🅿🄾🅂🅃 ➪ 01
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❝ ⋆ हिस्सा - 01 ⋆ ❞
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❁➲ खुदाए जुल जलाल ने अपने प्यारे महबूब ﷺ को इस क़दर कसीर मोजिज़ात अता फरमाए है कि शुमार नहीं किये जा सकते। जो मौजिज़े दीगर अम्बियाए किराम को फरदन फरदन अता हुवे वो सब बल्कि उन से भी कहीं ज़्यादा आप ﷺ की ज़ाते आली में जमा कर दिये गए।
❁➲ प्यारे आक़ा ﷺ के इन हज़ारहा मिजिज़ात में से एक मशहूर तरीन मोजिज़ा और काइनात का सबसे मुंफरीद वाक़ीआ मेराज शरीफ का है। ये एक मिजिज़ा अपने ज़िमन् में बहुत से मिजिज़ात लिये हुवे है मसलन आप ﷺ का सीना मुबारक खोल कर क़ल्बे अतहर (दिल) को बाहर निकाल लिया जाना लेकिन इसके बावजूद आप ﷺ को किसी किस्म का कोई नुक़्सान न पहुंचना बल्कि होशो हवास में रहते हुवे तमाम सूरते हाल भी मुलाहज़ा फरमाना, इसी तरह रौशनी से बी ज़्यादा तेज़ रफ़्तार बुराक़ की सुवारी करना वगैरा इसी सफरे मेराज में पेश आने वाले वाक़ीयात है और बजाते खुद भी मौजिज़े की हैसिय्यत रखते है।
❁➲ बहर हाल सफरे मेराज हुज़ूर ﷺ का वो अज़ीमुश्शान मोजिज़ा है कि तारीख में इस की मिसाल नहीं मिलती और इस से आप ﷺ की शाने अज़मत और बारगाहे रब्बुल इज़्ज़त में आपकी महबूबिय्यत आफताब से भी ज़्यादा रौशनी और वाज़ेह तर हो जाती है।...✍🏻
*📬 फैज़ाने मेराज़ सफ़ह 49 📔*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 02
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❝ ⋆ हिस्सा - 02 ⋆ ❞
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❁➲ प्यारे आक़ा ﷺ के सफरे मेराज से हासिल होने वाले चन्द खूबसूरत मदनी फूल मुलाहज़ा कीजिये
❁➲ मका से बैतूल मुक़द्दस की तरफ जाते हुवे रास्ते में जिब्राइल ने हुज़ूर ﷺ को तीन मक़ामात पर नमाज़ पढ़ने के लिये कहा और आप ﷺ ने नमाज़ अदा फ़रमाई
❁1⃣➲ मदीना की पाक ज़मीन में, जिस की तरफ मुसलमानों की हिजरत होने वाली थी।
❁2⃣➲ तुर पहाड़ पर, जहाँ अल्लाह ने हज़रते मूसा عليه السلام से कलाम फ़रमाया था।
❁3⃣➲ बैते लहम में जहाँ हज़रते ईसा عليه السلام की विलादत हुई।
❁➲ इससे मालुम हुवा कि ये मक़ामात बहुत ही अज़मत वाले है और क्यूं न हो कि इन्हें अल्लाह के जलिलुल क़द्र अम्बियाए किराम عليه السلام के साथ निस्बत है।
❁➲ हज़रते अल्लामा मुफ़्ती अहमद यार खान नईमी رحمة الله عليه फ़रमाते है जिस चीज़ को सालिहीन से निस्बत हो जाए वो चीज़ अज़मत वाली बन जाती है।
❁➲ नीज़ इस से तबर्रुकाते सालिहीन से बरकत लेने का सुबूत भी मिलता है। चुनान्चे हासियाए सिन्धी में है कि हुज़ूर ﷺ का ये अमले मुबारक आसारे सालिहीन को तलाश करने, उनसे बरकत लेने और उनके पास अल्लाह की इबादत करने के सिलसिले में बहुत बड़ी दलील है।..✍🏻
*📬 फैज़ाने मेराज़ सफ़ह 50 📔*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 03
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❝ ⋆ हिस्सा - 03 ⋆ ❞
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❁➲ इस मुबारक सफर में आप ﷺ ने हज़रते मूसा عليه السلام को अपनी क़ब्रे मुबारक में नमाज़ पढ़ते मुलाहज़ा फ़रमाया। इससे पता चला कि अम्बियाए किराम अपनी मुबारक क़ब्रों में ज़िन्दा है, वादए इलाही "हर जान को मौत चखनी है" की तस्दीक़ के लिये फ़क़त एक आन के लिये उनकी वफ़ात होती है फिर उसी तरह हयाते हक़ीक़ी अता कर दी जाती है।
❁➲ आला हज़रत, इमामे अहले सुन्नत शाह इमाम अहमद रज़ा खान رحمة الله عليه फ़रमाते है: ज़मीन उनके मुबारक जिस्मों को नहीं खाती, उनकी हयात, हयाते शुहदा से भी ज़्यादा अरफअ व आला होती है, यही वजह है कि उनका माले विरासत तक़्सीम नहीं होता और उनके दुन्याए ज़ाहिर से पर्दा फरमाने के बाद उन की अज़्वाज को किसी से निकाह करना मना होता है।
❁➲ इसी से ये भी मालुम हुवा कि ये हज़राते कुदसिय्या रब तआला के इज़्न व अता से जहाँ चाहते है आते जाते है और रब ने उन्हें इस क़दर वसी इक्तियारात और ताक़तों कुव्वत से नवाज़ा है कि काइनात में किसी को हासिल नहीं।...✍🏻
*📬 फैज़ाने मेराज़ सफ़ह 51 📔*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 04
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❝ ⋆ हिस्सा - 04 ⋆ ❞
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❁➲ दीगर अम्बियाए किराम की ये शान है कि बैतूल मुक़द्दस में प्यारे आक़ा ﷺ की इक़्तिदा में नमाज़ अदा की फिर आन की आन में आस्मान पर आप ﷺ के इस्तिक़बाल के लिये हाज़िर हो गए तो खुद सय्यिदुल अम्बिया ﷺ की अज़्मतों शान और ताक़तों क़ुव्वत का आलम क्या होगा?
❁➲ इससे मालुम हुवा की आप ﷺ की बारगाह में बुराक़ को हाज़िर लाया जाना और हुज़ूर ﷺ का उस पर सवार हो कर बैतूल मुक़द्दस और आसमानों की सैर को तशरीफ़ लर जाना महज़ आप ﷺ की ताज़ीम व तकरिम और इज़हारे शान के लिये था। इससे हरगिज़ ये नहीं कहा जा सकता कि आप इस सैर के लिये बुराक़ के मोहताज थे, ये हो ही नहीं सकता है कि आप कभी किसी मुआमले में किसी मख्लूक़ के मोहताज हों। आप ﷺ रब के नाइबे अकबर है जिसको जो मिला आप ﷺ के तवस्सुल से ही मिला।
❁➲ सब को हुज़ूर अक़दस ﷺ की हाजत है और आपको रब के सिवा किसी के मोहताज नहीं। बुखारी शरीफ की हदीस है कि आक़ा ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया में तक़्सीम करने वाला हूँ और अल्लाह अता फ़रमाता है।...✍🏻
*📬 फैज़ाने मेराज़ सफ़ह 53 📔*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 05
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❝ ⋆ हिस्सा - 05 ⋆ ❞
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❁➲ मुफ़्ती अहमद यार खान नईमी رحمة الله عليه फ़रमाते है हुज़ूर ﷺ का बुराक़ पर सुवार होना इज़हारे शान के लिये था जैसे दुल्हन घोड़े पर होते है बाराती पैदल और घोड़ा खिरामां खिरामां चलता है। बुराक़ की ये रफ़्तार भी खिरामां थी वरना उस दिन खुद हुज़ूर ﷺ की अपनी रफ़्तार बुराक़ से ज़्यादा तेज़ होती।
❁➲ देखो हज़राते अम्बियाए किराम ने बैतूल मुक़द्दस में हुज़ूर ﷺ के पीछे नमाज़ पढ़ी और हुज़ूर ﷺ को विदा किया मगर आसमानों पर हुज़ूर ﷺ से पहले पहुंच गए और हुज़ूर ﷺ का इस्तक़बाल किया, क्योंकि आज इन हज़रात की कारकर्दगी का दिन था हुज़ूर ﷺ के दूल्हा बनने का दिन था, ये है नबी की रफ़्तार।
❁➲ वाक़ीअए मेराज से ये बात भी पता चलती है कि रहमते आलम ﷺ को बारगाहे इलाही में ऐसी बारयाबी हासिल है कि बार बार हाज़िर हो सकते है कि हज़रते मूसा عليه السلام की नमाज़ों में कमी के सिलसिले में अर्ज़ व मारुज़ सुन कर वहीं से दुआ न कर दी बल्कि बार बार हज़रते मूसा عليه السلام और रब के दर्मियान आते जाते रहे।
❁➲ इससे नमाज़ों की अज़मत का भी पता चला कि ये अल्लाह ने अपने महबूब को सातों आसमानों बल्कि अर्श व कुरसी से भी वराअ ला मकां में बुला कर अता फ़रमाई है।...✍🏻
*📬 फैज़ाने मेराज़ सफ़ह 54 📔*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 06
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❝ क़ुरआन में मे'राज का बयान ❞
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✫⋆ हिस्सा - 01 ⋆✫
❁➲ अल्लाह ने क़ुरआन में 3 मक़ाम पर इस का ज़िक्र फ़रमाया है।
➊ █▓▒░ पहला मक़ाम ░▒▓█ ➊
❁➲ सूरए बनी इसराइल में इर्शाद हुआ पाकी है उसे जो रातो रात अपने बन्दे को ले गया मस्जिदे हराम (काबा) से मस्जिदे अक़्सा (बैतूल मुक़द्दस) तक जिस के गिर्दा गिर्द हमने बरकत रखी कि हम उसे अपनी अज़ीम निशानियां दिखाएँ बेशक वो सुनता देखता है।
بنى اسراىٔيل، ١
❁➲ मुफ़स्सिरीने किराम फ़रमाते है जब हुज़ूर ﷺ शबे मेराज बुलन्द तरीन मरतबों पर फाइज़ हुवे तो रब ने खिताब फ़रमाया ऐ मुहम्मद ये फ़ज़ीलत व शरफ में ने तुम्हें क्यूं अता फ़रमाया? आप ﷺ ने अर्ज़ किया इस लिये कि तूने मुझे अब्दिय्यत के साथ अपनी तरफ मन्सूब फ़रमाया, इस पर ये आयत नाज़िल हुई।
❁➲ इस आयत में प्यारे आक़ा ﷺ की ज़मीनी सैर (मस्जिदे हराम से बैतूल मुक़द्दस तक) का ज़िक्र है।
❁➲ इससे चन्द एक मदनी फूल हासिल हुवे जो हम अगली पोस्ट में देखेंगे ان شاء الله...✍🏻
*📬 फैज़ाने मेराज़ सफ़ह 56 📔*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 07
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❝ क़ुरआन में मे'राज का बयान ❞
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✫⋆ हिस्सा - 02 ⋆✫
आयत को लफ्ज़سُبْحٰنٙसे शुरू करने की हिकमत
❁➲ अल्लाह ने इस आयत के शुरू में سُبْحٰنٙ الّٙذِىْ कह कर अपनी पाकी बयान फ़रमाई। ये कलिमा तअज्जुब के मौक़ा पर बोला जाता है, उलमा फ़रमाते है चुकीं वाक़ीआए मेराज बहुत ही हैरत अंगेज़ वाक़ीआ है और इन्सानी अक़्ल वाक़ीआए मेराज बहुत ही हैरत अंगेज़ वाक़ीआ है और इन्सानी अक़्ल से बाला तर। इसी लिये फ़रमाया سُبْحٰنٙ الّٙذِىْ यानी ये उस के इरादे से हुवा जो इज्ज़ से पाक है हर तरह क़ादिर है। हुज़ूर ﷺ के जिस्मे अतहर का ऊपर की तरफ जाना, कुर्रए आग व ज़महरीर से सलामत गुज़र जाना, आसमानों में दाखिल हो जाना, जन्नत व दोज़ख की सैर फरमाना, फिर इस क़दर जल्द वापस आ जाना अगर्चे बहुत मुश्किल मालुम होता है, मगर रब्बे क़दीर के नज़दीक कुछ मुश्किल नहीं।
*गुनाहों से नजात पाने का नुस्खा*
❁➲ हज़रत मुफ़्ती अहमद यार खान नईमी رحمة الله عليه फ़रमाते है जो कोई इस इसमें इलाही का वज़ीफ़ा करे "يٙا سُبْحٰنٙ" पढ़ा करे अल्लाह उसे गुनाहों से पाक फ़रमाएगा। हर इसमें इलाही की तजल्ली आमिल पर पड़ती है जो "يٙا غٙنِى" का वज़ीफ़ा पढ़े खुद गनी और मालदार हो जावे।..✍🏻
*📬 फैज़ाने मेराज़ सफ़ह 57 📔*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 08
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❝ क़ुरआन में मे'राज का बयान ❞
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✫⋆ हिस्सा - 03 ⋆✫
*☝🏻 अल्लाह की क़ुदरत का बयान*
❁➲ अपनी पाकी का बयान फरमाने के बाद اٙسْرٰى का लफ्ज़ इर्शाद फ़रमाया जिस का मतलब है: ले गया। गौर कीजिये! अल्लाह ने हुज़ूर ﷺ को जाने वाला नहीं फ़रमाया बल्कि अपनी ज़ाते मुक़द्दस को ले जाने वाला फ़रमाया।
❁➲ उलमा फ़रमाते है कि अल्लाह ने लफ्ज़ سبحان और اسرى फरमा कर मेराज जिस्मानी पर होने वाले हर एतिराज़ का जवाब दिया है, गोया यूँ फ़रमाया कि ऐ मुन्किरो! खबरदार! वाक़ीआए मेराज में मेरे हबीब पर एतिराज़ करने का तुम्हें कोई हक़ नहीं। इस लिये कि इन्होंने मेराज करने और मस्जिदे अक़्सा या आसमानों पर खुद जाने का दावा नहीं किया। ऐसी सूरत में तुम्हें इन पर एतिराज़ करने का क्या हक़ है? ये दावा तो मेरा है कि में अपने हबीब को ले गया। अब अगर मेरे ले जाने पर एतिराज़ है कि अल्लाह कैसे ले गया? ये ले जाना और ज़रा सी देर में आसमानों की सैर करा के वापस ले आना तो मुमकिन नहीं तो याद रखो कि में سبحان (हर इज्ज़ व कमज़ोरी से पाक) हूँ। जो चीज़ मख्लूक़ के लिये आदतन नामुमकिन और महाल है अगर मेरे लिये भी उसी तरह मुहाल और नामुमकिन हो तो में आजिज़ और नातुवां ठहरूँगा और आजिज़ी व नातुवानी ऐब है और में हर ऐब से पाक हूँ।..✍🏻
*📬 फैज़ाने मेराज़ सफ़ह 58 📔*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 09
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❝ क़ुरआन में मे'राज का बयान ❞
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✫⋆ हिस्सा - 04 ⋆✫
*मेराज जिस्मानी का सुबूत*
❁➲ इस आयत से यह भी मालुम हुई कि हुज़ूर ﷺ की ये मेराज फ़क़त रूहानी न थी बल्कि जिस्म और रूह दोनों के साथ थी।
❁➲ चुनान्चे आला हज़रत رحمة الله عليه इर्शाद फ़रमाते है कि मेराज शरीफ यक़ीनन क़तअन इसी जिस्मे मुबारक के साथ हुवा न कि फ़क़त रूहानी, जो उनके अता से उन के गुलामों को भी होता है, अल्लाह फ़रमाता है पाकी है उसे जो रात में ले गया अपने बन्दे को।
❁➲ ये न फ़रमाया कि ले गया अपने बन्दे की रूह को।
*⚠नॉट ❁➲* याद रहे की मेराज शरीफ ब हालते बेदारी जिस्म व रूह दोनों के साथ वाकेंअ हुई, यही जमहुर अहले इस्लाम का अक़ीदा है और असहाबे रसूल की कसीर जमाअतें और हुज़ूर के अजिल्ला असहाब इसी के मोतकिद है।..✍🏻
*📬 फैज़ाने मेराज़ सफ़ह 59 📔*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 10
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❝ क़ुरआन में मे'राज का बयान ❞
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✫⋆ हिस्सा - 05 ⋆✫
❷ █▓▒░ दूसरा मक़ाम ░▒▓█ ❷
❁➲ सूरए बनी इसराइल में ही आयत 60 में है और हम ने न किया वह दिखावा जो तुम्हें दिखाया था मगर लोगों की आज़माइश को।
❁➲ मेराज की सुबह जब हुज़ूर ﷺ ने लोगों को इस बारे में बताया तो आप ﷺ पर ईमान लेन वाले बाज़ लोग मुर्तद हो गए, इस आयत में उन लोगों को आज़माइश में डाले जाने का ज़िक्र है।
❁➲ इस आयत से भी यही पता चलता है की मेराज सिर्फ रूह को न हुई बल्कि जिस्म और रूह दोनों को हुई क्योंकि अगर हालते ख्वाब में फ़क़त रूह को मेराज होती तो किसी को एतराज़ न होता।
❸ █▓▒░ तीसरा मक़ाम ░▒▓█ ❸
❁➲ सूरए नज्म आयत 1 से 18 में है इस प्यारे चमकते तारे मुहम्मद की क़सम! जब ये मेराज से उतरे तुम्हारे साहिब न बहके न बे राह चले और वो कोई बात अपनी ख्वाहिश से नहीं करते वो तो नहीं मगर वही जो उन्हें की जाती है उन्हें सिखाया सख्त कुव्वतों वाला ताक़तवर ने फिर उस जलवे ने क़स्द फ़रमाया और वो आसमाने बरी के सब से बुलन्द किनारे पर था फिर वो जल्वा नज़्दीक हुवा फिर खूब उतर आया तो उस जलवे और उस महबूब में दो हाथ का फ़ासिला रहा बल्कि इससे भी कम अब वही फ़रमाई अपने बन्दे को जो वही फ़रमाई दिल ने झूट न कहा जो देखा तो क्या तुम उनसे उनके देखे हुवे पर झगड़ते हो और उन्हों ने तो वो जल्वा दो बार देखा सिद्रतुल मुन्तहा के पास उस के पास जन्नतुल मावा है जब सिद्रा पर छा रहा था जो छा रहा था आँख न किसी तरफ फिरि न हद से बढ़ी बेशक अपने रब की बहुत बड़ी निशानियां देखीं।
❁➲ इन आयत में नज्म (तारे) से क्या मुराद है इसकी तफ़सीर में बहुत से क़ौल है बाज़ ने सितारे मुराद लिये, बाज़ ने सितारों की एक खास किस्म सुरैया और बाज़ ने क़ुरआन मुराद लिया है। राजेह क़ौल यह है की इससे हुज़ूर ﷺ की ज़ात मुराद है।..✍
*📬 फैज़ाने मेराज़ सफ़ह 61 📔*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 11
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❝ मेराज शरीफ के हवाले से मुफीद मालूमात ❞
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✫⋆ हिस्सा - 01 ⋆✫
▓ मेराज का इन्कार करना कैसा ? ▓
❁➲ हज़रत नईमुद्दीन मुरादाबादी رحمة الله عليه फ़रमाते है 27 रजब को मेराज हुई। मक्का से हुज़ूर ﷺ का बैतूल मुक़द्दस तक रात के छोटे हिस्से में तशरीफ़ ले जाना नसरे क़ुरआनी से साबित है। इस का इन्कार करने वाला काफ़िर है।
और आसमानों की सैर और मनाज़िले क़ुर्ब में पहुंचना अहादिसे सहिहा मोतमदा मशहुरा से साबित है, जो हद्दे तवातुर के क़रीब पहुंच गई है इस का इन्कार करने वाला गुमराह है।
❁➲ उरूज या एराज यानी हुज़ूर ﷺ के सर की आँखों से दीदारे इलाही करने और फौक़ल अर्श (अर्श से ऊपर) जाने का इन्कार करने वाला खाती यानी खताकार है।..✍
*📬 फैज़ाने मेराज़ सफ़ह 62 📔*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 12
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❝ मेराज शरीफ के हवाले से मुफीद मालूमात ❞
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✫⋆ हिस्सा - 02 ⋆✫
▓ मेराज शरीफ की हिकमतें ▓
❁➲ अल्लाह का कोई काम हिकमत से खाली नहीं होता, उस हकीम के हर काम में बे शुमार हिकमते होती है अगर्चे हमारी अक़्लें उसे समझने से क़ासिर है। यक़ीनन अपने महबूब को मेराज कराने के सिलसिले में भी उसकी बेशुमार हिकमतें होंगी, यहाँ बिल्कुल ज़ाहिर सिर्फ 4 हिकमतें बयान की जाती है। मुफ़्ती अहमद यार खान رحمة الله عليه फ़रमाते है।
❁➲ (1) तमाम मोजिज़ात और दरजात जो अम्बिया को अता फरमाए गए वो तमाम बल्कि उनसे बढ़ कर हुज़ूर ﷺ को अता हुवे। इसकी बहुत सी मिसाले है: हज़रते मूसा कलीमुल्लाह عليه السلام को ये दर्जा मिला कि वो कोहे तुर पर जा कर रब से कलाम करते थे, हज़रते ईसा عليه السلام चौथे आसमान पर बुलाए गए और हज़रत इदरीस عليه السلام जन्नत में बुलाए गए तो हुज़ूर को मेराज दी गई जिस्मे अल्लाह से कलाम भी हुवा आसमान की सैर भी हुई, जन्नत व दोज़ख का मुआइना भी हुवा गर्ज़ की वो सारे मरातिब एक मेराज में तै करा दिये गए।
❁➲ (2) तमाम पैगम्बरों ने अल्लाह की और जन्नत व दोज़ख की गवाहियाँ दी और अपनी अपनी उम्मतों से पढ़वाया कि اٙشْهٙدُ اٙنْ لّٙااِله اِلّٙا اللٰهُ मगर उन हज़रात में से किसी की गवाही देखि हुई न थी सुनी हुई थी और गवाही की इन्तिहा देखने पर होती है तो ज़रूरत थी की इस जमाअते पाक अम्बिया में कोई हस्ती वो भी हो कि उन तमाम चीजों को देख कर गवाही दे, उस की गवाही पर शहादत की तकमील हो जाए। ये शहादत की तकमील हुज़ूर ﷺ की ज़ात पर हुई।....✍
*📬 फैज़ाने मेराज़ सफ़ह 63 📔*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 13
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❝ मेराज शरीफ के हवाले से मुफीद मालूमात ❞
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✫⋆ हिस्सा - 03 ⋆✫
▓ मेराज शरीफ की हिकमतें ▓
❁ 3⃣ ➲ रब ने सूरए तौबा आयत 111 में फ़रमाया अल्लाह ने मुसलमानों की जान व माल खरीद लिये जन्नत के बदले में।
❁ ➲ अल्लाह मुसलमानों की जान व माल का खरीदार, मुसलमान फरोख्त करने वाले और ये सौदा हुवा हुज़ूर ﷺ की मारिफ़त से और जिस की मारिफ़त से सौदा हो वो माल को भी देखे और क़ीमत को भी। फ़रमाया गया ऐ महबूब! तूने मुसलमानों की जान व माल तो देख लिये, आओ! जन्नत को भी देख जाओ और गुलामों की इमारतें और बागात वगैरा भी मुलाहज़ा कर लो बल्कि खरीदार को भी देख लो यानी खुद परवरदिगार की ज़ात को भी।
❁ 4⃣ ➲ हुज़ूर ﷺ तमाम ममलुकते इलाहिय्या के ब अताए इलाही मालिक है इसी लिये जन्नत के पत्ते पत्ते पर, हूरों की आँखों में गर्ज़ कि हर जगह लिखा हुवा है ये कि चीज़ें अल्लाह की बनाई हुई है और मुहम्मदुर रसूलुल्लाह को दी हुई है।
❁ ➲ मर्ज़िये इलाही ये थी कि मालिक को उस की मिल्किय्यत दिखा दी जावे।..✍
*📬 फैज़ाने मेराज़ सफ़ह 64 📔*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 14
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❝ मेराज शरीफ के हवाले से मुफीद मालूमात ❞
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✫⋆ हिस्सा - 04 ⋆✫
▒ मे'राज शरीफ कितनी बार हुई? ▒
❁ ➲ मेराज शरीफ बेदारी की हालत में जिस्म और रूह के साथ सिर्फ एक बार हुई, हाँ! रूहानी तौर पर बहुत दफा हुई।
❁ ➲ हज़रत अल्लामा अहमद बिन मुहम्मद कस्तलानि رحمة الله عليه नक़्ल फ़रमाते है बाज़ आरिफिन का फरमान है कि हुज़ूर ﷺ को 34 मर्तबा मेराज हुई इन में से एक जिस्म के साथ और बाक़ी रूह के साथ ख्वाबों की सूरत में हुई।..✍
*📬 फैज़ाने मेराज़ सफ़ह 65 📔*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 15
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❝ मेराज शरीफ के हवाले से मुफीद मालूमात ❞
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✫⋆ हिस्सा - 05 ⋆✫
▒ दीगर अम्बियाए किराम भी बुराक़ पर सुवार हुवे? ▒
❁ ➲ अगर्चे दीगर अम्बियाए किराम ने भी बुराक़ पर सुवारी फ़रमाई है जैसा कि मरवी है कि हज़रते इब्राहिम عليه السلام मक्का में अपने सहजादे हज़रत इस्माइल عليه السلام से मुलाक़ात फरमाने के लिये बुराक़ पर सुवार हो कर तशरीफ़ लाते थे। ताहम इस में भी आप ﷺ की खुसुसिय्यत के पहलू मौजूद है।
❁ ➲ हज़रत अल्लामा नूरुद्दीन अली बिन इब्राहिम رحمة الله عليه फ़रमाते है हुज़ूर ﷺ के इस पर सुवारी के वक़्त बुराक़ जहाँ तक नज़र पहुँचती वहां अपना क़दम रखता था जब कि पहले के अम्बियाए किराम जब इस पर सुवार हुवे उस वक़्त इस की ये रफ़्तार नहीं थी।
❁ ➲ एक रिवायत के मुताबिक़ हशर में सिर्फ प्यारे आक़ा ﷺ बुराक़ की सुवारी फरमाएंगे। मरवी है कि एक दफा हुज़ूर ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया हज़रते सालेह عليه السلام के लिये नाक़ए समुद (इससे मुराद वो ऊंटनी है जो सालेह عليه السلام की दुआ से बतौरे मोजिज़ा एक पथ्थर से पैदा हुई थी) उठाया जाएगा, वो अपनी क़ब्र से उस पर सुवार हो कर मैदाने हशर में आएँगे। इस पर मुआज़ बिन जबल رضي الله عنه अर्ज़ गुज़ार हुवे या रसूलल्लाह ﷺ आप अपनी मुक़द्दस ऊंटनी पर सुवार होंगे? फ़रमाया नहीं, इस पर तो मेरी साहिब ज़ादी सुवार होगी और में बुराक़ पर तशरीफ़ रखूंगा कि उस रोज़ सब अम्बियाए किराम से अलग खास मुझ ही को अता होगा।...✍
*📬 फैज़ाने मेराज़ सफ़ह 67 📔*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 16
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❝ मेराज शरीफ के हवाले से मुफीद मालूमात ❞
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✫⋆ हिस्सा - 06 ⋆✫
▒ ज़मीन से सिद्रतुल मुन्तहा का फ़ासिला ▒
❁ ➲ हुज़ूर ﷺ फ़रमाते है ज़मीन से सिद्रतुल मुन्तहा तक पचास हज़ार बसर की राह है, इससे आगे मुस्तवा, इसके बाद को अल्लाह जाने! इससे आगे अर्श के 70 हिजाबात है हर हिजाब से दूसरे हिजाब तक 500 बरस का फ़ासिला और इससे आगे अर्श और इन तमाम बसअतो में फ़रिश्ते भरे हुवे है।
▒ *दीदारे इलाही* ▒
❁ ➲ मेराज की शब् आक़ा ﷺ ने अल्लाह का दीदार भी किया जैसा कि पिछली पोस्टों में बयान हो चुका, याद रहे कि दुन्या में जागती आँखों से परवरदिगार का दीदार सिर्फ और सिर्फ हमारे आक़ा ﷺ के साथ ख़ाससा है लिहाज़ा अगर कोई शख्स दुन्या में जागती हालत में दीदारे इलाही का वादा करे उस पर हुक्मे कुफ़्र है जब कि एक क़ौल इस बारे में गुमराही का भी है,
❁ ➲ हज़रत मुल्ला अली क़ारी رحمة الله عليه मिन्हुररौज़ में लिखते है: अगर किसी ने कहा में अल्लाह को दुन्या में आँखों से देखता हूँ ये कहना कुफ़्र है। मज़ीद लिखते है जिसने अपने लिये दीदारे खुदावन्दी का दावा किया और ये बात सराहत के साथ (बिलकुल वाज़ेह तौर पर) की और किसी तावील की गुंजाईश नहीं छोड़ी तो उस का ये ऐतिक़ाद फासिद् और दावा गलत है, वो गुमराही के गढ़े में है और दूसरे को गुमराह करता है।
❁ ➲ हाँ! ख्वाब में दीदारे इलाही मुमकिन है, चुनान्चे मन्कुल है की हमारे इमामे आज़म अबू हनीफा رضي الله عنه ने सो बार ख्वाब में अल्लाह के दीदार की सआदत हासिल की।...✍
*📬 फैज़ाने मेराज़ सफ़ह 68 📔*
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❝ शबे में'राज के मुशाहदात ❞
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✫⋆ हिस्सा - 01 ⋆✫
❁ ➲ शबे मेराज में प्यारे आक़ा ﷺ ने काइनात की सैर फ़रमाते हुए करोड़ों अजाइबाते कुदरत मुलाहज़ा फरमाए, जन्नत में तशरीफ़ ले जा कर अपने गुलामों के जन्नती महल और मक़ामात भी मुलाहज़ा फरमाए नीज़ जहन्नम को मुआयना फरमा कर जहन्नमियों को होने वाले दर्दनाक अज़ाब भी देखे और फिर इन में से बहुत कुछ उम्मत की तरगिब् व तरहिब के लिये बयान फरमा दिया ताकि नेक और अच्छे आमाल करने के ज़रीए लोग जहन्नम से बचने की तदबीर करें और जन्नत की लाज़वाब नेमतों का सुन कर उन तक रसाई पाने के लिये कोशां हों।...✍
*📬 फैज़ाने मेराज़ सफ़ह 70 📔*
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❝ शबे में'राज के मुशाहदात ❞
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✫⋆ हिस्सा - 02 ⋆✫
*🔮 जन्नत के दरवाज़े पर क्या लिखा था..?*
❁ ➲ हज़रते अनस बिन मालिक رضي الله عنه से रिवायत है, हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाय जिस रात मुझे मेराज हुई में ने जन्नत के दरवाज़े पर ये लिखा हुवा देखा कि सदके का सवाब 10 गुना और क़र्ज़ का 18 गुना है। मेने जिब्राइल से दरयाफ़्त किया क्या सबब है कि क़र्ज़ का दर्जा सदके से बढ़ गया है? कहा कि साईल के पास माल होता है और फिर भी सुवाल करता है जब कि क़र्ज़ लेने वाला हाजत की बिना पर ही क़र्ज़ लेता है।
❁ ➲ मीठे और प्यारे इस्लामी भाइयो! दीने इस्लाम हमें मुसलमानों की खैरख्वाहि का दर्स देता है, एक दूसरे से हमदर्दी का पैगाम देता है और इस बात की तरफ हमारी रहनुमाई करता है कि अगर कभी कोई मुसलमान किसी परेशानी व मुसीबत का शिकार हो जाए तो उससे मुह मोड़ने के बजाए परेशानी से निकलने में उस की मदद करनी चाहिये और अगर माली तौर पर किसी को आज़माइश का सामना हो तो तोहफे की सूरत में या क़र्ज़े हसना दे कर उसे इससे बाहर निकालना चाहिये, फिर इन आमाले हसना पर बे शुमार अज्रो सवाब की बशारत भी अता फ़रमाई ताकि मुसलमानो को इन में खूब खूब रगबत हो और वो सवाबे आख़िरत को पेशे नज़र रखते हुवे हर दुःख दर्द में अपने मुसलमान भाई का साथ दे।
❁ ➲ लेकिन आह! फी ज़माना मुसलमानों में एक दूसरे की खैर ख्वाहि की सोच बिलकुल खत्म होती जा रही है, मालो दौलत का इन्हें ऐसा नशा चढ़ा है कि एक दूसरे से तआवुन का जज़्बा ही डीएम तोड़ता जा रहा है। ऐ काश! हम हक़ीक़ी मानों में इस्लाम की तालीमात पर अमल पैरा हो जाएं और हर मुसलमान भाई की परेशानी को अपनी परेशानी समझ कर दूर करने की कोशिश करें कि हज़रते अबू हुरैरा رضي الله عنه से रिवायत है।
❁ ➲ आक़ा ﷺ ने फ़रमायाजो किसी मुसलमान से दुन्या की तकलीफ़ो में से एक तकलीफ दूर करदे अल्लाह उसकी क़यामत के दिन की तकलीफों में से एक तकलीफ दूर फ़रमाएगा, जो किसी तंगदस्त पर दुन्या में आसानी करे अल्लाह दुन्या व आख़िरत में उस पर आसानी फ़रमाएगा, जो दुन्या में किसी मुसलमान की पर्दा पोशी फ़रमाएगा अल्लाह उसकी दुन्या व आख़िरत में पर्दा पोशी फ़रमाएगा और अल्लाह बन्दे की मदद में रहता है जब तक बन्दा अपने भाई की मदद में रहता है।..✍
*📬 फैज़ाने मेराज़ सफ़ह 71 📔*
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❝ शबे में'राज के मुशाहदात ❞
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✫⋆ हिस्सा - 03 ⋆✫
*🔮 मोतियों से बने हुवे गुम्बद नुमा ख़ैमे*
❁ ➲ जन्नत में आप ﷺ ने मोतियों से बने हुवे गुम्बद नुमा ख़ैमे मुलाहज़ा फरमाए जिन की मिट्टी मुश्क थी। आप ने जिब्राइल से दरयाफ़्त फ़रमाया ये किस के लिये है अर्ज़ किया ये आप की उम्मत के अइम्मा और मुअज़्ज़िनीन के लिए है।
❁ ➲ रिज़ाए इलाही के लिये अज़ान देने और इमामत करने की क्या खूब फ़ज़ीलत है कि रब ने उनके लिये जन्नत में मोतियों से बने हुवे ख़ैमे तैयार कर रखे है, अल्लाह हमें भी तौफ़ीक़ अता फरमाए। आइये! इस बारे में मज़ीद रिवायत मुलाहज़ा कीजिये
❁ ➲ फरमाने मुस्तफा ﷺ सवाब की खातिर अज़ान देने वाला उस शहीद की मानिन्द है जो खून में लिथड़ा हुवा है और जब मरेगा क़ब्र में उस के जिस्म में कीड़े नहीं पड़ेंगे।
❁ ➲ और एक रिवायत में है जिसने पांचो नमाज़ों की अज़ान ईमान की बिना पर ब निय्यते सवाब कही उसके जो गुनाह पहले हुवे है मुआफ़ हो जाएंगे और जो ईमान की बिना पर सवाब के लिये अपने साथियों की पांच नमाज़ों में इमामत करे उसके पिछले गुनाह मुआफ़ कर दिये जाएंगे।..✍
*📬 फैज़ाने मेराज़ सफ़ह 72 📔*
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❝ शबे में'राज के मुशाहदात ❞
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✫⋆ हिस्सा - 04 ⋆✫
*🔮 बुलन्दो बाला महल्लात 🔮*
❁ ➲ मरवी है कि जन्नत में आप ﷺ ने चन्द बुलन्दो बाला महल्लात मुलाहज़ा फरमाए जिनके बारे में पूछने पर जिब्राइल ने अर्ज़ किया कि "ये गुस्सा पिने वालो और लोगो से अफ्वो दर गुज़र करने वालों के लिये है" और अल्लाह एहसान करने वालों को पसन्द फ़रमाता है।
❁ ➲ मीठे मीठे इस्लामी भाइयो गुस्सा गैर इख्तियारी शै है, ये नफ़्स के उस जोश को कहते है जो बदला लेने पर उभारता है और इससे सीने में इन्तेक़ाम की आग भड़क उठती है। ऐसे मो जो शख्स अपने आप को क़ाबू में रखे और अफ्वो दरगुज़र से काम ले, अहादीस में इसके बहुत से फ़ज़ाइल वारिद है जिनमे से एक फ़ज़ीलत तो अभी बयान हुई, आइये! अब मजीद फ़ज़ाइल मुलाहज़ा कीजिये।
❁ ➲ फरमाने मुस्तफा ﷺ जिसने गुस्से को ज़ब्त कर लिया हालांकि वो इसे नाफिल करने पर क़ादिर था तो अल्लाह बरोज़े क़यामत उस को तमाम मख्लूक़ के सामने बुलाएगा और इख़्तियार देगा की जिस हूर को चाहे ले ले।
❁ ➲ और एक मक़ाम पर फ़रमाया मेरी उम्मत के बेहतरीन लोग वो है कि जब उन्हें गुस्सा आ जाए तो फौरन रुजुअ कर लेते है।...✍
*📬 फैज़ाने मेराज़ सफ़ह 74 📔*
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❝ शबे में'राज के मुशाहदात ❞
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✫⋆ हिस्सा - 05 ⋆✫
*🔮 शाने सिद्दिके अकबर 🔮*
❁ ➲ मेराज की बा बरकत रात जब प्यारे आक़ा ﷺ जन्नत में तशरीफ़ लाए तो रेशम के पर्दो से आरास्ता एक महल मुलाहज़ा फ़रमाया। आपने जिब्राइल से दरयाफ़्त फ़रमाया ये किस के लिये है? अर्ज़ किया हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़ رضي الله عنه के लिये।
❁ ➲ आशिके अकबर हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़ رضي الله عنه की क्या खूब शान है याद रहे कि नबियों और रसूलो के बाद सिद्दिके अकबर رضي الله عنه सबसे अफ़्ज़ल है। आप के फ़ज़ाइल बे शुमार है, रसूले करीम ﷺ पर मर्दों में सबसे पहले आप رضي الله عنه ही ईमान लाए, सफर व हज़र में प्यारे आक़ा के साथ रहे, आक़ा की हमराही में ही हिजरत की सआदत हासिल की और फनाफिर्रसूल के उस मक़ाम पर फाइज़ हुवे की अपना माल, जान, अवलाद, वतन अल गर्ज़ हर शै रसूले नामदार पर क़ुर्बान कर दी। यही वजह है कि बारगाहे खुदा व मुस्तफा में आप رضي الله عنه ने बहुत बुलन्द मरातिब पाए और ढेरों ढेर इनामाते इलाहिय्या के हक़दार भी हुवे।...✍
*बयां हो किस ज़बान से मर्तबा सिद्दिके अकबर का*
*है यारे गार महबूबे खुदा, सिद्दिके अकबर का*
*रुसुल और अम्बिया के बाद जो अफ़्ज़ल हो आलम से*
*ये आलम में है किस का मर्तबा? सिद्दिके अकबर का*
*📬 फैज़ाने मेराज़ सफ़ह 72 📔*
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❝ शबे में'राज के मुशाहदात ❞
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✫⋆ हिस्सा - 06 ⋆✫
*🔮 हज़रते बिलाल के क़दमों की आहट 🔮*
❁ ➲ जन्नत कि सैर के दौरान हुज़ूर ﷺ ने किसी के क़दमो की आहट समाअत फ़रमाई जिसके बारे में आपको बताया गया कि ये हज़रते बिलाल رضي الله عنه है क़ुर्बान जाइये! क्या शान है मुअज़्ज़िने रसूल बिलाल हबशी رضي الله عنه की, कि प्यारे आक़ा इनके क़दमो की आहट जन्नत में समाअत फरमा रहे है। आप رضي الله عنه को ये मक़ाम किस अमल के सबब हासिल हुवा? आइये! मुलाहज़ा कीजिये
❁ ➲ हज़रते अबू हुरैरा رضي الله عنه से रिवायत है, एक दफा हुज़ूर ﷺ ने फज्र के वक़्त हज़रते बिलाल رضي الله عنه से फ़रमाया ऐ बिलाल! मुझे बताओ तुमने इस्लाम में कौन सा ऐसा अमल किया है जिस पर सवाब की उम्मीद सबसे ज़्यादा है क्योंकि में ने जन्नत में अपने आगे तुम्हारे क़दमों की आहट सुनी है। अर्ज़ किया मेने अपने नज़्दीक कोई उम्मीद अफ़ज़ा काम तो नहीं किया। हाँ! मेने दिन रात की जिस घड़ी भी वुज़ू या गुस्ल किया तो इस क़दर नमाज़ पढ़ली जो अल्लाह ने मेरे मुक़द्दर में की थी।यानी दिन रात में जब भी मेने वुज़ू किया तो दो नफ्ल तहिय्यातुल वुज़ू पढ़ ली।
❁ ➲ ख्याल रहे की हुज़ूर ﷺ का बिलाल رضي الله عنه से ये पूछना इसलिये था ताकि आप ये जवाब दे और उम्मत इस पर अमल करे, वरना हुज़ूर ﷺ तो हर शख्स के हर छुपे खुले अमल से वाक़ीफ़ है।..✍
*📬 फैज़ाने मेराज़ सफ़ह 77 📔*
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❝ शबे में'राज के मुशाहदात ❞
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✫⋆ हिस्सा - 07 ⋆✫
*🔮 ज़बरजद और याकूत के ख़ैमे 🔮*
❁ ➲ जन्नत की हसीनो जमील और प्यारी वादियों की सैर फ़रमाते हुवे प्यारे आक़ा ﷺ एक नहर पर तशरीफ़ लाए जिसे बैज़ख़् कहा जाता है। उस पर मोतियों, सब्ज़ ज़बरजद और सुर्ख याक़ूत के ख़ैमे थे। इतने में एक आवाज़ आई अस्सलामु अलैक या रसूलल्लाह।
❁ ➲ आप ﷺ ने जिब्राइल से दरयाफ़्त फ़रमाया ये कैसी आवाज़ है? अर्ज़ किया ये ख़ैमों में पर्दा नशीन हूरें है, इन्होंने रब से आप को सलाम कहने की इजाज़त तलब की थी और रब ने इन्हें इजाज़त अता फरमा दी। फिर वो हूरें कहने लगी: हम खुश रहने वालियां है कभी ना-गवारी व नफरत का बाइस न होंगी और हम हमेशा रहने वालियां है कभी फना न होंगी।..✍
*📬 फैज़ाने मेराज़ सफ़ह 79 📔*
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✫⋆ हिस्सा - 08 ⋆✫
🔮 नूर में छुपा हुआ आदमी 🔮*
❁ ➲ सफरे मेराज की सुहानी रात प्यारे आक़ा ﷺ का गुज़र एक ऐसे शख्स के पास से हुवा जो अर्श के नूर में छुपा हुवा था। आप ﷺ ने फ़रमाया ये कौन है? क्या कोई फ़रिश्ता है? कहा नहीं। फ़रमाया कोई नबी है? कहा नहीं। फ़रमाया फिर कौन है? बताया ये वो शख्स है कि दुन्या में इसकी ज़बान ज़िक्रे इलाही से तर रहती थी, इसका दिल मस्जिदों में लगा रहता था और ये कभी अपने वालिदैन को बुरा कहे जाने या उनकी बे इज़्ज़ती की जाने का सबब नहीं बना।
❁ ➲ इस रिवायत से पता चलता है कि ज़िक्रे इलाही की कसरत, मसाजिद से महब्बत और वालिदैन के लिये बुराई का सबब बनने से बचना, ये तीनों आमाल अल्लाह की बारगाह में बहुत ही महबूब है। इस रिवायत में इस बात की तरगिब् मौजूद है कि इंसान गाली गलोच, लड़ाई झगड़ा, नशा बाज़ी, जुआ वगैरा किसी भी ऐसे फेल का हरगिज़ मूर्तक़िब न हो जो उसके वालिदैन के लिये तान व तशनीअ और बे इज़्ज़ती का बाइस बने और हशर के रोज़ खुद उसे भी शर्मिन्दगी का सामना करना पड़े।
❁ ➲ *राहे खुदा में जिहाद* आप ﷺ इस रात कुछ ऐसे लोगो के पास तशरीफ़ लाए जो एक दिन काश्त करते और अगले दिन फसल काटते थे, जब भी वो फसल काटते तो वो पहले की तरह लौट आती। जिब्राइल ने अर्ज़ किया ये राहे खुदा में जिहाद करने वाले है, इनकी नेकियों में 700 गुना तक इज़ाफ़ा कर दिया गया है और इन्होंने जो कुछ खर्च किया अल्लाह इसका इन्हें बदला अता फ़रमाएगा।..✍
*📬 फैज़ाने मेराज़ सफ़ह 80 📔*
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❝ शबे में'राज के मुशाहदात ❞
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✫⋆ हिस्सा - 09 ⋆✫
*🔮 अज़ाबे इलाही से मुतअल्लिक़ 🔮*
❁ ➲ मेराज की रात ज़मीनो अस्मान की सैर के दौरान प्यारे आक़ा ﷺ ने जहाँ मुतीअ व फरमा बरदार बन्दों पर होने वाले इनामाते इलाही का मुशाहदा फ़रमाया तो ना फरमानों को क़हरे इलाही में गिरफ्तार भी देखा, जो अपने गुनाहो की सज़ा में इन्तिहाई दर्दनाक अज़ाबो में मुब्तला थे।
❁ ➲ *गीबत के अज़ाब* *अपना ही गोश्त खाने वाले लोग*
❁ ➲ हुज़ूर ﷺ का गुज़र कुछ ऐसे लोगों पर हुवा जिन पर कुछ अफ़राद मुक़र्रर थे, इनमे से बाज़ अफ़राद ने उन लोगों के जबड़े खोल रखे थे और बाज़ दूसरे अफ़राद उनका गोश्त काटते और खून के साथ ही उनके मुह में धकेल देते। जिब्राइल ने कहा ये लोगों की गिबतें और उन की ऐबजोइ करने वाले है।
❁ ➲ *सीने से लटके हुवे लोग* आक़ा ﷺ का कुछ ऐसी औरतों और मर्दों के पास से गुज़रे जो अपनी छातियों के साथ लटक रहे थे। जिब्राइल ने कहा ये मुह पर ऐब लगाने वाले और पीठ पीछे बुराई करने वाले है और इनके मुतअल्लिक़ अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है खराबी है उसके लिये जो लोगों के मोहन पर ऐब करे, पीठ पीछे बदी करे।....✍
*📬 फैज़ाने मेराज़ सफ़ह 81 📔*
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❝ शबे में'राज के मुशाहदात ❞
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✫⋆ हिस्सा - 10 ⋆✫
*🔮 अज़ाबे इलाही से मुतअल्लिक़ 🔮*
❁ ➲ *सूदखोरी के अज़ाब* सूदखोरी भी इन्तिहाई मोहलिक और जान लेवा बिमारी है जो इंसान के दिल में खैर ख्वाहिये मुस्लिम का जज़्बा मुर्दा कर देती है। मेराज की रात आप ﷺ ने जिन लोगों को अज़ाब मर मुब्तला देखा उनमे वो लोग भी थे जो सूदखोरी के सबब अज़ाब में मुब्तला थे।
❁ ➲ *पथ्थर खोर आदमी* फरमाने मुस्तफा ﷺ मेराज की रात मेने एक आदमी देखा जो नहर में तैरते हुवे पथ्थर निगल रहा था। बताया गया की ये सूदखोर है।
❁ ➲ *पेटों में सांप* फरमाने मुस्तफा ﷺ मेराज की रात में कुछ लोगों के पास आया जिनके पेट मकानों की तरह (बड़े बड़े) थे और उनके अंदर सांप बाहर से नज़र आ रहे थे। जिब्राइल ने कहा ये सूदखोर है।
❁ ➲ मुफ़्ती अहमद यार खान नईमी رحمة الله عليه इस हदीस की शर्ह करते हुवे फ़रमाते है चुकी सूद ख्वार हवसी होता है कि खाता थोड़ा है हिर्स व हवस ज़्यादा करता है, इसलिये इनके पेट वाक़ई कोठड़ियों की तरह होंगे, लोगों के माल जो ज़ुल्मन वुसुल किये थे वो सांप, बिच्छु की शक्ल में नुमुदार होंगे। आज अगर एक मामूली कीड़ा पेट में पैदा हो जाए तो तंदुरस्ती बिगड़ जाती है, आदमी बे क़रार हो जाता है तो समझ लो की जब उसका पेट सांपो, बिच्छुओं से भर जाए तो उसकी तकलीफ व बे करारी का क्या हाल होगा? रब की पनाह।...✍
*📬 फैज़ाने मेराज़ सफ़ह 85 📔*
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❝ शबे में'राज के मुशाहदात ❞
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✫⋆ हिस्सा - 11 ⋆✫
*🔮 अज़ाबे इलाही से मुतअल्लिक़ 🔮*
❁ ➲ *सर कुचले जाने का अज़ाब* क़ुरआन और अहादीस में नमाज़ की अहमिय्यत से मालामाल है की हर नमाज़ को उसके वक़्ते मुक़र्ररा में पाबन्दी के साथ अदा करने के बे शुमार फ़ज़ाइल और बिला उज़्रे शरई कोताही करने की सख्त सज़ाएं सुनाई है।
❁ ➲ मेराज की रात प्यारे आक़ा ﷺ ने कुछ ऐसे लोग भी मुलाहज़ा फरमाए जो नमाज़ में सुस्ती करने की वजह से अज़ाब में गिरफ्तार थे। आइये! इसे मुलाहज़ा कीजिये और नमाज़ों की पाबन्दी का ज़ेहन बनाइये। आप ﷺ ऐसे लोगों के पास तशरीफ़ लाए जिनके सर पथ्थरों से कुचले जा रहे थे, हर बार कुचलने के बाद वो पहले की तरह दुरुस्त हो जाते थे और दोबारा कुचल दिये जाते, इस मुआमले में उनसे कोई सुस्ती न बरती जाती थी। जिब्राइल ने कहा: ये वो लोग है जिन के सर नमाज़ से बोझल हो जाते थे। ...✍
*📬 फैज़ाने मेराज़ सफ़ह 87 📔*
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❝ शबे में'राज के मुशाहदात ❞
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✫⋆ हिस्सा - 12 ⋆✫
*🔮 अज़ाबे इलाही से मुतअल्लिक़ 🔮*
❁ ➲ *आग की कैंचियां* मेराज की रात हमारे आक़ा ﷺ कुछ और लोगों के पास तशरीफ़ ले गए, उनके होंठ आग की कैंचियों से काटे जा रहे थे और हर बार कांटने के बाद वो दुरुस्त हो जाते थे। जिब्राइल ने अर्ज़ किया ये आप की उम्मत के ख़ुत्बा है, ये अपने कहे पर अमल नहीं करते थे और क़ुरआन पढ़ते थे लेकिन इसपर अमल नहीं करते थे।
❁ ➲ इस रिवायत से उन मुबल्लीगिन और वाइज़िन को दर्स हासिल करना चाहिये जो दूसरों को तो नेकी की दावत देते है मगर खुद को भूले हुवे है। उन्हें इस बात का एहसास ही नहीं होता की बरोज़े क़यामत उनका भी मुहासबा होगा, उनसे भी उनके आमाल व अफआल के बारे में पूछा जाएगा।
❁ ➲ मुहम्मद बिन ग़ज़ाली رحمة الله عليه अपने एक शागिर्द को नसीहत करते हुवे फ़रमाते है: ऐ प्यारे बेटे! इल्म के बगैर अमल पागल पन और दीवानगी से कम नहीं और अमल बगैर इल्म के नामुमकिन है। जो इल्म आज तुझे गुनाहों से दूर नहीं कर सका और अल्लाह की इताअत का शौक़ पैदा न कर सका तो याद रख! ये कल तुझे जहन्नम की आग से भी नहीं बचा सकेगा। अगर आज तूने नेक अमल न किया और गुज़रे हुवे वक़्त का तदारुक न किया तो कल क़यामत में तेरी एक ही मुकार होगी हमें फिर भेज कि नेक काम करें हम को यक़ीन आ गया।
السجدة ١٢
❁ ➲ तो तुझे जवाब दिया जाएगा ऐ अहमक़ व नादान! तू वहीं से तो आ रहा है!
❁ ➲ रूह में हिम्मत पैदा कर, नफ़्स के खिलाफ जिहाद कर और मौत को अपने क़रीब तर जान, क्योंकि तेरी मन्ज़िल क़ब्र है और क़बस्तान वाले हर लम्हा तेरे मुन्तज़िर है कि तू कब उन के पास पहुंचेगा? खबरदार! खबरदार! डर इस बात से की बगैर ज़ादे राह के तू उनके पास पहुंच जाए।..✍
*📬 फैज़ाने मेराज़ सफ़ह 88 📔*
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✫⋆ हिस्सा - 13 ⋆✫
*🔮 अज़ाबे इलाही से मुतअल्लिक़ 🔮*
❁ ➲ *शबे बराअत और क़ब्रो की ज़ियारत* उम्मुल मुअमिनीन हज़रते आइशा सिद्दीक़ा रदियल्लाहु अन्हा फरमाती है मेने एक रात सरवरे काएनात صلى الله عليه وسلم को न देखा तो बकीए पाक में मुझे मिल गए, आप ने मुझसे फरमाया क्या तुम्हे इस बात का डर था के अल्लाह और उसका रसूल तुम्हारी हक़ तलफि करेंगे ? मेने अर्ज़ की या रसूलल्लाह ﷺ ! मेने ख़याल किया था के शायद आप अज़्वाजे मुतह्हरात में से किसी के पास तशरीफ ले गए होंगे।
❁ ➲ तो फ़रमाया बेशक अल्लाह तआला शाबान की 15वी रात आसमाने दुन्या पर तजल्ली फरमाता है, पस क़बिलए बनी क़ल्ब की बकरियो के बालो से भी ज्यादा गुनाहगारो को बख्श देता है।...✍
*📬 सुनन तिरमिजी, जिल्द.2 सफह.183 हदिष : 739 📗*
*📬 आक़ा का महीना, सफह. 20-21 📕*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 30
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❝ शबे में'राज के मुशाहदात ❞
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✫⋆ हिस्सा - 14 ⋆✫
*🔮 अज़ाबे इलाही से मुतअल्लिक़ 🔮*
❁ ➲ *ज़िनाकारों के अज़ाब* ज़ीना इन्तिहाई घिनावना और घटया फेल है। क़ुरआन व हदीस में इस से बचने की बहुत ताकीद आई है और जो इसका इरतिकाब करे उसके लिये सख्त सज़ाएं वारिद है।
❁ ➲ अल्लाह फ़रमाता है और बदकारी के पास न जाओ, बेशक वो बे हयाई है और बहुत ही बुरी राह।
بنى اسراىٔيل ٣٢
❁ ➲ मुफ़्ती अहमद यार खान नईमी رحمة الله عليه इसकी तफ़सीर में फ़रमाते है: ज़ीना के अस्बाब से भी बचो लिहाज़ा बद नज़री, गैर कैरट से खलवत, औरत की बे पर्दगी वगैरा सब ही हराम है।
❁ ➲ ज़ीना कार आदमी दुन्या में भी ज़लिलो ख्वार होता है और आख़िरत में भी इन्तिहाई ज़िल्लत के अज़ाब में गिरफ्तार होगा।
❁ ➲ मेराज की सब हुज़ूर ﷺ ने इनके भी अज़ाब मुलाहज़ा फरमाए।
❁ ➲ *बदबूदार गोश्त खाने वाला* आक़ा ﷺ का गुज़र ऐसे लोगों पर हुवा जिनके सामने (कुछ) हांडीयो में पका हुवा उम्दा किस्म का और (कुछ में) कच्चा, गन्दा और खराब किस्म का गोश्त रखा हुवा था। ये लोग पके हुवे पाकीज़ा गोश्त को छोड़ कर कच्चा गोश्त खा रहे थे। जिब्राइल ने अर्ज़ किया: ये आप की उम्मत का वो शख्स है जिसके पास हलाल औरत (बीवी) थी मगर ये उसे छोड़ कर खबीस औरत के पास जाता, और ये औरत वो है जो हलाल व तय्यिब मर्द के निकाह में होने के बावुजूद खबीस मर्द के पास जाती।
❁ ➲ *उलटे लटके हुवे लोग* आक़ा ﷺ ने ज़िनाकारों पर अज़ाब का एक मंज़र ये भी देखा कि कुछ औरतें छातियों से और कुछ पाऊं से लटकी हुई है। जिब्राइल ने अर्ज़ किया: ये वो औरतें है जो ज़ीना करती और अवलाद को क़त्ल कर देती थीं।...✍
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❝ शबे में'राज के मुशाहदात ❞
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✫⋆ हिस्सा - 15 ⋆✫
*🔮 अज़ाबे इलाही से मुतअल्लिक़ 🔮*
❁ ➲ *मुंह में आग के पथ्थर* आक़ा ﷺ ने कुछ ऐसे लोग भी देखे जिनके होंट ऊंट के होंटों की तरह (बड़े बड़े) थे, उन पर ऐसे अफ़राद मुक़र्रर थे जो उनके होंट पकड़ कर आग के बड़े बड़े पथ्थर उनके मुह में डालते और वो उन के निचे से निकल जाते। जिब्राइल ने अर्ज़ किया: ये वो लोग है (फिर ये आयत पढ़ी) "जो यतीमों का माल ना हक़ खाते है वो तो अपने पेट में निरी आग भरते है।
❁ ➲ यतीमों का धन दौलत, साज़ो सामान, जागीर व जायदाद अल गर्ज़ किसी भी किस्म का मालो मनाल नाहक़ तौर पर लेने में आख़िरत का शदीद वबाल है। क़ुरआन व हदीस में इसकी बहुत सख्त वईदें आई है जैसा की अभी आपने मुलाहज़ा किया। ख्याल रहे की जहाँ नाहक़ तौर पर यतीमों का माल खाने और उनके साथ बुरा सुलूक करने की वजह से जहन्नम के दर्दनाक अज़ाब की वईदें है वहीं अगर उनके साथ नरमी व एहसान का बर्ताव किया जाए और शफ़क़त व मेहरबानी के साथ पेश आया जाए तो जहन्नम के हौलनाक अज़ाब से नजात की बशारत है।
❁ ➲ फरमाने मुस्तफा ﷺ उस ज़ात की क़सम जिसने मुझे हक़ के साथ मबऊस फ़रमाया! जिसने किसी यतीम पर रहम किया, उसके साथ नर्म गुफ्तगू की, उसकी यतिमि व कमज़ोरी पर तरस खाया और अल्लाह के अता किये हुवे माल दौलत की फ़ज़ीलत की वजह से अपने पड़ोसी पर तकब्बुर न किया तो अल्लाह बरोज़े क़यामत उसे अज़ाब न देगा।...✍
*📬 फ़ैज़ाने मेराज सफह 95 📕*
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❝ शबे में'राज के मुशाहदात ❞
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✫⋆ हिस्सा - 16 ⋆✫
*🔮 अज़ाबे इलाही से मुतअल्लिक़ 🔮*
❁ ➲ *खारदार घास और थोहर खाने का अज़ाब* इस रात आक़ा ﷺ ऐसे लोगों के पास भी तशरीफ़ लाए जिन के आगे और पीछे चीथड़े लटक रहे थे और वो चौपायों की तरह चरते हुवे खारदार घास, थोहर (एक खरादार और ज़हरीला पौदा जिसके पत्ते सब्ज़ और फूल रंग बिरंगे होते है। इस की 100 के क़रीब अक़्साम है) और जहन्नम के तपे हुवे (गर्म) पथ्थर निगल रहे थे। जिब्राइल ने अर्ज़ किया: ये वो लोग है जो अपने मालों की ज़कात नहीं देते थे, अल्लाह ने इन पर ज़ुल्म नहीं किया और अल्लाह बन्दों पर ज़ुल्म नहीं फरमाता।
❁ ➲ ज़कात फ़र्ज़ होने के बावुजूद अदा न करना हराम और जहन्नम में ले जाने वाला काम है। फरमाने मुस्तफा ﷺ जिसको खुदा ने माल अता फरमाया और उसने इसकी ज़कात अदा न की तो क़यामत के दिन उसके माल को एक गन्जे अज़दहे की सूरत में बना दिया जाएगा जिसकी आँखों पर दो सियाह नुक़्ते होंगे और वो अज़दहा उसके गले का तौक़ बना दिया जाएगा जो अपने जबड़ों से उसको पकड़ेगा और कहेगा में हूँ तेरा माल, तेरा खज़ाना।...✍
*📬 फ़ैज़ाने मेराज सफह 96 📕*
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📮 पोस्ट मुक़म्मल हुआ अल्हम्दुलिल्लाह
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