Monday, 28 September 2020

बच्चों की अख्लाकी तरबियत

 



🅿🄾🅂🅃 ➪ 01


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         ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत ❞
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                     बच्चों  से  दो  बातें !?

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••• ➲ *अज़ीज़ बच्चो !* पहले तुम यह जेहन नशीं कर लो कि दुनियाँ में वक्त से ज्यादा कीमती कोई चीज़ नहीं, बल्कि यह समझो कि वक्त ही ज़िन्दगी है जिसने वक्त की कदर नहीं की और उसे यूँ ही बरबाद करता रहा तो उसने गोया अपनी उम्र अजीज को बेकार जाए कर दिया!

••• ➲  तुम जानते हो कि अल्लाह तआला ने किसी चीज़ को बिला वजह पैदा नहीं किया तो फिर हम तो अश्रफुल मख्लूकात हैं वह भला हमें बिला मक्सद क्यों पैदा करेगा तो आओ *क़ुरआन से पूछे कि हमारी पैदाइश का क्या मक्सद है*

••• ➲ *अल्लाह तआला फरमाता है :* और मैंने जिन्नात और इंसान को सिर्फ अपनी इबादत के लिये पैदा किया है।

••• ➲ जब तुम्हें अपनी पैदाइश का मक्सद मालूम हो गया तो तुम्हें कभी भी अपने मक्सद से गाफिल और बे नेयाज़ नहीं होना चाहिये क्योंकि इस दुनियाँ में जिन लोगों ने अपने मक्सद को पेशे नज़र रखा वह यहाँ से कामयाब और सुर्खरू हो कर गए और यकीनन आखेरत में भी वह खुश अंजाम होंगे और जिन लोगों ने अपनी पैदाइश का कोई मक्सद ही नहीं जाना फुजूल व अबस कामों में लग कर उम्र बरबाद कर चले दुनियाँ में मुमकिन है उन्हेँ कुछ जाहो शोहरत मिल गई हो मगर ऐसे लोगों का आखेरत में कोई हिस्सा नहीं होगा!..✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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         ❝  बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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                      बच्चों  से  दो  बातें !?

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••• ➲  *प्यारे बच्चो !* अल्लाह तआला ने हमारे प्यारे नबी सल्लल्लाहो अलैह व आलिही वसल्लम को दुनियाँ के लिये एक नमूना और आईडियल बना कर भेजा है तारीख हमें बताती है कि जिन लोगों ने उनके नक्शे कदम की पैरवी की वह ज़िन्दगी के हर महाज़ पर शाद काम होते हुए अपने मालिक व मौला से जा मिले लिहाजा आओ हम भी अपने नबी की बताई हुई सुन्नत और उनकी लाई हुई शरीअत पर अमल पैरा होने का अहद करें ताकि दोनों जहान की कामयाबियों में से हमें भी कुछ हिस्सा मिल जाए क्योंकि कामयाबी की हर खैरात प्यारे मुस्तफा की दहलीज़ ही से तक्सीम होती है!

••• ➲  *नौनेहालो !* तुम ज़िन्दगी के जिस मोड़ पर खड़े हो वह बड़ा ही नाजुक मोड़ है आदतें वहीं से बनती और बिगड़ती हैं अख्लाकी तरबियत का यह तोहफा मैं तुम्हेँ इसी लिये पेश कर रहा हूँ ताकि एक काबिले रश्क ज़िन्दगी की तामीर में तुम इस से कुछ रौशनी हासिल कर सको मेरी दुआएं तुम्हारे साथ हैं अल्लाह तुम्हारे नसीब अच्छे करे तुम्हें सदा खुश रखे और एक अच्छा अख़लाक़ वाला इंशान बनाए!..✍🏻 *आमीन*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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         ❝  बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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                        बेगर्ज़  नेकी !?
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••• ➲  एक नेक औरत कहीं गाड़ी में सवार जा रही थी कि उसे सड़क पर छोटी उम्र का एक लड़का नज़र आया। जो नंगे पाँव चला जा रहा था और बहुत थका हुवा मालूम होता था। यह देख कर नेक औरत ने ड्राइवर से कहा। गरीब लड़के को गाड़ी में बिठा लो। उस का किराया मैं अदा कर दूंगी। 

 ••• ➲   इसके बीस साल बाद उसी सड़क पर एक कप्तान गाड़ी पर सवार चला जा रहा था। उसकी नज़र इत्तेफाकन एक बूढ़ी औरत पर जा पड़ी जो थकी हुई चाल से पैदल चल रही थी यह देख कर कप्तान ने ड्राइवर को हुक्म दिया कि गाड़ी रोक कर उस बुढ़ी औरत को भी साथ बिठा लो  उस का किराया मैं अदा कर दूंगा। 
 
••• ➲  जब मनज़िल पर सारी सवारियाँ गाड़ी से उतरने लगीं तो बूढ़ी औरत ने कप्तान का शुक्रिया अदा करके कहा कि इस वक्त मेरे पास किराया अदा करने के लिये दाम नहीं है।...✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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         ❝  बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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                        बेगर्ज़  नेकी !?
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••• ➲  कप्तान ने कहा तुम बिल्कुल फिक्र न करो मैंने किराया दे दिया है क्योंकि मुझे बूढ़ी औरतों को पैदल चलते देख कर हमेशा तरस आ जाता ह वजह यह है कि कोई बीस साल हुए जब मैं गरीब लड़का था मुझे इसी जगह कहीं आस पास सड़क पर नंगे पाँव पैदल चलते देख कर एक रहम दिल औरत ने गाड़ी मे बिठा लिया था बूढ़ी औरत ने ठंडी साँस भरते हुए कहा कप्तान साहब ! वह औरत यही कम नसीब बुढ़िया है मगर अब इसकी हालत इतनी बिगड़ गई है कि वह अपना किराया भी नहीं दे सकती। 

 *••• ➲  कप्तान ने कहा* नेक बख्त अम्मा ! अब आप इस का कोई गम न करें मैंने बहुत सा रूपया कमा लिया ह और ज़िन्दगी के बाकी दिन आराम से काटने के लिये वतन आ रहा हूँ तुम जब तक जिन्दा रहोगी मैं बड़ी खुशी से तुमहारी खिदमत करूंगा।

 ••• ➲   यह सुन कर बुढ़ी औरत शुक्रिया अदा करती हुई रो पड़ी और कप्तान को दुआएँ देने लगी और फिर कप्तान तमाम उम्र उस की मदद करता रहा।

*••• ➲  प्यारे बच्चो !* देखो हमारे आकाए करीम सल्लल्लाहो तआला अलैहे व वसल्लम का फरमान कितना सच्चा और सुच्चा है *"हर नेकी का बदला दस गुना ज्यादा करके मिलता है।"*...✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 सहीह बुखारी : 7/89 हदीसः 1840 📚*

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         ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत ❞
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                        आधा  कम्बल
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••• ➲  एक दौलतमन्द सौदागर की बीवी मर गई थी थोड़े अर्से के बाद वह खुद भी दमे के मर्ज़ में मुब्तेला हो गया तो उस ने अपनी कुल जाएदाद अपने नौजवान बेटे के नाम कर दी।

 ••• ➲   हजारों की जाएदाद पाकर पहले पहले तो नौजवान लड़का और उसकी बीवी बच्चे सब सौदागर की खूब अच्छी तरह खातिरदारी करते रहे मगर बस 6 महीने में जोश ठंडा होकर हालत यह हो गई कि इलाज मुआलजा भी छूट गया और खाना भी वही मिलने लगा जो मामूली अन्दाज़ का घर में पकता था बल्कि एक दिन तो नौजवान बेटे ने साफ कह दिया कि बाबा! आप अपनी चारपाई डेवढ़ी में बिछालें तो बेहतर हो कि हर वक्त खाँसते रहने से बच्चों में बीमारी फैलने का अन्देशा है।

 ••• ➲   बीमार बाप को सब्र व शुक्र के सिवा चारा ही क्या था! उसने कहा मुझे तो उज़ नहीं मगर एक कम्बल ओढ़ने को चाहिये कि अभी सर्दी बाकी है।..✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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         ❝  बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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                        आधा  कम्बल
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••• ➲  *नौजवान ने छोटे बेटे से कहाः* दादा के लिये गाय को ओढ़ने वाला कम्बल उठा लाओ लड़का झट कम्बल उठा लाया. और दादा से कहा लो दादा इसमें से आधा तुम फाड़ लो और आधा मुझे दे दो दादा बोला भाला आधे कम्बल से सर्दी क्या जाएगी? बाप ने भी बेटे से कहा कि दादा को सारा ही कम्बल दे दो।
 
 ••• ➲   जिस पर छोटे लड़के ने बाप को मुखातब करके जवाब दिया घर में ऐसा कम्बल तो एक ही है अगर सारा दादा को दे दिया तो जब तुम बूढ़े और बीमार होकर डेवढ़ी में चारपाई बिछाओगे तो मैं तुमहें क्या दूंगा!

 ••• ➲   नौजवान बाप लड़के की यह भोली बात सुन कर सुन हो गया और बाप से माफी माँग कर पूरी एताअत और खिदमत करने लगा जिससे बाप भी खुश हो गया और उसकी अपनी आकेबत भी संवर गई।

 *••• ➲  प्यारे बच्चो !* देखो हमारे नबी सल्लल्लाहो तआला अलैहे वआलिही वसल्लम ने एक मरतबा हज़रत उमर फारूक रज़ि अल्लाहो अन्हो को नसीहत करते हुए क्या खूब फरमाया था *"अपने बाप की फरमाँबरदारी करो जब तक वह हयात से हैं और (किसी हाल में) उनकी नाफरमानी न करो"*..✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 मुस्नद अहमद बिन हम्बल 13/290 हदीस 6252 📚*

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         ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत ❞
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                      बुढ़िया की झोपड़ी
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••• ➲  कहते हैं कि नौशेरवाँ ने शाही महल बनवाना चाहा तो उसके चौकोर बनाने के लिये एक तरफ इस कदर जमीन की ज़रूरत थी जिस पर एक गरीब बुढ़िया की झोंपड़ी बनी हुई थी।

••• ➲   सरकारी मुलाजिमों ने बुढ़िया से ज़मीन खरीदनी चाही मगर उसने बेचने से इनकार कर दिया नौशेरवाँ ने सुना तो हुक्म दिया कि महल चौकोर बने न बने मगर बुढ़िया बेसहारी पर जब्र न करना बहर हाल ! शाही महल एक तरफ टेढ़ा ही बन गया।

*••• ➲   जब महल बन चुका* तो बुढ़िया ने दरबार में हाज़िर हो कर अर्ज किया जहाँ पनाह ! सच मुच शाही महल इस झोंपड़ी की जमीन लिये बगैर टेढ़ा तिरछा अच्छा नहीं मालूम होता. तो लिजिये अब मेरी यह ज़मीन बे कीमत हाज़िर है।..✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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         ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत ❞
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                      बुढ़िया की झोपड़ी
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••• ➲  *नौशेरवाँ ने पूछा* तुमने पहले देने से क्यों इनकार कर दिया था? *बुढ़िया ने जवाब दिया* सिर्फ इस लिये कि दुनियाँ भर में आपके इनसाफ का डंका बज जाए।

••• ➲   इस पर नौशेरवाँ ने बुढ़िया को बहुत सारा इनआमो इकराम देकर रुखसत किया उसकी ज़मीन भी न ली और महल को बदस्तूर टेढ़ा ही रहने दिया।

*••• ➲  अज़ीज़ बच्चो* देखो कि नौशेरवाँ और बुढ़िया तो दोनों चल बसे मगर इनसाफ की यह कहानी अब तक लोगों को याद है और हर एक से उस मुनसिफ बादशाह की तारीफ करा रही है इसी तरह अगर हर शख्स अपने हर काम में इनसाफ और मुरव्वत से काम लिया करे तो उससे खालिक भी खुश होगा और मख्लूक भी।

*••• ➲  प्यारे बच्चो !* देखो मुअल्लिमे इनसानियत सल्लल्लाहो तआला अलैहे वसल्लम की तालीम कितनी सच्ची है *"अदलोइनसाफ बहुत अच्छी चीज़ है लेकिन अगर बादशाहों और बा इक्तेदार लोगों में हो तो फिर क्या कहने!...✍🏻*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 कंजुल उम्माल 15/896 हदीस : 43542 📚*

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         ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत ❞
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                      तरीक-ए-शुक्र
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••• ➲  शैख सादी शीराजी फारसी जबान के एक बहुत बड़े शाएर गुज़रे हैं उनहें मुबल्लिगे अख्लाकियात भी कहा जाता है "गुलिस्ताँ" और "बोस्ताँ" उनकी दो मशहूर किताबें हैं जिनमें उनहोंने अख्लाक का प्रचार किया है।

••• ➲  उनके अकवाले जर्री ज़बान ज़दे खास व आम हैं और रोज़ मर्रा की गुफ्तगू में इस्तेमाल होते हैं बड़े बुढ़े शैख सादी के पन्दो नसाएह अपने किस्से कहानियों में बयान करते रहते हैं।

••• ➲  एक दफा शैख सादी को हुसूले इल्म की गर्ज़ से शीराज़ से बग्दाद का सफर करना पड़ा उस दौर में रेल गाड़ी मोटर कारें या हवाई जहाज़ नहीं होते बल्कि एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिये घोड़े ऊँट और हाथी पर सवार होकर जाना पड़ता था या जो लोग गरीब होते थे वह पैदल ही सफर करते थे।..✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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         ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत ❞
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                      तरीक-ए-शुक्र
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••• ➲  शैख सादी के पास भी सवारी के लिये कोई जानवर न था इस लिये वह भी पैदल ही बग्दाद जा रहे थे।

••• ➲  बग्दाद. शीराज़ से काफी फासले पर था और सादी शीराज़ी पैदल थे पैदल चलते चलते उनका जूता घिस कर टूट गया और ऐसी हालत इख्तेयार कर गया कि सादी के लिये उस जूते को पाँव में पहनना मुमकिन न रहा चुनानचा वह नंगे पाँव चलने लगे।

••• ➲  सफर अभी बहुत बाकी था नंगे पाँव चलते चलते सादी के पाँव जख्मी हो गए पाँव में छाले पड़ गए और फिर चलने से वह छाले फूटने लगे और तकलीफ बढ़ने लगी यहाँ तक कि शैख सादी तकलीफ की शिद्दत से कराहने लगे अब उनके लिये मजीद चलना दुश्वार हो गया वह एक जगह थक कर बैठ गए और अल्लाह तआला से गिला करने लगे कि ऐ अल्लाह! अगर तुने मुझे रकम दी होती तो मैं यूँ पैदल सफर न करता न ही मेरा जूता टूटता न मेरे पाँव जख्मी होते और न मुझे यह तकलीफ बरदाश्त करना पड़ती!..✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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         ❝  बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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                      तरीक-ए-शुक्र
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••• ➲  अभी शैख सादी बैठे यही सोच रहे थे कि उनहें एक माजूर शख्स दिखाइ दिया जिस के दोनों पाँव सिरे से थे ही नहीं और वह खड़ा भी नहीं हो सकता था फिर भी वह अपने धड़ की मदद से ज़मीन पर बैठ कर खुद को घसीट कर चल रहा था!

••• ➲  सादी ने जब यह मंजर देखा तो खुदा से माफी माँगी और उसका शुक्रिया अदा किया कि मेरे दोनों पाँव सलामत हैं मैं खड़ा भी हो सकता हूँ चल भी सकता हूँ. क्या हुवा जो मेरे पास रकम नहीं सवारी का जानवर नहीं या जूते नहीं! इस ख्याल के आते ही सादी ने दोबारा अपने सफर का आगाज़ कर दिया!

••• ➲  *प्यारे बच्चो !* देखो कि शैख सादी को अपनी गलती का एहसास किस तरह हुवा इससे पता चला कि इनसान को हर हालत में खुदा का शुक्र अदा करते रहना चाहिये अगर वक्ती तौर पर कोई परेशानी या मुसीबत आ जाए तो फौरन अल्लाह तआला से उसका गिला नहीं करना चाहिये और हमेशा अपने से कम मरतबा लोगों पर निगाह रखना चाहिये कि उस से इनसान के अनदर नेमत की कदर और खालिक के शुक्र का एहसास पैदा होता है!

*••• ➲  अज़ीज़ बच्चो !* देखो हमारे प्यारे आका सल्लल्लाहो तआला अलैहे वआलिही वसल्लम ने हमें कितनी प्यारी नसीहत फरमाई है *"उनहें देखा करो जो तुम से कमतर हैं और उनहें न देखो जो तुमसे बालातर हैं!..✍🏻*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 सहीह मुस्लिम 14/213 हदीस 5264 📚*

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         ❝बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत  ❞
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                      हिरनी की दुआ
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••• ➲  पुराने जमाने की बात है अफगानिस्तान के मुल्क पर एक बादशाह हुकूमत करता था उस का एक गुलाम था जिस का नाम सुबुक्तगीन था वह बहुत बहादुर अकलमन्द और रहम दिल था उसकी इनही खूबियों की वजह से बादशाह उसे बहुत अज़ीज़ रखता था।

••• ➲   एक रोज़ की बात है कि सुबुक्तगीन घोड़े पर सवार होकर जंगल में शिकार खेलने गया वह बड़ा अच्छा शिकारी था मगर उस रोज़ ऐसा इत्तेफाक हुवा कि शाम तक जंगल में मारा मारा फिरने के बाद भी कोई शिकार उसके हाथ न आया।

••• ➲  जब वह वापस हाने लगा तो हिरनी का एक बच्चा उसके सामने से गुज़रा उसने झट घोड़े से उतर कर उसे पकड़ लिया फिर उसको घोड़े की काठी के साथ बाँध कर अपने आगे रख लिया और वापस शहर की तरफ चल पड़ा।

••• ➲   कुछ देर के बाद उसने पीछे मुड़ कर देखा तो हैरान रह गया हिरनी उसके पीछे पीछे आ रही थी और यूं लगता था जैसे उसकी आँखों से आँसू बह रहे हैं हिरनी का बच्चा भी बुरी तरह तड़प रहा था।..✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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         ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत ❞
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                      हिरनी की दुआ
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••• ➲  सुबुक्तगीन को यह देख कर हिरनी और उसके बच्चे पर बड़ा तरस आया वह फौरन घोड़े से उतरा और हिरनी के बच्चे को छोड़ दिया बच्चा आज़ाद होते ही अपनी माँ के पास चला गया हिरनी ने बच्चे को दूध पिलाया और फिर उसे साथ लेकर जंगल की तरफ चली गई वह बार बार मुड़ कर सुबुक्तगीन की तरफ देखती थी जैसे उसका शुक्रिया अदा कर रही हो उस रात सुबुक्तगीन ने खाब में देखा कि एक नूरानी सूरत बुजुर्ग उस से कह रहे हैं।

••• ➲  ऐ सुबुक्तगीन ! तुमने एक बे जबान जानवर पर रहम खाया तुमहारे इस काम से अल्लाह बेपनाह खुश हुवा है और सिले में उसने तुमहें बादशाहत बख्श दी है।

••• ➲  इस खाब के कुछ अर्से के बाद बादशाह ने अपनी बेटी की शादी सुबुक्तगीन से कर दी बादशाह के यहाँ बेटी के एलावा और कोई औलाद न थी इस लिये उसके मरने के बाद सुबुक्तगीन अफगानिस्तान का बादशाह बन गया इस तरह हिरनी पर रहम करने की वजह से एक मामूली गुलाम को एक मुल्क की बादशाहत मिल गई।

••• ➲  *प्यारे बच्चो !* हमेशा जानवरों पर रहम किया करो उनहें बेजा तंग न किया करो देखो आका अलैहिस्सलातो वस्सलाम ने उम्मत को कितनी अच्छी तालीम दी है! *"इन बे ज़बान जानवरों के बारे में अल्लाह से डरो (और उनके साथ रहम व मुरव्वत का मुआमिला करो)"*..✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 सुनन अबू दाऊद 7/90 हदीस 2185 📚*

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         ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत ❞
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                      इल्म की शमा
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••• ➲  सुल्तान महमूद गजनवी अफगानिस्तान के बादशाह सुबुक्तगीन का बेटा था वह एक बहादुर सिपाही तजर्बा कार जरनील इनसाफ पसन्द बादशाह और सच्चा मुसलमान था वह आलिमों का बहुत बड़ा कद्र दान था बड़े बड़े अहले इल्मोदानिश उसके दरबार में जमा होते थे।

••• ➲  महमूद अभी छोटी उम्र ही का था कि एक रात वह किसी काम से महल से बाहर गया उस में सड़कों और गलियों में रौशनी का इनतेज़ाम नहीं होता था सिर्फ बड़े बड़े चौराहों पर खम्बों के साथ चराग लटका दिये जाते थे महमूद महल से बाहर निकला तो शाही खादिम चराग उठाए उसके साथ साथ चल रहे थे।...✍🏻

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         ❝बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत  ❞
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                      इल्म की शमा
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••• ➲  एक जगह वह क्या देखता है कि एक खम्बे में एक चराग लटक रहा है और उस चराग के नीचे एक लड़का किताब पढ़ रहा है महमूद उसके पास आकर रुक गया और उससे पूछने लगा तुम कौन हो?

••• ➲  *लड़के ने अदब से जवाब दिया* हुजूर! मैं एक तालिबे इल्म हूँ

••• ➲  *महमूद ने पूछा* इस वक्त यहाँ कयों खड़े हो?

••• ➲  *लड़के ने जवाब दिया* हुजूर! मेरे माँ बाप बहुत गरीब हैं मेरे लिये चराग का खर्च बरदाश्त नहीं कर सकते इस लिये मैं यहाँ आ जाता हूँ और सरकारी चराग के नीचे खड़े होकर सबक याद करता हूँ।...✍🏻

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         ❝बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत  ❞
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                      इल्म की शमा
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••• ➲  महमूद ने यह सुन कर अपने एक खादिम की तरफ देखा और उस से कहा तुम इस लड़के के साथ जाओ और यह चराग और एक साल के लिये तेल का खर्च इसके घर दे आओ।

••• ➲   खदिम चराग लेकर लड़के के साथ उसके घर गया और चराग और उसके साथ एक साल के लिये तेल का खर्च दे आया।

••• ➲  उस रात महमूद जब बिस्तर पर लेटा तो उसे खाब में एक बुजुर्ग नजर आए उनहोंने फरमाया

••• ➲  महमूद! तुमने एक गरीब तालिबेइल्म के घर में जिस तरह इल्म की शमा रौशन की है अल्लाह तआला उसी तरह तुमहारा नाम रौशन करेगा।..✍🏻

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         ❝  बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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                      इल्म की शमा
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••• ➲  चुनानचे जब महमूद गजनवी बादशाह हुवा तो उसने हिन्दुस्तान पर सत्तरह हमले किये और यहाँ इस्लाम का बोल बाला किया।

••• ➲  इसी वजह से मुसलमान उसे गाजी और मुजाहिद समझते हैं और इस्लाम की तारीख में उसका नाम शमा की तरह रौशन है।

••• ➲  *प्यारे बच्चो!* तुमने देखा कि एक गरीब की मदद ने महमूद गजनवी को कहाँ से कहाँ पहुँचा दिया!

••• ➲  क्या खूब फरमाया है हमारे प्यारे नबिये अकरम सल्लल्लाहो तआला अलैहे वआलिही वसल्लम ने "जो किसी तंगदस्त की परेशानी दूर करता है अल्लाह दुनियाँ और आखेरत में उस पर आसानी के रास्ते खोल देता है।..✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 सही मुस्लिमः 13/212 हदीस : 4867 📚*

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         ❝बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत  ❞
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                      अक्लमंद शागिर्द
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••• ➲  हज़रत जुनैद बग्दादी एक बहुत बड़े बुजुर्ग गुज़रे हैं उनके बहुत से मुरीद और शागिर्द थे उनमें एक शागिर्द ऐसा था जिसके साथ आप बहुत मेहरबानी से पेश आते थे हज़रत जुनैद के दूसरे शागिर्दो को यह बात अच्छी नहीं लगती थी उनहोंने एक रोज़ उनसे शिकायत करते हुए कहा कि आखिर वह भी हमारी ही तरह आपका शागिर्द है फिर आप उसके साथ हमसे ज्यादा अच्छा सुलूक कयों करते हैं ? 

••• ➲  *हज़रत जुनैद बग्दादी ने जवाब दिया* मेरा यह शागिर्द अख्लाक व अदब और इल्मोदानिश में तुमसे बढ़ा हुवा है इसी वजह से मैं इसे ज़्यादा अज़ीज़ रखता हूँ तुमहारी तसल्ली के लिये एक रोज़ इसका इम्तिहान भी हो जाएगा।..✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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         ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत ❞
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                      अक्लमंद शागिर्द
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••• ➲  इसके चन्द रोज़ बाद हज़रत जुनैद बग्दादी ने अपने शागिर्दो को जमा करके उनहें एक एक मुर्गी और एक एक छुरी दी और कहने लगे जाओ इन मुर्गियों को ऐसी जगह जबह करो जहाँ कोई देखने वाला न हो।

••• ➲  सब शागिर्द गए और अपनी अपनी मुर्गी को ऐसी जगह पर जबह करके ले आए जहाँ कोई आदमी न था मगर वह इस लिये शागिर्द रशीद उसी तरह जिन्दा मुर्गी वापस ले आया हज़रत जुनैद बग्दादी ने उस से पूछा कयों भई! तुमने मुर्गी को ज़बह कयों नहीं किया!?..✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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         ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत ❞
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                      अक्लमंद शागिर्द
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••• ➲  *शागिर्द ने नेयाज़ मन्दी से अर्ज किया* हुजूर! मुझे ऐसी कोई जगह नहीं मिल सकी जहाँ कोई देखने वाला न हो मैं जिस जगह भी गया वहाँ अल्लाह तआला को मौजूद पाया मजबूर होकर मुर्गी वापस ले आया हूँ।

••• ➲  *यह सुन कर हज़रत जुनैद बग्दादी ने अपने दीगर शागिर्दो से फरमाया तुमने देख लिया* कि जितनी अक्ल व बसीरत इसमें है तुम में किसी के अन्दर नहीं बस यही बात मुझे इसे ज़्यादा इज़्ज़त देने पर मजबूर करती हैं।

••• ➲  *प्यारे बच्चो !* हज़रत जुनैद बग्दादी का यह अमल हमारे हुजूरे अक्दस सल्लल्लाहो अलैहे वआलिही वसल्लम की इस हदीस के ऐन मुताबिक था *"लोगों के साथ उनकी अक्लोदानिश के मुताबिक सुलूक किया करो।..✍🏻*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 अलमकासिदुलहसनाः 1/52 📚*

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         ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत ❞
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                      दर्जी  की  कैंची
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••• ➲  हज़रत अब्दुल्लाह हनीफ अपने ज़माने के मशहूर वली थे दो आदमी उनकी शोहरत सुन कर बड़ी दूर से उनसे मिलने के लिये आए जब वह उनकी खानकाह में पहुँचे तो मालूम हुवा कि वह बादशाह के दरबार में गए हैं! 

••• ➲  उन आदमियों ने सोचा कि यह कैसा वली है जो बादशाहों के दरबार में जाता है वली तो वह है जो दुनियाँ से कोई तअल्लुक न रखे यह सोच कर उनहोंने हज़रत अब्दुल्लाह हनीफ से मिलने का ख्याल छोड़ दिया और खानकाह से निकल कर शहर की तरफ चल दिये वह शहर में घूम फिर रहे थे कि एक दर्जी की दुकान पर नज़र पड़ी सफर में उनके कपड़े जगह जगह से फट गए थे उनहोंने दर्जी से सूई धागा लिया और अपने कपड़े मरम्मत करने बैठ गए।..✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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         ❝बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत  ❞
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                      दर्जी  की  कैंची
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••• ➲  वह दोनों तो अपने काम में लगे हुए थे कि इतने में एक शख्स आया और मौका पाकर दर्जी की कैंची उठाकर ले गया दर्जी अपने काम में मसरूफ था उसे उसकी खबर न हुई थोड़ी देर बाद जब दर्जी को कैंची की जरूरत पड़ी तो उसने इधर उधर देखा मगर कैंची कहीं न पाई।

••• ➲  उसने ख्याल किया कि कैंची इन दोनों आदमियों ने ही चुराई है उसने उनसे कैंची माँगी जब उनहोंने इनकार किया तो दर्जी ने शोर मचाया कि यह दोनों चोर हैं बहुत से लोग शोर सुनकर जमा हो गए।..✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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         ❝  बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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                      दर्जी  की  कैंची
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••• ➲  उन आदमियों को उस शहर में कोई नहीं जानता था तो उनका साथ कौन देता! चुनानचा दर्जी उन दोनों को पकड़ कर बादशाह के दरबार में ले गया और कहने लगा कि यह लोग चोर हैं इनसे मेरी कैंची दिलवाई जाए हजरत अब्दुल्लाह हनीफ भी बादशाह के पास बैठे थे उनहोंने उन आदमियों पर एक निगाह की और फिरासते मोमिनाना से फौरन सारी बात जान गए।
 
••• ➲  *उनहोंने बादशाह से फरमाया* यह बेचारे तो दर्वेश हैं इनहें चोरी से क्या गर्ज! यह दर अस्ल मुझसे मिलने की खातिर बड़ी दूर से चल कर आए हैं दर्जी की कैंची किसी और शख्स ने उठाई होगी।

••• ➲  *प्यारे बच्चो !* तुमने देखा कि एक अल्लाह वाले की निगाह कहाँ तक काम करती है! यही सबक हमारे नबी सल्लल्लाहो तआला अलैहे वआलिही वसल्लम ने भी दिया है : *"बन्दए मोमिन की फिरासत (और निगाहे बसीरत) से होशियार रहा करो कयोंकि वह अल्लाह के नूर से देखा करता है।..✍🏻*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 सुनन तिरमिजीः 10/399 हदीसः 3052 📚*

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         ❝बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत  ❞
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                      ईमानदार ताजिर
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••• ➲  हज़रत इमामे आजम अबू हनीफा - अलैहिर्रहमा - फिक्ह व हदीस के बहुत बड़े आलिम थे आप मुल्के इराक के एक मशहूर शहर कूफा के रहने वाले थे और कपड़े का कारोबार किया करते थे आपको हमेशा इस बात का ख्याल रहता था कि जो आमदनी भी हो वह  हक हलाल की हो।

 ••• ➲  एक बार आपने अपने एक नौकर को कपड़े के कुछ थान दिये कि जाकर बाजार में फरोख्त कर आओ उनमें से एक थान में कुछ खराबी थी आपने नौकर को समझाते हुए कहा कि देखो! जब तुम यह थान फरोख्त करने लगो तो गाहक को बता देना कि इसमें यह खराबी है ताकि गाहक धोके में न रहे।..✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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         ❝बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत  ❞
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                      ईमानदार ताजिर
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••• ➲  नौकर थान लेकर बाजार चला गया इत्तेफाक ऐसा हुवा कि तमाम थान बड़ी अच्छी कीमत पर बिक गए मगर नौकर को उस बात का ख्याल न रहा जो इमाम अबू हनीफा ने समझाई थी उसने गाहक को बताया ही नहीं कि इनमें से एक थान खराब और ऐबदार है।

 ••• ➲  थानों की फरोख्त से जो रकम मिली नौकर उसे लेकर खुश खुश आया उसका ख्याल था कि यह रकम देख कर इमाम साहब बहुत खुश होंगे मगर जब नौकर ने वह रकम आपके हवाले की तो आपने उस से पूछा : क्या तुमने वह खराब थान गाहक को दिखा दिया था और उसे बता दिया था कि इसमें नक्स है।?..✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत ❞
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                      ईमानदार ताजिर
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••• ➲  *कहा हुजूर!* मुझे तो ख्याल ही नहीं रहा गाहक ने थानों की ऐसी अच्छी कीमत लगाई थी कि खुशी के मारे आपकी बात भूल ही गया!

••• ➲  यह सुन कर इमाम अबू हनीफा ने रकम नौकर का वापस करते हुए फरमाया कि जाओ यह तमाम रकम खैरात कर आओ यह हमारे लिये हलाल नही।

••• ➲  *प्यारे बच्चो !* धोका देही और किसी की आँख में धूल झोंकना बड़ी बुरी चीज़ है देखो हमारे इमाम अबू हनीफा का तक्वा कैसा था ! और उनका यह अमल दर अस्ल रसूलल्लाह सल्लल्लाहो तआला अलैहे वआलिही वसल्लम की इस हदीस का आइना दार था *"जिसने किसी धोके से काम लिया वह हम में से नहीं है।..✍🏻*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 सही मुस्लिमः 1/266 हदीसः 146 📚*

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     ❝बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत ❞
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                      मा की ख़िदमत
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••• ➲  हज़रत बायज़ीद बुस्तामी रहमतुल्लाह अलैहे अल्लाह तआला के मुकर्रब वली थे आप अपनी वालेदा की खिदमत को सबसे बड़ी इबादत और उनकी रज़ा मन्दी को दुनियाँ की सबसे बड़ी नेमत जानते थे।
 
••• ➲  एक रात वालेदा ने उनसे पानी माँगा हज़रत बायज़ीद प्याला लेकर पानी लेने गए सुराही को देखा तो वह खाली पड़ी थी किसी और बरतन में भी पानी नहीं था फिर क्या हुवा कि आप पानी की तलाश में दरिया की तरफ चल दिये।

••• ➲  उस रात शख़्त सर्दी पड़ रही थी जब आप दरिया से पानी लेकर वापस हुए तो वालेदा सो चुकी थीं हज़रत बायजीद प्याला लेकर वालेदा की पाएँती की तरफ खड़े हो गए।

••• ➲  सर्दी की वजह से आपको बड़ी तकलीफ महसूस हो रही थी मगर आपने वालेदा की खिदमत पर अपने आराम को कुरबान कर दिया और पानी का प्याला लिये चुप चाप खड़े रहे कि न मालूम कब वालेदा को प्यास सताए वह पानी की तलब में उठीं और मैं गाएब हूँ!..✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत ❞
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                      मा की ख़िदमत
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••• ➲  कुछ देर बाद आपकी वालेदा की आँख खुली तो उनहोंने देखा कि आप पानी का प्याला लिये खड़े हैं वालेदा ने उठ कर पानी पिया और कहने लगीं :   *बेटे !* तुमने इतनी तकलीफ क्यों उठाई पानी का प्याला मेरे बिस्तर के करीब रख देते मैं उठ कर खुद पी लेती!

*••• ➲   हज़रत बायज़ीद ने जवाब दिया* आपने मुझसे पानी माँगा था. मुझे इस बात का डर था कि जब आपकी आँख खुलेगी तो कहीं मैं आपके सामने हाज़िर न हूँ वालेदा यह सुन कर बहुत खुश हुईं और उनहें दुआएँ देने लगीं!

••• ➲  *प्यारे बच्चो !* माँ की खिदमत ने हज़रत बायजीद को विलायत व करामत में आला मकाम अता कर दिया था देखो हुजूर रहमते आलम नूरे मुजस्सम सल्लल्लाहो तआला अलैहे वआलिही वसल्लम के तअल्लुक से कितनी बड़ी बात फरमाँ गए और इस बात को आपने ब तकरार तीन बार फरमाया : *"मेरी वसीयत है कि हर शख्स अपनी माँ की खिदमत व एताअत बजा लाए"*..✍

*📗 सुनन इब्ने माजा 11/48 हदीसः 3647*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत ❞
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                        खुश अख्लाकी

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••• ➲  हिन्दुस्तान के बादशाहों में से एक नसीरुद्दीन बादशाह भी गुज़रा है. वह बहुत ही नेक और सादा दिल इनसान था सरकारी खज़ाने से अपने लिये एक पैसा भी न लेता था गुज़र औकात के लिये उसने खुश नवेसी इख्तेयार की कलाम पाक और दूसरी किताबें लिख कर उनकी आमदनी से इख्राजात पूरे किया करता था!

••• ➲  एक दफा का ज़िक्र है कि कोई रईस नसीरुद्दीन बादशाह से मिलने आया आपने उसे अपने हाथ से लिखा हुवा एक कलाम पाक दिखाया रईस उसे देख कर बहुत खुश हुवा फिर गौर से मुलाहेज़ा करके बोला : इसमें कुछ गलतियाँ हैं इनको दुरुस्त फरमाँ लिजियेगा!

••• ➲  रईस की निकाली हुई गलतियाँ हकीकत में गलतियाँ न थीं फिर भी नसीरुद्दीन ने बिल्कुल बुरा न माना बल्कि मुस्कुरा कर उसका बहुत शुक्रिया अदा किया जिन गलतियों की उसने निशानदेही की थी उनके गिर्द हल्का बना दिया ताकि बाद में उनकी इस्लाह करदी जाए!..✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत ❞
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                       खुश अख्लाकी
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••• ➲ उस वक्त जो लोग वहाँ मौजूद थे बादशाह की खुश अख्लाकी देख कर दंग रह गए रईस के चले जाने के बाद बादशाह ने सब हल्के मिटा दिये लोगों ने सबब पूछा तो बादशाह ने फरमाया!

••• ➲  मुझे मालूम था कि गलती कोई नहीं है मगर मैं अपने मेहमान को शरमिन्दा करना या उसका दिल दुखाना नहीं चाहता था इसी लिये अपनी गलतियों का इकरार करके उनके गिर्द हल्का बना लिया और अब वह हल्के मिटा दिये!

••• ➲  बादशाह की खुश अख्लाकी से दरबारी बहुत मुतअस्सिर हुए वह हैरान थे कि इतने बड़े बादशाह ने एक मामूली से रईस की दिल जूई के लिये इतने ज़बरदस्त अख्लाक का मुजाहेरा किया!

*••• ➲  प्यारे बच्चो !* बादशाह का यह आला अख्लाक दरअस्ल हमारे नबी सल्लल्लाहो तआला अलैहे वआलिही वसल्लम के इस फरमान की इत्तेबा में था : *"जो शख्स अल्लाह और रोज़े आखेरत पर ईमान रखता है उसे चाहिये कि खूब अच्छी तरह अपने मेहमान की इज्जत व तकरीम करे"*..✍🏻

*📗 सही बुखारीः 18/437 हदीसः 5559*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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                     अल्लाह का खौफ
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••• ➲  बसरा का एक अमीर जमीनदार जब अपने एक बाग में गया तो अपने ही नौकर माली की नौजवान बीवी को देख कर सब्र व करार खो बैठा और उसकी गरीबी से नाजाएज़ फाएदा उठाना चाहा ज़मीनदार ने माली को तो किसी काम के लिये बाग से बाहर रवाना कर दिया और उस औरत की झोंपड़ी में दाखिल होकर कहा : दरवाजे बन्द कर दो!

*••• ➲  माली की औरत ने कहा :* मैं सब दरवाजे बन्द कर सकती हूँ लेकिन एक दरवाजा नहीं बन्द कर सकती जमीनदार ने पूछा : वह कौन सा दरवाज़ा है ?

*••• ➲   उस औरत ने जवाब दिया :* जो मेरे और खुदा के दरमियान है!

••• ➲   उसकी यह बात कर जमीनदार के दिल में तीर बन कर उतर गई वह बहुत मुतअस्सिर हुवा और फौरन माफी माँगी और खुदा की बारगाह में सच्ची तौबा की!

*••• ➲   प्यारे बच्चो !* देखो रसूलल्लाह सल्लल्लाहो तआला अलैहे वआलिही वसल्लम की बात कितनी सच्ची है : *"जहाँ भी रहो अल्लाह से डरते रहो"*...✍🏻 

*📙 सुनन तिरमिजीः 7/262 हदीसः 1910*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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                     मज़लूम की बद्दुआ
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••• ➲  एक अमीर आदमी गरीब लकड़हारों से बहुत ही कम दामों पर लकड़ियाँ खरीद लिया करता था और उनहें महंगे दामों, रईसों के हाथों फरोख्त किया करता था!

••• ➲  एक फकीर ने उस आदमी को इस जुल्म से मना किया कि यह बात ठीक नहीं है कहीं इससे तुमहें कोई भारी नुक्सान न उठाना पड़ जाए मगर उस आदमी ने फकीर की एक न सुनी और अपना काम करता रहा, फिर एक दिन खुदा का करना ऐसा हुवा कि उस आदमी के घर में यका यक आग लग गई सब हैरान थे कि आग लगी कैसे ?

••• ➲  उसी वक्त उस फकीर का वहाँ से गुज़र हुवा. और उसने कहा : मैं बताता हूँ कि आग कैसे लगी !

*••• ➲  लोगों ने पूछा कि बताओ तो उसने जवाब दिया :* गरीबों की आह और मजलूमों की बद्दुआ से!

*••• ➲  प्यारे बच्चो !* कभी किसी की मजबूरी से नाजाएज फाएदा नहीं उठाना चाहिये देखो कि अगर उस अमीर आदमी को हमारे प्यारे नबी सल्लल्लाहो तआला अलैहे वसल्लम की यह हदीस याद होती तो शायद ऐसी हरकत कभी न करता *"मजलूम की बद्दुआ से बचो क्योंकि उसकी आह का अल्लाह की बारगाह से बराहे रास्त (डाएरेक्ट) तअल्लुक है उसके बीच कोई चीज हाएल नही!*...✍🏻

*📗 सही बुखारी : 8/321 हदीस -2268*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत ❞
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                  सब्र, बेहतरीन नेमत
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••• ➲  दो मुसाफिर एक साथ सफर कर रहे थे घूमते घूमते यह लोग शहरे खुरासान में पहुँच गए उन दोनों साथियों में एक निहायत नहीफ व लागर था और वक्त वक्त से खाना खाता था, और दूसरा निहायत तनदुरुस्त व तवाना था और सुबह से शाम तक कुछ न कुछ खाता ही रहता था!

••• ➲  इत्तेफाक से खुरासान की पुलिस ने उन दानों को मुश्तबह हालत में देख कर गिरफ्तार कर लिया और हवालात में बन्द कर दिया!

••• ➲  जब तीन दिन के बाद हवालात का दरवाजा खुला तो यह देख कर सब हैरत जदह रह गए कि वह दुबला पतला लागर आदमी जिन्दा सलामत है और हँसता कूदता हुवा हवालात से बाहर आरहा है जब कि मोटा ताज़ा पहेलवान मरा पड़ा है!

••• ➲  मालूम हुवा कि मोटा ताजा आदमी ज्यादा खाने वाला था इस लिये मुसीबत बरदाश्त न कर सका और मर गया और लागर आदमी को तो सब की आदत थी इस लिये उसने सब्र किया और सलामती के साथ कैद से निजात पाई!

*••• ➲  प्यारे बच्चो !* सब्र से बड़ी कोई दौलत नहीं जिसके अन्दर सब्र का माद्दा होता है वह बड़ी से बड़ी मुसीबत का खन्दा पेशानी से मुकाबला कर लेता है
देखो हमारे प्यारे आका सल्लल्लाहो तआला अलैहे वसल्लम ने सब्र का क्या मकाम बयान फरमाया है : *"सब्र से ज्यादा बेहतर और उस से बढ़ कर कभी किसी को कोई नेमत नहीं मिली"*...✍🏻

*📗 सही बुखारी : 6/155 हदीस -1585*

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     ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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                        तसव्वुरे मौत
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••• ➲ एक बार मशहूर बुजुर्ग हज़रत मारूफ करखी रहमतुल्लाह अलैहे का वजू जाता रहा तो आपने फौरन तयम्मुम फरमा लिया लोगों ने अर्ज किया : हज़रत ! दरिया बहुत करीब है फिर अपने तयम्मुम क्यों किया ?

••• ➲ आपने फरमाया कि आप लोगों की बात बिल्कुल बजा है मगर मुझे उम्मीद नहीं कि दरिया के पास पहुँचने तक मैं ज़िन्दा भी रहूँगा या नहीं !

••• ➲ *प्यारे बच्चो !* हज़रत मारूफ करखी की यह सोच दरअस्ल आका अलैहिस्सलातो वस्सलाम की इस मारूफ हदीस की पैदावार थी *"(मौत को दूर न ख्याल कर बल्कि हमा वक्त) अपना शुमार मुर्दो में किया कर"*...✍🏻

*📗 सुनन तिरमिजी -8/323 हदीस : 2255*

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     ❝बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत ❞
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                        मेहनती लोग
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••• ➲   एक आदमी ने हातिम ताई से पूछा कि आपने अपने आपसे ज्यादा कभी किसी को बुलन्द हिम्मत और बहादुर देखा है ?हातिम ने जवाब दिया. हाँ देखा है!

••• ➲  अमर वाकेआ यह है कि एक दिन मैंने चालिस ऊँट ज़बह किये थे और तमाम अहले इलाका की दावत की थी ऐन खाने के वक्त मैं किसी काम से जंगल की तरफ निकल गया वहाँ एक लकड़हारे को देखा कि मेहनत व मुशक्कत के साथ लकड़ियाँ काटने में मशगूल है मैंने उससे कहा :

••• ➲  ऐ लकड़हारे ! तू इस वक्त यहाँ धूप में क्यों परेशान हो रहा है ? जा हातिम ताई के यहाँ आज दावते आम हैं मजे लेले कर खा पी यह सुन कर उसने जवाब दिया जो लोग अपने हाथ से कमाई करना और मेहनत करके अपना पेट भरना जानते हैं वह हातिम का एहसान लेने की ज़रूरत ख्याल नहीं करते!

••• ➲   *प्यारे बच्चो !* हमारे आका सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने हमें कितनी अच्छी नसीहत फरमाइ है : *वह कमाई सबसे बेहतर है जो इनसान खुद मेहनत करके कमाता है!*..✍🏻

*📗 कंजुल उम्मालः 4/9 हदीसः 9224*

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                  इल्म, वरासते नबूवत
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••• ➲  मिस्र में दो अमीर जादे थे एक ने इल्म सीखा और दूसरे ने दौलत कमाई हत्ता कि मिस्र का बादशाह बन गया!

••• ➲  फिर क्या हुवा कि बादशाह आलिम को हेकारत से देख कर कहा करता था कि देखो इसने इल्म सीखने में वक्त जाए किया और आज नाने शबीना को मुहताज है एक मैं हूँ कि दौलत के हुसूल की कोशिश के सबब आज अज़ीज़े मिस्र बन चुका हूँ!

*••• ➲  आलिम ने उसकी बात सुन कर कहा :* खुदा की नेमत का शुक्र अदा करना मुझ पर ज्यादा वाजिब है क्यों मैंने पैगम्बरों की मीरास पाई है यानी इल्मो हिकमत और तुझे फिरऔन व हामान का तरका मिला हैं यानी मालो दौलत!

*••• ➲ प्यारे प्यारे बच्चो !* उस आलिम ने दरअस्ल आका अलैहिस्सलातो वस्सलाम की इस हदीस की तरफ इशारा किया था! *"उलमा , पैगम्बरों के वारिस होते हैं जिनकी विरासत इल्म होती है!*.. ✍🏻

*📗 सही बुखारीः 1/119*

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     ❝बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत ❞
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                     नीयत पर मदार
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••• ➲   एक बादशाह एक मरतबा शिकार को गया और जंगल में इत्तेफाक से रास्ता भूल कर अपने साथियों से बिछड़ गया और तुर्रह यह कि शाम हो चुकी थी बादशाह परेशानी से एक सम्त को देख रहा था दूर बहुत दूर घने दरख्तों के दरमियान थोड़ी सी रोशनी नज़र आ रही थी बादशाह उसी तरफ चला और वहाँ पहुँचने पर देखा कि एक बूढ़ी औरत और एक नौजवान लड़की एक साफ सुथरी झोंपड़ी में मौजूद हैं!

••• ➲   बादशाह ने आगे बढ़ कर ज़ईफा को सलाम किया और रात में पनाह लेने की इजाज़त चाही बुढ़िया ने बड़ी खुशी से मेहमान का इस्तिकबाल किया और उसकी खूब आओ भुगत की बादशाह ने देखा कि बुढ़िया की झोंपड़ी के पास एक ऐसी तन्दुरुस्त गाय बंधी है कि इस कदर तन्दुरुस्त और खूबसूरत गाय शाही महल में न थी खैर सूबह हुई और बादशाह जब जागा तो क्या देखता है कि जईफा की लड़की गाय का दूध निकाल रही है बादशाह हैरान था कि गाय ने करीबन एक मन दूध दिया था!

••• ➲   उसी वक्त बादशाह ने सोचा कि हो न हो यह जंगल की घास का असर है अब दारुल हुकूमत पहुँचते ही जंगल को चरागाह में तब्दील करा दूंगा और यहाँ सिर्फ शाही मवेशी ही चराया करेंगे!..✍🏻

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                     नीयत पर मदार
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••• ➲   बादशाह को चूंकि रास्ता नहीं मालूम था इस लिये वह साथियों की उम्मीद पर कि तलाश करते हुए वह ज़रूर आएंगे दिन भर ठहरा रहा मगर कोई न आया यहाँ तक कि शाम हो गई और गाय जंगल से चल कर वापस आ गई तो जईफा ने कहा : बेटी ! दूध निकाल ले अंधेरा हुवा चाहता है जब वह लड़की दूध निकालने बैठी तो खिलाफे तवक्को दूध बहुत ही कम निकला बुढ़िया ने दूध की कमी पर तबसेरा करते हुए कहाः लगता है कि हमारे बादशाह की नीयत में कुछ फर्क आ गया है!

••• ➲   बादशाह यह सुन कर दिल ही दिल में बहुत शरमिन्दा हुवा और खुदा से तौबा की जब सुबह को फिर गाय दूही गई तो वही कोई एक मन के करीब दूध निकला!

••• ➲   *यारे बच्चो !* नीयत के फुतूर का करिश्मा तुमने देखा इस लिये अपनी नीयत हमेशा साफ रखो और किसी की चीज़ देख कर लालच न किया करो देखो हमारे आका सल्लल्लाहो अलैहे वआलिही वसल्लम ने हमें कितना अच्छा फारमूला अता किया है : *"मोमिन की नीयत उसके अमल से कहीं ज्यादा अहमियत की हामिल होती है"*!..✍🏻

*📗 मुस्नद शहाबुलकोजाइः 1/237 हदीसः 140*

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                      मज़ाक में झूट
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••• ➲   बताते हैं कि पुराने ज़माने में एक चरवाहा अपनी बकरियाँ चराया करता था!

••• ➲   एक दिन उसने यूंही दिल लगी करते हुए शोर मचाया "लोगो दौड़ो दौड़ो भेड़िया आ गया"

••• ➲   बस्ती से तमाम लोग दौड़ पड़े मगर वहाँ जाकर देखा कि चरवाहा मजे में हँस रहा है और बकरियाँ सही व सालिम चर रही हैं वह लोग बहुत शरमिन्दा हुए और वापस चले गए!

••• ➲   इसी तरह एक दिन चरवाहे को फिर शरारत सूझी और भेड़िया भेड़िया कहते हुए मदद के लिये लोगों को पुकारने लगा लोग उसकी मदद को दौड़े. लेकिन फिर शरमिन्दा होकर वापस आना पड़ा!

••• ➲   एक दिन ऐसा हुवा कि सच मुच भेड़िया आ गया अब वह लाख शोर मचाता है और आवाज़ पर आवाज दे रहा है मगर कोई मदद को नहीं आया क्योंकि अब उसका एतेबार उठ चुका था और नतीजा यह हुवा कि भेड़िया उसकी तमाम बकरियाँ चट कर गया!

••• ➲   *प्यारे बच्चो !* देखो हमारे आका ने हमें कितनी अच्छी नसीहत फरमाई है अगर उस चरवाहे को यह नसीहत याद होती तो वह यकीनन उस भारी नुक्सान से बच जाता! *"मोमिन उस वक्त तक पक्का मोमिन नहीं बनता जब तक कि हँसी मजाक में भी झूट बोलना तर्क न करदे"*!..✍🏻

*📗 मुस्नद अहमदः 17/453 हदीसः 8411*

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          इत्तेफाक ज़िन्दगी, इख्तेलाफ मौत
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••• ➲  एक दिन की बात है कि किसी शिकारी ने नदी के किनारे अपना जाल नान कर रख दिया बहुत सारी चिड़ियाँ दाना चुगने की लालच में जाल के अन्दर जा फँसी यह देख कर शिकारी बहुत खुश हुवा और दौड़ कर आया कि जल्दी से सारी चिड़ियों को पकड़ ले लेकिन जैसे ही वह जाल के करीब पहुँचा तो डर के मारे सारी चिड़ियाँ एक साथ ऐसा भागीं कि जाल भी साथ ले उड़ीं!

••• ➲  यह माजरा देख कर शिकारी के होश उड़ गए और सोचने लगा कि आखिर चिड़ियाँ जाल लेकर कैसे उड़ गईं मगर वह हिम्मत नहीं हारा और चिड़ियों के पीछे लग गया!

••• ➲  रास्ते में उसे एक आदमी मिला और पूछने लगा कि तुम इस कदर तेजी से कहाँ भागे जा रहे हो ? शिकारी ने आसमान में उड़ती हुई चिड़ियों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि उनको पकड़ने की कोशिश कर रहा हूँ!

••• ➲  *यह सुन कर वह आदमी हँस पड़ा और कहने लगा* अल्लाह तुमको अक्ल व शोऊर दे क्या तुम सच मुच समझ रहे हो कि उन उड़ती हुई चिड़ियों को अपने काबू में कर लोगे !..✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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          इत्तेफाक ज़िन्दगी, इख्तेलाफ मौत
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••• ➲   *शिकारी ने कहाः* अगर जाल में सिर्फ एक होती तो शायद मैं उसे पकड़ने में कामयाब न हो सकता लेकिन अभी आप खुद अपनी आँखों से देखेंगे कि मैं उनहें कैसे पकड़ रहा शिकारी की बात बिल्कुल दुरुस्त निकली!

••• ➲   जब शाम का धुंधलका छाया. तो सारी चिडियों को अपने अपने घोंसले में जाने की फिक्र लाहिक हो गई. फिर क्या हुवा कि किसी ने जाल को लकड़ियों की तरफ खींच कर ले जाना चाहा किसी ने झील की तरफ जाने की कोशिश की किसी ने पहाड़ की चट्टान की तरफ भागना चाहा और किसी ने झाड़ियों का रुख करना चाहा मगर उनमें से कोई कामयाब न हो सकी और नतीजा यह हुवा कि सारी चिड़ियाँ जाल लेकर नीचे जमीन पर गिर पड़ीं शिकारी खुश खुश आया और सबको पकड़ कर ले गया!

*••• ➲   बच्चो !* तुमने देखा कि इत्तेफाक में कितनी ताकत व बरकत है अगर वह सारी चिड़ियाँ एक सम्त महवे परवाज़ रहतीं तो शायद वह कभी शिकारी के चंगुल में न आतीं मगर जब उनमें इख्तेलाफ हुवा तो सब मौत के मुंह में चली गईं इस लिये देखो कि हमारे प्यारे आका सल्लल्लाहो तआला अलैहे वसल्लम ने हमें कितना अच्छा सबक दिया है! *"लोगो ! आपस में इस्तेलाफ न करो . जमाअत के साथ मिल कर रहो क्योंकि जो बकरी रेवड़ से अलग हो जाती है वह भेड़िये का लुकमा तर बन जाती है!..✍🏻*

*📙 सुनन निसाइ : 3/363 हदीसः 838*

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                   शेर जब दोस्त बन गया
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••• ➲  बहुत दिनों की बात है कि एक शहर में मुजरिम को सज़ा देने का तरीका बड़ा ज़ालिमाना था जब कोई किसी जुर्म का इरतेकाब करता तो लोग उसे भूके शेरों के आगे डाल देते थे!

••• ➲  आज एक बार फिर लोग उस हैबतनाक मंज़र को देखने के लिये एकट्ठा हुए है आज का मुजरिम एक भगौड़ा गुलाम है एक ऊँची सी चहार दीवारी के अन्दर पहले गुलाम को लाकर छोड़ दिया गया फिर एक भूके शेर को उसके अन्दर जाने की इजाजत देदी गई शेर ने अपने पंजा से उस बेकस आदमी पर हमला करने की तैयारी मुकम्मल करली मगर फिर अचानक क्या हुवा कि वह आगे बढ़ कर उस गुलाम के हाथ चाटने लगा!

••• ➲  यह देख कर तमाशाई हैरत में पड़ गए. और गुलाम से उसका माजरा पूछा. तो उसने जवाब दिया एक दिन मैंने इस शेर को एक जंगल में देखा कि लड़खड़ाता हुवा चल रहा है दरअस्ल इसके पंजे में एक काँटा चुभ गया था जिसके बाइस वह बड़ी तक्लीफ में था मैंने इसकी बेकसी पर तरस खाते हुए इसके काँटे को निकाल दिया उस दिन से हम एक दूसरे के जिगरी दोस्त बन गए हैं!

••• ➲  इस कहानी ने लोगों को बेहतरीन सबक सिखा दिया और उनहोंने शेर और गुलाम दोनों को आजाद कर दिया. लोगों की हैरत और हैरानगी उस वक्त इन्तिहा को पहुँच गई जब देखा कि शेर गुलाम के पीछे पीछे चल रहा है जैसे पालतू बिल्ली किसी के साथ चल रही है!

••• ➲  *प्यारे बच्चो !* हुजूरे अक्दस सल्लल्लाहो अलैहे वआलिही वसल्लम ने क्या खूब फरमाया है : *"रहमो मुरव्वत करने वालों पर अल्लाह रहमानो रहीम भी रहम फरमाता है जमीन वालों पर रहम करो आसमानी मख्लूक तुम पर रहम खाएगी"*...✍🏻

*📕 सुनन तिरमिज़ी 7/161 हदीसः 1847*

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                     जल्दी का फैसला
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••• ➲  एक मुहल्ले में दो हमसाए पास पास रहते थे एक बड़ा लड़ाका था और दूसरा धीमा और दाना दाना के यहाँ कुछ मुर्गियाँ पली हुई थी मगर इस बात का हमेशा वह ख्याल रखता था कि हमसायों को तक्लीफ न हो बाहर जाते वक्त मुर्गियों को दाना पानी देकर बन्द कर जाता और जब घर आता तो खोल दिया करता था!

••• ➲  एक दिन यह घर में मौजूद न था कि मुर्गियाँ किसी तरह खाँचे से बाहर निकल आईं और उनहोंने लड़ाके हमसाए के घर जाकर कहीं बीट करदी कहीं ज़मीन खोद खोद कर गड़हे डाल दिये अलगरज़ हर जगह कूड़ा करकट फैला दिया!

••• ➲  लड़ाके ने देखा तो मारे गुस्से के बीसियों ही गालियाँ दीं और जल भुन कर एक मुर्गी की गरदन भी मरोड़ डाली!

••• ➲  यह गुस्से में भरा हुवा अभी बक ही रहा था कि दाना भी आ पहुँचा जिससे घर वालों ने शिकायत की कि उसके हमसाए ने नाहक गालियाँ देकर इतना शोर मचा रखा है ज़रा जाकर पूछो तो सही अगर जानवर आपसे आप निकल गए तो इसमें हमारा क्या कसूर है!..✍🏻

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                     जल्दी का फैसला
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••• ➲  अकलमन्द ने सोचा कि ऐसे लड़ाके से समझदारी की उम्मीद फुजूल है. दानाई यह है कि उसकी दुरुस्ती की कोशिश करनी चाहिये यह सोच कर वह हमसाए के घर गया और नरमी से कहा : आज किसी तरह आपसे आप मुर्गियाँ निकल गई थीं मुझे अफसोस है कि उनहोंने आपको तक्लीफ पहुँचाया लाइये मैं आपके सेहन में झाडू देदूं और कुछ नुक्सान हुवा हो तो वह भी पुरा कर दूँ. दाना की इन मुलाएम बातों ने लड़ाके के दिल पर बड़ा असर किया क्योंकि उसे तो एक मुर्गी का गला घोंट देने से हमसाए की तरफ से लड़ाई झगड़े का अन्देशा था उसने फौरन दाना से माफी माँगी और फिर कभी ऐसी हरकत न की जिससे दूसरों को कोई तक्लीफ पहुँचे!

••• ➲  *प्यारे बच्चो !* कभी भी गुस्से की हालत में कोई फैसला नहीं लेना चाहिये और जब तक दूसरे की बात न सुन ली जाए कोई फैसला नहीं देना चाहिये देखो अगर इस लड़ाके को हमारे प्यारे आका सल्लल्लाहो अलैहे वआलिही वसल्लम की यह हदीसे मुबारक याद होती तो वह अपनी इस हरकत से बाज़ रहता *"सोच समझ कर काम करना महज़ अल्लाह (की तौफीक) से होता है. और जल्दी का अमल शैतान की तरफ से होता है!..✍🏻

*📙 सुनन तिरमिजी : 7/298 हदीसः 1935*

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                     इल्म की ताक़त
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••• ➲  कोलम्बस - जिसने अमेरीका दरियाफ्त किया था एक जहाजरान का बेटा था ऐसे लोगों को सितारों की चाल बखूबी मालूम होती है क्योंकि इसी इल्म पर जहाजरानी मौकूफ है!

••• ➲  एक दिन कोलम्बस को ख्याल आया कि समन्दर का दूसरा किनारा भी देखना चाहिये क्या अजब कि उधर भी कोई मुल्क आबाद हो चुनानचा शाही दरबार की इमदाद से दो जहाज़ लेकर बहरी सफर पर रवाना हुवा और सितारों की रह नुमाई से अमेरीका तक जा पहुँचा!

••• ➲  इस वक्त तो अमेरीका दौलत व साइन्स की कान बना हुवा है मगर उस वक्त जो लोग वहाँ रहते थे बिल्कुल ही जंगली वहशी और तरह तरह के वहमों में फंसे हुए थे कोलम्बस ने उन पर हुकूमत जमाना चाही तो वह मुकाबले के लिये तैयार हो गए!..✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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                     इल्म की ताक़त
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••• ➲  कोलम्बस के साथी चूंकि तादाद में कम थे और फिर वह लड़ाई में भी पूरे नहीं उतर सकते थे बिलआखिर सोचते सोचते कोलम्बस को याद आ गया कि कल सूरज गरहन लगने वाला है इस ख्याल के आते ही उसने वहशियों के सरदार को बुला कर कहा : देखो ! अगर तुम हमारी फरमाबरदारी नहीं करोगे तो मैं सूरज को हुक्म दूंगा और वह तुमहें जला राख कर देगा!

••• ➲  उस वक्त तो वहशी चुपके चुपके सुनते रहे मगर दूसरे दिन जब सूरज को वाकेअतन गरहन लगना शुरू हुवा तो वह सख्त घबराए और कोलम्बस को जादूगर और करिश्माती हस्ती समझ कर उसके पास हाज़िर हो गए और बखुशी उसकी एताअत कबूल कर ली! 

••• ➲  *प्यारे बच्चो !* तुमने देखा कि इल्म की कितनी ताकत है कि जो काम बहुत बड़ी फौज न कर सकती थी वह गुत्थी इल्म के एक नुकते ने ज़रा सी देर में कैसे सुलझा दी प्यारे आका सल्लल्लाहो अलैहे वआलिही वसल्लम ने इसी लिये तो इल्म सीखने की हमें बहुत ज़्यादा तरगीब दी है : *"इल्म हासिल करो चाहे उसके लिये तुमहें मुल्के 'चीन' ही क्यों न जाना पड़े"*...✍🏻

*📗 कंजुल उम्मालः 10/138 हदीस : 28697*

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     ❝बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत ❞
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                         हुस्ने सुलूक
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••• ➲  हुजूरे अकरम सल्लल्लाहो तआला अलैहे वआलिही वसल्लम की सरबराही में जब मुसलमानों ने मक्का फतह कर लिया तो उस वक्त आपने देखा कि मक्का की एक जईफ औरत सर पर एक भारी गठरी लिये भागी जा रही है!

••• ➲  *सरकारे दोआलम सल्लल्लाहो अलैहे वआलिही वसल्लम को* उस बूढ़ी औरत पर तरस आया कि बुढ़ापे के बावजूद उसने सर पर गठरी का बोझ उठा रखा है चुनानचा आप उस बुढ़िया के करीब आए और उससे वजह पूछी कि वह इतना बोझ सर पर उठा कर कहाँ जा रही है ?

••• ➲  उस बुढ़िया ने कहा : ऐ बेटे !* मैं मुहम्मद नामी एक शख्स के खौफ से मक्का छोड़ कर जा रही हूँ कि कहीं वह मुझसे मेरा मजहब न छुड़ा दे *आप उस बुढ़िया की बात सुन कर मुस्कुराए और फरमाया :* माई इतनी भारी गठरी तु कैसे उठाएगी ला यह बोझ मुझे देदे मैं तुझे तेरी मनज़िल तक पहुँचा देता हुँ!..✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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                        हुस्ने सुलूक
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••• ➲  यह कह कर आपने वह गठरी अपने सर पर उठाली और बुढ़िया के साथ चल पड़े तमाम रास्ते वह बुढ़िया मुहम्मद को बुरा भाला कहती रही और आप निहायत सब्र व तहम्मुल से सुनते रहे. फिर जब बुढ़िया अपनी मनज़िल पर पहुँच गई तो आपने बुढ़िया की गठरी उसके हवाले करके वापसी की इजाजत चाही *बुढ़िया ने हुजूरे अकरम सल्लल्लाहो अलैहे वआलिही वसल्लम का बेहद शुक्रिया अदा किया और कहा कि ऐ सआदतमन्द इनसान !* मैं तुझे एक नसीहत करती हूँ कि मक्का में मुहम्मद आ गया है वह बड़ा जादूगर है उससे बच कर रहना!

••• ➲  आपने बुढ़िया की बात सुन कर निहायत मुलाएमत से फरमाया :* माई मैं ही वह मुहम्मद हूँ जिसके खौफ से तू मक्का छोड़ आई है बुढ़िया ने जब यह सुना तो वह बहुत शरमिन्दा हुई और कहने लगी कि अगर आप मुहम्मद हैं तो मैं गवाही देती हूँ कि आप अल्लाह के नबी हैं क्योंकि आप दुश्मनों के साथ भी अच्छा सुलूक रवा रखते हैं!

••• ➲  *प्यारे बच्चो !* वह बुढ़िया हुजूरे अकरम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के अख्लाको किरदार और हुस्ने सुलूक से इस कदर मुतअस्सिर हुई कि उसने अपना मजहब छोड़ कर फौरन दीन इस्लाम कबूल कर लिया अच्छे अख्लाक की अहमियत का अन्दाज़ा इस हदीस से लगाओ *"मीज़ाने अमल पर अच्छे अख्लाक से ज्यादा वज़नी कोई चीज़ न होगी!"* ..✍🏻

*📗 सुनन अबू दाऊदः 12/421 हदीसः 4166*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत ❞
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                  बात एक लकड़हारे की
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••• ➲  *हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के ज़माने में एक लकड़हारा था* जो जंगलों और पहाड़ों में जाकर लकड़ियाँ काटता उनहें पीठ पर ढो कर लाता और बाज़ार में फरोख्त किया करता था उससे थोड़ी बहुत जो आमदनी होती उसी पर उसका गुजर बसर होता था यह काम अगरचा बहुत सख्त और तकलीफ देह था मगर लकड़हारा कभी उससे नालाँ और शिक्वा कुना नहीं था!

••• ➲  *फिर क्या हुवा कि* उसके एक पड़ोसी ने भी यही काम शुरू कर दिया मगर फर्क यह था कि उसके पास एक गदहा था वह ज्यादा लकड़ियाँ काट कर लाता और उससे कम कीमत पर बाज़ार में फरोख्त किया करता था यह देख कर उसके अन्दर हसद की आग भड़क उठी वह सीधा हज़रत मूसा अलैहिस्सलातो वस्सलाम के पास गया और इस तरह अपनी परेशानी बयान करना शुरू की! 

••• ➲  *आपको पता है कि* मैं एक पेशावर लकड़हारा हूँ अक्सर ऐसा होता है कि लकड़ियाँ काट कर जब मैं अपनी पीठ पर लादता हूँ तो बहुत से काँटे चुभ जाते हैं मुझे भी पुर सुकून ज़िन्दगी जीने की तमन्ना है बराए करम जब आप अल्लाह की बारगाह में हाज़िर हों तो मेरी मुश्किल भी वहाँ रखदें और मेरे लिये एक गदहे की दरखास्त करदें जिस पर मैं लकड़ियाँ उठा कर बाज़ार ले जा सकूँ!..✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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                   बात एक लकड़हारे की
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••• ➲  *जब हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम अल्लाह तआला से हम कलाम हुए तो* आपने उस गरीब लकड़हारे की फरियाद अल्लाह के सामने पेश कर दी!

••• ➲  *जवाब मिला : मूसा !* यह बन्दा हसद की आग में जल रहा है जब तक वह खुद को इस मुहलिक बीमारी से निजात नहीं दिलाएगा कभी भी चैन से नहीं रह सकता उससे जाकर कह देना कि वह अपनी इस हरकत से बाज़ आ जाए आज कल उस दूसरे लकड़हारे का गदहा बीमार है इससे कहो कि यह अपने पड़ोसी के गदहे की शिफा के लिये दुआ करे. अगर वह ऐसा करता है और उसका गदहा ठीक होजाता है तो मैं उसे भी एक गदहा अता कर दूंगा!

••• ➲  *जब हज़रत मूसा ने आकर उस गरीब लकड़हारे से सारी तफसील बयान की* तो उसके अन्दर मौजूद आतिशे हसद और तेज़ हो गई और कहने लगा!..✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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                  बात एक लकड़हारे की
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••• ➲  *मैं कभी भी अपने पड़ोसी के गदहे की शिफा के लिये अल्लाह से दुआ नहीं माँग सकता!* जो कुछ मेरे पास है मैं उसी में खुश हूँ अब मुझे खुदा से किसी गदहे की तलब नहीं मैं तो यही दुआ करूंगा कि उसका गदहा कभी न ठीक हो. और यही मेरे लिये बहुत है!

••• ➲  *प्यारे बच्चो !* देखा तुमने कि हसद कितनी बुरी चीज़ है ! जब यह बीमारी किसी के अन्दर मौजूद हो वह कभी भी खुश नहीं होता और हसद की आग में खुद जलता रहता है हमारे आका अलैहिस्सलातो वस्सलाम ने कितनी उमदा नसीहत फरमाई है *"हसद से बचो. क्योंकि हसद नेकियों को इस तरह खा जाता है जिस तरह आग लकड़ी को खा जाती है!"*...✍🏻

*📗 सुनन अबू दाऊदः 13/56 हदीसः 4257*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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                    हातिम की सखावत
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••• ➲  *पहले जमाने की बात है कि* हातिम नामी एक बहुत ही मालदार और सखी शख्स था उसके पास ज़िन्दगी की हर सहूलत बहम थी जानवरों से भी उसे गहरा शगफ था उसके पास “धुवाँ' नामी एक मशहूर चितकबरा घोड़ा भी था जो उसकी आँख का तारा था और जिसे वह किसी कीमत पर छोड़ने के लिये तैयार न था उसकी तेज रफ्तारी का चर्चा ज़बान ज़दे खासो आम था लोग उसकी बर्क रफ्तारी की वजह से उसे शाहीन से ताबीर करते थे!

••• ➲  रफ्ता रफ्ता हातिम की सखावत और उसके खूबसूरत घोड़े की शोहरत उस दौर के बादशाह के कानों तक जा पहुँची बादशाह ने अपने वज़ीर को बुलाया और कहा कि मैं हातिम की सखावत का इम्तिहान लेना चाहता हूँ जाओ और उससे जाकर कहो कि बादशाह ने तुमहारा मशहूर घोड़ा "धुवाँ" माँगा है  देखो वह क्या करता है!..✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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                    हातिम की सखावत
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••• ➲   दूसरे दिन बादशाह के कारिन्दे निकल पड़े और सख्त बादो बाराँ में हातिम के दरबार तक पहुँचे और उसके मेहमान बन गए!

••• ➲  हातिम ने उनका पुर जोश इस्तिकबाल किया और खादिमों को हुक्म दिया कि मेहमानों के लिये खाने का इन्तेज़ाम किया जाए जल्द ही खान चुन दिया गया गोनागों किस्म की पुर तकल्लुफ डशें मेज़ पर सजा दी गईं और सभी लोग उसके इर्द गिर्द खाने के लिये बैठ गए खाने के बाद मेहमानों को आराम देह बिस्तरों पर डाल दिया गया जहाँ उनहोंने मज़े की नींद ली!

••• ➲  दूसरे दिन जब मेहमानों ने अपनी आमद का मक्सद बयान किया तो हातिम के होश उड़ गए और मारे अफसोस के उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे!

••• ➲  *उसने कहाः* बड़े दुख की बात है जिस वक्त तुम लोग यहाँ आए उसी वक्त बादशाह की खाहिश का बरमला इजहार क्यों नहीं कर दिया।...✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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                    हातिम की सखावत
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••• ➲  *मुझे पता था कि* तुम लोग घोड़े के गोश्त के बड़े शौकीन हो और हुवा यह कि गुज़श्ता रात जब तुम यहाँ आए तो मौसम की खराबी और सख्त बारिश की वजह से मेरे पास तुमहारी ज़्याफत के लिये कुछ भी नहीं था चुनानचा गुज़श्ता रात मैंने तुमहारी खातिर मुदारात के लिये वही मशहूर घोड़ा धुवाँ" ज़बह कर डाला क्योंकि उसके एलावा कोई और चारा ही न था!

*••• ➲  प्यारे बच्चो !* हातिम की यह सखावत अपनी जगह ! मगर वह कभी हमारे नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की सखावत की गर्द को भी नहीं पहुँच सकती क्योंकि आपने एक आम आदमी को सौ ऊँट अता कर दिये थे और बच्चो तुमहें पता है कि ऊँट अरब का सबसे कीमती सामान है सखावत की अहमियत का अन्दाज़ा जेल की हदीस से बआसानी लगाया जा सकता है *"सखी अल्लाह से करीब होता है जन्नत से करीब होता है, लोगों से करीब होता है (और) जहन्नम से दूर होता है!"*...✍🏻

*📙 सुनन तिरमिजीः 7/222 हदीसः 1884*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत ❞
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                    कंजूसी की नहूसत
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••• ➲   *खालिद का तअल्लुक एक खाते पीते घराने से था* लेकिन उसका चचा बहुत ही कंजूस था और तंगी की ज़िन्दगी जीता था क्योंकि वह दौलत न अपने ऊपर सर्फ करता था और न किसी और ही को देता था बस यही वह बात थी जिसके बाइस लोग उसे पसन्द नहीं करते थे और न कोई इज्जत देते थे! 

••• ➲   उसकी कोशिश होती थी कि जो कुछ उसके पास हो उसे अशरफियों में तब्दील करा ले क्योंकि वह अशरफियों को अपनी निगाहों के सामने देखना पसन्द करता था एक दिन उसने वह सारी अशरफियाँ अपने बाग में दफन कर दीअब हर रोज़ वह बाग में जाता अशरफियों को जमीन से निकालता एक एक करके उनहें गिनता और फिर वापस वहीं ज़मीन में गाड़ देता था!

••• ➲   एक दिन जब वह बाग में गया तो उसे अशरफियाँ नहीं मिलीं यकीनन किसी ने चोरी करली होंगी अब वह गुस्से से पागल हो रहा था और समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे!...✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत ❞
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                    कंजूसी की नहूसत
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••• ➲   जब खालिद को इस हादसा की खबर हुई तो वह अपने कंजूस चचा से मिलने के लिये गया और *कहा :* जो पैसे चले गए चले गए उन पर आँसू बहाने से कोई फाएदा नहीं वह आपके नहीं थे अगर वह आपके होते तो आप उनहें बाग में लेजाकर कभी जेरे जमीन दफन नहीं करते बल्कि अपने मुफीद कामों में उसे इस्तेमाल करते इससे लोगों की ज़रूरतें पूरी करते और अवाम व खास में इज्जत कमाते!

••• ➲   *प्यारे बच्चो !* कंजूसी कितनी बुरी चीज़ है उसका अन्दाज़ा इससे लगाओ कि हुजूरे अक्दस सल्लल्लाहो अलैहे वआलिही वसल्लम ने उससे अल्लाह की पनाह चाही है नीज़ आप सल्लल्लाहो तआला अलैहे वआलिही वसल्लम फरमाते हैं : *"कंजूस अल्लाह से दूर होता है, जन्नत से दूर होता है, लोगों से दूर होता है (और) जहन्नम से करीब होता है!"*...✍🏻

*📙 सुनन तिरमिजी : 7/222 हदीसः 1884*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत ❞
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                           एक रोटी
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••• ➲  *सख्त ठंडी पड़ रही थी!* और हसन बैकरी से कुछ रोटियाँ खरीद कर घर वापस लौट रहा था अचानक उसकी निगाह एक मिस्कीन और कमजोर कुत्ते पर पड़ गई वह इतना लागर था कि उसकी सारी पसलियाँ एक एक करके गिनी जा सकती थीं!

••• ➲  कुत्ते कि निगाह जब हसन के झोले में पड़ी रोटी पर पड़ी तो वह ललचाइ हुई निगाहों से देखता रह गया और ज़बान चलाने लगा!

••• ➲  यह कैफियत देख कर हसन का दिल रहम व मुरव्वत से भर आया उसने कुत्ते पर तरस खाते हुए अपने आपसे कहा : अगर मैं एक रोटी इस भूके कुत्ते को दे देता हूँ तो मेरी माँ मुझ पर यकीनन नाराज़ होगी मगर फिर उसने फैसला किया कि चलो जरा देर के लिये माँ की डॉट सुन लेंगें लेकिन इस कुत्ते का पेट तो भर जाएगा यह ख्याल आते ही उसने झोला जमीन पर रखा और उसके अन्दर से रोटी निकाल कर उसे तोड़ने लगा ताकि रोटी के छोटे टुकड़े कुत्ता बआसानी खा सके!...✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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                           एक रोटी
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••• ➲  हसन के पीछे एक दूसरा शख्स भी इत्तेफाक से बैकरी ही से आ रहा था उसने हसन की बातें सुन ली थीं तो उसने चुपके से एक रोटी जमीन पर पड़े हसन के झोले में डाल दी!

••• ➲  कुत्ते को खिला कर हसन ने अपना झोला उठाया और लेकर घर पहुँचा लेकिन उस वक्त उसकी हैरत की इन्तिहा न रही जब उसने देखा कि झोले के अन्दर पूरी उतनी ही रोटियाँ हैं जितनी उसने बैकरी से खरीदी थीं!

••• ➲  *प्यारे बच्चो !* काश हसन को प्यारे आका सल्लल्लाहो अलैहे वआलिही वसल्लम की यह हदीस मालूम होती तो उसे फैसला करने में इतनी देर न होती और वह खुशी खुशी वह काम कर गुजरता हदीस में है : *"सदका और खैरात करने से कभी माल में कमी नहीं आती!*...✍🏻
 
*📙 सही मुस्लिमः 12/474 हदीस : 4689*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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                      सदाए बाज़ गश्त
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••• ➲  *रमज़ी एक शरीर बच्चा था* और उसे हमेशा शरारत की सूझी रहती थी उसका बाप किसी मैदान में काम कर रहा था एक दिन वह अपने बाप का खाना लेकर चला चोटी के ऊपर चट्टान के पीछे उसे एक साया नज़र आया उसने समझा हो नहो ऊपर कोई बच्चा ज़रूर होगा जिसका वह साया पड़ रहा है उसने जोरसे चीख लगाई है चोटी के ऊपर से भी एक आवाज़ आई है!

••• ➲  रमजी को पता नहीं था कि यह सदाए बाज़ गश्त है और मेरी अपनी ही आवाज़ पहाड़ से टकरा कर वापस आर ही है उसने समझा कि वह बच्चा चोटी के ऊपर है जहाँ से वह मेरा मजाक उड़ा रहा है उसने गुस्सा में लाल पीला होकर कहा : "घबराओ नहीं बस मेरे आने का इन्तेजार करो, देखो मैं ऊपर आकर क्या करता हूँ!"

••• ➲  ऊपर से आवाज़ आई" घबराओ नहीं बस मेरे आने का इन्तेजार करो देखो मैं ऊपर आकर क्या करता हूँ!"

••• ➲  अब तो रमजी गुस्से में बेकाबू होने लगा था और पूरा जोर लगा कर कहा : *ऐ बुज दिल ! हिम्मत है तो बाहर निकलो और आकर मुझसे मुकाबला करो!..✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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                      सदाए बाज़ गश्त
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••• ➲  जब बिल्कुल यही जवाब उसके कानों में पड़ा तो वह बेताब होकर चोटी पर चढ़ने लगा थोड़ी ही देर में थक कर चूर हो गया मगर उसे वहाँ कोई नज़र नहीं आया उसने समझा हो न हो वह बच्चा कहीं और जाकर छुप गया होगा चुनानचा वह चट्टान के ऊपर चढ़ गया और चारों तरफ आवाज़ लगाने लगा और दिल ही दिल में सोच रहा है कि अगर वह बच्चा मिल गया तो मैं उसका बुरा हाल कर दूंगा मगर वह बुज़ दिल बच्चा रमज़ी के सामने आने की हिम्मत न कर सका!

••• ➲  बहुत देर के बाद रमज़ी को अपने बाप की याद आई कि अब तक तो भूक से उसका बुरा हाल हो गया होगा वह सीधा अपने बाप के पास पहुंचा और उसने सारा किस्सा अपने बाप को कह सुनाया उसके बाप ने उसे एक मुहावरा सुनाया 'वह शख्स जो अपनी मन चाही दूसरों को सुनाना चाहता है, उसे वह कुछ सुनना पड़ता है जिसे वह सुनना नहीं चाहता!

*••• ➲  प्यारे बच्चो !* अगर रमजी को हमारे प्यारे आका सल्लल्लाहो अलैहे वआलिही वसल्लम की यह हदीस याद रही होती तो वह अपने आप पर इस तरह बेजा जुल्म न करता *"जो शख्स अल्लाह और रोज़े आखेरत पर ईमान रखता है तो उसे चाहिये कि वह ज़बान से अच्छी बात निकाले या फिर खामूश रहे!..✍🏻"*

*📙 सही बुखारी -18/437 हदीसः 5559*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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                      झूट की शामत
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••• ➲  एक दिन एक महिला और मर्द अपना एक मोकामा लेकर कोर्ट में पहुँचे  जज आए और समाअत शुरू हो गई पहले महिला ने अपना बयान दिया और अपने बगल में खड़े लागर से मर्द की तरफ उँगलियों से इशारा करते हुए कहा कि इसने मेरी आबरू पर हमला किया है और मेरी इज्जत खाक में मिला कर रख दी है।  

••• ➲  *मर्द ने अपना देफा करते हुए कहा:* यह झूठा बोल रही है।  सच्ची बात यह है कि अपनी बकरियाँ बेचने के बाद मैं पैसों की गिनती में लगा हुवा था कि इतने में यह आई।  और पैसा देख कर अपनी नीयत का बुरा कर बैठी।  फिर उसने मुझे धमकी देते हुए शुरू कर दी कि अगर तुम मुझे यह पैसा नहीं देते तो मैं तुमहारे लिए बड़े मसाइल खड़ी कर दूंगी।  जब मैंने पैसे देने से इनकार कर दिया तो इसने रोना धोना शुरू कर दिया।  

••• ➲  दोनों का बयान सुनने के बाद जज इस नतीजे पर पहुंच गया कि कौन झूठा है और कौन सच्चा। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कुछ नहीं कहा। थोड़ा देर के बाद जज। मर्द की तरफ मुतवज्जह हुवा और फर से कहा कि आप इस बेचारी पर हमले से इसकी इज्जत  खाक में मिला दी और फिर मेरे पास झूट का पुलिन्दा लेकर आए हों।  खैरियत इसी में है कि जो कुछ पैसे तुतहारी जेब में हैं सब इस औरत के हवाले कर दो। वरना तुम्हें हवालात की नज़र कर दिया जाऐगा।...✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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                      झूट की शामत
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••• ➲  यह सुन कर हर शख्स हैरत में पड़ गया। क्योंकि वह सोच भी नहीं सकते थे कि जज का रद्दे अमल कुछ ऐसा ही होगा। हाल ही में! महिला ने खुशी खुशी मर्द से पैसे वसूल किए।  और जज की तारीफ करते हुए कोर्ट से बाहर चले गए। महिला के बाहर निकलते ही जज ने मर्द से कहा कि जाओ इसका पीछा करो और जिस तरह से हो सके अपने पैसे इससे वापस लेने की कोशिश करो।  

••• ➲  यह सुन कर मर्द एक बार फिर चौंका। लेकिन चूंकि जज का हुक्म था। इस लिए जल्दी से निकल गए हुवा। इस उम्मीद पर कि शायद पैसा वापस मिल जाए।  

••• ➲  अभी थोड़ी ही देर हुई थी कि दोनों फिर कोर्ट में पेश किए गए। लेकिन इस बार उस मर्द का बुरा हाल था। क्योंकि उसके चेहरे से खून बह रहा था।  कपड़े फटे हुए थे और जिस्म कई जगह जख्मी हो गया था।  

••• ➲  महिला ने गज़बनाक लहजे में पहले अपनी सफाई देनी शुरू की कि जज साहब! जो पैसे आपने मुझे दिलवाए थे यह बेरहम इनसान मुझे वह छीनने की कोशिश कर रहा था!...✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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                      झूट की शामत
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••• ➲  *जज ने उससे पूछा :* क्या इसने उसे छीनने की कोशिश की की थी ?

••• ➲  *औरत ने कहाः* बिल्कुल लेकिन मैने इसमें से इसे एक आना भी लेने न दिया यह सुन कर जज औरत की तरफ मुतवज्जह हुवा और उसे डाँटते हुए बोला : बेशरम झूटी औरत ! तुम पहली मरतबा एक शरीफ औरत की तरह किस तरह दावा कर रही थी कि इस मर्द ने तुम पर हमला किया है अगर वह बात वाकेअतन सच्ची होती तो तुम इन पैसों के मुकाबले में अपनी इज्जत व नामूस के बचाव के लिये ज्यादा बेजिगरी से लड़ती क्योंकि यह पैसे तो तुमहारे थे भी नहीं और तुमने इनहें बचाने के लिये इस मर्द को लहू लहान कर दिया यह काम तो तुमको पहले करना था यही तुमहारे झूट के लिये काफी है अब खैर इसी में है कि तुम जल्दी से इस आदमी के पैसे इसके हवाले कर दो!

••• ➲  *प्यारे बच्चो !* कब्ल इसके कि औरत अपनी सफाई के लिये कोई उज़ पेश करती जज ने उसे प्यारे आका सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की यह हदीस सुना दी : *"झूट बोलने से बचो क्योंकि झूट बदी की राह दिखाता है और बदी जहन्नम में ले जाती है!"*..✍🏻

*📙 सही मुस्लिमः 13/16 हदीस : 4721*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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                      सच्चाई की जीत
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••• ➲  *फहमी एक गरीब इनसान का बेटा था* मगर एक अच्छे माहौल में उसकी तरबियत हुई थी माँ बाप चूंकि नेक और शरीफ थे इस लिये सच्चाई और दयानतदारी फहमी की घुट्टी में पड़ी थी!

••• ➲  एक दिन ऐसा हुवा कि मदरसा से लौटते वक्त फहमी अपना कलम कहीं खो बैठा इधर उधर बहुत तलाश किया मगर कहीं वह कलम न मिला बिल आखिर इसी गम में वह गली के एक किनारे पर बैठ कर रोने लगा!

••• ➲  एक खुश लेबास आदमी जब वहाँ से गुजरा तो बच्चे को रोता हुवा देख कर वह रुक गया और और उससे रोने का सबब दरियाफ्त करने लगा जब उस शरीफ आदमी को फहमी का मस्अला मालूम हुवा तो उसने अपनी जेब से एक कलम निकालते हुए पूछा तुमहारा गुमशुदा कलम यह तो नहीं है!..✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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                      सच्चाई की जीत
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••• ➲  *फहमी ने रोते हुए जवाब दिया :* नहीं यह नहीं है. मेरा कलम इतना खूबसूरत और इतना अच्छा नहीं था!
 
••• ➲  शरीफ आदमी ने फहमी की तारीफ करते हुए कहा : चूंकि तुम एक इमानदार बच्चे हो और तुमने मुझसे सच सच बताया है लिहाज़ा सिले में तुमहें यह कलम दिया जा रहा है इसे कबूल करलो और खुशी खुशी घर जाओ!

*••• ➲  प्यारे बच्चो !* तुमने देखा कि सच्चाई की जीत कैसे हुई और सच बोलने के नतीजे में उसे क्या इनाम मिला इसी लिये तो हमारे *प्यारे नबी हुजूर रहमते आलम सल्लल्लाहो अलैहे वआलिही वसल्लम* ने हमें सच बोलने की नसीहत फरमाई है : *"सच बोलने की आदत बनाओ क्योंकि सच्चाई नेकी की राह दिखाती है और नेकी जन्नत में ले जाती है!"*..✍🏻

*📙 सही मुस्लिमः 13/16 हदीसः 4721*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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                         गुनाह क्या है!
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••• ➲  रमजान के मुबारक दिन थे और करीम इफ्तार की तैयारी करने के लिये बाज़ार से कुछ सौदा सुलफ खरीदने जा रहा था जब दुकान पर पहुंचा तो वहाँ एक लम्बी कतार लगी हुई थी जैसे जैसे इफ्तार का वक्त करीब आता जारहा था लोगों की बेचैनी के साथ भीड़ भी बढ़ती जा रही थी!

••• ➲  दुकानदार खुद भी मुसलमान था इस लिये लम्बी कतार देख कर वह भी फिक्रमन्द था और उनहें जल्दी जल्दी फारिग करने की कोशिश कर रहा था जब करीम की बारी आई तो इफ्तार का वक्त बिल्कुल सर पर आ चुका था और दुकानदार उस वक्त तक जेहनी तौर पर बिल्कुल ही थक चुका था करीम ने पचास रूपये का सौदा खरीदा और सौ की नोट दुकानदार को दी मगर बजाए उसके कि करीम को पचास वापस मिलते दुकानदार ने उस से बहुत ज्यादा रूपये करीम को लौटाए पहले तो करीम को हिचकिचाहट महसूस हुई और उसने तअज्जुब भरी निगाहों से दुकानदार के चेहरे पर देखा!

••• ➲   *दुकानदार ने पुछाः कोई बात तो नहीं है ?* करीम नफी में जवाब देता हुवा रूपये लेकर चल पड़ा जब रात खाने पर बैठा तो वह बड़ा फिक्रमन्द और अन्दर से टूटा हुवा था रात जब सोने के लिये बिस्तर पर गया तो उसकी जेहनी कूफुत और बढ़ गई उसने महसूस किया कि जैसे कोई नादीदा इनसान मेरे ज़मीर को झिनझोड़ कर मुझसे पूछ रहा है!...✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत ❞
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                          गुनाह क्या है!
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••• ➲  *"करीम !* तुमने यह हरकत क्यों की ? वह रूपये चुपके से रख लेने का तुमहें किसने हक दिया था जो असलन तुमहारे थे ही नहीं! 

••• ➲  "करीम ने सोचा कि अब माँ से चल कर सारी दास्तान कह देता हूँ मगर फिर उसने फौरन इरादा बदल लिया और माँ से कोई बात न बताई क्योंकि उसे पता था कि माँ मेरी यह हरकत सुन कर गुस्से से लाल पीली हो जाएगी पूरी रात वह यूंही बेचैनी में करवटें बदलता रहा किसी पहलू नींद न आई और फिर सुबह उठ कर भी वह चैन की साँस न ले सका!

*••• ➲  प्यारे बच्चो !* फिर क्या हुवा कि बेकरारी में करीम की निगाह दीवार पर लगे कैलेंडर पर चली गई जहाँ उसे आका अलैहिस्सलातो वस्सलाम की एक हदीस लिखी नज़र आई जिसे पढ़ कर वह और बेकरार हुवा फिर जाकर जाएद रूपये दुकानदार के हवाले कर दिये. वह हदीस पाक यह है : *"वह अमल' गुनाह है जो तुमहारे दिल को मुजतरिब रखे, और तुम लोगों से उसे बताना भी पसन्द न करो!"*...✍🏻

*📕 सही मुस्लिमः 12/403 हदीस : 4632*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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                     पड़ोसी का ख्याल
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••• ➲  *वसीम एक हूनहार लड़का था!* मालदार घराने में उसने आँखें खोली थीं उसका बाप उस दौर का बहुत बड़ा ताजिर था इस लिये वसीम को उसकी मन चाही सारी चीजें बआसानी मिल जाती थीं मगर उसे यह पता न था कि मुफलिस और बेसहारा लोग कैसे ज़िन्दगी गुजारते हैं! 

••• ➲  *एक दिन की बात है कि* वह घर से जैसे ही फुटबाल खेलने के लिये निकला एक कुत्ते ने उसका पीछा करना शुरू कर दिया उसने ज़ोर की दौड़ लगाई मगर कुत्ते से तेज़ तो नहीं दौड़ सकता था नाचार कुत्ते ने उसे एक तंग रास्ते पर घेर लिया वसीम ने जान बचाने के लिये जस्त लगाई और एक पत्थर से टकरा कर लहू लहान हो गया देर तक यूंही बेहोशी के आलम में पड़ा रहा!

••• ➲  जब उसने अपनी आँखें खोली तो उसने अपने रूबरू अपनी ही उम्र का एक लड़का देखा और उस लड़के की माँ मेरे ज़ख्म पर मरहम पट्टी कर रही थी उनहोंने मुझे कुत्ते के चंगुल से बचाया और ज़ख्म की सफाई के लिये अपने घर लेकर चले गए!..✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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                      पड़ोसी का ख्याल
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••• ➲  वसीम ने तहे दिल से उनका शुक्रिया अदा किया उनके खस्ता घर और मामूली किस्म के सामाने जिन्दगी देख कर वसीम हैरत में पड़ गया जब खाने का वक्त आया तो उनका खाना देख कर उसे वहशत होने लगी और एक लुकमा भी उसकी हलक से नीचे न उतर सका!

••• ➲  दूसरे दिन वसीम जब घर आया तो उसने अपनी माँ से फरमाइश करके कुछ उमदा खाने बनवाए जिनहें लेकर वह उस लड़के के घर गया और उनके साथ बैठ कर खाया अब उसे महसूस हुवा के जैसे कुछ खा रहा है फिर जल्द ही वह आपस में एक दूसरे के गहरे दोस्त बन गए!

••• ➲  *प्यारे बच्चो !* वसीम एक रहम दिल और मेहरबान किस्म का लड़का था इसी लिये तो उसने उन मफ्लूकुलहाल लोगों के साथ फरमाने पैगम्बर के मुताबिक सुलूक किया *"वह मोमिन ही नहीं जो खुद तो पेट भर कर सो रहे और उसके बगल में उसका पड़ोसी भूका रहे!"* ...✍🏻

*📕 मुस्तदरक हाकिमः 5/270 हदीस : 2126*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत ❞
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               चोर पर अल्लाह की फटकार
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••• ➲   नूरी एक संजीदा शरीफ और सादा किस्म का किसान था मगर उसकी सादगी देख कर लोग यह समझते थे कि वह एक बेवकूफ इनसान है क्योंकि वह सिर्फ अपने काम से काम रखता है और किसी के मामले में मुदाखेलत नहीं करता था मगर यह कि कोई जरूरत आन पड़े!

••• ➲   एक दिन ऐसा हुवा कि एक ऐसे शख्स ने नूरी का गदहा चोरी कर लिया जो बड़ा चर्ब जबान था और जिसकी अकलमन्दी की लोग दाद दिया करते थे नूरी ने देखा कि गदहा तो चला गया और उसके बगैर कोई काम भी नहीं चल रहा तो फिर एक दूसरा गदहा लेने के इरादे से वह बाजार की तरफ निकल पड़ा!

••• ➲   बाज़ार में घूमते घूमते वह एक ऐसी जगह जा पहुंचा जहाँ खुद उसका अपना गदहा फरोख्त के लिये बंधा हुवा था वह दुकानदार के पास गया और कहाः यह तो मेरा गदहा है गुजरता हफ्ता किसी ने मेरे घर से चोरी कर लिया था तुमहें कहाँ से मिला ? चोर एक बे गैरत किस्म का इनसान था उसने बेहयाई से जवाब दिया "शायद पहचानने में आपको गलती हो गई है मैंने इस गदहे को बच्चा खरीदा था और इसे पाल पोस कर इतना बड़ा किया है!.."✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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               चोर पर अल्लाह की फटकार
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••• ➲   जब नूरी ने चोर की यह बात सुनी तो फौरन उसके जेहन में एक आइडिया आया उसने अपनी गरदन में बंधे रूमाल को लिया और गदहे को ओड़हा कर कहा : अगर यह वाकेअतन तुमहारा गदहा है तो बताओ कि इसकी कौन सी आँख कानी है!

••• ➲   एक लमहे के लिये चोर हिचकिचाया फिर जवाब दिया : इसकी दाईं आँख नूरी ने गदहे की दाईं आँख खोली और कहा कि देखो कि यह दाईं आँख से बिल्कुल सही देख रहा है चोर ने कहा : ओह ! माफ करना मुझे मुशाबहत लग गई थी दर अस्ल इसकी बाईं आँख कानी है नूरी गदहे की बाईं आँख खोलते हुए कहा कि “एक बार फिर तुमने गलती की" यह गदहा काना था ही कब यह देख कर लोग जहाँ नूरी की अकलमन्दी का क़सीदा पढ़ रहे थे वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग चोर की अच्छी तरह खबर भी ले रहे थे!

••• ➲   *प्यारे बच्चो !* देखो हमारे आका अलैहिस्सलाम ने हमें क्या तालीम दी है : *"जब चोर चोरी करता है तो ईमान उससे दूर चला जाता है!..✍🏻"*

*📕 सही बुखारीः 21/37 हदीस : 6284*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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                     तकब्बुर की आदत
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••• ➲  आलिया एक बहुत ही मगरूर और घमंडी किस्म की लड़की थी लेकिन जब उसके बाप का इन्तेकाल हो गया तो उस पर उसका बड़ा गहरा असर पड़ा वह हमेशा अपने बाग में तने तनहा खेला करती थी मुहल्ले की किसी लड़की से उसका कोई रब्त जब्त नहीं था हत्ता कि बगल के घर वाली बदरिया से भी वह बात चीत नहीं करती थी बदरिया का कसूर यह था कि वह गरीब घर में पैदा हुई थी!

••• ➲  एक दिन बदरिया दौड़ती हुई आलिया के बाग में आई और कहने लगी : आलिया ! मेरे वालिद सख्त बीमार हैं किसी लमहे उनका दम निकल सकता है न मालूम क्यों वह इस आलम में तुमसे मिलना चाहते हैं वह तुमसे कोई अहम वसीयत करना चाहते हैं!

••• ➲  *आलिया ने वही अपने मगरूराना अन्दाज़ में कहा :* तुमहारे बाप की तरह मुफलिस आदमी से क्या किसी अहम बात की तवक्को रखी जा सकती है ! और फिर तुमहारे घर से ऐसी बदबू फूटती है कि कोई इज्जतदार इनसान उसके करीब भी जाना नहीं चाहेगा!...✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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                    तकब्बुर की आदत
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••• ➲  बदरिया ना उम्मीद होकर चली गई मगर थोड़ी ही देर के बाद फिर भीगी पलकों के साथ आई और आकर कहने लगी!

••• ➲  मेरे वालिद वाकेअतन कोई अहम बात तुमसे कहना चाहते हैं असल में तुमहारे बाप ने अपनी मौत से थोड़ी देर कब्ल कुछ सोना कहीं दफन कर दिया था और उस राज़ की खबर मेरे वालिद के एलावा किसी को नहीं है तुमहारे बाप ने मेरे वालिद से कहा था कि आलिया जब तक बड़ी न हो जाए उस वक्त तक उससे यह राज़ नहीं बताना लेकिन चूंकि अब उनके चल चलाव का वक्त आ गया है तो वह चाहते हैं कि तुमको उससे आगाह कर दें बराय करम जल्दी करो!

••• ➲  बदरिया की बात सुन कर आलिया दौड़ पड़ी मगर बहुत देर हो चुकी थी और वह मुफलिस आदमी मौत की आगोश में सो चुका था आलिया को अपनी हरकत पर बहुत गुस्सा आया और वह खुद को कोस रही थी!

••• ➲  *प्यारे बच्चो !* आलिया ने क्या सिर्फ सोना ही खोया नहीं बल्कि उसने अपने गोरूर व घमंड की पुरानी आदत की वजह से जन्नत पाने का मौका भी गँवा दिया प्यारे आका सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने कितना अच्छा पैगाम उम्मतियों को दिया है : *"वह जन्नत में नहीं जा सकता जिसके दिल में जर्रा बराबर भी घमंड हो!..✍🏻"* 

*📙 सही मुस्लिमः 1/247 हदीसः 131*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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                          मुकाबला
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••• ➲  *हसन एक ज़हीन लड़का था* बद किस्मती से एक कार हादसे में उसकी दोनों आँखें जाती रहीं मगर वह कभी अपनी ज़िन्दगी से बेज़ार नहीं हुवा हर दिन उसकी कोशिश यही हुवा करती थी कि किसी पर बोझ बने बेगैर वह ज़िन्दगी की कश्ती को आगे बढ़ाता रहे अकसर ऐसा होता कि वह किसी का सहारा लिये बेगैर बजाते खुद गाँव से शहर और शहर से गाँव जाता और चला आता था!

••• ➲  उसी गाँव में मुर्तुजा नामी एक शरीर लड़का भी रहता था एक दिन मुर्तुजा को दिल लगी सूझी और उसने हसन का मजाक उड़ाने के लिये गाँव से शहर जाने की बाजी लगा ली!

••• ➲  हसन ने मुकाबला कबूल करते हुए कहा कि कोई बात नहीं मगर मेरी एक शर्त है कि अगर मैं बाजी मार ले गया तो तुमहें अपनी कोट मेरे हवाले करना होगी!

••• ➲  *यह सुन कर मुर्तुजा हंसा और कहा ठीक है अगर जीत गए तो यह कोट तुमहारी*

••• ➲  *हसन ने एक और शर्त का इजाफा किया कि वक्त का इन्तेखाब भी मैं करूंगा!..✍🏻*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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                         मुकाबला
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••• ➲  मुर्तुजा तो यह समझ रहा था कि चूंकि हसन कभी भी यह बाज़ी नहीं जीत सकता इस लिये उसने हाँ कर दिया हसन ने कहा कि यह मुकाबला खप अंधेरी रात में होगा!

••• ➲  शहर का रास्ता एक घने जंगल से होकर गुजरता था हसन के लिये चूंकि रात दिन बराबर थे तो वह अपने मामूल के मुताबिक़ शहर पहुँच गया जब कि मुर्तुज़ा जंगल में उलझ कर रह गया गड्ढों में गिर गिर कर अपना बुरा हाल कर लिया और दरख्त की शाखों ने उसके चेहरे का नक्शा बिगाड़ कर रख दिया जब वह शहर पहुँचा तो देखा कि हसन उस से आधे घंटे पहले ही शहर में पहुंच चुका है!

••• ➲  *प्यारे बच्चो !* काश बेचारे मुर्तुजा को आका अलैहिस्सलातो वस्सलाम की यह हदीसे कुदसी याद होती तो वह अपने आपको इतनी मुश्किलों से हमकिनार न करता : *"अल्लाह तआला ने मेरी तरफ वही की कि (लोगो !) इज्ज व इंकेसार को अपना शेवा बनाओ और किसी को हक नहीं पहुँचता कि किसी पर फख्र और बड़ाई जताए!..✍🏻"*

*📙 सही मुस्लिमः 14/24 हदीसः 5109*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत ❞
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                          मुकाबला
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••• ➲  हलीम बड़ा शहज़ोर किस्म का बच्चा था उसकी ताकत का अन्दाज़ा इससे लगाओ कि वह एक हाथ से बड़ा बड़ा स्टूल सीधा उठा लेता था पूरे स्कूल में कोई भी उसे कुश्ती में मात नहीं दे सकता था वह अकसर व बेशतर अपने दोस्त नूरैन के साथ कुश्ती लड़ा करता था!

••• ➲  एक दिन की बात है कि हलीम और नूरैन दोनों स्कूल के सेहन में कुश्ती लड़ने लगे नूरैन ने बहुत कोशिश की मगर बिलआखिर वह कुश्ती हार गया मारे गुस्सा के वह क्लास रूम में गया और हलीम की सारी किताबें उसके बस्ते से निकाल कर छींट दी!

••• ➲  नूरैन की यह हरकत देख कर हलीम गुस्से से पागल होने लगा अपने गुस्से पर काबू न पाकर वह नूरैन के ऊपर कूद पड़ा और उसकी नाक पर एक घूसा लगा दिया. नूरैन की नाक से खून का फव्वारा बहने लगा सारा कपड़ा और दर्सगाह का फर्श सुर्ख सुर्ख हो गया!

••• ➲  उसकी हम जमाअत साथियों ने जब उसकी यह हरकत देखी तो उनहें बहुत दुख हुवा और प्रिंसपल से जाकर शिकायत कर दी!

••• ➲  *प्यारे बच्चो !* प्रिंसपल ने हलीम को बहुत डाँटा और उसे उसकी हरकत पर तम्बीह करते हुए नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहे वआलिही वसल्लम की यह हदीस बयान की : *“ताकतवर वह नहीं जो अखाड़े में अपने मुकाबिल को पछाड़ दे बल्कि ताकतवर वह है जो गुस्से के वक्त अपने आप पर काबू पाले!..✍🏻"*

*📕 मुअत्ता इमाम मालिकः 5/392 हदीसः 1409*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत ❞
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                      बेल्ट की कहानी
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••• ➲  नबील बहुत ही ज़िद्दी और शरीर बच्चा था सारे भाइयों को परेशान रखना और उनहें मारते पीटते रहना उसका मशगला था हमेशा गुस्ताखाना लहजे में इनसे उनसे झगड़े वाली बातें करता उसकी यह हरकतें देख कर उसकी माँ को बहुत गुस्सा आता था अक्सर आबदीदा हो जाती फिर उसे प्यार से समझाती!

*••• ➲  प्यारे बच्चो !* दूसरों के एहसासात को ठेस न पहुँचाओ और उनसे कभी सख्त व करख्त लहजे में गुफ्तगू न करो. यह सब बुरी बातें हैं!

••• ➲  लेकिन नबील अपनी हरकतों से कहाँ बाज़ आने वाला था वह अपनी गलती मानने के लिये कभी तैयार ही न था वह कहता कि उनहोंने मुझे गुस्सा दिलाया तो मैंने उनके साथ ऐसा सुलूक किया इसमें मेरा क्या कसूर है!..✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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                     बेल्ट की कहानी
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••• ➲  एक दिन उसकी माँ ने कहा कि अगर आज शाम तक तुम किसी से लड़े झगड़े नहीं तो मैं तुमहें वह बेल्ट खरीदूंगी जिसकी तुम मुझसे फरमाइश किये जा रहे हो!

••• ➲  नबील का उस बेल्ट पर दिल आ गया था और वह उसे हर हाल में लेना चाहता था अब उसके भाई उसे लाख गुस्सा दिला रहे हैं मगर वह बफरने और गुस्सा होने को तैयार नहीं क्योंकि उसने फैसला कर लिया था कि कुछ भी हो जाए अपने गुस्से को में रखना है!

••• ➲  जब शाम हुई तो उसकी माँ ने उसे बुलाया और कहा बेटे नबील ! जिस तरह तुमने एक बेल्ट के लिये अपने गुस्से को कंट्रोल कर लिया इसी तरह अल्लाह की रज़ा के लिये भी ऐसा करो देखो नबीये करीम सल्लल्लाहो अलैहे वआलिही वसल्लम ने गुस्सा पर काबू रखने वालों के लिये कितने अज़ीम इनाम का वादा फरमाया है : *“जो हक पर होने के बावजूद किसी से बदला न ले (अपने गुस्से को काबू में रखे) उसके लिये जन्नत के बीचों बीच एक महल तामीर किया जाएगा"!..✍🏻*

*📕 सुनन तिरमिज़ी : 7/271 हदीसः 1916*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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     ❝ बच्चों  की  अख्लाकी  तरबियत❞
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                       नेकी का बदला
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••• ➲   एक नेक बादशाह रात को भेस बदल कर गश्त किया करता था. ताकि लोगों का असली हाल देख कर जहाँ तक हो सके उनकी तकलीफें दूर कर दिया करे!

••• ➲   जाड़े के मौसम में वह एक रात शहर के बाहर किसी वीरान मकान के पास से गुजर रहा था कि दो आदमियों के बोलने की आवाज़ आई कान लगा कर सुना तो एक आदमी कह रहा था लोग बादशाह को खुदा तर्स कहते हैं मगर यह कहाँ की खुदा तर्सी है कि वह तो अपने महलों में नरम व गरम बिस्तरों पर सो रहा हो और मुसाफिर जंगल की इन बर्फानी हवाओं में मरें खुदा की कसम ! अगर कयामत के दिन वह बहिश्त में भेजा गया तो मैं उसे कभी न जाने दूंगा!

••• ➲  दूसरे ने कहा : अरे भाई ! हुकूमत में खुदा तर्सी कहाँ ?यह खुशामदियों की बातें हैं!..✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

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••• ➲   यह सुन कर नेक बादशाह वापस चला आया और महल में पहुँच कर हुक्म दिया कि दो गरीब मुसाफिर जो शहर के बाहर फलाँ जगह पड़े हुए हैं उनहें इसी वक्त लेआओ और खाना खिला कर आराम से सुला दो चुनानचा फौरन हुक्म की तामील हो गई!

••• ➲   सुबह जब दिन चढ़ा तो बादशाह ने मुसाफिरों को बुला कर कहा : भाइयो ! शहर के बाहर तुमहें तकलीफ तो ज़रूर हुई मगर यह तुमहारा कसूर था कि ग्यारह बजे रात तक भी शहर में न आए और दरवाज़ बन्द हो गया फिर भी मैंने आज शहर के बाहर एक सराय बनाने का हुक्म देकर तुमसे सुलह कर ली है उम्मीद है कि तुम भी अब कयामत के दिन मुझसे दुशमनी न रखोगे!

••• ➲   मुसाफिरों ने शरमिंदगी से सर नीचा कर लिया और बादशाह की नेकी के गीत गाते हुए अपने घरों को चले गए *"जो किसी मोमिन की कोई दुनियाँवी तकलीफ दूर करे अल्लाह तआला अर्सा कयामत की उसकी बड़ी मुश्किलें आसान फरमा देगा!..✍🏻”*

*📕 सही मुस्लिमः 13/212 हदीसः 4867*

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सीरते मुस्तफ़ा ﷺ 💚

 الصلوۃ والسلام علیک یاسیدی یارسول الله ﷺ  सीरते मुस्तफ़ा ﷺ (Part- 01) * सीरत क्या है.!? * कुदमाए मुहद्दिषीन व फुकहा "मग़ाज़ी व सियर...