो और उसके आअजा-व-अकरेबा(रिस्तेदार) तुम्हारे ताबेअ होंगे।

⚘✧➤ उस औरत के बाइस तुमसे मइशत (रोज़ी) की तंगी और अज़ीयत दूर हो जाएगी और अगर मुकद्दर में उसका बेटा लिखा है तो वो सालेह और तुम्हारे लिये खुशखबरीयां लाने वाला होगा।

              ✍  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  59-60  📚

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       ❝ तकरबे इलाहि की मंज़िल का हुसूल ❞
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                      ❢  हिस्सा - 04  ❢

⚘✧➤ अल्लाह करीम ने हज़रत ज़करिया अलैहिस्सलाम के मुताल्लिक फ़रमाया के, "हमने उनकी बीवी को उनके लिये नेक बनाया।" एक और जगह नेक लोगोँ की दुआ का बयान फ़रमाया "अय अल्लाह हमारी बीवियों और औलाद को हमारी आँखों की ठंडक बना और औलाद को इमामुल अत्किया बना।

⚘✧➤  हज़रत ज़करिया अलैहिस्सलाम ने दुआ की के, परवरदिगार मेरे फ़रज़न्द को अपना मेहबूब बना ले। इन आयतों के साथ दुआ की जाए या नहीं इनमें अज़खुद वो दुआऐं है, जिनसे मकबूलियत-व-अजाबात ज़ुरूरी है। चुनान्चे जो भी नेअमतो का सज़ावार होगा, उसी को ये इनायत की जाएगी और जो कुर्ब व फ़ज़ल के मकाम पर फाइज़ होगा, वही अहल (मालिक) कहलाएगा।

                  ✍  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  60  📚

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       ❝ तकरबे इलाहि की मंज़िल का हुसूल ❞
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                      ❢  हिस्सा - 05  ❢

⚘✧➤ इसी तरह दुनिया की जो चीज़ तुम्हारे मुकद्दर में होगी, वो भी नुकशान नहीँ पहोंचाएगी क्यों के वो किस्मत में थी और ज़ुरूर मिलनी थी और खुदा के फेअल, इरादे और हुकम से अता होनी थी और हुकमे इलाही बजा लाने पर ईसी तरह सवाब पाओगें जिस तरह नमाज़, रोज़े की अदाई पर मिलता है और जो चीज़ किस्मत में न हो, उसको हाज़त मन्दों, दोस्तों, अज़ीज़ों, भाइयों, फ़क़ीरों और ज़कात के मुस्तहिकों पर खर्च कर देना चाहिये। फिर तुम पर हालात मुन्कशिफ कर दिये जाएंगे और उनमें तुम तफरीक (अलयदिगि)-व-तमीज़ कर सकोगे। इसी तरह जिस तरह सुनी हुई बात देखी हुई की मानिंद नहीं होती।

                  ✍  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  60  📚

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       ❝ तकरबे इलाहि की मंज़िल का हुसूल ❞
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                      ❢  हिस्सा - 06  ❢

⚘✧➤ फराइज़की बजाआवरी पर तुम्हारी हालत साफ़, पाकिजा और रोशन हो जाऐगी जिस पर कोई गर्दे कुदरत (रंजिश) न होगी, ना उसमें इख़्तेलात-व-इल्तेबास (हमशकल) और रश्क-शुबे की गुंजाइश होगी। पस तुम्हारे लिये ज़ुरूरी है के सब्रो-रज़ा, हाल की हिफाज़त, गुमनामी, नरमी और खामोशी को अपने ऊपर वारिद कर लो, दुनिया से भागो, अलाइके दुनिया से परहेज़ करो, खुदा से डरो, सरको झुकाओ, निगाहें नीची करो, हया को शआर कर लो हत्ता के वक़्ते मुकर्ररा आ जाए। फिर तुम्हारी दस्तगीरी की जाएगी। तुम्हें आगे बढ़ाया जाएगा। तुम पर कोई सख्ती या बोज़ न होगा।

                     ✍  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  61 📚

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       ❝ तकरबे इलाहि की मंज़िल का हुसूल ❞
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                      ❢  हिस्सा - 07  ❢

⚘✧➤ फराइज़ की बजाआवरी पर तुम्हारी हालत साफ़, पाकिजा और रोशन हो जाऐगी जिस पर कोई गर्दे कुदरत (रंजिश) न होगी, ना उसमें इख़्तेलात-व-इल्तेबास (हमशकल) और रश्क-शुबे की गुंजाइश होगी। पस तुम्हारे लिये ज़ुरूरी है के सब्रो-रज़ा, हाल की हिफाज़त, गुम नामी, नरमी और खामोशी को अपने ऊपर वारिद कर लो, दुनिया से भागो, अलाइके दुनिया से परहेज़ करो, खुदा से डरो, सर को झुकाओ, निगाहें नीची करो, हया को शआर कर लो हत्ता के वक़्ते मुकर्ररा आ जाए। फिर तुम्हारी दस्तगीरी की जाएगी। तुम्हें आगे बढ़ाया जाएगा। तुम पर कोई सख्ती या बोज़ न होगा।

⚘✧➤  एहसान, रहमत और फ़ज़ाईल-व-कमालात के बहरे ज़ख्खार (लम्बा चौड़ा समन्दर) में गौता देकर तुम्हें अन्वार-व-असरार का मलबूस (लेबास) ज़ेबेतन कराया जाएगा और उलूमे लदुन्नीया से फ़ैज़याब कर के मुक़र्रबे (करीब किया गया) बारगाहे इलाही बना दिये जाओगे। तुम कलामे खुदावन्दी से मस्तफीद होगे, बेनियाज़, साहबे ईस्तेगना, दिलेर और निडर बना दिये जाओगे, तुम्हारा मरतबा बुलन्द होगा और तुम्हें इस तरह खिताब किया जाएगा के बेशक आज तुम हमारी बारगाह के मुक़र्रब हो, मकीन (मकान में रेहने वाले) हो और अमीन (ईमानदार) हो।

                  ✍  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  61 📚

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       ❝ तकरबे इलाहि की मंज़िल का हुसूल ❞
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                      ❢  हिस्सा - 08  ❢

⚘✧➤ उस वक़्त तुम हज़रत यूसुफ सिद्दीक अलैहिस्सलाम के हाल पर कयास करना। उन्हें शाहे मिसर और फिरओन ने यही कहा था। बज़ाहिर ये बादशाह ने कहा था लेकिन हकीकत में ये बात खुदा तआला की थी। हज़रत यूसुफ को बज़ाहिर मिसर की बादशाहत मिली थी लेकिन हकीकतन आसमाने नफ़स, अक्लीमे-इल्म, मुल्के करबत-व-खुसूसियत और रफीअ मरातिब की बातिनी सल्तनत उन्हें सोंप दी गई थी।

⚘✧➤ खुद बारी तआला ने इरशाद फ़रमाया "हमने हज़रत युसूफ को जमीने मिसर में कुदरत अता कर दी के जहां जी चाहे क़याम करें।" इसी तरह खुदा तआला ममलेकते नफ़स के बारे में फ़रमाया हमने युसूफ को साबित और कायम रख्खा ताके हम हर बुराई और तमाम हवाहिश (बुरे काम) से उनको बचा लें।

                 ✍  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  61 📚

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       ❝ तकरबे इलाहि की मंज़िल का हुसूल ❞
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                      ❢  हिस्सा - 09  ❢

⚘✧➤ बिलाशुबा वो हमारे मुखलिस बन्दो में से है। हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम ने अपने इल्म व मअरिफत के बारे में कहा मुझे वही इल्म है जो मेरे रबने मुज़े सिखाया है और मैंने उस क़ौमका रास्ता छोड़ दिया है जो खुदा पर इमान नहीं रखती।

⚘✧➤ लेहाज़ा जब तुमसे इस तरह बात की जाएगी तो तुम्हें इल्म का बड़ा हिस्सा अता फरमा दिया जाएगा और तौफिक-व-एहसान और वलायत-व-एहसान और वलायत-व-कुदरत और जानदार और बेजान सब चीज़ों पर तुम्हारा हुकम जारी हो जाएगा और इस हैसियत पर तुम्हें मुबारकबाद दी जाएगी और हुकमे परवर दिगार आलम से आखेरतसे पहले दुनियाही में अदम से वजूदमे लाने वाली कुदरत तुम्हें अता कर दी जाएगी और आख़िरत में दारूलसलाम और जन्नत आला मिले तो बड़े एहसान पर अपने रब्बे अकरम की तरफ ही नज़र रेहनी चाहिये और दिदारे खुदावन्दी ही ऐसी तमन्ना है जिसकी कोई गायत (मतलब) या इन्तेहा नहीं है।

               ✍  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  61-62 📚

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            ❝ खैर - व- शर  की  असलियत ❞
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                      ❢  हिस्सा - 01  ❢

⚘✧➤ महबूबे सुब्हानी गौषे समदानी हज़रत शैख़ अब्दुल कादर जीलानी  رضي الله تعالي عنهने फ़रमाया खैर-व-शर (भलाई और बुराई) एक ही दरख्त की दो शाखों का समर (फल) है। एक शाख के फल मीठे होते है और दुसरे के कड़वे। इसलिये उन शहरों, मुल्को और ज़मीनो के उन गोशों को छोड़ दो जहाँ इस दरख्त के कड़वे फल पहोंचते है। ऐसी जगहों और वहाँ के बासीओ से दूर हो जाओ और दरख्त की कुरबत और निगेहबानी के दोनों तरह के फलों को अच्छी तरह पहचान कर वो पहलू इख़्तियार करो जिस तरह का फल शीरीं (मीठा) है ताके तुम्हारी ग़िज़ा वही समरे शीरीं बन जाए।

                    ✍  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  62 📚

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           ❝ खैर - व- शर  की  असलियत ❞
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                      ❢  हिस्सा - 02  ❢

⚘✧➤ दूसरी शाख और उसके तल्ख समर (कड़वे फल) से मुजतनिब रहो क्यों के उसकी तल्खी हलाकत आफ़रीं है। जब तुमने हंमेशा के लिये यही तरीका इख़्तियार कर लिया तो मसर्रत और तमाम आफ़त-व-बलियात (बलाओं से) अमन-व-सलामती पा लोगे।
   
⚘✧➤ अगर तुमने इस दरख्तसे दुरी इख़्तियार की और इधर-उधर फिरते रहे फिर तुम्हें एसे फल दिखाई दिये जिनका मीठा या कड़वा होना ज़ाहिर नहीं और तुमने उसमें से कोई फल हासिल कर लिया और मुंह के करीब ले आए तो हो सकता है वो फल कड़वा हो और अगर तुमने उस फलमें से कुछ खा लिया या चबा लिया और तुम्हारे हल्क और नाक और दिमाग में उसकी तल्खी महसूस हुई।

⚘✧➤ तो इसके नतीजे में तुम उससे मुतास्सिर हो जाओगे और तुम्हारे ज़िस्म में वो कड़वाहट-रच बस कर तुम्हें हलाक कर देगी। फिर अगर तुम फलका बाकी हिस्सा उगल दो और मुंहको साफ़ करो तो भी कुछ फायदा न होगा और उसका असर तुम्हारे जिस्म से दूर न होगा।

              ✍  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  62-63 📚

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             ❝ खैर - व- शर  की  असलियत ❞
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                      ❢  हिस्सा - 03  ❢

⚘✧➤ अगर तुम आगाज़ ही में समरे शीरीं तनावुल (खाना खाया) करो और तुम्हारे बदन में उसकी मीफाश रच गई और तुमने उससे नफाअ मसर्रत हासिल कर ली तो तुम्हारा सिर्फ एक बार का ये फल खाना काफी नहीं। तुम्हें इस फल को दुबारा खाना होगा। फिर भी ज़ुरूरी नहीं के किसी वक़्त तल्ख फल हाथ न आ जाए। क्यों के दोनों इखट्टे थे। इसलिये बेहतरी दरख्त से दूर रहने और मीठे फल की पहचान न होने में नहीं है बल्के सलामती इसी में है के दरख़्त की कुरबत इख़्तियार की जाए और इस कुरबत पर कायम रहा जाए।

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          ❝ खैर - व- शर  की  असलियत ❞
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                      ❢  हिस्सा - 04  ❢

⚘✧➤ अगर तुम आगाज़ ही में समरे शीरीं तनावुल (खाना खाया) करो और तुम्हारे बदन में उसकी मीफाश रच गई और तुमने उससे नफाअ मसर्रत हासिल कर ली तो तुम्हारा सिर्फ एक बार का ये फल खाना काफी नहीं। तुम्हें इस फल को दुबारा खाना होगा। फिर भी ज़ुरूरी नहीं के किसी वक़्त तल्ख फल हाथ न आ जाए। क्यों के दोनों इखट्टे थे। इसलिये बेहतरी दरख्त से दूर रहने और मीठे फल की पहचान न होने में नहीं है बल्के सलामती इसी में है के दरख़्त की कुरबत इख़्तियार की जाए और इस कुरबत पर कायम रहा जाए।

⚘✧➤ वाज़ह हुआ के खैर और शर अल्लाहु तबारक-व-तआला का फैल है, दोनों को जारी करने और फैलाने वाला वही है।

⚘✧➤ अल्लाह ने फ़रमाया है। अल्लाह ने तुम्हें और तुम्हारे आअमाल को पैदा किया है और हुज़ूर पुरनूर ﷺ ने फ़रमाया ज़ुबह करने वाले और ज़ुबह होने वाले को खुदा ही ने पैदा किया है और बन्दों के आअमाल भी इसी के पैदा किये हुए है। बन्दे तो इन आमाल के कासिब (हासिल करने वाले) हैं।" इर्शादे खुदावन्दी है "तुम अपने आमाल की जज़ा में दाखिले बहश्त हो जाओ।

               ✍  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  63-64 📚

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          ❝ खैर - व- शर  की  असलियत ❞
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                      ❢  हिस्सा - 05  ❢

⚘✧➤ वाज़ेह हुआ के खैर और शर अल्लाहु तबारक-व-तआला का फैल है, दोनों को जारी करने और फैलाने वाला वही है। अल्लाह ने फ़रमाया है। अल्लाह ने तुम्हें और तुम्हारे आअमाल को पैदा किया है और हुज़ूर पुरनूर ﷺ ने फ़रमाया "ज़ुबह करने वाले और ज़ुबह होने वाले को खुदा ही ने पैदा किया है और बन्दों के आमाल भी इसी के पैदा किये हुए है। बन्दे तो इन आअमाल के कासिब (हासिल करने वाले) हैं।" इर्शादे खुदावन्दी है। "तुम आपने आअमाल की जज़ामें दाखिले बहेश्त हो जाओ।

⚘✧➤ *सुब्हानअल्लाह* ये खुदा तआला का इनाम और उसकी रेहमत है के उसने आमाल की निस्बत बन्दों की तरफ फ़रमाई और उसकी वजह से उन्हें जन्नत के काबिल बनाया और  अमल की तौफिक भी तो इसी की रहमत से है।

⚘✧➤ हज़रत आयशा रदिअल्लाहु अन्हा से मारवी है के, आका हुज़ूर ﷺने फ़रमाया "कोई शख्स अपने अमल की वज़ह से दाखिले जन्नत न होगा । पूछा गया आप भी नही? फ़रमाया नहीं, सिर्फ अल्लाह की रहमत के साए के सबब ऐसा होगा।

                 ✍  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  64 📚

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          ❝ खैर - व- शर  की  असलियत ❞
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                      ❢  हिस्सा - 06  ❢

⚘✧➤ जब तुम इताअते ख़ुदावन्दी और क़ज़ा-व-कद्र की एहमियत को तस्लीम कर लो तो अल्लाह तुम्हें शरसे मेहफ़ूज़ रख्खेगा और खैर के ज़रीये तुम पर अपना फ़ज़ल फ़रमाएगा और दीन-व-दुनिया में हर बुराइ से बचने की तौफिक मरहमत (महेरबानी) करेगा। उखरवी (आख़ेरत की बाबात) बुराइ से हिफाज़त के मुताल्लिक  फरमाने इलाही है "हमने बुराई और फहाशी (बेहयाइ की बातों)से हज़रत युसूफ अलयहिस्सलाम को बचा लिया क्यों के वो हमारे मुखलिस बन्दों मे से हेँ।

⚘✧➤ दुन्यवी बुराई के मुताल्लिक इरशाद है-अगर तुम मोमिन और शुक्रगुज़ार बन्दे हो तो तुम्हें अल्लाह क्यों अज़ाब में गिरफ्तार करेगा। चुनान्चे मोमिन और शाकिर इंसान को शर से कोई खतरा नहीं। क्यों के ऐसा शख्स बला से दूर और आफ़ियत-व-तमानियत के नज़दीक है क्यों के वो शुक्रगुज़ार की वज़ह से जयादती नेअमत के मकाम में है। ख़ूदा तआला फरमाता है-अगर तुम शुक्र करोगे तो तुम्हें ज़यादा दिया जाएगा।

                   ✍  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  64 📚

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            ❝ खैर - व- शर  की  असलियत ❞
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                      ❢  हिस्सा - 07  ❢

⚘✧➤ जब तुम्हारा नुरे इमान इस आग को सर्द कर सकता है जो हर गुनाहगार को आखिरत में मिलती है , तो दुनिया मे आतिशे बला को क्यों न बजाया जायेगा अलबत्ता खुदा के बरगुज़िदा बन्दों और साहबाने जज़ब और एहले मोहब्बत की बात दूसरी है क्योके इसके लिए बलाए जुरुरी होती है ताके उनके ज़रिये उन्हें ख्वाहिसाते नफसानी और मिलानाते तबियत और लज्जात व शेह्वत से पाक कर दिया जाये।

                 ✍  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  64-65 📚

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          ❝ खैर - व- शर  की  असलियत ❞
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                      ❢  हिस्सा - 08  ❢

⚘✧➤ बलाओं से उनमे ये खासियते पैदा कर दी जाती है खल्कत के करीब रहना पसंद नहीं करते इससे वो सुकून व रहत और तमानियत व आफियत महसूस नहीं करते चुनांचे ऐसे बन्दे से सब खराबिया जजाइल करके उसका दिल पाक साफ करने के लिए उसे बलाओ मे मुब्तेला कर दिया जाता है फिर उसके लिए खुदा की वहदानियत ,  उसकी मअरिफत , उसकी कुरबत के अनवार और उलूम तर रसाइ का मक़ाम खास कर दिया जाता है इसलिए के मकाने कल्ब मे दो मकिनो (मकान में रहने वालो ) की गूंजाइस नहीं होती और खुदा ने किसी के सीने मे दो दिल नहीं बनाए।

               ✍  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  64-65 📚

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            ❝ खैर - व- शर  की  असलियत ❞
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                      ❢  हिस्सा - 09  ❢

⚘✧➤ सलातीन (कई सुलतान) जब किसी बस्ती में दाखिल होते है तो उसको खराब करते है, वहा के बासियों को ज़लील करते है और अच्छे मकानों और सुथरी ज़िन्दगी से उन्हें निकाल बहार करते है। इसी तरह दिल पर शैतान की ख्वाहिशाते नफ़स की हुकमरानी हो और उनके ज़ेरे असर आअज़ाए जिस्म तरह तरह की बुराइयों, गुमरहियों और मअसीयतों के मूरतकिब (मुजरिम) होते हों।

⚘✧➤ और फिर वो हुकूमत खत्म हो जाए। आअज़ा-व-जवारह सुकून पाएं। दिल का शाही महल खाली हो और सीने का सहन पाक-साफ़ हो जाए तो गोया कल्ब तौहीद-व-मारिफ़त और इल्म के लिये तैयार हो गया और सीना अजाएबाते गैबी और वारदात के नुज़ूल का मकाम बन गया और ये सब कुछ बलाओंके नुज़ूल के सबब है।

                  ✍  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  65 📚

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          ❝ खैर - व- शर  की  असलियत ❞
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                      ❢  हिस्सा - 10  ❢

⚘✧➤ सरवरे काएनात अलयहिस्सलाम ने फ़रमाया "बलाओंके एतबार से हम अम्बिया दूसरे आदमियों से ज़यादा सख्त है।" जो शख्स बादशाह से ज़यादा करीब हो, उसके लिये खतरात और खौफ-व-अजर के मकामात ज़यादा होते हे। इसलिये के वो बादशाह की निगाह में होता है और उसकी तमाम बातें और तमाम काम बादशाह पे ज़ाहिर होते है।

⚘✧➤ अगर कोई ये कहे के खुदा तआला के नज़दीक तमाम आदमी बराबर है और उसकी निगाह से तो कोई शैअ भी छुपी हुई नहीं है तो उसे ये मालूम होना चाहिये के जो शख्स मकरबे बारगाहे खुदावन्दी हो जाए और उसकी कद्रो मंज़िलत बढ़ जाए तो उसके लिये खतरात भी बढ़ जाते है क्यों के नेअमते खुदावन्दी पर खुदा शुक्र करना सबसे ज़यादा उस पर वाजिब हो जाता है।

                  ✍  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  66 📚

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            ❝ खैर - व- शर  की  असलियत ❞
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                      ❢  हिस्सा - 11  ❢

⚘✧➤ अगर कोई ये कहे के खुदा तआला के नज़दीक तमाम आदमी बराबर है और उसकी निगाह से तो कोई शैअ भी छुपी हुई नहीं है तो उसे ये मालूम होना चाहिये के जो शख्स मकरबे बारगाहे खुदावन्दी हो जाए और उसकी कद्रो मंज़िलत बढ़ जाए तो उसके लिये खतरात भी बढ़ जाते है क्यों के नेअमते खुदावन्दी पर खुदा शुक्र करना सबसे ज़यादा उस पर वाजिब हो जाता है और इताअते खुदावन्दी में झरासी बेऐहतियाती और शुक्र गुझारी में अदना अदम तवज्जही और कोताही बडा कुसूर मन्सूर होता है।  खुदावन्द करीमने फरमाया "अय नबी की बीवीयो तुममें से जो खुली नाफरमानी करेगी, उसे ओरों से दुगना अज़ाब दीया जाऐगा।

          ✍  फुतूहल  ग़ैब  सफ़ह  66 📚

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           ❝ खैर - व- शर  की  असलियत ❞
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                      ❢  हिस्सा - 12  ❢

⚘✧➤ खुदावन्द करीम ने फरमाया अय नबी की बीवीयो तुम में से जो खुली नाफरमानी करेगी, उसे ओरों से दुगना अज़ाब दीया जाऐगा।

⚘✧➤ हुज़ूर अज़वाजे महेरात से कहना इसलिये था के उन पर मईयत (हमराही)-व-कुरबते नबवी की वजह से नेअमतों का अतमाम हो गया था। चुनान्चे इसी से इस बन्दे का हाल समझ लो जो ख़ालिक़े हकीकी के करीब हुआ। अल्लाह तआला को अपनी मखलूक के साथ तश्बीह दी नहीं जा सकती। कोई चीज़ उस जैसी नहीं, और वो समीअ (सुनने वाला)-व-बसीर (देखने वाला) है।

                  ✍  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  66 📚

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❝ मंज़िले कर्ब के लिये सब्रो तहम्मुल से काम लो, उजलत से नहीं ❞
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                      ❢  हिस्सा - 01  ❢

⚘✧➤ हज़रत गौसुल आज़म رضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया कया तुम नफ़स कशी और दुनिया-व-आख़ेरत के सिलसिले में अपनी ख्वाहिशों को पिघलाने वाली भट्टी में पड़े होने के बावजूद और उसके बाद के ये चीज़े अभी तुम से ज़ाइल नहीं हुई, ये चाहते हो के तुम्हे राहत-व-सुरूर, मसर्रत-व-इब्तहाज (ख़ुशी), अमन-व-सुकून और नाज़ो नेअमत मयस्सर आए।

⚘✧➤  तुम्हें इस हालत में जल्दबाज़ी से काम ना लेना चाहिये। क्यों के जब तक ख्वाहिशाते नफ़स का ज़र्रा-ज़र्रा ज़ाइल ना हो जाएगा, तुम पर मसर्रते-दाएमी के दरवाजे ना खुलेंगे क्योंके मकातिब गुलाम जब ही रहा हो सकता है जब उसके ज़िम्मे तमाम रकम अदा हो जाए।

                  ✍  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  67 📚

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❝ मंज़िले कर्ब के लिये सब्रो तहम्मुल से काम लो, उजलत से नहीं ❞
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                      ❢  हिस्सा - 02  ❢

⚘✧➤ हज़रत गौसुल आज़म رضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया कया तुम नफ़स कशी और दुनिया-व-आख़ेरत के सिलसिले में अपनी ख्वाहिशों को पिघलाने वाली भट्टी में पड़े होने के बावजूद और उसके बाद के ये चीज़े अभी तुम से ज़ाइल नहीं हुई, ये चाहते हो के तुम्हे राहत-व-सुरूर, मसर्रत-व-इब्तहाज (ख़ुशी), अमन-व-सुकून और नाज़ो नेअमत मयस्सर आए। तुम्हें इस हालत में जल्दबाज़ी से काम ना लेना चाहिये। क्यों के जब तक ख्वाहिशाते नफ़स का ज़र्रा-ज़र्रा ज़ाइल ना हो जाएगा, तुम पर मसर्रते-दाएमी के दरवाजे ना खुलेंगे क्योंके मकातिब गुलाम जब ही रेहा हो सकता है जब उसके ज़िम्मे तमाम रकम अदा हो जाए।

⚘✧➤  इसलिये तुम में जब तक खजूर की गुठली चूसने के बराबर भी तलबे दुनिया बाकी होगी, कर्बे खुदावन्दी की मन्ज़िल ना पा सकोगे और दुनिया की ख्वाहिश-व-तलब या किसी दुन्यवी या ऊखरवी (आख़ेरत की बाबत) मआवज़े की हल्की सी तमन्ना भी तुम्हारे दिल में बाकी होगी तो तुम मक़ामे फना के दरवाज़े ही पर रहोगे, मक़ामे फनाका हुसूल तुम्हारे लिये मुमकिन नहीं।

⚘✧➤ चुनान्चे जब तक तुम भट्टी में से पाक हो कर ना निकलआओ और हर कसोटी पर खरा सोना ना साबित हो जाओ और मुकम्मल तौर पर फनाइयत का मकाम ना पा लो, उस वक़्त तक सब्र से काम लो।

                 ✍  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  67 📚

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❝ मंज़िले कर्ब के लिये सब्रो तहम्मुल से काम लो, उजलत से नहीं ❞
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                      ❢  हिस्सा - 03  ❢

⚘✧➤ चुनान्चे जब तक तुम भट्टी में से पाक हो कर ना निकल आओ और हर कसोटी पर खरा सोना ना साबित हो जाओ और मुकम्मल तौर पर फनाइयत का मकाम ना पा लो, उस वक़्त तक सब्र से काम लो।

⚘✧➤ मक़ामे फना तक रसाइ के बाद तुम्हें अच्छे लिबास से मुरस्साअ (मोती या जवाहेरात का जड़ा हुआ) और दीदऐ ज़ैब ज़ेवर से मुज़य्यन (सजाया हुआ) करके खुश्बूओँ में बसाकर सबसे बड़े बादशाह के हुज़ूर पहोंचा दिया जाएगया और तुम्हें निदा (आवाज़) दी जाएगी के- आज तुम अमीन बन कर हमारे पास रहोगे।

⚘✧➤ फिर तुम पर अल्ताफ-व-इकराम होगा। कर्बे खुदावन्दी की लिज़्ज़त पाओगे और तुम्हें ऐसी दौलत दी जाएगी के हर चीज़ से मुस्तगनी (बेपरवाह-दौलतमंद) हो जाओगे।

               ✍  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  67-68 📚

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❝ मंज़िले कर्ब के लिये सब्रो तहम्मुल से काम लो, उजलत से नहीं ❞
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                      ❢  हिस्सा - 04  ❢

⚘✧➤ क्या तुमने सोने के वो बिखरे हुए टुकड़े देखे है, जो अत्तारो, बकालोँ, कसाबों, चमडा साफ़ करने तेल बेचने वालों, ज़ाडू देने वालों और दूसरे लोगों के हाथों में सुबह से शाम तक गर्दिश करते रहते है। फिर उन्हें जमा करके सुनार की भट्टी में पिघला दिया जाता है, वो नर हो कर अपनी हइयत (शकल) तबदील कर लेते है। नए ज़ेवरात में ढलते है और उन्हें जिला (चमक) दी जाती है, खुश्बू में बसाया जाता है और आला-व-मेहफ़ूज़ मकामात पर मुकफ्फिल (ताला दिए हुए) खज़ानों और मेहफ़ूज़ सन्दूकों में बन्द कर दिया जाता है।

⚘✧➤ वो दुल्हनों को पहनाए जाते है और उन्हें इन ज़ेवरात से संवारा जाता है और कभी वो दुल्हन बादशह की मलेका बन जाती है और उसके साथ सोने के वो टुकडे बादशाह के करीब या उसकी मजलिस में पहोंच जाते है।

⚘✧➤ लेकिन बादशाह तक पहोंचने के लिये शर्त यही है के सोने गंदे-मंदे टुकड़े भट्टी में पिघल कर नरम होकर, ज़वेरात की शकल इख्तियार कर लें।

                  ✍  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  68 📚

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❝ मंज़िले कर्ब के लिये सब्रो तहम्मुल से काम लो, उजलत से नहीं ❞
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                      ❢  हिस्सा - 05  ❢

⚘✧➤ बादशाह तक पहोंचने के लिये शर्त यही है के सोने गंदे-मंदे टुकड़े भट्टी में पिघल कर नरम होकर, ज़वेरात की शकल इख्तियार कर लें।

⚘✧➤ इस तरह अय एहले ईमान ! तुम क़ज़ा-व-कद्र के अजरा पर साबिर होकर फैसलों पर राज़ी हो जाओ तो तुम्हें अपने परवरदिगार से इतनी कुरबत हासिल हो जाएगी के दुनिया ही में इल्म-व-इरफ़ान की दौलत बहेरअंदोज़ कर दिये जाओगे। और आख़िरत में भी तुम्हारा मसकन (मकान) वो दारुस्सलाम बनेगा जहां, अम्बिया, सिद्दीकैन, शोहदा और सालेहीन की हमराही पाओगे और कुर्बे इलाही से सरफराज़ किये जाओगे।

⚘✧➤ चुनान्चे उजलत से काम न लो। सब्रो तहम्मुल को इख़्तियार करो, क़ज़ा-व-कद्र से राज़ी हो जाओ। ख़ूदा तआला पर इत्हाम (तोहमत) न तराशो। इस तरह अफू (माफ़ी) की खुन्कि, मारिफ़त के तलत्तुफ (महेरबानी), खुदा के इकराम के साए और उसके एहसान की हलावत से फ़ैज़याब हो सकोगे।

             ✍  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  68-69 📚

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❝ फुक्रो-फाका कुफ्र के करीब क्यों पहोंचाता है? ❞
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                      ❢  हिस्सा - 01  ❢

⚘✧➤ हज़रत गौसुल आज़म رضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया रसूले पाक ﷺ   का ईर्शाद है के भूक इंसान को कुफ़्र के करीब पहोंचा सकती है और जब आदमी खुदा तआला पर इमान ले आए और अपने तमाम उमूर को उसके सुपुर्द करके ये यकीन कर ले के रिज़ककी हर सहूलत इसी के कब्ज़ए कुदरत में है और ये एअतेक़ाद रख्खे के जो शैअ उसे मिली है वो हर हालमें मिलनी थी और जो नहीं मिली, वो मिलने का कोई ईमकान न था।

⚘✧➤ और बन्दए मोमिन खुदा तआला के इस इर्शाद पर भी यकीन रखता है के-अल्लाह से डरने वाले लिये अल्लाह खुद राहें पैदा करता है और वो जिस जगह चाहता है उसे रिज़क अता करता और अल्लाह पर एतेकाद करने वाले को अल्लाह बहोत काफी है।

                ✍  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  69 📚

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❝ फुक्रो-फाका कुफ्र के करीब क्यों पहोंचाता है? ❞
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                      ❢  हिस्सा - 02  ❢

 ⚘✧➤ अल्लाह से डरने वाले के लिये अल्लाह खुद राहें पैदा करता है और वो जिस जगह चाहता है उसे रिज़क अता करता और अल्लाह पर एतेकाद करने वाले को अल्लाह बहोत काफी है।

⚘✧➤ चुनान्चे खुदा के इस इर्शाद पर पुख्ता यकीन बन्दए मोमिन को आफ़ियत-व-इस्तेगना (बेफिकरी) की दौलत से  नवाज़ता है लेकिन जब अल्लाह तआला उसे फक्र-व-फाका और बला में मुब्तेला कर देता तो वो गरया वज़ारी (कोहराम) करता है, खुदा के सामने सवाल करने लगता है। लेकिन जब इस पर भी उसकी आज़माइश जारी रहती है तो वो मज़कूरा बाला हदीसे पाक का मिसकाद (सच्चाई साबित करने वाला) बन जाता है के , "करीब है के फुक्र कुफ़्र का सबब बन जाए।

                 ✍  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  69 📚

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❝ फुक्रो-फाका कुफ्र के करीब क्यों पहोंचाता है? ❞
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                      ❢  हिस्सा - 03  ❢

 ⚘✧➤ मगर जब अल्लाह तआला किसी पर मेहरबान हो जाता है तो उसकी इब्तेला-व-आज़माइश खत्म कर दी जाती है और वो बन्दा आफ़ियत-व-गिना (दौलतमन्दी) पा लेने के बाद खुदा तआला शुक्र अदा करते हुए हम्दो सना में मसरूफ़ हो जाता है और तमाम उम्र शुक्र गुज़ाऱी की इसी कैफीयत में रहता है।

⚘✧➤ लेकिन अगर अल्लाह तआला किसी को हंमेशा के लिये फुक्रो फाका में रखना चाहता है, उसकी आज़माइश को खत्म नहीं करना चाहता तो ईमान की इमदाद उसके शामिले हाल नहीं होती और वो खुदा तआला पर मोहतरिज़ (एतराज करने वाला) होता है, उस पर तोहमत लगाता है, उसके वादों पर शक करता है और वो इसी हालते कुफ़्र में मर जाता है के खुदा से नाराज़ होता है और उसकी आयतो को ज़ुटलाता है।

                 ✍  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  70 📚

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❝ फुक्रो-फाका कुफ्र के करीब क्यों पहोंचाता है? ❞
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                      ❢  हिस्सा - 04  ❢

 ⚘✧➤ अगर अल्लाह तआला किसी को हंमेशा के लिये फुक्रो फाका में रखना चाहता है, उसकी आज़माइश को खत्म नहीं करना चाहता तो ईमान की इमदाद उसके शामिले हाल नहीं होती और वो खुदा तआला पर मोहतरिज़ (एतराज करने वाला) होता है, उस पर तोहमत लगाता है, उसके वादों पर शक करता है और वो इसी हालते कुफ़्र में मर जाता है के खुदा से नाराज़ होता है और उसकी आयतो को ज़ुटलाता है।

⚘✧➤ रसुले करीम अलयहिस्सलात-व-तसलीम ने इसी हालत की तरफ इशारा फ़रमाया है के "कयामत के दिन लोगोँ में सबसे ज़यादा सख्त अज़ाब उस पर होगा जिसको अल्लाह तआला ने दुनिया की एहतियाज और आखिरत के अज़ाब में मुब्तेला रख्खा। ऐसे गुमराह शख्स से हुज़ूर ﷺ ने भी पनाह मांगी है और हम भी खुदा की पनाह चाहते है।

                ✍  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  70 📚

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❝ फुक्रो-फाका कुफ्र के करीब क्यों पहोंचाता है? ❞
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                      ❢  हिस्सा - 05  ❢

 ⚘✧➤ दूसरा इंसान वो है जिसे  ख़ुदावन्द तआला ने बरगुजीदा बना लिया (पसन्द कर लिया), उसे अपने खवास और एहबाब में दाखिल कर लिया और अंबिया का वारिस, अपने औलिया का सरखिल और अपने बुज़ुर्ग और बाअज़मत बन्दों और उलमा-व-हुकमा में शामिल कर लिया। फिर अल्लाह करीम उसे सब्र के पहाड़ो की रिफअत (बुलन्दी) और रज़ा-व-मुवाफ़िकतके दरीयाओ की गेहराई अता करता है। और उसे क़ज़ा-व-कद्र और अपने फेअल से मुस्तगनी कर देता है। उसे फ़ेअले खुदावन्दी में फना होने की तौफीक मिलती है।

⚘✧➤ उसे खुदा तआला की तरफ से अता-व-मुहिबते कसीर मिलती है, वो सुब्ह-व-शाम की तमाम साअतों में जाहीर-व-बातिन और जिलवत-व-खिलवत में अनवाअ-व-अकसाम के लुत्फो करम और तरह तरह की बख्शिशों से मुस्तफीद होता है और अपने परवरदिगार से जा मिलता है। ये इनामे ख़ास उसकी वफ़ात तक जारी रेहता है।

                  ✍  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  70 📚

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❝ मन्ज़िले  मेहबूबियत  की  राह  सब्रो  तवक्कल (भरोसा) है ❞
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                      ❢  हिस्सा - 01  ❢

⚘✧➤ हज़रत गौसुल आज़म رضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया तुम्हारा ये सोचना के कौन सा अमल और कौन सी तबदबीर करुं। बाअसे हैरत है। तुम्हारे लिये मुनासिब तरीका (रास्ता) ये हे के तुम जिस हालत में हो, इसी में उस वक़्त तक ठेहरो जब तक तुम्हें ख़ुदा तआला की जानिब से कुशादगी नसीब न हो जाए।

⚘✧➤ ख़ुदा तआला इर्शाद फरमाता है के, सब्र करो और सब्र पर ग़ालिब रहो,राबता कायम रखते हुए अल्लाह से डरो जिसने तुम्हें सब्रो-रब्त और मुख़ालेफ़त पर साबित कदम रहने का हुकम दिया और उन्हें छोड़ देने पर वईद (सज़ा देने की ढमकी) दी और इस राबते के कटने पर खुदा से डराया।...✍

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❝ मन्ज़िले  मेहबूबियत  की  राह  सब्रो  तवक्कल (भरोसा) है ❞
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                      ❢  हिस्सा - 02  ❢

⚘✧➤ सब्र का दामन न छोड़ने ही में बेहतरी और सलामती है। रसुले पाक ﷺ ने  फ़रमाया "जिस तरह जिस्मके लिये सर है, इसी तरह ईमान के लिये सब्र है।" नीज़ फ़रमाया के हर चीज़ का सवाब उसकी मिक़दारो अंदाज़े पर है लेकिन सब्रका अजर बेहद-बेहिसाब है।

⚘✧➤ ख़ुदावन्दे तआला जल्ले शानहु ने भी फरमाया " सब्र करने वालोँ को इसका बेहिसाब अज्र दिया जाएगा।" इस लिये ज़ुरूरी है के खुदा से डरते हुए सब्र पर कायम रहा जाए। और खुदा की कायम करदा हुदूद की हिफाज़त की जाए।

⚘✧➤ इसी तरह किताब में किये गए वादे के मुताबिक़ कामिल अजर अता किया जाएगा। अल्लाह का इर्शाद है अल्लाह से डरने वालों के लिये खुदा की राहें खोल दी जाती है और खुदा जहां से चाहे, उन्हें रिज़क दे कर कशाइश की (बड़ी) राहें पैदा कर देता है।...✍

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❝ मन्ज़िले  मेहबूबियत  की  राह  सब्रो  तवक्कल (भरोसा) है ❞
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                      ❢  हिस्सा - 03  ❢

⚘✧➤ चुनान्चे अगर तुम कशाइस नसीब होने तक सब्र करते रहे तो तुम्हारा मतवकलीन (भरोसा रखने वालों) में शुमार होगा और खुदा ने तुम्हारे लिये अपने काफी होने का एलान कर रख्खा है। कहा गया है, "जो आदमी खुदा पर भरोसा करे। उसके लिये वही काफी है।

⚘✧➤ जब सब्र और तवक्कल की दोनों सिफतें तुममें यकजा हो गई तो तुम्हारा शुमार एहसान करने वालों में होगा और बेशक खुदाने मोहसनीन के लिये जज़ाका वादा कर रख्खा है और कहा है "हम मोहसिनों को इसी तरह जज़ा देते है।

⚘✧➤ इस तरह तुम खुदा की मेहबूबियत के मकाम पा लोगे। क्यों के उसने फ़रमाया है बेशक खुदा मोहसिनों को मेहबूब बना लेता है।...✍

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❝ मन्ज़िले  मेहबूबियत  की  राह  सब्रो  तवक्कल (भरोसा) है ❞
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                      ❢  हिस्सा - 04  ❢

⚘✧➤ साबित हुआ के दुनिया-व-आख़िरत में हर भलाई और हर सलामती सब्र ही से है और मोमिन को इसी की वजह से तरक्की दे कर रज़ा-व-मवाफ़िक की मंज़िल से गुज़ार कर अफआले खुदावन्दि में फना कर दिया जाता है। नाबूद हो जाने की हालत और अब्दालीयत के मकाम को हासिल करना इसी तरह मुमकिन है।

⚘✧➤ इसलिये सब्र को छोड़ देने का तसव्वुर भी न करो क्यों के दुनिया-व-उकबा में खेरो फलाह से महरूमी और रुस्वाई और शर्मिंदगी हासिल होगी। खुदा महफ़ूज़ रख्खे।...✍

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      ❝  मोहब्बत  और  नफरत  की  कसोटी  ❞
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                      ❢  हिस्सा - 01  ❢

⚘✧➤ हज़रत मेहबूबे सुब्हानी رضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया अगर तुम किसी आदमी के बारे में अपने दिल में महोब्बत या नफरत के जज़बात पाओ तो उसके आमाल को कीताब-व-सुन्नत की कसोटी पर परखो। अगर उसका किरदार-व-अमल कीताब-व-सुन्नत की तालीमात के मुताबिक़ न हो तो खुदा और रसूले खुदा की मुवाफ़िकत पर खुश होते हुए उसके साथ बुग्ज़ (नफरत-अदावत) रख्खो और अगर उसका अमल किताब-व-सुन्नतके मुताबिक है और तुम उससे बुग्ज़ के जज़बात रखते हो तो तुम हवाए नफस के गुलाम हो और अपनी नफसानी ख्वाहिशात के इमाअ (इशारे) पर उसे दुश्मनी समज़े बैठे हो।

⚘✧➤ तुम्हारा ये फेअल ज़ालिमाना है और तुम खुदा और रसुल के फ़रामीन की मुखालिफत और नाफ़रमानी कर रहे हो।...✍

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      ❝  मोहब्बत  और  नफरत  की  कसोटी  ❞
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                      ❢  हिस्सा - 02  ❢

⚘✧➤ तुम्हारे लिये ज़ुरूरी है के अपने इस फेअलसे खुदा की बारगाह में तोबा करो और खुदा से खुद उसकी, उसके दोस्तों, उससे मोहब्बत रखने वालों और उसके बीरगुज़ीदा और सालेह बन्दों की महोब्बत की तौफिक तलब करो। और जिस शख्स से बुग्ज़ रख्खे हुए थे, उससे खुदा की तरह तुम भी महोब्बत करना शुरू कर दो।

⚘✧➤ इसी तरह ये भी देखना चाहिये के जिस से तुम्हारा राब्ता महोब्बत के जज़बात का है अगर उसके आमाल खुदा और रसूल के एहकाम के मुताबिक़ हो तो उससे तुम्हारा महोब्बत करना दुरुस्त है और अगर उसके आमाल-व-अफआल किताब-व-सुन्नतके खिलाफ है तो तुम भी उसके दुश्मन हो जाओ ताके हवाए-नफ़स की बिना पर महोब्बत-व-नफरत करने वाले न बनो।

⚘✧➤ तुम्हें तो अपनी ख्वाहिशात नफस की मुखालिफत का हुकम दिया गया है, अल्लाह करीम ने फ़रमाया ख्वाहिशात की पैरवी न करो। वो तो खुदा के रस्ते से गुमराह कर देती है।..✍

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❝ किसी  और  से  मुहब्बत  गैरते  खुदावन्दी  को  चेलेन्ज  है। ❞
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                      ❢  हिस्सा - 01  ❢

⚘✧➤ हज़रत मेहबूबे सुब्हानी رضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया अकसर तुम अपनी महोब्बतकी नापाएदारीकी शिकायत करते हो के जिससे हम महोब्बत करते है, वो शख्स या कहीं गायब हो जाता है या फौत हो जाता है और हमारे माबीन (बीच में) कोई और चीज़ हाइल हो जाती है। या किसी तरह आपस में दुश्मनी हो जाती है। माल से महोब्बत हो तो या खर्च हो कर खत्म हो जाता है या वैसे हाथ से निकल जाता है।

⚘✧➤ इस पर तुम्हें कहा जाता है के तुम खुदा के मेहबूब हो, तुम्हें नेअमतेँ दी गई है। क्या तम्हें इल्म नहीं के अल्लाह तआला गयूर (बहोत गैरत करनेवाला) है। और उसने तुम्हें सिर्फ अपने लिए पैदा किया है और तुम मासवा (सिवाय) अल्लाह के हो जाने का ईरादा करते को।

⚘✧➤ कया तुमने उसका ये फरमान नही सुना- जो खुदा को मेहबूब रखते है, वो भी उन्हीं से महोब्बत करता है।

                  📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  74 📚

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❝ किसी  और  से  मुहब्बत  गैरते  खुदावन्दी  को  चेलेन्ज  है। ❞
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                      ❢  हिस्सा - 02  ❢

⚘✧➤ मज़ीद फ़रमाया हमने इन्सानों और जिन्नों को महेज अपनी इबादत के लिये तखलीक किया है।

⚘✧➤  फिर, क्या तुमने हुजूर पुरनूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ये हदीस नहीं सुनी किसी बन्द को जिस वक़्त खुदा मेहबूब बना लेता है तो उसे इब्तेला-व-आज़माइश में डाल देता है। ऐसे में अगर वो सब्र से काम ले तो खुदा उसे हीफाज़तसे रख लेता है।" सहाबा रादिअल्लाहु अन्हुम ने इस्तेफ़सार (पूछना) किया। या रसुलल्लाह मेहफ़ूज़ कर लेने का क्या मतलब है?

⚘✧➤ आका ने फरमाया अल्लाह न तो उसका माल छोड़ता है, न औलाद। क्यों के अगर वो माल-व-औलाद की महोब्बत में फंस जाए तो खुदा की महोब्बत कम हो जाती है और महोब्बत खुदा और खुदा के माबीन मुश्तरिक हेसियत इख्तीयार कर लेती है। और चूंके खुदा तआला गयुर भी है और हर शैअ पर गालिब भी। इस लिये वो अपने शरीर को खत्म कर देता है। ये इसलिये होता है के बन्दे के दिल से हर गैर की महोब्बत ज़ाइल हो जाए। और सिर्फ खुदा ही की महोब्बत कायम रहे और खुदावन्दे तबारक-व-तआला का ये फरमान उसके हक में साबित हो जाता है के "अल्लाह उनसे और वो उससे महोब्बत करते है।..✍

              📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  74-75 📚

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❝ किसी  और  से  मुहब्बत  गैरते  खुदावन्दी  को  चेलेन्ज  है। ❞
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                      ❢  हिस्सा - 02  ❢

⚘✧➤ मज़ीद फ़रमाया हमने इन्सानों और जिन्नों को महेज अपनी इबादत के लिये तखलीक किया है।

⚘✧➤  फिर, क्या तुमने हुजूर पुरनूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ये हदीस नहीं सुनी किसी बन्द को जिस वक़्त खुदा मेहबूब बना लेता है तो उसे इब्तेला-व-आज़माइश में डाल देता है। ऐसे में अगर वो सब्र से काम ले तो खुदा उसे हीफाज़तसे रख लेता है।" सहाबा रादिअल्लाहु अन्हुम ने इस्तेफ़सार (पूछना) किया। या रसुलल्लाह मेहफ़ूज़ कर लेने का क्या मतलब है?

⚘✧➤ आका ने फरमाया अल्लाह न तो उसका माल छोड़ता है, न औलाद। क्यों के अगर वो माल-व-औलाद की महोब्बत में फंस जाए तो खुदा की महोब्बत कम हो जाती है और महोब्बत खुदा और खुदा के माबीन मुश्तरिक हेसियत इख्तीयार कर लेती है। और चूंके खुदा तआला गयुर भी है और हर शैअ पर गालिब भी। इस लिये वो अपने शरीर को खत्म कर देता है। ये इसलिये होता है के बन्दे के दिल से हर गैर की महोब्बत ज़ाइल हो जाए। और सिर्फ खुदा ही की महोब्बत कायम रहे और खुदावन्दे तबारक-व-तआला का ये फरमान उसके हक में साबित हो जाता है के "अल्लाह उनसे और वो उससे महोब्बत करते है।..✍

              📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  74-75 📚

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❝ किसी  और  से  मुहब्बत  गैरते  खुदावन्दी  को  चेलेन्ज  है। ❞
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                      ❢  हिस्सा - 03  ❢

⚘✧➤ जब बन्दे का दिल तमाम शरीकों और हमसायों से, एहलो अयाल, माल, ख्वाहिशात-व-शेहवत, हुकूमत, विलायत-व-करामत, मनाज़िल-व-मकमात, जन्नत, दरजात और ख्वाहिशे कुर्ब-सब कुछ से पाक हो जाए तो इसमें  कोई इरादा, कोई आरज़ू बाकी नहीं रहती और ये पाकीज़ा क्लब उस सुराख वाले बरतन की तरह होता है जिसमें बेहने वाली कोई चीज़ नहीं ठहरती।

⚘✧➤  इसलिये के वो दिल भी फ़ैअले इलाही की वजह से शिकस्ता हो जाता है और जूंही उसमें कोई इरादा, तलब या तमन्ना पैदा हो जाती है, खुदा तआला की गैरत और उसका फैअल उसे काट-पीटकर फेंक देता है और इस दिल को अज़मत-व-जबरुत और हेबत के परदों से ढांप लिया जाता है। सतूत-व-किबरियाइ की खन्द कें खोद कर मासवा अल्लाह के असरे महोब्बत से  मेंहफ़ूज़ कर दिया जाता है।...✍

                   📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  75 📚

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❝ किसी  और  से  मुहब्बत  गैरते  खुदावन्दी  को  चेलेन्ज  है। ❞
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                      ❢  हिस्सा - 04  ❢

⚘✧➤ फिर किसी चीज़ का इरादा दिल में पैदा नहीं होता और एहलो अयाल, माल, असहाब, हुकम-व-इल्म और इबादत में से कोई चीज़ तुम्हें ज़रर (नुकसान) नहीं पहोंचा सकती क्योंके ये तमाम अश्याअ (चीज़े) दिल से बाहर रहती है। फिर अल्लाह तआला अपने बन्दो के पास मौजूद ऐसी किसी चीज़ से गैरत नही करता बल्के यही अश्याअ अल्लाह की तरफ से बन्दे के लिये लुत्फो करामत, नेअमत-व-रिज़क और मुन्फअत का वास्ता बन जाती है।

⚘✧➤ बन्दा जब इस तरह खुदा का बरगुज़ीदा बन गया तो उसके पास आने वाले भी रेहमत-व-राफत के मुस्तहिक हो जाते है और उनकी भी हिफाजत की जाती है। अल्लाह का मेहबूब बन्दा अपने पास आने वाले के लिये दुनिया-व-आख़िरत में मुहाफ़िज़-व-शफीअ बन जाता है।..✍

                  📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  75 📚

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      ❝ लोगों की किस्में और उनका मरतबा ❞
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                      ❢  हिस्सा - 01  ❢

⚘✧➤ फरमाते है लोग चार तरह के होते है। एक वो जिनके पास न ज़ुबान होती है। ऐसे आदमी, गाफिल, हकीर और ज़लील अश्खास खुदा के नज़दीक कोई कद्रो मंज़िलत नही रखते। उनमें किसी किस्म की भलाई नहीं होती, वो तो भूसे की तरह होते हैं, जिसकी कुछ क़ीमत नहीं होती

⚘✧➤ हां, अगर खुदा तआला उन्हें अपनी रहमत में लेकर उनके दिलों को ईमान की हिदायत से मुनव्वर कर दे और वो खुदा तआला की इताअत में अपनव आज़ा-व-जवारह से काम लेना शूरु कर दें तो बात दूसरी है, लेकिन ऐसे  आदमियों से मिलने जूलने और उनसे ताल्लुकात पैदा करने से इजतिनाब करना चाहिये क्यों के खुदा के अज़ाब और गज़ब के मुस्तहिक़ होते हैं और जहन्नम के काबिल है। खुदा तआला हमें ऐसों से पनाह में रख्खे।...✍

                  📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  76 📚

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      ❝ लोगों की किस्में और उनका मरतबा ❞
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                      ❢  हिस्सा - 02  ❢

⚘✧➤ लेकिन अगर तुम नेकी की तालीम दे कर, हिदायत और  दीन की दावत के ज़रिये लोगों को इताअते इलाही की तरगीब देने का शगल इख़्तियार किये हो तो बेशक ऐसे लोगों तक दाअवत पहोंचाओ, उन्हें इताअते इलाही की दावत दो, गुनाहो से डराओ, इस तरह गोया तुम जेहाद करने वाले होगे जिन्हें अंबियां-व-रसुल की तरह सवाब अता होगा।

⚘✧➤  आकाए दो जहां सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने हज़रत अली से फ़रमाया अगर तुम्हारी वजह से ख़ुदा तआला किसी को हिदायत दे तो तुम्हारा ये अमल हर उस चीज़ से बेहतर है जिस पर आफताब तुलूअ होता है।

⚘✧➤  दूसरी किस्म उन लोगों की है जिन के पास ज़ुबान है, दिल नहीं।..✍

               📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  76-77 📚

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      ❝ लोगों की किस्में और उनका मरतबा ❞
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                      ❢  हिस्सा - 03  ❢

⚘✧➤ दूसरी किस्म उन लोगों की है जिन के पास ज़ुबान है, दिल नहीं। उनकी बातें तो हिकमत-व-नसीहत से भरपूर होती है मगर वो खुद उन पर अमल नहीं करते। जिनकी वजह से लोग खुदा की तरफ रुजूअ करें। वो दूसरों को तो खुदा की तरफ बुलाते है लेकिन खुद भागते है। दूसरों के एबों का ज़िक्र करे उन्हें बुरा गरदानते है(मानते है) मगर खुद वही काम करते है। रियाके ज़रिये लोगों पर अपनी पारसाई का रोब जमाते है और खुद मआसियत को शोआर करके खुदा से गोया लड़ते है। हकीकत ये है के उनकी मिसाल उस भेडीये की सी है जिसे इंसानी लीबासमें मलबूस कर दिया गया हो।

⚘✧➤ ये ऐसे अफ़राद (लोग) है जिन्हें *हुजूर रसुले अनाम अलयहिस्सलाम ने फरमाया है- मेरे नज़दीक मेरी उम्मत के लिये सबसे ज़यादा डर की चीज़ बेअमल उलमा है।* हम ऐसे मुनाफिकीन से अल्लाह की पनाह चाहते है क्योंके बहोत खतरनाक होते है। चुनांचे चाहिये के ऐसे आदमीयों से दूर रहो ताके वो अपनी तलाकते ज़बान से तुम्हें करीब न कर लें और तुम उनके गुनाहों की आगमें जल जाओ और उनके खूब्से बातिन (बदबातिनी) की वजह से हलाक हो जाओ।...✍

                  📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 77 📚

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     ❝ लोगों की किस्में और उनका मरतबा  ❞
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                         ❢  हिस्सा - 04  ❢ 

⚘✧➤ तीसरी किस्म के अशआख (लोग) वो है जो इखलास भरा दिल तो रखते है लेकिन ज़ुबान नहीं रखते। यही लोग दरअसल ऐहले ईमान है। खुदा तआला ऐसों को मखलूक से छुपाकर रखता है और उन्हें नफस के उयुब को देखने के लिये नूरे बसीरत अता करता है और उनके दिलों को मुनव्वर करके उस हकीकत से आगाह कर देता है के लोगोँ के मिलने और बोलने में क्या खराबीयां है और उन्हें यकीन हो जाता है के खामोशी और उज़लतन शीनी ही में आफियत और सलामती है।...✍


         *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 77-78 📚*

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     ❝  लोगों की किस्में और उनका मरतबा ❞
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                       ❢  हिस्सा - 05  ❢ 

⚘✧➤ खुद रसूले करीम सलातुस्सलाम का इर्शाद है "जो खामोश रहा उसने खलासी पा ली।" ये भी कहा गया है के इबादत के दस हिस्सों में से नव हिस्से खामोशी ही में है। चुनान्चे हिफाज़त और सलामती उन्हीं के लिये है जिनकी परदापोशी खुदा तआला ने करदी है। वही एहले दानिश है और बारगाहे इलाही में बारयाबी की अज़मत के हामिल है। तमाम भलाइयां और नेअमतें उन्हीं के लिये है।

⚘✧➤ इस लिये तुमभी ऐसों की कुरबत से मुस्तफीद हो, उनसे ताल्लुकात बढ़ाओ, उन्हीं के करीब बैठो, उनकी ज़रूरतों को पूरा करते हुए उन्हें नफा पहोंचाओ, इस तरह तुम अल्लाह तआला के बरगुज़ीदा और मेहबूब बन्दों में शामिल कर लिये जाओगे और एसो की हमनशीनी से इंशाअल्लाह तुम भी उन्हीं जैसे हो जाओगे।..✍


            *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 78 📚*

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     ❝ लोगों की किस्में और उनका मरतबा ❞
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                      ❢  हिस्सा - 06  ❢ 

⚘✧➤ लोगों की चोथी किस्म वो है जिन्हें आलमे मलकूत में इज़्ज़त और बुज़ुर्गी के साथ बुलाया जाता है। हदीसे पाक में है- जिसने इल्म हासिल किया, उस पर अमल किया, दुसरों को उस की तालीम दी उसको आलमे मलकूत में इज़्ज़त-व-अज़मत के साथ याद किया जाता है। ऐसे लोग आयाते खुदावन्दी को जानते है, उन्हें खुदाई इसरार-व-रमूज़ और उलूम का अमीन बना दिया गया है, अल्लाहने ऐसे भेद उन पर खोल दिये है जो दूसरों से पोशीदा होते है।

⚘✧➤ ख़ुदा तआला ने उन्हें बरगुज़ीदा और मकबूल बना लिया। उन्हें अपनी जानिब मुतवज्ज़ा करके हिदायत दी और अज़मत अता फरमा दी और उनके सीनों को खोल दिया ताके असरार-व-उलूम कुबूल कर लें और उन्हें इल्मो दानिश वदिअत (सुपुर्दगी) करके बन्दों को नेकी की तरफ दावत देने और बुराइसे डराने वाला और हादी-व-शफीअ बना कर और तस्दीक करने वाले की हैसियत दे कर अंबीयाए रसूल (अलैहिस्सलाम) का जांनशीन ओर खलीफा बना दिया।
⚘✧➤ यही वो लोग है जो ईन्सानियत का जोहरे ख़ास है और वो नबुवत के बाद सबसे बड़े मरतबे पर फाइज़ हो जाता है।..✍


               *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 78 📚*

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     ❝ लोगों की किस्में और उनका मरतबा ❞
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                     ❢  हिस्सा - 07  ❢ 

⚘✧➤ तुम्हें चाहिये के कभी ऐसे अश्खास की मुख़ालेफ़त न करो। उनसे नफरत करने और किनाराकशी करने से इजतेनाब करो और उनकी दुश्मनी और हुकम उदूली से बचो, उनकी नसीहतों पर अमल करो, इसलिये के सलामती उन्हीं की बातों में है और उनसे दूर रेहने और नफरत करनेमें गुमराही और हलाकत है। पस अल्लाह तआला जिसे हिदायत दे और अपनी तौफीक और मदद से सिराते मुस्तकीम पर चला दे।

⚘✧➤ इंसानों की चार किस्में तुम्हारे सामने बयान कर दी गई है। अगर तुम अक्लसे काम लेते हो तो अपने आपमें गौर करो। अगर तुम ऐहतेराज़-व-ईजतेनाब की सलाहियत रखते हो तो अपने हाल पर रहेम खाओ और अपने आपको बचा लो।  

⚘✧➤ खुदा करे जिन कामों से वो दुनिया-व-आख़िरत में राज़ी होता और पसन्द करता है, हमें वही काम करने की हिदायत नसीब हो।..✍


           *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 79 📚*

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 ❝ फेअले खुदावन्दी पर नाराज़ न होने की ताकीद ❞
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                          ❢  हिस्सा - 01  ❢ 

⚘✧➤ हज़रत मेहबूबे सुब्हानी رضي الله تعالي عنه फरमाते हैं, तुम्हें यूं नहीं चाहिये के तुम अपने परवरदिगार से नाखुश हो कर उस पर एहतेमाम तराशी करो या उस पर ऐतराज़ करके रिज़क देने, मालदार होने और इब्तेला-व-आज़माइश के सिलसिले में उसकी तरफ ज़ुल्म की निस्बत करो। इस लिये के तुम अच्छी तरह जानते हो के हर चीज़ का वक़्त मुकर्रर है और हर चीज़ की इन्तेहा होती है और इसमें किसी तबदीली की कोई गुंजाइश नहीं। न मुसीबतों का वक़्त तबदील हो सकता है, न तकलीफ राहतमें बदल सकती है और न इसरत सरवत बन सकती है।
       
⚘✧➤  इसलिये बाअदब और खामोश रेहते हुए सब्र से काम लो और परवरदिगार की रज़ा-व-मवाफेकत चाहो और उसके कामों पर नाराज़ी या बोहतान-व-ईत्हाम तराशने से तौबा करो। क्यों के एक दूसरे से ईन्तेकाम लेना और बगैर कसूर और गुनाह के किसी के खिलाफ कुछ करना बन्दों का काम है, खुदा का नहीं।...✍


             *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 80 📚*

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 ❝ फेअले खुदावन्दी पर नाराज़ न होने की ताकीद
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                         ❢  हिस्सा - 02  ❢ 

⚘✧➤ ख़ुदावन्द तआला की ज़ात अज़ल (आगाज़) से बे हतमा है और तमाम चीज़े उसने बाद में पैदा की है और इन अश्याकी बुराइयां, अच्छाइयां भी बाद की पैदावार है और इसी ख़ालिक़े हकीकी को हर चीज़ की इब्तेदा-व-इन्तेहा का इल्म है। वो अपने फ़ैल में हकीमे मुतलक है। वो तखलीक को मज़बूत बनाता है, उसका कोई काम बेसूद और बे फायदा नही होता और न वो किसी चीज़ को बातिल और बेकार पैदा करता है।

⚘✧➤ इसलिये उसके अफआल में नुक्स और ऐब की निस्बत करना, उनको बुरा केहना तुमहारे लिये मुनासिब नहीं। पस तरफ से कशाइश का और फराखी का इन्तेज़ार करो और अगर तुम उसकी रज़ा से मवाफेकत करने और उसके फ़ैल में फना होने से आजिज़ हो तो नविश्ता (लिखा हुआ) तकदीर का इन्तेज़ार करो।..✍


              *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 80 📚*

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❝ फेअले खुदावन्दी पर नाराज़ न होने की ताकीद ❞
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                     ❢  हिस्सा - 03  ❢ 

⚘✧➤ पस उसकी तरफ से कशाइश का और फराखी का इन्तेज़ार करो और अगर तुम उसकी रज़ा से मवाफेकत करने और उसके फ़ैल में फना होने से आजिज़ हो तो नविश्ता (लिखा हुआ) तकदीर का इन्तेज़ार करो। फिर ज़माना गुज़रने और मियाद पूरी होने पर तुम्हारी हालत बदल जाएगी। जिस तरह रात खत्म होकर सुबह शुरू होती है और सरदी खत्म होने पर गरमी आ जाती है, इसी तरह तुम्हारी तकलीफ राहत में बदल जाएगी।

⚘✧➤ लेकिन अगर तुम रात शुरू होते ही सुबह के तमन्नाई हो तो उसमें कैसे कामयाब होंगे। बल्के रात की ज़ुल्मतों में ईजाफा होता जाएगा ताके रात की तारी की अपनी इन्तेहा को पहोंच जाए और सुब्ह हो जाए। जब सुबह होगी तो तुम्हारा चाहना या खामोश रेहना, उसे बुरा जानना या ऐसे में रातकी ख्वाहिश करना मुस्तजाब (कुबूल) नहीं होगा और रात तुम्हें नहीं मिलेगी क्योंके तुम्हारी चाहत बेवक्त होगी और तुम ख्वाहिशे बेजा के सबब आजिज़, नाखुश-व-नादिम हो जाएगा।...✍


              *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  80-81 📚*

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❝ फेअले खुदावन्दी पर नाराज़ न होने की ताकीद ❞
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                     ❢  हिस्सा - 04  ❢ 

⚘✧➤ चुनांचे सीधी रह ये है के इन सब बातोको छोड़ दो अपने परवरदिगार के बारेमे हुस्ने जन रखे उसकी रजासे मवाफेकत शआर करो और सब्रसे काम लो. तुम्हारी किस्मतकी कोई चीज़ तुमसे नहीं छिनी जाएगी और जो कुछ तुम्हारे नसीब में नहीं है वो तुम्हे नहीं मिलेगा.मुझे अपनी जिंदगी की कसम है खुदावंद करीम के हुजुर खुजुअ (आजिजी) खशुअ और तदर्रो(गीड गीडाना) के साथ दुआऐ मांगना और उसके एहकाम की तामिल करना इताअत व् इबादत है

⚘✧➤ खुदा तआला का इरसाद है मुझसे मांगो , में तुम्हारी दुआको शर्फे कुबूलियत बख्सुंगा” मजिद फ़रमाया “ खुदासे उसका फज़ल मांगो” इनके अलावा और बहोत सी आयतो ओर हदिसो मे यही मज़मून बयान किया गया है मगर दुआ भी तो वक्ते मुकररा पर ही कुबूल होगी , जब अल्लाह तआला उसे कुबूल करने का इरादा फरमाएगा .तुम दुआ करोगे तो तुम्हारे लिए या तो भलाई होगी या ये दुआ कज़ा और मोअय्यना वक्त के मुताबिक हो जाएगी इसलिए दुआ कुबूल न होने पर अल्लाह पर हरगिज़ तोहमत ना तराशो और न दुआ करने मे सुस्ती करो क्योके तुम्हारी दुआओ के असर से अगर तुम्हे दुनिया मे फायदा न हुआ तो आखिरत में उसका अजर पाओगे....✍


         *📬 फुतूहल  ग़ैब  सफ़ह 81-82 📚*

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 ❝ फेअले खुदावन्दी पर नाराज़ न होने की ताकीद
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                     ❢  हिस्सा - 05  ❢ 

⚘✧➤ हदीस पाक मे है के “ बन्दे को हश्र के दिन अपने दफ्तरे आमाल में ऐसी बहुत सी नेकिया दिखाई देगी जिसका उसे खयाल न था फिर उसे बता दिया जाएगा के ये इज़ाफ़ी नेकिया तुम्हारी उन दुआओ के बदले में है जो दुनिया मे मकबूल होनी तुम्हारे मुकद्दर में न थी दुआ करने का एक और फायदा ये होगा के तुम अपने परवर दिगार को वह्दहू लाशरिक समझते हुए उसी से मांगोगे और उसके अलावा किसी और से तलब नहीं करोगे सुबह व् मसा ,सहेत और मर्ज़ में ,इसरत व् सरवत की हालत में और सख्ती व् नरमी हर हाल मे सूरत ये होगी के या तो तुम सवाल से बचते हुए कोई दुआ नहीं करोगे या हजा से मवाफेकत के बाईस फेअले खुदावन्दी के सामने सरे तस्लीम इस तरह ज़ुका दोगे जिस तरह गुस्साल के हाथ मे मुरदा या दाइ के हाथ मे बच्चा या सवार के हाथ मे घोडे की लगाम होती है और उसे अपनी मरजी से चलाता है।...✍


           *📬  फुतूहल   ग़ैब  सफ़ह 81-82 📚*

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❝ फेअले खुदावन्दी पर नाराज़ न होने की ताकीद ❞
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                     ❢  हिस्सा - 06  ❢ 

⚘✧➤ इसी तरह मुकद्दरात तुम्हे भी मुतहरिक (हरकत करने वाला) रखते है लिहाज़ा अगर तुम्हारे नसिब में सरवत व् दौलत है तो खुदा का शुक्र करो इस तरह अल्लाह तआला तुम्हे मजिद नेअमते अता करेंगे और अगर तंगी और सख्तिकी हालत तुम्हारा मुकद्दर है तो फिर तुम्हारा दुआ और सवाल न करना खुदाकि तौफिक से बलाओ पर सब्र करने और मवाफेकत इख़्तियार करने के मुतरादफ है और सब्रो मवा फेकत पर तुजे कायम रखना,तुम्हारी मदद करना और मग्फेरत व् रेहमत फरमाना खुदा ही के फ़ज़लो करम से है।...✍


     *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 82 📚*

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❝ फेअले खुदावन्दी पर नाराज़ न होने की ताकीद ❞
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                     ❢  हिस्सा - 07  ❢ 

⚘✧➤ खुद खुदा तआला ने फरमाया है यकीनन अल्लाह तआला सब्र करने वालों का साथी है। फिर फरमाया अगर तुम खुदा की रज़ा मे उसकी मदद करोगे तो तुम्हारी मदद करते हुए तुम्हें सब्रो-मवाफेकत में साबिते कदम रख्खेगा। पस, जब तुम अल्लाह के फ़ैल पर हर एतराज़ और हर नाखुशी को तज कर अपनी ख्वाहिश की मुखालिफत और रज़ाए इलाही की मवाफेकत में ख़ुदा तआला की मदद करोगे और अपने नफ़स के किलए कमअमें कोशां (कोशिश करने वाला) होगे और अगर नफ़स कुफ़्र-व-शिर्क पर रागिब हुआ तो अपने सब्र और रबसे मवाफेकत करने और उसके फ़ैल और वादे पर ख़ुशी के साथ राज़ी रेहने की केफियतमें नफ़स का सर कुचल दोगे तो खुदा तआला इस जेहाद में तुम्हारी मदद फ़रमाएगा और उसका मदद फरमाना उसी के इर्शाद के मुताबिक है।

⚘✧➤ अय हबीब सब्र करने वालों को बशारत दे दीजीये के जब उन पर कोई मुसीबत आए तो केहते है के हम अल्लाहही के लिये है और उसी की तरफ लौटने वाले है, उन्हीं पर अपने रबकी तरफ से फजलो रेहमत है और येही लोग हिदायत याफ्ता है।..✍


*📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 82-83 📚*

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❝ फेअले खुदावन्दी पर नाराज़ न होने की ताकीद ❞
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                     ❢  हिस्सा - 08  ❢ 

⚘❆➮ दूसरी सूरत ये है के तुम अपने रब्बे- अज़ीम के इस हुकम की तामील में के "अपने रब को पुकारो" दुआ और आजिज़ी के साथ रोव, गिड़गिड़ाओ। अपने परवरदिगार को पुकारना ही बर महल अकदाम है। इस लिये के खुदा ने यही हुकम फ़रमाया है के उसी से सवाल करो और उसकी तरफ रजूअ हो ओर उस हुकम पर तामील को तुम्हारे लिये वजह राहत बना कर अपनी तरफ से क़ासिद और अपनी मुलाक़ात का वसीला और सबब बना दिया है। शर्त ये है के तुम दुआ की फौरी कबूलियत न होने पर खुदा पर तोहमत न तराशो और उससे नाराज़ी का तसव्वुर न करो।

⚘❆➮ चुनांचे सवाल करने और खामोश रहने की मज़कूरा बाला दो हालतों के फर्क का अंदाज़ कर लो और उनकी हुदूद से हरगिज़ तजावज़ न करो। क्यों के इन दोनों के अलावा किसी और हालत की गुंजाइश नहीं। इसलिये हदसे गुज़र कर ज़ालिमो के ज़ुमरे में दाखिल होने से डरो अगर ये हुआ तो अल्लाह तुम्हें पहली कोमों की तरह हलाक कर देगा और परवाह नहीं करेगा। पहली कोमों पर खुदा ने अपनी बलाओं को सख्त कर दिया और हलाक कर दिया और आखिरत में उनके लिये दर्दनाक अज़ाब है। अल्लाह बुज़ुर्ग-व-बरतर पाक है, वही हाल जानने वाला है और उसी पर मेरा भरोसा है।..✍

       
          *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 83 📚*

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             ❝  रुखसत-व-अज़ीमत  ❞
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                     ❢  हिस्सा - 01  ❢ 

⚘❆➮ हज़रत गौसे आज़म رضي الله تعالي عنه ने फरमाया "परहेज़गारी इख़्तियार करना तुम्हारे लिये ज़ुरूरी है, वरना हलात का फंदा तुम्हारे गले में यूं पड़ जाएगा के खुदा की रहमत के दामन में ढांप लिये जाने के अलावा उससे निकलने की कोई सूरत न होगी।

⚘❆➮  हबीबे खुदा अलयहिल तहय्यता वल सना ने फ़रमाया "ज़ुहद-व-वरअ (परहेज़गारी) दीनकी बिना है। और तमअ (लालच) दीन की हलाकत है।" एक हदीसे पाक में है के शाही चरागाह के कुर्ब-व-जवार में फिरने वाले से बइद नहीं के उसमें मुंह मार ले जिस तरह खेती के आसपास रहने वाले मवेशी से ज़राअत का सलामत रहना मुमकिन नहीं

⚘❆➮ अमीरुल मोमेनीन हज़रत उमर رضي الله تعالي عنهने  फ़रमाया के हम मेहले शुबा में दस हलाल चीज़ों से नव को हराम में पड़ जाने के खौफ से छोड़ देते है और अमिरुल मोमीनीन हज़रत सिद्दीक अकबर رضي الله تعالي عنهफ़रमाते है "हम मुबाह (हलाल) के सत्तर दरवाज़े इस डर से छोड़ देते है के कही गुनाह में मुलव्वस न हो जाए।..✍


       *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 84 📚*

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              ❝  रुखसत-व-अज़ीमत  ❞
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                     ❢  हिस्सा - 02  ❢ 

⚘❆➮ इन हज़रात की ये एहतियात गुनाह-व-मसीयत की कुरबत से बचने के लिये होती थी। उन्हों ने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के इस इर्शाद पर अमल किया "जान लो के हर बादशाह की एक मखसूस चरागाह होती है , और अल्लाह की चरागाह उसकी हराम की हुई चीज़ें है। जो शख्स इसके इर्द गिर्द फिरेगा, हो सकता है इसमें जा पड़े।

⚘❆➮ अगर कोई बादशाह की चरागाह मेँ दाखिल हो और पहले, दूसरे, तीसरे दरवाज़े से गुज़र कर बादशाह की चोखट के बहोत करीब हो जाए। ये शख्स उस आदमी से हर लेहाज़ से बेहतर है जो मैदान के साथ पहले ही दरवाज़े पर खड़ा है। इसलिये के अगर उस पर दरवाज़ा बन्द भी कर लिया जाए तो  उसे कोई ज़रर न पहोंचेगा। क्यों के वो तीन दरवाज़े तय करके अब उस जगह से करीब है जहां शाही खज़ाना और फ़ौज है।

⚘❆➮ लेकिन पहले दरवाज़े पर इस्तादा (खड़ा हुआ) आदमी पर अगर दरवाज़ा बन्द कर दिया गया तो चटियल मैदान में तन्हा रह जाएगा। और उसे कोई भेड़िया या दुश्मन पकड़ लेगा और उसकी हलाकत बहोत ज़ुरूरी है।...✍

      
*📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 84-85 📚*

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             ❝  रुखसत-व-अज़ीमत  ❞
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                     ❢  हिस्सा - 03  ❢ 

⚘❆➮ जिस आदमी ने अज़ीमत की राह इख़्तियार की और साबिते कदमी से उस पर चला लेकिन उससे तौफीक-व-ईआनत (सहारा) छीन ली गई तो वो दाएरए शरीयत से नहीं निकला। उसे रुख्सत हासिल हो गई और वो इसी हालत में फवत (नीस्त) हो जाए तो उसे इताअत-व-इबादत ही पर तसव्वुर किया जाएगा और उसके अमले सालेह की शहादत दी जाएगी।

⚘❆➮ जो शख्स हंमेशा रुख्सत ही पर रहा, अज़ीमत की तरफ न बढ़ा अगर उससे तौफिक-व-ईआनत सालब (छीन लेना) कर ली गई और उस पर हवाए नफस ने गल्बा कर लिया और उसने हराम चीज़ को ले लिया तो वो शरीयतसे खारिज मुतसव्वर (सोचा हुआ) होगा और उसे खुदा के दुश्मनों और शैतानों के गिरोह में समझा जाएगा और अगर तौबा से पहले ही उसकी मौत आ गई तो वो हलाक होने वालों में शुमार किया जाएगा। एक ये सूरत है के अल्लाह तआला उसे अपने फ़ज़लो रहमत में छुपा ले।

⚘❆➮ चुनान्चे याद रख्खो के रुख्सत पर कायम रहने में शदीद खतरात (खतरे) है और अज़ीमत (इरादे) पर कायम रहने में मुकम्मल सलामती है।...✍


          *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 84-85 📚*

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     ❝  दीनदारी  रासुलमाल  (सरमाया)  और  दुनिया  इसका  मुनाफा  हैं 
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                     ❢  हिस्सा - 01  ❢ 

⚘❆➮  हज़रत गौसे आज़म رضي الله تعالي عنه फरमाते है दीनके कामों को रासुलमाल (सरमाया) समझकर उसे दुनिया का नफा जानो। पहले तो अपने वक्तको आखिरत के हासिल करने में खर्च करो, फिर जो वक्त फारिग हो उसे दुनिया हासिल करनेके लिये काम में लाओ और मआश हासिल करनेमें मसरूफ़ हो लेकिन बेहरहाल दुनियाको आखिरत का सरमाया न बनाओ और दुन्यवी उमूर मे से कुछ वक्त मिले तो उसे आखिरत के कामों में सर्फ करो और इस फारिग वक्त में पंचगाना नमाज़ इस तरह अदा न करो के नमाज़के अरकान और सुजूद(सजदे) मुकम्मिल तौर पर अदा न हों और न ही इत्मीनान हासिल हो।

⚘❆➮  ये भी न करो के एक ही वक्त में पंचो नमाज़े पढ़ो या सुस्ती के बाइस दुश्वारी मेहसूस करके दिन चढ़े तक पड़ कर सोते रहो और तमाम दिन नफसकी ख्वाहिश के ज़ेरे असर काम करते हुए, शैतान की मुताबअत (पैरवी) में अपने नफस के मतीअ हो कर आखिरत को दुनिया के बदले में बेच डालो हालां के नफ़स तो तुम्हारी गुलामी और सवारी के लिये है और तुम्हें हुकम दिया गया है के इस पर सलामती के साथ सवारी करते हुए चलो क्यों के सलामती ही खुदा की इताअत और आख़िरत में काम्याबी का रास्ता है।

⚘❆➮  इसके बरअक्स तुमने लगाम को नफस के सुपुर्द कर दिया है और ख्वाहिशे नफस की लिज़्ज़त में शैतान की रज़ा-व-मवाफेकत शआर कर ली है।...✍


       *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 86 📚*

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     ❝ दीनदारी  रासुलमाल  (सरमाया)  और  दुनिया  इसका  मुनाफा  हैं ❞
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                     ❢  हिस्सा - 02  ❢ 

⚘❆➮  यूं तुमने दीन व दुनिया की बेहतरी छोड़ कर और अपना नुक्सान करके कयामत में अमले खैर के नुकतए नज़रसे मुफ़लिस तर और दीन के हवाले से लोगोँ से ज़यादा घाटे में रेहने वाले हो गए। ये खराबी भी हुई और नफस की मुताबेअत की वजह से दुनिया में भी तुम्हें किस्मत से ज़यादा कुछ न मिला अगर तुम आखिरत की राह पर चलते और आख़िरत ही को दुनिया का सरमाया समजते तो ये दीन व दुनिया दोनों में घाटे का सौदा न था। इस तरह तुम्हारी किस्मत का जो कुछ तुम्हें दुनिया में मिलता वो तुम्हारे लिये खुशगवार और खुशआयन्द होता और तुम इज़्ज़त-व-तकरीम के साथ दुनिया में रेहते।

⚘❆➮ हुज़ूर ﷺ का ईर्शाद है के, "अल्लाहु तआला दुनिया की निय्यत से आख़िरत नहीं देता बल्के आख़िरत की निय्यत से दुनिया अता करता है।...✍


     *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 86-87 📚*

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     ❝ दीनदारी  रासुलमाल  (सरमाया)  और  दुनिया  इसका  मुनाफा  हैं ❞
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                     ❢  हिस्सा - 03  ❢ 

⚘❆➮  आखिरत की निय्यत ही इबादत और इताअत की रूह और असल है, इसलिये अगर तुम ज़ोहद (परहेज़गारी) व-इबआदत के साथ दुनिया में इताअते खयदावन्दी में मसरूफ़ रहते हुए आख़िरत मांगोगे तो महोब्बत-व-इताअते इलाही के बाइस खवास में शामिल हो जाओगे और तुम्हेँ बहिश्त की नेअमतों से नवाज़ा जाएगा और तुम रहमते खुदावन्दी के ज्वार से मुस्तफीद होगे लेकिन दुनिया की खिदमत व इताअत में रहने से तुम्हें सिर्फ इतना ही मिलेगा जो तुम्हारी किस्मत में है।...✍


       *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 87 📚*

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     ❝ दीनदारी  रासुलमाल  (सरमाया)  और  दुनिया  इसका  मुनाफा  हैं ❞
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                     ❢  हिस्सा - 04  ❢ 

⚘❆➮  चुनान्चे हर हाल में खालिक व मालिके हकीकी की इताअत व इत्तेबाअ ज़ुरूरी है। अगर तुम आखिरत के तस्व्वुर से हटकर दुनिया में मश्गूल हो गए तो केहरे इलाही के मुस्तवजब (सज़ावार) हो जाओगे और आखिरत की भलाइयां तुम्हारे मुकद्दर में नहीं होगी बल्के दुनिया की तंगी और सरकशी तुम्हें मिलेगी और तुम्हारी किस्मत की हर चीज़ भी केहरे ख़ुदावन्दी का शिकार हो जाएगी। ईस लिये दुनिया भी खुदा की मलकीयत में है और खुदा के नाफरमानों को ज़िल्लत का पैगाम देती है और उसके फरमां बरदारों को इज़्ज़त का मकाम देती है

⚘❆➮  इस मौके पर रसूले मोअज़्ज़्म ﷺ  का इर्शाद पेशे नज़र है के, " दुनिया-व-उक़बाअ दो सोकनों की तरह है, इनमें से एक को खुश करना चाहोगे तो दूसरी नाखुश हो जाएगी।..✍



    *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 87-88 📚*

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     ❝ दीनदारी  रासुलमाल  (सरमाया)  और  दुनिया  इसका  मुनाफा  हैं 
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                     ❢  हिस्सा - 05  ❢ 

⚘❆➮  ख़ुदावन्द तआला का इर्शाद है के "तुम में से कुछ दुनिया के और कुछ आख़िरत के तालिब है।" इसलिये तुम्हें गौर करना चाहिये के तुम आखिरत के ख्वाहिश मन्द हो या दुनिया के। दुनिया में रेहते हुए इन दोनों में से किससे महोब्बत करते हो, दुनिया के बाद जब तुम आख़िरत में लौटोगे तो वहांभी एक फरीक दुनिया का और दुसरा आखिरत का ख्वाहिशमन्द होगा। इसी तरह कयामत में भी जन्नतियों और जहन्नमीयों के दो फरीक होंगे। उनमें से एक गिरोह अपने हिसाब की तवालत (ज़ियादती) के बाइस हश्रके मैदान ही में खड़ा रह जाएग 

⚘❆➮  बारी तआला जल्लो अला का इर्शाद है "वो दिन तुम्हारे अंदाज़े के मुताबिक पचास हज़ार साल का होगा और हर दिन एक हज़ार साल जितना होगा। और एक गिरोह अर्श के ज़ेरे साया होगा।

⚘❆➮  जैसा के हुज़ूर पुरनूर ﷺ  ने फ़रमाया " तुम हश्र के दिन अर्श के साए में इन दस्तरख्वानों पर बेठोगे जिन पर ताहिर खाने, उमदा फल और बर्फ से ठंडा, दुधसे ज़यादा सफेद शहेद होगा।" एक और हदीसे पाक में है के लोग बहिश्त के अंदर अपने मकानों को देखेंगे। जब मख्लूक़ हिसाब से फारिग हो जाएगी तो उन्हें बहिश्त में दाखिल किया जाएगा और उन्हें उनके घरों में ले जाया जाएगा जिस तरह दुनिया में किसी को मंज़िलों का पता बताया जाता है।..✍


           *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 88 📚*

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     ❝  दीनदारी  रासुलमाल  (सरमाया)  और  दुनिया  इसका  मुनाफा  हैं 
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                     ❢  हिस्सा - 06  ❢ 

⚘❆➮  ये मकाम-व-मरतबा इन लोगोँ को इस लिये हासिल हुआ के उन्होंने दुनिया के बजाए आख़िरत की ख्वाहिश की और जिन लोगोंको हिसाब-क़िताब के हवाले से मुख्तलिफ सख्तीयां और ज़िल्लते सहनी पड़ी। इसकी वजह ये थी के उन्होंने आख़िरत को छोड़कर खुदावन्द करीम के एहकाम की परवा ना की और कयामत को फरामोश कर बेठे। उन लोगों को जैसी अज़ीयते नसीब होगी उनका ज़िक्र कुरआन-व-हदीस में मौजूद है।

⚘❆➮  इस लिये अपने आप पर रहेम करते हुए दोनों फरीकों में से बेहतर फरीक में से हो जाओ और बुरे रफका से और इन्सो जिनके शैतानो को छोड़ कर किताब-व-सुन्नत को अपना रेहनुमा-व-मकतदा समज़ते हुए सोच समज़ कर इस राह पर चलना चाहिये और नफस की ख्वाहिशों को रहनुमा न बनाना चाहिये।..✍


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     ❝  दीनदारी  रासुलमाल  (सरमाया)  और  दुनिया  इसका  मुनाफा  हैं 
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                     ❢  हिस्सा - 07  ❢ 

⚘❆➮  खालिक-व-मालिक जल्लेशानहु का इर्शाद है, "ये रसूल जो दीन तुम्हारे पास लाए है, इसे अपने लिये लाज़िम समज़ो, और जिस जिस काम से ये मना करें उससे मना हो और खुदा का खौफ करते हुए रसूले खुदा की मुखालेफत को शआर न करो।" यानी जो चीज़ सरकार दो आलम सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम लाए है, इसके बजाए अपने नफ़स की ख्वाहिश से कोई नया अमल, कोई नई इबादत इख़्तियार न करो, जो कौम गुमराह हो कर रहबानियत शआर कर चुकी थी। इसके मुताल्लिक खुदा तआला फ़रमाता है, "हमने उन पर रेहबानियत फ़र्ज़ नही की थी।

⚘❆➮  इसी तरह अपने पैगम्बर  सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को बातिल से अलग और पाक साफ़ करते हुए बारी तआला ने फरमया, "ये नबी अपनी तरफ से कोई बात नही करते। उनकी हर बात उन पर नाज़िल की गई वही के मुताबिक़ होती है।

⚘❆➮  एक और जगा फरमाया "अय नबी, आप फरमा दीजीये के अगर तुम खुदा के मेजबूब बनने की ख्वाहिश रखते होतो मेरी इताअत-व-इत्तेबाअ करो, अल्लाह तुम्हें मेहबूब बना लेगा।...✍


       *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 89 📚*

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     ❝  दीनदारी  रासुलमाल  (सरमाया)  और  दुनिया  इसका  मुनाफा  हैं 
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                     ❢  हिस्सा - 08  ❢    

⚘❆➮  इसी तरह अपने पैगम्बर  सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को बातिल से अलग और पाक साफ़ करते हुए बारी तआला ने फरमया, "ये नबी अपनी तरफ से कोई बात नही करते। उनकी हर बात उन पर नाज़िल की गई वही के मुताबिक़ होती है।

⚘❆➮  एक और जगा फरमाया "अय नबी, आप फरमा दीजीये के अगर तुम खुदा के मेजबूब बनने की ख्वाहिश रखते होतो मेरी इताअत-व-इत्तेबाअ करो, अल्लाह तुम्हें मेहबूब बना लेगा।

⚘❆➮ इससे वाज़ेह हो गया के खुदावन्दी की राह में उसके मेहबूब सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम की इत्तेबाअ में है। खुद आका हुज़ूर ने फ़रमाया "मेरे ज़ाहेरी आमाल की मुताबेअत (पैरवी) सुन्नत है और मेरी बातिनी हालत तवक्कल इख़्तियार करना है। इससे मालूम हो गया के तूम हुज़ूर की सुन्नत और बातिनी हालत के दरम्यान हो।...✍


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     ❝ दीनदारी  रासुलमाल  (सरमाया)  और  दुनिया  इसका  मुनाफा  हैं ❞
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                     ❢  हिस्सा - 09  ❢ 

⚘❆➮ अगर तुम्हारा ईमान मुस्तहकम (पक्का) नहीं तो सुन्नत पर अमल करते रहो, अगर ईमान पुख्ता है तो फिर तवक्कल की हालत को अपना लो  जैसा के ख़ुदावन्द तआला ने फरमाया "सिर्फ अल्लाह तआला पर तवक्कल (भरोसा) करो।" फिर फ़रमाया "सिर्फ अल्लाह तवक्कल करने वालों से महोब्बत करता है।

⚘❆➮  चुनान्चे तवक्कल हुकम देकर तुम्हें तन्बीह की गई है। उसने अपने नबीको भी तवक्कल करने का हुकम दिया है। इसलिये तुम भी अपने तमाम आमाल में खुदा और उसके रसूल की पैरवी शआर कर लो, वरना तुम मरदूद करार दिये जाओगे।..✍


       *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 90 📚*

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     ❝ दीनदारी  रासुलमाल  (सरमाया)  और  दुनिया  इसका  मुनाफा  हैं ❞
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                     ❢  हिस्सा - 10  ❢ 

⚘❆➮ इसलिये तुम भी अपने तमाम आमाल में खुदा और उसके रसूल की पैरवी शआर कर लो, वरना तुम मरदूद करार दिये जाओगे।

⚘❆➮ जैसा के रसूले करीम अलयहिस्सलात-व-तस्लीम का फरमान है: "जिसके एहकाम हमारे एहकाम के खिलाफ है, वो मरदूद है।" ये इर्शादे नबवी तमाम अक़वाल, आमाल और रिज़क के हुसूल के लिये आम है। हुज़ूर सरवरे काएनात अलयहिस्सलात-व-सलवात के बाद कोई नबी नहीं जिसकी पैरवी की जाए और न क़ुरआने करीम के बाद कोई किताब है जिसके एहकाम पर अमल किया जाए। इस लिये कुरआन-व-सुन्नत से तजावुज़ (फर्क) किसी हालत में न करो, वरना नफ़स और शैतान तुम्हें गुमराह कर देंगे।

⚘❆➮ फरमाने खुदावन्दी है- "नफस का इत्तेबाअ (पैरवी) न करो वरना तुम राहे खुदा से भटक जाओगे।" चुनान्चे सलामती इसी में है के किताब-व-सुन्नत की पैरवी करो। इससे हटना हलाकत और तबाही है और मोमिन किताब-व-सुन्नत के एहकाम पर अमल करके ही विलायत-व-अब्दालियत और गोसियत के मरतबे तक तरक्की कर सकता है।...✍


            *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 90 📚*

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     ❝ किसी  से  हसद  न  करो 
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                     ❢  हिस्सा - 01  ❢ 

⚘❆➮ हज़रत गौसे आज़म رضي الله تعالي عنه फरमाते है "अय मोमिन! मैं तुम्हें हमसाए के खाने-पिने, निकाह, मकान, लिबास और खुदा की अता फरमुदा सरवत और गना (बेनियाज़ी) पर हसद करते हुए क्यों देखता हूं। ये नेअमतें उसे इसलिये हासिल है के खुदा ने उसकी किस्मत में लिख दी है। क्या तुम्हें मालुम नहीँ के हसद करना ईमान के ज़ईफ़ होने की अलामत है और ये तुम्हें अपने खालिक-व-मालीक की नज़रों से गिरा देगा और तुमको इसके केहरो गज़ब का निशाना बना देगा।

⚘❆➮  क्या तुमने हदीसे कुदसी नहीं सुनी के , खुदा तआला फरमाता है "हासिद मेरी नेअमतों के दुश्मन है।" क्या तुमने हुज़ूर अलैहिस्सलाम का फरमान नही सुना के *जिस तरह आग लकड़ी को खा जाती है इसी तरह हसद नेकियों को खा जाता है।*..✍


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         ❝  किसी  से  हसद  न  करो 
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                     ❢  हिस्सा - 02  ❢ 

⚘❆➮ क्या तुमने हुज़ूर अलैहिस्सलाम का फरमान नही सुना के " जिस तरह आग लकड़ी को खा जाती है इसी तरह हसद नेकियों को खा जाता है।

⚘❆➮ फिर ये तो बताओ के तुम्हें किस चीज़ का हसद है? दूसरे आदमी की किस्मत पर या अपनी किस्मत पर? अगर तुम उस बन्दे के मुकद्दर पर हसद करते हो जिसे खुदा ने अता किया है।

⚘❆➮ जैसा के खुदा ने फ़रमाया है "दुन्यवी ज़िन्दगी में अपने बन्दोंमें हम खुद रिज़क तकसीम करते है।" तो तुम्हारा ये अकदाम ज़ुल्म होगा क्यों के इस बन्दे को तो अपने रब की नेअमतें बतौर फ़ज़ल के अता की गई है और सिर्फ उसीको दी गई है, इसमें किसी दूसरे का हिस्सा नहीं।

⚘❆➮ चुनान्चे इस सूरत में उस पर हसद करना तुम्हारे सबसे ज़्यादा बखिल, एहमक और नाकिस अकल होने पर दआल है क्यों के किसी की किस्मत का हिस्सा किसी दूसरे की तरफ मुन्तक़िल नहीं किया जा सकता। ज़ाते बारी तआला इस चीज़ से पाक है, उसका इर्शाद है- न मेरे कौल में तगय्युर-व-तबद्ल हो सकता है न मैं बन्दों पर ज़ुल्म करता हूं।...✍ 

      *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 91 📚*

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         ❝ किसी  से  हसद  न  करो ❞
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                     ❢  हिस्सा - 03  ❢ 

⚘❆➮ यकीन कामिल रख्खो के ख़ुदावन्द तबारक व तआला तुम पर कभी ये ज़ुल्म नहीं कर सकता के तुम्हारी किस्मत की कोई चीज़ किसी दूसरे को मुन्तक़िल कर दे। तुम महेज अपनी जेहालत की वजह से हसद करके अपने भाई पर ज़ुल्म कर रहे हो। तुम्हें तो चाहिये था के अपने भाई से हसद करने के बजाए उन खज़ानों और सीम-व-ज़रकी दुकानों वाली ज़मीन पर हसद करते जो आद-व-समूद और कसीर-व-कसरा और दूसरे बादशहों ने जमा किये थे क्यों के जो माल तुम्हारे हमसाए के हां है, वो उन खज़ानों के हज़ारवे हिस्से के बराबर भी नहीं हो सकता।

⚘❆➮ इस लिये तुम्हारी मिसाल उस आदमी की तरह है जो बादशाह की हशमत, उसके लश्कर, हुकूमत, माल-व-दौलत और तरह तरह की नेअमतो को देखकर तो हसद नहीं करता मगर उस जंगली कुत्ते से हसद करता है जो बादशाहों के कुत्तों की खिदमत के ज़रीये उनके साथ मिल बैठता है और उनके पास सुबह व शाम रहते हुए बादशाह के मतबख (बीआवरची खाना) से बचा हुआ खाना  खा कर ज़िन्दगी गुज़ारता है। और तुम उसके मरने के इंतज़ार में रहते हो के वो मरे और तुम उसका हिस्सा हासिल कर सको, इस काम का ज़ुहद और दीन से कोई तअल्लुक नहीं। बताओ के दुनिया में इससे बड़ा जाहिल, एहमक और नादान कौन हो सकता है।..✍

  
     *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 92 📚*

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           ❝ किसी  से  हसद  न  करो ❞
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                     ❢  हिस्सा - 04  ❢ 

⚘❆➮ और अगर तुम्हें पता चल जाए के कयामत के दिन तुम्हारे हम साए को अपने माल-व-दौलतकी वजहसे कितना हिसाब देना पड़ेगा, अगर उसने नेअमतों के सिले में खुदा की इताअत न की, नेअमत हक अदा न किया और अमरो नवाही पर न चला, इताअते खुदावन्दी के लिये मदद न चाही, ऐसा शख्स तो ये कहेगा के काश मुज़े ज़र्राभर नेअमत न दी गई होती और मैं उन नेअमतों की शकल भी न देखता।

⚘❆➮  क्या तुमने ये हदीसे पाक नहीं सुनी के कयामत के दिन जब ये लोग दुनिया के मुसिबतज़दों के अजरो सवाब को देखेंगे तो तमन्ना करेंगे के काश हमारा गोश्त दुनिया ही में काट दिया जाता। तुम्हारा पड़ोसी भी यही ख्वाहिश करेगा के काश वो दुनिया में तुम्हारी तरह होता। इस लिये के उसका हिसाब बहोत तवील होगा। और वो सुरज की धुप में पांच हज़ार साल खड़ा रहेगा।....✍


     *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 92-93 📚*

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           ❝ किसी  से  हसद  न  करो ❞
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                       ❢. हिस्सा  - 05  ❢

⚘❆➮ हज़रत कुत्बे रब्बानी गौसुस्मदानी رضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया जिस शख्सने अपने मौलाका काम सच्चाई और ख़ुलूस के साथ किया, वो सुबह-व-शाम गैरुल्लाह से नफरत करता रहा।

⚘❆➮ अय क़ौम उस चीज़ का दावा न करो जो तुम्हें हासिल नहीं और खुदा की वेहदानियत पर यकीन रखते हुए किसी को उसका शरीक न ठेहराओ और न कज़ा-व-कद्र के जो तीर तुम्हें सिर्फ ज़ख़्मी करने के लिये पहोंचते है। हलाक करने के लिये नहीं, तुम उनका निशाना बन कर खदशात का (खतरों का) शिकार हो जाओगे। जो शख्स ख़ुदावन्दे तआला की राहमें हलाक होता है, उसका अजर खुद खुदा की शाने करम के ज़िम्मे होता है।...✍

     
  *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 93 📚*

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     ❝ हुकमे इलाही या ख्वाहिशे नफसानी ❞
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⚘❆➮ हज़रत कुत्बे रब्बानी गौसुस्मदानी رضي الله تعالي عنه फरमाते है कोई चीज़ हुकमे खुदावन्दी के बगैर महेज़ नफसकी ख्वाहिश पर हासिल करना गुमराहि और खालिक-व-मालिक की मुख़ालेफ़त है और हुकमे इलाही पर ख्वाहिशाते नफसानी के बगैर किसी चीज़ को लेना खुदातआला की मवाफेकत और ऐसी चीज़ को छोड़ देना रिया (धोका) और निफाक (नाइत्तेफाकी) है।...✍
    
  *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 94 📚*

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     ❝ औलिया अल्लाह के  ज़ुमरे (जमात-गिरोह) में  दाखिल  होना ❞
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                        ❢  हिस्सा  - 01 ❢
             
⚘❆➮ हज़रत कुत्बे रब्बानी गौसुस्मदानी رضي الله تعالي عنهने फरमाया जब तक तुम अपने सारे एहकामे बशरी से मुख़ालेफ़त और अपने आअज़ा-व-जवाहर से जुदाई इख़्तियार न कर लो, रूहानी लोगों (औलिया अल्लाह) की जमात में दाखिल होनेकी आरज़ू और उम्मीद हरगिज़ न करो। ये उसी वक्त मुमकिन है जब तुम अपनी हरकात-व-सकनात सुनने, देखने, बोलने,पकड़ने और चलने से और अकलो अमल से और उन तमाम चीज़ों से जो रूह फूंकने से पहले और उसके बाद तुममें पाई गई, उन सबसे खाली न हो जाओ। इस लिये के यही चीज़ें तुम्हारे परवरदिगार के दरम्यान हाइल है।

⚘❆➮ जब तुम रूहे खालिस बन गए तो गोया "सरलतसर" और "गयबुल ग़ैब" हो जाओगे और अपने इसरार में हर शैअ से अलायेदा होकर उसको दुश्मन और हिजाब जानने लगोगे। जिस तरह हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने बुतों के लिये फ़रमाया था। ये सब मेरे दुश्मन हैं और रब्बे तआला मेरा दोस्त है।...✍

      
*📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 94 📚*

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     ❝ औलिया अल्लाह के  ज़ुमरे (जमात-गिरोह) में  दाखिल  होना ❞
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                    ❢  हिस्सा  - 02  ❢
              
⚘❆➮ जब तुम रूहे खालिस बन गए तो गोया "सरलतसर" और "गयबुल ग़ैब" हो जाओगे और अपने इसरार में हर शैअसे अलायेदा होकर उसको दुश्मन और हिजाब जानने लगोगे। जिस तरह हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने बुतों के लिये फ़रमाया था। "ये सब मेरे दुश्मन हैं और रब्बे तआला मेरा दोस्त है।

⚘❆➮ इसी तरह जब तुम अपने वजूदके तमाम आज़ा-व-अजज़ा को तमाम मुख़्लूक को बूत तसव्वुर करके उनमें किसी की इताअत (बन्दगी) न करोगे तो तुम्हें लदुन्नी (खुदादाद) के इसरार-व-गराइबका अमीन बना दिया जाएगा और तुमसे तकवीन (पैदा करना) और खर्क (तोडना) आदात की तरह से ऐसे उमूर ज़ाहिर होने लगेंगे जो कुदरते इलाही की कबील से है और जो कुव्वत एहले ईमान को जन्नत में वदीअत (सुपुर्दगी) होगी, तुम्हें दुनिया ही में सोंप दी जाएगी। फिर तुम्हारी हालत ये होगी जैसे तुम्हें मरने के बाद दुबारा आखिरत में ज़िन्दा किया गया है और तुम्हारा सारा वजूद खुदा तआला की कुदरत का मजहर बन जाएगा।....✍

    
*📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 94-95 📚*

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     ❝ औलिया अल्लाह के  ज़ुमरे (जमात-गिरोह) में  दाखिल  होना ❞
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          ꧁  ✫⋆  हिस्सा  - 03 ⋆✫ ꧂           
 
⚘❆➮ फिर तुम्हारी हालत ये होगी जैसे तुम्हें मरने के बाद दुबारा आखिरत में ज़िन्दा किया गया है और तुम्हारा सारा वजूद खुदा तआला की कुदरत का मज़हर बन जाएगा। तुम खुदा ही के साथ सुनोगे, उसी के साथ देखोगे, बोलोगे, उसी से पकड़ोगे, उसीसे चलोगे, उसीके साथ गौरो फ़िक्र करोगे और उसी के साथ सुकून-व-तमानीयत हासिल करोगे। तुम खुदा के सिवा हर चीज़ से अंधे और बेहरे हो जाओगे।

⚘❆➮ तुम्हें सिर्फ अवामिर-व-नवाही की हुदूद की हिफ़ाज़त का खयाल होगा, किसी गैर का वुज़ूद नज़र नहीं आएगा। अगर शरई हुदूद में से कोई हद तुम में से कम हो जाए तो समज़ लो के तुम्हें फ़ित्ने में डाल दिया गया है और शयातीन तुम्हारे साथ खेल रहे है। चुनान्चे तुम उसी वक्त शरई हुकम की तरफ रुजूअ करो और कभी इससे जुदा न हो और अपने आपको हवा-व-हवस से दूर रख्खो।

⚘❆➮याद रहे के जिस चीज़ की इजाज़त शरीअत न दे वो इल्हाद (दिन से फिर जाना) ज़िन्द का (बेदीनी) और कुफ़्र है।..✍


      *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 95 📚*

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     ❝ गना (बेपरवाही), नकबत (बदहाली) और फिर गना ❞
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          ꧁  ✫⋆  हिस्सा  - 01 ⋆✫            
 
⚘❆➮  हज़रत गौसुल आज़म رضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया हम गना और तवंगरी के सिलसिले में एक मिसाल दे कर तुम्हें केहते है के क्या तुमने उसे बादशाह को नहीं देखा जिसने आमतुन्नास में से किसी आदमी को शहर की हुकूमत सोंपी, उसको खिलअत से नवाज़ा, उसे परचम व नक्कार व तब्ल और लश्कर अता फरमाया। एक तवील मुद्दत  तक इस मनसब पर रहने के बाद वो समज़ा के ये सब कुछ दाएमी है और अपनी ज़िल्लत व नकबत की पहेली हालात को भूल बैठा, जब वो मोहताज़ और गुमनाम था। उसके नफस में किब्र(गुरुर) व निखवत (घमन्ड) आ गई।..✍
   
   *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 95 📚*

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🅿🄾🅂🅃 ➪  186


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     ❝ गना (बेपरवाही), नकबत (बदहाली) और फिर गना ❞
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          ꧁  ✫⋆  हिस्सा  - 02 ⋆✫ ꧂
              
⚘❆➮  यकायक बादशाह ने अवामिर-व-नवाहि से तजावुज़ करने पर और दूसरे जराइमके इरतेक़ाब पर उसका मोहासेबा किया और पादास (बदला) में उसे तंग-व-तारीक कैदखाने में मेहबूस कर दिया और उसका कैद का जमाना दराज़ कर दिया फिर उसकी ज़िल्लत-व-ख्वारी और मोहताजी मुस्तकिल हैसियत ईख्तियार कर लेती है। वो उसके कब्रो नख्वत और गुरुर की केफीयतें खत्म हो जाती है, वो शिकस्ता दिल हो जाता है, उसकी ख्वाहिशाते नफस की आग ठंडी हो जाती है। बादशाह ये तमाम हालत जानता है।

⚘❆➮ फिर वो उस शख्स पर रहमत व राफत की नज़रे करम करने, उसे कैदखाने से निकालने, उसके साथ एहसान करने, उसे खिलअत अता करने का हुकम दे, उसे पेहले से ज़यादा इलाके की हुकूमत अता करे और ये सब कुछ पाक साफ़ हो कर उसे दाएमी तौर पर मिल जाए और फिर वापस न ली जाए।
       
⚘❆➮ बिल्कुल यही हालत एक मोमिन की है।...✍


       *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 96-97 📚*

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     ❝ गना (बेपरवाही), नकबत (बदहाली) और फिर गना ❞
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          ꧁  ✫⋆  हिस्सा  - 03 ⋆✫ ꧂             
 
⚘❆➮  बिल्कुल यही हालत एक मोमिन की है। अल्लाह जब उसे अपना मुकर्रब (करीब) और बरगुज़ीदा बन्दा बनाता है तो उसके दिल की निगाह में रेहमते खुदावन्दी और एहसान-व-इनामके दरवाज़े खुल जाते है। ऐसी चिज़ों का मुशाहेदा करता है जिन्हें कोई आंख देख नहीं सकती, कोई कान सुन नहीं सकता और कोई इंसान उसके मूताल्लीक ये तसव्वुर भी नहीं कर सकता के ये इन्सान गैब की चीज़ों और ज़मीन-व-आसमान के फरिश्तोंको देखता है और उसे कुर्बे खुदावन्दी की वो मंज़िल हासिल है के इसको लज़ीज़-व-लतीफ कलाम, वादए जमील, महबूबियत, इजाबत(मकबूलियत) दुआ, कलमाते हिकमत और ईफ़ाए अहद और इस किस्म की नेअमतो से नवाज़ा गया है।

⚘❆➮   ये चीज़े मक़ामे बईद से उसके दिल के रास्ते उसकी ज़बान पर लाइ जाती हैं और सिर्फ यही नेअमतें नहीं, इनके अलावा भी तमाम ऐसी नेअमतें उसे अता की जाती है जो उसके जिस्म और आज़ा, उसके खाने पीने, पहनने, निकाह, हलालो मुबाह और हुदूद की हिफाज़त के हवाले से ज़ाहिर होती रेहती है।...✍

    
   *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 96-97 📚*

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     ❝ गना (बेपरवाही), नकबत (बदहाली) और फिर गना ❞
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          ꧁  ✫⋆  हिस्सा  - 04 ⋆✫ ꧂             
 
⚘❆➮  यही हालत इस मजज़ूब (खुदा की महोब्बत में गर्क) पर एक मुद्दत तक रेहती है। यहां तक के वो मगरूर होकर इस गलत फेहमी में मुब्तेला हो जाता है, के ये हालत हंमेशा कायम रहने वाली है ताके अल्लाह तआला उस पर रंजोतअब और मुसीबतों के दर खोल देता है, वो जानी-व-माली नुकशान और एहले खाना की तरफ से तरह तरह की तकलीफों में मुब्तेला हो जाता है। फिर वो अपनी इस हालते तबाह को देखता है तो उसे बहोत बुरा मेहसूस होता है और अपने दिल की बातिनी हालत उसे और ज़यादा गमगीन और अफ़सुरदा कर देती है। फिर अगर वो इन मसाइब-व-आलमके खत्म करने की दुआ करता है तो उसको भी शर्फ़े कुबूल नहीं बख्शा जाता, अगर अल्लाह से वादए जमील की तलब करता है तो उसकी तकमील भी नहीं होती। अगर उससे किसी शैअ का वादा किया गया था तो उसके पूरा होने की सबील भी नहीं नज़र आती।

⚘❆➮ कोई ख़्वाब देखता है तो उसकी ताबीर-व-तसदीक के ज़रिए कामियाबी नसीब नहीं होती। अगर मख्लूक की तरफ रुजूअ करने का इरादा करता है तो उसका भी कोई रास्ता नहीं मिलता। अगर ऐसे में वो अज़ीमत के बजाए रुख्सत पर अमल कर लेता है तो अज़ाब-व-सज़ा उस पर सबक़त करती है और लोगों के हाथ और ज़बाने उसकी इज़्ज़त व आबरू की तरफ बढ़ती है।

⚘❆➮ अगर वो अपनी इस हालत से पहले वाली बरगुज़िदगी और कुर्ब की हालत की तरफ जाना चाहता है तो ये ख्वाहिश भी पूरी नहीं होती और अगर मौजूदा तकलीफ और बला की हालत में राज़ी और खुश रेह कर उसी से लुत्फ़ अंदोज़ होनेकी ख्वाहिश करता है तो उसमें भी कामियाब नहीं होता।..✍

      
  *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 97-98 📚*

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     ❝ गना (बेपरवाही), नकबत (बदहाली) और फिर गना 
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          ꧁  ✫⋆  हिस्सा  - 05 ⋆✫ ꧂             
 
⚘❆➮  ऐसे में आजिज़ी और बेबसी के सबब उसका नफस पिघलने लगता है, ख्वाहिशात खत्म होने लगती है, आरज़ूएं और इरादे ज़ाइल होने लगते है, और हस्तियां नाबूद हो जाती है। ये हालत इसी तरह रेहती है बल्के तंगी में मज़ीद शिद्दत और इज़ाफ़ा हो जाएगा। इस आलमे में जब उसके इन्सानी अख़लाक़ और बशरी सफात खत्म होकर महेज़ रूह बाकी रेह जाएगी तो अपने बातीन में इस आवाज़को सुनेगा, जो हज़रत अय्युब अलैहिस्सलाम को सुनाई दी थी के- "अपने पांव को ज़मीन पर मारो। नहाने-पीने का खुशगवार ठंडा पानी पाओगे।

⚘❆➮ इसके बाद खुदावन्द करीम उस मोमिन के दिल में अपनी राफ़त-व-रेहमत और लूत्फ़ो एहसान के ज़रीए उसकी रुह को हयाते ताज़ा अता कर देगा और अपनी मरिफत की खुश्बू और अपने उलूम की वकाइक की हयातबख्श हवाएं चलाएगा और उस पर अपनी रेहमतों और नेअमतों के दरवाज़े खोल देगा।..✍

        
  *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 98 📚*

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     ❝ गना (बेपरवाही), नकबत (बदहाली) और फिर गना ❞
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          ꧁  ✫⋆  हिस्सा  - 06 ⋆✫ ꧂             
 
⚘❆➮ इसके बाद खुदावन्द करीम उस मोमिन के दिल में अपनी राफ़त-व-रेहमत और लूत्फ़ो एहसान के ज़रीए उसकी रुह को हयाते ताज़ा अता कर देगा और अपनी मरिफत की खुश्बू और अपने उलूम की वकाइक की हयात बख्श हवाएं चलाएगा और उस पर अपनी रेहमतों और नेअमतों के दरवाज़े खोल देगा।

⚘❆➮ फिर आमतुलनास को उसकी तरफ इस हद तक माइल कर देगा के वो अपनी दौलत-व-माल ख़र्च करके उसकी खिदमत करेंगे। बादशाह और उसके मसाहिब भी उसके सामने सरनिगूं होंगे। और लोगोँ की ज़बानों पर हर जगा उसकी तारीफ़ होगी। उसका पाकीज़ा ज़िक्रो बयान होगा। और लोगोँके पांव उसके पास आने के लिये बेकरार होंगे। हत्ताके उसे ज़ाहिरी व बातिनी नेअमतों से सरफ़राज़ करके उसकी ज़ाहिरी तरबियत तो मख्लूक़ के ज़रीये करवाई जाएगी और बातिन तरबियत ख़ुदावन्द करिम अपने लुत्फ़ो करम से खुद करेगा।..✍

       
  *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 98 📚*

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     ❝ गना (बेपरवाही), नकबत (बदहाली) और फिर गना ❞
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          ꧁  ✫⋆  हिस्सा  - 07 ⋆✫ ꧂             
 
⚘❆➮ फिर आमतुलनास को उसकी तरफ इस हद तक माइल कर देगा के वो अपनी दौलत-व-माल ख़र्च करके उसकी खिदमत करेंगे। बादशाह और उसके मसाहिब भी उसके सामने सरनिगूं होंगे। और लोगोँ की ज़बानों पर हर जगा उसकी तारीफ़ होगी। उसका पाकीज़ा ज़िक्रो बयान होगा। और लोगोँ के पांव उसके पास आनेके लिये बेकरार होंगे। हत्ताके उसे ज़ाहिरी व बातिनी नेअमतों से सरफ़राज़ करके उसकी ज़ाहिरी तरबियत तो मख्लूक़ के ज़रीये करवाई जाएगी और बातिन तरबियत ख़ुदावन्द करिम अपने लुत्फ़ो करमसे खुद करेगा।

⚘❆➮ जब उसे इस मकाम पर मुदावमत (हंमेशगी) हासिल हो जाए तो उसे वो मरतबा अता किया जाएगा। जो न किसीने देखा, न सुना और न किसी के दिल में उसकी अज़मत का एहसास समा सकता है। जैसे के अल्लाह तबारक-व-तआला ने खुद फरमाया किसी को इस बात का इल्म नहीं के उसके आअमाल की जज़ा के तौर पर उसकी आंखो की ठंडक के लिये क्या चीज़ पोशीदा रख्खी गई है।..✍

  
       *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 99 📚*

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     ❝ तंगी  और  फराखी  (खुशहाली 
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          ꧁  ✫⋆  हिस्सा  - 01 ⋆✫ ꧂
              
⚘❆➮  हज़रत मोहियुद्दीन अब्दुल कादर जीलानी  رضي الله تعالي عنهने इर्साद फ़रमाया नफस की दो ही हालतें है, तीसरी नहीं। एक आफियत की हालत है, दूसरी बला-व-तकलीफ की।" जब नफस बला की हालतमें होता है तो गभरा जाता है, शिकायत करता है और खुश होता है, एतराज़ करता है और बारीए तआला पर इत्हाम तरासी करता है। सब्र और रज़ा व मवाफेकत से काम नहीं लेता बल्के अस्बाबे ज़ाहिरी की तलाश में खुदा की बेअदबी का इरतेक़ाब करके कुफ़्र करता है। मगर जूंही सुकून व आफियत पाता है तो सरकशी करते हुए लिज़्ज़त व शेहवत में खो जाता है और एक ख्वाहिश की तकमीलके बाद दूसरी तमन्ना करने लगता है।

⚘❆➮  खाने, पीने, लिबास, निकाह, मकान, सवारी, किसी किस्म की नेअमतें जो उसे मयस्सर हों उनको हकीर समजता है, उनमें नुक्स निकाल कर उनसे आला नेअमतों की ख्वाहिश करने लगता है और जओ शैअ उसकी किस्मत में नहीं होती, चाहता है के जिन्हें वो शैअ हासिल है सलब हो जाए और अपने मुकद्दर की चीज़ से मुंह फेर लेता है।..✍

       
  *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 99 📚*

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     ❝ तंगी  और  फराखी  (खुशहाली ❞
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          ꧁  ✫⋆  हिस्सा  - 02 ⋆✫ ꧂             
 
⚘❆➮  खाने, पीने, लिबास, निकाह, मकान, सवारी, किसी किस्म की नेअमतें जो उसे मयस्सर हों उनको हकीर समजता है, उनमें नुक्स निकाल कर उनसे आला नेअमतों की ख्वाहिश करने लगता है और जओ शैअ उसकी किस्मत में नहीं होती, चाहता है के जिन्हें वो शैअ हासिल है सलब हो जाए और अपने मुकद्दर की चीज़ से मुंह फेर लेता है।

⚘❆➮  इसी तरह इन्सान अपने नफस को बड़ी सख्ती में डाल देता है और जो चीज़ उसके पास है, उसकी किस्मत में है, उस पर रज़ामंद नहीं होता। इसकी वजहसे जब वो मुसीबत में मुब्तेला हो जता है तो इस मुसीबत से निजात हासिल करने के सिवा कोई और ख्वाहिश नहीं करता और तमाम मौजूद लिज़्ज़तों को फरामोश कर देता है और उनमेंसे किसी शैअ को नहीं चाहता।

⚘❆➮ फिर जब नफसको इस बला से नजात दे दी जाती है तो फिर इसी सरकशी और ऐश व तकब्बूर में मुंहमिक हो कर इताअते ख़ुदावन्दी से फिर जाता है और गुनाहों में इस तरह गिरफ्तार हो जाता है के तमाम गुज़िश्ता मुसीबतों को भूला डालता है।...✍


         *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 99 📚*

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     ❝ तंगी  और  फराखी  (खुशहाली ❞
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          ꧁  ✫⋆  हिस्सा  - 03 ⋆✫ ꧂             
 
⚘❆➮  ऐसी सुरत में उसको पेहले से भी ज़यादा सख्त तकलीफों और मुसीबतों में डाल दिया जाता है और ये। इसलिये के उसको उसकी सरकशी और गुनाहों की सज़ा मिले ताके आइन्दा वो गुनाहों के इरतेक़ाब से परहेज़ को शआर बना ले। चूंके आफियत व नेअमतसे उसने नफस की इस्लाह न की थी। इस लिये उसकी हिफाज़त मसाइब व मुश्किलात से मुमकिन नहीं है अब अगर उसने इन बलाओं के इख़्तेताम (खातमे) तक हुस्ने अदब से काम ले कर आपनी किस्मत पर इकतेफा किया और इताअत व रज़ाए इलाही पर कारबन्द हो गया तो उसे दीन व दुनिया की भलाई नसीब होगी, उसके लिये नेअमतों में इज़ाफ़ा कर दिया जाएगा, वो ख़ुदावन्द करीम की रज़ा व तौफिक और खुशनुदी का इस्तेहाक हासिल कर लेगा।

⚘❆➮  चुनान्चे जो शख्स दुनिया व आख़ेरत में सलामती चाहे। वो सब्रो रज़ा व तौफीक और खुशनुदी का इस्तेहाक(हक) हासिल कर लेगा।..✍


         *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 100 📚*

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     ❝  तंगी  और  फराखी  (खुशहाली 
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          ꧁  ✫⋆  हिस्सा  - 04 ⋆✫ ꧂
              
 
⚘❆➮  चुनान्चे जो शख्स दुनिया व आख़ेरत में सलामती चाहे। वो सब्रो रज़ा व तौफीक और खुशनुदी का इस्तेहाक(हक) हासिल कर लेगा।

⚘❆➮ चुनान्चे जो शख्स दुनिया व आख़ेरत में सलामती चाहे। उसे सब्रो रज़ासे काम लेना चाहिये। वो माख्लूक से शिकवा व शिकायत के बजाए अपनी ज़रुरियात को अपने खालिक के सुपुर्द कर दे और उसकी इताअत व मताबेअत में मशगूल हो कर उसके करमका मुन्तज़िर रहे। खुदा के अलावा किसी और से शिकवा करने के बीजाए उसके लिये येही बेहतर है और तमाम अश्यासे मेहरुम रेहना दरअसल उसके लिये खुदाकी अता व बख्शिशका मज़हर है और अगर नेअमतें हासिल हुई तो गोया उसके लिये उक़बत (सज़ा)है।

⚘❆➮ मुसीबतों और बालाओं का नुज़ूल नफस का इलाज है और खुदा का वादा नकद है। उसका फरमान फेअल और उसकी मशीयत (मरज़ी) हालत है। वो जब किसी शैअ का इरादा करता है तो वो "कुन" फ़रमाता है फिर "फयकुन" हो जाता है।...✍

       
  *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 100 📚*

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     ❝ तंगी  और  फराखी  (खुशहाली ❞
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         ꧁  ✫⋆  हिस्सा  - 05 ⋆✫ ꧂
              
  ⚘❆➮ तमाम अफआले खुदावन्दी हसन (नेक-खूबसूरत) है और हिकमत व मसलेहत पर मुबनी है लेकिन वो अपने बन्दों से इन मसालेह और हिकमतों को पोशीदा रखता है और इसमें वो यकता है। इसलिये बन्दे को चाहिये के रज़ा व तसलीम की मंज़िल में उसकी इबादत में लगा रहे। जिन कामों से उसने रोका है, न करे और जिनके करने का हुकम दिया है, उनको करे। कज़ा व कद्र के सामने सरे तसलीम खम करके मआमलाते रबूबियतमें दखल न दे, अपने तमाम कामों में इख़्तियार करे और रब्बे करीम पर हरगिज़ तोहमत न लगाए।

⚘❆➮  हज़रत इब्ने अब्बास رضي الله تعالي عنه से मरवी हदीस में है, उन्होंने फ़रमाया, "मैं हुज़ूर ﷺके पीछे ऊँटनी पर सवार था।" हुज़ूर ने अचानक फरमाया- "अय गुलाम तुम खुदा की हिफाज़त करो, वो तुम्हारी हिफाज़त करेगा और जब तुम खुदा के हुकूक के पासदार और मोहाफिज़ बन जाओगे तो उसे अपने सामने पाओगे।...✍


         *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 101 📚*

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     ❝ तंगी  और  फराखी  (खुशहाली ❞
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          ꧁  ✫⋆  हिस्सा  - 06 ⋆✫ ꧂
              
⚘❆➮ चुनान्चे ज़ुरूरी है के खुदा के सिवा किसी से कुछ न मांगो, और न किसीसे मदद तलब करो, इसलिये के जो हालात पेश आने है वो तो कलम लिख चूका है और अगर कोई शख्स कज़ा व कद्र के फैसलों के खिलाफ तुम्हें नफा पहोंचाने की ख्वाहिश रखता है तो उसे इस पर कुदरत हासिल नहीं हो सकती। इसलिये इस्तेताअत (कुदरत) के मुताबिक एहकामे खुदावन्दी पर बसद के दिल और बयकीने हुकम अमल करो और तुम्हें अमल की इस्तेताअत नहीं है तो मजबूरन सब्र करने ही में बेहतरी है।

⚘❆➮ ये भी जान लेना चाहिये के सब्र और नफरत में गेहरा ताल्लुक है और तकालीफ और फराखीमें रब्त है। क्यों के हर तंगी के बाद फराखी नसीब होती है। चुनान्चे मोमिनको चाहिये के इस हदीसे मुबारक को अपने दिलमें समा ले और अपनी तमाम हरकात व सकनात में इसी पर अमल करे। इसी तरह दुनिया व उकबा में सलामती और इज़्ज़त व रेहमत के साथ रेहना मुमकिन है।...✍


         *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 101 📚*

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     ❝ मासवा  अल्लाह  से  सवाल 
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⚘❆➮  हज़रत मेहबूबे सुब्हानी رضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया:  मखलूक से वही सवाल करता है जो खुदा तआला को न जानता हो। और उसके ईमान, यकीन और इरफान ज़अफ हो, और उसे सब्र की दौलत नसीब  न हो और गैरुल्लाह से सवाल करने से वही मेहफ़ूज़ रहा जिसे खुदावन्द इज़्ज़ोजल की मारिफ़त का इल्म हासील है और उसमें इमान व यकीन की कुव्वत मौजूद है और उसे हर लहज़ मारिफ़ते हक हासिल है और वो अल्लाह तआला से हया करता है।..

         *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 102 📚*

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🅿🄾🅂🅃 ➪  199


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     ❝  उरफा (वली लोग)की दुआऐं कुबूल न होने की वजह 
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          ꧁  ✫⋆  हिस्सा  - 01 ⋆✫ ꧂
            
⚘❆➮  हज़रत मोहियुद्दीन अब्दुल कादर जीलानी  رضي الله تعالي عنهने इर्साद फ़रमाया एहले मआरिफत की दुआओं की कबूलियत और उनसे किये गए वादों की तकमील इस लिये नहीं होती के कहीं उन पर उम्मीद ग़ालिब न हो जाए। क्यों के उम्मीद व बीम (डर) हर हालत और हर मकाम पर मौजूद है और ये खौफ व रिजा परिन्दे के परों की तरह है के उसकी परवाज़ दोनों बाज़ुओं की मरहुने मिन्नत होती है। चुनान्चे बीम व रिजा के बगैर ईमान की तकमील भी मुमकिन नहीं और हाल व मकाम के बगैर कोई आदमी उरूज़ व कमाल की मंज़िल को नहीं पा सकता।

⚘❆➮  हर हालत और हर मकाम के मुताबिक बीम व रजा लाज़मी है और आरीफ चूंके तकर्रुब खुदावन्दी का हामिल होता है इसलिये इसका हाल व मकाम ये है के वो खुदा के सिवा किसी तरफ माइल ना हो ना किसी और से आराम व सुकून ले, ना किसी और से उन्स करे।

⚘❆➮  पस, अगर आरिफ अपनी दुआकी कबूलियत चाहता है और ख़ुदावन्द तआला से वफाए अहद तलब करता है तो ये उसके मनसब (दरजा) से कमतर बात है और इसके लिये ज़ेबा नहीं।...✍


    *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह 102-103 📚*

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🅿🄾🅂🅃 ➪  200


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     ❝ उरफा (वली लोग)की दुआऐं कुबूल न होने की वजह ❞
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          ꧁  ✫⋆  हिस्सा  - 02 ⋆✫ ꧂
            
⚘❆➮ दुआ की मकबूलियत और ईफ़ाए अहद न करने की दो वजह है, एक ये के उम्मीदका गल्बा न हो और अपने परवरदिगार की खुफिया तदाबीर का गुरुर ग़ालिब आ कर वो पासे अदबसे गफलत न कर बैठे। क्योंके ये हलाकत का सबब हो सकती है। दूसरी वजह ये है के उसकी ख्वाहिश व तलब अपने रब्बे करीमके साथ किसी और शैअ को शरीक ठेहरानेके मुतरादीफ (हमरदीफ) है, ईसलिये के अम्बियाए किराम अलयहिस्सलाम के बगैर दुनिया में जाहिरन कोई मासूम नहीं

⚘❆➮  चुनान्चे अल्लाह तआला उसकी दुआ कुबूल नहीं करता और वादे का इफा (पूरा करना) नही करता। ताके वो तबअन सवाल करने का आदी न हो जाए। क्यों के इसमें शिर्क है ओर शिर्के ख़फ़ी तमाम एहवाल मकामात पर कदम कदम पर मौजूद है।

⚘❆➮  अलबत्ता जब  सवाल तअमिले हुकम में हो तो वो हक्की कुरबत को मज़ीद पुख्ता करता है जिस तरह नमाज़, रोज़ा और दूसरे फराइज़ व नवाफ़िल कुर्ब हक को मज़बूत करते है। इसलिये के हुकम होने की वजह से सवाल करना एहले मारिफ़त के लिये तालीमे हुकम की हैसियत रखता है। ...✍

  
  *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  103 📚*

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🅿🄾🅂🅃 ➪  201


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  ❝ नेअमतों के ज़रीये इब्तेला (आज़माइश)
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          ꧁  ✫⋆  हिस्सा  - 01 ⋆✫ ꧂
            
⚘❆➮  हज़रत मोहियुद्दीन अब्दुल कादर जीलानी  رضي الله تعالي عنهने इर्साद फ़रमाया जान लो के लोग दो किस्म के होते है, एक वो जिन्हें नेअमतें अता की गई है। दूसरे वो जिन्हें खुदा हुकमसे मसाइब में मुब्तेला किया गया है।

⚘❆➮  लेकिन जिन लोगों  पर नेअमतों की अरज़ानी होती है वो गुनाह और कदूरत से ख़ाली नही होते और वो इन नेअमतों से बहोत आसाइश की हालत में होते है के यकायक तकदीर खुदावन्दी उन पर किस्म किस्म की मुसीबतें, बालाएं और इमराज़ में से ऐसी चिजोको ले आती है जिसकी वज़ह से तकद्दूर(परेशानी) का तसल्लुत(कबज़ा) हो जाता है और उनके जानो माल और एहलो अयाल परेशानियों में मुब्तेला हो जाते है। इसकी वजहसे उनकी ज़िन्दगी इस दरजह बेकैफ हो जाती है, गोया उन्हेँ कभी नेअमतें मिली ही न थी। फिर वो नेअमतों को और उनकी हलावतों(मिठास) को फरामोश कर देते है। ...✍

    
*📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  104 📚*

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🅿🄾🅂🅃 ➪  202


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  ❝ नेअमतों के ज़रीये इब्तेला (आज़माइश) 
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          ꧁  ✫⋆  हिस्सा  - 02 ⋆✫ ꧂
              
 
⚘❆➮ अगर वो माल, लौंडियों, गुलामों के साथ बासरवत होते है और दुश्मनों से मामून व मेहफ़ूज़ रेहते है। और नेअमतोंकी हालत में इस तरह मगन है के मसाइल-व-आलमको मेहसूस ही नहीं करते या हालते बला में इस तरह मायूस है के वजूदे नेअमतको मेहसूस नहीं करते तो ये सूरतें ख़ुदावन्द करीमसे बेखबरी और दुनिया की महोब्बत की दलील है।

⚘❆➮  अगर वो ये जानते के अल्लाह तआला जिस चिज़का इरादा करता है, उसे कर देता है और एक हालसे दूसरे हालमें तबदील करना या एक जगा से दूसरी जगा ले जाना, तवंगरी और नकबत, बुलन्दी और पस्ती, इज़्ज़त-व-ज़िल्लत, ज़िन्दगी और मौत और तकदीम-व-ताखीर सब कुछ उसीके हाथमें है, तो मौजूदा नेअमतों पर कभी इत्मेनान और तकब्बुर न करते और मसाइब और बलाओं की हालत में कभी खुशहाली और आरामसे मायूस न होते।..✍


    *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  104 📚*

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   ❝ नेअमतों के ज़रीये इब्तेला (आज़माइश) ❞
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          ꧁  ✫⋆  हिस्सा  - 03 ⋆✫ ꧂
          
⚘❆➮ उनका ये आलम इसी वजहसे भी है के वो दुनिया की हकीकतको नहीं समज़ते। दुनियाकी हकीकत ये है के ये बलाओं का घर है जो तल्खीयों, जेहालत, तकलीफों और कदुरतों की जगा है। दुनिया की असल मसाइब व बलीयात है और नेअमतें उसकी अस्लके खिलाफ है।

⚘❆➮  चुनान्चे दुनिया हनज़ल (कड़वे फल) की तरह है। इसका फल तो तल्ख है मगर असर अच्छा है। कोई आदमी इसकी शीरीनीको उस वक्त तक नहीं पा सकता जब तक इस तल्खाबे को नोशेजान न कर ले। कोई शख्स शहेद को हरगिज़ नहीं पा सकता जब तक बलाओं का ज़ेहराब न पिये। चुनान्चे जिस ने दुनिया की बलाओं पर सब्र किया, उसे दुनियाकी नेअमतें नसीब हुई।

⚘❆➮  चुनान्चे जब तक मज़दूर की पेशानी अर्कआलूद न हो, उसका जिस्म थक न जाए, रूह गमगीन और दिल तंग न हो, उसकी कुव्वत ज़ाइल, अपने जैसी मखलूक की खिदमत करने पर नफ़स ज़लील और नफसानियत शिकस्ता न हो, उसे मजदूरी नहीं दी जाती

⚘❆➮  जब मज़दूर इन सब कड़वाहटों को पिले, यही तलखीयां उसके लिये अच्छे खानो, मेवों, लिबासो और राहतों की नवीद(खुश खबरी) लाती है। अगरचे कम ही हों।...✍


   *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  105 📚*

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     ❝  नेअमतों के ज़रीये इब्तेला (आज़माइश)
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          ꧁  ✫⋆  हिस्सा  - 04 ⋆✫ ꧂
              
⚘❆➮ येही हालत दुनिया की है। इसकी इब्तेदाई तल्खी भी इस तरह है जैसे शहेद से भरे हुए प्यालेके किनारों पर कड़वाहट लगी हुई हो और शहेद तक पहोंचने के ख्वाहिशमंद को तल्खियों से गुज़रना होता है। इसी तरह जब बन्दा अवामिर की तअलीम और नवाहीसे इजतेनाब के ज़रीये खुद को तकदीर के हवाले कर देता है और सरेतस्लीम झुका देने और इन चीज़ों के लिये अपने आपको हवाले कर देने के साथ सब्र को इख़्तियार करता है और इन चीज़ों की तल्खियां पिनेकी अज़ीयत बरदाश्त करता है और नफसकी मुख्यालेफत में ख्वाहिशात छोड़कर सब्र से काम लेता है तो अल्लाह तआला उसके सिलेमें ज़िन्दगी के आखरी हिस्सेमें उसको बेहतर ज़ोनदगी अता करता है और आराम, इज़्ज़त और नेअमत से नवाज़ कर बन्दे का वाली हो जाता है।

⚘❆➮  और दुनिया व आख़ेरत मेँ उसकी परवरिश इस तरह करता है जैसे शिरख्वार बच्चे को हर तकलीफ और अज़ीयत से बचाकर उसकी परवरिश की जाती है। उसको दीन व दुनिया की तमाम नेअमतें इस तरह दी जाती है जिस तरह किनारे की तल्खीयों से गुज़र कर शहेद के जाम तक पहोंचने वाले को तमानियत (इत्मिनान-राहत) नसीब होती है।...✍


*📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  105-106 📚*

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     ❝ नेअमतों के ज़रीये इब्तेला (आज़माइश) ❞
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          ꧁  ✫⋆  हिस्सा  - 05 ⋆✫ ꧂
              
⚘❆➮ लेहाज़ा जिस बन्दे को कसीर (ज़यादा) नेअमतें अता हो , उसे खुदा की खुफिया तदबीर से डरना चाहिये। और उसकी नेअमतों को दाएमी समजकर उसमें शुक्र से गाफिल न होना चाहिये। रसूले अलयहिस्सलातो सलाम का फरमान है के नेअमत एक वेहशी जानवर है। इसे शुक्र से असीर (कैद) कर लो।

⚘❆➮  चुनान्चे माली नेअमतों का एतेराफ शुक्र के ज़रीये करते रेहना चाहिये और ख़ुदावन्द करीम के फ़ज़ल व करम पर तहदीसे नेअमत ज़ुरूरी है। माली नेअमतों पर गुरुर करना गलत है। और न उन्हें हासिल करने के बाद हद से गुज़रना चाहिये।

⚘❆➮ अल्लाह के एहकाम की तालीम करते हुए उसके हुकूक अदा करने ज़ुरूरी है। यानी ज़कात देना, कुफ्फारा अदा करना, नज़रो सदका करना, मज़लूम की दादरसी और मोहताजो की इमदाद में मसरूफ़ रेहना और सख्तीयों में हाजत मन्दोंकी इआनत करना ये और इस किस्म के दूसरे काम किये जाए। अपने आअज़ाका शुक्रिया भी अदा करना चाहिये क्योंके खुदा की इबादत करने और गुनाहों से बचने में इनकी मदद हासिल होती है।..✍


     *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  106 📚*

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     ❝ नेअमतों के ज़रीये इब्तेला (आज़माइश) ❞
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          ꧁  ✫⋆  हिस्सा  - 06 ⋆✫ ꧂
             
⚘❆➮ अपने आअज़ा का शुक्रिया भी अदा करना चाहिये क्योंके खुदा की इबादत करने और गुनाहों से बचने में इनकी मदद हासिल होती है।

⚘❆➮  नेअमतके दरख्त को शुक्र के पानी से सैराब करते हुए उसकी शाखें फूटें, पत्ते निकले और फिर लिज़्ज़त-आफरीं फल मयस्सर हो, आखिर तक दरखतोको सलामत रखना और इसके फलको चबाना और निगलने को आसान और लज़ीज़ बनाना, फलसे आफियत-व-तमानियत हासिल करना और इससे जिस्मकी नशवोनुमा करना और आअज़ा पर इसकी बरकत होना लाबुद (यकीनी) है।

⚘❆➮  इस तरह इताअत, ज़िक्र-व-शुगल और खुदा की नेअमतों के सहारे बन्दा जन्नत का हकदार बन जाता है और वहां के बागों में अंबीया, सिद्दीकीन, शोहदा और सालेहीन जैसे बेहतरीन रफकाकी मअय्यत (साथ) में हंमेशा हंमेशा के लिये रहना उसका मुकद्दर बन जाता है।....✍

     *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  106-107 📚*

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     ❝ रहमते खुदावन्दी के बगैर जन्नत कैसी ❞
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          ꧁  ✫⋆  हिस्सा  - 01 ⋆✫ ꧂             
 
⚘❆➮ हज़रत शैख अब्दुलकादर जीलानी رضي الله تعالي عنه ने फरमया जब अल्लाह तआला बन्दे के सवालको कुबूल करके उसकी तलबकरदा चीज़ उसे अता फ़रमाता देता है तो उससे न तो खुदा के इरादेमें कोई फर्क आता है, न किस्मत के खिलाफ होता है जिसे लिखकर कलम खुश्क हो चुका है, इस पर इल्मे खुदा सबक़त (तरजीह) कर चुका है। बन्देका सवाल पेहले से मुकर्रर वक्त में इरादाए खुदावन्दी से हम आहंग हो जाता है। और दुआ की कुबूलियत और हाजत पूरी होने का वक्त भी पूरा हो चुक्ता है।

⚘❆➮ इर्शादे बारी है "कुल यवमिन हू फी शान", यानी उसकी शान हर रोज़ नई है।..✍


*📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  148-149 📚*

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     ❝ रहमते खुदावन्दी के बगैर जन्नत कैसी ❞
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          ꧁  ✫⋆  हिस्सा  - 02 ⋆✫ ꧂
              
⚘❆➮ इर्शादे बारी है, "कुल यवमिन हू फी शान", यानी उसकी शान हर रोज़ नई है। उलमाने उसकी तफ़सीर में कहा है के मकदारात को उनके अवकात तक ले जाया जाता है, चुनान्चे जिस तरह बन्दे को सिर्फ उसकी दुआओं की वजह से अल्लाह तआला दुनिया में कोई चीज़  अता नहीँ फ़रमाता।
   
⚘❆➮  इसी तरह महेज़ दुआओं के ज़रीये से किसी शैअको दूर भी नहीं किया जाता। हदीसे पाक में है "दुआके सिवा तकदीर नहीं पलटती।" इसका मफ़हूम ये बताया गया के इससे मुराद वो दुआ है जिससे कज़ा के दूर हो जाने से खुद कज़ा पूरी हो चुकी हो।

⚘❆➮ इसी तरह ये हुकम भी है के, "अपने अमलके ज़रीये कोई शख्स आख़ेरत में दाखिले बहिश्त नहीं होगा। बल्के जन्नत में अल्लाह की रहमत ही से हर आदमी जाएगा।" मगर जन्नत के बन्दों के अमाल के अंदाज़े पर दरजात अता किये जाऐंगे।...✍


     *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  149 📚*

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     ❝ रहमते खुदावन्दी के बगैर जन्नत कैसी ❞
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                     ❢  हिस्सा  - 03  ❢
            
⚘❆➮ हदीसे पाक में है "दुआ के सिवा तकदीर नहीं पलटती।" इसका मफ़हूम ये बताया गया के इससे मुराद वो दुआ है जिससे कज़ा के दूर हो जाने से खुद कज़ा पूरी हो चुकी हो। इसी तरह ये हुकम भी है के, "अपने अमल के ज़रीये कोई शख्स आख़ेरत में दाखिले बहिश्त नहीं होगा। बल्के जन्नत में अल्लाह की रहमत ही से हर आदमी जाएगा।" मगर जन्नत के बन्दों के आअमाल के अंदाज़े पर दरजात अता किये जाऐंगे।

⚘❆➮ हज़रत आयशा रदिअल्लाहु अन्हा फरमाती है "मैंने हुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से पूछा के कोई आदमी महेज़ अपने आअमाल की बिना पर जन्नत का मुस्तहिक़ है?" तो आप ने फ़रमाया "नहीं, जब तक रहमते खुदावन्दी शामिले हाल न हो।" मैंने अर्ज़ किया "आपभी?" फ़रमाया "हां ! मैं भी उस वक्त तक जन्नत में दाखिल न होऊंगा जब तक रेहमते खुदावन्दी मुज़े ढांप न ले। ये फरमा कर आपने दायां हाथ अपने सर मुबारक पर रख दिया।

⚘❆➮ सिर्फ आअमाल की वजह से जन्नत में दाखिल न होने का सबब ये है के खुदा तआला पर किसी शख्स का कोई हक भी नहीं और न उसके लिये वादे की तकमील ज़ुरूरी है।...✍

  
        *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  149 📚*

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     ❝ रहमते खुदावन्दी के बगैर जन्नत कैसी ❞
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                        ❢  हिस्सा  - 04  ❢
              
⚘❆➮ सिर्फ आअमाल की वजहसे जन्नतमें दाखिल न होने का सबब ये है के खुदा तआला पर किसी शख्स का कोई हक भी नहीं और न उसके लिये वादे की तकमील ज़ुरूरी है। खुदातआला तो जिस फैअल का इरादा करता है उसे कर देता है, जिसे चाहता है अज़ाब में मुब्तेला कर देता है और जिसे चाहता है माफ़ करके रहेम फ़रमाता है।
⚘❆➮ खुदा से उसके फैअल और इरादेके बारे में कोई सवाल भी नहीं कर सकता, अलबत्ता ख़ुदावन्द तआला जिससे चाहे सवाल करता है। जिसे चाहता है वफूरे रहमतों एहसान से बेहिसाब अता फरमा देता है। और जिसे चाहता है अपने इन्साफ के ज़रीये नहीं देता।..✍


     *📬  फुतूहल   ग़ैब   सफ़ह  150 📚*

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अल्हम्दुलिल्लाह अज़्ज़वजल पोस्ट मुक़म्मल हुआ
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